Mother “I still remember the day when I was ten, Sleeping on your lap to the envy of my elder brothers and sisters. It was full moon night, my world only you knew Mother!, My Mother! When at midnight, I woke with tears falling on my knee You knew the pain of your child, My Mother. Your caring hands, tenderly removing the pain Your love, your care, your faith gave me strength, To face the world without fear and with His strength. We will meet again on the great Judgment Day. My Mother
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ए. पी. जे. अब्दुल कलाम.
जन्म : 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु
मृत्यु: 27 जुलाई, 20 15, शिलोंग, मेघालय
पद/कार्य : भारत के पूर्व राष्ट्रपति
उपलब्धियां: एक वैज्ञानिक और इंजिनियर के तौर पर उन्होंने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य किया
डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण संगठनों (डीआरडीओ और इसरो) में कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। वर्ष 2002 में कलाम भारत के राष्ट्रपति चुने गए और 5 वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
प्रारंभिक जीवन
अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुसलमान परिवार मैं हुआ। उनके पिता जैनुलअबिदीन एक नाविक थे और उनकी माता अशिअम्मा एक गृहणी थीं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थे इसलिए उन्हें छोटी उम्र से ही काम करना पड़ा। अपने पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र वितरण का कार्य करते थे। अपने स्कूल के दिनों में कलाम पढाई-लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे। उनके अन्दर सीखने की भूख थी और वो पढाई पर घंटो ध्यान देते थे। उन्होंने अपनी स्कूल की पढाई रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की और उसके बाद तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। उसके बाद वर्ष 1955 में वो मद्रास चले गए जहाँ से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1960 में कलाम ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की।
मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद कलाम ने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में वैज्ञानिक के तौर पर भर्ती हुए। कलाम ने अपने कैरियर की शुरुआत भारतीय सेना के लिए एक छोटे हेलीकाप्टर का डिजाईन बना कर किया। डीआरडीओ में कलाम को उनके काम से संतुष्टि नहीं मिल रही थी। कलाम पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा गठित ‘इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च’ के सदस्य भी थे। इस दौरान उन्हें प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ कार्य करने का अवसर मिला। वर्ष 1969 में उनका स्थानांतरण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में हुआ। यहाँ वो भारत के सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना के निदेशक के तौर पर नियुक्त किये गए थे। इसी परियोजना की सफलता के परिणामस्वरूप भारत का प्रथम उपग्रह ‘रोहिणी’ पृथ्वी की कक्षा में वर्ष 1980 में स्थापित किया गया। इसरो में शामिल होना कलाम के कैरियर का सबसे अहम मोड़ था और जब उन्होंने सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना पर कार्य आरम्भ किया तब उन्हें लगा जैसे वो वही कार्य कर रहे हैं जिसमे उनका मन लगता है।
1963-64 के दौरान उन्होंने अमेरिका के अन्तरिक्ष संगठन नासा की भी यात्रा की। परमाणु वैज्ञानिक राजा रमन्ना, जिनके देख-रेख में भारत ने पहला परमाणु परिक्षण किया, ने कलाम को वर्ष 1974 में पोखरण में परमाणु परिक्षण देखने के लिए भी बुलाया था।
सत्तर और अस्सी के दशक में अपने कार्यों और सफलताओं से डॉ कलाम भारत में बहुत प्रसिद्द हो गए और देश के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में उनका नाम गिना जाने लगा। उनकी ख्याति इतनी बढ़ गयी थी की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपने कैबिनेट के मंजूरी के बिना ही उन्हें कुछ गुप्त परियोजनाओं पर कार्य करने की अनुमति दी थी।
भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी ‘इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ का प्रारम्भ डॉ कलाम के देख-रेख में किया। वह इस परियोजना के मुख कार्यकारी थे। इस परियोजना ने देश को अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें दी है।
जुलाई 1992 से लेकर दिसम्बर 1999 तक डॉ कलाम प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सचिव थे। भारत ने अपना दूसरा परमाणु परिक्षण इसी दौरान किया था। उन्होंने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आर. चिदंबरम के साथ डॉ कलाम इस परियोजना के समन्वयक थे। इस दौरान मिले मीडिया कवरेज ने उन्हें देश का सबसे बड़ा परमाणु वैज्ञानिक बना दिया।
वर्ष 1998 में डॉ कलाम ने ह्रदय चिकित्सक सोमा राजू के साथ मिलकर एक कम कीमत का ‘कोरोनरी स्टेंट’ का विकास किया। इसे ‘कलाम-राजू स्टेंट’ का नाम दिया गया।
भारत के राष्ट्रपति
एक रक्षा वैज्ञानिक के तौर पर उनकी उपलब्धियों और प्रसिद्धि के मद्देनज़र एन. डी. ए. की गठबंधन सरकार ने उन्हें वर्ष 2002 में राष्ट्रपति पद का उमीदवार बनाया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी लक्ष्मी सहगल को भारी अंतर से पराजित किया और 25 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया। डॉ कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारत रत्न ने नवाजा जा चुका था। इससे पहले डॉ राधाकृष्णन और डॉ जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनने से पहले ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जा चुका था।
उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें ‘जनता का राष्ट्रपति’ कहा गया। अपने कार्यकाल की समाप्ति पर उन्होंने दूसरे कार्यकाल की भी इच्छा जताई पर राजनैतिक पार्टियों में एक राय की कमी होने के कारण उन्होंने ये विचार त्याग दिया।
12वें राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल के समाप्ति के समय एक बार फिर उनका नाम अगले संभावित राष्ट्रपति के रूप में चर्चा में था परन्तु आम सहमति नहीं होने के कारण उन्होंने अपनी उमीद्वारी का विचार त्याग दिया।
राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद का समय
राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद डॉ कलाम शिक्षण, लेखन, मार्गदर्शन और शोध जैसे कार्यों में व्यस्त रहे और भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर, जैसे संस्थानों से विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर जुड़े रहे। इसके अलावा वह भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के फेलो, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, थिरुवनन्थपुरम, के चांसलर, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई, में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी रहे।
उन्होंने आई. आई. आई. टी. हैदराबाद, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी और अन्ना यूनिवर्सिटी में सूचना प्रौद्योगिकी भी पढाया था।
कलाम हमेशा से देश के युवाओं और उनके भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में बातें करते थे। इसी सम्बन्ध में उन्होंने देश के युवाओं के लिए “व्हाट कैन आई गिव’ पहल की शुरुआत भी की जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार का सफाया है। देश के युवाओं में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें 2 बार (2003 & 2004) ‘एम.टी.वी. यूथ आइकॉन ऑफ़ द इयर अवार्ड’ के लिए मनोनित भी किया गया था।
वर्ष 2011 में प्रदर्शित हुई हिंदी फिल्म ‘आई ऍम कलाम’ उनके जीवन से प्रभावित है।
शिक्षण के अलावा डॉ कलाम ने कई पुस्तकें भी लिखी जिनमे प्रमुख हैं – ‘इंडिया 2020: अ विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम’, ‘विंग्स ऑफ़ फायर: ऐन ऑटोबायोग्राफी’, ‘इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’, ‘मिशन इंडिया’, ‘इंडोमिटेबल स्पिरिट’ आदि।
पुरस्कार और सम्मान
देश और समाज के लिए किये गए उनके कार्यों के लिए, डॉ कलाम को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। लगभग 40 विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी और भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया।
2014 | डॉक्टर ऑफ साइंस | एडिनबर्ग विश्वविद्यालय , ब्रिटेन |
2012 | डॉक्टर ऑफ़ लॉ ( मानद ) | साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय |
2011 | आईईईई मानद सदस्यता | आईईईई |
2010 | डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग | वाटरलू विश्वविद्यालय |
2009 | मानद डॉक्टरेट | ऑकलैंड विश्वविद्यालय |
2009 | हूवर मेडल | ASME फाउंडेशन, संयुक्त राज्य अमेरिका |
2009 | अंतर्राष्ट्रीय करमन वॉन विंग्स पुरस्कार | कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान , संयुक्त राज्य अमेरिका |
2008 | डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग | नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय , सिंगापुर |
2007 | चार्ल्स द्वितीय पदक | रॉयल सोसाइटी , ब्रिटेन |
2007 | साइंस की मानद डाक्टरेट | वॉल्वर हैम्प्टन विश्वविद्यालय , ब्रिटेन |
2000 | रामानुजन पुरस्कार | अल्वर्स रिसर्च सैंटर, चेन्नई |
1998 | वीर सावरकर पुरस्कार | भारत सरकार |
1997 | राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1997 | भारत रत्न | भारत सरकार |
1994 | विशिष्ट फेलो | इंस्टिट्यूट ऑफ़ डायरेक्टर्स (भारत) |
1990 | पद्म विभूषण | भारत सरकार |
1981 | पद्म भूषण | भारत सरकार |
मृत्यु: 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, में अध्यापन कार्य के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद करोड़ों लोगों के प्रिय और चहेते डॉ अब्दुल कलाम परलोक सिधार गए।
नाम: अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम)
निक नेम: मिसाइल मैन
राष्ट्रीयता: भारतीय
व्यवसाय: इंजीनियर, वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर, राजनीतिज्ञ
जन्म: 15-अक्टूबर -1931
जन्म स्थान: धनुषकोडि, रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत
निधन: 27 जुलाई 2015
निधन के समय आयु: 83 वर्ष
मृत्यु का स्थान: शिलांग, मेघालय, भारत
प्रसिद्ध का कारण: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक राष्ट्रपति रहे
इससे पहले: कोचरिल रमन नारायणन (1997-2002 से राष्ट्रपति)
उत्तराधिकारी: प्रतिभा पाटिल (2007-2012 से राष्ट्रपति)
अवुल पकिर जैनुलदेबेन अब्दुल कलाम को डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम (A P J Abdul Kalam) के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था और उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया था।
वह भारत के 11 वें राष्ट्रपति थे और 2002 में लक्ष्मी सहगल के खिलाफ जीत हासिल की। भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में एक एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम किया।
देश के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें भारत के मिसाइल मैन के रूप में जाना जाता था। इसके अलावा, 1998 में, उन्होंने भारत के पोखरण -2 परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
क्या आप जानते हैं कि A.P.J अब्दुल कलाम ने अपना करियर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में शुरू किया था? उन्होंने ISRO में भारत के पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) के परियोजना निदेशक के रूप में भी काम किया था।
“अगर मेरी परिभाषा पर्याप्त रूप से मजबूत है तो असफलता मुझे कभी नहीं पछाड़ेगी”।
1990 के दशक में उन्होंने 2002 में भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले प्रधान मंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया था। अब, इस लेख के माध्यम से डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम के बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं।
डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था, तब यह ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी में और अब तमिलनाडु में आता है। उनके पिता का नाम जैनुलबदीन था, जो एक नाव के मालिक थे और एक स्थानीय मस्जिद के इमाम थे। उनकी माँ का नाम आशियम्मा था, जो एक गृहिणी थीं।
अब्दुल कलाम पाँच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे, सबसे बड़ी एक बहन थी, जिसका नाम आसिम ज़ोहरा था और तीन बड़े भाई, अर्थात् मोहम्मद मुथु मीरा लेबाई मराय्यार, मुस्तफा कलाम और कासिम मोहम्मद थे। वह अपने परिवार के बहुत करीब थे और बहुत मदद करते थे हालांकि वे अपने जीवन भर कुंवारे रहे।
उनके पूर्वज कई संपत्तियों और भूमि के बड़े ट्रैक्ट के साथ धनी व्यापारी और ज़मींदार थे। वे मुख्य भूमि और द्वीप के बीच और श्रीलंका से किराने का सामान व्यापार करते हैं और मुख्य भूमि से पाम्बिया द्वीप के तीर्थयात्रियों को भी पार करते हैं। तो, उनके परिवार को “मारा कलाम इयक्किवर” (लकड़ी की नाव चलाने वाले) और बाद में “मारकियर” के रूप में जाना जाता था।
शिक्षा आपको उड़ान भरने के लिए पंख देती है। उपलब्धि हमारे अवचेतन मन में जीतने की आग प्रज्वलित करती है।
लेकिन 1920 के दशक तक, उनके परिवार ने अपने भाग्य को खो दिया था; उनके व्यवसाय विफल हो गए और जब तक अब्दुल कलाम का जन्म हुआ तब तक वे गरीबी से जूझ रहे थे। परिवार की मदद करने के लिए, कलाम ने कम उम्र में अखबार बेचना शुरू कर दिया।
अपने स्कूल के दिनों में, कलाम के पास औसत ग्रेड थे लेकिन उन्हें एक उज्ज्वल और मेहनती छात्र के रूप में वर्णित किया गया था, जिसमें सीखने की तीव्र इच्छा थी। गणित उनकी मुख्य रुचि थी।
बिना कर्म के ज्ञान बेकार और अप्रासंगिक है। कार्रवाई के साथ ज्ञान प्रतिकूलता को समृद्धि में परिवर्तित करता है।
उन्होंने श्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल, रामनाथपुरम से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की थी और बाद में वे सेंट जोसेफ कॉलेज चले गए जहाँ वे भौतिकी स्नातक बन गए। 1955 में, वे मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए मद्रास गए।
अपने स्नातक के तीसरे वर्ष के दौरान, उन्हें कुछ अन्य छात्रों के साथ मिलकर एक निम्न-स्तर के हमले के विमान को डिजाइन करने के लिए एक परियोजना सौंपी गई थी। उनके शिक्षक ने उन्हें परियोजना को पूरा करने के लिए एक तंग समय सीमा दी थी, यह बहुत मुश्किल था। कलाम ने अपार दबाव में कड़ी मेहनत की और अंत में निर्धारित समय सीमा के भीतर अपना प्रोजेक्ट पूरा किया। शिक्षक कलाम के समर्पण से प्रभावित थे।
परिणामस्वरूप कलाम एक फाइटर पायलट बनना चाहते थे लेकिन उन्हें क्वालीफायर सूची में 9 वां स्थान मिला और भारतीय वायुसेना में केवल आठ स्थान ही उपलब्ध थे।
ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने 1957 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अपना स्नातक पूरा किया था और 1958 में एक वैज्ञानिक के रूप में वे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में शामिल हुए थे।
1960 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के अधीन इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च के साथ काम किया।
उन्होंने DRDO में एक छोटा होवरक्राफ्ट डिजाइन करके अपने करियर की शुरुआत की थी। हैम्पटन, वर्जीनिया में नासा के लैंग्ली रिसर्च सेंटर का दौरा करने के बाद; 1963-64 में ग्रीनबेल्ट, मैरीलैंड और वॉलॉप्स फ्लाइट सुविधा में गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर, उन्होंने 1965 में DRDO में स्वतंत्र रूप से एक विस्तार योग्य रॉकेट परियोजना पर काम करना शुरू कर दिया था।
वह डीआरडीओ में अपने काम से बहुत संतुष्ट नहीं थे और जब उन्हें 1969 में इसरो को स्थानांतरण आदेश मिले तो वे खुश हो गए। वहां उन्होंने SLV-III के परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया, जिसने जुलाई 1980 में रोहिणी उपग्रह को निकट-पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक तैनात किया। यह भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित उपग्रह प्रक्षेपण यान है।
कलाम ने 1969 में सरकार की स्वीकृति प्राप्त की और अधिक इंजीनियरों को शामिल करने के लिए कार्यक्रम का विस्तार किया। 1970 के दशक में, उन्होंने भारत में अपने भारतीय रिमोट सेंसिंग (IRS) उपग्रह को सूर्कयक्षा में लॉन्च करने की अनुमति देने के उद्देश्य से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) को विकसित करने का प्रयास किया था, PSLV परियोजना सफल रही और 20 सितंबर 1993 को, यह पहली बार लॉन्च किया गया था।
सपना वह नहीं है जो आप सोते समय देखते हैं यह कुछ ऐसा है जो आपको सोने नहीं देता है।
राजा रामन्ना ने अब्दुल कलाम को टीबीआरएल के प्रतिनिधि के रूप में देश के पहले परमाणु परीक्षण स्माइलिंग बुद्धा के साक्षी के रूप में आमंत्रित किया, भले ही उन्होंने इसके विकास में भाग नहीं लिया था।
1970 के दशक में, अब्दुल कलाम ने प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वैलियंट नामक दो परियोजनाओं का निर्देशन किया। क्या आप प्रोजेक्ट डेविल के बारे में जानते हैं? यह एक कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल बनाने के उद्देश्य से एक प्रारंभिक तरल-ईंधन मिसाइल परियोजना थी।
यह परियोजना सफल नहीं थी और 1980 के दशक में इसे बंद कर दिया गया था और बाद में इसने पृथ्वी मिसाइल का विकास किया। दूसरी ओर प्रोजेक्ट वैलेन्ट ने अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के विकास के उद्देश्य से किया। यह भी सफल नहीं था।
डीआरडीओ द्वारा प्रबंधित एक भारतीय रक्षा मंत्रालय ने अन्य सरकारी संगठनों के साथ मिलकर 1980 के दशक की शुरुआत में एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) का शुभारंभ किया। अब्दुल कलाम को इस परियोजना का नेतृत्व करने के लिए कहा गया और 1983 में वह आईजीएमडीपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में डीआरडीओ में लौट आए।
कार्यक्रम में चार परियोजनाओं के विकास के लिए नेतृत्व किया गया, जिसका नाम है शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-सतह मिसाइल (पृथ्वी), शॉर्ट रेंज लो-लेवल सरफेस-टू-एयर मिसाइल (त्रिशूल), मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (आकाश) और थर्ड -विस्फोट रोधी मिसाइल (नाग)।
दुनिया आज चार रैपिड कनेक्टिविटी के माध्यम से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। वे पर्यावरण, लोग, अर्थव्यवस्था और विचार हैं।
अब्दुल कलाम के नेतृत्व में, IGMDP की परियोजना 1988 में पहली पृथ्वी मिसाइल और फिर 1989 में अग्नि मिसाइल जैसी मिसाइलों का उत्पादन करके सफल साबित हुई। इसके कारण उन्हें “भारत के मिसाइल मैन” के रूप में जाना जाता था।
1992 में, उन्हें रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था। कैबिनेट मंत्री के पद के साथ, 1999 में, उन्हें भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
अब्दुल कलाम ने मई 1998 में पांच परमाणु बम परीक्षण विस्फोटों की एक श्रृंखला पोखरण -2 का संचालन करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई। इन परीक्षणों की सफलता के साथ उन्हें राष्ट्रीय नायक का दर्जा मिला और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को पूर्ण घोषित किया ।
इतना ही नहीं, ए.पी.जे. 1998 में अब्दुल कलाम ने भारत को वर्ष 2020 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए टेक्नोलॉजी विजन 2020 नामक एक देशव्यापी योजना का प्रस्ताव रखा और परमाणु सशक्तिकरण, विभिन्न तकनीकी नवाचारों, कृषि उत्पादकता में सुधार आदि का सुझाव दिया।
2002 में, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सत्ता में था और डॉ. ए.पी.जे. भारत के राष्ट्रपति पद पर अब्दुल कलाम। एक लोकप्रिय राष्ट्रीय व्यक्ति होने के नाते, उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव आसानी से जीत लिया। क्या आप जानते हैं कि 1998 में हृदय रोग विशेषज्ञ सोमा राजू के साथ अब्दुल कलाम ने “कलाम-राजू स्टेंट” नाम से एक कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट विकसित की थी। इसके अलावा 2012 में, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक बीहड़ टैबलेट कंप्यूटर को डिज़ाइन किया गया था जिसे “कलाम-राजू टैबलेट” नाम दिया गया था।
कार्यालय छोड़ने के बाद, डॉ. अब्दुल कलाम ने शैक्षणिक क्षेत्र को चुना और भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर, भारतीय विज्ञान संस्थान के मानद साथी के रूप में विजिटिंग प्रोफेसर बने।
उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुवनंतपुरम के चांसलर, अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और भारत भर में कई अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सहायक के रूप में भी कार्य किया।
सूचना प्रौद्योगिकी को उनके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद में भी पढ़ाया गया और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्ना विश्वविद्यालय में प्रौद्योगिकी पढ़ाई। 2011 में, उन्होंने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर अपने रुख को लेकर नागरिक समूहों द्वारा आलोचना की थी क्योंकि उन्होंने परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का समर्थन किया था और स्थानीय लोगों के साथ बात नहीं करने का आरोप लगाया था।
व्हाट कैन आई मूवमेंट ’एक कार्यक्रम है जिसे भारत के युवाओं के लिए डॉ. अब्दुल कलाम ने भ्रष्टाचार को हराने के एक केंद्रीय विषय के साथ शुरू किया था।
27 जुलाई 2015 को, डॉ. अब्दुल कलाम IIM शिलॉन्ग में एक व्याख्यान दे रहे थे, जहां उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी स्थिति गंभीर हो गई, इसलिए, उन्हें बेथानी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां बाद में कार्डियक अरेस्ट से उनकी मृत्यु हो गई।
30 जुलाई, 2015 को पूर्व राष्ट्रपति को राजकीय सम्मान के साथ रामेश्वरम के पेई करुम्बु मैदान में आराम करने के लिए रखा गया था। क्या आप जानते हैं कि कलाम के अंतिम अनुष्ठान में लगभग 350,000 लोग शामिल हुए, जिनमें भारत के प्रधानमंत्री, तमिलनाडु के राज्यपाल और कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल थे?
दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम की याद में भारत के तमिलनाडु के रामेश्वरम के द्वीप शहर में पेई करम्बु में उनके नाम पर एक स्मारक बनाया गया था। 27 जुलाई, 2017 को इसका उद्घाटन भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था।
क्या आप जानते हैं कि इस स्मारक का निर्माण किसने कराया था? इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा बनाया गया था। स्मारक में रॉकेट और मिसाइलों की विभिन्न प्रतिकृति रखी गई है जो डॉ. अब्दुल कलाम के काम को दर्शाता है। साथ ही, उनके जीवन के बारे में कुछ एक्रिलिक चित्रों को भी सैकड़ों चित्रों के साथ प्रदर्शित किया गया है जो डॉ. कलाम के जीवन को दर्शाते हैं।
स्मारक के प्रवेश द्वार पर डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को उन्हें वीणा एक वाद्य यंत्र बजाते हुए दिखाया गया था। इसके साथ दो और प्रतिमाएँ बैठी और खड़ी मुद्रा में हैं।
जैसा कि हम जानते हैं कि डॉ अब्दुल कलाम अपने परिवार में सबसे छोटे बच्चे थे और अपने माता-पिता और भाइयों और बहनों के करीबी थे। उन्होंने कभी शादी नहीं की और अपने रिश्तेदारों की पूरी जिंदगी सेवा की। इसमें कोई शक नहीं कि वह सरल जीवन शैली वाले एक बहुत ही सरल व्यक्ति थे। उनके पास वीना और पुस्तकों के संग्रह सहित कुछ संपत्ति थी। वह एक दयालु दिल का आदमी था, शाकाहारी और सादा भोजन करता था।
डॉ अब्दुल कलाम के करीबी एसएम खान के अनुसार एक किताब द पीपुल्स प्रेसिडेंट अब्दुल कलाम कहते हैं, “वह एक सच्चे मुसलमान का जीवन जीते थे लेकिन अन्य सभी धर्मों के लिए उच्च सम्मान रखते थे और उनका मानना था कि मानवतावाद मानव का सबसे बड़ा गुण है।
वह रोजाना नमाज अदा करते हैं लेकिन भागवत गीता भी पढ़ते हैं। वीणा बजाने का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। उनके लिए धर्म एक व्यक्तिगत मामला था और इस बात पर जोर दिया करते थे कि किसी को इसे धूमधाम और दिखावे का मामला नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने इसका इस्तेमाल किया।”
27 जुलाई 2015 को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट शिलांग में एक व्याख्यान देते हुए, वह गिर गया और बेथानी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें कार्डियक अरेस्ट से मृत होने की पुष्टि हुई और 30 जुलाई 2015 को रामेश्वरम के पीयू करुम्बु द्वीप में अंतिम संस्कार किया गया।
क्या आप जानते हैं कि विभिन्न शैक्षिक, वैज्ञानिक संस्थानों और कुछ स्थानों का नाम डॉ। अब्दुल कलाम के सम्मान में रखा गया है। वे इस प्रकार हैं:
– “सपने देखें। सपने विचारों में बदल जाते हैं और विचार कार्रवाई में परिणत होते हैं।”
– “यदि आप असफल होते हैं, तो कभी हार न मानें क्योंकि असफल का अर्थ है” सीखने में पहला प्रयास “।
– “अगर आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं। पहले सूरज की तरह जलो। ”
– “हम सभी के पास समान प्रतिभा नहीं है। लेकिन, हम सभी के पास अपनी प्रतिभा विकसित करने का समान अवसर है।”
– “सभी पक्षी बारिश के दौरान आश्रय पाते हैं। लेकिन बाज़ बादलों के ऊपर उड़कर बारिश से बच जाता है।”
– “उत्कृष्टता एक निरंतर प्रक्रिया है और दुर्घटना नहीं है।”
– “क्या हमें एहसास नहीं है कि आत्म सम्मान आत्म निर्भरता के साथ आता है?”
– “भारत के लिए मेरा 2020 का विजन इसे एक विकसित राष्ट्र में बदलना है। वह सार नहीं हो सकता; यह एक जीवन रेखा है। ”…… आदि।
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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.
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bahut he acha biography hai… keep it up…
bahut acha lga bro
Great post really like it a lot.
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Ls election 2024 results: “जनता ही जनार्दन है”.
अब्दुल कलाम | APJ Abdul Kalam हमारे देश के एक ऐसे महान व्यक्ति थे जिनकी महान उपलब्धियों और विज्ञान के क्षेत्र में असीम योगदान के कारण ही अब्दुल कलाम | APJ Abdul Kalam को “मिसाईल मैन” “Missile Man” भी कहा जाता है 2020 तक विकसित भारत का सपना देखने वाले अब्दुल कलाम | APJ Abdul Kalam का व्यक्तित्व धर्म, जाति से ऊपर था जिसके कारण अब्दुल कलाम हर धर्म हर जाति के लोगो के बीच खासे लोकप्रिय थे उनके इसी महान व्यक्तित्व के कारण अब्दुल कलाम आज हम सभी भारतीयों के लिए जीवन का एक आदर्श है जो हम सभी को अब्दुल कलाम के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके द्वारा दिखाये गये रास्तो से हमे हमेसा आगे बढने की प्रेरणा देते है.
तो आईये आज हम सभी अब्दुल कलाम के जीवन की ऐसी ही कहानिया Apj Abdul Kalam Ki Kahani को जानते है जो हम सभी को एक सीख मिलती है जिनसे हम सभी प्रेरणा ले सकते है.
Apj abdul kalam life interesting 1 story kahani in hindi, 1 कहानी :- मानवता के प्रति प्रेम.
हमे सभी जीवो चाहे वह इन्सान हो या पशु- पक्षी, सबके प्रति दया का भाव रखना चाहिए इसी की मिशाल पेश करते हुए जब अब्दुल कलाम के जीवन की यह घटना दिखाती है की किस प्रकार अब्दुल कलाम जीवो के प्रति भी अत्यधिक दयालु थे.
बात उन दिनों की है जब अब्दुल कलाम DRDO में कार्यरत थे तब वहा की बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए टूटे कांच के टुकड़े लगाने का सुझाव दिया गया जिस बात की खबर अब्दुल कलाम को भी पता चला तब खुद वहा जाकर अब्दुल कलाम ने ऐसा करने से रोक दिया और वहा के उपस्थित लोगो से कहा की ऐसा करने से जो पक्षी दिवार पर बैठते है वे शीशे के टुकड़े से घायल हो सकते है और इस प्रकार अब्दुल कलाम ने पक्षियों के जीवन के रक्षा के लिए शीशे के टुकड़े नही लगाने दिए इस घटना से पता चलता है की अब्दुल कलाम मानवता के प्रति कितने दयालु थे.
Table of Contents :-
Abdul kalam ki kahani, 2 कहानी :- जीवन में कभी भी हार न मानना.
वो कहा जाता है न की मन के हारे हार है मन के जीते जीत, अब्दुल कलाम बचपन से पायलट बनना चाहते थे और जिसके लिए उन्होंने देहरादून एयरफोर्स अकादमी में फॉर्म भी भर दिया लेकिन परीक्षा में कम अंक आने से उनका चयन नही हुआ तो इस पर भी अब्दुल कलाम हारे नही और खुद को जीवन में आगे बढ़ाते हुए विज्ञान की दिशा में बढ गये और फिर पूरी दुनिया में एक वैज्ञानिक के रूप में मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध हुए,
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अब्दुल कलाम के जीवन के इस घटना से पता चलता है की क्या हुआ जब हम एक जगह फेल हो रहे है तो हमे उसकी चिंता छोड़कर दूसरी जगह लग जाना चाहिए कही तो सफलता मिलेगी ही न, इसलिए हमे अपने जीवन में कभी भी हार नही मानना चाहिए.
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Apj abdul kalam short story in hindi, 3 कहानी :- संघर्ष से ही आगे बढ़ते है लोग.
अब्दुल कलाम बेहद गरीब मछुवारे परिवार से तालुक्क रखते थे और अपने परिवार की आजीविका चलाने और अपनी पढाई करने के लिए पिताजी का साथ देते हुए बचपन में सडको के किनारे सुबह सुबह अखबार बेचा करते थे भले ही इनके पिताजी ज्यादा पढ़े लिखे नही थे लेकिन कलाम को हमेसा यही शिक्षा देते थे की यदि जीवन में आगे बढना है तो संघर्ष का साथ कभी नही छोड़ना, जितना अधिक संघर्ष करोगे उतना अधिक सफलता भी मिलेगी और इसी संघर्ष के बल पर एक गरीब मछुवारे से देश के राष्ट्रपति के रूप में अपना जीवन सफर किया जो की संघर्ष द्वारा मिली सफलता की एक मिशाल है..
अब्दुल कलाम अपने जीवन में खुद को कभी बड़ा व्यक्ति नही मानते थे वे अपने को सबके बराबर एक समान समझते थे जब उन्हें वाराणसी में आईटीआई के दीक्षांत समारोह में बुलाया गया तो उन्होंने देखा की स्टेज में 5 कुर्सिया लगी हुई है जिनमे बीच वाली कुर्सी बड़ी और उन सबसे ऊची भी थी जिसपर उन्हें बैठने को कहा गया तो कलाम सर ने उसपर बैठने से मना कर दिया और कहा की मै भी आप लोगो के बराबर का ही व्यक्ति हु अगर सम्मान करना है तो इसपर कुलपति जी बैठाईए जिसके बाद अब्दुल कलाम सबके समान वाली कुर्सी पर ही बैठे.
इस तरह अब्दुल कलाम अपने को सबके बराबर ही मानते थे यही नही अपनी इसी समानता के भाव के चलते अब्दुल कलाम कुरान और गीता दोनों का अध्धयन करते थे यानी उनके लिए कोई भी ग्रन्थ छोटा या बड़ा नही था बस ज्ञान जहा से मिले ले लेना चाहिए यही उनकी सोच थी।
Apj abdul kalam struggle story in hindi, 5 कहानी :- दान की भावना.
जब अब्दुल कलाम का चयन राष्ट्रपति के रूप में हो गया तो कलाम सर ने तुरंत एक चैरिटी को फोन किया और अपनी जीवन भर की जमापूंजी दान कर दी और कहा की आज से मेरा ख्याल तो अब भारत सरकार कर रही है इसलिए जो अब सैलरी भी मिलेगा उसे भी हम दान करते है अब्दुल कलाम खुद कहते थे की “सबसे उत्तम कार्य क्या है ? किसी भूखे को भोजन कराना, जरुरतमन्द की बेहिचक मदद करना, इन्सान के रूप दुसरो के लिए काम आना और किसी दुखी व्यक्ति की सेवा करना ही सबसे उत्तम उअर पूण्य देने वाला कार्य होता है”.
इस तरह अब्दुल कलाम का जीवन सादगी से भरा पड़ा था जो की सभी के लिए जीवन में आगे बढने एक प्रेरणास्रोत्र है.
एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी
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APJ Abdul Kalam biography in hindi – “ सपने वो नहीं होते जो आप सोने के बाद देखते हैं, सपने तो वह होते हैं जो आपको सोने नहीं देते। “
ऐसा कहना है भारत रत्न ए पी जे अब्दुल कलाम(APJ Abdul Kalam) का। जिन्होंने अंतरिक्ष और रक्षा विभाग में भारत को बहुत बड़ा योगदान दिया। जिसे हम शब्दों में बयान करना मुश्किल है। रक्षा विभाग में उनके योगदान की वजह से उन्हें लोग “ मिसाइल मैन “(Missile man of India) के नाम से जानते हैं।
अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक भारत के 11 राष्ट्रपति बने रहे। जिन्हें यह पद टेक्नोलॉजी और साइंस में उनके विशेष योगदान की वजह से मिला, ना की हमारे देश की राजनीति की वजह से। अब्दुल कलाम को यह कामयाबी ऐसे ही नहीं हासिल हुई, इसके पीछे बहुत बड़ा संघर्ष छिपा हुआ है।
अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुस्लिम गरीब परिवार में हुआ था। रामेश्वर पहले मद्रास में था लेकिन अब वह तमिलनाडु राज्य में है। उनके पिता एक नाविक थे और वह रामेश्वरम आए हिंदू तीर्थ यात्रियों को एक छोर से दूसरे छोर ले जाते थे। शुरू से ही उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने की वजह से अब्दुल कलाम को छोटी उम्र में ही परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए काम करना पड़ा। वह अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए स्कूल से आने के बाद न्यूज़पेपर और मैगजीन बेचने का काम करते थे। इतनी मेहनत के साथ-साथ अब्दुल कलाम पढ़ाई में भी अपना मन ध्यान से लगाते थे। उनके अंदर हमेशा कुछ नया सीखने की इच्छा रहती थी।
अब्दुल कलाम ने स्कूल की पढ़ाई अपने पास के ही साधारण से स्कूल से पूरी की। उसके बाद “ तिरू चिल्ला पल्ली ” के “ सेंट जोसेफ कॉलेज ” में दाखिला ले लिया । जहां से उन्होंने 1954 में भौतिक विज्ञान से ग्रेजुएशन किया।
आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के बावजूद भी उनकी लगन व मेहनत को देखते हुए उनके परिवार वालों ने उनका पूरा साथ दिया और आगे की पढ़ाई भी करवाई। अब्दुल कलाम 1955 मे मद्रास आ गए, जहां “मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी” से अंतरिक्ष विज्ञान ( Aerospace engineer) की पढ़ाई की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद अब्दुल कलाम “विज्ञान अनुसंधान एवं विकास संगठन” (DRDO) में वैज्ञानिक के तौर पर चुने गए। वहां पर अब्दुल कलाम ने अपने कैरियर की शुरुआत की। भारतीय वायुसेना के लिए एक छोटे से हेलीकॉप्टर का डिजाइन बनाकर दिया। लेकिन DRDO में कार्य करके वह संतुष्ट नहीं थे क्योंकि यहां पर एक सीमित कार्य होता था जो रोज दोहराना पड़ता था और अब्दुल कलाम एक सीमित काम तक बंधे नहीं रहना चाहते थे। कुछ वर्षों तक काम करने के बाद 1969 में भारतीय अनुसंधान संगठन (ISSRO ) “इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन” में चुने गए । यहां पर भारत की सेटेलाइट परियोजना के डायरेक्टर के तौर पर नियुक्त किए गए। अब्दुल कलाम ने उस परियोजना में सफलतापूर्वक पूरा किया और तभी उन्हें ऐसा महसूस होने लगा कि मैं इसी काम के लिए बना हूं। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक के बाद एक शक्तिशाली मिसाइल बनाकर, अब्दुल कलाम ने भारत को ही नहीं अपितु पूरी दुनिया को दिखा दिया कि हम भारतीय भी किसी से कम नहीं है।
अब्दुल कलाम ने बहुत सी किताबें भी लिखी जिनमें कुछ है — विंग्स ऑफ़ फायर, इंडिया 2020 और ऑटोबायोग्राफी आदि। अब्दुल कलाम को 1981 में “पद्म भूषण” और 1997 में भारत के सबसे लोकप्रिय पुरस्कार “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।
एक अद्भुत वैज्ञानिक के रूप में उनकी उपलब्धि को देखते हुए 2002 में उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया। भारत के राष्ट्रपति के रूप में अब्दुल कलाम ने 2002 से 2007 तक अपने कार्यों को बखूबी अंजाम दिया।
अधिक उम्र होने के बाद भी उन्होंने आराम नहीं किया और जगह- जगह प्रोफेसर के रूप में कार्य करते रहें और अपना पूरा समय, नव युवकों के मार्गदर्शन में लगा दिया। उनका कहना था-
“ आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते, लेकिन अपनी आदतें बदल सकते हैं। हां, यह निश्चित है कि आपकी आदतें, आपका भविष्य बदल देंगी। “
अब्दुल कलाम जी(Missile man of India)ने मानवता की भलाई और मनुष्य का जीवन अधिक सफल बनाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। 27 मई 2015 को अध्यापन कार्य के दौरान ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह हम सब को छोड़ कर चले गए। अब्दुल कलाम का कहना है —
“जीवन में कठिनाइयां हमें बर्बाद करने नहीं आती, बल्कि यह हमारी छुपी हुई सामर्थ्य और शक्तियों को बाहर निकालने में हमारी मदद करती हैं। कठिनाइयों को यह जान लेने दो कि आप उनसे भी ज्यादा कठिन हो”
अब्दुल कलाम जी(Missile man of India)ने मानवता की भलाई और मनुष्य का जीवन अधिक सफल बनाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। 27 मई 2015 को अध्यापन कार्य के दौरान ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह हम सब को छोड़ कर चले गए। अब्दुल कलाम का कहना है —“ जीवन में कठिनाइयां हमें बर्बाद करने नहीं आती, बल्कि यह हमारी छुपी हुई सामर्थ्य और शक्तियों को बाहर निकालने में हमारी मदद करती हैं। कठिनाइयों को यह जान लेने दो कि आप उनसे भी ज्यादा कठिन हो “
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ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का परिचय – APJ Abdul Kalam Biography in Hindi –
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, एक विलक्षण व्यक्तित्व, महान बैज्ञानिक, राजनेता, मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति थे। (apj abdul kalam biography in hindi) उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुसलमान परिवार मैं हुआ था। उनके पिता का नाम जैनुलअबिदीन था, जो की एक नाविक थे और उनकी माता अशिअम्मा एक गृहणी थीं।
उनके परिवार की स्थिति अच्छी नहीं थी जिसके चलते उनको बचपन से ही काम करना पड़ा, पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र वितरण का काम करते थे। स्कूली शिक्षा के समय से ही कलाम पढाई-लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे।
उनके अन्दर सीखने की भूख थी और वो पढाई पर घंटो ध्यान देते थे, उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा “रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल” से पूरी की और बाद में वे तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिए जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया, उसके उपरान्त वो (1955) में मद्रास चले गए। जहाँ उन्होंने “एयरोस्पेस इंजीनियरिंग” की शिक्षा ग्रहण की, 1960 में कलाम साहब ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी कर ली।
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ऐसे ब्याक्तित्व के ब्यक्ति थे जिनको सभी लोग प्यार करते है, आज वो इस दुनिया में नहीं है फिर भी उनको लोग बहुत याद करते है उनको भारत का मिसाइलमैन भी कहा जाता है आज उनके नाम से भारत में कई तरह के एजुकेशनल इंस्टिट्यूट भी बनाये गए है जो उनके महान ब्यक्तित्व को चिन्हित करता है। कलाम साहब एक महान ब्याक्तित्व के बैज्ञानिक एवं राजनेता थे। कलाम साहब का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम था। उनको लोग कलाम के नाम से ज्यादा जानतें थे।
कलाम साहब के बारे में इंग्लिश में पढ़ने ले लिए यहाँ क्लिक करें – A. P. J. Abdul Kalam
APJ अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के प्रतिष्ठित संस्थान डीआरडीओ और इसरो (DRDO & ISRO) में भी काम किया था। उनको लोग एक बहुत ही अच्छा बैज्ञानिक मानते थे साथ में एक अच्छा और जनता का राष्ट्रपति भी। उन्होंने 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम (Missile Development Program) के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। 2002 में कलाम साहब को देश का 11वां राष्ट्रपति चुना गया। राष्ट्रपति का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद वो शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम मसऊदी अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम मसऊदी 1970 और 1980 के दशक में अपने कार्यों और सफलताओं से भारत में बहुत प्रसिद्द हो गए थे। एक नजर कलाम साहब के बारे में…
नाम – अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम मसऊदी अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम मसऊदी जन्म – 15 अक्टूबर , 1931 मृत्यु – 27 जुलाई, 2015, शिलोंग, मेघालय धर्म – इस्लाम जन्म स्थान – रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत माता पिता – आशियम्मा जैनुलाब्दीन शिक्षा – सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पेशा – प्रोफेसर, लेखक, वैज्ञानिक एयरोस्पेस इंजीनियर राष्ट्रपति – 25 जुलाई 2002 – 25 जुलाई 2007 पद/कार्य – भारत के पूर्व राष्ट्रपति वेबसाइट – http://www.abdulkalam.com/
Wings Of Fire, India 2020 – ‘इण्डिया 2020 ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम’, तथा ‘इग्नाटिड माइंड्स– अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’।
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(1350 Words)
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APJ Abdul Kalam Biography in Hindi: अवुल पकिर जैनुलाब्दीन उर्फ डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती यानी 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 15 अक्टूबर 2023 को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की 92वीं जयंती मनाई जाएगी। तमिलनाडु के रामेश्वरम में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 हुआ। वे भारत के 11वें राष्ट्रपति रहे।
एपीजे अब्दुल कलाम एक भारतीय एयरोस्पेस वैज्ञानिक थे, जिन्होंने 2002 से 2007 तक भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया था। एपीजे अब्दुल कलाम को 'पीपुल्स प्रेसिडेंट' के रूप में भी जाना जाता है। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन की कहानी काफी संघर्षों से भरा रहा। शिक्षा के प्रारंभिक काल में उन्होंने अखबार बेचकर अपनी पढ़ाई पूरी की और अपने घर परिवार के सदस्यों का पालन-पौषण भी किया। आइए जानते डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की शिक्षा, उपलब्धि, आविष्कार, कोट्स और अन्य महत्वपूर्ण विवरणों के बारे में।
महान व्यक्ति हर दिन पैदा नहीं होते हैं; वे एक सदी में एक बार पैदा होते हैं और आने वाले सहस्राब्दियों के लिए याद किए जाते हैं। ऐसे ही एक महान डॉ एपीजे अब्दुल कलाम हैं। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को मद्रास प्रेसीडेंसी के रामेश्वरम में एक गरीब तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था। वह अपने परिवार के साथ तमिलनाडु के मंदिर शहर रामेश्वरम में रहता था, जहाँ उसके पिता जैनुलाब्दीन के पास एक नाव थी और वह एक स्थानीय मस्जिद के इमाम थे। वहीं उनकी मां आशिअम्मा एक गृहिणी थीं।
कलाम के परिवार में चार भाई और एक बहन थी, जिसमें से वह सबसे छोटे थे। कलाम के पूर्वज धनी व्यापारी और जमींदार थे और उनके पास विशाल भूमि और संपत्ति थी। लेकिन समय के साथ, पंबन ब्रिज के खुलने से तीर्थयात्रियों को लाने और किराने का सामान बेचने के उनके व्यवसाय को भारी नुकसान हुआ। नतीजतन, कलाम का परिवार अपर्याप्त हो गया था और जीवनयापन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था। कम उम्र में, कलाम को अपनी पारिवारिक आय के पूरक के लिए समाचार पत्र बेचना पड़ा।
हालांकि कलाम के स्कूल में औसत ग्रेड थे, लेकिन वे बहुत मेहनती थें और उनमें सीखने की इच्छा सबसे ज्यादा थी। उन्होंने अध्ययन में बहुत समय बिताया और गणित में विशेष रुचि विकसित की। कलाम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद श्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल छोड़ दिया और सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली चले गए। सेंट जोसेफ कॉलेज से, उन्होंने 1954 में भौतिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे 1955 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए मद्रास चले गए।
कलाम ने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद 1960 में डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए। उनके करियर की शुरुआत एक छोटा होवरक्राफ्ट डिजाइन करने से हुई। हालाँकि, वह DRDO में नौकरी के अपने विकल्प से आश्वस्त नहीं था। कलाम को 1969 में इसरो में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां वे भारत के पहले उपग्रह वाहन प्रक्षेपण के परियोजना निदेशक थे। उपग्रह वाहन ने जुलाई 1980 में रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया।
कलाम को 1970-90 के दशक के बीच सरकार की LV और SLV परियोजनाएं प्राप्त हुईं। उन्होंने प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वैलिएंट जैसी दो परियोजनाओं का निर्देशन किया, जिसका उद्देश्य सफल एसएलवी कार्यक्रम की तकनीक से बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित करना था, कलाम ने किसी तरह इंदिरा गांधी को आश्वस्त किया और इन एयरोस्पेस परियोजनाओं के लिए गुप्त धन की मांग की। उनके शोध और अपार ज्ञान ने उन्हें और देश को 1980 के दशक में महान ख्याति दिलाई।
इसके बाद कलाम 1992 में रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार बने और सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के पद पर पदोन्नत होने से पहले पांच साल तक उसी पद पर रहे। देश के 1998 के परमाणु हथियारों के परीक्षण में उनकी अपार भूमिका ने भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में मजबूत किया।
कलाम अब एक राष्ट्रीय नायक बन गए थे, जिन्हें आने वाले युगों तक याद किया जाएगा। हालाँकि, उनके द्वारा किए गए परीक्षणों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भारी हंगामा मचाया। कलाम ने टेक्नोलॉजी विजन 2020 नामक एक राष्ट्रव्यापी योजना को सामने रखा, जो उनके अनुसार 20 वर्षों में भारत के कद को विकासशील से विकसित राष्ट्र में बदलने का एक शानदार तरीका था। योजना ने उन्नत प्रौद्योगिकी को अपनाकर, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करके और जनता की शिक्षा पर जोर देकर राष्ट्र की प्रगति की कल्पना की।
सर कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बनने के हकदार थे। 25 जुलाई 2002 में वे देश के राष्ट्रपति चुने गयें। उनका कार्यकाल 25 जुलाई 2007 था। कलाम भारी मतों से चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बनें। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधनों ने उन्हें अध्यक्ष पद के लिए नामित किया और इसे समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का समर्थन प्राप्त था। उन्हें प्यार से लोगों का राष्ट्रपति कहा जाता था क्योंकि उन्होंने लोगों के कल्याण के लिए और पूरे देश में अनगिनत काम किए थे।
वह निर्णय लेने और उन्हें लागू करने के लिए पर्याप्त साहसी थें। चाहे वह कठिन हो या संवेदनशील हो या फिर अत्यधिक विवादास्पद हो। "लाभ का पद" शायद वह कठिन अधिनियम है जिस पर उन्हें हस्ताक्षर करना था। 1701 में निपटान के अंग्रेजी अधिनियम के अनुसार "लाभ का पद", यह स्पष्ट करता है कि शाही परिवार के तहत एक पेशेवर स्थापित करने वाला कोई भी व्यक्ति, जिसके पास किसी प्रकार का प्रावधान है या जो राजकुमार से पेंशन ले रहा है, के पास नहीं है "हाउस ऑफ कॉमन्स" के लिए काम करने का अधिकार। यह शाही परिवार को प्रशासनिक स्थितियों पर शून्य प्रभाव डालने की अनुमति देगा।
वह 2005 में बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए सबसे चर्चित राष्ट्रपति शासन में से एक बन गए थे। कलाम ने एक बार और पद संभालने की इच्छा व्यक्त की लेकिन बाद में अपना विचार बदल दिया।
कार्यालय से विदाई लेने के बाद, वह शिफ्ट हो गए और शिलांग में भारतीय प्रबंधन संस्थान में एक अतिथि प्रोफेसर के रूप में अपना छात्रों को व्याख्यान देना शुरू किया। उन्होंने अन्ना यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। उन्होंने अपनी उपस्थिति और ज्ञान से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंदौर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंगलोर जैसे शैक्षणिक संस्थानों को भी रोशन किया। सर कलाम ने भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम के चांसलर के रूप में कार्य किया। 2012 में, उन्होंने "व्हाट कैन आई गिव?" नामक एक कार्यक्रम शुरू किया। देश से भ्रष्टाचार को मिटाने के विषय पर ध्यान केंद्रित करना।
जैसा कि हम जानते हैं कि पृथ्वी पर जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक न एक दिन मरना ही होता है। लेकिन कुछ लोग देश के लिए अपने योगदान के कारण लाखों लोगों के दिलों में अमर हैं। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक ऐसे व्यक्तित्व ही व्यक्ति थे, जिनका 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया। यह पूरे देश के लिए खासतौर पर युवाओं के लिए एक बेहद दर्दनाक समय था, क्योंकि हर वर्ग के लोगों को प्रेरित करने वाले एक महान व्यक्ति दुनिया छोड़ गये। आपको बता दें कि अब्दुल कलाम आईआईएम शिलांग में एक कार्यक्रम में युवाओं के लिए भाषण दे रहे थें। इस दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे गिर पड़े। हालांकि उन्हें शिलांग के सबसे अच्छे अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए।
फिर उनके पार्थिव शरीर को एयरलिफ्ट कर गुगाती ले जाया गया और वहां से एयरफोर्स के विमान से नई दिल्ली ले जाया गया। देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और कई अन्य नेताओं ने उनकी आत्मा के लिए प्रार्थना की। इसके बाद उनके शरीर को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में ढक दिया गया और उनके गृहनगर लाया गया। उनके अंतिम संस्कार में करीब 35000 लोगों ने शिरकत की और ऐसी महान व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए एकजुट होकर प्रार्थना की।
डॉ. अब्दुल कलाम एक ऐसे व्यक्ति थे जो न केवल एक महान राजनीतिक नेता थे, बल्कि एक अच्छे शिक्षक और लेखक भी थे। उनमें कई नाजुक गुण और दूरदर्शी थे। उन्होंने हमेशा देश के विकास के लिए एक उत्कृष्ट सपना देखा और महसूस किया कि युवा क्रांति ला सकते हैं। अपने विश्वविद्यालय के करियर के दौरान, उन्होंने अपने प्रेरणादायक भाषण और जबरदस्त दूरदर्शी के माध्यम से कई छात्रों को प्रेरित किया।
इसके अलावा डॉ. कलाम एक महान लेखक थे। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं, जो मुख्य रूप से राष्ट्र के सशक्तिकरण के लिए हैं। उनका भारत का निर्माण 2020 हमारे लिए एक उपहार की तरह था, और उनके पास भारत को एक महाशक्ति बनाने की सभी रणनीतियाँ थीं। इस पुस्तक में, उन्होंने मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में भोजन और विकास, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं, उन्नत सूचना और संचार प्रणाली, अच्छी बुनियादी सुविधाओं, बिजली उत्पादन में पर्याप्तता, कुछ उन्नत प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता जैसे कुछ कारकों पर ध्यान केंद्रित किया था।
अब्दुल कलाम एक महान दिल के व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी जीवन यात्रा के दौरान कई पुरस्कार प्राप्त किए और कई उपलब्द्धियां हासिल कीं। 1981 में अब्दुल कलाम को प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार मिला। 1990 में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार मिला। राष्ट्र के प्रति अपने जबरदस्त प्रयास के कारण प्रसिद्ध व्यक्तित्व को 1997 में भारत रत्न मिला। उसी वर्ष, उन्हें राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने कलाम को 1998 में वीर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित किया।
कला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनके योगदान के कारण, उन्हें 2000 में सस्त्र रामानुजन पुरस्कार मिला। अंत में, वर्ष 2013 में, प्रतिष्ठित व्यक्तित्व को वॉन से सम्मानित किया गया। नेशनल स्पेस सोसाइटी द्वारा ब्रौन पुरस्कार भी मिला। हालाँकि अब्दुल कलाम का जीवन संघर्षों और कठिनाइयों से भरा था, लेकिन वे विरोधियों से ऊपर उठकर आधुनिक भारत के महानतम वैज्ञानिकों में से एक बन गए। राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका को आने वाली पीढ़ी तक याद रखा जाएगा।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अनेकों आदतें थीं, जो हम सबको सीखनी चाहिए। यहां कुछ ऐसी महत्वपूर्ण आदतें हैं जो हम सबको अपनानी चाहिए:
1. समय का महत्व समझना: डॉ. कलाम ने समय के महत्व को हमेशा समझा और समय को महत्वाकांक्षी तरीके से उपयोग किया। वह दृढ़ता से वक्त नियंत्रण करते थे।
2. स्वास्थ्य ध्यान रखना: डॉ. कलाम ने स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण माना और नियमित व्यायाम और आहार पर ध्यान दिया। उनकी यह आदत उन्हें ऊर्जावान और कार्यक्षम बनाए रखने में मदद करती थी।
3. गुणों का मूल्यांकन करना: डॉ. कलाम ने नैतिक मूल्यों और ईमानदारी की महत्वपूर्णता को सदैव उच्च माना। वे यहां तक कि अपने बचपन के दोस्तों से भी गुणों की मूल्यांकन करते थे।
4. सीखने के प्रति उत्साह: डॉ. कलाम ने जीवन भर सीखने का उत्साह बनाए रखा। उनकी अद्भुत जिज्ञासा उन्हें सदैव नवीनता की और बढ़ाती थी।
5. सादगी और मितव्ययिता: डॉ. कलाम ने हमेशा सादगी और मितव्ययिता को अपनाया। वे आपूर्ति के बिना व्यय करने की सिख देते थे और आसानी से खुशी पाने के लिए सादगी की प्रशंसा करते थे।
6. सामरिक आत्मसमर्पण: डॉ. कलाम ने आत्मसमर्पण और सामरिक भूमिका को महत्व दिया। उन्होंने हमेशा देश की सेवा के लिए अपने आप को समर्पित किया और युवाओं को देश के लिए भी समर्पित होने की प्रेरणा दी।
7. संवेदनशीलता और मानवीयता: डॉ. कलाम ने हमेशा संवेदनशीलता और मानवीयता को महत्व दिया। उन्होंने दूसरों की भावनाओं का सम्मान किया और मानवीय संपर्क को मजबूत बनाने का प्रयास किया।
8. स्वयं संयम: डॉ. कलाम ने स्वयं संयम को गहराई से समझा और उसे अपनाया। वे संयमित और आत्मनियंत्रित व्यक्तित्व रखते थे।
9. सहनशीलता: डॉ. कलाम ने सहनशीलता की आदत को अपनाया। उन्होंने जीवन के हर पहलू में चुनौतियों का सामना किया और उन्हें पार किया।
10. सद्भावना और संयोजन: डॉ. कलाम एक बेहद शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। हमेशा सद्भावना को अपनाया और विभिन्न सामुदायिक वर्गों को एकजुट करने का प्रयास किया। उन्होंने एक ऐसे भारत के लिए आदर्श बनाया जहां सभी धर्म, जाति और सामुदायिक वर्गों के लोगों का साथ मिलकर रह सके।
डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी | APJ Abdul Kalam Ki Biography in Hindi
by admin · Published September 22, 2021 · Updated November 19, 2021
“सबसे उत्तम कार्य क्या होता है? – किसी इंसान के दिल को खुश करना किसी भूखे को खाना देना जरूरतमंद की मदद करना किसी दुखियारी दुखियारी का दुख हल्का करना और किसी घायल की सेवा करना।” – डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम।
अब्दुल कलाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति होने के साथ-साथ एक जाने-माने वैज्ञानिक और इंजीनियर भी थे। इन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से भी जाना जाता है। अब्दुल कलाम भारत के 11 वें राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। उनसे हमें यह प्रेरणा मिलती है कि – ‘जीवन में चाहे जैसी भी परिस्थिति क्यों ना हो, पर जब आप अपने सपनों को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उन्हें पूरा करके ही रहते हैं।’
उन्होंने चार दशकों तक भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, डीआरडीओ (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो (ISRO) में एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक का पदभार संभाल कर भारत को अपनी सेवाएं दी। इसके अलावा वे भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम एवं सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में शामिल होकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न (भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान) सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
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नाम: अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन (ए.पी.जे.) अब्दुल कलाम जन्म : 15 अक्टूबर 1931 जन्म स्थान : धनुषकोडी, रामेश्वरम (तमिलनाडु) पिता : जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम माता : आशिमा जैनुलाब्दीन शिक्षा : सेंट जोसेफ कॉलेज तिरुचिरापल्ली, मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी। राष्ट्रीयता : भारतीय उपनाम : भारत का “मिसाइल मैन” पद : भारत के 11वें राष्ट्रपति (जुलाई 2002 से जुलाई 2007 तक) पेशा : प्रोफेसर, लेखक, वैज्ञानिक, एयरोस्पेस इंजीनियर, राजनितिज्ञ। शौक : किताब पढ़ना, लिखना, वीणा बजाना वैवाहिक जीवन : अविवाहित भाई : कासिम मोहम्मद, मुस्तफा कमल, मोहम्मद मुथु, मीरा लेबाई मारीकायर। बहन : आसिम जोहरा (बड़ी बहन) सम्मान : भारत रत्न निधन : 27 जुलाई 2015
अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 में तमिलनाडु में रामेश्वरम के एक छोटे से गांव धनुषकोडी में हुआ। यह एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम अंसार परिवार से संबंध रखते थे। उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम ना तो ज्यादा पैसे वाले थे और ना ही पढ़े लिखे थे। अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम है। उनके पिता मछुआरों को अपनी नाव किराए पर दिया करते थे। अब्दुल कलाम का परिवार एक संयुक्त परिवार में रहते थे, और पांच भाई एवं पांच बहने थी, एवं तीन परिवार का एक संयुक्त परिवार में रहा करते थे। अब्दुल कलाम के माता माता-पिता भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे परंतु उनके द्वारा दिए गए संस्कार और उनकी लगन अब्दुल कलाम के जीवन में बहुत काम आए। इनके पिता का इनके जीवन पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा।
इनकी शिक्षा 5 वर्ष की उम्र में रामेश्वरम की पंचायत के प्राथमिक विद्यालय से शुरू हुई। जब अब्दुल पांचवीं कक्षा में पढ़ रहे थे तब उनके अध्यापक कक्षा में पक्षीयों के उड़ने के तरीके की जानकारी दे रहे थे, लेकिन जब कक्षा में बैठे छात्रों को कुछ समझ नहीं आया तब उनके अध्यापक सभी छात्रों को समुद्र तट पर ले गए, जहां उड़ते हुए पक्षियों को दिखा कर अच्छे से समझाया कि पक्षी कैसे उड़ते हैं। पक्षियों को उड़ते हुए देखकर अब्दुल ने तय कर लिया कि बड़े होकर उन्हें विमान विज्ञान में ही जाना है। अपनी आरंभिक शिक्षा के दौरान अब्दुल कलाम अखबार वितरण करने का काम भी किया करते थे।
वैज्ञानिक जीवन या कैरियर वर्ष 1950 में कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष में अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद वे हावर क्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिए भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान डीआरडीओ में प्रवेश लिया।
1962 में कलाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो में आए, और यहां उन्होंने सफलतापूर्वक कई प्रक्षेपण परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अलावा 1972 में इसरो (ISRO) के परियोजना निदेशक रहते हुए कलाम ने भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 (SLV-3) के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। जिसके द्वारा जुलाई 1982 में ‘रोहिणी उपग्रह’ सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया, जिससे भारत भी अंतरिक्ष अंतरराष्ट्रीय का सदस्य बन गया।
‘इसरो (ISRO) लॉन्च वह्निकल प्रोग्राम’ का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है। इसके साथ-साथ कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रण प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल) को डिजाइन किया, और उन्होंने ‘अग्नि’ एवं ‘पृथ्वी’ जैसे मिसाइल को भी स्वदेशी तकनीक की मदद से भी बनाया।
जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक कलाम भारतीय रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार एवं सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव भी रहे। 1974 में भारत के द्वारा पहले मूल ‘परमाणु परीक्षण’ ( जो की पूरी तरह से असफल रहा) के बाद 1998 में भारत के पोखरण में दूसरी बार ‘परमाणु परीक्षण’ भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिला कर किया। इस प्रकार भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की। वह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।
भारतीय जनता पार्टी समर्थित ‘एनडीए’ (NDA) के घटक दलों ने कलाम को अपना उम्मीदवार बनाया, जिनका वामदलों के अलावा अन्य सभी दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई 2002 को अब्दुल कलाम के समर्थन में 90% वोट पड़े और पूर्णता बहुमत के साथ कलाम को भारत का 11वां राष्ट्रपति चुना गया।
उन्होंने 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ ली। भारत के राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए अब्दुल कलाम का कार्यकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ।
अब्दुल कलाम अपने व्यक्तिगत जीवन में बेहद अनुशासनप्रिय थे। वेशाकाहारी थे। इन्होंने अपनी जीवनी (बायोग्राफी) ‘विंग्स ऑफ फायर’ भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने के अंदाज में लिखा है। इन्होंने अपनी दूसरी पुस्तक ‘गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ द परपस ऑफ लाइफ’ में अपने आत्मिक विचारों को उद्घघोषित किया है।
तमिल भाषा में इन्होंने कई कविताएं भी लिखी है, और दक्षिण कोरिया में इनकी किताबें बहुत चर्चित है, और इनकी पुस्तकों की काफी मांग भी है। अपनी पुस्तक ‘इंडिया – 2020’ में उन्होंने अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भी कलाम देश को अपनी सेवाएं देते रहे, और भारत के प्रबंधन संस्थान, जो भारत के अहमदाबाद, शिलांग, इंदौर, बेंगलुरु, आदि जगहों पर स्थित है, उनके मानद फैलो एवं एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए।
अब्दुल कलाम जीवन भर अविवाहित रहे। साल 2011 में प्रदर्शित हुई एक हिंदी फिल्म ‘आई एम कलाम’ उनके जीवन से प्रभावित है।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति थे, तो उन्होंने अपने या अपने परिवार के लिए कुछ भी बचा कर नहीं रखा था। अपने राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी और तनख्वाह एक संस्था (ट्रस्ट) के नाम कर दिया था। यह संस्था देश के ग्रामीण इलाकों में बेहतरी के लिए काम करती है।
अमूल के संस्थापक और देश में श्वेत क्रांति लाने वाले डॉ. वर्गीज कुरियन ने डॉ. कलाम से इस बारे में बात करने का सोचा और उनसे पूछा तो, डॉ. कलाम का जवाब था, “क्योंकि; अब मैं देश का राष्ट्रपति बन गया हूं, इसलिए जब तक जिंदा रहूंगा, तब तक सरकार मेरा ख्याल राष्ट्रपति के पद से हटने के बाद भी रखेगी। इसलिए मुझे अपनी तनख्वाह और जमा पूंजी बचाने की क्या जरूरत है, अच्छा है कि यह भलाई के काम आ जाए।”
“इंतजार करने वालों को उतना ही मिलता है जितना कोशिश करने वाले पीछे छोड़ देते हैं।”
आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते, लेकिन अपनी आदतें बदल सकते हैं और निश्चित रूप से आपकी आदतें आपका भविष्य बदल देगी।
यदि चार बातों का पालन किया जाए, “एक महान लक्ष्य बनाया जाए, ज्ञान अर्जित किया जाए, कड़ी मेहनत की जाए और दृढ़ रहा जाए तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है।”
बारिश के दौरान सभी पक्षी आश्रय की तलाश में करते हैं, लेकिन बाज बादलों के ऊपर उठकर बारिश से बचता है। “समस्याएं कॉमन है, लेकिन एटीट्यूड इनमें डिफरेंट पैदा करता है।”
“सपने वह नहीं है जो आप नींद में देखते हैं, सपने तो वह है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।”
जिस दिन हमारे सिग्नेचर ‘ऑटोग्राफ’ में बदल जाए उस दिन मान लीजिए कि आप कामयाब हो गए हैं।
“आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत”, असफलता नामक बीमारी को मारने के लिए सबसे बढ़िया दवाई है।
आप तब तक लड़ना मत छोड़ो, जब तक आप अपनी तय की हुई जगह पर ना पहुंच जाओ। यही एक बात है जो आपको विशेष बनाती है- जिंदगी में एक लक्ष्य रखो, लगातार ज्ञान प्राप्त करो, कड़ी मेहनत करो और महान जीवन को प्राप्त करने के लिए दृढ़ रहो।
“एक अच्छी पुस्तक हजार दोस्तों के बराबर होती है, जबकि एक अच्छा दोस्त एक पूरी एक लाइब्रेरी के बराबर होता है।”
युवाओं को मेरा संदेश है कि, “कुछ अलग तरीके से सोचें, कुछ नया करने का प्रयत्न करें, हमेशा अपने अपना रास्ता खुद बनाए और असंभव को हासिल करें।”
चलिए मैं आप एक लीडर को परिभाषित करता हूं,- “उसमें एक विजन ओर पैशन होना चाहिए और उसे किसी समस्या से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे पता होना चाहिए कि इसे हराना कैसे हैं। सबसे जरूरी, उसे ईमानदारी के साथ काम करना चाहिए।”
सफलता के बारे में बात करने पर एक बार डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा था कि –
हर सुबह जगते ही ये पांच बातें अपने आप से कहें : मैं सबसे अच्छा हूं। मैं यह काम कर सकता हूं।
भगवान हमेशा मेरे साथ है। मैं एक विजेता (winner) हूं। आज का दिन मेरा दिन है।
27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में ‘रहने योग्य ग्रह’ पर एक व्याख्यान देने के दौरान, मंच पर ही दिल का दौरा पड़ा और वे बेहोश होकर मंच पर ही गिर पड़े। शाम के लगभग 6:25 बजे अब्दुल कलाम को गंभीर हालत में स्थानीय अस्पताल में लाया गया, और 2 घंटे बाद इनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।
अपने निधन से लगभग 9 घंटे पहले ही उन्होंने ट्वीट कर यह जानकारी दी थी कि, वह शिलांग आई आई एम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं।
अस्पताल के सीईओ जॉन साइलो ने बताया कि, “जब कलाम को अस्पताल लाया गया था, तब उनकी नब्ज और ब्लड प्रेशर में कोई हलचल नहीं हो रही थी और लगभग 2 घंटे बाद कलाम की मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।”
28 जुलाई 2015 को उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली लाया गया। पालम हवाई अड्डे पर सुरक्षा बलों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ कलाम के पार्थिव शरीर को विमान से उतारा। वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इनकी अगवानी की और कलाम के पार्थिव शरीर को पुष्पांजलि अर्पित किए।
तिरंगे में लिपटे कलाम के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ उनके आवास 10, राजाजी मार्ग पर ले जाया गया, जहां पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ-साथ कई अन्य राजनीतिक पार्टियों के बड़े-बड़े नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की।
30 जुलाई 2015 को पूर्व राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ उनके गांव रामेश्वरम के ‘पी करूंबु ग्राउंड’ में दफनाया गया, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तमिलनाडु के राज्यपाल एवं केरल व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों सहित राज्य के 3 लाख 50 हजार से अधिक लोगों ने उनके अंतिम संस्कार में भाग लेकर उन्हें अंतिम विदाई दी।
अब्दुल कलाम के निधन पर देश-विदेश से कई बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं ने अपने शोक प्रतिक्रियाएं व्यक्त की, जिनमें दलाई लामा, दक्षिण एशियाई नेताओं, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा, श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्री पाल सिरीसेना, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति असीलो मुंबई ना कोई योनो सुसीलो बम्बनग युधोयोनो, मलेशियाई प्रधानमंत्री नजीब रजाक, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायेद अल नहयान, संयुक्त अरब अमीरात के प्रधानमंत्री और दुबई के शासक सहित राष्ट्रपति एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने अब्दुल कलाम की उपलब्धियों को याद कर अपना शोक व्यक्त किया।
अब्दुल कलाम के निधन पर ‘गूगल’ ने भी अपने सर्च इंजन के मुख्य पृष्ठ पर काला रिबन दिखाते हुए उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
अब्दुल कलाम ने अपने विचारों को साहित्यक रुप से चार पुस्तकों में बताया है, जो इस प्रकार हैं — इंडिया – 2020 : अ विजन फॉर द न्यू मिलेनियम। (1998) माय जर्नी।
इंटीग्रेटेड माइंडस – अनलीश द पावर विदिन इंडिया। (2002) इंडिया – माई ड्रीम्स।
द ल्यूमिनियर्स स्पार्क्स : ए बायोग्राफी इन्वर्स एंड कलर्स। (2004) मिशन ऑफ इंडिया : अ विजन ऑफ इंडियन यूथ। (2005)
इंस्पायरिंग थॉट्स : कोटेशन सीरीज। (2007)
विंग्स ऑफ फायर : एन ऑटोबायोग्राफी ऑफ एपीजे अब्दुल कलाम (सह लेखक – अरुण तिवारी)
साइंटिस्ट टू प्रेसिडेंट माय जर्नी (मेरी जीवन यात्रा)
अब्दुल कलाम की जीवनी एवं जीवन के विविध पहलुओं पर अन्य लेखकों द्वारा भी कई पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं।
1981 : पद्म भूषण, भारत सरकार द्वारा 1990 : पद्म विभूषण, भारत सरकार द्वारा 1994 : विशिष्ट शोधार्थी, इंस्टिट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा
1997 : भारत रत्न, भारत सरकार द्वारा 1998 : वीर सावरकर पुरस्कार, भारत सरकार द्वारा 2007 : डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि वूल्लरहैंपटन विश्वविद्यालय, यूके द्वारा
2007 : किंग्स चार्ल्स मेडल, रॉयल सोसायटी यूके द्वारा 2009 : मानद डॉक्टरेट, ऑकलैंड विश्वविद्यालय द्वारा 2014 : डॉक्टर ऑफ साइंस, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय द्वारा
इसके अलावा और भी बहुत से सम्मान से सम्मानित किए जा चुके हैं भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम।
अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो, तो पहले सूरज की तरह जलो।
इससे पहले कि सपने सच हों, आपको सपने देखने होंगे।
इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए यह जरूरी है।
“महान सपने देखने वालों के, महान सपने हमेशा पूरे होते हैं।”
एक छात्र का सबसे महत्वपूर्ण गूण यह है कि, वह हमेशा अपने अध्यापक से सवाल पूछे।
अपने मिशन में कामयाब होने के लिए आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित एवं निष्ठावान होना पड़ेगा।
छोटा लक्ष्य अपराध है, “महान लक्ष्य होना चाहिए।”
शिखर तक पहुंचने के लिए ताकत की जरूरत होती है, चाहे वह माउंट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का।
क्या हम यह नहीं जानते कि, “आत्मसम्मान आत्मनिर्भरता के साथ आता है?”
किसी भी मिशन की सफलता के लिए रचनात्मक नेतृत्व आवश्यक है।
जो अपने दिल से काम नहीं कर सकते, वे हासिल तो करते हैं- लेकिन बस खोखली चीजें। अधूरे मन से मिली सफलता अपने आसपास कड़वाहट पैदा करती है।
यदि हम स्वतंत्र नहीं हैं, तो कोई भी हमारा आदर नहीं करेगा।
खुश रहने का एक ही मंत्र है, “उम्मीद बस खुद से रखो किसी और से नहीं।”
मेरे लिए नकारात्मक अनुभव जैसी कोई चीज नहीं है।
राष्ट्र लोगों से मिलकर बनता है, और उनके प्रयास से। कोई राष्ट्र जो कुछ भी चाहता है उसे प्राप्त कर सकता है।
आकाश की तरफ देखे, हम अकेले नहीं हैं सारा ब्रह्मांड हमारे लिए अनुकूल है और हम जो सपने देखते हैं और मेहनत करते हैं, उन्हें यह प्रतिफल देने की साजिश करता है।
मुझे पूरा विश्वास है कि, जब तक किसी ने नाकामयाबी की कड़वी गोली ना चखी हो, वह कामयाबी के लिए पर्याप्त महत्वाकांक्षा नहीं रख सकता।
आपका दिमाग ही आप की सबसे बड़ी समस्या है। यह उन वजहों को पकड़-पकड़ कर लाता है, जो बेवजह है।
मनुष्य के लिए कठिनाईयाँ बहुत जरूरी हैं, क्योंकि उनके बिना असफलता का आनंद नहीं लिया जा सकता।
हम केवल तभी याद किए जाते जाएंगे, जब हमारी युवा पीढ़ी को एक समृद्ध और सुरक्षित भारत दें, जो आर्थिक समृद्धि और सभ्यता की विरासत का परिणाम होगा।
राष्ट्र लोगों से मिलकर बनता है और उनके प्रयासो से, कोई राष्ट्र जो कुछ भी चाहता है, उसे प्राप्त कर सकता है।
जीवन एक कठिन खेल है, आप एक व्यक्ति होने के अपने जन्मसिद्ध अधिकार को बनाए रखकर इसे जीत सकते हैं।
पक्षी अपने ही जीवन और प्रेरणा द्वारा संचालित होते हैं।
किसी भी मिशन की सफलता के लिए – रचनात्मक नेतृत्व आवश्यक है।
एक महान शिक्षक बनने के लिए तीन बातें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है- ज्ञान, जुनून और करुणा।
December 20, 2022
by Rakesh Roshan · Published December 20, 2022
April 21, 2023
by Rakesh Roshan · Published April 21, 2023
September 22, 2021
by admin · Published September 22, 2021 · Last modified February 5, 2022
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सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी
Reported by Saloni Uniyal
Published on 20 April 2024
इस लेख में हम आपको अबुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम के बारे में बताने जा रहे है जिन्हे हम डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी के नाम से जानते है तथा भारत में इन्हें मिसाइल मैन ऑफ इण्डिया के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दे यह भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में भी कार्यभार संभाल चुके है। यह भारत के एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ भी रह चुके थे। परमाणु शक्ति को मजबूत बनाने के लिए भी इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज इस लेख में हम आपको डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जीवनी (Biography of A. P. J. Abdul Kalam in Hindi Jivani) से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी को विस्तार पूर्वक साझा करने वाले है।
Abdul Kalam का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित गांव धनुषकोडी में हुआ था। यह एक मुस्लिम परिवार था। आपको बता दे इनका पूरा नाम अबुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। अब्दुल के पिता का नाम जैनुलाब्दीन जो कि नावों को किराये पर देने और उनको बेचने का व्यवसाय करते थे तथा माता माता का नाम असिंमा था।
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अब्दुल के चार भाई बहन थे, तीन बड़े भाई तथा 1 बड़ी बहन अर्थात अब्दुल सभी भाई बहनों में सबसे छोटे थे। एक गरीब परिवार और आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण अब्दुल पहले ही घर की जिम्मेदारियों को समझने लग गए। इन्होने 10 साल की उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया ये अखबार बेचते थे ताकि ये अपने पापा की आर्थिक मदद में सहायता कर सके। इनको गणित विषय पढ़ना पसंद था।
नाम | |
पूरा नाम | अबुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
जन्म | 15 अक्टूबर 1931 |
माता | असिंमा |
पिता | जैनुलाब्दीन |
जन्म स्थान | धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु (भारत) |
मृत्यु | 27 जुलाई 2015 |
पेशा | लेखक, प्रोफेसर, इंजीनियर, राजनीतिज्ञ तथा वैज्ञानिक |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
राष्ट्रपति का कार्यकाल | 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक |
रामानाथपुरम, तमिलनाडु के Schwartz Higher Secondary School से अपनी प्रारंभिक मैट्रिक की शिक्षा ग्रहण की थी। स्कूल में अब्दुल कलाम को सबसे अच्छे अध्यापक अयादुरै सोलोमन लगते थे इनके विचारों से ये अत्यधिक प्रभावित थे। जब इन्होने 10वीं पास कर लिया था उसके पश्चात ये वर्ष 1954 में तिरुचिरापल्ली चले गए और वहां इन्होने सेंट जोसेफ कॉलेज से इन्होने BSC की डिग्री भौतिक विज्ञान के विषय में प्राप्त की।
यह भी देखें- अल्बर्ट आइंस्टीन जीवनी – Biography of Albert Einstein in Hindi Jivani
यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1955 में मद्रास के इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी इन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कॉलेज में इन्होने अपना प्रवेश ले लिया और अपनी पढ़ाई को पूरा किया परन्तु परीक्षा में उनका 9वां स्थान आया परन्तु IAF ने केवल 8 ही परिणाम घोषित किये थे जिसके कारण उन्हें इसमें विजय हासिल नहीं हुई।
जब इनकी स्नातक की पढ़ाई पूरी हो गई थी तो उसके बाद इन्हे लौ लेवल अटैक एयरक्राफ्ट का प्रोजेक्ट मिला और उन्होंने इसे बनाया परन्तु जो उनके प्रोफ़ेसर थे उन्हें उनका प्रोजेक्ट मॉडल सही नहीं लगा। उनको अब तीन दिन का समय दिया और एक नया प्रोजेक्ट बनाने के लिए दिया। उन्होंने इस बार प्रोजेक्ट बनाने के लिए खूब मेहनत की और अंत में प्रोफेसर का यह प्रोजेक्ट मॉडल अत्यंत पसंद आया।
छत्रपति साहू महाराज जीवनी - Biography of Chhatrapati Shahu Maharaj in Hindi Jivani
अब्दुल कलाम ने जब अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली थी। अब वे वर्ष 1958 में रक्षा अनुसन्धान तथा विकास संगठन में शामिल होने के लिए आये ताकि वे मद्रास इंस्टिट्यूट इन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग से अपनी डिग्री हासिल हर सके। इसके पश्चात अब्दुल कलाम ISRO में वर्ष 1969 में शामिल होने गए और वहां वे निर्देशक बन गए और अपने कार्य भार को संभालने लग गए। इसी पद पर काम करते करते उन्होंने मिलकर वर्ष 1980 में प्रथम उपग्रह रोहिणी पृथ्वी की कक्षा में आधारित किया गया था।
अब्दुल जी ने कई मिसाइल बनाई जिनमे से कई सफल भी हुई और वे दुबारा से DRDO में वर्ष 1982 में शामिल होने चले गए। आपको बता दे कलाम जी रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक कंसलटेंट की भूमिका वर्ष 1992 से 1997 तक निभा रहे थे। साथ ही वर्ष 1998 में इन्होने परमाणु शक्ति बढ़ाने पर भी कार्य किया। फिर इन्होने वैज्ञानिक सलाहकार का भी कार्य किया यह कैबिनेट मंत्री के साथ सरकार का कार्य सँभालते थे इन्होने अपना कार्य 1999 से वर्ष 2001 तक किया।
भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में अब्दुल कलाम जी ने वर्ष 2002 में चुने गए थे तथा कार्यकाल 2007 तक रहा था।
अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल जी ने अपने जीवन में कई महान कार्य किए है जिनसे कई लोगो को सफलताएं भी प्राप्त हुई। इनको सम्मान के रूप में कई प्रकार के पुरूस्कार प्राप्त हुए जिनकी जानकारी नीचे निम्न प्रकार से दी हुई है।
अब्दुल कलाम जी ने बहुत सारी पुस्तके लिखी है जिनमे उन्होंने अपने विचारों को व्यक्त किया है। A. P. J. Abdul Kalam जी की प्रसिद्ध पुस्तके नीचे निम्न प्रकार से दी हुई है।
A. P. J. Abdul Kalam की मृत्यु 27 जुलाई 2015 को 84 वर्ष की आयु में हुई थी। इससे पहले वे उस दिन भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेनेजमेंट के एक कार्यक्रम में योग्य ग्रह पर एक भाषण दे रहे थे, अचानक भाषण देते ही उन्हें चक्कर आया और वे गिर पड़े और बेहोश हो गए। जल्दी से उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया और वहां पता चला कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है और कुछ घंटों में उनकी मृत्यु हो गई।
A. P. J. Abdul Kalam का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
A. P. J. Abdul Kalam का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकुंडी गांव में हुआ था।
Abdul Kalam भारत के राष्ट्रपति कब बने?
वर्ष 2002 में भारत के 11वें प्रधानमंत्री के रूप में Abdul Kalam भारत के राष्ट्रपति बने थे।
Abdul Kalam की माता का क्या नाम था?
Abdul Kalam की माता आसीम्मा था।
Abdul Kalam की मृत्यु कब हुई?
Abdul Kalam की मृत्यु 27 जुलाई 2015 को हुई थी।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का असली नाम क्या था?
अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का असली नाम था।
जैसा कि हमने आपको अपने इस आर्टिकल के लेख में Biography of A. P. J. Abdul Kalam in Hindi Jivani से सम्बंधित जानकारी को साझा कर दिया है यदि अपने इस लेख से सम्बंधित कोई अन्य जानकारी या प्रश्न पूछना चाहते है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट सेक्शन में अपना प्रश्न लिख सकते है। इसी तरह जानकारी जानने के लिए हमारी साइट से ऐसे ही जुड़े रहे। उम्मीद करते है कि आपको हमारे लिखे गए लेख से जानकारी जानने में सहायता मिली होगी और आपको यह लेख पसंद आया हो।
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A.P.J. Abdul Kalam Books in Hindi / डॉ ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम जिन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और इंजीनियर के रूप में विख्यात थे। उनका पूरा नाम अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम हैं। जो व्यक्ति किसी क्षेत्र विशेष में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है, उसके लिए सब सहज हो जाता है और कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता। अब्दुल कलाम इस उद्धरण का प्रतिनिधित्व करते नज़र आते थे। उन्होंने विवाह नहीं किया था। उनकी जीवन गाथा किसी रोचक उपन्यास के नायक की कहानी से कम नहीं है। चमत्कारिक प्रतिभा के धनी अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व इतना उन्नत था कि वह सभी धर्म, जाति एवं सम्प्रदायों के व्यक्ति नज़र आते थे। डॉक्टर कलाम ने साहित्यिक रूप से भी अपने विचारों को बहुत सारे पुस्तकों में समाहित किया है। आइये जाने एपीजे अब्दुल कलाम लिखी पुस्तके..
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भारत के एक महान वैज्ञानिक थे, जिन्हें 30-35 से अधिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी है। वह एक ऐसे स्वीकार्य भारतीय थे, जो सभी के लिए ‘एक महान् आदर्श’ बन चुके हैं। विज्ञान की दुनिया से देश का प्रथम नागरिक बनना कपोल कल्पना मात्र नहीं है, क्योंकि यह एक जीवित प्रणेता की सत्यकथा है।
ऐसे जीवन कथा वाक्य प्रेरणा के श्रोत हैं। उनके विचार, उद्धरण उन्होंने किताबो के जरिये व्यक्त किया हैं। एपीजे अब्दुल कलाम की किताबे सच में दिल छू जाती हैं। मैंने खुद उनकी कई किताबे पढ़ी हैं उनके किताबे पढ़ने के बाद जीवन में अलग उत्साह मिलता हैं। यहाँ पर अब्दुल कलाम की कुछ पुस्तकों की सूचि दे रहा हूँ। मैं चाहता आप भी एक बार जरूर पढ़े।
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1). विंग्स ऑफ फायर (wings of fire) (एपीजे अब्दुल कलाम साहब की जीवनी/autobiography) .
Writer – A.P.J. Abdul Kalam and Arun Tiwari
इस पुस्तक में एपीजे अब्दुल कलाम साहब की आत्मकथा है। इसके सह-लेखक अरुण तिवारी जी हैं। इसमें डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बचपन से लेकर लगभग 2000 तक के जीवन सफर के बारे में विस्तार से बताया गया है। यह पुस्तक कई भाषाओ में प्रकाशित हुवा हैं।
>> buy now from amazon (hindi), >> buy now from amazon (english), >> buy now from flipkart, 2). इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम (india 2020: a vision for the new millennium).
Writer – A.P.J. Abdul Kalam and Y.S. Rajan
अ विज़न फॉर द न्यू मिलेमियम भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा लिखित एक बेस्ट सेलर किताब है। यह किताब उन्होंने अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल से पहले ही लिखी थी। और उनके किताबों में सबसे अच्छी किताब हैं।
3). इग्नाइटेड माइंड्स: ऑन लीजिंग द पॉवर विदिन इंडिया (ignited minds: unleashing the power within india).
Writer – A.P.J. Abdul Kalam
इग्नाइटेड माइंड्स: ऑन लीजिंग द पॉवर विदिन इंडिया एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा लिखी बेस्ट बुक हैं। इस बुक को उन्होंने अपने राष्ट्रपति कार्यालय के समय लिखा था।
यह किताब डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की सर्वश्रेष्ठ किताब है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे और इन पाँच वर्षों के चुनौतियों और अनुभवों की कहानी है ‘टर्निंग प्वॉइंट्स’ किताब। रोचक प्रसंगों, संस्मरणों, राजनीतिक मुद्दों, और भारत को 2020 तक विकसित बनाने की योजना का पूरा ब्योरा इस किताब में दिया हैं।
6). गाइडिंग सोल्स: डायलॉग्स ऑन द पर्पस ऑफ लाइफ (guiding souls: dialogues on the purpose of life).
Writer – A.P.J. Abdul Kalam and Arun Tiwari
8). इन्स्पायरिंग थॉट्स: कोटेशन सीरिज (inspiring thoughts: quotation series), 9). यू आर बोर्न टू ब्लॉसम: टेक माई जर्नी बियोंड (you are born to blossam: take my journey beyond), 10). फेलियर टू सक्सेस: लीजेंडरी लाइव्स (failure to success: legendary lives), 11). इन्डोमिटेबल स्प्रिट (indomitable spirit), a.p.j abdul kalam books in hindi for students.
विंग्स ऑफ फायर: एन आटोबायोग्राफी ऑफ एपीजे अब्दुल कलाम, भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की आत्मकथा है। इसके सह-लेखक अरुण तिवारी हैं। इसमें अब्दुल कलाम के बचपन से लेकर लगभग 1999 तक के जीवन सफर के बारे में बताया गया है। मूल रूप में अंग्रेजी में प्रकाशित यह किताब, विश्व की 13 भाषाओ में अनूदित हो चुकी है। यह भारत की बेस्ट सेलर बुक में एक हैं।
Q. अब्दुल कलाम का पूरा नाम?
अवुल पकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम
Q. अब्दुल कलाम का जन्म कब हुआ?
15 October 1931
Q. अब्दुल कलाम की मृत्यु कब हुई?
27 July 2015
Q. एपीजे अब्दुल कलाम किस लिए प्रसिद्ध थे?
भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक थे।
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1 thought on “डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 11 सर्वश्रेष्ठ किताबें | a.p.j abdul kalam books hindi”.
ये सब बहुत ही अच्छी किताबे है। इन किताबों के बारे में आपने बढ़िया करके बताया है। में एक बार इन किताबो जरूर पडूंगा
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1931 - 2015 | Delhi , India
Real Name : Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam
Born : 15 Oct 1931 | Tamil Nadu
Died : 27 Jul 2015
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What organizations was a.p.j. abdul kalam associated with, when and how did a.p.j. abdul kalam enter politics.
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A.P.J. Abdul Kalam served as president of the Republic of India from 2002 to 2007. As president, Kalam promoted the advancement of the national nuclear weapons program. Kalam also devised a 20-year action plan to achieve economic growth through technological development in India.
A.P.J. Abdul Kalam attended the Madras Institute of Technology, where he received a degree in aeronautical engineering in 1960. After graduation he joined the Defence Research and Development Organisation (DRDO)—an Indian military research institute—and later the Indian Space Research Organisation (ISRO). Kalam’s associations were not limited to research organizations: he was also associated with political groups, such as the National Democratic Alliance (NDA).
A.P.J. Abdul Kalam created the Technology Vision 2020 project in 1998. The project sought to develop India’s economy through technology, particularly as applied to agriculture, and increase the availability of health care and education. In recognition of Kalam’s services to the country and broad popularity, the National Democratic Alliance nominated him for president in 2002.
A.P.J. Abdul Kalam won many awards, both from the Indian government and from the international community. His most notable awards were the Padma Vibhushan, won in 1990, and the Bharat Ratna, won in 1997, for his contributions to science and engineering and service to the government.
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A.P.J. Abdul Kalam (born October 15, 1931, Rameswaram , India—died July 27, 2015, Shillong) was an Indian scientist and politician who played a leading role in the development of India’s missile and nuclear weapons programs. He was president of India from 2002 to 2007.
Kalam earned a degree in aeronautical engineering from the Madras Institute of Technology and in 1958 joined the Defence Research and Development Organisation (DRDO). In 1969 he moved to the Indian Space Research Organisation , where he was project director of the SLV-III , the first satellite launch vehicle that was both designed and produced in India. Rejoining DRDO in 1982, Kalam planned the program that produced a number of successful missiles, which helped earn him the nickname “Missile Man.” Among those successes was Agni, India’s first intermediate-range ballistic missile , which incorporated aspects of the SLV-III and was launched in 1989.
From 1992 to 1997 Kalam was scientific adviser to the defense minister, and he later served as principal scientific adviser (1999–2001) to the government with the rank of cabinet minister. His prominent role in the country’s 1998 nuclear weapons tests solidified India as a nuclear power and established Kalam as a national hero, although the tests caused great concern in the international community . In 1998 Kalam put forward a countrywide plan called Technology Vision 2020, which he described as a road map for transforming India from a less-developed to a developed society in 20 years. The plan called for, among other measures, increasing agricultural productivity, emphasizing technology as a vehicle for economic growth , and widening access to health care and education.
In 2002 India’s ruling National Democratic Alliance (NDA) put forward Kalam to succeed outgoing President Kocheril Raman Narayanan . Kalam was nominated by the Hindu nationalist ( Hindutva ) NDA even though he was Muslim, and his stature and popular appeal were such that even the main opposition party, the Indian National Congress , also proposed his candidacy. Kalam easily won the election and was sworn in as India’s 11th president , a largely ceremonial post, in July 2002. He left office at the end of his term in 2007 and was succeeded by Pratibha Patil , the country’s first woman president.
Upon returning to civilian life, Kalam remained committed to using science and technology to transform India into a developed country and served as a lecturer at several universities. On July 27, 2015, he collapsed while delivering a lecture at the Indian Institute of Management Shillong and was pronounced dead from cardiac arrest soon afterward.
Kalam wrote several books, including an autobiography, Wings of Fire (1999). Among his numerous awards were two of the country’s highest honors, the Padma Vibhushan (1990) and the Bharat Ratna (1997).
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अभिगमन तिथि 28 जुलाई 2015. ↑ कलाम, अवुल पकिर जैनुलब्दीन अब्दुल (2021). अग्नि की उड़ान: आत्मकथा. PRABHAT PRAKASHAN PVT Limited. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5186-449-3. अभिगमन तिथि 15 ...
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