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  • Jivan Parichay (जीवन परिचय) /

APJ Abdul Kalam Biography in Hindi: मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का संपूर्ण जीवन परिचय  

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  • Updated on  
  • अक्टूबर 13, 2023

ए पी जे अब्दुल कलाम

APJ Abdul Kalam Biography in Hindi: भारत रत्न से सम्मानित और ‘भारत का मिसाइल मैन’ कहे जाने वाले मशहूर वैज्ञानिक डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) अपने बेहतरीन कार्यों के लिए आज भी जाने जाते हैं। डॉ कलाम वर्ष 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति भी बने। डॉ कलाम ने भारत को प्रगतिशील बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। 

क्या आप जानते हैं  डॉक्टर कलाम ने ISRO में भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लांच व्हीकल (SLV-III) के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एपीजे अब्दुल कलाम अपने कार्यों और अपनी प्रेरणादायक बातों के लिए आज भी याद किए जाते है। वहीं उनके जन्म दिवस को हर वर्ष ‘ विश्व छात्र दिवस ’ के रूप में मनाया जाता हैं। आइए जानते हैं ए पी जे अब्दुल कलाम का संपूर्ण जीवन परिचय। 

नामअवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम)
उपनाम मिसाइल मैन
व्यवसायइंजीनियर, वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर, राजनीतिज्ञ
जन्म तिथि 15-अक्टूबर 1931
जन्म स्थानधनुषकोडी गांव, रामेश्वरम, तमिलनाडु 
पिता का नाम जैनुल्लाब्दीन
माता का नाम असीम्मा
डॉ. कलाम का निधन27 जुलाई 2015, शिलांग, मेघालय
राष्ट्रपति11 वें (25 जुलाई 2002 – 25 जुलाई 2007)
सम्मान पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न आदि 
आत्मकथा विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी

This Blog Includes:

डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम का प्रारंभिक जीवन, इसरो में निभाई अहम भूमिका , क्यों कहा जाता है डॉ कलाम को मिसाइल मैन , द्वितीय पोखरण परमाणु परीक्षण में दिया अहम योगदान , डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की मिसाइलों के नाम और उनकी विशेषताएं , डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम का राजनैतिक सफर , डॉ कलाम का निधन , डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम की उपलब्धियां , डॉ. कलाम द्वारा लिखी गई प्रमुख पुस्तकें, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पर लिखी गई जीवनी , डॉ. कलाम के 10 अनमोल विचार , सम्बंधित ब्लॉग.

APJ Abdul Kalam Biography in Hindi: डॉ कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। उनका पूरा नाम ‘अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम’ था। लेकिन उन्हें डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम और मिसाइल मैन के रूप में जाना जाता है। उनके पिता का नाम ‘ जैनुलाब्दीन’ था, जो एक नाविक थे और उनकी माता का नाम ‘ असीम्मा ‘ था, जो एक गृहणी थी। डॉ कलाम के पांच भाई बहन थे। 

डॉ कलाम का शुरूआती जीवन संघर्षों से भरा रहा था। उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अख़बार वितरित करने का कार्य भी किया था। उन्हें बचपन से ही सिखने की बहुत इच्छा थी। रामनाथपुरम, तमिलनाडु से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ कलाम वर्ष 1955 में वे मद्रास चले गए वहाँ उन्होंने ‘ मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ , चेन्नई में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। क्या आप जानते हैं डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम एक लड़ाकू पायलट बनना चाहते थे लेकिन उन्हें ‘भारतीय वायु सेना’ (IAF) की प्रवेश परीक्षा में नौवां स्थान मिला था। जबकि IAF ने केवल 8वीं रैंक तक ही रिजल्ट की घोषणा की थी इसलिए वह पायलट नहीं बन सके। 

यह भी पढ़ें – डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम का शिक्षा में योगदान

डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए, जहां उन्होंने ‘ हावरक्राफ्ट परियोजना’ पर काम किया। डॉ कलाम ने कुछ समय तक प्रसिद्ध वैज्ञानिक ‘ विक्रम साराभाई’ के साथ भी काम किया था। इसके बाद वह वर्ष 1962 में ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ ( ISRO) में आ गए, यहाँ उन्होंने प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते हुए सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी अहम भूमिका निभाई थी।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) ने ISRO में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लांच व्हीकल SLV-III के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस प्रथम सैटेलाइट व्हीकल से भारत ने वर्ष 1980 में रोहिणी सैटेलाइट सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा था। इस मिसाइल को बनाने में डॉ कलाम में अपना अहम योगदान दिया था, जिस वजह से उन्हें ‘ मिसाइल मैन’ की उपाधि से नवाजा गया। इसके बाद डॉ कलाम ने देश के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में कार्य किया और देश के लिए कई मिसाइलें बनाई। 

यह भी पढ़ें – जानिए सत्य, अहिंसा के पुजारी ‘महात्मा गांधी’ का संपूर्ण जीवन परिचय 

इसके बाद डॉ. कलाम ने वर्ष 1992 से 1999 तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) में सेक्रेटरी के रूप में कार्य किया। वह प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी थे। वर्ष 1998 में दूसरे परमाणु परीक्षण में डॉ. कलाम ने महत्वपूर्ण तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई थी। इस सफल परमाणु परिक्षण के बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को एक पूर्ण विकसित परमाणु देश घोषित किया और भारत विश्व में एक महाशक्ति के रूप में उभरा।  

APJ Abdul Kalam Biography in Hindi में अब हम उनकी कुछ प्रमुख मिसाइलों और उनकी विशेषताओं के बारे में बता रहे है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

पृथ्वी सतह से सतह तक, कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल
रेंज-150–300 किमी
परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम 
अग्नि री-एंट्री टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर ,शॉर्ट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल
रेंज- 700–900 किमी
त्रिशूलशॉर्ट रेंज 
सतह से हवा में वार करने वाली मिसाइल 
रेंज- 12 किमी
नाग एन्टी टैंक मिसाइल
दागो और भूल जाओ प्रणाली पर आधारित
सभी प्रकार के मौसम में काम करने में सक्षम 
आकाश मीडियम रेंज सतह से हवा में वार करने में सक्षम 
रेंज – 18 किमी
ब्रह्मोस  लड़ाकू विमानों, पनडुब्बियों, युद्धपोत के साथ-साथ जमीन पर मौजूद सिस्‍टम समेत कई अलग-अलग प्लेटफॉर्म की मदद से लॉन्च किया जा सकता है।
स्पीड – 2,9000 किमी प्रति घंटा
ध्वनि की गति से भी तेज़ 
रेंज – 300 किलोमीटर से 800 किलोमीटर के बीच। 

डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम 18 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। क्या आप जानते हैं कि डॉ कलाम भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ भारत रत्न’ प्राप्त करने वाले भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे। बता दें कि डॉ कलाम से पहले वर्ष 1954 में “ डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ” और वर्ष 1963 में “ डॉ. जाकिर हुसैन ” को यह सम्मान प्रदान किया गया था। डॉ कलाम वर्ष 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति पद पर आसीन रहे और इसके बाद उन्होंने फिर से राष्ट्रपति चुनाव ना लड़ने का फैसला किया। राष्ट्रपति के पद से मुक्त होने के बाद डॉ कलाम ने देश के विभिन्न कॉलेज-संस्थानों में अध्यापन कार्य किया और कई पुस्तकें लिखी 

यह भी पढ़ें – ‘फादर ऑफ ग्रीन रिवॉल्यूशन’ कहे जाने वाले एम.एस. स्वामीनाथन के बारे में कितना जानते हैं आप? 

डॉ. कलाम ने विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपना अतुलनीय योगदान दिया है, जिसकी वजह से उन्हें वर्ष 1997 में भारत के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपने जीवन के बहुत से वर्ष रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के लिए काम करते हुए बिताए थे। 

देश का सर्वोच्‍च पद पर रहने के बाद भी डॉ. कलाम हमेशा अपना जीवन सादगी के साथ जीते रहे  उनका स्‍वभाव बेहद सहज, सरल और विनम्र था। वे हमेशा खुद को एक वैज्ञानिक और शिक्षक की तरह ही देखा करते थे। लेकिन 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) शिलांग में व्याख्यान देते समय हृदय गति रुकने से अचानक उनका निधन हो गया। 

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) ने अपने जीवन में बहुत सी विपरीत परिस्थितियों का सामना किया था। लेकिन जीवन में उन्होंने कभी भी कठिन परिस्थितियों के आगे हार नहीं मानी। यही वजह रही है कि उनका जीवन आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहा हैं। डॉ. कलाम को उनके कार्यों के लिए बहुत से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। जिन्हें नीचे दिए गए टेबल में बताया जा रहा हैं:-

2014डॉक्टर ऑफ़ साइंस 
2012डॉक्टर ऑफ़ लॉज़ (मानद उपाधि)
2011आई.ई.ई.ई. मानद सदस्यता
2010डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग 
2009मानद डॉक्टरेट
2009हूवर मेडल
2009वॉन कार्मन विंग्स अन्तर्राष्ट्रीय अवार्ड
2008डॉक्टर ऑफ इन्जीनियरिंग (मानद उपाधि)
2008डॉक्टर ऑफ साइन्स (मानद उपाधि)
2007डॉक्टर ऑफ साइन्स एण्ड टेक्नोलॉजी की मानद उपाधि
2007किंग चार्ल्स II मेडल
2007डॉक्टर ऑफ साइन्स की मानद उपाधि
2000रामानुजन पुरस्कार
1998वीर सावरकर पुरस्कार
1997इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार
1997भारत रत्न
1994विशिष्ट शोधार्थी
1990पद्म विभूषण
1981पद्म भूषण

यहाँ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) का जीवन परिचय के साथ ही उनके द्वारा लिखित कुछ पुस्तकों के बारे में बताया जा रहा है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-

इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम वर्ष 1998
विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी वर्ष 1999
इगनाइटेड माइंड्स: अनलीजिंग द पॉवर विदिन इंडियावर्ष 2002
द ल्यूमिनस स्पार्क्स: ए बायोग्राफी इन वर्स एंड कलर्सवर्ष 2004
मिशन ऑफ इंडिया: ए विजन ऑफ इंडियन यूथवर्ष 2005
द लाइफ ट्री, पोयम्सवर्ष 2005
इनडोमिटेबल स्पिरिटवर्ष 2006
हम होंगे कामयाबवर्ष 2006
अदम्य साहसवर्ष 2006
इन्स्पायरिंग थॉट्स: कोटेशन सीरिजवर्ष 2007
यू आर बॉर्न टू ब्लॉसम (सहलेखन – अरुण तिवारी)वर्ष 2008
द फैमिली एंड द नेशन (सहलेखन – महाप्रज्ञ)वर्ष 2008
स्प्रिट ऑफ इंडियावर्ष 2010
फोर्ज योर फ्यूचर: केन्डिड, फोर्थराइट, इन्स्पायरिंगवर्ष 2014
बियॉन्ड 2020: ए विजन फॉर टुमोरोज इंडियावर्ष 2014
गवर्नेंस फॉर ग्रोथ इन इंडियावर्ष 2014
ट्रांसडेंस: माई स्प्रीचुअल एक्स्पीरिएंस विद प्रमुख स्वामीजी (सहलेखन – अरुण तिवारी)वर्ष 2015
लर्निंग हाउ टू फ्लाईवर्ष 2016
एनलाइटेंड माइंड्स वर्ष 2017
फेलियर इस द बेस्ट टीचरवर्ष 2018

यह भी पढ़ें – लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी

APJ Abdul Kalam Biography in Hindi में अब हम डॉ. कलाम के जीवन पर लिखी गई कुछ प्रमुख जीवनी के बारे में बता रहे है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

इटरनल क्वेस्ट: जीवन और टाइम्स ऑफ डॉ कलाम एस चंद्र
द कलाम प्रभाव: राष्ट्रपति के साथ के मेरे वर्षपी.एम. नायर
डॉ. ए. पी.जे अब्दुल कलाम: भारत के विजनरीके. भूषण और जी कैट्याल
महात्मा अब्दुल कलाम के साथ मेरे दिनफ्रेट ए.के. जॉर्ज

यहाँ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन परिचय (APJ Abdul Kalam Biography in Hindi) के साथ ही उनके कुछ अनमोल विचारों के बारे में भी बताया जा रहा है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-

  • शिक्षण एक बहुत ही महान पेशा है जो किसी व्यक्ति के चरित्र, क्षमता, और भविष्य को आकार देता हैं। अगर लोग मुझे एक अच्छे शिक्षक के रूप में याद रखते हैं, तो मेरे लिए ये सबसे बड़ा सम्मान होगा। 
  • महान शिक्षक ज्ञान, जूनून और करुणा से निर्मित होते हैं।
  • अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूरज की तरह जलो।
  • सपने वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।
  • महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं।
  • मैं इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार था कि मैं कुछ चीजें नहीं बदल सकता।
  • अपने मिशन में कामयाब होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा।
  • शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत की जरूरत होती है, चाहे वो माउंट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का।
  • किसी भी मिशन की सफलता के लिए, रचनात्मक नेतृत्व आवश्यक हैं।
  • जब तक भारत दुनिया के सामने खड़ा नहीं होता, कोई हमारी इज्जत नहीं करेगा। इस दुनिया में, डर की कोई जगह नहीं है। केवल ताकत ही ताकत का सम्मान करती हैं।
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आशा है आपको डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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Leverage Edu स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म में बतौर एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। नीरज को स्टडी अब्रॉड प्लेटफाॅर्म और स्टोरी राइटिंग में 2 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वह पूर्व में upGrad Campus, Neend App और ThisDay App में कंटेंट डेवलपर और कंटेंट राइटर रह चुके हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविधालय से बौद्ध अध्ययन और चौधरी चरण सिंह विश्वविधालय से हिंदी में मास्टर डिग्री कंप्लीट की है।

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APJ Abdul Kalam Biography In Hindi,Misileman, Rastrapati, President, Wiki, Biography

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की संपूर्ण जीवनी |APJ Abdul Kalam Biography In Hindi

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम,(APJ Abdul Kalam ) जिन्हें “जनता के राष्ट्रपति” और “भारत के मिसाइल मैन” के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रतिष्ठित भारतीय वैज्ञानिक और राजनेता थे जिन्होंने देश के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी। 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे, वह साधारण शुरुआत से उठकर भारत की सबसे प्रिय शख्सियतों में से एक बन गए। डॉ. कलाम के शानदार करियर में भारत के अंतरिक्ष और मिसाइल कार्यक्रमों, विशेष रूप से सफल पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण योगदान शामिल था। 2002 में, उन्होंने 11वें राष्ट्रपति के रूप में भारत में सर्वोच्च संवैधानिक पद ग्रहण किया, जहाँ उनकी सादगी, विनम्रता और प्रेरणादायक भाषणों ने उन्हें देश का प्रिय बना दिया। अपनी राजनीतिक भूमिका से परे, डॉ. कलाम एक विपुल लेखक और एक प्रेरणादायक वक्ता थे, जिनकी “विंग्स ऑफ फायर” और “इग्नाइटेड माइंड्स” जैसी किताबें अनगिनत व्यक्तियों, विशेष रूप से युवाओं को अपने सपनों को आगे बढ़ाने और देश के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित करती हैं। उनकी विरासत विज्ञान, शिक्षा और समाज की भलाई के प्रति अटूट समर्पण की है और उनका प्रभाव पीढ़ियों को प्रेरित करता रहता है। डॉ. कलाम का 27 जुलाई 2015 को एक व्याख्यान देते समय निधन हो गया, लेकिन उनकी विरासत उनके शब्दों, कार्यों और उनके द्वारा अपनाए गए सिद्धांतों के माध्यम से जीवित है।

डॉ . ए . पी . जे एक वैज्ञानिक के रूप में अब्दुल कलाम का करियर | Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s career as a scientist

  • अंतरिक्ष अनुसंधान : डॉ. कलाम इसरो में शामिल हुए और भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान कार्यक्रमों में योगदान दिया।
  • उल्लेखनीय भूमिका : उन्होंने भारत के पहले उपग्रह, रोहिणी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • मिसाइल विकास : अब्दुल कलाम बाद में डीआरडीओ में शामिल हो गए, जहां उन्होंने बैलिस्टिक मिसाइल प्रौद्योगिकी के विकास में प्रयासों का नेतृत्व किया, जिससे उन्हें “भारत का मिसाइल मैन” उपनाम मिला।

डॉ . ए . पी . जे . पोखरण – द्वितीय परमाणु परीक्षण में अब्दुल कलाम की भागीदारी | Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s involvement in the Pokhran-II nuclear tests

  • परमाणु परीक्षण : डॉ. कलाम ने 1998 में पोखरण में भारत के सफल परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • ऐतिहासिक क्षण : इन परीक्षणों ने भारत के परमाणु-सशस्त्र राष्ट्र के रूप में उद्भव को चिह्नित किया।
  • राष्ट्रीय महत्व : पोखरण-द्वितीय परीक्षणों का भारत की रक्षा क्षमताओं और वैश्विक परमाणु राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा।

डॉ . ए . पी . जे . मिसाइल विकास में अब्दुल कलाम का योगदान |Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s contributions to missile development

  • नेतृत्व : डॉ. कलाम ने विभिन्न बैलिस्टिक मिसाइल प्रणालियों के विकास में नेतृत्व प्रदान किया।
  • “ मिसाइल मैन ऑफ इंडिया “: उनके प्रयासों से उन्हें “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया” की उपाधि मिली।
  • उ ल्लेखनीय मिसाइलें : उन्होंने भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाते हुए अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलों के विकास में योगदान दिया।

डॉ . ए . पी . जे . भारत के राष्ट्रपति के रूप में अब्दुल कलाम का कार्यकाल |Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s tenure as President of India

  • निर्वाचित राष्ट्रपति : डॉ. कलाम 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति चुने गये।
  • लोकप्रिय व्यक्ति : वह भारत के इतिहास में सबसे लोकप्रिय और सम्मानित राष्ट्रपतियों में से एक बन गए।
  • सादगी और प्रेरणा : अपनी सादगी और प्रेरणादायक भाषणों के लिए जाने जाने वाले उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण प्रभाव डाला।

डॉ . ए . पी . जे . अब्दुल कलाम का लेखन और प्रेरणा | Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s writing and inspiration

  • विपुल लेखक : डॉ . कलाम ने कई किताबें लिखीं, जिनमें “विंग्स ऑफ फायर” और “इग्नाइटेड माइंड्स” शामिल हैं।
  • प्रेरक साहित्य : उनकी पुस्तकों ने अनगिनत व्यक्तियों, विशेषकर छात्रों को अपने सपनों को साकार करने और देश के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया है।
  • प्रेरक वक्ता : वह एक प्रसिद्ध प्रेरक वक्ता थे, जो लोगों को उत्कृष्टता हासिल करने और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए प्रोत्साहित करते थे।

डॉ . ए . पी . जे . अब्दुल कलाम का राष्ट्रपति पद के बाद का कार्य |Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s post-presidential work

  • निरंतर संलग्नता : अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद, डॉ. कलाम विभिन्न शैक्षिक और वैज्ञानिक पहलों में सक्रिय रूप से लगे रहे।
  • परामर्शदाता : उन्होंने विशेषकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में युवाओं को प्रेरित करना और मार्गदर्शन करना जारी रखा और कई लोगों के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य किया।
  • विरासत निर्माण : डॉ. कलाम ने भावी पीढ़ियों के लिए शिक्षा, नवाचार और आत्मनिर्भरता की एक स्थायी विरासत छोड़ने की पहल पर काम किया

ए . पी . जे . अब्दुल कलाम की विरासत |Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s legacy

  • प्रेरक व्यक्तित्व : डॉ. कलाम सभी उम्र के लोगों, विशेषकर युवाओं के लिए प्रेरणा के स्थायी स्रोत बने हुए हैं।
  • दूरदर्शी नेता : उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने शिक्षा, नवाचार और आत्मनिर्भरता के महत्व पर जोर दिया।
  • वैज्ञानिक प्रगति : भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति में उनका योगदान देश की प्रगति को प्रभावित करता रहा है।
  • लोकप्रिय लेखक : उनकी किताबें और भाषण व्यक्तियों को उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने और समाज में योगदान देने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।
  • शैक्षिक पहल : शिक्षा और मार्गदर्शन में डॉ. कलाम के काम ने भारत के शैक्षिक परिदृश्य पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है।

डॉ . ए . पी . जे . अब्दुल कलाम की मृत्यु |Dr. A.P.J. Abdul Kalam death

APJ Abdul Kalam ki Family

  • निधन : डॉ . ए.पी.जे. 27 जुलाई 2015 को अब्दुल कलाम का निधन हो गया।
  • स्थान : भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में व्याख्यान देते समय उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ।
  • अंतिम क्षण : डॉ . कलाम व्याख्यान के दौरान गिर पड़े और उन्हें तुरंत बेथनी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
  • सार्वजनिक शोक : उनकी मृत्यु पर भारत और दुनिया भर के लोगों ने शोक और संवेदना व्यक्त की।
  • विरासत जारी है: हालाँकि वह अब हमारे साथ नहीं हैं, डॉ. कलाम की विरासत उनके लेखन, भाषणों और भारत के वैज्ञानिक और शैक्षिक परिदृश्य पर उनके प्रभाव के माध्यम से जीवित है।
  • राष्ट्रीय शोक : भारत में सात दिन का राजकीय शोक मनाया गया और उनके अंतिम संस्कार में विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य लोग शामिल हुए।

अब्दुल कलाम के सबसे प्रसिद्ध उद्धरण एक |A.P.J. Abdul Kalam most famous quotes presented .

  • “सपने देखो, सपने देखो, सपने देखो। सपने विचारों में बदल जाते हैं और विचार कार्य में परिणित होते हैं।”
  • “अपने सपने सच होने से पहले आपको सपने देखना होगा।”
  • “अपनी पहली जीत के बाद आराम न करें क्योंकि अगर आप दूसरी जीत में असफल हो जाते हैं, तो अधिक लोग यह कहने के लिए इंतज़ार कर रहे होते हैं कि आपकी पहली जीत सिर्फ किस्मत थी।”
  • “यदि आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं, तो पहले सूरज की तरह जलें।”
  • “उत्कृष्टता संयोग से नहीं होती। यह एक प्रक्रिया है।”
  • “हम सभी में समान प्रतिभा नहीं है, लेकिन हम सभी के पास अपनी प्रतिभा विकसित करने का समान अवसर है।”
  • “रचनात्मकता भविष्य में सफलता की कुंजी है, और प्राथमिक शिक्षा वह जगह है जहां शिक्षक उस स्तर पर बच्चों में रचनात्मकता ला सकते हैं।”
  • “देश का सबसे अच्छा दिमाग कक्षा की आखिरी बेंचों पर पाया जा सकता है।”
  • “सीखना रचनात्मकता देता है, रचनात्मकता सोच की ओर ले जाती है, सोच ज्ञान प्रदान करती है और ज्ञान आपको महान बनाता है।”
  • “मनुष्य को अपनी कठिनाइयों की आवश्यकता होती है क्योंकि सफलता का आनंद लेने के लिए वे आवश्यक हैं।”

प्रेरक विचार | Motivatinal Thoughts

  • अपने आप पर यकीन रखो : आत्मविश्वास आपके लक्ष्यों को प्राप्त करने की कुंजी है। अपनी क्षमताओं पर विश्वास करें, और दूसरे भी करेंगे।
  • विफलता को गले लगाओ : असफलता अंत नहीं है; यह सफलता की ओर एक सीढ़ी है। अपनी गलतियों से सीखें और आगे बढ़ते रहें।
  • स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करें : अपने लक्ष्यों को स्पष्टता के साथ परिभाषित करें। उद्देश्य की स्पष्ट समझ होने से आपको प्रेरित और केंद्रित रहने में मदद मिलती है।
  • कार्यवाही करना : कार्रवाई के बिना सपने सिर्फ कल्पनाएँ हैं। अपने लक्ष्यों की ओर लगातार और उद्देश्यपूर्ण कदम उठाएँ।
  • लगातार बने रहें : सफलता के लिए अक्सर दृढ़ता की आवश्यकता होती है। बाधाओं का सामना होने पर भी चलते रहें।
  • लचीला बनें : जीवन उतार-चढ़ाव से भरा है। लचीलापन असफलताओं से उबरने की क्षमता है।
  • अपने आप को सकारात्मकता से घेरें : आप जिस संगति में रहते हैं और जिस जानकारी का आप उपभोग करते हैं, वह आपकी मानसिकता पर बहुत प्रभाव डाल सकती है। अपने आप को सकारात्मकता और प्रेरणा से घेरें।
  • लगातार सीखना : कभी सीखना मत छोड़ो। जितना अधिक आप जानेंगे, आप चुनौतियों पर विजय पाने के लिए उतने ही अधिक सुसज्जित होंगे।
  • वर्तमान पर ध्यान दें : हालाँकि भविष्य के लिए योजना बनाना महत्वपूर्ण है, लेकिन वर्तमान में जीना न भूलें। आज के कार्य कल के परिणामों को आकार देते हैं।
  • छोटी जीत का जश्न मनाएं : अपनी उपलब्धियों को पहचानें और उनका जश्न मनाएं, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हों। यह आपको प्रेरित रखता है और प्रगति को सुदृढ़ करता है।
  • दूसरों की मदद करें : दयालुता और दूसरों की मदद करने के कार्य अत्यंत संतुष्टिदायक और प्रेरक हो सकते हैं।
  • सफलता की कल्पना करें : अपने लक्ष्यों और सफलता की कल्पना करने से उन्हें अधिक प्राप्य महसूस हो सकता है और आप प्रेरित रह सकते हैं।
  • आभारी रहें : आपके पास जो कुछ भी है उसके प्रति कृतज्ञता से अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण और प्रेरणा में वृद्धि हो सकती है।
  • जोखिम लें : अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलने और परिकलित जोखिम लेने से व्यक्तिगत विकास और नए अवसर मिल सकते हैं।
  • सकारात्मक बने रहें : एक सकारात्मक दृष्टिकोण चुनौतियों पर काबू पाने और सफलता प्राप्त करने में एक शक्तिशाली शक्ति हो सकता है।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कौन थे?

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम, एक भारतीय वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।

डॉ. कलाम का भारत के लिए क्या योगदान था?

डॉ. कलाम भारत के अंतरिक्ष और मिसाइल कार्यक्रमों में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं, विशेष रूप से देश के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान और बैलिस्टिक मिसाइल प्रणालियों के विकास में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पृष्ठभूमि क्या है?

उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उनकी एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पृष्ठभूमि थी और उन्होंने भारत के अंतरिक्ष और रक्षा संगठनों में विभिन्न वैज्ञानिक और प्रशासनिक पदों पर कार्य किया।

डॉ. कलाम की प्रसिद्ध पुस्तक कौन सी है?

भारत के लिए डॉ. कलाम का दृष्टिकोण क्या है, डॉ. कलाम को कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए.

डॉ. कलाम को कई पुरस्कार और सम्मान मिले, जिनमें भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न और इंजीनियरिंग पुरस्कार हूवर मेडल शामिल हैं।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का निधन कैसे हुआ?

डॉ. कलाम का 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में व्याख्यान देते समय निधन हो गया। उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ और उन्हें बचाया नहीं जा सका।

अब्दुल कलाम राष्ट्रीय स्मारक क्या है?

अब्दुल कलाम राष्ट्रीय स्मारक तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक संग्रहालय है, जो डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन और उपलब्धियों को समर्पित है।

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A.P.J. Abdul Kalam Biography: प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, करियर, किताबें, पुरस्कार और अधिक

A.p.j. abdul kalam biography: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक भारतीय वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने भारत के मिसाइल और परमाणु हथियार कार्यक्रमों के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई. आइये इस लेख के माध्यम से डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के प्रांभिक जीवन, करियर, शिक्षा, पुरस्कार, इत्यादि के बारे में अध्ययन करते हैं..

Shikha Goyal

A.P.J. Abdul Kalam Biography: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की भारत में परमाणु ऊर्जा में भागीदारी ने उन्हें "भारत का मिसाइल मैन" की उपाधि दी. उनके योगदान के कारण, भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया.

आपको बता दें कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 9 फरवरी 2020 को नई दिल्ली में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की बायोपिक का फर्स्ट लुक जारी किया था. फिल्म का शीर्षक ए.पी.जे. अब्दुल कलाम : द मिसाइल मैन (APJ Abdul Kalam: The Missile Man) है. 

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था. उनकी जयंती को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.  वह 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे. उन्हें 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. उनका जन्म धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था और उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया था.

नाम: अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम) राष्ट्रीयता: भारतीय व्यवसाय: इंजीनियर, वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर, राजनीतिज्ञ जन्म: 15-अक्टूबर -1931 जन्म स्थान: धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत निधन: 27 जुलाई 2015, शिलांग, मेघालय, भारत के रूप में प्रसिद्ध: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक राष्ट्रपति रहे

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम वर्ष 2002 में लक्ष्मी सहगल के खिलाफ राष्ट्रपति चुने गए थे. भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले, उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम किया था. देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम, प्रक्षेपण यान  और बैलिस्टिक मिसाइल प्रौद्योगिकी विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें ‘मिसाइल मैन ऑफ इंडिया’ नाम की उपाधि दी गई. इसके अलावा, 1998 में, उन्होंने भारत के पोखरण-II परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण योगदान भी दिया था. क्या आप जानते हैं कि डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने अपना करियर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में शुरू किया था? उन्होंने ISRO में भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च वाहन (SLV-III) के के एक प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भी काम किया था.

1990 के दशक में उन्होंने 2002 में भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया था. आइये अब, इस लेख के माध्यम से डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं.

डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के प्रसिद्द कथन

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: पारिवारिक इतिहास और प्रारंभिक जीवन

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था, जो एक नावक थे. उनकी माता का नाम असीम्मा था और वह एक गृहणी थीं. ये कुल पांच भाई बहिन थे, तीन बड़े भाई और एक बड़ी बहन. 

उनकी सबसे बड़ी बहन जिसका नाम आसिम ज़ोहरा और तीन बड़े भाई, अर्थात् कासीम मोहम्मद, मुस्तफा कमल, मोहम्मद मुथु मीरा लेबाई मारिकायर था. वह अपने परिवार के करीब थे और हमेशा उनकी मदद करते थे, हालांकि वह पूरी जिंदगी कुंवारे रहे.

अब्दुल कलाम के पूर्वज कई संपत्तियों और भूमि के बड़े ट्रैक्ट के साथ धनी व्यापारी और ज़मींदार थे. वे मुख्य भूमि और द्वीप के बीच और श्रीलंका से किराने का सामान व्यापार करते थे और मुख्य भूमि से पामबन द्वीप तक तीर्थयात्रियों के लिए नौका विहार करते थे. तो, उनके परिवार को "Mara Kalam Iyakkivar" (लकड़ी की नाव चलाने वाले) और बाद में "माराकियर" (Marakier) के नाम से जाना गया.

लेकिन 1920 के दशक तक, उनके परिवार के व्यवसाय विफल हो गए और जब तक अब्दुल कलाम का जन्म हुआ तब तक वे गरीबी से जूझ रहे थे. परिवार की मदद करने के लिए, कलाम ने कम उम्र में अखबार बेचना शुरू किया था.

स्कूल के दिनों में वे पढ़ाई लिखाई में सामान्य थे पर नै चीजें सिखने के लोए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे. वे चीजों को सीखना चाहते थे और अपनी पढ़ाई पर घंटो ध्यान देते थे. गणित में उनकी मुख्य रुचि थी.

उन्होंने Schwartz Higher Secondary स्कूल, रामनाथपुरम, तमिलनाडु से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की थी और बाद में उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज में दाखिला लिया और सं 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया.1955 में वे मद्रास चले गए जहां से उन्होंने  इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की उनका सपना एक लड़ाकू पायलट बनना था, परन्तु परीक्षा में उन्होंने नौवा स्थान प्राप्त किया, जबकि आईएएफ ने केवल आठ परिणाम ही घोषित किये थे. अतः वह उसमें सफल नहीं हो पाये.

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: शिक्षा और करियर 

वर्ष 1960 में स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हो गए.

उन्होंने इनकोस्पार (भारतीय राष्ट्रीय समिति) की समिति के हिस्से के रूप में प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया था. उन्होंने DRDO में एक छोटा होवरक्राफ्ट डिजाइन करके अपने करियर की शुरुआत की थी. अपने करियर की शुरुआत में, उन्होंने भारतीय सेना के लिए एक छोटा सा हेलीकॉप्टर तैयार किया था. वर्ष 1963 से 1964 तक, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने रक्षा मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में स्थित गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर, वर्जीनिया के पूर्वी तट पर स्थित वालप्स फ्लाइट दक्षता और वर्जीनिया के हैम्पटन में स्थित नासा के लैंगली रिसर्च सेंटर का दौरा किया.

उन्होंने 1965 में DRDO में स्वतंत्र रूप से एक विस्तार योग्य रॉकेट परियोजना पर स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू कर किया था. वह DRDO में अपने काम से बहुत संतुष्ट नहीं थे और जब उन्हें 1969 में इसरो को स्थानांतरण आदेश मिले तो वे खुश हो गए. वहां उन्होंने SLV-III के परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया. जुलाई 1980 में, उनकी टीम पृथ्वी की कक्षा के पास रोहिणी उपग्रह को स्थापित करने में सफल रही थी. यह भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित उपग्रह प्रक्षेपण यान है.

अब्दुल कलाम जी ने 1969 में सरकार की स्वीकृति प्राप्त की और अधिक इंजीनियरों को शामिल करने के लिए कार्यक्रम का विस्तार किया. 1970 के दशक में, उन्होंने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) को विकसित करने के उद्देश्य से एक प्रयास किया था ताकि भारत अपने भारतीय रिमोट सेंसिंग (IRS) उपग्रह को Sun-Synchronous कक्षा में लॉन्च कर सके, PSLV परियोजना सफल रही और 20 सितंबर 1993 को, यह पहली बार लॉन्च किया गया था.

वर्ष 1970 से 1990 तक एसएलवी -3 और ध्रुवीय एसएलवी की परियोजनाओं के विकास में डॉ कलाम के प्रयास काफी सफल साबित हुए थे.

डॉ कलाम ने परियोजना वालिएंट और प्रोजेक्ट डेविल को निर्देशित किया था जिसका उद्देश्य एसएलवी कार्यक्रम की तकनीक का उपयोग करके बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित करना था, जो सफल भी रहा था.

DRDO द्वारा प्रबंधित एक भारतीय रक्षा मंत्रालय ने अन्य सरकारी संगठनों के साथ मिलकर 1980 के दशक की शुरुआत में Integrated Guided Missile Development Program(IGMDP) का शुभारंभ किया. अब्दुल कलाम को इस परियोजना का नेतृत्व करने के लिए कहा गया और इसलिए वह आईजीएमडीपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में डीआरडीओ में लौट आए. उन्हीं के निर्देशों से ही अग्नि मिसाइल, पृथ्वी जैसे अन्य मिसाइलों का बनाना सफल हुआ.

अब्दुल कलाम जी के नेतृत्व में, IGMDP की परियोजना 1988 में पहली पृथ्वी मिसाइल और फिर 1989 में अग्नि मिसाइल जैसी मिसाइलों का उत्पादन करके सफल साबित हुई। उनके योगदान के कारण, उन्हें "भारत के मिसाइल मैन" के रूप में जाना जाता है. उन्होंने, जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सचिव के रूप में कार्य किया था और प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे थे.

अब्दुल कलाम जी ने इस अवधि में हुए पोखरण द्वितीय परमाणु परीक्षण में डॉ. कलाम ने एक महत्वपूर्ण तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को एक पूर्ण विकसित परमाणु राज्य घोषित किया.

क्या आप जानते हैं कि 1998 में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सोमा राजू  के साथ अब्दुल कलाम जी ने एक कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट विकसित की थी? जिसे बाद में “कलाम-राजू स्टेंट” नाम दिया गया था. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में इन दोनों लोगों ने  स्वास्थ्य देखभाल के लिए टैबलेट पीसी भी डिजाइन किया गया था जिसे "कलाम-राजू टैबलेट" नाम दिया गया था.

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम: सामान्य ज्ञान प्रश्न और उत्तर

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल (2002 से 2007)

- 10 जून 2002 को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने राष्ट्रपति पद के लिए डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का नाम विपक्ष की नेत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को प्रस्तावित किया था.

- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था. वह राष्ट्रपति भवन में रहने वाले पहले अविवाहित और वैज्ञानिक थे.

- क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें लगभग 922,884 वोट मिले थे और विपक्ष के लक्ष्मी सहगल को हराकर चुनाव जीता था?

- के.आर. नारायणन के बाद डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने.

- वे सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्राप्त करने वाले भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे. इनसे पहले वर्ष 1954 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वर्ष 1963 में डॉ. जाकिर हुसैन को यह सम्मान प्रदान किया गया था.

- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को पीपुल्स प्रेसिडेंट के रूप में भी जाना जाता था.

- उनके अनुसार, राष्ट्रपति के रूप में उनके द्वारा लिया गया सबसे कठिन निर्णय ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के बिल पर हस्ताक्षर करने का था.

- अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान, वह भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के अपने दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध रहे.

- हालांकि, 21 में से 20 लोगों की दया याचिकाओं के भाग्य का फैसला करने की निष्क्रियता के लिए उन्हें एक राष्ट्रपति रूप में आलोचित भी होना पड़ा था, जिसमें कश्मीरी आतंकवादी अफजल गुरु भी शामिल थे, जिन्हें दिसंबर 2001 में संसद हमलों के लिए दोषी पाया गया था.

- उन्होंने 2007 में फिर से राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के रूप में पद छोड़ दिया.

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का निधन 

27 जुलाई 2015 को, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम IIM शिलॉन्ग में एक व्याख्यान दे रहे थे, जहां उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी स्थिति गंभीर हो गई, इसलिए, उन्हें बेथानी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां बाद में कार्डियक अरेस्ट से उनकी मृत्यु हो गई. श्रीजन पाल सिंह को उनके कहे गए अंतिम शब्द थे "Funny guy! Are you doing well?"

30 जुलाई 2015 को, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का अंतिम संस्कार उनके पैत्रक गाँव रामेशवरम के पास हुआ. क्या आप जानते हैं कि लगभग 350,000 लोग कलाम जी के अंतिम अनुष्ठान में शामिल हुए थे, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री, तमिलनाडु के राज्यपाल और कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी शामिल थे?

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: पुरस्कार और उपलब्धियां

- 1981 में, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया. - 1990 में, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. - 1997 में, भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया. - 1998 में, वीर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. - 2000 में, अलवरस रिसर्च सेंटर, चेन्नई ने उन्हें रामानुजन पुरस्कार प्रदान किया. - 2007 में, ब्रिटेन रॉयल सोसाइटी द्वारा किंग चार्ल्स द्वितीय मेडल से सम्मानित किया गया. - 2008 में, उन्हें सिंगापुर के नान्यांग तकनीकी विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग (ऑनोरिस कौसा) की उपाधि प्रदान की गई थी. - 2009 में, अमेरिका एएसएमई फाउंडेशन (ASME Foundation) द्वारा हूवर मेडल से सम्मानित किया गया - 2010 में, वाटरलू विश्वविद्यालय ने डॉ. कलाम को डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग के साथ सम्मानित किया. - 2011 में, वह आईईईई (IEEE) के मानद सदस्य बने. - 2013 में, उन्हें राष्ट्रीय अंतरिक्ष सोसाइटी द्वारा वॉन ब्रौन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. - 2014 में, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस उपाधि से नवाजा गया था. - डॉ. कलाम लगभग 40 विश्वविद्यालयों के मानद डॉक्टरेट के प्राप्तकर्ता थे. - 2015 में, संयुक्त राष्ट्र ने डॉ. कलाम के जन्मदिन को “विश्व छात्र दिवस” ​​के रूप में मान्यता दी - डॉ. कलाम की मृत्यु के बाद, तमिलनाडु सरकार द्वारा 15 अक्टूबर जो कि उनका जन्म दिवस है को राज्य भर में युवा पुनर्जागरण दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई. इसके अलावा, राज्य सरकार ने उनके नाम पर “डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पुरस्कार” की स्थापना की. इस पुरस्कार के तहत 8 ग्राम का स्वर्ण पदक और 5 लाख रुपये नगद दिया जाता है. यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है, जो वैज्ञानिक विकास, मानविकी और छात्रों के कल्याण को बढ़ावा देने का काम करते हैं. - यही नहीं, 15 अक्टूबर, 2015 को डॉ. कलाम  के जन्म की 84वीं वर्षगांठ पर, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नई दिल्ली में डीआरडीओ भवन में डॉ. कलाम की याद में डाक टिकट जारी किया.

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा लिखी गई प्रमुख पुस्तकें - इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम (India 2020: A Vision for the New Millennium) (1998) - विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी (Wings of Fire: An Autobiography) (1999) - इगनाइटेड माइंड्स: अनलीजिंग द पॉवर विदिन इंडिया (Ignited Minds: Unleasing the Power Within India) (2002) - द ल्यूमिनस स्पार्क्स: ए बायोग्राफी इन वर्स एंड कलर्स (The Luminous Sparks: A Biography in Verse and Colours) (2004) -  मिशन ऑफ इंडिया: ए विजन ऑफ इंडियन यूथ (Mission of India: A Vision of Indian Youth) (2005) - इन्स्पायरिंग थॉट्स: कोटेशन सीरिज (Inspiring Thoughts: Quotation Series) (2007) - यू आर बोर्न टू ब्लॉसम: टेक माई जर्नी बियोंड (You Are Born to Blossam: Take My Journey Beyond) (सह-लेखक: अरूण तिवारी) (2011) - द साइंटिफिक इंडियन: ए ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी गाइड टू द वर्ल्ड अराउंड अस (The Scientific India: A Twenty First Century Guide to the World Around Us) (सह-लेखक: वाई. एस. राजन) (2011) -  टारगेट 3 बिलियन (Target 3  Billion) (सह-लेखक: श्रीजन पाल सिंह) (2011)  - टर्निंग पॉइंट्स: ए जर्नी थ्रू चैलेंजेस (Turning Points: A Journey Through Challenges) (2012) - माई जर्नी: ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन्टू एक्शंस (My Journey: Transforming Dreams into Actions) (2013) - मैनीफेस्टो फॉर चेंज (Manifesto For Change) (सह-लेखक: वी. पोनराज) (2014) - फोर्ज योर फ्यूचर: केन्डिड, फोर्थराइट, इन्स्पायरिंग (Forge Your Future: Candid, Forthright, Inspiring) (2014) - बियॉन्ड 2020: ए विजन फॉर टुमोरोज इंडिया (Beyond 2020: A Vision for Tomorrow’s India) (2014) - गवर्नेंस फॉर ग्रोथ इन इंडिया (Governance for Growth in India) (2014) - रिग्नाइटेड: साइंटिफिक पाथवेज टू ए ब्राइटर फ्यूचर (Reignited: Scientific Pathways to a Brighter Future) (सह-लेखक: श्रीजन पाल सिंह) (2015) - द फैमिली एंड द नेशन (The Family and the Nation) (सह-लेखक: आचार्य महाप्रज्ञा) (2015) ट्रांसेडेंस माई स्प्रिचुअल एक्सपीरिएंसेज (Transcendence My Spiritual Experiences) (सह-लेखक: अरूण तिवारी) (2015)

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: आत्मकथाएँ

- इटरनल क्वेस्ट: जीवन और टाइम्स ऑफ डॉ कलाम ( Eternal Quest: Life and Times of Dr. Kalam ) (लेखक: एस चंद्र) - राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम (President A.P.J. Abdul Kalam) (लेखक: आरके प्रूथी) - महात्मा अब्दुल कलाम के साथ मेरे दिन (My Days With Mahatma Abdul Kalam) (लेखक: फ्रेट ए.के. जॉर्ज) - डॉ. ए. पी.जे अब्दुल कलाम: भारत के विजनरी ( A.P.J.Abdul Kalam: The Visionary of India) (लेखक: के. भूषण और जी कैट्याल) - ए लिटिल ड्रीम (A Little Dream) (Documentary film) (पी. धनपाल द्वारा) - कलाम प्रभाव: राष्ट्रपति के साथ के मेरे वर्ष ( The Kalam Effect: My Years with the President) (लेखक: पी.एम. नायर)

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डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन परिचय

डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन परिचय

भारत रत्न प्राप्त अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अबदुल कलाम, आमतौर पर डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम नाम से जाने जाते हैं। अब्दुल कलाम, भारत देश के 11 वें राष्ट्रपति (2002-2007) थे। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम वर्ष 2002 में लक्ष्मी सहगल के खिलाफ राष्ट्रपति चुने गए थे। इन्हें भारत के दो प्रमुख राजनीतिक दल, भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से पूरा समर्थन मिला था। वह मुख्य रूप से एक भारतीय वैज्ञानिक और प्रशासक थे। भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले, डॉ. ए.पी.जे. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम किया था। प्रक्षेपण यान और बैलिस्टिक मिसाइल प्रौद्योगिकी के विकास पर कार्य करने के कारण उनको ‘मिसाइल मैन ऑफ इंडिया’ नाम की उपाधि दी गई। वर्ष 1974 में प्रारम्भिक परमाणु परीक्षण के बाद वर्ष 1998 में भारत में किए गए पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षणों ने उनकी भूमिका को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक, संगठनात्मक और तकनीकी रूप में सर्वाधिक उजागर किया।

डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने इंदौर, अहमदाबाद और शिलांग के भारतीय प्रबंधन संस्थानों में एक अतिथि प्रवक्ता के रूप में पढ़ाया। वह भारत के अन्य शोध और शैक्षिक संस्थानों में एक सहायक और अतिथि प्रवक्ता होने के अतिरिक्त, मैसूर के जेएसएस विश्वविद्यालय और चेन्नई के अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी थे। वह भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू के मानद सदस्य और तिरुवनंतपुरम के भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान में कुलपति भी थे।

अपनी पुस्तक ‘इंडिया 2020’ में, अब्दुल कलाम ने वर्ष 2020 तक देश को पूरी तरह से विकसित करने वाली योजना की संस्तुति की है। छात्र समुदायों के साथ परस्पर संपर्क और प्रेरक भाषणों ने उन्हें युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय बना दिया। वर्ष 2011 में, उन्होंने भारत के युवाओं के सहयोग से ‘व्हाट कैन आई गिव मूवमेंट’ नामक एक मिशन लॉन्च किया, जिसे देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए लक्षित किया गया था।

संपूर्ण विवरण

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म भारत के तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले में 15 अक्टूबर सन् 1931 को एक गरीब और अल्प शिक्षित तमिल परिवार में हुआ था। उनके पिता, जैनुल्लाब्दीन एक नाविक थे और मां असीम्मा एक गृहणी थीं। उन्होंने अपने पिता का हाथ बाटाने के लिए बहुत कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था। वह स्कूली अध्ययन में एक औसत दर्जे के विद्यार्थी थे, परन्तु चीजों को सीखने की प्रबल इच्छा होने के कारण, उन्हें हमेशा एक मेहनती और उज्ज्वल छात्र के रूप में देखा गया। खासकर, गणित के लिए वह काफी अध्ययन किया करते थे। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा रामेश्वरम प्राथमिक स्कूल से पूरी की थी। वर्ष 1954 में, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने तिरुच्चिराप्पली के सेंट जोसेफ कॉलेज से भौतिकी विषय में स्नातक की डिग्री प्राप्त की, जो उस समय मद्रास विश्वविद्यालय से संबद्ध था। वर्ष 1955 में, वह मद्रास (अब चेन्नई ) चले गए और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया। उनका सपना एक लड़ाकू पायलट बनना था, परन्तु परीक्षा में वह नौवें स्थान प्राप्त किया था, जबकि आईएएफ ने केवल आठ परिणाम ही घोषित किये थे। अतः वह उसमें सफल नहीं हो पाये।

कलाम, अपने व्यक्तिगत और व्यवसायी संघर्षों के माध्यम से असफलता के अंधकार से बाहर निकल आये और अग्नि, पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल और नाग आदि मिसाइलों के रूप में कई सफल प्रयोग किये, जिसने उनके नाम को भारत में एक उच्च प्रसिद्धि दिला दी और देश की प्रतिष्ठा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उजागर कर दिया।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, शिलांग में व्याख्यान देते समय गंभीर दिल का दौरा पड़ने के कारण 27 जुलाई 2015 को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इस संसार को अलविदा कह गये।

एक वैज्ञानिक के रूप में, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का सफर और उपलब्धियाँ

  • वर्ष 1960 में स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हो गए।
  • अपने करियर की शुरुआत में, उन्होंने भारतीय सेना के लिए एक छोटा सा हेलीकॉप्टर तैयार किया।
  • उन्होंने इनकोस्पार (भारतीय राष्ट्रीय समिति) की समिति के हिस्से के रूप में प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया था।
  • वर्ष 1963 से 1964 तक, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने रक्षा मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में स्थित गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर, वर्जीनिया के पूर्वी तट पर स्थित वालप्स फ्लाइट दक्षता और वर्जीनिया के हैम्पटन में स्थित नासा के लैंगली रिसर्च सेंटर का दौरा किया।
  • वर्ष 1965 में, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की पहली विस्तारणीय रॉकेट परियोजना पर स्वतंत्र रूप से काम किया था। कार्यक्रम का विस्तार वर्ष 1969 में हुआ था, परन्तु सरकारी मंजूरी मिलने के बाद इसमें और भी इंजीनियरों को शामिल किया गया था।
  • वह वर्ष 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च वाहन (एसएलवी -3) के एक प्रोजेक्ट डायरेक्टर बन गए। जुलाई 1980 में, उनकी टीम पृथ्वी की कक्षा के पास रोहिणी उपग्रह को स्थापित करने में सफल रही थी।
  • वर्ष 1970 से 1990 तक एसएलवी -3 और ध्रुवीय एसएलवी की परियोजनाओं के विकास में डॉ कलाम के प्रयास काफी सफल साबित हुए थे।
  • डॉ कलाम ने परियोजना वालिएंट और प्रोजेक्ट डेविल को निर्देशित किया था जिसका उद्देश्य एसएलवी कार्यक्रम की तकनीक का उपयोग करके बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित करना था, जो सफल भी रहा था।
  • जब इन एयरोस्पेस परियोजनाओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अस्वीकार कर दिया था, तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी विवेकाधीन शक्तियों का उपयोग करते हुए इन्हें एक गुप्त निधि आवंटित की थी।
  • डॉ. कलाम और डॉ. वी. एस. अरुणाचलम ने तत्कालीन रक्षा मंत्री आर. वेंकटरामन के प्रस्ताव पर मिसाइलों के एक क्विवर को विकसित करने के लिए एक साथ काम किया था। डॉ. कलाम को इस कार्यक्रम का मुख्य कार्यकारी बनाया गया, जिसका नाम एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम रखा गया था।
  • उन्होंने, जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सचिव के रूप में कार्य किया था तथा प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे थे। इस अवधि में हुए पोखरण द्वितीय परमाणु परीक्षण में डॉ. कलाम ने एक महत्वपूर्ण तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई थी। परीक्षण प्रक्रिया के दौरान वह, आर. चिदंबरम के साथ एक मुख्य परियोजना समन्वयक बनाए गए थे।
  • डॉ. कलाम ने वर्ष 1998 में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सोमा राजू के साथ एक कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट विकसित की थी। जिसे बाद में “कलाम-राजू स्टेंट” नाम दिया गया था। इन दोनों लोगों ने ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य देखभाल के लिए “कलाम-राजू टैबलेट” नामक एक टैबलेट पीसी भी डिजाइन किया था।

भारत के राष्ट्रपति के रूप में डॉ कलाम का कार्यकाल

  • 10 जून सन् 2002 को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने विपक्ष की नेत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को राष्ट्रपति पद के लिए डॉ कलाम का नाम प्रस्तावित किया था।
  • राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और समाजवादी पार्टी ने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया।
  • डॉ. कलाम ने 25 जुलाई सन् 2002 से 25 जुलाई सन् 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप कार्य किया था।
  • डॉ. कलाम ने 922,884 वोट प्राप्त करके विपक्ष के लक्ष्मी सहगल को हराकर चुनाव जीता था, जिन्होंने 107,366 वोट प्राप्त किए थे।
  • डॉ. कलाम, के.आर. नारायणन के बाद भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला।
  • वे प्रतिष्ठित भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्राप्त करने वाले भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे। इनसे पहले वर्ष 1954 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वर्ष 1963 में डॉ. जाकिर हुसैन को यह सम्मान प्रदान किया गया था।
  • वह राष्ट्रपति भवन में रहने वाले पहले अविवाहित और वैज्ञानिक थे।
  • डॉ. कलाम को प्यार से पीपुल्स प्रेसिडेंट कहा जाता था।
  • डॉ. कलाम के अनुसार, राष्ट्रपति के रूप में उनके द्वारा उठाए गए सबसे कठिन निर्णयों में लाभ के कार्यालय के बिल पर हस्ताक्षर करना था।
  • दिसंबर 2001 में संसद हमलों में दोषी पाए गए कश्मीरी आतंकवादी अफजल गुरू समेत 21 में से 20 लोगों की दया याचिकाओं के भाग्य के फैसलों की निष्क्रियता के लिए उन्हें एक राष्ट्रपति रूप में आलोचित भी होना पड़ा था।

पुरस्कार और मान्यताएं

  • वर्ष 1997 में डॉ. कलाम को भारत देश ने रक्षा अनुसंधान के विकास और भारत के रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार के साथ सम्मानित किया था।
  • वर्ष 1990 में, उन्हें डीआरडीओ और इसरो और सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य करने के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
  • वर्ष 1981 में डॉ. कलाम को पद्म भूषण पुरस्कार प्रदान किया गया था।
  • वर्ष 1998 में, डॉ. कलाम को भारत सरकार द्वारा वीर सावरकर पुरस्कार प्रदान किया गया था।
  • चेन्नई के अलवर रिसर्च सेंटर ने वर्ष 2000 में उन्हें रामानुजन पुरस्कार प्रदान किया।
  • यूके में वॉल्वर हैम्प्टन विश्वविद्यालय ने डॉ. कलाम को वर्ष 2007 में मानद डॉक्टरेट ऑफ साइंस से सम्मानित किया।
  • कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए, ने उन्हें वर्ष 2009 में अंतर्राष्ट्रीय वॉन कर्मन विंग्स अवॉर्ड के साथ सम्मानित किया।
  • वर्ष 1997 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया।
  • उन्हें वर्ष 2009 में यू.एस.ए की एएसएमई फाउंडेशन द्वारा हूवर पदक से सम्मानित किया गया था।
  • ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी ने उन्हें 2007 में किंग चार्ल्स द्वितीय पदक के साथ सम्मानित किया था।
  • वर्ष 2008 में, उन्हें सिंगापुर के नान्यांग तकनीकी विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग (ऑनोरिस कौसा) की उपाधि प्रदान की गई थी।
  • वर्ष 2010 में वाटरलू विश्वविद्यालय ने डॉ. कलाम को डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग के साथ सम्मानित किया।
  • वर्ष 2011 में, वह आईईईई के मानद सदस्य बने।
  • वर्ष 2012 में, साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टर ऑफ लॉज (ऑनोरिस कौसा) की उपाधि प्रदान की।
  • वर्ष 2013 में, उन्हें अंतरिक्ष-संबंधित परियोजनाओं के नेतृत्व और प्रबंधन में उत्कृष्टता के लिए, राष्ट्रीय अंतरिक्ष सोसाइटी से वॉन ब्रौन पुरस्कार मिला था।
  • वर्ष 2014 में, उन्हें एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन से डॉक्टर ऑफ साइंस में मानद उपाधि प्राप्त हुई।
  • वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने डॉ. कलाम के जन्मदिन को “विश्व छात्र दिवस” ​​के रूप में मान्यता दी।

डॉ कलाम द्वारा लिखित वृत्तचित्र और पुस्तकें

  • इग्नाइटेड माइंड्स: भारत के भीतर शक्ति को उजागर करना
  • प्रेरणादायक विचार
  • द ल्यूमिनस स्पार्क्स
  • टर्निंग प्वॉइंट्स: चुनौतियों के माध्यम से एक यात्रा
  • मेरी यात्रा: सपनों को क्रियाओं में बदलना
  • फ्लूइड मैकेनिक्स और स्पेस टेक्नोलॉजी में विकास, लेखक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और रोड्डम नरसिम्हा
  • भारत 2020: नये दिव्य युग के लिए एक दृष्टिगोचर, लेखक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और वाईएस राजन
  • विंग्स ऑफ फायर: एक आत्मकथा, लेखक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और अरुण तिवारी
  • मिशन इंडिया, लेखक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
  • एक शक्तिशाली राष्ट्र की कल्पना करना, लेखक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और ए. शिवथनु पिल्लई
  • यू आर बॉर्न टू ब्लॉसम : मेरी यात्रा से परे जाना, लेखक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और अरुण तिवारी
  • टारगेट थ्री बिलियन, लेखक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और श्रीजन पाल सिंह
  • ए. पी.जे अब्दुल कलाम: भारत के विजनरी, लेखक के. भूषण और जी कैट्याल
  • इटरनल क्वेस्ट: जीवन और टाइम्स ऑफ डॉ कलाम, एस चंद्र
  • राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, लेखक आरके प्रूथी
  • महात्मा अब्दुल कलाम के साथ मेरे दिन, लेखक फ्रेट ए.के. जॉर्ज
  • ए लिटिल ड्रीम, पी. धनपाल, मिनीवेली मीडिया वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड की एक वृत्तचित्र फिल्म।
  • कलाम प्रभाव: राष्ट्रपति के साथ के मेरे वर्ष, लेखक पी.एम. नायर

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एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय | APJ Abdul Kalam biography in hindi

  • Post author: HariOm
  • Post published: March 15, 2021
  • Post category: Hindi Biographies

इस लेख में आप पूरी दुनिया में सभी छात्रों के लिए दुनिया के सबसे बड़े प्रेरणा-श्रोत (Inspiration) और मिसाइल-मैन के नाम से मशहूर जो गरीबी से निकलकर के भारत वासियों के असल हीरो बनने वाले एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय | APJ Abdul Kalam biography in hindi के बारे में जानने वाले हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कलाम साहब बहुत ही सिंपल (ज़मीन से जुड़े हुए) व्यक्ति थे जोकि इंसानियत के प्रति ईमानदार और साथ ही जीवन-भर एक दरियादिल (Humble) इंसान रहे। इसी कारण कलाम साहब की आज भी हर कोई इज्जत और उन्हें प्यार करता है।

कलाम साहब ने कहा था कि मेरी कहानी मेरे साथ ही ख़तम हो जायेगी क्योंकि दुनिया को भी मालूम है कि मेरे पास कोई पूँजी नहीं है और न ही मैंने जमा की है। मेरे पास कुछ भी नहीं है; न कोई बेटी न बेटा और न ही परिवार है। मैं दूसरों के लिए मिशाल नहीं बनना चाहता लेकिन शायद कुछ पढने वालों को प्रेरणा मिले। जिससे कि वह पढें और उनको चयन मिले। 

एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय | APJ Abdul Kalam biography in hindi 

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
डॉ. अवुल पकीर जैनुलब्दीन अब्दुल कलाम
मिसाइल मैन ऑफ़ इंडिया
15 अक्टूबर, 1931
धनुषकोणी गाँव, रामेश्वरम, मद्रास प्रेसीडेंसी (ब्रिटिश इंडिया), अब – तमिलनाडु, भारत
जैनुल्लाब्दीन
आशिंमा
भारतीय
इश्लाम
(स्वार्ड्स हाई स्कूल, रामनाथपुरम), (सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली), (MIT – मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी)
अंतरिक्ष वैज्ञानिक, प्रोफ़ेसर, लेखक और भारत के 11वें राष्ट्रपति
(1981), (1990) और (1997) आदि
27 जुलाई, 2015, शिल्लोंग, मेघालय (भारत)

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का शुरुआती जीवन – Early life of APJ Abdul Kalam in hindi

डॉ अवुल पकीर जैनुलब्दीन अब्दुल कलाम (Dr. Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam) के शुरूआती जीवन की बात करें तो इनका जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को धनुषकोणी गाँव, रामेश्वरम, मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश इंडिया (जोकि अब भारत का तमिलनाडु राज्य है) के एक मध्यम-वर्गीय (गरीब) तमिल परिवार में हुआ था।

कलाम (APJ Abdul Kalam) के पिता जैनुलब्दीन (Jainulabdeen) जोकि यात्रिओं को खुद की बनाई हुई नाव में रामेश्वरम से धनुशकोणी का दौरा करवाते थे। मतलब वह नाव में लोगों को लाने-लेजाने का काम करते थे। कलाम की अम्मी (माँ) का नाम आशिंमा (Ashiamma) ज़ोकी एक गृहणी थीं। इसके अलावा कलाम के 3 बड़े भाई और एक बड़ी बहन थी।    

कलाम बचपन में अपने पिता के साथ हर रोज नबाज पढने जाते थे। बता दें कि कलाम को पिता के द्वारा दयानदारी और आत्मानुशासन (Self discipline) और माँ से अच्छाई पर यकीन करना और रहमदिली विरासत में मिली थी। इसी कारण कलाम साहब जीवन-भर एक बहुत ही अच्छे इंसान रहे थे। 

कलाम के बचपन में सबसे अच्छे दोस्त उनके बहनोई अहमद जल्लालुद्दीन जोकि कलाम से 15 साल बड़े थे। इनके अलावा कलाम के चचेरे भाई समसुद्दीन से उनका बहुत ही याराना सम्बन्ध थे। 

कलाम के इसी चचेरे भाई समसुद्दीन के पास रामेश्वरम में अख़बारों का ठेका था जोकि वह रामेश्वरम रेलवे-स्टेशन से सभी अख़बार अकेले ही लाता था। लेकिन 1939 में द्वतीय विश्व-युद्ध के कारण रेलगाड़ीयों का स्टेशनों पर रुकना बंद हो गया था। इसी कारण अख़बारों का गट्ठा रामेश्वरम और धनुषकोणी के बीच से गुजरने वाली सड़क पर चलती रेलगाड़ी से फैंक दिया जाता था। जिस कारण से समसुद्दीन को मजबूरन एक मददगार रखना पड़ा जोकि अख़बारों कि गट्ठे सड़क से इकट्टे कर सके। वह मौका कलाम को मिला और समसुद्दीन कलाम की पहली आमंदनी की बजह बना था। 

एपीजे अब्दुल कलाम की शिक्षा – Education of APJ Abdul Kalam in hindi

कलाम (APJ Abdul Kalam) की शिक्षा की बात करें तो इन्होने शुरूआती पढाई रामेश्वरम से दूर जिला मुख्यालय रामनाथपुरम शहर के स्वार्ड्स हाई स्कूल (Schwartz high school) से की थी। कलाम स्कूल के शुरूआती दिनों से ही पढाई के प्रति बहुत अधिक लग्न-शील थे। इसके अलावा कलाम को बचपन से ही परिदों की तरह आकाश में उड़ने और जीवन में कुछ बड़ा करने का जूनून था। इसी कारण उन्होंने बचपन में ही फैसला कर लिया था कि मैं अपनी तालीम को आगे भी जारी रखूँगा। 

इसके बाद 1950 में कलाम ने इंटरमीडिएट पढने के लिए सेंट जोसेफ़ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली (St. Joseph, Tiruchirapalli) में दाखिला ले लिया। इसके बाद कलाम ने B.Sc में ग्रेजुएशन भी इसी कॉलेज से पूरा किया। 

कलाम को ग्रेजुएशन करने के बाद लगा कि मुझे अपने सपने पूरे करने के लिए इंजीनियरिंग करनी चाहिए थी।  

इसके बाद कलाम ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (MIT) में उम्मीददवारी के लिए नामांकन किया और किसी भी तरह कलाम का नाम MIT की उम्मीदवारों की सूची में तो आ गया, लेकिन उसमे दाख़िला बहुत मंहगा था। MIT में दाखिले के लिए कम से कम 1000 रूपये की ज़रूरत थी जोकि इतने पैसे एक साथ कलाम के पिता के पास जुटाना बहुत मुश्किल था।  

कलाम की पढाई के प्रति महनत को देख उनकी बहन ज़ोहरा ने ‘सोने के कंगन और ज़जीर’ को बेचकर कलाम के दाखिले का इंतजाम किया। कलाम को खुद पर परिवार की उम्मीद और यकीन को देखकर उन्होंने ठान लिया कि मुझे अच्छे परिणामों के साथ जीवन को एक नई दिशा देनी ही है।

इसके बाद डॉ कलाम ने ‘मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी’ (MIT) से ‘एयरोनॉटिकल साइंस’ में सफ़लतापूर्वक डिप्लोमा (इंजीनियरिंग) की पढाई पूरी की।

बता दें कि कलाम के व्यवहार और पढाई के प्रति बहुत अधिक महनत को देख इंजीनियरिंग करते समय सभी शिक्षक बहुत ही सपोर्टिव थे।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का कैरियर और उपलब्धियाँ – Achievements of APJ Abdul Kalam

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का वैज्ञानिक कैरियर – dr. apj abdul kalam scientific career in hindi.

डॉ. अवुल पकीर जैनुलब्दीन अब्दुल कलाम ने सफ़लतापूर्वक इंजीनियरिंग करने के बाद वह बैंगलोर के हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में बतौर ट्रेनी के रूप में भर्ती हो गये। इसके बाद कलाम HAL से बतौर इंजिनियर ट्रेनिंग पूरी करके बाहर निकले तो उनके पास नौकरी के दो मौके थे जोकि दोनों उनके बचपन के ख्वाब पूरे कर सकते थे।

जिसके पहला नौकरी करने का मौका एयरफ़ोर्स तो दूसरा मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेंस में डायरेक्टरेट ऑफ़ टेक्निकल डेवलपमेंट एंड प्रोडक्शन का था। कलाम ने दोनों नौकरी के लिए अर्जी भेज दी। इसके कुछ दिन बाद ही कलाम को दोनों जगह से इंटरव्यू के लिए बुलावा आ गया। जिसमे एयरफोर्स के लिए देहरादून से बुलाया गया और डिफेन्स के लिए दिल्ली बुलाया गया था।  

कलाम ने पहले दिल्ली जाकर डिफेंस मिनिस्ट्री का इंटरव्यू दिया। जिसमे वह एक सप्ताह दिल्ली रुके और इंटरव्यू बहुत अच्छा हुआ था।

इसके बाद कलाम (APJ Abdul Kalam) ‘एयरफ़ोर्स सिलेक्शन बोर्ड ’ में इंटरव्यू के लिए देहरादून निकल गए। देहरादून में एयरफोर्स की 8 रिक्ति (Vacancy) के लिए 25 उम्मीदवारों में कलाम का 9वां स्थान आया। जिसके बाद मानों कलाम का मायूसी से दिल ही बैठ गया क्योंकि उनका एयरफोर्स में नौकरी करना दिली ख्वाहिश थी।

इसके बाद कलाम एक मायूसी लेकर देहरादून से दिल्ली वापिस लौटे और डिफेंस में इंटरव्यू का नतीजा लिया तो जबाव उन्हें नियुक्ति-पत्र थमा दिया और अगले ही दिन कलाम ने सीनियर साइंटिफिक अस्सिस्टेंट का पद संभाला।

इसके बाद कलाम ने इस पद पर लगातार तीन वर्ष तक काम किया। इसी बीच बैंगलोर में ADE मतलब ‘एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टाब्लिश्मेंट’ का नया महकमा खुला और कलाम को वहां नियुक्त कर दिया गया। जहाँ उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर एक होवर एयरक्राफ्ट (Hover Aircraft) पर काम किया था। यहाँ काम करने के बाद कलाम को INCOSPAR (The Indian Committee for Space Research) में बतौर ‘राकेट इंजिनियर’ चुन लिया गया।

इसके बाद वर्ष 1962 में INCOSPAR (इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च) ने थुम्बा (Thumba), थिरुवानान्थापुरम, केरला में एक ‘इक्वेटोरियल राकेट लौन्चिंग स्टेशन’ (Equatorial Rocket Launching Station) स्थापित किया गया। इसे स्थापित के तुरंत बाद कलाम को 6 माह के लिए NASA यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका में राकेट लौन्चिंग की ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया। 

कलाम के अमेरिका से वापिस भारत लौटते ही डॉ. विक्रम साराभाई (Dr. Vikram Sarabhai) का ISLV (Indian Setelite Launch Vehicle) काख्वाव को पूरा करने के लिए इंडिया ने अपना पहला साउंडिग राकेट 21 नवम्बर, 1963 को लौंच कर दिया। जिसका नाम नाइके अपाचे रखा गया था। 

बता दें कि ISLV मतलब ‘इंडियन सेटेलाइट लौंच व्हीकल’ का बनाने का श्रेय प्रोफ़ेसर विक्रम साराभाई को दिया जाता है। जिन्होंने इसे बनाने का सारा कार्य-भार डॉ कलाम के जिम्मे कर दिया था। जिसमे कलाम खरे उतरे थे और कलाम सभी मिसाइल पैनल की मीटिंग्स के बाद डॉ. विक्रम साराभाई को मीटिंग की पूरी रिपोर्ट सौंपते थे।

कलाम को सबसे बड़ा सदमा 30 दिसम्बर, 1971 को लगा क्योंकि इस दिन प्रोफ़ेसर विक्रम साराभाई का दिल का दौड़ा पड़ने से इंतकाल हो गया। डॉ कलाम साहब प्रोफ़ेसर साराभाई को भारतीय विज्ञान का राष्ट्र-पिता मानते थे।

Vikram-Sarabhai-in-hindi

डॉ. विक्रम साराभाई के देहांत के बाद कुछ समय तक प्रोफेसर एम.जी.के. मेनन ने अंतरिक्ष अनुसंधान (Space Research) का काम संभाला लेकिन जल्द ही प्रोफ़ेसर सतीश धवन को ISRO (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन) की जिम्मेदारी दे दी गई थी।

प्रोफ़ेसर विक्रम साराभाई की म्रत्यु के बाद इनके सम्मान में थुम्बा के इक्वेटोरियल राकेट लौन्चिंग स्टेशन (Thumba Equatorial Rocket Launching Station) का नाम बदलकर VSSC (विक्रम साराभाई स्पेस सेण्टर) कर दिया गया। बता दें कि विक्रम साराभाई ‘भारतीय स्पेस प्रोग्राम’ के पिता के रूप में जाने जाते हैं।

इसके बाद डॉ कलाम और पूरी टीम SLV-3 (Satellite Launch Vehicle) की तैयारियों में जुट गई। जब कलाम को बहुत ज्यादा ध्यान की जरूरत थी; इसी बीच कलाम के परिवार में एक के बाद एक लगातार तीन मौते हो गईं। जिनमे पहली उनके बहनोई , दूसरी उनके पिता और तीसरा उनका माँ का देहांत हो गया था। 

इन सभी चीजों को दर-किनार कर कलाम और उनके साथी वैज्ञानिकों ने अपने काम के प्रति पूरी ईमानदारी रखी और 1979 में SLV-3 का काम पूरा कर लिया गया।

इसके बाद SLV-3 की उडान का दिन 10 अगस्त, 1979 रख दिया गया और इसी दिन सुबह 7 बजकर 58 मिनट्स पर श्रीहरिकोटा (Sriharikota) से SLV ने उड़ान भरी। 317 सेकंड्स आसमान में रहने के बाद श्रीहरिकोटा से 560 किलोमीटर दूर मिसाइल का मालवा समुंद्र में जाकर गिरा और SLV-3 की उडान की कोशिश नाकामयाब रही जोकि कलाम और उनके सहयोगियों के लिए बहुत बड़ा सदमा था। इस असफ़लता की पूरी ज़िम्मेदारी डॉ. कलाम ने अपने कंधों पर ली थी।

इस असफ़लता के बाद भारतीय मीडिया ने SLV-1 और SLV-2 की उड़ानों की याद दिलाते हुए; SLV-3 की नाकामयाबी की बहुत अधिक आलोचनाएँ की थीं।

इस सफलता के बाद कलाम और उनकी सभी सहयोगियों ने उसी ‘सेटेलाइट लौंच व्हीकल’ पर दोबारा से अधिक तेजी से काम शुरू कर दिया। जिसके पश्चात 18 जुलाई, 1980 को सुबह 8 बजकर 3 मिनट्स पर SLV-3 की उडान का समय निर्धारित किया गया।

इस बार SLV-3 की उडान सफ़ल रही और रोहिणी सेटेलाइट को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया। यह सफ़लता डॉ. कलाम और भारतवासियों के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी थी क्योंकि भारत देश भी उन चंद (कुछ) देशों में शामिल हो गया था। जिनके पास सेटेलाइट लौंच करने काबिलियत (क्षमता) थी। बता दें कि इस लौंच व्हीकल में की गई सारी कोशिशे पूरी तरह से स्वदेशी (घरेलू) थीं।  

बता दें कि उस समय मिसाइल प्रोग्राम्स को विकसित करने के लिए बहुत अधिक तकनीकें मौजूद नहीं थीं।

मशहूर किस्सा –

कलाम साहब (APJ Abdul Kalam) अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘दी विंग्स ऑफ़ फायर’ में बताते हैं कि SLV-3 की सफ़लता के बाद मुझे ‘प्रोफ़ेसर सतीश धवन’ साहब के द्वारा प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के पास बुलाने के लिए सन्देश मिला। जिसके बाद मैंने उनसे कहा कि मेरे पास प्रधानमंत्री जी से मुलाक़ात करने वाला लिवाज (कपडे) तो है ही नहीं। जिसके बाद मुझसे सतीश धवन साहब ने कहा कि आप इसकी बिलकुल भी चिंता मत करो क्योंकि आपने पहले से ही कामयाबी का चौला पहन रखा है।

इसके बाद 1981 का गणतंत्र दिवस डॉ. कलाम के लिए सबसे बड़ी ख़ुशी लेकर आया क्योंकि इस मौके पर कलाम को पद्म-भूषण से नवाजा गया था।

इसके बाद डॉ कलाम को 1 जून, 1982 को DRDL मतलब ‘डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेट्री’ में बतौर उच्चतम पद नियुक्त कर दिया गया। इसके बाद भारत में पूर्ण-मिसाइल बनाने का प्रोग्राम शुरू कर दिया गया ज़ोकी बाद में भारत की वैश्विक ताक़त का सबूत बना।

इसके बाद भारत ने कई मिसाइल पर काम करना शुरू कर दिया; जिसमे भारत ने सबसे पहले सतह-से-सतह प्रथ्वी मिसाइल को 25 फरबरी 1988 को सुबह 11 बजकर 23 मिनट्स को लौंच कर प्रथ्वी मिसाइल की सफ़लता का जश्न मनाया। यह एक एतिहासिक मौका था क्योंकि प्रथ्वी मिसाइल सरफेस-से-सरफेस मिसाइल ही नहीं थी वल्कि भारत के भविष्य की सभी मिसाइलों का बुनियादी ढांचा भी थी।

इस मिसाइल प्रोग्राम ने भारत के पडोसी देशों को देहला दिया और पश्चिमी देशों को पहले तो आश्चर्य हुआ और फिर गुस्से का इजहार कर भारत पर कई प्रकार की पावंदी लगा दी।  मतलब उन्होंने कहा कि भारत अपने मिसाइल प्रोग्राम्स के लिए काम आने वाला सामान किसी भी बाहरी देश से नहीं ख़रीद सकता है। लेकिन भारतीय-सरकार इन प्रोग्राम्स के आगे दीवार बनकर आगे खड़ी रही और इन प्रोग्राम्स पर काम जारी रहा।

इस मिसाइल की सफ़लता के बाद ही अग्नि-मिसाइल पर काम शुरू कर दिया गया था। जिसमे 500 से ज्यादा साहिंस्थान शामिल थे। अग्नि-मिसाइल की उड़ान 20 अप्रैल, 1989 को तय की गई और हिफ़ाजत के लिए आसपास के सभी गाँव ख़ाली करवा दिए गए थे।

इसके बाद भारतीय अख़बार और मीडिया ने इस प्रोग्राम को इतना बड़ा मुद्दा बना दिया कि 20 अप्रैल, 1989 आते-आते तमाम देशों की नजर भारत के इस मिसाइल प्रोग्राम पर थी। जिस कारण पश्चिमी देशों का दबाब भारत पर इस मिसाइल प्रोग्राम को रद्द करने के लिए होने लगा लेकिन भारतीय-सरकार ने किसी भी तरह इस मिसाइल प्रोग्राम को पीछे नहीं हटने दिया।

20 अप्रैल, 1989 को इस मिसाइल का परिक्षण शुरू हुआ लेकिन कुछ अंदरूनी खामियों के चलते इस मिसाइल प्रोग्राम की उड़ान को कुछ दिन के लिए रोक दिया गया। इसके बाद लगातार 10 दिन मिसाइल की अंदरूनी दुरुस्ती पर काम किया गया। अग्नि-मिसाइल को उड़ान के लिए एक बार फिर से तैयार किया गया, लेकिन एक बार फिर से पता चला कि मिसाइल का एक पुर्जा काम नहीं कर रहा है। और उड़ान को फिर से रोक दिया गया। 

इसके बाद तो मानो अख़बारों और मीडिया ने कार्टून्स आदि बनाकर आलोचना कर अपनी दिली तमन्ना पूरी कर ली।  

अग्नि की इस असफ़लता के बाद पुनः मरम्मत का काम चलता रहा और आखिरकार 22 मई, 1989 सुबह 7 बजकर 10 मिनट्स को अग्नि-मिसाइल की उडान का दिन तय कर दिया गया।

कलाम साहब अपनी ऑटोबायोग्राफी में बताते हैं कि –

“अग्नि-मिसाइल की उडान के एक दिन पहले मैं, डॉ. अरुणाचलम, चनल के.एन. सिंह और दिफ्फेंस मिनिस्टर के.सी. पंत रात्री की चहल कदमी कर रहे थे। इस दौरान मिनिस्टर के.सी. पंत ने कलाम से पुछा कि यदि आप अग्नि की उडान में सफ़ल होते है तो आप किस तरह से जश्न का इजहार करोगे। इसके बाद कलाम ने जबाव दिया कि हम सभी मिलकर एक लाख पेड लगाकर अग्नि की उडान के लिए धरती माँ का आशीर्वाद लेंगे।”

जिसके बाद अगले दिन सुबह 7 बजकर 10 मिनट्स पर अग्नि-मिसाइल का प्रक्षेपण का कदम-कदम सही रहा और अग्नि की उडान ने कलाम और सभी सहयोगियों की वर्षों की महनत और कोशिशों की थकान को हमेशा के लिए मिटा दिया।

बता दें कि इस मिसाइल प्रोग्राम को रोकने के लिए भारत ने हर तरह के दबाब बर्दाश्त किये थे लेकीन भारत ने करके दिखा दिया जो उन्हें करना था।

इस उडान के बाद 1990 को गणतंत्र-दिवस पर भारत-देश ने मिसाइल प्रोग्राम की कामयाबी का जश्न मनाया और डॉ. कलाम को पदम् विभूषण से नवाजा गया था।

डॉ. कलाम साहब ने बहुत सारी असफलताएं देखीं और वह कहते थे कि –

“कोई सक्श कितना भी छोटा क्यों न हो, उसे हौसला नहीं छोड़ना चाहिए । ”

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का राष्ट्रपति कैसे बने? – Dr. APJ Abdul Kalam Presidency Career in hindi

डॉ कलाम (APJ Abdul Kalam) के राष्ट्रपति बनने की बात करें तो 10 जून, 2002 को डॉ. कलाम को अन्ना विश्वविधालय के कुलपति डॉ. कलानिधि का सन्देश मिला कि प्रधानमंत्री—कार्यालय उनसे संपर्क स्थापित करने की कोशिश करने लग रहा है। इसी कारण आप जल्द ही कुलपति के दफ्तर (Office) चले आयें ताकि प्रधानमंत्री से आपकी बात-चीत हो सके।

जैसे ही डॉ. कलाम प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े तो कार्यालय कि ओर से टेलीफोन लाइन पर अटल बिहारी बाजपेयी थे। बिहारी ने कलाम से कहा कि कलाम साहब देश को आपकी राष्ट्रपति के रूप में जरूरत है।  

इसके बाद कलाम ने बाजपेयी को धन्यबाद दिया और कहा कि इस पेशकश के लिए मुझे कम से कम एक घंटे का समय चाहिए। जिसमे बाजपेयी जी ने कहा कि आप समय जरूर ले लीजिये लेकिन मुझे आपसे केवल हाँ में जबाव चाहिए न में नहीं।

उसी शाम NDA के सयोंजक जोर्ज फर्नांडिस, संसदीय कार्य मंत्री प्रमोद महाजन, आंद्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और उत्तर-प्रदेश की मुख्यमत्री मायावती ने सयुंक्त संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर डॉ. कलाम की उम्मेदवारी का एलान कर दिया।

इसके बाद डॉ. कलाम को 25 जुलाई, 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में चुन लिए गये जोकि कलाम साहब का बहुत ही सादा-जीवन वाला कार्यकाल रहा था। कलाम ने अपने राष्ट्रपति पद का कार्यकाल 25 जुलाई, 2007 को पूरा किया।

राष्ट्रपति पद को छोड़ने के बाद डॉ. कलाम भारत ने कई संस्थानों के एक मानद साथी के तौर पर विजिटिंग प्रोफ़ेसर रहे। इसके अलावा कलाम ‘भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौधोगिकी संस्थानतिरुवनंतपुरम’ (Indian Institute Of Space Science and Technology Thiruvananthapuram) में चांसलर और अन्ना विश्व विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बतौर प्रोफेसर और भारत कई दूसरे शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों सहायक रहे और पढाया।

इसे भी जाने: महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का पूरा जीवन परिचय?

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की किताबें – Dr. APJ Abdul Kalam books in hindi

डॉ. कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam) ने अपने जीवन-काल में एक लेखक के तौर पर भी छाप छोड़ी है। जिसमे उन्होंने साहित्यिक रूप से अपने विचारों को समाहित तो किया है; साथ में अपनी जीवनी को सह-लेखक के साथ कागज के पन्नो पर उतारा है। इसके अलावा इन्होने ‘ इंडिया 2020 – ए विजन फॉर दी न्यू मिलेनियम’, ‘ माय जर्नी’ , ‘ इग्राटिड माइंडस – अनलीशिंग दी पॉवर विदिन इंडिया’ और ‘ विंग्स ऑफ़ फायर – एन ऑटोबायोग्राफी ऑफ़ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम’ आदि किताबें खाश हैं।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को मिले पुरुस्कार एवं सम्मान – Dr. APJ Abdul Kalam Awards in hindi

डॉ कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam) को मिले पुरुस्कार और सम्मान की बात करें तो इन्हें अपने जीवन-काल में अनैकों सम्मान और उपाधि हासिल हुई। कलाम को भारत समेत दुनिया-भर से लगभग 40 विश्वविद्यालयों से मानद डोक्टरेट की उपाधियाँ हाशिल हुई। भारत के अनैक सम्मान के साथ कलाम को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया था। इसके अलावा कलाम को दुनियाभर से सम्मान मिले। 

चलिए कलाम साहब को मिले कुछ सम्मानों और मानद-पदों पर नीचे दी हुए लेख में नजर डालते हैं। –

  • 1981 – पद्म भूषण – भारत सरकार
  • 1990 – पद्म विभूषण – भारत सरकार
  • 1994 – विशिष्ट शोधार्थी – इंस्टिट्यूट ऑफ़ डायरेक्टर्स (भारत)
  • 1997 – भारत रत्न – भारत सरकार
  • 1997 – इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरुस्कार – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  • 1998 – वीर सावरकर पुरुस्कार – भारत सरकार
  • 2000 – रामानुजन पुरुष्कार – अल्वार्स शौध संस्थान, चेन्नई
  • 2007 – डॉक्टर ऑफ़ साइंस मानद उपाधि – वूल्वरहैंप्टन विश्वविधालय, यूनाईटेड किंगडम
  • 2007 – किंग चार्ल्स द्वतीय मैडल – रॉयल सोसायटी, यूनाइटेड किंगडम
  • 2008 – डॉक्टर ऑफ़ साइंस – ए.एम.यू. अलीगढ
  • 2008 – डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग – नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, सिंगापुर
  • 2009 – इंटरनेशनल वोन केर्मन विंग्स अवार्ड – कैलिफ़ोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी
  • 2009 – हूवर मैडल – ए.एस.एम.ई. फाउंडेशन, यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका
  • 2009 – ऑनरी डॉक्टरेट – ओकलैंड विश्वविद्यालय
  • 2010 – डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग – यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉटरलू
  • 201 1 – आई.ई.ई.ई. ऑनरी मेम्बरशिप – आई.ई.ई.ई.
  • 2012 – डॉक्टर ऑफ़ लॉ – साइमन फ्रेसर विश्वविद्यालय
  • 2013 – वोन ब्राउन अवार्ड – नेशनल स्पेस सोसायटी
  • 2014 – डॉक्टर ऑफ़ साइंस –  एडिनबर्घ विश्वविधालय, यूनाइटेड किंगडम
  • 2014 – ऑनरेरी प्रोफ़ेसर – बीजिंग विश्वविद्यालय, चीन

एपीजे अब्दुल कलाम की म्रत्यु – Death of APJ Abdul Kalam in hindi

भारत को उपर ले जाने में बहुत अधिक योगदान करने वाले ‘डॉ. अवुल पकीर जैनुलब्दीन अब्दुल कलाम’ साहब जब शिलोंग यूनिवर्सिटी में भाषण दे रहे थे। उसी दौरान कलाम को दिल का दौड़ा पड़ा और वह ज़मीन पर गिर पड़े। इसके बाद उन्हें आनन-फ़ानन में नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन डॉक्टर्स ने 2 घंटे बाद ही कलाम साहब को मृत घोषित कर दिया और कलाम साहब ने 83 वर्ष , 9 महीनों और 12 दिनकी आयु में 27 जुलाई, 2015 को दुनिया को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। 

कलाम जी (APJ Abdul Kalam) के अंतिम संस्कार की बात करें तो इनकी म्रत्यु के तुरंत बाद इनके पार्थिव-शरीर को भारतीय वायु सेना के हेलीकाप्टर द्वारा शिलोंग से गुवाहाटी लाया गया। इसके बाद अगले दिन 28 जुलाई मंगलवार-दोपहर कलाम के पार्थिव शरीर को वायुसेना के विमान द्वारा दर्शन के लिए दिल्ली लाया गया और पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ इनके पार्थिव-शरीर को विमान से नीचे उतारा गया था। 

जिसके बाद भारतीय-तिरंगे में लपेटकर कलाम साहब के पार्थिव-शरीर को पूरे सम्मान के साथ उनके आवास 10 राजा-जी मार्ग पर लाया गया। इसके बाद सभी नेता, राजनेताओं और गणमान्य लोगों ने भाव-पूर्ण उन्हें श्रधांजलि अर्पित की।

इसके बाद कलाम साहब के पार्थिव शरीर को वायुसेना के द्वारा तिरंगे में लपेटे उनके पेत्रक-स्थान रामेश्वरम लाया गया। इनके पार्थिव-शरीर को खुले मैदान में प्रदर्शित किया गया जिससे कि आम जनता भी उनको आखिरी बार श्रद्धांजलि दे सके। इसी के साथ 30 जुलाई, 2015 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक को पूर्ण सम्मान के साथ ‘के.पी. करुम्बु मैदान’ में दफना दिया गया। जिसमे प्रधानमंत्री मोदी के साथ कई राज्यों के मुख्य-मंत्रियों ने हिस्सा लिया था।

भारत-सरकार ने कलाम साहब के निधन के मौके पर उनके सम्मान में सात दिन के राजकीय शौक की घोषणा कर दी।

कलाम साहब (APJ Abdul Kalam) को अपने जीवन में बहुत सारा सम्मान और इज्जत मिली है। कहते हैं न कि ‘GREAT SOULS NEVER DIE’ इसीलिए कलाम साहब हमेशा हमारे दिलो में जिंदा रहेंगे क्योंकि कलाम के विचार आज भी लाखों लोगों को प्रेरित (Inspire) करते हैं।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सर के बारे में कुछ रोचक तथ्य – Interesting facts about Apj Abdul Kalam in hindi

  • डॉ कलाम साहब बचपन में रामेश्वरम के मशहूर शिव मंदिर जोकि उनके घर से केवल दस मिनट की दूरी पर था। वह उस मंदिर के इर्द-गिर्द उतनी ही श्रद्दा से परिक्रमा करते थे जैसे कि बाहर से आये हुए श्रद्दालु करते थे।
  • कलाम साहब एक धार्मिक मुसलमान थे और वह हर सुबह फज्र की नबाज पढते थे। इसके अलावा वह अक्सर गीता और कुरान भी पढते थे।
  • डॉ. कलाम सर केवल शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते थे और शराब जैसे नशीले पदार्थों से कभी भी हाथ नहीं लगाते थे।  
  • डॉ कलाम शुरू से एक वैज्ञानिक नहीं बनना चाहते थे वल्कि वह तो एयरफोर्स में नौकरी कर आसमान में लड़ाकू विमान (Fighter Plan) उड़ाकर उड़ना चाहते थे।
  • 1 मार्च, 1998 को राष्ट्रपति-भवन में भारत-रत्न पुरुष्कार वितरण समारोह में कलाम अपने वेश-भूसा (कपड़ों) को लेकर भी बहुत नर्वस थे क्योंकि कलाम को इस तरह के औपचारिक मौकों से चिड रहती थी। कलाम इस तरह के कपडे पहनते थे; जिनमे वह सहज महसूस कर सकें। शूट पहनना उन्हें कभी भी रास नहीं आता था जहाँ तक कि वह चमड़े के जूतों के बजह हमेशा स्पोर्ट्स-शूज पहनना ही पसंद करते थे।  
  • एक बार अटल बिहारी बाजपेयी ने कलाम से मजाक-वार्ता में कहा था कि आप भी मेरी तरह कुंवारे है; जिसमे कलाम ने मजाकिया अंदाज में जबाव दिया था कि प्रधानमंत्री महोदय जी मैं न सिर्फ़ कुंवारा हूँ वल्कि ब्रह्मचारी भी हूँ।
  • डॉ. कलाम जी ने अपने जीवन-काल में लगभग दो दर्जन से भी ज्यादा अवार्ड्स और सम्मान ग्रहण किये थे।
  • कलाम साहब बहुत व्यस्त राष्ट्रपति होने के बाबजूद अपने लिए कुछ समय निकाल लेते थे। जिमसे उन्हें रूध्रवीना बजाना और टहलने बहुत पसंद किया करते थे।   
  • डॉ. कलाम आज भी पूरी दुनिया में छात्रों के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा (Motivation) के श्रोत है।
  • कलाम साहब भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में चुने गए थे।
  • डॉ. कलाम ने हमेशा से ही बच्चों और छात्रों को पढने और कामयाब बनने के लिए प्रेरित किया है।
  • डॉ. कलाम साहब ने बहुत ही साधारण-जीवन यापन किया था।

एपीजे अब्दुल कलाम के अनमोल विचार – APJ Abdul Kalam quotes in hindi

“सपने तभी सच होते जब हम सपने देखते हैं।”
“कठिन परिश्रम करने के बाद ही सफलताओं का आनंद लिया जा सकता है।”
“किसी को हराना तो बहुत आसान है लेकिन जीतना बहुत कठिन है।”
“सपने वह नही हैं जो आप सोते समय देखते हैं, सपने तो वह हैं जो आपको सोने ही न दें।”
“यदि आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं, तो पहले आपको सूरज की तरह जलना होगा।”
“मैं ख़ूबसूरत नहीं हूँ, लेकिन मैं किसी भी ऐसे व्यक्ति की ओर हाथ बढा सकता हूँ, जिसे वास्तव में मदद की जरूरत है, क्योंकि ख़ूबसूरती चेहरे पर नहीं वल्कि दिल में होती है।”
“विजेता वह नहीं होते जो कभी असफ़ल नहीं होते, विजेता तो वह होते हैं जो कभी हार नहीं मानते।”  
“सपने, सपने, सपने! सपने विचारों में परिवर्तित होते हैं और विचार परिणामों में परिवर्तित होते हैं।”  
“यदि आप अपने कर्तव्य को सलाम करते हो, तो आपको किसी को भी सलाम करने की जरूरत नहीं है, लेकिन यदि आप अपने कर्तव्य को भूल जाते हो, तो आपको हर किसी को सलाम करने की जरूरत पड़ती है।”
“छोटा लक्ष्य देखन अपराध है, इसलिए जीवन में बहुत बड़ा उद्देश्य होना चाहिए।”

दोस्तों हम आशा करते हैं कि आपने एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय | APJ Abdul Kalam biography in hindi को यहाँ तक पढकर यह जाना होगा कि कलाम भारतीयों के दिल में क्यों बसते हैं?

हिंदीलीफ़.कॉम ( hindileaf.com ) की ओर से डॉ कलाम साहब (APJ Abdul Kalam) के बारे में उल्लेख कर एक छोटा सा सम्मान (Tribute) है। क्योंकि दुनिया भी जानती है कि कलाम साहब भारत के असल हीरो और एक आदर्श हैं जोकि एक बेहतरीन वैज्ञानिक और दरियादिल इंसान थे।

हमने डॉ अवुल पकीर जैनुलब्दीन अब्दुल कलाम साहब के बारे में लिखने की कोशिश कर कलाम साहब को दिल से सलाम करते हैं। इसके अलावा हम आपको यूट्यूब पर मौजूद डॉ. कलाम साहब की ऑटोबायोग्राफी को सुनने की सलाह देते हैं; जिसे गुलज़ार साहब ने बोला है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हमने इस लेख के लिए प्रेरणा (Inspiration) इस ऑटोबायोग्राफी से भी ली है।

FAQs –

उत्तर – एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को धनुषकोणी गाँव, रामेश्वरम, मद्रास प्रेसीडेंसी (ब्रिटिश-इंडिया) में हुआ था जोकि अब भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित है।

उत्तर – एपीजे अब्दुल कलाम सर ने अपनी 10वीं स्वार्ड्स हाईस्कूल, रामनाथपुरम से , इंटरमीडिएट और ग्रेजुएशन सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से और एयरोनॉटिकल साइंस डिप्लोमा MIT यानिकि मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से किया था।

निष्कर्ष: Conclusion

इस लेख में इतना ही जिसके माध्यम से हमने एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय | APJ Abdul Kalam biography in hindi के जीवन से जुड़े पहलुओं को विस्तार से समझाया है। इसके अलावा APJ Abdul Kalam history in hindi, APJ Abdul Kalam story in hindi, APJ Abdul Kalam personal life in hindi और Interesting facts about Apj Abdul Kalam in hindi, Apj Abdul Kalam quotes in hindi को बताया है।

यदि इस आर्टिकल ( एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय | APJ Abdul Kalam biography in hindi) से सम्बंधित आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। इसके अलावा इस आर्टिकल को आप Facebook, Whatsapp और Telegram आदि सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें।

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Dr. A.P.J. Abdul Kalam Biography in Hindi | डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम जीवन परिचय

ए पी जे अब्दुल कलाम

वास्तविक नाम अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम
उपनाममिसाइल मैन, जनता के राष्ट्रपति
व्यवसाय प्रोफेसर, लेखक, एयरोस्पेस वैज्ञानिक
लम्बाई (लगभग)से० मी०-
मी०-
फीट इन्च-
वजन/भार (लगभग)
आँखों का रंग काला
बालों का रंग श्याम श्वेत
जन्मतिथि 15 अक्टूबर 1931
जन्मस्थानरामेश्वरम, रामानंद जिला, मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत
(अब रामनाथपुरम जिला, तमिलनाडु, भारत)
मृत्यु तिथि27 जुलाई 2015
मृत्यु स्थान शिलांग, मेघालय, भारत
आयु ( मृत्यु के समय तक)
मृत्यु का कारणदिल का दौरा पड़ने से
समाधि स्थलपेई करुंबू, रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत
राशितुला
हस्ताक्षर
राष्ट्रीयता भारतीय
गृहनगर रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत
स्कूल/विद्यालय Schwartz Higher Secondary स्कूल, रामनाथपुरम, तमिलनाडु, भारत
महाविद्यालय/विश्वविद्यालयसेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु, भारत
मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, क्रोमपेट, चेन्नई, तमिलनाडु, भारत
शैक्षिक योग्यता 1954 में, मद्रास विश्वविद्यालय से अधिकृत सेंट जोसेफ कॉलेज से भौतिकी में स्नातक
1960 में, मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री
परिवार - जैनुलाब्दीन मारकयार (एक नाव मालिक और स्थानीय मस्जिद के इमाम)

- आशिमा जैनुलाब्दीन (गृहणी)
- कासीम मोहम्मद, मुस्तफा कमल, मोहम्मद मुथु मीरा लेबाई मारिकायर

- असिम जोहरा (ज्येष्ठ बहन)
धर्म इस्लाम
जातितमिल मुस्लिम
शौकवीणा बजाना, प्रेरक व्याख्यान देना, सैर करना, भारतीय शास्त्रीय संगीत सुनना
पुरस्कार / सम्मान भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
भारत सरकार द्वारा वीर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
ब्रिटेन रॉयल सोसाइटी द्वारा किंग चार्ल्स द्वितीय मेडल से सम्मानित किया गया।
अमेरिका एएसएमई फाउंडेशन (ASME Foundation) द्वारा हूवर मेडल से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय अंतरिक्ष सोसाइटी द्वारा वॉन ब्रौन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस उपाधि से नवाजा गया।
प्रसिद्ध किताबें : India 2020

: Wings Of Fire

: Ignited Minds

: Indomitable Spirit

: Turning Points
अब्दुल कलाम के प्रमुख कथन• "इंसान को कठिनाईयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये जरुरी हैं।"
• कृत्रिम सुख की बजाए ठोस उपलब्धियों के पीछे समर्पित रहिए।
• अगर आप सूर्य की तरह चमकना चाहते हो, तो पहले सूर्य की तरह जलना सीखो।
• गरीबी ने मुझे एक शाकाहारी बनने के लिए मजबूर किया, लेकिन अंत में मैंने इसे पसंद करना शुरू कर दिया।
• एक अच्छी पुस्तक हजार दोस्तों के बराबर होती है, जबकि एक अच्छा दोस्त एक पुस्तकालय के बराबर होता है।
• जिस दिन हमारे सिग्नेचर ऑटोग्राफ में बदल जाएं, मान लीजिए आप कामयाब हो गए।
• "सर्वोत्तम व्यक्ति वे नहीं हैं जिन्होंने अवसरों का इंतजार किया बल्कि वे हैं जिन्होंने अवसरों को अपनाया, जीता और सफल बनाया।"
• आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते पर आप अपनी आदतें बदल सकते हैं और निश्चित रूप से आपकी आदते आपका भविष्य बदल देगी।
• अपने कर्म को सलाम करो, दुनियाँ तुम्हें सलाम करेगी, यदि कर्म को दूषित रखोगे तो हर किसी को सलाम करना पड़ेगा।
अब्दुल कलाम के नाम पर स्थान / संस्थाएं उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय (यूपीटीयू) का नाम बदलकर "एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय" रख दिया।
ए पी जे अब्दुल कलाम मेमोरियल त्रावणकोर इंस्टीट्यूट ऑफ पाचन डिसीज (Digestive Diseases), केरल।
केरल स्थित महात्मा गांधी विश्वविद्यालय में एक नया अकादमिक परिसर उनके नाम पर बनाया गया है।
पुडुचेरी सरकार के द्वारा घोषित किया गया कि नए उद्घाटनित विज्ञान केंद्र-सह-तारामंडल का नाम पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा जाएगा।
केरल टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर ए पी जे अब्दुल कलाम टेक्नोलॉजीकल यूनिवर्सिटी रखा गया।
ओडिशा स्थित राष्ट्रीय मिसाइल परीक्षण स्थल "व्हीलर द्वीप" का नाम पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के नाम पर "अब्दुल कलाम आइलैंड" पर रखा गया।
नासा में ए पी जे अब्दुल कलाम के द्वारा खोजे गए नए जीव का नाम पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम के नाम पर "ए पी जे अब्दुल कलाम" रखा। यह बैक्टीरिया के रूप में केवल अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ही पाया जाता है। यह बैक्टीरिया पृथ्वी पर नहीं पाया जाता। और इसी प्रकार नासा की सबसे महत्वपूर्ण प्रयोगशाला जेट प्रणोदन प्रयोगशाला (जेपीएल) के शोधकर्ताओं ने एक इंटरएप्लेनेटरी यात्रा पर काम करते हुए एक नए बैक्टीरिया की खोज की और उसका नाम "Solibacillus kalamii" रखा।
विवाद• भारत के राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, कलाम द्वारा 21 दया याचिकाओं में से 20 के भाग्य का निर्णय लेने में उनकी निष्क्रियता के लिए आलोचना की गई। उन्होंने अपने 5 साल के कार्यकाल में केवल एक दया याचिका पर कार्यवाही की, जिसमें बलात्कारी धनंजय चटर्जी की याचिका को खारिज कर दिया गया था, जिसे बाद में फांसी दे दी गई थी। शायद सबसे उल्लेखनीय याचिका अफजल गुरु की थी, जिसे 2004 में भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने मौत की सजा सुनाई थी। उसकी दया याचिका पर लंबित कार्रवाई होने के कारण उसकी मौत की सजा अधर में लटकी रही।
• वर्ष 2005 में, कलाम ने बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू करने का विवादास्पद निर्णय लिया था। जिसके कारण उन्हें कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
• वर्ष 2011 में, ए पी जे अब्दुल कलाम के द्वारा कुडनकुलम में परमाणु ऊर्जा सयंत्र की स्थापना का समर्थन किया गया। जिससे स्थानीय लोग परमाणु ऊर्जा सयंत्र की स्थापना से नाराज थे। स्थानीय लोगों ने ए पी जे अब्दुल कलाम के प्रति नाराजगी प्रकट करते हुए, उनके इस कार्य की निंदा की।
पसंदीदा विषयगणित, भौतिकी
वैवाहिक स्थिति अविवाहित
पत्नी लागू नहीं
बच्चे कोई नहीं
कुल संपत्ति2,500 पुस्तकें, एक वीणा, एक कलाई घड़ी, सीडी प्लेयर, एक लैपटॉप, 6 शर्ट, 4 पतलून, 3 सूट और एक जूते की जोड़ी, और रामेश्वरम में उनका पैतृक घर

ए पी जे अब्दुल कलाम

 डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • उनका जन्म रामेश्वरम में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था।
  • कलाम के पिता एक नौका के मालिक थे, जो रामेश्वरम और धनुष्कोडी (अब निर्जन) के बीच हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जाने का कार्य करते थे।
  • कलाम अपने परिवार में चार भाइयों और एक बहन से सबसे छोटे थे।
  • उनके पूर्वज संपन्न व्यापारी और जमींदार थे और वे मुख्य रूप से श्रीलंका में किरयाने का व्यापार करते थे।
  • तीर्थयात्रियों को श्रीलंका से पंबन के बीच नाव से यात्रा करवाने के लिए उनके परिवार को “Mara Kalam iyakkivar (wooden boat steerers)” के ख़िताब से नवाजा गया।
  • वर्ष 1914 में, मुख्य भूमि (मेनलैंड) से पबंन तक ब्रिज को खोला गया, जिसके कारण उनके परिवार की आजीविका प्रभावित हुई।
  • बचपन से ही कलाम ने ग़रीबी को बहुत नजदीक से देखा और महसूस किया, क्योंकि उनके माता-पिता की आय इतनी नहीं थी कि वह पूरे परिवार का पालन पोषण कर सकें। अपने परिवार की निर्धनता को देखते हुए, कलाम ने समाचार पत्रों के वितरण का कार्य करना प्रारम्भ किया। वह धनुष्कोडी मेल ट्रेन से बाहर गिरे हुए अखबारों को एकत्रित करके दुसरी ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों को बेचते थे, और उसी समय विश्वयुद्ध शुरू हो गया था। विश्वयुद्ध के दौरान भी कलाम ने अपना कार्य नहीं छोड़ा।
  • कलाम सिर्फ 10 वर्ष के थे, जब द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। एक साक्षात्कार में, कलाम ने यह खुलासा किया था कि उन्होंने युद्ध की आग को बिल्कुल समीप से महसूस किया था, क्योंकि युद्ध की आग धीरे-धीरे रामेश्वरम तक पहुंच गई थी।

कलाम को किताबें उधार देने वाला

  • वर्ष 1960 में एमआईटी से स्नातक करने के बाद, वह रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में शामिल हुए और वहां एक छोटे से होवरक्राफ्टर डिजाइनर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि, कलाम डीआरडीओ में नौकरी करने से संतुष्ट नहीं थे।

अब्दुल कलाम वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ

  • वर्ष 1963 में, कलाम ने नासा (NASA’s) के विभिन्न अंतरिक्ष केंद्रों का दौरा किया। जिनमें वर्जीनिया: Goddard Space Flight Center in Greenbelt (Maryland), Langley Research Center in Hampton; and Wallops Flight Facility.
  • वर्ष 1965 में डीआरडीओ में, कलाम ने स्वतंत्र रूप से एक रॉकेट प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया था।

कलाम वाहन (एसएलवी-तृतीय) के प्रोजेक्ट सदस्यों के साथ

  • वर्ष 1980 में, कलाम के शैक्षिक नेतृत्व और अनुसंधान कार्य को देखते हुए, सरकार द्वारा कलाम को उन्नत मिसाइल कार्यक्रम को अपने निर्देशन में नियोजित करने का प्रस्ताव रखा गया।
  • वेंकटरामन (तत्कालीन रक्षा मंत्री) ने कलाम को इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) का मुख्य कार्यकारी नियुक्त किया और मिशन के लिए 388 करोड़ रुपये का आवंटन किया। इसके साथ-साथ कलाम द्वारा मिशन अग्नि और मिशन पृथ्वी सहित कई सफल मिसाइलों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की गई।
  • जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक, कलाम ने प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ के सचिव के रूप में कार्य किया। इस अवधि के दौरान उन्होंने पोखरन -2 परमाणु परीक्षण को आयोजित किया, जिसमें कलाम ने अटल बिहारी वाजपेयी (भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री) के साथ एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और तकनीकी भूमिका अदा की।

 अब्दुल कलाम द मिसाइल मैन

  • 1998 में, कलाम ने हृदय रोग विशेषज्ञ सोमा राजू के सहयोग से कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट (coronary stent) विकसित किया और उसका नाम “कलाम-राजू स्टेंट” रखा। वर्ष 2012 में, दोनों ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल के लिए “कलाम-राजू टैबलेट” नामक एक टैबलेट कंप्यूटर का अविष्कार भी किया।

 अब्दुल कलाम शपथ ग्रहण करते हुए

  • एपीजे अब्दुल कलाम भारत के तीसरे राष्ट्रपति बने, जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उनसे पहले डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन  (1954) और डॉ जाकिर हुसैन (1963) ने भारत रत्न को प्राप्त कर, राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की थी।

अब्दुल कलाम राष्ट्रपति भवन में

  • राष्ट्रपति भवन में निवास के दौरान, उन्होंने कहा कि “वह अपने भोजन के लिए स्वयं भुगतान करेंगे।” उसी समय जनरल केएस डोगरा (पूर्व सैन्य सचिव एपीजे अब्दुल कलाम) ने एक घटना को याद करते हुए कहा कि “उनके रिश्तेदार पहली बार उनसे मिलने आए थे, जब वे राष्ट्रपति बने। उन्होंने राष्ट्रपति भवन से कोई विशेष व्यवस्था लेने से इंकार कर दिया। अपने परिवार के साथ दिल्ली के आसपास की जगह पर घूमने के लिए एक छोटी सामान्य स्लीपर क्लास बस को किराए पर लेकर यात्रा की और जिसके लिए कलाम ने ही भुगतान किया था। हालांकि, राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति और उनके परिवार के इस्तेमाल के लिए वाहनों का एक बेड़ा है, एक अस्तबल, क्लब, अस्पताल, एक गोल्फ कोर्स है, जिसे कलाम ने कभी इस्तेमाल नहीं किया। उनका एकमात्र मनोरंजन उनकी किताबें थीं, जिसे वह मुगल गार्डन में टहलते हुए पढ़ते थे।

अब्दुल कलाम "पीपुल्स प्रेसिडेंट"

  • सितंबर 2003 में, पीजीआई चंडीगढ़ में एक इंटरैक्टिव सत्र के दौरान उन्होंने भारत में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता का समर्थन किया।
  • वर्ष 2011 में, एक हिंदी फिल्म “आई एम कलाम” को रिलीज़ किया गया, जिसमें कलाम को ‘छोटू’ नाम के एक गरीब राजस्थानी लड़के पर सकारात्मक प्रभाव के रूप में चित्रित किया गया था।
  • 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में जब वह “Creating a Livable Planet Earth” विषय पर सभा को सबोंधित कर रहे थे, तब अपने संबोधन के मात्र पांचवें मिनट में (भारतीय समयानुसार सायं 6:35 बजे) वह अचानक गिर पड़े। जब उन्हें समीप के Bethany Hospital में ले जाया गया, तो उनकी नब्ज रुकी हुई थी और उनके शरीर के जीवंत होने का कोई भी लक्षण परिलक्षित नहीं था। उसी दिन लगभग सायं 7:45 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, उनके अंतिम शब्द निम्नवत थे :- “Funny guy! Are you doing well?” जो कि उन्होंने अपने सहायक श्रीजनपाल सिंह से कहे थे।

  • डॉ अब्दुल कलाम के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सम्पूर्ण भारत ने सोशल मीडिया पर उनके लिए श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दुखद घटना के लिए भारत सरकार ने सात दिवसीय राजकीय शोक घोषित किया। उनके निधन पर प्रणव मुखर्जी (भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति), हामिद अंसारी (भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति) और राजनाथ सिंह (भारत के वर्तमान गृह मंत्री) एवं अन्य लोगों ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए, उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
  • 30 जुलाई 2015 को, रामेश्वरम के Pei Karumbu Ground पर पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम क्रिया सम्पन्न की गई। उनकी अंतिम क्रिया पर नरेंद्र मोदी (भारतीय प्रधानमंत्री), राहुल गांधी, तमिलनाडु के राज्यपाल और केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्रियों सहित अंतिम क्रिया में 3.5 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया।

 "अब्दुल कलाम नेशनल मेमोरियल"

  • कलाम को अपनी मां से बहुत लगाव था, और उन्होंने अपनी आत्मकथा, “विंग्स ऑफ़ फायर” में लिखी एक कविता में अपनी मां के लिए कुछ इस प्रकार स्नेह प्रकट किया:

                                                                                                                  Mother                                                                                                                          “I still remember the day when I was ten, Sleeping on your lap to the envy of my elder brothers and sisters. It was full moon night, my world only you knew Mother!, My Mother! When at midnight, I woke with tears falling on my knee You knew the pain of your child, My Mother. Your caring hands, tenderly removing the pain Your love, your care, your faith gave me strength, To face the world without fear and with His strength. We will meet again on the great Judgment Day. My Mother

N. Hiyainu Devi Biography in Hindi | एन हियानु देवी जीवन परिचय

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सोनू निगम

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ए. पी. जे. अब्दुल कलाम.

जन्म : 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु

मृत्यु: 27 जुलाई, 20 15, शिलोंग, मेघालय

पद/कार्य : भारत के पूर्व राष्ट्रपति

उपलब्धियां: एक वैज्ञानिक और इंजिनियर के तौर पर उन्होंने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य किया

डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण संगठनों (डीआरडीओ और इसरो) में कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। वर्ष 2002 में  कलाम भारत के राष्ट्रपति चुने गए और 5 वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

प्रारंभिक जीवन

अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुसलमान परिवार मैं हुआ। उनके पिता जैनुलअबिदीन एक नाविक थे और उनकी माता अशिअम्मा एक गृहणी थीं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थे इसलिए उन्हें छोटी उम्र से ही काम करना पड़ा। अपने पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र वितरण का कार्य करते थे। अपने स्कूल के दिनों में कलाम पढाई-लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे। उनके अन्दर सीखने की भूख थी और वो पढाई पर घंटो ध्यान देते थे। उन्होंने अपनी स्कूल की पढाई रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की और उसके बाद तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। उसके बाद वर्ष 1955 में वो मद्रास चले गए जहाँ से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1960 में कलाम ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की।

मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद कलाम ने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में वैज्ञानिक के तौर पर भर्ती हुए। कलाम ने अपने कैरियर की शुरुआत भारतीय सेना के लिए एक छोटे हेलीकाप्टर का डिजाईन बना कर किया। डीआरडीओ में कलाम को उनके काम से संतुष्टि नहीं मिल रही थी। कलाम पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा गठित ‘इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च’ के सदस्य भी थे। इस दौरान उन्हें प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ कार्य करने का अवसर मिला। वर्ष 1969 में उनका स्थानांतरण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में हुआ। यहाँ वो भारत के सॅटॅलाइट लांच व्हीकल  परियोजना के निदेशक के तौर पर नियुक्त किये गए थे। इसी परियोजना की सफलता के परिणामस्वरूप भारत का प्रथम उपग्रह ‘रोहिणी’ पृथ्वी की कक्षा में वर्ष 1980 में स्थापित किया गया। इसरो में शामिल होना कलाम के कैरियर का सबसे अहम मोड़ था और जब उन्होंने सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना पर कार्य आरम्भ किया तब उन्हें लगा जैसे वो वही कार्य कर रहे हैं जिसमे उनका मन लगता है।

1963-64 के दौरान उन्होंने अमेरिका के अन्तरिक्ष संगठन नासा की भी यात्रा की। परमाणु वैज्ञानिक राजा रमन्ना, जिनके देख-रेख में भारत ने पहला परमाणु परिक्षण किया, ने कलाम को वर्ष 1974 में पोखरण में परमाणु परिक्षण देखने के लिए भी बुलाया था।

सत्तर और अस्सी के दशक में अपने कार्यों और सफलताओं से डॉ कलाम भारत में बहुत प्रसिद्द हो गए और देश के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में उनका नाम गिना जाने लगा। उनकी ख्याति इतनी बढ़ गयी थी की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपने कैबिनेट के मंजूरी के बिना ही उन्हें कुछ गुप्त परियोजनाओं पर कार्य करने की अनुमति दी थी।

भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी ‘इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ का प्रारम्भ डॉ कलाम के देख-रेख में किया। वह इस परियोजना के मुख कार्यकारी थे। इस परियोजना ने देश को अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें दी है।

जुलाई 1992 से लेकर दिसम्बर 1999 तक डॉ कलाम प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सचिव थे। भारत ने अपना दूसरा परमाणु परिक्षण इसी दौरान किया था। उन्होंने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आर. चिदंबरम के साथ डॉ कलाम इस परियोजना के समन्वयक थे। इस दौरान मिले मीडिया कवरेज ने उन्हें देश का सबसे बड़ा परमाणु वैज्ञानिक बना दिया।

वर्ष 1998 में डॉ कलाम ने ह्रदय चिकित्सक सोमा राजू के साथ मिलकर एक कम कीमत का ‘कोरोनरी स्टेंट’ का विकास किया। इसे ‘कलाम-राजू स्टेंट’ का नाम दिया गया।

भारत के राष्ट्रपति

एक रक्षा वैज्ञानिक के तौर पर उनकी उपलब्धियों और प्रसिद्धि के मद्देनज़र एन. डी. ए. की गठबंधन सरकार ने उन्हें वर्ष 2002 में राष्ट्रपति पद का उमीदवार बनाया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी लक्ष्मी सहगल को भारी अंतर से पराजित किया और 25 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया। डॉ कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारत रत्न ने नवाजा जा चुका था। इससे पहले डॉ राधाकृष्णन और डॉ जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनने से पहले ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जा चुका था।

उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें ‘जनता का राष्ट्रपति’ कहा गया। अपने कार्यकाल की समाप्ति पर उन्होंने दूसरे कार्यकाल की भी इच्छा जताई पर राजनैतिक पार्टियों में एक राय की कमी होने के कारण उन्होंने ये विचार त्याग दिया।

12वें राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल के समाप्ति के समय एक बार फिर उनका नाम अगले संभावित राष्ट्रपति के रूप में चर्चा में था परन्तु आम सहमति नहीं होने के कारण उन्होंने अपनी उमीद्वारी का विचार त्याग दिया।

राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद का समय

राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद डॉ कलाम शिक्षण, लेखन, मार्गदर्शन और शोध जैसे कार्यों में व्यस्त रहे और भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर, जैसे संस्थानों से विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर जुड़े रहे। इसके अलावा वह भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के फेलो, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, थिरुवनन्थपुरम, के चांसलर, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई, में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी रहे।

उन्होंने आई. आई. आई. टी. हैदराबाद, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी और अन्ना यूनिवर्सिटी में सूचना प्रौद्योगिकी भी पढाया था।

कलाम हमेशा से देश के युवाओं और उनके भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में बातें करते थे। इसी सम्बन्ध में उन्होंने देश के युवाओं के लिए “व्हाट कैन आई गिव’ पहल की शुरुआत भी की जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार का सफाया है। देश के युवाओं में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें 2 बार (2003 & 2004) ‘एम.टी.वी. यूथ आइकॉन ऑफ़ द इयर अवार्ड’ के लिए मनोनित भी किया गया था।

वर्ष 2011 में प्रदर्शित हुई हिंदी फिल्म ‘आई ऍम कलाम’ उनके जीवन से प्रभावित है।

शिक्षण के अलावा डॉ कलाम ने कई पुस्तकें भी लिखी जिनमे प्रमुख हैं – ‘इंडिया 2020: अ विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम’, ‘विंग्स ऑफ़ फायर: ऐन ऑटोबायोग्राफी’, ‘इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’, ‘मिशन इंडिया’, ‘इंडोमिटेबल स्पिरिट’ आदि।

पुरस्कार और सम्मान

देश और समाज के लिए किये गए उनके कार्यों के लिए, डॉ कलाम को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। लगभग 40 विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी और भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया।

2014 डॉक्टर ऑफ साइंस एडिनबर्ग विश्वविद्यालय , ब्रिटेन
2012 डॉक्टर ऑफ़ लॉ ( मानद ) साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय
2011 आईईईई मानद सदस्यता आईईईई
2010 डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग वाटरलू विश्वविद्यालय
2009 मानद डॉक्टरेट ऑकलैंड विश्वविद्यालय
2009 हूवर मेडल ASME फाउंडेशन, संयुक्त राज्य अमेरिका
2009 अंतर्राष्ट्रीय करमन वॉन विंग्स पुरस्कार कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान , संयुक्त राज्य अमेरिका
2008 डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय , सिंगापुर
2007 चार्ल्स द्वितीय पदक रॉयल सोसाइटी , ब्रिटेन
2007 साइंस की मानद डाक्टरेट वॉल्वर हैम्प्टन विश्वविद्यालय , ब्रिटेन
2000 रामानुजन पुरस्कार अल्वर्स रिसर्च सैंटर, चेन्नई
1998 वीर सावरकर पुरस्कार भारत सरकार
1997 राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1997 भारत रत्न भारत सरकार
1994 विशिष्ट फेलो इंस्टिट्यूट ऑफ़ डायरेक्टर्स (भारत)
1990 पद्म विभूषण भारत सरकार
1981 पद्म भूषण भारत सरकार

मृत्यु: 27 जुलाई 2015 को भारतीय  प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, में अध्यापन कार्य के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद करोड़ों लोगों के प्रिय और चहेते डॉ अब्दुल कलाम परलोक सिधार गए।

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एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय

biography of a p j abdul kalam in hindi

By विकास सिंह

abdul kalam biography in hindi

नाम: अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम)

निक नेम: मिसाइल मैन

राष्ट्रीयता: भारतीय

व्यवसाय: इंजीनियर, वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर, राजनीतिज्ञ

जन्म: 15-अक्टूबर -1931

जन्म स्थान: धनुषकोडि, रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत

निधन: 27 जुलाई 2015

निधन के समय आयु: 83 वर्ष

मृत्यु का स्थान: शिलांग, मेघालय, भारत

प्रसिद्ध का कारण: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक राष्ट्रपति रहे

इससे पहले: कोचरिल रमन नारायणन (1997-2002 से राष्ट्रपति)

उत्तराधिकारी: प्रतिभा पाटिल (2007-2012 से राष्ट्रपति)

अवुल पकिर जैनुलदेबेन अब्दुल कलाम को डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम (A P J Abdul Kalam) के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था और उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया था।

वह भारत के 11 वें राष्ट्रपति थे और 2002 में लक्ष्मी सहगल के खिलाफ जीत हासिल की। भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में एक एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम किया।

देश के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें भारत के मिसाइल मैन के रूप में जाना जाता था। इसके अलावा, 1998 में, उन्होंने भारत के पोखरण -2 परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

क्या आप जानते हैं कि A.P.J अब्दुल कलाम ने अपना करियर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में शुरू किया था? उन्होंने ISRO में भारत के पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) के परियोजना निदेशक के रूप में भी काम किया था।

“अगर मेरी परिभाषा पर्याप्त रूप से मजबूत है तो असफलता मुझे कभी नहीं पछाड़ेगी”।

1990 के दशक में उन्होंने 2002 में भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले प्रधान मंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया था। अब, इस लेख के माध्यम से डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम के बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं।

अब्दुल कलाम: प्रारंभिक जीवन

biography of a p j abdul kalam in hindi

डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था, तब यह ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी में और अब तमिलनाडु में आता है। उनके पिता का नाम जैनुलबदीन था, जो एक नाव के मालिक थे और एक स्थानीय मस्जिद के इमाम थे। उनकी माँ का नाम आशियम्मा था, जो एक गृहिणी थीं।

अब्दुल कलाम पाँच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे, सबसे बड़ी एक बहन थी, जिसका नाम आसिम ज़ोहरा था और तीन बड़े भाई, अर्थात् मोहम्मद मुथु मीरा लेबाई मराय्यार, मुस्तफा कलाम और कासिम मोहम्मद थे। वह अपने परिवार के बहुत करीब थे और बहुत मदद करते थे हालांकि वे अपने जीवन भर कुंवारे रहे।

उनके पूर्वज कई संपत्तियों और भूमि के बड़े ट्रैक्ट के साथ धनी व्यापारी और ज़मींदार थे। वे मुख्य भूमि और द्वीप के बीच और श्रीलंका से किराने का सामान व्यापार करते हैं और मुख्य भूमि से पाम्बिया द्वीप के तीर्थयात्रियों को भी पार करते हैं। तो, उनके परिवार को “मारा कलाम इयक्किवर” (लकड़ी की नाव चलाने वाले) और बाद में “मारकियर” के रूप में जाना जाता था।

शिक्षा आपको उड़ान भरने के लिए पंख देती है। उपलब्धि हमारे अवचेतन मन में जीतने की आग प्रज्वलित करती है।

लेकिन 1920 के दशक तक, उनके परिवार ने अपने भाग्य को खो दिया था; उनके व्यवसाय विफल हो गए और जब तक अब्दुल कलाम का जन्म हुआ तब तक वे गरीबी से जूझ रहे थे। परिवार की मदद करने के लिए, कलाम ने कम उम्र में अखबार बेचना शुरू कर दिया।

अपने स्कूल के दिनों में, कलाम के पास औसत ग्रेड थे लेकिन उन्हें एक उज्ज्वल और मेहनती छात्र के रूप में वर्णित किया गया था, जिसमें सीखने की तीव्र इच्छा थी। गणित उनकी मुख्य रुचि थी।

बिना कर्म के ज्ञान बेकार और अप्रासंगिक है। कार्रवाई के साथ ज्ञान प्रतिकूलता को समृद्धि में परिवर्तित करता है।

उन्होंने श्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल, रामनाथपुरम से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की थी और बाद में वे सेंट जोसेफ कॉलेज चले गए जहाँ वे भौतिकी स्नातक बन गए। 1955 में, वे मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए मद्रास गए।

अपने स्नातक के तीसरे वर्ष के दौरान, उन्हें कुछ अन्य छात्रों के साथ मिलकर एक निम्न-स्तर के हमले के विमान को डिजाइन करने के लिए एक परियोजना सौंपी गई थी। उनके शिक्षक ने उन्हें परियोजना को पूरा करने के लिए एक तंग समय सीमा दी थी, यह बहुत मुश्किल था। कलाम ने अपार दबाव में कड़ी मेहनत की और अंत में निर्धारित समय सीमा के भीतर अपना प्रोजेक्ट पूरा किया। शिक्षक कलाम के समर्पण से प्रभावित थे।

परिणामस्वरूप कलाम एक फाइटर पायलट बनना चाहते थे लेकिन उन्हें क्वालीफायर सूची में 9 वां स्थान मिला और भारतीय वायुसेना में केवल आठ स्थान ही उपलब्ध थे।

अब्दुल कलाम की शिक्षा और उपलब्धियां:

biography of a p j abdul kalam in hindi

ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने 1957 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अपना स्नातक पूरा किया था और 1958 में एक वैज्ञानिक के रूप में वे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में शामिल हुए थे।

1960 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के अधीन इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च के साथ काम किया।

उन्होंने DRDO में एक छोटा होवरक्राफ्ट डिजाइन करके अपने करियर की शुरुआत की थी। हैम्पटन, वर्जीनिया में नासा के लैंग्ली रिसर्च सेंटर का दौरा करने के बाद; 1963-64 में ग्रीनबेल्ट, मैरीलैंड और वॉलॉप्स फ्लाइट सुविधा में गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर, उन्होंने 1965 में DRDO में स्वतंत्र रूप से एक विस्तार योग्य रॉकेट परियोजना पर काम करना शुरू कर दिया था।

वह डीआरडीओ में अपने काम से बहुत संतुष्ट नहीं थे और जब उन्हें 1969 में इसरो को स्थानांतरण आदेश मिले तो वे खुश हो गए। वहां उन्होंने SLV-III के परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया, जिसने जुलाई 1980 में रोहिणी उपग्रह को निकट-पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक तैनात किया। यह भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित उपग्रह प्रक्षेपण यान है।

कलाम ने 1969 में सरकार की स्वीकृति प्राप्त की और अधिक इंजीनियरों को शामिल करने के लिए कार्यक्रम का विस्तार किया। 1970 के दशक में, उन्होंने भारत में अपने भारतीय रिमोट सेंसिंग (IRS) उपग्रह को सूर्कयक्षा में लॉन्च करने की अनुमति देने के उद्देश्य से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) को विकसित करने का प्रयास किया था, PSLV परियोजना सफल रही और 20 सितंबर 1993 को, यह पहली बार लॉन्च किया गया था।

सपना वह नहीं है जो आप सोते समय देखते हैं यह कुछ ऐसा है जो आपको सोने नहीं देता है।

राजा रामन्ना ने अब्दुल कलाम को टीबीआरएल के प्रतिनिधि के रूप में देश के पहले परमाणु परीक्षण स्माइलिंग बुद्धा के साक्षी के रूप में आमंत्रित किया, भले ही उन्होंने इसके विकास में भाग नहीं लिया था।

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1970 के दशक में, अब्दुल कलाम ने प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वैलियंट नामक दो परियोजनाओं का निर्देशन किया। क्या आप प्रोजेक्ट डेविल के बारे में जानते हैं? यह एक कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल बनाने के उद्देश्य से एक प्रारंभिक तरल-ईंधन मिसाइल परियोजना थी।

यह परियोजना सफल नहीं थी और 1980 के दशक में इसे बंद कर दिया गया था और बाद में इसने पृथ्वी मिसाइल का विकास किया। दूसरी ओर प्रोजेक्ट वैलेन्ट ने अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के विकास के उद्देश्य से किया। यह भी सफल नहीं था।

डीआरडीओ द्वारा प्रबंधित एक भारतीय रक्षा मंत्रालय ने अन्य सरकारी संगठनों के साथ मिलकर 1980 के दशक की शुरुआत में एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) का शुभारंभ किया। अब्दुल कलाम को इस परियोजना का नेतृत्व करने के लिए कहा गया और 1983 में वह आईजीएमडीपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में डीआरडीओ में लौट आए।

कार्यक्रम में चार परियोजनाओं के विकास के लिए नेतृत्व किया गया, जिसका नाम है शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-सतह मिसाइल (पृथ्वी), शॉर्ट रेंज लो-लेवल सरफेस-टू-एयर मिसाइल (त्रिशूल), मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (आकाश) और थर्ड -विस्फोट रोधी मिसाइल (नाग)।

दुनिया आज चार रैपिड कनेक्टिविटी के माध्यम से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। वे पर्यावरण, लोग, अर्थव्यवस्था और विचार हैं।

अब्दुल कलाम के नेतृत्व में, IGMDP की परियोजना 1988 में पहली पृथ्वी मिसाइल और फिर 1989 में अग्नि मिसाइल जैसी मिसाइलों का उत्पादन करके सफल साबित हुई। इसके कारण उन्हें “भारत के मिसाइल मैन” के रूप में जाना जाता था।

1992 में, उन्हें रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था। कैबिनेट मंत्री के पद के साथ, 1999 में, उन्हें भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।

अब्दुल कलाम ने मई 1998 में पांच परमाणु बम परीक्षण विस्फोटों की एक श्रृंखला पोखरण -2 का संचालन करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई। इन परीक्षणों की सफलता के साथ उन्हें राष्ट्रीय नायक का दर्जा मिला और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को पूर्ण घोषित किया ।

इतना ही नहीं, ए.पी.जे. 1998 में अब्दुल कलाम ने भारत को वर्ष 2020 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए टेक्नोलॉजी विजन 2020 नामक एक देशव्यापी योजना का प्रस्ताव रखा और परमाणु सशक्तिकरण, विभिन्न तकनीकी नवाचारों, कृषि उत्पादकता में सुधार आदि का सुझाव दिया।

2002 में, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सत्ता में था और डॉ. ए.पी.जे. भारत के राष्ट्रपति पद पर अब्दुल कलाम। एक लोकप्रिय राष्ट्रीय व्यक्ति होने के नाते, उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव आसानी से जीत लिया। क्या आप जानते हैं कि 1998 में हृदय रोग विशेषज्ञ सोमा राजू के साथ अब्दुल कलाम ने “कलाम-राजू स्टेंट” नाम से एक कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट विकसित की थी। इसके अलावा 2012 में, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक बीहड़ टैबलेट कंप्यूटर को डिज़ाइन किया गया था जिसे “कलाम-राजू टैबलेट” नाम दिया गया था।

राष्ट्रपति के पद पर एपीजे अब्दुल कलाम:

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  • 10 जून 2002 को एनडीए सरकार ने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की नेता का सुझाव दिया, साथ में कांग्रेस ने अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम लिया।
  • डॉ. अब्दुल कलाम ने 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। वह राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने वाले पहले वैज्ञानिक और पहले स्नातक थे।
  • क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें लगभग 922,884 वोट मिले थे और उन्होंने लक्ष्मी सहगल को हराया था।
  • के आर नारायणन के बाद वे भारत के 11 वें राष्ट्रपति बने। उन्होंने प्रतिष्ठित भारत रत्न प्राप्त किया और 1954 में डॉ. सर्वपाली राधाकृष्णन के बाद सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले तीसरे राष्ट्रपति बने, 1963 में डॉ जाकिर हुसैन को भी यह मिला था।
  • डॉ. अब्दुल कलाम को जनवादी राष्ट्रपति के रूप में भी जाना जाता था।
  •  डॉ कलाम के अनुसार, राष्ट्रपति के रूप में उनके द्वारा लिया गया सबसे कठिन निर्णय ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के बिल पर हस्ताक्षर करने का था।
  • अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान, वह भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के अपने दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध रहे।
  • हालांकि, 21 में से 20 दया याचिकाओं के भाग्य का फैसला करने में उनकी अक्षमता के लिए उनकी आलोचना की गई, जिसमें कश्मीरी आतंकवादी अफजल गुरु भी शामिल थे, जिन्हें दिसंबर 2001 में संसद हमलों के लिए दोषी ठहराया गया था।
  • उन्होंने 2007 में फिर से राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के रूप में पद छोड़ दिया।

ए पी जे अब्दुल कलाम: राष्ट्रपति के बाद का जीवन

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कार्यालय छोड़ने के बाद, डॉ. अब्दुल कलाम ने शैक्षणिक क्षेत्र को चुना और भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर, भारतीय विज्ञान संस्थान के मानद साथी के रूप में विजिटिंग प्रोफेसर बने।

उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुवनंतपुरम के चांसलर, अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और भारत भर में कई अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सहायक के रूप में भी कार्य किया।

सूचना प्रौद्योगिकी को उनके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद में भी पढ़ाया गया और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्ना विश्वविद्यालय में प्रौद्योगिकी पढ़ाई। 2011 में, उन्होंने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर अपने रुख को लेकर नागरिक समूहों द्वारा आलोचना की थी क्योंकि उन्होंने परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का समर्थन किया था और स्थानीय लोगों के साथ बात नहीं करने का आरोप लगाया था।

व्हाट कैन आई मूवमेंट ’एक कार्यक्रम है जिसे भारत के युवाओं के लिए डॉ. अब्दुल कलाम ने भ्रष्टाचार को हराने के एक केंद्रीय विषय के साथ शुरू किया था।

मौत:

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27 जुलाई 2015 को, डॉ. अब्दुल कलाम IIM शिलॉन्ग में एक व्याख्यान दे रहे थे, जहां उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी स्थिति गंभीर हो गई, इसलिए, उन्हें बेथानी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां बाद में कार्डियक अरेस्ट से उनकी मृत्यु हो गई।

30 जुलाई, 2015 को पूर्व राष्ट्रपति को राजकीय सम्मान के साथ रामेश्वरम के पेई करुम्बु मैदान में आराम करने के लिए रखा गया था। क्या आप जानते हैं कि कलाम के अंतिम अनुष्ठान में लगभग 350,000 लोग शामिल हुए, जिनमें भारत के प्रधानमंत्री, तमिलनाडु के राज्यपाल और कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल थे?

ए पी जे अब्दुल कलाम राष्ट्रीय स्मारक:

दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम की याद में भारत के तमिलनाडु के रामेश्वरम के द्वीप शहर में पेई करम्बु में उनके नाम पर एक स्मारक बनाया गया था। 27 जुलाई, 2017 को इसका उद्घाटन भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था।

क्या आप जानते हैं कि इस स्मारक का निर्माण किसने कराया था? इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा बनाया गया था। स्मारक में रॉकेट और मिसाइलों की विभिन्न प्रतिकृति रखी गई है जो डॉ. अब्दुल कलाम के काम को दर्शाता है। साथ ही, उनके जीवन के बारे में कुछ एक्रिलिक चित्रों को भी सैकड़ों चित्रों के साथ प्रदर्शित किया गया है जो डॉ. कलाम के जीवन को दर्शाते हैं।

स्मारक के प्रवेश द्वार पर डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को उन्हें वीणा एक वाद्य यंत्र बजाते हुए दिखाया गया था। इसके साथ दो और प्रतिमाएँ बैठी और खड़ी मुद्रा में हैं।

ए पी जे अब्दुल कलाम: पुरस्कार और उपलब्धियां

  • 1981 में, डॉ. कलाम को भारत सरकार से पद्म भूषण प्राप्त हुआ।
  • 1990 में, डॉ. कलाम को भारत सरकार से पद्म विभूषण प्राप्त हुआ।
  • 1994 और 1995 में, इंस्टीट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स इंडिया और नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज द्वारा प्रतिष्ठित फेलो और मानद फैलो का पुरुस्कार मिला।
  • 1997 में, उन्होंने भारत सरकार से भारत रत्न और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार प्राप्त किया था।
  • 1998 में, भारत सरकार की ओर से वीर सावरकर पुरस्कार।
  • 2000 में, अलवरस रिसर्च सेंटर, चेन्नई से रामानुजन पुरस्कार।
  • 2007 में, उन्हें रॉयल सोसाइटी, U.K द्वारा किंग चार्ल्स II मेडल से सम्मानित किया गया और ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ वॉल्वरहैम्प्टन से डॉक्टरेट ऑफ साइंस किया।
  • 2008 में, उन्होंने एएसएमई फाउंडेशन, यूएसए द्वारा दिए गए हूवर मेडल जीते और नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, सिंगापुर द्वारा डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग प्राप्त किया।
  • 2009 में, द कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, U.S.A ने कलाम को इंटरनेशनल वॉन कर्मन विंग्स अवार्ड, एएसएमई फाउंडेशन, अमेरिका के हूवर मेडल और ओकलैंड यूनिवर्सिटी द्वारा मानद डॉक्टरेट प्रदान किया।
  • 2010 में, वाटरलू विश्वविद्यालय द्वारा इंजीनियरिंग के डॉक्टर। 2011 में, IEEE ने कलाम को IEEE मानद सदस्यता से सम्मानित किया।
  • 2012 में, साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लॉज़। 2013 में, नेशनल स्पेस सोसाइटी द्वारा वॉन ब्रौन पुरस्कार।
  • 2014 में, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस। डॉ. कलाम 40 विश्वविद्यालयों के मानद डॉक्टरेट के प्राप्तकर्ता थे। साथ ही, डॉ. कलाम के 79 वें जन्मदिन को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व छात्र दिवस के रूप में मान्यता दी गई थी। उन्हें 2003 और 2006 में MTV यूथ आइकन ऑफ़ द ईयर के लिए भी नामांकित किया गया था।
  • उनकी मृत्यु के बाद, उन्हें 15 अक्टूबर को तमिलनाडु राज्य सरकार की तरह कई श्रद्धांजलि मिलीं, जो उनके जन्मदिन पर राज्य भर में “युवा पुनर्जागरण दिवस” ​​के रूप में मनाने की घोषणा की गई हैं। इसके अलावा राज्य सरकार ने डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम पुरस्कार की स्थापना की, जिसमें 8 ग्राम स्वर्ण पदक, एक प्रमाण पत्र और 500,000 रूपए थे।
  • 2015 से एक स्वतंत्रता दिवस पर, राज्य के निवासियों को वैज्ञानिक विकास, मानविकी या छात्रों के कल्याण को बढ़ावा देने में उपलब्धियों के साथ प्रतिवर्ष पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
  • साथ ही, डॉ. कलाम के जन्म की सालगिरह पर CBSE ने CBSE पाठ्यक्रम या अभिव्यक्ति श्रृंखला में उनके नाम पर कुछ विषय निर्धारित किए।
  • यही नहीं, 15 अक्टूबर, 2015 को कलाम के जन्म की 84 वीं वर्षगांठ पर, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में DRDO भवन में कलाम की स्मृति में डाक टिकट जारी किया।

ए पी जे अब्दुल कलाम: विरासत

जैसा कि हम जानते हैं कि डॉ अब्दुल कलाम अपने परिवार में सबसे छोटे बच्चे थे और अपने माता-पिता और भाइयों और बहनों के करीबी थे। उन्होंने कभी शादी नहीं की और अपने रिश्तेदारों की पूरी जिंदगी सेवा की। इसमें कोई शक नहीं कि वह सरल जीवन शैली वाले एक बहुत ही सरल व्यक्ति थे। उनके पास वीना और पुस्तकों के संग्रह सहित कुछ संपत्ति थी। वह एक दयालु दिल का आदमी था, शाकाहारी और सादा भोजन करता था।

डॉ अब्दुल कलाम के करीबी एसएम खान के अनुसार एक किताब द पीपुल्स प्रेसिडेंट अब्दुल कलाम कहते हैं, “वह एक सच्चे मुसलमान का जीवन जीते थे लेकिन अन्य सभी धर्मों के लिए उच्च सम्मान रखते थे और उनका मानना ​​था कि मानवतावाद मानव का सबसे बड़ा गुण है।

वह रोजाना नमाज अदा करते हैं लेकिन भागवत गीता भी पढ़ते हैं। वीणा बजाने का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। उनके लिए धर्म एक व्यक्तिगत मामला था और इस बात पर जोर दिया करते थे कि किसी को इसे धूमधाम और दिखावे का मामला नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने इसका इस्तेमाल किया।”

27 जुलाई 2015 को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट शिलांग में एक व्याख्यान देते हुए, वह गिर गया और बेथानी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें कार्डियक अरेस्ट से मृत होने की पुष्टि हुई और 30 जुलाई 2015 को रामेश्वरम के पीयू करुम्बु द्वीप में अंतिम संस्कार किया गया।

ए पी जे अब्दुल कलाम: शैक्षिक और वैज्ञानिक संस्थान

क्या आप जानते हैं कि विभिन्न शैक्षिक, वैज्ञानिक संस्थानों और कुछ स्थानों का नाम डॉ। अब्दुल कलाम के सम्मान में रखा गया है। वे इस प्रकार हैं:

  • कलाम के अंतिम संस्कार के दिन, बिहार राज्य सरकार द्वारा किशनगंज, बिहार में एक कृषि कॉलेज का नाम बदलकर “डॉ. कलाम कृषि महाविद्यालय, किशनगंज” रखा गया।
  • उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय (UPTU) का नाम बदलकर “A.P.J. अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय” कर दिया गया।
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम मेमोरियल त्रावणकोर इंस्टीट्यूट ऑफ डाइजेस्टिव डिजीज, कोल्लम शहर, केरल में एक नया शोध संस्थान है, जो त्रावणकोर मेडिकल कॉलेज अस्पताल से जुड़ा हुआ है।
  • सितंबर 2014 में, भारत और अमेरिका ने फुलब्राइट-कलाम क्लाइमेट फेलोशिप लॉन्च की है। फेलोशिप का संचालन फुलब्राइट कार्यक्रम के तहत बिनेशनल यूएस-इंडिया एजुकेशनल फाउंडेशन (USIEF) द्वारा किया जाएगा।
  • केरल टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, जिसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम में है, जहां कलाम वर्षों तक रहे, उनका नाम बदलकर उनकी मृत्यु के बाद अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय रख दिया गया।

ए पी जे अब्दुल कलाम किताबें

  • इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम (यज्ञस्वामी सुंदरा राजन के साथ सह-लेखक, (1998))
  • विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी (1999)
  • इग्नाइटेड माइंड: अनलीशिंग द पॉवर ऑफ़ इंडिया (2002)
  • द लुमिनस स्पार्क्स (2004)
  • मिशन इंडिया (2005)
  • इंस्पायरिंग थॉट्स (2007)
  • यू बोर्न टू ब्लॉसम: टेक माई जर्नी बियॉन्ड (अरुण तिवारी के साथ सह-लेखक, 2011)
  • परिकल्पना और सशक्त राष्ट्र
  • लक्ष्य 3 बिलियन ए.पी.जे. कलाम और श्रीजन पाल सिंह (दिसंबर 2011)
  • टर्निंग पॉइंट्स: ए जर्नी थ्रू चैलेंजेज (2012)
  • माई जर्नी: ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन एक्शन (2013)
  • मेनिफेस्टो फॉर चेंज: ए सीक्वल टू इंडिया 2020 (वी। पोनराज के साथ सह-लेखक, 2014)
  • शासनकाल: ए.पी.जे द्वारा एक उज्जवल भविष्य के लिए वैज्ञानिक रास्ते (2015)
  • ट्रान्सेंडेंस: माई स्पिरिचुअल एक्सपीरियंस विद प्रमख स्वामीजी (अरुण तिवारी के साथ सह-लेखक, 2015)
  • एडवांटेज इंडिया: चैलेंज टू अपॉर्चुनिटी टू ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और श्रीजन पाल सिंह (2015)
  • गवर्नेंस ऑफ़ ग्रोथ इन इंडिया (2014)

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की आत्मकथाएं

  • इटरनल क्वेस्ट: लाइफ एंड टाइम्स ऑफ डॉ. कलाम (2002)
  • राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा (2002)
  • ए.पी.जे अब्दुल कलाम: द विजनरी ऑफ़ इंडिया (2002)
  • द कलाम इफेक्ट: माई इयर्स विद प्रेसिडेंट (2008)

ए पी जे अब्दुल कलाम: प्रसिद्ध विचार

– “सपने देखें। सपने विचारों में बदल जाते हैं और विचार कार्रवाई में परिणत होते हैं।”

– “यदि आप असफल होते हैं, तो कभी हार न मानें क्योंकि असफल का अर्थ है” सीखने में पहला प्रयास “।

– “अगर आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं। पहले सूरज की तरह जलो। ”

– “हम सभी के पास समान प्रतिभा नहीं है। लेकिन, हम सभी के पास अपनी प्रतिभा विकसित करने का समान अवसर है।”

– “सभी पक्षी बारिश के दौरान आश्रय पाते हैं। लेकिन बाज़ बादलों के ऊपर उड़कर बारिश से बच जाता है।”

– “उत्कृष्टता एक निरंतर प्रक्रिया है और दुर्घटना नहीं है।”

– “क्या हमें एहसास नहीं है कि आत्म सम्मान आत्म निर्भरता के साथ आता है?”

– “भारत के लिए मेरा 2020 का विजन इसे एक विकसित राष्ट्र में बदलना है। वह सार नहीं हो सकता; यह एक जीवन रेखा है। ”…… आदि।

https://www.youtube.com/watch?v=dVOmq9bcMfM

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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bahut he acha biography hai… keep it up…

bahut acha lga bro

Great post really like it a lot.

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मिसाईल मैन डॉ. अब्दुल कलाम की सफलता की कहानी

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अब्दुल कलाम की सफलता की कहानी

अब्दुल कलाम | APJ Abdul Kalam हमारे देश के एक ऐसे महान व्यक्ति थे जिनकी महान उपलब्धियों और विज्ञान के क्षेत्र में असीम योगदान के कारण ही अब्दुल कलाम | APJ Abdul Kalam को “मिसाईल मैन” “Missile Man” भी कहा जाता है 2020 तक विकसित भारत का सपना देखने वाले अब्दुल कलाम | APJ Abdul Kalam का व्यक्तित्व धर्म, जाति से ऊपर था जिसके कारण अब्दुल कलाम हर धर्म हर जाति के लोगो के बीच खासे लोकप्रिय थे उनके इसी महान व्यक्तित्व के कारण अब्दुल कलाम आज हम सभी भारतीयों के लिए जीवन का एक आदर्श है जो हम सभी को अब्दुल कलाम के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके द्वारा दिखाये गये रास्तो से हमे हमेसा आगे बढने की प्रेरणा देते है.

तो आईये आज हम सभी अब्दुल कलाम के जीवन की ऐसी ही कहानिया  Apj Abdul Kalam Ki Kahani को  जानते है जो हम सभी को एक सीख मिलती है जिनसे हम सभी प्रेरणा ले सकते है.

अब्दुल कलाम की पहली अद्भुत और प्रेरक कहानी

Apj abdul kalam life interesting 1 story kahani in hindi, 1 कहानी :- मानवता के प्रति प्रेम.

हमे सभी जीवो चाहे वह इन्सान हो या पशु- पक्षी, सबके प्रति दया का भाव रखना चाहिए इसी की मिशाल पेश करते हुए जब अब्दुल कलाम के जीवन की यह घटना दिखाती है की किस प्रकार अब्दुल कलाम जीवो के प्रति भी अत्यधिक दयालु थे.

बात उन दिनों की है जब अब्दुल कलाम DRDO में कार्यरत थे तब वहा की बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए टूटे कांच के टुकड़े लगाने का सुझाव दिया गया जिस बात की खबर अब्दुल कलाम को भी पता चला तब खुद वहा जाकर अब्दुल कलाम ने ऐसा करने से रोक दिया और वहा के उपस्थित लोगो से कहा की ऐसा करने से जो पक्षी दिवार पर बैठते है वे शीशे के टुकड़े से घायल हो सकते है और इस प्रकार अब्दुल कलाम ने पक्षियों के जीवन के रक्षा के लिए शीशे के टुकड़े नही लगाने दिए इस घटना से पता चलता है की अब्दुल कलाम मानवता के प्रति कितने दयालु थे.

Table of Contents :-

अब्दुल कलाम की दूसरी अद्भुत और प्रेरक कहानी

Abdul kalam ki kahani, 2 कहानी :- जीवन में कभी भी हार न मानना.

वो कहा जाता है न की मन के हारे हार है मन के जीते जीत, अब्दुल कलाम बचपन से पायलट बनना चाहते थे और जिसके लिए उन्होंने देहरादून एयरफोर्स अकादमी में फॉर्म भी भर दिया लेकिन परीक्षा में कम अंक आने से उनका चयन नही हुआ तो इस पर भी अब्दुल कलाम हारे नही और खुद को जीवन में आगे बढ़ाते हुए विज्ञान की दिशा में बढ गये और फिर पूरी दुनिया में एक वैज्ञानिक के रूप में मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध हुए,

भगवान परशुराम की जीवनी इतिहास और उनसे जुडी कथाये

अब्दुल कलाम के जीवन के इस घटना से पता चलता है की क्या हुआ जब हम एक जगह फेल हो रहे है तो हमे उसकी चिंता छोड़कर दूसरी जगह लग जाना चाहिए कही तो सफलता मिलेगी ही न, इसलिए हमे अपने जीवन में कभी भी हार नही मानना चाहिए.

एपीजे अब्दुल कलाम के प्रेरित करने वाले 51 महान विचार

अब्दुल कलाम की तीसरी अद्भुत और प्रेरक कहानी

Apj abdul kalam short story in hindi, 3 कहानी :- संघर्ष से ही आगे बढ़ते है लोग.

अब्दुल कलाम बेहद गरीब मछुवारे परिवार से तालुक्क रखते थे और अपने परिवार की आजीविका चलाने और अपनी पढाई करने के लिए पिताजी का साथ देते हुए बचपन में सडको के किनारे सुबह सुबह अखबार बेचा करते थे भले ही इनके पिताजी ज्यादा पढ़े लिखे नही थे लेकिन कलाम को हमेसा यही शिक्षा देते थे की यदि जीवन में आगे बढना है तो संघर्ष का साथ कभी नही छोड़ना, जितना अधिक संघर्ष करोगे उतना अधिक सफलता भी मिलेगी और इसी संघर्ष के बल पर एक गरीब मछुवारे से देश के राष्ट्रपति के रूप में अपना जीवन सफर किया जो की संघर्ष द्वारा मिली सफलता की एक मिशाल है..

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4 कहानी :- एक समान आदर की भावना

अब्दुल कलाम अपने जीवन में खुद को कभी बड़ा व्यक्ति नही मानते थे वे अपने को सबके बराबर एक समान समझते थे जब उन्हें वाराणसी में आईटीआई के दीक्षांत समारोह में बुलाया गया तो उन्होंने देखा की स्टेज में 5 कुर्सिया लगी हुई है जिनमे बीच वाली कुर्सी बड़ी और उन सबसे ऊची भी थी जिसपर उन्हें बैठने को कहा गया तो कलाम सर ने उसपर बैठने से मना कर दिया और कहा की मै भी आप लोगो के बराबर का ही व्यक्ति हु अगर सम्मान करना है तो इसपर कुलपति जी बैठाईए जिसके बाद अब्दुल कलाम सबके समान वाली कुर्सी पर ही बैठे.

इस तरह अब्दुल कलाम अपने को सबके बराबर ही मानते थे यही नही अपनी इसी समानता के भाव के चलते अब्दुल कलाम कुरान और गीता दोनों का अध्धयन करते थे यानी उनके लिए कोई भी ग्रन्थ छोटा या बड़ा नही था बस ज्ञान जहा से मिले ले लेना चाहिए यही उनकी सोच थी।

अब्दुल कलाम की पाचवी अद्भुत और प्रेरक कहानी

Apj abdul kalam struggle story in hindi, 5 कहानी :- दान की भावना.

जब अब्दुल कलाम का चयन राष्ट्रपति के रूप में हो गया तो कलाम सर ने तुरंत एक चैरिटी को फोन किया और अपनी जीवन भर की जमापूंजी दान कर दी और कहा की आज से मेरा ख्याल तो अब भारत सरकार कर रही है इसलिए जो अब सैलरी भी मिलेगा उसे भी हम दान करते है अब्दुल कलाम खुद कहते थे की “सबसे उत्तम कार्य क्या है ? किसी भूखे को भोजन कराना, जरुरतमन्द की बेहिचक मदद करना, इन्सान के रूप दुसरो के लिए काम आना और किसी दुखी व्यक्ति की सेवा करना ही सबसे उत्तम उअर पूण्य देने वाला कार्य होता है”.

इस तरह अब्दुल कलाम का जीवन सादगी से भरा पड़ा था जो की सभी के लिए जीवन में आगे बढने एक प्रेरणास्रोत्र है.

एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी

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बीएससी मे टॉप करने के एक्कीस बेहतरीन तरीके जो आपको बना...

शेर और सियार की बाल कहानी, ईमानदारी का इनाम जीवन की एक मूल्यवान कहानी, सत्य और ईमान के रास्ते पर चलने वाली ईमानदारी की कहानी.

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  • Droupadi Murmu – an Indian politician, president of India / द्रौपदी मुर्मू
  • Homi Jehangir Bhabha – was an Indian nuclear physicist, founding director, and professor of physics / होमी जहांगीर भाभा
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APJ Abdul Kalam biography in hindi

Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam – Indian Aerospace Scientist and Politician / ए पी जे अब्दुल कलाम

APJ Abdul Kalam biography in hindi – “ सपने वो नहीं होते जो आप सोने के बाद देखते हैं, सपने तो वह होते हैं जो आपको सोने नहीं देते। “

ऐसा कहना है भारत रत्न ए पी जे अब्दुल कलाम(APJ Abdul Kalam) का। जिन्होंने अंतरिक्ष और रक्षा विभाग में भारत को बहुत बड़ा योगदान दिया। जिसे हम शब्दों में बयान करना मुश्किल है। रक्षा विभाग में उनके योगदान की वजह से उन्हें लोग “ मिसाइल मैन “(Missile man of India) के नाम से जानते हैं।

अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक भारत के 11 राष्ट्रपति बने रहे। जिन्हें यह पद टेक्नोलॉजी और साइंस में उनके विशेष योगदान की वजह से मिला, ना की हमारे देश की राजनीति की वजह से। अब्दुल कलाम को यह कामयाबी ऐसे ही नहीं हासिल हुई, इसके पीछे बहुत बड़ा संघर्ष छिपा हुआ है।

अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुस्लिम गरीब परिवार में हुआ था। रामेश्वर पहले मद्रास में था लेकिन अब वह तमिलनाडु राज्य में है। उनके पिता एक नाविक थे और वह रामेश्वरम आए हिंदू तीर्थ यात्रियों को एक छोर से दूसरे छोर ले जाते थे। शुरू से ही उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने की वजह से अब्दुल कलाम को छोटी उम्र में ही परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए काम करना पड़ा। वह अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए स्कूल से आने के बाद न्यूज़पेपर और मैगजीन बेचने का काम करते थे। इतनी मेहनत के साथ-साथ अब्दुल कलाम पढ़ाई में भी अपना मन ध्यान से लगाते थे। उनके अंदर हमेशा कुछ नया सीखने की इच्छा रहती थी।

अब्दुल कलाम ने स्कूल की पढ़ाई अपने पास के ही साधारण से स्कूल से पूरी की। उसके बाद “ तिरू चिल्ला पल्ली ” के “ सेंट जोसेफ कॉलेज ” में दाखिला ले लिया । जहां से उन्होंने 1954 में भौतिक विज्ञान से ग्रेजुएशन किया।

आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के बावजूद भी उनकी लगन व मेहनत को देखते हुए उनके परिवार वालों ने उनका पूरा साथ दिया और आगे की पढ़ाई भी करवाई। अब्दुल कलाम 1955 मे मद्रास आ गए, जहां “मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी” से अंतरिक्ष विज्ञान ( Aerospace engineer) की पढ़ाई की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद अब्दुल कलाम “विज्ञान अनुसंधान एवं विकास संगठन” (DRDO) में वैज्ञानिक के तौर पर चुने गए। वहां पर अब्दुल कलाम ने अपने कैरियर की शुरुआत की। भारतीय वायुसेना के लिए एक छोटे से हेलीकॉप्टर का डिजाइन बनाकर दिया। लेकिन DRDO में कार्य करके वह संतुष्ट नहीं थे क्योंकि यहां पर एक सीमित कार्य होता था जो रोज दोहराना पड़ता था और अब्दुल कलाम एक सीमित काम तक बंधे नहीं रहना चाहते थे। कुछ वर्षों तक काम करने के बाद 1969 में भारतीय अनुसंधान संगठन (ISSRO ) “इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन” में चुने गए । यहां पर भारत की सेटेलाइट परियोजना के डायरेक्टर के तौर पर नियुक्त किए गए। अब्दुल कलाम ने उस परियोजना में सफलतापूर्वक पूरा किया और तभी उन्हें ऐसा महसूस होने लगा कि मैं इसी काम के लिए बना हूं। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक के बाद एक शक्तिशाली मिसाइल बनाकर, अब्दुल कलाम ने भारत को ही नहीं अपितु पूरी दुनिया को दिखा दिया कि हम भारतीय भी किसी से कम नहीं है।

अब्दुल कलाम ने बहुत सी किताबें भी लिखी जिनमें कुछ है — विंग्स ऑफ़ फायर, इंडिया 2020 और ऑटोबायोग्राफी आदि। अब्दुल कलाम को 1981 में “पद्म भूषण” और 1997 में भारत के सबसे लोकप्रिय पुरस्कार “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।

एक अद्भुत वैज्ञानिक के रूप में उनकी उपलब्धि को देखते हुए 2002 में उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया। भारत के राष्ट्रपति के रूप में अब्दुल कलाम ने 2002 से 2007 तक अपने कार्यों को बखूबी अंजाम दिया।

अधिक उम्र होने के बाद भी उन्होंने आराम नहीं किया और जगह- जगह प्रोफेसर के रूप में कार्य करते रहें और अपना पूरा समय, नव युवकों के मार्गदर्शन में लगा दिया। उनका कहना था-

“ आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते, लेकिन अपनी आदतें बदल सकते हैं। हां, यह निश्चित है कि आपकी आदतें, आपका भविष्य बदल देंगी। “

अब्दुल कलाम जी(Missile man of India)ने मानवता की भलाई और मनुष्य का जीवन अधिक सफल बनाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। 27 मई 2015 को अध्यापन कार्य के दौरान ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह हम सब को छोड़ कर चले गए। अब्दुल कलाम का कहना है —

“जीवन में कठिनाइयां हमें बर्बाद करने नहीं आती, बल्कि यह हमारी छुपी हुई सामर्थ्य और शक्तियों को बाहर निकालने में हमारी मदद करती हैं। कठिनाइयों को यह जान लेने दो कि आप उनसे भी ज्यादा कठिन हो”

अब्दुल कलाम जी(Missile man of India)ने मानवता की भलाई और मनुष्य का जीवन अधिक सफल बनाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। 27 मई 2015 को अध्यापन कार्य के दौरान ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह हम सब को छोड़ कर चले गए। अब्दुल कलाम का कहना है —“ जीवन में कठिनाइयां हमें बर्बाद करने नहीं आती, बल्कि यह हमारी छुपी हुई सामर्थ्य और शक्तियों को बाहर निकालने में हमारी मदद करती हैं। कठिनाइयों को यह जान लेने दो कि आप उनसे भी ज्यादा कठिन हो “

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APJ Abdul Kalam Biography in Hindi – ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की जीवनी

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का परिचय – APJ Abdul Kalam Biography in Hindi –

APJ Abdul Kalam Biography in Hindi

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, एक विलक्षण व्यक्तित्व, महान बैज्ञानिक, राजनेता, मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति थे। (apj abdul kalam biography in hindi) उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुसलमान परिवार मैं हुआ था। उनके पिता का नाम जैनुलअबिदीन था, जो की एक नाविक थे और उनकी माता अशिअम्मा एक गृहणी थीं।

उनके परिवार की स्थिति अच्छी नहीं थी जिसके चलते उनको बचपन से ही काम करना पड़ा, पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र वितरण का काम करते थे। स्कूली शिक्षा के समय से ही कलाम पढाई-लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे।

उनके अन्दर सीखने की भूख थी और वो पढाई पर घंटो ध्यान देते थे, उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा “रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल” से पूरी की और बाद में वे तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिए जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया, उसके उपरान्त वो (1955) में मद्रास चले गए। जहाँ उन्होंने “एयरोस्पेस इंजीनियरिंग” की शिक्षा ग्रहण की, 1960 में कलाम साहब ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी कर ली।

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ऐसे ब्याक्तित्व के ब्यक्ति थे जिनको सभी लोग प्यार करते है, आज वो इस दुनिया में नहीं है फिर भी उनको लोग बहुत याद करते है उनको भारत का मिसाइलमैन भी कहा जाता है आज उनके नाम से भारत में कई तरह के एजुकेशनल इंस्टिट्यूट भी बनाये गए है जो उनके महान ब्यक्तित्व को चिन्हित करता है। कलाम साहब एक महान ब्याक्तित्व के बैज्ञानिक एवं राजनेता थे। कलाम साहब का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम था। उनको लोग कलाम के नाम से ज्यादा जानतें थे।

कलाम साहब के बारे में इंग्लिश में पढ़ने ले लिए यहाँ क्लिक करें – A. P. J. Abdul Kalam

APJ अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के प्रतिष्ठित संस्थान डीआरडीओ और इसरो (DRDO & ISRO) में भी काम किया था। उनको लोग एक बहुत ही अच्छा बैज्ञानिक मानते थे साथ में एक अच्छा और जनता का राष्ट्रपति भी। उन्होंने 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम (Missile Development Program) के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। 2002 में कलाम साहब को देश का 11वां राष्ट्रपति चुना गया। राष्ट्रपति का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद वो शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

APJ Abdul Kalam (Biographical Sketch Information) Hindi –

अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम मसऊदी अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम मसऊदी 1970 और 1980 के दशक में अपने कार्यों और सफलताओं से भारत में बहुत प्रसिद्द हो गए थे। एक नजर कलाम साहब के बारे में…

नाम – अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम मसऊदी अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम मसऊदी जन्म – 15 अक्टूबर , 1931 मृत्यु – 27 जुलाई, 2015, शिलोंग, मेघालय धर्म – इस्लाम जन्म स्थान – रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत माता पिता – आशियम्मा जैनुलाब्दीन शिक्षा – सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पेशा – प्रोफेसर, लेखक, वैज्ञानिक एयरोस्पेस इंजीनियर राष्ट्रपति – 25 जुलाई 2002 – 25 जुलाई 2007 पद/कार्य – भारत के पूर्व राष्ट्रपति वेबसाइट – http://www.abdulkalam.com/

APJ Abdul Kalam वैज्ञानिक जीवन –

  • 1972 में कलाम साहब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े।
  • कलाम साहब परियोजना महानिदेशक के रूप में पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाया।
  • 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था।
  • कलाम साहब 1980 के बाद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गये।
  • ISRO लॉन्च व्हीकल Program को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है।
  • कलाम साहब ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया था।
  • इन्होने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था।
  • कलाम साहब July 1992 से Dec 1999 तक Defence Minister के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव भी रहे।
  • इन्होने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता में भी अपना बहुत अधिक योग्यदान दिया था।
  • कलाम ने भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक बनाने के लिए कई प्रयास किये।
  • भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।
  • सन 1982 में कलाम साहब भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये।
  • उन्होंने “गाइडेड मिसाइल” का भी विकास किया।
  • अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय भी काफी हद तक उन्हीं को जाता है।
  • July 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये, उनकी देख रेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।

APJ Abdul Kalam भारत के राष्ट्रपति के रूप में –

  • एपीजे अब्दुल कलाम ने 25 July 2002 को भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया।
  • राष्ट्रपति भवन में जाने वाले देश के पहले बैज्ञानिक और पहले स्नातक बने।
  • अपने 5 साल के कार्यकाल के दौरान, वह भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के अपने दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध रहे।
  • युवा लोगों के साथ एक-से-एक बैठकें आयोजित करने उन्होंने उनको प्रेरित किया, जिसमे उनको सर्वश्रेष्ठ सफलता भी मिली।
  • समय के साथ उनको “जनवादी राष्ट्रपति” के रूप में जाना जाने लगा।
  • 2007 में, उन्होंने फिर से President चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के रूप में पद छोड़ दिया।

APJ Abdul Kalam – पोस्ट प्रेसीडेंसी के रूप में

  • राष्ट्रपति का पद छोड़ने के बाद कलाम साहब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट शिलॉन्ग (IIM Shillong), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद (IIM Ahamdabad) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट इंदौर (IIM Indore) सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों में विजिटिंग प्रोफेसर बने।
  • राष्ट्रपति पद को छोड़ने के बाद कई वर्षों के बाद उनको अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी सिखाते हुए देखा गया उन्होंने BHU और अन्ना विश्वविद्यालय में भी प्रौद्योगिकी के बारे में लोगों को बताया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुवनंतपुरम के चांसलर के रूप में भी कार्य किया।
  • वर्ष 2012 में, उन्होंने युवाओं में एक “देने” (“giving” attitude) के दृष्टिकोण को विकसित करने और छोटे लेकिन सकारात्मक कदम उठाकर उन्हें राष्ट्र निर्माण की दिशा में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ‘व्हाट कैन आई मूवमेंट’ नामक एक कार्यक्रम शुरू किया।

APJ Abdul Kalam पुरस्कार और उपलब्धियां –

  • कलाम साहब को भारत की ओर से पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया था, उन्होंने क्रमशः 1981, 1990 और 1997 के वर्षों में समान प्राप्त किया।
  • वर्ष 1997 में, उन्हें India Govt द्वारा राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • Next Year उन्हें भारत सरकार द्वारा वीर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • Alwar रिसर्च सेंटर, चेन्नई ने वर्ष 2000 में कलाम को रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित किया।
  • वर्ष 2007 में कलाम साहब को रॉयल सोसाइटी, UK द्वारा “किंग चार्ल्स मेडल” से सम्मानित किया गया था।
  • वर्ष 2008 में, उन्होंने ASME फाउंडेशन, यूएसए द्वारा दिया गया हूवर मेडल जीता।
  • California इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए (USA) ने कलाम को वर्ष 2009 में अंतर्राष्ट्रीय वॉन कर्मन विंग्स पुरस्कार से सम्मानित किया।
  • IEEE ने कलाम को वर्ष 2011 में IEEE मानद सदस्यता से सम्मानित किया।
  • कलाम 40 विश्वविद्यालयों (Universities) के मानद डॉक्टरेट के गौरव प्राप्त करने वाले थे।
  • इसके अतरिक्त संयुक्त राष्ट्र द्वारा कलाम के 79 वें जन्मदिन को विश्व छात्र दिवस के रूप में मान्यता दी गई थी।
  • कलाम साहब को वर्ष 2003 और 2006 में MTV यूथ आइकॉन ऑफ़ द ईयर अवार्ड के लिए नामांकित किया गया था।

कलाम साहब द्वारा लिखी गई पुस्तकें – जो पूरी दुनिया के लोग पढ़ते है –

Wings Of Fire, India 2020 – ‘इण्डिया 2020 ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम’, तथा ‘इग्नाटिड माइंड्स– अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’।

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(1350 Words)

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APJ Abdul Kalam Biography- डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी

APJ Abdul Kalam Biography in Hindi: अवुल पकिर जैनुलाब्दीन उर्फ डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती यानी 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 15 अक्टूबर 2023 को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की 92वीं जयंती मनाई जाएगी। तमिलनाडु के रामेश्वरम में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 हुआ। वे भारत के 11वें राष्ट्रपति रहे।

APJ Abdul Kalam Biography- डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी

एपीजे अब्दुल कलाम एक भारतीय एयरोस्पेस वैज्ञानिक थे, जिन्होंने 2002 से 2007 तक भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया था। एपीजे अब्दुल कलाम को 'पीपुल्स प्रेसिडेंट' के रूप में भी जाना जाता है। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन की कहानी काफी संघर्षों से भरा रहा। शिक्षा के प्रारंभिक काल में उन्होंने अखबार बेचकर अपनी पढ़ाई पूरी की और अपने घर परिवार के सदस्यों का पालन-पौषण भी किया। आइए जानते डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की शिक्षा, उपलब्धि, आविष्कार, कोट्स और अन्य महत्वपूर्ण विवरणों के बारे में।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी

महान व्यक्ति हर दिन पैदा नहीं होते हैं; वे एक सदी में एक बार पैदा होते हैं और आने वाले सहस्राब्दियों के लिए याद किए जाते हैं। ऐसे ही एक महान डॉ एपीजे अब्दुल कलाम हैं। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को मद्रास प्रेसीडेंसी के रामेश्वरम में एक गरीब तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था। वह अपने परिवार के साथ तमिलनाडु के मंदिर शहर रामेश्वरम में रहता था, जहाँ उसके पिता जैनुलाब्दीन के पास एक नाव थी और वह एक स्थानीय मस्जिद के इमाम थे। वहीं उनकी मां आशिअम्मा एक गृहिणी थीं।

APJ Abdul Kalam Biography- डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी

कलाम के परिवार में चार भाई और एक बहन थी, जिसमें से वह सबसे छोटे थे। कलाम के पूर्वज धनी व्यापारी और जमींदार थे और उनके पास विशाल भूमि और संपत्ति थी। लेकिन समय के साथ, पंबन ब्रिज के खुलने से तीर्थयात्रियों को लाने और किराने का सामान बेचने के उनके व्यवसाय को भारी नुकसान हुआ। नतीजतन, कलाम का परिवार अपर्याप्त हो गया था और जीवनयापन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था। कम उम्र में, कलाम को अपनी पारिवारिक आय के पूरक के लिए समाचार पत्र बेचना पड़ा।

अब्दुल कलाम की शैक्षिक पृष्ठभूमि

हालांकि कलाम के स्कूल में औसत ग्रेड थे, लेकिन वे बहुत मेहनती थें और उनमें सीखने की इच्छा सबसे ज्यादा थी। उन्होंने अध्ययन में बहुत समय बिताया और गणित में विशेष रुचि विकसित की। कलाम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद श्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल छोड़ दिया और सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली चले गए। सेंट जोसेफ कॉलेज से, उन्होंने 1954 में भौतिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे 1955 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए मद्रास चले गए।

एक वैज्ञानिक के रूप में कलाम

कलाम ने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद 1960 में डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए। उनके करियर की शुरुआत एक छोटा होवरक्राफ्ट डिजाइन करने से हुई। हालाँकि, वह DRDO में नौकरी के अपने विकल्प से आश्वस्त नहीं था। कलाम को 1969 में इसरो में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां वे भारत के पहले उपग्रह वाहन प्रक्षेपण के परियोजना निदेशक थे। उपग्रह वाहन ने जुलाई 1980 में रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया।

कलाम को 1970-90 के दशक के बीच सरकार की LV और SLV परियोजनाएं प्राप्त हुईं। उन्होंने प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वैलिएंट जैसी दो परियोजनाओं का निर्देशन किया, जिसका उद्देश्य सफल एसएलवी कार्यक्रम की तकनीक से बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित करना था, कलाम ने किसी तरह इंदिरा गांधी को आश्वस्त किया और इन एयरोस्पेस परियोजनाओं के लिए गुप्त धन की मांग की। उनके शोध और अपार ज्ञान ने उन्हें और देश को 1980 के दशक में महान ख्याति दिलाई।

इसके बाद कलाम 1992 में रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार बने और सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के पद पर पदोन्नत होने से पहले पांच साल तक उसी पद पर रहे। देश के 1998 के परमाणु हथियारों के परीक्षण में उनकी अपार भूमिका ने भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में मजबूत किया।

APJ Abdul Kalam Biography- डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी

कलाम अब एक राष्ट्रीय नायक बन गए थे, जिन्हें आने वाले युगों तक याद किया जाएगा। हालाँकि, उनके द्वारा किए गए परीक्षणों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भारी हंगामा मचाया। कलाम ने टेक्नोलॉजी विजन 2020 नामक एक राष्ट्रव्यापी योजना को सामने रखा, जो उनके अनुसार 20 वर्षों में भारत के कद को विकासशील से विकसित राष्ट्र में बदलने का एक शानदार तरीका था। योजना ने उन्नत प्रौद्योगिकी को अपनाकर, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करके और जनता की शिक्षा पर जोर देकर राष्ट्र की प्रगति की कल्पना की।

देश के राष्ट्रपति के रूप में अब्दुल कलाम

सर कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बनने के हकदार थे। 25 जुलाई 2002 में वे देश के राष्ट्रपति चुने गयें। उनका कार्यकाल 25 जुलाई 2007 था। कलाम भारी मतों से चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बनें। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधनों ने उन्हें अध्यक्ष पद के लिए नामित किया और इसे समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का समर्थन प्राप्त था। उन्हें प्यार से लोगों का राष्ट्रपति कहा जाता था क्योंकि उन्होंने लोगों के कल्याण के लिए और पूरे देश में अनगिनत काम किए थे।

वह निर्णय लेने और उन्हें लागू करने के लिए पर्याप्त साहसी थें। चाहे वह कठिन हो या संवेदनशील हो या फिर अत्यधिक विवादास्पद हो। "लाभ का पद" शायद वह कठिन अधिनियम है जिस पर उन्हें हस्ताक्षर करना था। 1701 में निपटान के अंग्रेजी अधिनियम के अनुसार "लाभ का पद", यह स्पष्ट करता है कि शाही परिवार के तहत एक पेशेवर स्थापित करने वाला कोई भी व्यक्ति, जिसके पास किसी प्रकार का प्रावधान है या जो राजकुमार से पेंशन ले रहा है, के पास नहीं है "हाउस ऑफ कॉमन्स" के लिए काम करने का अधिकार। यह शाही परिवार को प्रशासनिक स्थितियों पर शून्य प्रभाव डालने की अनुमति देगा।

APJ Abdul Kalam Biography- डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी

वह 2005 में बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए सबसे चर्चित राष्ट्रपति शासन में से एक बन गए थे। कलाम ने एक बार और पद संभालने की इच्छा व्यक्त की लेकिन बाद में अपना विचार बदल दिया।

कार्यालय से विदाई लेने के बाद, वह शिफ्ट हो गए और शिलांग में भारतीय प्रबंधन संस्थान में एक अतिथि प्रोफेसर के रूप में अपना छात्रों को व्याख्यान देना शुरू किया। उन्होंने अन्ना यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। उन्होंने अपनी उपस्थिति और ज्ञान से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंदौर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंगलोर जैसे शैक्षणिक संस्थानों को भी रोशन किया। सर कलाम ने भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम के चांसलर के रूप में कार्य किया। 2012 में, उन्होंने "व्हाट कैन आई गिव?" नामक एक कार्यक्रम शुरू किया। देश से भ्रष्टाचार को मिटाने के विषय पर ध्यान केंद्रित करना।

दिल का दौरा और अब्दुल कलाम का निधन

जैसा कि हम जानते हैं कि पृथ्वी पर जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक न एक दिन मरना ही होता है। लेकिन कुछ लोग देश के लिए अपने योगदान के कारण लाखों लोगों के दिलों में अमर हैं। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक ऐसे व्यक्तित्व ही व्यक्ति थे, जिनका 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया। यह पूरे देश के लिए खासतौर पर युवाओं के लिए एक बेहद दर्दनाक समय था, क्योंकि हर वर्ग के लोगों को प्रेरित करने वाले एक महान व्यक्ति दुनिया छोड़ गये। आपको बता दें कि अब्दुल कलाम आईआईएम शिलांग में एक कार्यक्रम में युवाओं के लिए भाषण दे रहे थें। इस दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे गिर पड़े। हालांकि उन्हें शिलांग के सबसे अच्छे अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए।

APJ Abdul Kalam Biography- डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी

फिर उनके पार्थिव शरीर को एयरलिफ्ट कर गुगाती ले जाया गया और वहां से एयरफोर्स के विमान से नई दिल्ली ले जाया गया। देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और कई अन्य नेताओं ने उनकी आत्मा के लिए प्रार्थना की। इसके बाद उनके शरीर को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में ढक दिया गया और उनके गृहनगर लाया गया। उनके अंतिम संस्कार में करीब 35000 लोगों ने शिरकत की और ऐसी महान व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए एकजुट होकर प्रार्थना की।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के लेखन

डॉ. अब्दुल कलाम एक ऐसे व्यक्ति थे जो न केवल एक महान राजनीतिक नेता थे, बल्कि एक अच्छे शिक्षक और लेखक भी थे। उनमें कई नाजुक गुण और दूरदर्शी थे। उन्होंने हमेशा देश के विकास के लिए एक उत्कृष्ट सपना देखा और महसूस किया कि युवा क्रांति ला सकते हैं। अपने विश्वविद्यालय के करियर के दौरान, उन्होंने अपने प्रेरणादायक भाषण और जबरदस्त दूरदर्शी के माध्यम से कई छात्रों को प्रेरित किया।

इसके अलावा डॉ. कलाम एक महान लेखक थे। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं, जो मुख्य रूप से राष्ट्र के सशक्तिकरण के लिए हैं। उनका भारत का निर्माण 2020 हमारे लिए एक उपहार की तरह था, और उनके पास भारत को एक महाशक्ति बनाने की सभी रणनीतियाँ थीं। इस पुस्तक में, उन्होंने मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में भोजन और विकास, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं, उन्नत सूचना और संचार प्रणाली, अच्छी बुनियादी सुविधाओं, बिजली उत्पादन में पर्याप्तता, कुछ उन्नत प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता जैसे कुछ कारकों पर ध्यान केंद्रित किया था।

Dr APJ Abdul Kalam GK Quiz in Hindi: भारत के

अब्दुल कलाम की उपलब्धियां

अब्दुल कलाम एक महान दिल के व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी जीवन यात्रा के दौरान कई पुरस्कार प्राप्त किए और कई उपलब्द्धियां हासिल कीं। 1981 में अब्दुल कलाम को प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार मिला। 1990 में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार मिला। राष्ट्र के प्रति अपने जबरदस्त प्रयास के कारण प्रसिद्ध व्यक्तित्व को 1997 में भारत रत्न मिला। उसी वर्ष, उन्हें राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने कलाम को 1998 में वीर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित किया।

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कला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनके योगदान के कारण, उन्हें 2000 में सस्त्र रामानुजन पुरस्कार मिला। अंत में, वर्ष 2013 में, प्रतिष्ठित व्यक्तित्व को वॉन से सम्मानित किया गया। नेशनल स्पेस सोसाइटी द्वारा ब्रौन पुरस्कार भी मिला। हालाँकि अब्दुल कलाम का जीवन संघर्षों और कठिनाइयों से भरा था, लेकिन वे विरोधियों से ऊपर उठकर आधुनिक भारत के महानतम वैज्ञानिकों में से एक बन गए। राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका को आने वाली पीढ़ी तक याद रखा जाएगा।

APJ Abdul Kalam Achievements मिसाइल मैन कलाम की 10 बड़ी उपलब्धियां

कलाम की वो आदतें जो हर किसी को अपनानी चाहिए

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अनेकों आदतें थीं, जो हम सबको सीखनी चाहिए। यहां कुछ ऐसी महत्वपूर्ण आदतें हैं जो हम सबको अपनानी चाहिए:

1. समय का महत्व समझना: डॉ. कलाम ने समय के महत्व को हमेशा समझा और समय को महत्वाकांक्षी तरीके से उपयोग किया। वह दृढ़ता से वक्त नियंत्रण करते थे।

2. स्वास्थ्य ध्यान रखना: डॉ. कलाम ने स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण माना और नियमित व्यायाम और आहार पर ध्यान दिया। उनकी यह आदत उन्हें ऊर्जावान और कार्यक्षम बनाए रखने में मदद करती थी।

3. गुणों का मूल्यांकन करना: डॉ. कलाम ने नैतिक मूल्यों और ईमानदारी की महत्वपूर्णता को सदैव उच्च माना। वे यहां तक कि अपने बचपन के दोस्तों से भी गुणों की मूल्यांकन करते थे।

4. सीखने के प्रति उत्साह: डॉ. कलाम ने जीवन भर सीखने का उत्साह बनाए रखा। उनकी अद्भुत जिज्ञासा उन्हें सदैव नवीनता की और बढ़ाती थी।

5. सादगी और मितव्ययिता: डॉ. कलाम ने हमेशा सादगी और मितव्ययिता को अपनाया। वे आपूर्ति के बिना व्यय करने की सिख देते थे और आसानी से खुशी पाने के लिए सादगी की प्रशंसा करते थे।

6. सामरिक आत्मसमर्पण: डॉ. कलाम ने आत्मसमर्पण और सामरिक भूमिका को महत्व दिया। उन्होंने हमेशा देश की सेवा के लिए अपने आप को समर्पित किया और युवाओं को देश के लिए भी समर्पित होने की प्रेरणा दी।

7. संवेदनशीलता और मानवीयता: डॉ. कलाम ने हमेशा संवेदनशीलता और मानवीयता को महत्व दिया। उन्होंने दूसरों की भावनाओं का सम्मान किया और मानवीय संपर्क को मजबूत बनाने का प्रयास किया।

8. स्वयं संयम: डॉ. कलाम ने स्वयं संयम को गहराई से समझा और उसे अपनाया। वे संयमित और आत्मनियंत्रित व्यक्तित्व रखते थे।

9. सहनशीलता: डॉ. कलाम ने सहनशीलता की आदत को अपनाया। उन्होंने जीवन के हर पहलू में चुनौतियों का सामना किया और उन्हें पार किया।

10. सद्भावना और संयोजन: डॉ. कलाम एक बेहद शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। हमेशा सद्भावना को अपनाया और विभिन्न सामुदायिक वर्गों को एकजुट करने का प्रयास किया। उन्होंने एक ऐसे भारत के लिए आदर्श बनाया जहां सभी धर्म, जाति और सामुदायिक वर्गों के लोगों का साथ मिलकर रह सके।

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डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी | APJ Abdul Kalam Ki Biography in Hindi

by admin · Published September 22, 2021 · Updated November 19, 2021

डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी | APJ Abdul Kalam  Ki Biography in Hindi

“सबसे उत्तम कार्य क्या होता है? – किसी इंसान के दिल को खुश करना किसी भूखे को खाना देना जरूरतमंद की मदद करना किसी दुखियारी दुखियारी का दुख हल्का करना और किसी घायल की सेवा करना।” – डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम।

अब्दुल कलाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति होने के साथ-साथ एक जाने-माने वैज्ञानिक और इंजीनियर भी थे। इन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से भी जाना जाता है। अब्दुल कलाम भारत के 11 वें राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। उनसे हमें यह प्रेरणा मिलती है कि – ‘जीवन में चाहे जैसी भी परिस्थिति क्यों ना हो, पर जब आप अपने सपनों को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उन्हें पूरा करके ही रहते हैं।’

उन्होंने चार दशकों तक भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, डीआरडीओ (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो (ISRO) में एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक का पदभार संभाल कर भारत को अपनी सेवाएं दी। इसके अलावा वे भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम एवं सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में शामिल होकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न (भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान) सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

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जीवन परिचय : एक नजर में।

नाम: अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन (ए.पी.जे.) अब्दुल कलाम जन्म : 15 अक्टूबर 1931 जन्म स्थान : धनुषकोडी, रामेश्वरम (तमिलनाडु) पिता : जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम माता : आशिमा जैनुलाब्दीन शिक्षा : सेंट जोसेफ कॉलेज तिरुचिरापल्ली, मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी। राष्ट्रीयता : भारतीय उपनाम : भारत का “मिसाइल मैन” पद : भारत के 11वें राष्ट्रपति (जुलाई 2002 से जुलाई 2007 तक) पेशा : प्रोफेसर, लेखक, वैज्ञानिक, एयरोस्पेस इंजीनियर, राजनितिज्ञ। शौक : किताब पढ़ना, लिखना, वीणा बजाना वैवाहिक जीवन : अविवाहित भाई : कासिम मोहम्मद, मुस्तफा कमल, मोहम्मद मुथु, मीरा लेबाई मारीकायर। बहन : आसिम जोहरा (बड़ी बहन) सम्मान : भारत रत्न निधन : 27 जुलाई 2015

प्रारंभिक जीवन।

अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 में तमिलनाडु में रामेश्वरम के एक छोटे से गांव धनुषकोडी में हुआ। यह एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम अंसार परिवार से संबंध रखते थे। उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम ना तो ज्यादा पैसे वाले थे और ना ही पढ़े लिखे थे। अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम है। उनके पिता मछुआरों को अपनी नाव किराए पर दिया करते थे। अब्दुल कलाम का परिवार एक संयुक्त परिवार में रहते थे, और पांच भाई एवं पांच बहने थी, एवं तीन परिवार का एक संयुक्त परिवार में रहा करते थे। अब्दुल कलाम के माता माता-पिता भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे परंतु उनके द्वारा दिए गए संस्कार और उनकी लगन अब्दुल कलाम के जीवन में बहुत काम आए। इनके पिता का इनके जीवन पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा।

इनकी शिक्षा 5 वर्ष की उम्र में रामेश्वरम की पंचायत के प्राथमिक विद्यालय से शुरू हुई। जब अब्दुल पांचवीं कक्षा में पढ़ रहे थे तब उनके अध्यापक कक्षा में पक्षीयों के उड़ने के तरीके की जानकारी दे रहे थे, लेकिन जब कक्षा में बैठे छात्रों को कुछ समझ नहीं आया तब उनके अध्यापक सभी छात्रों को समुद्र तट पर ले गए, जहां उड़ते हुए पक्षियों को दिखा कर अच्छे से समझाया कि पक्षी कैसे उड़ते हैं। पक्षियों को उड़ते हुए देखकर अब्दुल ने तय कर लिया कि बड़े होकर उन्हें विमान विज्ञान में ही जाना है। अपनी आरंभिक शिक्षा के दौरान अब्दुल कलाम अखबार वितरण करने का काम भी किया करते थे।

वैज्ञानिक जीवन या कैरियर वर्ष 1950 में कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष में अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद वे हावर क्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिए भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान डीआरडीओ में प्रवेश लिया।

वैज्ञानिक जीवन / करियर।

1962 में कलाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो में आए, और यहां उन्होंने सफलतापूर्वक कई प्रक्षेपण परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अलावा 1972 में इसरो (ISRO) के परियोजना निदेशक रहते हुए कलाम ने भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 (SLV-3) के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। जिसके द्वारा जुलाई 1982 में ‘रोहिणी उपग्रह’ सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया, जिससे भारत भी अंतरिक्ष अंतरराष्ट्रीय का सदस्य बन गया।

‘इसरो (ISRO) लॉन्च वह्निकल प्रोग्राम’ का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है। इसके साथ-साथ कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रण प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल) को डिजाइन किया, और उन्होंने ‘अग्नि’ एवं ‘पृथ्वी’ जैसे मिसाइल को भी स्वदेशी तकनीक की मदद से भी बनाया।

जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक कलाम भारतीय रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार एवं सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव भी रहे। 1974 में भारत के द्वारा पहले मूल ‘परमाणु परीक्षण’ ( जो की पूरी तरह से असफल रहा) के बाद 1998 में भारत के पोखरण में दूसरी बार ‘परमाणु परीक्षण’ भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिला कर किया। इस प्रकार भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की। वह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।

भारतीय जनता पार्टी समर्थित ‘एनडीए’ (NDA) के घटक दलों ने कलाम को अपना उम्मीदवार बनाया, जिनका वामदलों के अलावा अन्य सभी दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई 2002 को अब्दुल कलाम के समर्थन में 90% वोट पड़े और पूर्णता बहुमत के साथ कलाम को भारत का 11वां राष्ट्रपति चुना गया।

उन्होंने 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ ली। भारत के राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए अब्दुल कलाम का कार्यकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ।

अब्दुल कलाम अपने व्यक्तिगत जीवन में बेहद अनुशासनप्रिय थे। वेशाकाहारी थे। इन्होंने अपनी जीवनी (बायोग्राफी) ‘विंग्स ऑफ फायर’ भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने के अंदाज में लिखा है। इन्होंने अपनी दूसरी पुस्तक ‘गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ द परपस ऑफ लाइफ’ में अपने आत्मिक विचारों को उद्घघोषित किया है।

तमिल भाषा में इन्होंने कई कविताएं भी लिखी है, और दक्षिण कोरिया में इनकी किताबें बहुत चर्चित है, और इनकी पुस्तकों की काफी मांग भी है। अपनी पुस्तक ‘इंडिया – 2020’ में उन्होंने अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भी कलाम देश को अपनी सेवाएं देते रहे, और भारत के प्रबंधन संस्थान, जो भारत के अहमदाबाद, शिलांग, इंदौर, बेंगलुरु, आदि जगहों पर स्थित है, उनके मानद फैलो एवं एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए।

अब्दुल कलाम जीवन भर अविवाहित रहे। साल 2011 में प्रदर्शित हुई एक हिंदी फिल्म ‘आई एम कलाम’ उनके जीवन से प्रभावित है।

डॉ. कलाम के सिंपलीसिटी की कहानी।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति थे, तो उन्होंने अपने या अपने परिवार के लिए कुछ भी बचा कर नहीं रखा था। अपने राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी और तनख्वाह एक संस्था (ट्रस्ट) के नाम कर दिया था। यह संस्था देश के ग्रामीण इलाकों में बेहतरी के लिए काम करती है।

अमूल के संस्थापक और देश में श्वेत क्रांति लाने वाले डॉ. वर्गीज कुरियन ने डॉ. कलाम से इस बारे में बात करने का सोचा और उनसे पूछा तो, डॉ. कलाम का जवाब था, “क्योंकि; अब मैं देश का राष्ट्रपति बन गया हूं, इसलिए जब तक जिंदा रहूंगा, तब तक सरकार मेरा ख्याल राष्ट्रपति के पद से हटने के बाद भी रखेगी। इसलिए मुझे अपनी तनख्वाह और जमा पूंजी बचाने की क्या जरूरत है, अच्छा है कि यह भलाई के काम आ जाए।”

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के कुछ सकारात्मक विचार।

“इंतजार करने वालों को उतना ही मिलता है जितना कोशिश करने वाले पीछे छोड़ देते हैं।”

आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते, लेकिन अपनी आदतें बदल सकते हैं और निश्चित रूप से आपकी आदतें आपका भविष्य बदल देगी।

यदि चार बातों का पालन किया जाए, “एक महान लक्ष्य बनाया जाए, ज्ञान अर्जित किया जाए, कड़ी मेहनत की जाए और दृढ़ रहा जाए तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है।”

बारिश के दौरान सभी पक्षी आश्रय की तलाश में करते हैं, लेकिन बाज बादलों के ऊपर उठकर बारिश से बचता है। “समस्याएं कॉमन है, लेकिन एटीट्यूड इनमें डिफरेंट पैदा करता है।”

“सपने वह नहीं है जो आप नींद में देखते हैं, सपने तो वह है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।”

जिस दिन हमारे सिग्नेचर ‘ऑटोग्राफ’ में बदल जाए उस दिन मान लीजिए कि आप कामयाब हो गए हैं।

“आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत”, असफलता नामक बीमारी को मारने के लिए सबसे बढ़िया दवाई है।

आप तब तक लड़ना मत छोड़ो, जब तक आप अपनी तय की हुई जगह पर ना पहुंच जाओ। यही एक बात है जो आपको विशेष बनाती है- जिंदगी में एक लक्ष्य रखो, लगातार ज्ञान प्राप्त करो, कड़ी मेहनत करो और महान जीवन को प्राप्त करने के लिए दृढ़ रहो।

“एक अच्छी पुस्तक हजार दोस्तों के बराबर होती है, जबकि एक अच्छा दोस्त एक पूरी एक लाइब्रेरी के बराबर होता है।”

युवाओं को मेरा संदेश है कि, “कुछ अलग तरीके से सोचें, कुछ नया करने का प्रयत्न करें, हमेशा अपने अपना रास्ता खुद बनाए और असंभव को हासिल करें।”

चलिए मैं आप एक लीडर को परिभाषित करता हूं,- “उसमें एक विजन ओर पैशन होना चाहिए और उसे किसी समस्या से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे पता होना चाहिए कि इसे हराना कैसे हैं। सबसे जरूरी, उसे ईमानदारी के साथ काम करना चाहिए।”

सफलता के बारे में।

सफलता के बारे में बात करने पर एक बार डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा था कि –

हर सुबह जगते ही ये पांच बातें अपने आप से कहें : मैं सबसे अच्छा हूं। मैं यह काम कर सकता हूं।

भगवान हमेशा मेरे साथ है। मैं एक विजेता (winner) हूं। आज का दिन मेरा दिन है।

27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में ‘रहने योग्य ग्रह’ पर एक व्याख्यान देने के दौरान, मंच पर ही दिल का दौरा पड़ा और वे बेहोश होकर मंच पर ही गिर पड़े। शाम के लगभग 6:25 बजे अब्दुल कलाम को गंभीर हालत में स्थानीय अस्पताल में लाया गया, और 2 घंटे बाद इनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।

अपने निधन से लगभग 9 घंटे पहले ही उन्होंने ट्वीट कर यह जानकारी दी थी कि, वह शिलांग आई आई एम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं।

अस्पताल के सीईओ जॉन साइलो ने बताया कि, “जब कलाम को अस्पताल लाया गया था, तब उनकी नब्ज और ब्लड प्रेशर में कोई हलचल नहीं हो रही थी और लगभग 2 घंटे बाद कलाम की मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।”

28 जुलाई 2015 को उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली लाया गया। पालम हवाई अड्डे पर सुरक्षा बलों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ कलाम के पार्थिव शरीर को विमान से उतारा। वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इनकी अगवानी की और कलाम के पार्थिव शरीर को पुष्पांजलि अर्पित किए।

तिरंगे में लिपटे कलाम के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ उनके आवास 10, राजाजी मार्ग पर ले जाया गया, जहां पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ-साथ कई अन्य राजनीतिक पार्टियों के बड़े-बड़े नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की।

30 जुलाई 2015 को पूर्व राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ उनके गांव रामेश्वरम के ‘पी करूंबु ग्राउंड’ में दफनाया गया, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तमिलनाडु के राज्यपाल एवं केरल व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों सहित राज्य के 3 लाख 50 हजार से अधिक लोगों ने उनके अंतिम संस्कार में भाग लेकर उन्हें अंतिम विदाई दी।

अब्दुल कलाम के निधन पर देश-विदेश से कई बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं ने अपने शोक प्रतिक्रियाएं व्यक्त की, जिनमें दलाई लामा, दक्षिण एशियाई नेताओं, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा, श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्री पाल सिरीसेना, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति असीलो मुंबई ना कोई योनो सुसीलो बम्बनग युधोयोनो, मलेशियाई प्रधानमंत्री नजीब रजाक, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायेद अल नहयान, संयुक्त अरब अमीरात के प्रधानमंत्री और दुबई के शासक सहित राष्ट्रपति एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने अब्दुल कलाम की उपलब्धियों को याद कर अपना शोक व्यक्त किया।

अब्दुल कलाम के निधन पर ‘गूगल’ ने भी अपने सर्च इंजन के मुख्य पृष्ठ पर काला रिबन दिखाते हुए उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।

अब्दुल कलाम ने अपने विचारों को साहित्यक रुप से चार पुस्तकों में बताया है, जो इस प्रकार हैं — इंडिया – 2020 : अ विजन फॉर द न्यू मिलेनियम। (1998) माय जर्नी।

इंटीग्रेटेड माइंडस – अनलीश द पावर विदिन इंडिया। (2002) इंडिया – माई ड्रीम्स।

द ल्यूमिनियर्स स्पार्क्स : ए बायोग्राफी इन्वर्स एंड कलर्स। (2004) मिशन ऑफ इंडिया : अ विजन ऑफ इंडियन यूथ। (2005)

इंस्पायरिंग थॉट्स : कोटेशन सीरीज। (2007)

आत्म-कथाएं।

विंग्स ऑफ फायर : एन ऑटोबायोग्राफी ऑफ एपीजे अब्दुल कलाम (सह लेखक – अरुण तिवारी)

साइंटिस्ट टू प्रेसिडेंट माय जर्नी (मेरी जीवन यात्रा)

अब्दुल कलाम की जीवनी एवं जीवन के विविध पहलुओं पर अन्य लेखकों द्वारा भी कई पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं।

सम्मान एवं पुरस्कार।

1981 : पद्म भूषण, भारत सरकार द्वारा 1990 : पद्म विभूषण, भारत सरकार द्वारा 1994 : विशिष्ट शोधार्थी, इंस्टिट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा

1997 : भारत रत्न, भारत सरकार द्वारा 1998 : वीर सावरकर पुरस्कार, भारत सरकार द्वारा 2007 : डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि वूल्लरहैंपटन विश्वविद्यालय, यूके द्वारा

2007 : किंग्स चार्ल्स मेडल, रॉयल सोसायटी यूके द्वारा 2009 : मानद डॉक्टरेट, ऑकलैंड विश्वविद्यालय द्वारा 2014 : डॉक्टर ऑफ साइंस, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय द्वारा

इसके अलावा और भी बहुत से सम्मान से सम्मानित किए जा चुके हैं भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के कुछ अनमोल विचार

अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो, तो पहले सूरज की तरह जलो।
इससे पहले कि सपने सच हों, आपको सपने देखने होंगे।
इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए यह जरूरी है।
“महान सपने देखने वालों के, महान सपने हमेशा पूरे होते हैं।”
एक छात्र का सबसे महत्वपूर्ण गूण यह है कि, वह हमेशा अपने अध्यापक से सवाल पूछे।
अपने मिशन में कामयाब होने के लिए आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित एवं निष्ठावान होना पड़ेगा।
छोटा लक्ष्य अपराध है, “महान लक्ष्य होना चाहिए।”
शिखर तक पहुंचने के लिए ताकत की जरूरत होती है, चाहे वह माउंट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का।
क्या हम यह नहीं जानते कि, “आत्मसम्मान आत्मनिर्भरता के साथ आता है?”
किसी भी मिशन की सफलता के लिए रचनात्मक नेतृत्व आवश्यक है।
जो अपने दिल से काम नहीं कर सकते, वे हासिल तो करते हैं- लेकिन बस खोखली चीजें। अधूरे मन से मिली सफलता अपने आसपास कड़वाहट पैदा करती है।
यदि हम स्वतंत्र नहीं हैं, तो कोई भी हमारा आदर नहीं करेगा।
खुश रहने का एक ही मंत्र है, “उम्मीद बस खुद से रखो किसी और से नहीं।”
मेरे लिए नकारात्मक अनुभव जैसी कोई चीज नहीं है।
राष्ट्र लोगों से मिलकर बनता है, और उनके प्रयास से। कोई राष्ट्र जो कुछ भी चाहता है उसे प्राप्त कर सकता है।
आकाश की तरफ देखे, हम अकेले नहीं हैं सारा ब्रह्मांड हमारे लिए अनुकूल है और हम जो सपने देखते हैं और मेहनत करते हैं, उन्हें यह प्रतिफल देने की साजिश करता है।
मुझे पूरा विश्वास है कि, जब तक किसी ने नाकामयाबी की कड़वी गोली ना चखी हो, वह कामयाबी के लिए पर्याप्त महत्वाकांक्षा नहीं रख सकता।
आपका दिमाग ही आप की सबसे बड़ी समस्या है। यह उन वजहों को पकड़-पकड़ कर लाता है, जो बेवजह है।
मनुष्य के लिए कठिनाईयाँ बहुत जरूरी हैं, क्योंकि उनके बिना असफलता का आनंद नहीं लिया जा सकता।
हम केवल तभी याद किए जाते जाएंगे, जब हमारी युवा पीढ़ी को एक समृद्ध और सुरक्षित भारत दें, जो आर्थिक समृद्धि और सभ्यता की विरासत का परिणाम होगा।
राष्ट्र लोगों से मिलकर बनता है और उनके प्रयासो से, कोई राष्ट्र जो कुछ भी चाहता है, उसे प्राप्त कर सकता है।
जीवन एक कठिन खेल है, आप एक व्यक्ति होने के अपने जन्मसिद्ध अधिकार को बनाए रखकर इसे जीत सकते हैं।
पक्षी अपने ही जीवन और प्रेरणा द्वारा संचालित होते हैं।
किसी भी मिशन की सफलता के लिए – रचनात्मक नेतृत्व आवश्यक है।
एक महान शिक्षक बनने के लिए तीन बातें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है- ज्ञान, जुनून और करुणा।
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डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जीवनी – Biography of A. P. J. Abdul Kalam in Hindi Jivani

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Reported by Saloni Uniyal

Published on 20 April 2024

इस लेख में हम आपको अबुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम के बारे में बताने जा रहे है जिन्हे हम डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी के नाम से जानते है तथा भारत में इन्हें मिसाइल मैन ऑफ इण्डिया के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दे यह भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में भी कार्यभार संभाल चुके है। यह भारत के एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ भी रह चुके थे। परमाणु शक्ति को मजबूत बनाने के लिए भी इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज इस लेख में हम आपको डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जीवनी (Biography of A. P. J. Abdul Kalam in Hindi Jivani) से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी को विस्तार पूर्वक साझा करने वाले है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जीवनी - Biography of A. P. J. Abdul Kalam in Hindi Jivani

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का प्रारंभिक जीवन

Abdul Kalam का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित गांव धनुषकोडी में हुआ था। यह एक मुस्लिम परिवार था। आपको बता दे इनका पूरा नाम अबुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। अब्दुल के पिता का नाम जैनुलाब्दीन जो कि नावों को किराये पर देने और उनको बेचने का व्यवसाय करते थे तथा माता माता का नाम असिंमा था।

यह भी देखें- गुरपतवंत सिंह पन्नू कौन है जानें जीवनी – Khalistani Gurpatwant Singh Pannu Died

अब्दुल के चार भाई बहन थे, तीन बड़े भाई तथा 1 बड़ी बहन अर्थात अब्दुल सभी भाई बहनों में सबसे छोटे थे। एक गरीब परिवार और आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण अब्दुल पहले ही घर की जिम्मेदारियों को समझने लग गए। इन्होने 10 साल की उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया ये अखबार बेचते थे ताकि ये अपने पापा की आर्थिक मदद में सहायता कर सके। इनको गणित विषय पढ़ना पसंद था।

Biography of A. P. J. Abdul Kalam in Hindi Jivani

नाम
पूरा नामअबुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम
राष्ट्रीयताभारतीय
जन्म15 अक्टूबर 1931
माताअसिंमा
पिताजैनुलाब्दीन
जन्म स्थानधनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु (भारत)
मृत्यु27 जुलाई 2015
पेशालेखक, प्रोफेसर, इंजीनियर, राजनीतिज्ञ तथा वैज्ञानिक
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
राष्ट्रपति का कार्यकाल25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक

रामानाथपुरम, तमिलनाडु के Schwartz Higher Secondary School से अपनी प्रारंभिक मैट्रिक की शिक्षा ग्रहण की थी। स्कूल में अब्दुल कलाम को सबसे अच्छे अध्यापक अयादुरै सोलोमन लगते थे इनके विचारों से ये अत्यधिक प्रभावित थे। जब इन्होने 10वीं पास कर लिया था उसके पश्चात ये वर्ष 1954 में तिरुचिरापल्ली चले गए और वहां इन्होने सेंट जोसेफ कॉलेज से इन्होने BSC की डिग्री भौतिक विज्ञान के विषय में प्राप्त की।

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यह भी देखें- अल्बर्ट आइंस्टीन जीवनी – Biography of Albert Einstein in Hindi Jivani

यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1955 में मद्रास के इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी इन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कॉलेज में इन्होने अपना प्रवेश ले लिया और अपनी पढ़ाई को पूरा किया परन्तु परीक्षा में उनका 9वां स्थान आया परन्तु IAF ने केवल 8 ही परिणाम घोषित किये थे जिसके कारण उन्हें इसमें विजय हासिल नहीं हुई।

जब इनकी स्नातक की पढ़ाई पूरी हो गई थी तो उसके बाद इन्हे लौ लेवल अटैक एयरक्राफ्ट का प्रोजेक्ट मिला और उन्होंने इसे बनाया परन्तु जो उनके प्रोफ़ेसर थे उन्हें उनका प्रोजेक्ट मॉडल सही नहीं लगा। उनको अब तीन दिन का समय दिया और एक नया प्रोजेक्ट बनाने के लिए दिया। उन्होंने इस बार प्रोजेक्ट बनाने के लिए खूब मेहनत की और अंत में प्रोफेसर का यह प्रोजेक्ट मॉडल अत्यंत पसंद आया।

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अब्दुल कलाम व्यवसाय (Career)

अब्दुल कलाम ने जब अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली थी। अब वे वर्ष 1958 में रक्षा अनुसन्धान तथा विकास संगठन में शामिल होने के लिए आये ताकि वे मद्रास इंस्टिट्यूट इन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग से अपनी डिग्री हासिल हर सके। इसके पश्चात अब्दुल कलाम ISRO में वर्ष 1969 में शामिल होने गए और वहां वे निर्देशक बन गए और अपने कार्य भार को संभालने लग गए। इसी पद पर काम करते करते उन्होंने मिलकर वर्ष 1980 में प्रथम उपग्रह रोहिणी पृथ्वी की कक्षा में आधारित किया गया था।

अब्दुल जी ने कई मिसाइल बनाई जिनमे से कई सफल भी हुई और वे दुबारा से DRDO में वर्ष 1982 में शामिल होने चले गए। आपको बता दे कलाम जी रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक कंसलटेंट की भूमिका वर्ष 1992 से 1997 तक निभा रहे थे। साथ ही वर्ष 1998 में इन्होने परमाणु शक्ति बढ़ाने पर भी कार्य किया। फिर इन्होने वैज्ञानिक सलाहकार का भी कार्य किया यह कैबिनेट मंत्री के साथ सरकार का कार्य सँभालते थे इन्होने अपना कार्य 1999 से वर्ष 2001 तक किया।

भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में अब्दुल कलाम जी ने वर्ष 2002 में चुने गए थे तथा कार्यकाल 2007 तक रहा था।

A. P. J. Abdul Kalam अवार्ड्स

अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल जी ने अपने जीवन में कई महान कार्य किए है जिनसे कई लोगो को सफलताएं भी प्राप्त हुई। इनको सम्मान के रूप में कई प्रकार के पुरूस्कार प्राप्त हुए जिनकी जानकारी नीचे निम्न प्रकार से दी हुई है।

  • वर्ष 1981 में विज्ञान क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए अब्दुल कलाम जी को भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण पुरूस्कार तथा 1990 में पद्म विभूषण पुरूस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • वर्ष 1997 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से रक्षा अनुसन्धान क्षेत्र के उल्लेखनीय योगदान के लिए तथा इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा सम्मानित किया गया था।
  • वीर सावरकर अवार्ड् से वर्ष 1998 में Kalam को सम्मानित किया गया था।
  • अल्वारेज शोध संस्थान चेन्नई द्वारा वर्ष 2000 में रामानुज अवार्ड् प्रदान किया गया।
  • अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी द्वारा डॉक्टर ऑफ़ साइंस की उपाधि वर्ष 2008 में इसके अतिरिक्त डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग अवार्ड नानयांग टेक्नॉलॉजिकल विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किया गया था।
  • वोन कॉम विंग्स अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड को तथा ऑकलैंड विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि वर्ष 2009 में प्रदान की गई थी।
  • साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2012 में अब्दुल कलाम जी को डॉक्टर ऑफ़ लॉज मानद उपाधि प्रदान की गई थी।
  • वर्ष 2014 में डॉक्टर ऑफ़ साइंस की उपाधि से सम्मानित किया गया।

A. P. J. Abdul Kalam जी की प्रसिद्ध पुस्तके

अब्दुल कलाम जी ने बहुत सारी पुस्तके लिखी है जिनमे उन्होंने अपने विचारों को व्यक्त किया है। A. P. J. Abdul Kalam जी की प्रसिद्ध पुस्तके नीचे निम्न प्रकार से दी हुई है।

  • इण्डिया 2020: ऐ विजन फॉर द न्यू मिलेनियम
  • गर्वर्नेस फॉर ग्रोथ इन इण्डिया
  • फेलियर टू सक्सेस: लेजेंडरी लिव्स
  • द गाइडिंग लाइट
  • टारगेट 3 बिलियन
  • विंग्स ऑफ़ फायर
  • इन्डोमेटेवल स्पिरिट
  • मैनिफेस्टो फॉर चेंज
  • यू आर यूनिक: स्केल न्यू हाइट्स बाए थॉट्स एंड एक्शनस
  • स्पिरिट ऑफ़ इंडिया
  • ट्रेगनिटेड: सइंटिफ़िक पाथवेयस टू ए ब्राइटर फ्यूचर
  • द फॅमिली एंड द नेशन
  • द लुमिनीउस स्पार्क्स: ए बायोग्राफी इन वर्स एंड कलर्स
  • इग्नाइटेड माइंडस: अनलेशिंग द पॉवर वीथिन इंडिया
  • यू आर बोर्न टू ब्लॉसम टेक माय जर्नी बियोडस
  • गाइडिंग सोल्स: डायलॉग्स ऑन द पर्पज ऑफ़ लाइफ
  • द साइंटिफिक इंडिया: ए ट्वंटी फर्स्ट सेंचुरी गाइड टू द वर्ल्ड अराउंड अस
  • मिशन ऑफ़ इंडिया: ए विजन ऑफ़ इंडिया यूथ
  • यू आर बोर्न टू ब्लॉसम: तक माय जर्नी बियॉन्ड
  • फोर्ज योर फ्यूचर: कैंडिड, फोर्थराइट, इंस्पायरिंग
  • माय जर्नी: ट्रान्फोर्मिंग ड्रीम्स इनटू एक्शन्स

A. P. J. Abdul Kalam की मृत्यु 27 जुलाई 2015 को 84 वर्ष की आयु में हुई थी। इससे पहले वे उस दिन भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेनेजमेंट के एक कार्यक्रम में योग्य ग्रह पर एक भाषण दे रहे थे, अचानक भाषण देते ही उन्हें चक्कर आया और वे गिर पड़े और बेहोश हो गए। जल्दी से उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया और वहां पता चला कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है और कुछ घंटों में उनकी मृत्यु हो गई।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जीवनी से सम्बंधित प्रश्न/उत्तर

A. P. J. Abdul Kalam का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

A. P. J. Abdul Kalam का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकुंडी गांव में हुआ था।

Abdul Kalam भारत के राष्ट्रपति कब बने?

वर्ष 2002 में भारत के 11वें प्रधानमंत्री के रूप में Abdul Kalam भारत के राष्ट्रपति बने थे।

Abdul Kalam की माता का क्या नाम था?

Abdul Kalam की माता आसीम्मा था।

Abdul Kalam की मृत्यु कब हुई?

Abdul Kalam की मृत्यु 27 जुलाई 2015 को हुई थी।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का असली नाम क्या था?

अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का असली नाम था।

जैसा कि हमने आपको अपने इस आर्टिकल के लेख में Biography of A. P. J. Abdul Kalam in Hindi Jivani से सम्बंधित जानकारी को साझा कर दिया है यदि अपने इस लेख से सम्बंधित कोई अन्य जानकारी या प्रश्न पूछना चाहते है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट सेक्शन में अपना प्रश्न लिख सकते है। इसी तरह जानकारी जानने के लिए हमारी साइट से ऐसे ही जुड़े रहे। उम्मीद करते है कि आपको हमारे लिखे गए लेख से जानकारी जानने में सहायता मिली होगी और आपको यह लेख पसंद आया हो।

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डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 11 सर्वश्रेष्ठ किताबें | A.P.J Abdul Kalam Books Hindi

A.P.J. Abdul Kalam Books in Hindi / डॉ   ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम जिन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और इंजीनियर के रूप में विख्यात थे। उनका पूरा नाम अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम हैं। जो व्यक्ति किसी क्षेत्र विशेष में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है, उसके लिए सब सहज हो जाता है और कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता। अब्दुल कलाम इस उद्धरण का प्रतिनिधित्व करते नज़र आते थे। उन्होंने विवाह नहीं किया था। उनकी जीवन गाथा किसी रोचक उपन्यास के नायक की कहानी से कम नहीं है। चमत्कारिक प्रतिभा के धनी अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व इतना उन्नत था कि वह सभी धर्म, जाति एवं सम्प्रदायों के व्यक्ति नज़र आते थे। डॉक्टर कलाम ने साहित्यिक रूप से भी अपने विचारों को बहुत सारे पुस्तकों में समाहित किया है। आइये जाने एपीजे अब्दुल कलाम लिखी पुस्तके..

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पुस्तकें - A.P.J. Abdul Kalam Best Seller Books in Hindi

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पुस्तकें – A.P.J. Abdul Kalam Best Seller Books in Hindi

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भारत के एक महान वैज्ञानिक थे, जिन्हें 30-35 से अधिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी है। वह एक ऐसे स्वीकार्य भारतीय थे, जो सभी के लिए ‘एक महान् आदर्श’ बन चुके हैं। विज्ञान की दुनिया से देश का प्रथम नागरिक बनना कपोल कल्पना मात्र नहीं है, क्योंकि यह एक जीवित प्रणेता की सत्यकथा है।

ऐसे जीवन कथा वाक्य प्रेरणा के श्रोत हैं। उनके विचार, उद्धरण उन्होंने किताबो के जरिये व्यक्त किया हैं। एपीजे अब्दुल कलाम की किताबे सच में दिल छू जाती हैं। मैंने खुद उनकी कई किताबे पढ़ी हैं उनके किताबे पढ़ने के बाद जीवन में अलग उत्साह मिलता हैं। यहाँ पर अब्दुल कलाम की कुछ पुस्तकों की सूचि दे रहा हूँ। मैं चाहता आप भी एक बार जरूर पढ़े।

हालांकि ये Books आप कहीं से भी खरीद सकते हैं पर मेरा Personal Experience है कि इन्हे Online Flipkart या Amazon से खरीदना आसान है और सस्ता भी पड़ता है। और यदि आप ये किताबें गिफ्ट करना चाहते हैं तो भी आप buy करते समय कोई भी शिपमेंट एड्रेस दे कर के मनचाही जगह पर किताबें भेज सकते हैं।

A.P.J Abdul Kalam ki Book List in Hindi – एपीजे अब्दुल कलाम की किताबें 

1). विंग्स ऑफ फायर (wings of fire)   (एपीजे अब्दुल कलाम साहब की जीवनी/autobiography) .

Writer –  A.P.J. Abdul Kalam and Arun Tiwari

इस पुस्तक में एपीजे अब्दुल कलाम साहब की आत्मकथा है। इसके सह-लेखक अरुण तिवारी जी हैं। इसमें डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बचपन से लेकर लगभग 2000 तक के जीवन सफर के बारे में विस्तार से बताया गया है। यह पुस्तक कई भाषाओ में प्रकाशित हुवा हैं।

यहां से ख़रीदे –

>> buy now from amazon (hindi), >> buy now from amazon (english), >> buy now from flipkart, 2). इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम (india 2020: a vision for the new millennium).

Writer –  A.P.J. Abdul Kalam and Y.S. Rajan

अ विज़न फॉर द न्यू मिलेमियम भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा लिखित एक बेस्ट सेलर किताब है। यह किताब उन्होंने अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल से पहले ही लिखी थी। और उनके किताबों में सबसे अच्छी किताब हैं।

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3). इग्नाइटेड माइंड्स: ऑन लीजिंग द पॉवर विदिन इंडिया (ignited minds: unleashing the power within india).

Writer –  A.P.J. Abdul Kalam

इग्नाइटेड माइंड्स: ऑन लीजिंग द पॉवर विदिन इंडिया एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा लिखी बेस्ट बुक हैं। इस बुक को उन्होंने अपने राष्ट्रपति कार्यालय के समय लिखा था।

4). टर्निंग पॉइंट्स: ए जर्नी थ्रू चैलेंजेस (Turning Points: A Journey Through Challenges)

यह किताब डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की सर्वश्रेष्ठ किताब है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे और इन पाँच वर्षों के चुनौतियों और अनुभवों की कहानी है ‘टर्निंग प्वॉइंट्स’ किताब। रोचक प्रसंगों, संस्मरणों, राजनीतिक मुद्दों, और भारत को 2020 तक विकसित बनाने की योजना का पूरा ब्योरा इस किताब में दिया हैं।

5). द ल्यूमिनस स्पार्क्स: ए बायोग्राफी इन वर्स एंड कलर्स (The Luminous Sparks: A Biography in Verse and Colours)

6). गाइडिंग सोल्स: डायलॉग्स ऑन द पर्पस ऑफ लाइफ (guiding souls: dialogues on the purpose of life).

Writer –  A.P.J. Abdul Kalam and Arun Tiwari

7). मिशन ऑफ इंडिया: ए विजन ऑफ इंडियन यूथ (Mission of India: A Vision of Indian Youth)

8). इन्स्पायरिंग थॉट्स: कोटेशन सीरिज (inspiring thoughts: quotation series), 9). यू आर बोर्न टू ब्लॉसम: टेक माई जर्नी बियोंड (you are born to blossam: take my journey beyond), 10). फेलियर टू सक्सेस: लीजेंडरी लाइव्स (failure to success: legendary lives), 11). इन्डोमिटेबल स्प्रिट (indomitable spirit), a.p.j abdul kalam books in hindi for students.

  • इंडिया 2020: ऐ विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम (India 2020: A Vision for the New Millennium)
  • विंग्स ऑफ़ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी (Wings of Fire)
  • इग्नाइटेड माइंडस: अन्लेशिंग द पॉवर विथिन इंडिया (Ignited Minds: Unleashing the Power Within India)
  • द लुमिनिउस स्पार्क्स: ए बायोग्राफी इन वर्स एंड कलर्स (The Luminous Sparks: A Biography in Verse and Colours)
  • गाइडिंग सोल्स : डायलॉग्स ओन द पर्पज ऑफ़ लाइफ (Guiding Souls : Dialogues on the Purpose of Life)
  • मिशन ऑफ़ इंडिया: ए विज़न ऑफ़ इंडिया यूथ (Mission India: A Vision For Indian Youth)
  • यू आर बोर्न टू ब्लॉसम: टेक माय जर्नी बियॉन्ड (You Are Born to Blossom: Take My Journey Beyond)
  • द साइंटिफिक इंडिया: ए ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी गाइड टू द वर्ल्ड अराउंड अस (The Scientific Indian : A Twenty-First Century Guide To The World Around Us)
  • फेलियर टू सक्सेस: लेजेंडरी लिव्स (Failure to Success)
  • टारगेट 3 बिलियन (Target 3 Billion)
  • टर्निंग पॉइंट्स: ए जर्नी थ्रू चैलेंजस (Turning Points · A Journey Through Challenges)
  • इन्डोमिटेवल स्पिरिट (Indomitable Spirit)
  • स्पिरिट ऑफ़ इंडिया (Spirit of India)
  • थॉट्स फॉर चेंज: वी कैन डू इट (Thoughts for Change: We Can Do it )
  • माय जर्नी : ट्रांस्फोर्मिंग ड्रीम्स इनटू एक्शनस (‘My Journey: Transforming Dreams into Actions)
  • गवर्नेंस फॉर ग्रोथ इन इंडिया (Governance for Growth in India)
  • मैनिफेस्टो फॉर चेंज (Manifesto for Change)
  • फोर्ज योर फ्यूचर: कैंडिड , फोर्थराईट, इंस्पाइरिंग (Forge your Future)
  • ब्योंड 2020: ए विज़न फॉर टुमारो इंडिया (Beyond 2020: A Vision For Tomorrow’s India)
  • द गाइडिंग लाइट: ए सिलेक्शन ऑफ़ कोटेशन फ्रॉम माई फेवरिट बुक्स (The Guiding Light: A Selection of Quotations from My Favourite Books)
  • रेगनिटेड: साइंटिफिक पाथवेयस टू ए ब्राईटर फ्यूचर (Reignited: Scientific Pathways to a Brighter Future)
  • द फैमिली एंड द नेशन (The Family and The Nation)
  • ट्रांस्सन्देंस माई स्पिरिचुअल एक्सपीरियंसीस (Transcendence: My Spiritual Experiences)

APJ Abdul Kalam Book Wings of Fire in Hindi

Wings of Fire APJ Kalaam Book

विंग्स ऑफ फायर: एन आटोबायोग्राफी ऑफ एपीजे अब्दुल कलाम, भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की आत्मकथा है। इसके सह-लेखक अरुण तिवारी हैं। इसमें अब्दुल कलाम के बचपन से लेकर लगभग 1999 तक के जीवन सफर के बारे में बताया गया है। मूल रूप में अंग्रेजी में प्रकाशित यह किताब, विश्व की 13 भाषाओ में अनूदित हो चुकी है। यह भारत की बेस्ट सेलर बुक में एक हैं।

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Q. अब्दुल कलाम का पूरा नाम?

अवुल पकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम

Q. अब्दुल कलाम का जन्म कब हुआ?

15 October 1931

Q. अब्दुल कलाम की मृत्यु कब हुई?

27 July 2015

Q. एपीजे अब्दुल कलाम किस लिए प्रसिद्ध थे?

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक थे।

और अधिक लेख –

  • एपीजे अब्दुल कलाम की प्रेरणादायी जीवनी
  • ए पी जे अब्दुल कलाम के सुविचार
  • महात्मा गाँधी की प्रेरणादायी जीवनी
  • दुनिया की 15 सबसे अच्छी मोटिवेशनल किताबे, एक बार जरूर पढ़े

Please Note : – Apj Abdul Kalam Best Motivational & Inspiring Books in Hindi मे दी गयी Information अच्छी लगी हो तो कृपया हमारा  फ़ेसबुक ( Facebook)   पेज लाइक करे या कोई टिप्पणी (Comments) हो तो नीचे करे.

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1 thought on “डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 11 सर्वश्रेष्ठ किताबें | a.p.j abdul kalam books hindi”.

biography of a p j abdul kalam in hindi

ये सब बहुत ही अच्छी किताबे है। इन किताबों के बारे में आपने बढ़िया करके बताया है। में एक बार इन किताबो जरूर पडूंगा

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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

A. P. J. Abdul Kalam's Photo'

A. P. J. Abdul Kalam

1931 - 2015 | Delhi , India

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biography of a p j abdul kalam in hindi

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Profile of A. P. J. Abdul Kalam

Real Name : Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam

Born : 15 Oct 1931 | Tamil Nadu

Died : 27 Jul 2015

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biography of a p j abdul kalam in hindi

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A.P.J. Abdul Kalam

What is A.P.J. Abdul Kalam known for?

What organizations was a.p.j. abdul kalam associated with, when and how did a.p.j. abdul kalam enter politics.

  • Which country had the most nuclear weapons?
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Atomic cloud formation from the Baker Day explosion over the Bikini Atoll; photo created July 25, 1946. (Test Baker, mushroom cloud, underwater nuclear explosion)

A.P.J. Abdul Kalam

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A.P.J. Abdul Kalam

A.P.J. Abdul Kalam served as president of the Republic of India from 2002 to 2007. As president, Kalam promoted the advancement of the national nuclear weapons program. Kalam also devised a 20-year action plan to achieve economic growth through technological development in India.

A.P.J. Abdul Kalam attended the Madras Institute of Technology, where he received a degree in aeronautical engineering in 1960. After graduation he joined the Defence Research and Development Organisation (DRDO)—an Indian military research institute—and later the Indian Space Research Organisation (ISRO). Kalam’s associations were not limited to research organizations: he was also associated with political groups, such as the National Democratic Alliance (NDA).

A.P.J. Abdul Kalam created the Technology Vision 2020 project in 1998. The project sought to develop India’s economy through technology, particularly as applied to agriculture, and increase the availability of health care and education. In recognition of Kalam’s services to the country and broad popularity, the National Democratic Alliance nominated him for president in 2002.

How many awards did A.P.J. Abdul Kalam win?

A.P.J. Abdul Kalam won many awards, both from the Indian government and from the international community. His most notable awards were the Padma Vibhushan, won in 1990, and the Bharat Ratna, won in 1997, for his contributions to science and engineering and service to the government.

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A.P.J. Abdul Kalam (born October 15, 1931, Rameswaram , India—died July 27, 2015, Shillong) was an Indian scientist and politician who played a leading role in the development of India’s missile and nuclear weapons programs. He was president of India from 2002 to 2007.

Kalam earned a degree in aeronautical engineering from the Madras Institute of Technology and in 1958 joined the Defence Research and Development Organisation (DRDO). In 1969 he moved to the Indian Space Research Organisation , where he was project director of the SLV-III , the first satellite launch vehicle that was both designed and produced in India. Rejoining DRDO in 1982, Kalam planned the program that produced a number of successful missiles, which helped earn him the nickname “Missile Man.” Among those successes was Agni, India’s first intermediate-range ballistic missile , which incorporated aspects of the SLV-III and was launched in 1989.

Chandigarh. Statuettes at the Rock Garden of Chandigarh a sculpture park in Chandigarh, India, also known as Nek Chand's Rock Garden. Created by Nek Chand Saini an Indian self taught artist. visionary artist, folk artist, environmental art

From 1992 to 1997 Kalam was scientific adviser to the defense minister, and he later served as principal scientific adviser (1999–2001) to the government with the rank of cabinet minister. His prominent role in the country’s 1998 nuclear weapons tests solidified India as a nuclear power and established Kalam as a national hero, although the tests caused great concern in the international community . In 1998 Kalam put forward a countrywide plan called Technology Vision 2020, which he described as a road map for transforming India from a less-developed to a developed society in 20 years. The plan called for, among other measures, increasing agricultural productivity, emphasizing technology as a vehicle for economic growth , and widening access to health care and education.

biography of a p j abdul kalam in hindi

In 2002 India’s ruling National Democratic Alliance (NDA) put forward Kalam to succeed outgoing President Kocheril Raman Narayanan . Kalam was nominated by the Hindu nationalist ( Hindutva ) NDA even though he was Muslim, and his stature and popular appeal were such that even the main opposition party, the Indian National Congress , also proposed his candidacy. Kalam easily won the election and was sworn in as India’s 11th president , a largely ceremonial post, in July 2002. He left office at the end of his term in 2007 and was succeeded by Pratibha Patil , the country’s first woman president.

Upon returning to civilian life, Kalam remained committed to using science and technology to transform India into a developed country and served as a lecturer at several universities. On July 27, 2015, he collapsed while delivering a lecture at the Indian Institute of Management Shillong and was pronounced dead from cardiac arrest soon afterward.

Kalam wrote several books, including an autobiography, Wings of Fire (1999). Among his numerous awards were two of the country’s highest honors, the Padma Vibhushan (1990) and the Bharat Ratna (1997).

COMMENTS

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  21. A. P. J. Abdul Kalam

    Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam BR (/ ˈ ɑː b d əl k ə ˈ l ɑː m / ⓘ; 15 October 1931 - 27 July 2015) was an Indian aerospace scientist and statesman who served as the 11th president of India from 2002 to 2007. Born and raised in a Muslim family in Rameswaram, Tamil Nadu, he studied physics and aerospace engineering.He spent the next four decades as a scientist and science ...

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    A.P.J. Abdul Kalam (born October 15, 1931, Rameswaram, India—died July 27, 2015, Shillong) was an Indian scientist and politician who played a leading role in the development of India's missile and nuclear weapons programs. He was president of India from 2002 to 2007. Kalam earned a degree in aeronautical engineering from the Madras ...