प्रियंका गांधी
Rajiv Gandhi essay in Hindi
राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) भारतीय राजनीतिज्ञ थे जो १९८४ से १९८९ तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत थे। उनका जन्म २० अगस्त, १९४४ को मुंबई, भारत में हुआ था और उनकी मां इंदिरा गांधी भी भारत की प्रधानमंत्री रही थीं।
राजीव गांधी ने १९८४ में अपनी मां की हत्या के बाद राजनीति में कदम रखा। उनकी उम्र ४० साल में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बनने का गर्वपूर्ण अनुभव था। उनके कार्यकाल में वे भारत की अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण और विभिन्न सुधारों पर ध्यान केंद्रित करते रहे।
राजीव गांधी ने भारत में कंप्यूटरीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी को प्रस्तावित करने का महत्व जाना। उनके नेतृत्व में कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा देने और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की स्थापना की गई। यह पहल भारत को सॉफ्टवेयर उद्योग के विकास में मदद करने में सहायता प्रदान करती है।
साथ ही, राजीव गांधी सामाजिक के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका सामाजिक कल्याण और सशक्तिकरण के प्रति समर्पण देशवासियों के जीवन में सुधार लाने के लिए था। उन्होंने ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य था हर गांव में बिजली पहुंचाना। जवाहर रोजगार योजना को शुरू किया गया, जिसके माध्यम से बेरोजगारी को समाप्त करने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और बुनियादी ढांचे के विकास को सुनिश्चित किया गया।
राजीव गांधी ने भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने गैर-संघटितता को महत्व दिया और विभिन्न देशों के साथ दोस्ताना संबंधों की खोज की। उनकी प्रयासों से पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने में सफलता मिली, जैसे कि भारत-श्रीलंका समझौता के माध्यम से। यह उनकी क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के प्रति समर्पण का प्रतीक था।
परंतु, दुःखद है कि राजीव गांधी की उम्र काफी छोटी थी जब उन्हें दुर्भाग्यपूर्ण रूप से १९९१ के मई २१ को स्रीपेरुम्बुदूर, तमिलनाडु में एक आत्मघाती बमविस्फोट के द्वारा हत्या की गई। उनकी मृत्यु देश में भयंकर आक्रोश और व्यापक शोक का कारण बनी।
राजीव गांधी की विचारधारा, कर्मठता और सद्भावना को याद करते हुए, उनकी यात्रा भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण धारा बन गई है। उनका योगदान विशेष रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में याद रखा जाता है। उनकी नेतृत्व में हुए कदमों ने देश को आधुनिक और विकसित भारत की ओर अग्रसर किया।
यथार्थ में, राजीव गांधी भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक स्वर्णिम पन्ना रहे हैं। उनका विचारधारा, कार्यक्षेत्र और सेवाभाव से उन्हें देशभक्ति और प्रगति के प्रतीक के रूप में स्मरणिय हमेशा रहेगा। यद्यपि उनकी जीवनशैली अधूरी रह गई है,
राजीव गांधी – भारतीय राजनीति के सशक्त नेता (Rajiv Gandhi essay in Hindi)
राजीव गांधी, जिन्हें भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में जाना जाता है, ने अपने जीवन के दौरान देश के विकास और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जन्म 20 अगस्त, 1944 को मुंबई में हुआ था और वे पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के पुत्र थे। उनकी परिवारिक स्थिति उन्हें राजनीतिक विद्यालय का ज्ञान प्राप्त करने का मौका देने की वजह से थी।
राजीव गांधी को सत्ता में आने का मौका 1984 में मिला, जब उनकी माता इंदिरा गांधी की हत्या हो गई। उन्होंने तत्पश्चात भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में आवेदन किया और भारत के प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्ति प्राप्त की। उनकी प्रधानमंत्रीता काल में वे देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे और अपने विचारधारा, कर्मठता, और सौहार्दपूर्ण नेतृत्व के लिए प्रशंसा पाए।
राजीव गांधी की प्रमुख पहचान उनके आधुनिकीकरण और विकास के प्रयासों के माध्यम से हुई। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में सुधार कार्यक्रमों की शुरुआत की जो देश के विकास को गति देने में मदद करे। उन्होंने अर्थव्यवस्था की लिबरलीकरण के लिए पहल की और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए नवीनीकरण नीतियां अपनाई। उनके प्रमुख कार्यक्षेत्रों में से एक था सूचना प्रौद्योगिकी, जिसे उन्होंने महत्वपूर्ण माना और कंप्यूटर शिक्षा को प्रोत्साहित किया।
राजीव गांधी ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना प्रभाव दिखाया। उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझते हुए बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा प्रणाली की व्यवस्था करने के लिए कई कदम उठाए। उनके नेतृत्व में भारतीय विज्ञान प्रौद्योगिकी संस्थानों का विकास हुआ और उन्होंने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में नए अवसर प्रदान किए।
उनकी प्रधानमंत्री काल में राजीव गांधी ने ग्रामीण विकास पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने के लिए ग्रामीण विद्युतीकरण की पहल की जिससे गांवों में बिजली की सुविधा में सुधार हुआ। उन्होंने जवाहर रोजगार योजना शुरू की जिसका उद्देश्य बेरोजगारी को कम करना और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करना था।
राजीव गांधी ने भारतीय विदेशी नीति में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने विभिन्न देशों के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा दिया और विश्व स्तर पर भारत की मान्यता को बढ़ाया। उन्होंने गैर-संघटितता के पक्ष में भारत को आगे बढ़ाने के लिए संगठित कार्यों का समर्थन किया।
राजीव गांधी का नेतृत्व बहुत ही संघर्षपूर्ण था और उन्होंने अपने देशभक्ति, न्याय, और सामरिक बल के माध्यम से अपने लोगों के दिलों में जगह बनाई। उनके नेतृत्व में भारत ने अपनी प्रगति के नये मापदंड स्थापित किए और एक आधुनिक और विकसित
राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर हुआ। राजीव गांधी ने विविध समाजसेवी कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया, जहां उन्होंने मुख्य रूप से गरीबों, महिलाओं, बच्चों, और दलितों के हित में कई योजनाएं शुरू की। उन्होंने स्वच्छता अभियान को महत्व दिया और जनसंख्या नियंत्रण के माध्यम से बालसंख्या को नियंत्रित करने की चुनौतियों का सामना किया।
राजीव गांधी एक माध्यमिक परिवार से संबंध रखते थे और उन्होंने सामाजिक न्याय को महत्व दिया। उन्होंने मुख्य तौर पर किसानों, मजदूरों, और गरीबों की मदद करने के लिए योजनाएं बनाई और कई कार्यक्रमों को शुरू किया। उनका मूल मंत्र था “गरीबी हटाओ” जिसके माध्यम से वे सशक्त और समृद्ध भारत के लिए प्रयास करते थे।
राजीव गांधी की उम्र काफी छोटी थी जब उन्हें दुर्भाग्यपूर्ण रूप से १९९१ के मई २१ को स्रीपेरुम्बुदूर, तमिलनाडु में एक आत्मघाती बमविस्फोट के द्वारा हत्या की गई। उनकी मृत्यु देश और उनके समर्पित अनुयायों के लिए एक बड़ी क्षति थी। उनका योगदान, उनकी प्रेमियंता और राष्ट्रीयता के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। उनकी मृत्यु के बाद उन्हें “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया और उनकी याद में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्मारक स्थापित किए गए हैं। उनकी सोच, कार्य, और नेतृत्व देश के लिए अद्वितीय रहेंगे और उन्हें एक सच्चे राष्ट्रनेता के रूप में याद किया जाएगा।
इस प्रकार, राजीव गांधी ने भारतीय राजनीति में अपना विशेष स्थान बनाया है और उनका योगदान देश के विकास, सामरिकता, और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। उनकी सामरिक, युवावादी, और प्रगतिशील विचारधारा ने देश को नए दिशाओं में आगे ले जाने में मदद की है। राजीव गांधी को हमेशा गर्व से याद किया जाएगा जो एक प्रेरणास्रोत और राष्ट्रनेता के रूप में उदाहरण स्थापित करते हैं।
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राजीव गांधी जयंती 2018: राजीव गाँधी एक महान राजनेता के साथ एक महान व्यक्तित्व के इंसान थे| उनके पिता जी का नाम फिरोज गाँधी जी और माता का नाम इंदरा गाँधी था| प्रधानमंत्री होने के समय उन्होंने बहुत से ऐसे निर्णय लिए जिसने भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार किया| उनका जन्म 20 अगस्त 1944 में महाराष्ट्र में हुआ था| उनके भाई की मृत्यु हो जाने के बाद भारतीय जनता कांग्रेस पार्टी की कमान उनके हातो में आ गई| राजीव गाँधी का नाम आज भी भारत के पूर्व महान प्रधानमंत्रियों में आता है| प्रधानमंत्री होने के समय उन्होंने बहुत से ऐसे निर्णय लिए जिसने भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार किया| आज के इस पोस्ट में हम आपको rajiv gandhi essay, rajiv gandhi short essay, rajiv gandhi essay in punjabi, rajiv gandhi essay in marathi, rajiv gandhi essay in english, आदि की जानकारी इन मराठी, हिंदी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के निबंध प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध खासकर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|
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राजीव गांधी जैसे युवा नेता की दूरदर्शिता के फलस्वरुप ही देश कंप्यूटर-युग में प्रवेश कर सका है | जब कंप्यूटर के क्षेत्र में अध्ययन एवं अनुसंधान के प्रयासों को उन्होंने बल देना शुरू किया था, तो लोगों ने इससे बेरोजगारी बढ़ने की बात कहकर उनकी तीव्र आलोचना की थी, किन्तु आज देश की प्रगति में कंप्यूटर की उपयोगिता एवं भूमिका से यह स्वाभाविक रूप से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजीव गांधी अपने समय से कितना आगे चलते हुए पूरी सूझ-बूझ से निर्णय लिया करते थे | भारत आज सूचना प्रोद्योगिकी की सुपर शक्ति बन चुका है और इसमें कंप्यूटर की भूमिका अहम है | राजीव गांधी के नेतृत्व में देश ने आधुनिकीकरण एवं खुशहाली के नए युग में प्रवेश किया | राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को बम्बई में हुआ था | उनके पिता फिरोज गांधी, मां इंदिरा गांधी एंव नाना जवाहरलाल नेहरू, जो देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे, के संघर्षों को देखकर सम्भवतः एक दिन राजीव गांधी भी इस लड़ाई में कूद पड़ते, किन्तु सौभाग्यवश 15 अगस्त 1947 को देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिल गई | आजादी के बाद जब राजीव गांधी के नाना जवाहरलाल नेहरु देश के प्रथम प्रधानमंत्री बने, तो वे मां एंव छोटे भाई संजय गांधी के साथ दिल्ली के तीनमूर्ति भवन में रहने आ गए | उनकी प्रारंभिक शिक्षा यहीं के एक स्कूल शिव निकेतन में हुई | 1954 ई. में आगे की पढ़ाई के लिए राजीव को देहरादून के वेल्हम विद्यालय भेजा गया | वहां से आई.एस.सी. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे सीनियर कैंब्रिज में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए | पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने विमान संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया | जब वे कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर रहे थे, तब उनकी मां इंदिरा गांधी 1966 ई. में भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं | पढ़ाई खत्म करने के बाद विमान-चालक के प्रशिक्षण के दौरान 1968 ई. में इटली की सोनिया माइनो से उनका विवाह हो गया | अपने नाना, पिता एंव मां के देश की राजनीति में अहम स्थान के बावजूद राजीव राजनीति में नहीं आना चाहते थे इसलिए विमान संचालन के प्रशिक्षण के बाद उन्होंने 1970 ई. में इंडियन एयरलाइंस में पायलट की नौकरी करना शुरू कर दी | 23 जून 1980 को अपने छोटे भाई संजय गांधी की मृत्यु के बाद न चाहते हुए भी खानदान की विरासत को संभालने के लिए उन्हें राजनीति में आना पड़ा | जून 1981 में वे अमेठी से सांसद निर्वाचित हुए और साथ में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव भी बनाए गए | 31 अक्टूबर 1984 को अपनी मां तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही अंगरक्षकों द्वारा जघन्य हत्या के बाद शोकाकुल राजीव को समय की आवश्यकता को देखते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की बागडोर सम्भालनी पड़ी | वे अब तक के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे, और राजनीति का भी उन्हें अधिक अनुभव नहीं था इसलिए कुछ लोगों को आशंका थी कि वे राजनीति में सफल नहीं हो पाएंगे, परंतु जिस कुशलता के साथ देश का संचालन करते हुए वे इसे आधुनिकीकरण के नए युग में ले गए, उससे उनके सभी आलोचक स्तब्ध रह गए | दिसंबर 1984 में जब लोकसभा के चुनाव हुए, तो राजीव जी की अदभुत नेतृत्व-क्षमता के कारण कांग्रेस को 542 सीटों में से 411 सीटों पर अभूतपूर्व जीत हासिल हुई | 31 दिसंबर 1984 को राजीव गांधी नई लोकसभा के सदस्यों के नेता के रूप में पुनः देश के प्रधानमंत्री बने | अपने कार्यकाल में उन्होंने भारतीय जनता के कल्याण के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय किए, नए कार्यक्रमों की शुरूआत की तथा विश्व के अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भी भारत को अभूतपूर्व प्रतिष्ठा दिलाई | राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करने के लिए उन्होंने 1985 ई. में राजनीतिक दल-बदल संबंधी विधेयक पारित करवाया | बेरोजगारी की विकराल समस्या के समाधान के लिए 1988 ई. में व्यापक ऋण योजना तथा 1989 ई. में जवाहर रोजगार योजना का शुभारंभ किया | पंचायती राजव्यवस्था को मजबूत करने के दृष्टिकोण से 15 मई 1989 को बहुप्रतीक्षित 64वां पंचायतीराज विधेयक संविधान संशोधन प्रस्तुत किया | प्रथम बार प्रधानमंत्री बनते वक्त राजीव गांधी को पंजाब के आतंकवाद और असोम के आंदोलनकारियों से त्रस्त भारत मिला था, किन्तु अपनी प्रशासनिक क्षमता एवं सूझ-बूझ से ऐसी सभी समस्याओं का समाधान करने में वे सफल रहे | राजीव गांधी ने देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण से पृथ्वी, त्रिशूल और अग्नि जैसी मिसाइल एंव प्रक्षेपास्त्रों का विकास करवाया | उन्हें अपने देश की युवा-शक्ति पर बड़ा मान था, यही कारण है कि देश की युवा-शक्ति की राजनीति में भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने का प्रस्ताव संसद में पारित करवाया | 1989 ई. के सामान्य चुनाव में अपने आकर्षक व्यक्तित्व के बल पर वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से भारी मतों से विजयी होने में कामयाब रहे किन्तु, अपने कुछ सहयोगियों के भीतरघात के कारण उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा | राजीव गांधी यदि चाहते तो उस समय जोड़-तोड़ की सरकार बना सकते थे, परंतु जनादेश का सम्मान करते हुए उन्होंने विपक्ष में बैठना स्वीकार किया | शाहबानो प्रकरण में ‘मुस्लिम लॉ’ के सम्मान की बात हो या अयोध्या में ‘रामलला के दर्शन’ की अनुमति हो उनके जैसा साहस समन्वय अतुलनीय है |
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राजीव गांधी विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र भारत के एकमात्र ऐसे युवा प्रधानमन्त्री थे, जिनकी उदार सोच, स्वप्नदर्शी व्यापक दृष्टि ने भारतवर्ष को एक नयी ऊर्जा और एक नयी शक्ति दी । देश को विश्व के अन्य उन्नत राष्ट्रों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देने वाले सबसे कम उम्र के वे ऐसे प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने इक्कीसवीं सदी का स्वप्न देते हुए भारत को वैज्ञानिक दिशा दी । 2. उनका व्यक्तित्व: देश की प्रधानमन्त्री स्व० श्रीमती इन्दिरा गांधी के सबसे बड़े इस होनहार सपूत का जन्म बम्बई में 20 अगस्त 1944 को हुआ था । पिता फिरोज गांधी की ही तरह वे एक सम्मोहित व्यक्तित्व के धनी थे । नाना जवाहरलाल नेहरू और मां इन्दिरा गांधी से उन्हें राजनैतिक विरासत की समृद्ध परम्परा मिली । राजनीति में यद्यपि उनकी रुचि नहीं थी, तथापि वे पारिवारिक वातावरण के कारण उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके । माता इन्दिरा की असामयिक मृत्यु के बाद देश को उनकी ही तरह एक सशक्त प्रधानमन्त्री की आवश्यकता थी । अत: राजीव गांधी को लोगों की इच्छा का सम्मान करते हुए राजनीति में आना पड़ा । राजनीति में आने से पूर्व वे इण्डियन एयरलाइन्स में एक पायलट थे । छात्र जीवन में उनकी भेंट इटली की सोनिया से हुई, जो आगे चलकर उनकी अर्द्धांगिनी बनी । 1981 में अमेठी से सांसद का चुनाव जीतकर वे 1883 में कांग्रेस पार्टी के महासचिव बने । 31 अक्टूबर 1984 के दिन इन्दिरा गांधी की मृत्यु के बाद कार्यवाहक प्रधानमन्त्री के रूप में अपनी शपथ ग्रहण की । 1985 के आम चुनाव में वे प्रचण्ड बहुमत से विजयी हुए । मिस्टर क्लीन की छवि से माने जाने वाले राजीव गांधी बहुत कुछ अर्थों में ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल थे । हालांकि उनकी इस छवि में कालान्तर में कुछ विवाद भी उत्पन्न हुए थे । अपने श्रेष्ठ प्रशासन व निर्णय शक्ति की बदौलत इस जनप्रिय नेता ने काफी ख्याति प्राप्त की । किन्तु 21 मई 1991 को मद्रास से 50 कि०मी० दूर श्रीपेरूंबुदुर में एक चुनावी सभा के दौरान सुरक्षा घेरे को तोड़ने के बाद फूलों की माला ग्रहण करते समय श्रीलंकाई आतंकवादी संगठन लिट्टे द्वारा आत्मघाती बम विस्फोट में उनकी नृशंस हत्या कर दी गयी । अपने चहेते युवा नेता की मृत्यु पर सारा देश जैसे स्तब्ध रह गया । 3. उनके कार्य: राजीव गांधी एक सशक्त और कुशल राजनेता ही नहीं थे, अपितु स्वप्नदृष्टा प्रधानमन्त्री थे । समय से पूर्व भारत को 21वीं सदी में ले जाने वाले इस प्रधानमन्त्री ने भविष्य के भारत का जो सपना देखा था, उसमें सम्पूर्ण भारत में ज्ञान, संचार, सूचना, तकनीकी सेवाओं के साथ मुख्यत: उसे कम्प्यूटर से जोड़ना था । वे भारत को एक अक्षय ऊर्जा का स्त्रोत बनाना चाहते थे । उनकी इस नवीन कार्यशैली और सृजनात्मकता का ही परिणाम है कि आज भारत सौर ऊर्जा से लेकर देश के कोने-कोने में कम्प्यूटर से जुड़ गया है । आज देश के घर-घर में कम्प्यूटर का उपयोग राजीव गांधी की ही दूरदर्शी सोच का परिणाम है । अपनी विदेश नीति के तहत उन्होंने कई देशों की यात्राएं की । भारत के आर्थिक, सांस्कृतिक सम्बन्ध बढ़ाये । 1986 में गुटनिरपेक्ष आन्दोलन का नेतृत्व करते हुए भारत को अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर सम्मानित किया । फिलीस्तीनी संघर्ष, रंग-भेद विरोधी द० अफ्रीकी संघर्ष, स्वापो आन्दोलन, नामीबिया की स्वतन्त्रता का समर्थन, अफ्रीकी फण्ड की स्थापना के साथ-साथ माले में हुए विद्रोह का दमन, श्रीलंका की आतंकवादी समस्या पर निर्भीक दृष्टि रखना, हिन्द महासागर में अमेरिका तथा पाक के बढ़ते सामरिक हस्तक्षेप पर अंकुश लगाना, यह उनकी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हैं । 4. उपसंहार: युवाओं की ऊर्जा के प्रतीक राजीव गांधी देश को भी अक्षय ऊर्जा की दृष्टि से सम्पन्न राष्ट्र बनाना चाहते थे । इस स्वप्नदृष्टा ने भारत को कम्प्यूटर, संचार, सूचना और तकनीकी के क्षेत्र में नया आयाम दिया । 21वीं सदी की ओर जाने का नारा देकर शक्तिशाली राष्ट्र का वैभव दिया । नयी शिक्षा नीति में शिक्षा को व्यावसायिकता के साथ जोड़ने का सार्थक प्रयास किया । भारत सरकार ने देश के इस कर्मठ युवा को देश का सर्वोच्च सम्मान ”भारत रत्न” सन् 1991 में प्रदान कर अपनी कृतज्ञता प्रकट की । वे अपने अच्छे कार्यों की वजह से भारतवासियों के हृदय में सदा जीवित रहेंगे ।
राजीव गाँधी जैसे युवा नेता की दूरदर्शिता के फलस्वरूप ही देश कम्प्यूटर युग में प्रवेश कर सका है । जब कम्प्यूटर के क्षेत्र में अध्ययन एवं अनुसन्धान के प्रयासों को उन्होंने बल देना शुरू किया था, तो लोगों ने इससे बेरोजगारी बढ़ने की बात कहकर उनकी तीव्र आलोचना की थी, किन्तु आज देश की प्रगति में कम्प्यूटर की उपयोगिता एवं भूमिका से यह स्वाभाविक रूप से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि राजीव गाँधी अपने समय से कितना आगे चलते हुए पूरी सूझ-बूझ से निर्णय लिया करते थे । भारत आज सूचना प्रौद्योगिकी की सुपर शक्ति बन चुका है और इसमें कम्प्यूटर की भूमिका अहम् है । राजीव गाँधी के नेतृत्व में देश ने आधुनिकीकरण एवं खुशहाली के नए युग में प्रवेश किया । राजीव गाँधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बम्बई में हुआ था । उनके नाना जवाहरलाल नेहरू ने उनका नाम ‘राजीव गाँधी’ रखा । उनके पिता फिरोज गाँधी, माँ इन्दिरा गाँधी एवं नाना जवाहरलाल नेहरू, जो देश की स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे, के संघर्षों को देखकर सम्भवत: एक दिन राजीव गाँधी भी इस लड़ाई में कूद पड़ते, किन्तु सौभाग्यवश 15 अगस्त, 1947 को देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिल गई । आजादी के बाद जब राजीव गाँधी के नाना जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमन्त्री बने, तो वे माँ एवं छोटे भाई संजय गाँधी के साथ दिल्ली के तीनमूर्ति भवन में रहने आ गए । उनकी प्रारम्भिक शिक्षा यहीं के एक स्कूल शिव निकेतन में हुई । वर्ष 1954 में आगे की पढ़ाई के लिए राजीव को देहरादून के वेल्हम विद्यालय भेजा गया । वहाँ से आईएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे सीनियर कैम्ब्रिज में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड चले गए । वहाँ ट्रिनिटी कॉलेज से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री प्राप्त की । पढ़ाई खत्म करने के बाद वे दिल्ली फ्लाइंग क्लब के सदस्य बने तथा विमान संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया । जब बे कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर रहे थे, तब उनकी माँ इन्दिरा गाँधी वर्ष 1966 में भारत की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री बनी । पढ़ाई खत्म करने के बाद विमान चालक के प्रशिक्षण के दौरान वर्ष 1968 में इटली की सोनिया माइनो से उनका विवाह हो गया । अपने नाना, पिता एवं माँ के देश की राजनीति में अहम् स्थान के बावजूद राजीव राजनीति में नहीं आना चाहते थे, इसलिए विमान संचालन के प्रशिक्षण के बाद उन्होंने वर्ष 1970 में इण्डियन एयरलाइंस में पाइलट की नौकरी करना शुरू कर दी । 23 जून, 1980 को अपने छोटे भाई संजय गाँधी की मृत्यु के बाद न चाहते हुए भी खानदान की विरासत को सँभालने के लिए उन्हें राजनीति में आना पड़ा । जून, 1981 में वे अमेठी से सांसद निर्वाचित हुए और साथ में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव भी बनाए गए । 31 अक्तूबर, 1984 को अपनी माँ तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी की उनके ही अंगरक्षकों द्वारा जघन्य हत्या के बाद शोकाकुल राजीव को समय की आवश्यकता को देखते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र की बागडोर संभालनी पड़ी । वे अब तक के सबसे युवा प्रधानमन्त्री थे और राजनीति का भी उन्हें अधिक अनुभव नहीं था, इसलिए कुछ लोगों को आशंका थी कि वे राजनीति में सफल नहीं हो पाएंगे, परन्तु जिस कुशलता के साथ देश का संचालन करते हुए वे इसे आधुनिकीकरण के नए युग में ले गए, उससे उनके सभी आलोचक स्तब्ध रह गए । दिसम्बर, 1984 में जब लोकसभा के चुनाव हुए, तो राजीव जी की अद्भुत नेतृत्व क्षमता के कारण कांग्रेस को 542 सीटों में से 411 सीटों पर अभूतपूर्व जीत हासिल हुई । 31 दिसम्बर, 1984 को राजीव गाँधी नई लोकसभा के सदस्यों के नेता के रूप में पुन: देश के प्रधानमन्त्री बने । अपने कार्यकाल में उन्होंने भारतीय जनता के कल्याण के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय किए, नए कार्यक्रमों की शुरूआत की तथा विश्व के अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भी भारत को अभूतपूर्व प्रतिष्ठा दिलाई । श्रीलंका में चल रहे लिट्टे और सिंघलियों के बीच युद्ध को शान्त करने के लिए उन्होंने भारतीय सेना को श्रीलंका में तैनात किया । राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करने के लिए उन्होंने वर्ष 1985 में राजनीतिक दल-बदल सम्बन्धी विधेयक पारित करवाया । बेरोजगारी की विकराल समस्या के समाधान के लिए वर्ष 1988 में व्यापक ऋण योजना तथा 1 अप्रैल, 1989 को जवाहर रोजगार योजना का शुभारम्भ किया, जिसके अन्तर्गत ‘इन्दिरा आवास योजना’ तथा ‘दस लाख कुआँ योजना’ जैसे कई कार्यक्रमों की शुरूआत की । पंचायती राजव्यवस्था को मजबूत करने के दृष्टिकोण से 15 मई, 1989 को बहुप्रतीक्षित 64वाँ पंचायती राज विधेयक संविधान संशोधन प्रस्तुत किया । प्रथम बार प्रधानमन्त्री बनते वक्त राजीव गाँधी को पंजाब के आतंकवाद और असोम के आन्दोलनकारियों से त्रस्त भारत मिला था, किन्तु अपनी प्रशासनिक क्षमता एवं सूझ-बूझ से ऐसी सभी समस्याओं का समाधान करने में वे सफल रहे । राजीव गाँधी ने देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण से पृथ्वी, त्रिशूल और अग्नि जैसी मिसाइल एवं प्रक्षेपास्त्रों का विकास करवाया । उन्हें अपने देश की युवाशक्ति पर बड़ा मान था, यही कारण है कि देश की युवाशक्ति की राजनीति में भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने का प्रस्ताव संसद में पारित करवाया । वर्ष 1989 के सामान्य चुनाव में अपने आकर्षक व्यक्तित्व के बल पर वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से भारी मतों से विजयी होने में कामयाब रहे, किन्तु अपने कुछ सहयोगियों के भीतरघात के कारण उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा । राजीव गाँधी यदि चाहते तो उस समय जोड़-तोड़ की सरकार बना सकते थे, परन्तु जनादेश का सम्मान करते हुए उन्होंने विपक्ष में बैठना स्वीकार किया । शाहबानो प्रकरण में ‘मुस्लिम लॉ’ के सम्मान की बात हो या अयोध्या में ‘रामलला के दर्शन’ की अनुमति हो, उनके जैसा साहस एवं समन्वय अतुलनीय है । राजीव गाँधी अपने व्यवहार के अनुरूप सुरक्षा की परवाह किए बिना जनता के बीच चले जाते थे ।
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राजीव गांधी, एक ऐसे शख्सियत थे, जिन्हें महज 40 साल की उम्र में देश के पीएम बनने का गौरव प्राप्त है। वे देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने सन् 1984 में अपनी मां इंदिरा गांधी की मौत के बाद भारी बहुमत के साथ पीएम का पद हासिल किया था।
राजीव गांधी बेहद सरल, सौम्य, शांति एवं धैर्यवान राजनेता थे, जिन्होंने देश के विकास और प्रगति में अपना अमूल्य योगदान दिया था और युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए उनके हित में कई अहम फैसले लिए थे। साल 1991 में आम चुनाव के दौरान तमिलनाडू के श्री पेरमबदूर में एक भयानक बम बिस्फोट में साजिश के तहत उनकी हत्या कर दी गई।
साल 1991 में मृत्यु के बाद उन्हें ”भारत रत्न” सम्मान ने नवाजा गया था। आइए जानते हैं भारत के दिग्गज राजनेता राजीव गांधी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य –
राजीव गांधी | |
20 अगस्त 1944, बंम्बई ( ) | |
इंदिरा गांधी | |
संजय गांधी | |
सोनिया गांधी(एंटोनिया माइनो) | |
, राहुल गाँधी | |
21 मई 1991, श्रीपेरमबदूर ( ) |
20 अगस्त, 1944 में मुंबई में राजीव गांधी ने इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बेटे के रुप में जन्म लिया था। इनकी माता इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थी और इनके पिता फ़िरोज़ गाँधी इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रमुख और नेशनल हेराल्ड अख़बार के एडिटर थे।
देश को तरक्की के एक नए पायदान पर पहुंचाने वाले भारत के युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के शिव निकेतन और वेल्लम बॉयज स्कूल से हुई थी। इसके बाद पढ़ाई में होनहार रहे राजीव गांधी जी का दाखिला देहरादून के ही कुलीन डॉन स्कूल में करवाया गया।
स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद वे अपनी आगे की पढ़ाई के लंदन चले गए, जहां से जानी-मानी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई की। इसके बाद साल 1966 में राजीव गांधी जी भारत वापस लौट आए, इसी दौरान उनकी मां इंदिरा गांधी को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रुप में चुना गया था। वहीं इसके बाद राजीव गांधी ने इंडियन एयरलाइन में पायलट बने।
लंदन में पढ़ाई के दौरान ही राजीव गांधी जी इटली में रहने वाले एंटोनिया माइनो (सोनिया गांधी) से मिले और फिर दोनों ने 1968 में शादी करने का फैसला लिया। शादी के बाद उनकी पत्नी एंटोनिया माइनो ने अपना नाम बदलकर सोनिया गांधी रख दिया था, वे भी आज राजनीति की नई ऊंचाईयों को छू रही हैं।
वहीं शादी के बाद इन दोनों के दो बच्चे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हुए, दोनों ही आज कांग्रेस पार्टी के अहम पदों पर कार्यरत हैं।
सबसे युवा प्रधानमंत्री के तौर पर देश का नेतृत्व कर चुके राजीव गांधी जी का झुकाव पहले राजनीति की तरफ बिल्कुल नहीं था, लेकिन कुछ परिस्थितयों के चलते उन्हें राजनीति में आना पड़ा।
दरअसल, राजीव गांधी जी के भाई संजय गांधी की 23 जून, 1980 एक विमान हादसे में मौत हुई थी, जिसके बाद राजीव गांधी जी को अपनी मां इंदिरा गांधी के साथ राजनीति के क्षेत्र में प्रवेश करना पड़ा। राजनीति में आने के बाद सबसे पहले उन्होंने अपने स्वर्गीय भाई के निर्वाचन क्षेत्र उत्तरप्रदेश के अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ा और बंपर जीत हासिल की, इस तरह उन्होंने अपनी युवा विचारधारा से संसद में अपनी जगह बनाई।
इसके बाद उनके राजनैतिक कौशल को देखते हुए साल 1981 में उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया। इसके साथ ही उन्होंने अपने राजनैतिक करियर के दैरान कांग्रेस के महासचिव पद की जिम्मेदारी संभाली, इसके साथ ही उनके ही नेतृत्व में एशियाई खेलों का आयोजन किया गया था।
राजीव गांधी जी ने अपनी मां इंदिरा गांधी के प्रमुख राजनैतिक सलाहकार के तौर पर भी काम किया। राजीव गांधी जी भले ही मजबूरन राजनीति के क्षेत्र में मजबूरी में आए हों लेकिन उन्होंने इस क्षेत्र में असीम ऊंचाईयों को छूआ और बाद में देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बनकर देश का नेतृत्व किया।
राजीव गांधी की मां एवं देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 के दिन, उन्हीं के एक सिख बॉडीगार्ड द्धारा उनकी निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी, जिससे पूरे देश में शोक की लहर तो दौड़ ही गई थी, इसके साथ ही जगह-जगह सिख दंगे भड़क गए थे।
वहीं ऐसे समय में कांग्रेस पार्टी को दिशा दिखाने वाला कोई कद्दावर नेता नहीं बचा था। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी के कुछ वरिष्ठ सदस्यों ने राजीव गांधी जी की राजनैतिक कौशल, कर्तव्यनिष्ठा एवं दूरदर्शिता को देखकर उन पर प्रधानमंत्री जैसे अहम पद की जिम्मेदारी सौंपी, उन्होंने कुछ दिन तक देश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रुप में काम किया।
फिर इसके बाद 1985 में हुए लोकसभा चुनावों में उन्होंने भारी मतों के साथ जीत हासिल कर देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री के रुप में कार्यभार संभाला। राजीव गांधी जी ने अपनी आधुनिक विचारधारा और युवा सोच के साथ देश को शक्तिशाली, संपन्न,एवं समृद्ध राष्ट्र बनाने में अपना अहम योगदान दिया और नौजवानों के अंदर नई उम्मीदें जगाईं। इस साथ ही राजीव गांधी जी ने अपने पीएम के कार्यकाल में कम्यूटर, संचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी को नई दिशा दी एवं नई शिक्षा नीति की घोषणा कर शिक्षा को खूब बढ़ावा दिया।
यही नहीं राजीव गांधी जी ने अपनी अद्बुत राजनैतिक कार्यशैली के चलते उन्हें असम, मिजोरम, पंजाब समझौते समेत श्री लंका में शांति सेना भेजना, 18 साल से मताधिकार, पंचायती राज को शामिल करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा उन्होंने देश की युवा शक्ति को और अधिक मजबूत बनाने के लिए उनके लिए कई अहम योजनाओं की शुरुआत भी की।
राजीव गांधी जी ने देश के युवाओं को रोजगार देने के लिए जवाहर रोजगार योजना की शुरुआत की। राजीव गांधी जी ने अपनी राजनैतिक सूझ-बूझ से 1986 में निरेपक्ष आंदोलन का नेतृत्व भारत के पास आने समेत कई अंतराष्ट्रीय मसलों पर अपनी बेबाक राय देकर, भारत को एक सम्मानजनक स्थान दिलाया।
राजीव गांधी जी ने अपने कार्यकाल के दौरान न सिर्फ रंगभेद के खिलाफ दक्षिण अफ्रीकी लोगों के संघर्ष, नामीबिया की स्वतंत्रता के लिए अपना सहयोग दिया बल्कि अफ्रीकी देशों की सहायता करने के लिए भी अफ्रीकी फंड की स्थापना में अपने सराहनीय कदम उठाए।
इसके साथ ही राजीव गांधी जी ने अपने पीएम के शासनकाल में कई देशों की यात्रा कर उनके साथ अपने आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक रिश्तों को मजबूत किया। इस तरह वे हर मुद्दे पर बेहद स्पष्ट और बेबाक राय देने वाले एक सशक्त और कुशल राजनेता के रुप में उभरे।
21 मई, 1991 में जब राजीव गांधी अपने चुनावी दौरे पर गए थे, तभी तमिलनाडु में आयोजित एक स्टेज शो के दौरान उन पर जानलेवा हमला कर दिया गया। इस बम बिस्फोट में देश के इस युवा और सशक्त राजनेता की जान चली गई। इस हमले में कई और लोगों की भी जान चली गई थी तो कई लोग घायल हो गए थे।
इसके बाद राजीव गांधी जी के मृत शरीर को नई दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में लाकर उसका पोस्टमार्टम किया गया और फिर 24 मई 1991 को राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। आधुनिक विचारधारा वाले देश के इस सशक्त औऱ कुशल राजनेता की मृत्यु से देश में शोक की लहर दौड़ गई थी।
इसके अलावा कई और यूनिवर्सिटी एवं बायोटेक्नोलॉजी के नाम राजीव गांधी जी के सम्मान में रखा गया है। इस तरह राजीव गांधी जी ने अपने छोटे से राजनैतिक करियर के दौरान अपनी अद्भुत कौशल से इस क्षेत्र में असीम ऊंचाईयों का छुआ, लेकिन इस दौरान उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव भी आए और बाद में हत्या की साजिश का शिकार होना पड़ा।
देश के प्रगति और विकास में उनके अमिट योगदान के लिए मरणोपरांत भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान “ भारत रत्न ” पुरस्कार से सम्मानित किया।
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इनका जन्म स्थान,मुझे सही नही लगता हैं क्योंकि उनका जन्म स्थान “इलाहाबाद उत्तर प्रदेश” हैं
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Gyan ki anmol dhara
Nibandh Mala
आज हम राजीव गांधी पर निबंध पढ़ेंगे। आप Essay on Rajiv Gandhi in Hindi को ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें और समझें। यहां पर दिया गया निबंध कक्षा (For Class) 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त हैं।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जब हत्या हुई, उस समय देश की परिस्थितियां ऐसी थीं कि तब किसी कार्यवाहक प्रधानमंत्री की आवश्यकता न समझते हुए राजीव गांधी को ही प्रधानमंत्री बनाया गया। तब राजीव गांधी देश के छठे प्रधानमंत्री बने थे। 31 अक्टूबर, 1984 की शाम 6.15 बजे उन्हें राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह ने शपथ दिलाई। यह निर्णय उस समय जहां कांग्रेस पार्टी के हित में था, वहीं देश के सामने भी इसका कोई विकल्प नहीं था। इस निर्णय से देश की युवा शक्ति भी एक नए उत्साह से भर उठी थी।
राजीव गांधी देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। इंदिरा जी जब प्रधानमंत्री बनीं तो उस समय उनकी अवस्था 49 वर्ष थी, जबकि राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री बने तो उस समय उनकी अवस्था 40 वर्ष थी। इसीलिए राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने पर युवाओं में विशेष उत्साह पैदा हुआ।
राजीव गांधी ने भी मतदान के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी। देश की जनता ने 1985 के आम चुनावों में उन्हें प्रचंड बहुमत दिया। 543 में से 415 सीटें उन्हें लोकसभा में मिलीं।
इस बात को सभी स्वीकार करते हैं कि राजीव गांधी जिस समय प्रधानमंत्री बने, उस समय आदर्शों और सिद्धांतों की राजनीति नहीं रह गई थी। इसीलिए उनकी ईमानदारी और खुली सोच को उनके व्यक्तित्व का नकारात्मक पहलू माना जाने लगा था। यहां यह भी सर्वविदित है कि उन्होंने देशहित के लिए अपनी महत्त्वाकांक्षा का बलिदान किया था।
देश को कम्प्यूटराइज्ड करने में राजीव गांधी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इसके लिए उन्हें अपनों तक के खुले विरोध का सामना करना पड़ा था। लेकिन वे जानते थे कि देश को भविष्य में इससे बहुत लाभ होगा। विश्व के कदम के साथ कदम मिलाकर चलने के लिए ऐसा करना जरूरी था। लेकिन देश को वो कुछ और नया दे पाते कि देश के इस सपूत की 21 मई, 1991 में मद्रास के निकट एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई।
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राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बॉम्बे में हुआ था। वह इंदिरा और फिरोज गांधी के पहले बेटे थे। क्योंकि उनके दादा श्री जवाहरलाल नेहरू और परिवार के अन्य सदस्य स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे, राजीव को लखनऊ, इलाहाबाद और दिल्ली के बीच बंद कर दिया गया था। यहां तक कि वे गांधीजी के साथ साबरमती में कुछ समय तक रहे।
राजीव गांधी ने अपनी स्कूली शिक्षा दून स्कूल, देहरादून से की और उच्च अध्ययन के लिए इंग्लैंड चले गए। इस दौरान, उनकी मुलाकात सोनिया मैनो, एक इतालवी से हुई, जिनसे उन्होंने 1968 में शादी की। उन्हें 1970 में इंडियन एयरलाइंस के साथ उड़ान भरने और पायलट बनने का बहुत शौक था।
राजीव के छोटे भाई संजय की 1980 में हवाई दुर्घटना में मृत्यु हो गई। राजीव भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री, उनकी माँ की मदद करने के लिए राजनीति में शामिल हुए। वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और एम.पी. 1981 में। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
जब इंदिरा गांधी को भारत के छठे प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। वह बहुत परिपक्व और गतिशील नेता थे। उन्होंने पंजाब और असम के चरमपंथियों के साथ शांति स्थापित की। यह एक बड़ी उपलब्धि थी।
1989 में, वह आम चुनाव हार गए। उसे दिया गया सुरक्षा कवर हटा दिया गया था, हालांकि वह पंजाब और एलटीटीई के आतंकवादियों से खतरे में थे। एक बड़ी त्रासदी में, राजीव गांधी को 20 मई, 1991 को श्रीपेरंबुदूर में लिट्टे के आतंकवादियों द्वारा मार दिया गया। भारत ने एक महान नेता और उनके एक देशभक्त बेटे को खो दिया।
आज लाखों भारतीय राजीव गांधी को एक शहीद और देश का एक शानदार बेटा मानते हैं, जिन्होंने धमाकेदार गौरव और व्यक्तिगत करिश्मे को पीछे छोड़ दिया। हालाँकि उन्होंने केवल पाँच वर्षों के लिए देश के मामलों की कमान संभाली थी, फिर भी उन्होंने भारत के आधुनिक इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी। समय की लहरें उसके पैरों के निशान को आसानी से मिटा नहीं पातीं।
इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के पहले बेटे राजीव गांधी का जन्म वर्ष 1944 में, नेहरू परिवार में हुआ था। भारत में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने इंग्लैंड में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में भाग लिया।
वह एक औसत छात्र था जिसमें कोई उल्लेखनीय शैक्षणिक उपलब्धि या खोज नहीं थी। यहीं उसकी मुलाकात एक इतालवी युवा लड़की सोनिया से हुई, जिससे उसने बाद में शादी की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एक कमर्शियल पायलट का पेशा अपनाया, जो उन्हें पसंद था।
राजीव गांधी अपने पेशे के रोमांच का आनंद ले रहे थे और एक सुखी पारिवारिक जीवन का आनंद ले रहे थे, जब अचानक उन्हें अपने छोटे भाई संजय गांधी के निधन पर राजनीति में प्रवेश करने के लिए मजबूर किया गया, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दाहिने हाथ थे।
1981 में, उन्होंने अपने दिवंगत भाई के पीआई इक्का में चुनाव जीता और अपनी माँ के राजनीतिक सलाहकार बन गए। लगभग तीन वर्षों के लिए, उन्होंने कांग्रेस पार्टी को युवा विंग के नेता के रूप में कार्य किया और इस क्षमता में बड़े पैमाने पर देश का दौरा किया।
हालांकि, 1984 में उनकी मां की दुखद हत्या ने उन्हें पार्टी का नेता बनने और देश के प्रधानमंत्री का पद संभालने के लिए मजबूर कर दिया। 1984 में जल्द ही हुए आम चुनावों में राजीव के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी पूर्ण बहुमत प्राप्त करने में सक्षम थी और सरकार बनाने में सक्षम थी। युवा राजीव, जो केवल चालीस वर्ष के थे, जब वे प्रधान मंत्री बने, दूसरी बार, अपनी युवा ऊर्जा, उत्साह और दूरदर्शिता को राजनीति में लाने में सक्षम थे।
पांच साल के दौरान राजीव ने देश के हित में जो काम किया, वह काफी हद तक सफल रहा। भारतीय अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण और वैश्वीकरण की प्रक्रिया शुरू करने का श्रेय उन्हीं को जाता है।
वह एक आधुनिक दृष्टिकोण और स्पष्ट दृष्टि वाले व्यक्ति थे। उनके नेतृत्व में भारत ने औद्योगिक, दूरसंचार और संचार क्षेत्रों में विशाल छलांग लगाई। शायद राजीव गांधी की सबसे उत्कृष्ट विरासत यह थी कि वह भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केंद्रित करने में सक्षम थे और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत की छवि को बढ़ाते थे।
कुछ वर्षों के भीतर, वह स्पष्ट विश्व दृष्टि और नेतृत्व गुणों के साथ एक मान्यता प्राप्त विश्व का व्यक्ति बन गया। जवाहर रोजगार योजना और पंचायती राज की शुरूआत राजीव गांधी की अन्य उल्लेखनीय उपलब्धियां थीं।
हालाँकि, प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के अंतिम चरण में ‘बोफोर्स घोटाला’ हुआ था, जिसने उनकी छवि को काफी धूमिल कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप अंततः 1989 के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी का रुख हुआ। 1989 से, उनकी मृत्यु तक राजीव गांधी एक अच्छे विपक्षी नेता के रूप में काम किया और अपनी पार्टी की गिरती हुई छवि को ऊपर उठाने की कोशिश की।
यह तमिलनाडु में श्रीपेरंबुदूर नामक स्थान पर उनकी सार्वजनिक रैलियों के दौरान था कि 21 मई, 1991 को तमिल आतंकवादियों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई थी। इस प्रकार, भारत के एक होनहार नेता का जीवन समाप्त हो गया। नई दिल्ली में उनकी समाधि शांतिवन और शांति के प्रतीक शांतिवन के रूप में जानी जाती है।
राजीव गांधी की अचानक हत्या के साथ, भारत ने सबसे अच्छे भारतीय नेताओं में से एक को खो दिया, जो हमारी भूमि के भाग्य को बदल सकते थे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह भारत को गौरव और उपलब्धियों की महान ऊंचाइयों पर ले गए होंगे। उनका असामयिक निधन भारत के लिए एक गंभीर क्षति है। उनकी हत्या न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक बड़ी त्रासदी थी।
40 साल की उम्र में, श्री राजीव गांधी भारत के सबसे कम उम्र के प्रधान मंत्री थे, शायद दुनिया में सरकार के सबसे कम उम्र के निर्वाचित प्रमुखों में से एक। उनकी माँ श्रीमती इंदिरा गांधी आठ साल badi थीं, जब वह पहली बार 1966 में प्रधानमंत्री बनीं। उनके शानदार दादा, पं। जवाहरलाल नेहरू, 58 वर्ष के थे जब उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में 17 साल की लंबी पारी की शुरुआत की।
देश में एक पीढ़ीगत परिवर्तन के अग्रदूत के रूप में, श्री गांधी ने देश के इतिहास में सबसे बड़ा जनादेश प्राप्त किया। उन्होंने लोकसभा के लिए चुनाव का आदेश दिया, भारतीय संसद के सीधे निर्वाचित सदन के रूप में, जैसे ही उनकी मारे गए माँ के लिए शोक समाप्त हुआ। उस चुनाव में, कांग्रेस को पहले के सात चुनावों की तुलना में लोकप्रिय वोट का बहुत अधिक अनुपात मिला और उसने 508 में से 401 सीटों पर कब्जा कर लिया।
700 मिलियन भारतीयों के नेता के रूप में ऐसी प्रभावशाली शुरुआत किसी भी परिस्थिति में उल्लेखनीय रही होगी। इससे भी अधिक अनोखी बात यह है कि श्री गांधी एक दिवंगत और अनिच्छुक राजनीति में प्रवेश करने वाले थे, भले ही वे एक गहन राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान और उसके बाद भी चार पीढ़ियों तक भारत की सेवा की।
श्री राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बॉम्बे में हुआ था। वह केवल तीन वर्ष के थे जब भारत स्वतंत्र हुआ और उनके दादा प्रधानमंत्री बने। उनके माता-पिता लखनऊ से नई दिल्ली चले गए। उनके पिता, फिरोज गांधी, एक M.P बन गए, और एक निडर और मेहनती सांसद के रूप में ख्याति अर्जित की।
राजीव गांधी ने अपने शुरुआती बचपन को अपने दादा के साथ किशोर मूर्ति हाउस में बिताया, जहाँ इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री की परिचारिका के रूप में कार्य किया। वह संक्षेप में देहरादून में वेलहम प्रेप में स्कूल गए लेकिन जल्द ही हिमालय की तलहटी में आवासीय दून स्कूल चले गए। वहाँ उन्होंने कई आजीवन दोस्ती की और उनके छोटे भाई, संजय ने भी उनका साथ दिया।
यह स्पष्ट था कि राजनीति ने उन्हें कैरियर के रूप में रुचि नहीं दी। उनके सहपाठियों के अनुसार, उनके बुकशेल्फ़ विज्ञान और इंजीनियरिंग पर विचारधाराओं, राजनीति या इतिहास पर काम नहीं करते थे। हालांकि, संगीत को उनके हितों में जगह मिली। उन्हें पश्चिमी और हिंदुस्तानी शास्त्रीय, साथ ही आधुनिक संगीत पसंद था। अन्य रुचियों में फोटोग्राफी और शौकिया रेडियो शामिल थे।
हालाँकि उनका सबसे बड़ा जुनून था, उड़ना। कोई आश्चर्य नहीं, कि इंग्लैंड से घर लौटने पर, उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब में प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की, और एक वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस प्राप्त किया। जल्द ही, वह इंडियन एयरलाइंस, घरेलू राष्ट्रीय वाहक के साथ एक पायलट बन गया।
कैम्ब्रिज में रहने के दौरान, वह सोनिया मेनो से मिले थे, जो एक इतालवी थी जो अंग्रेजी पढ़ रही थी । उनकी शादी 1968 में नई दिल्ली में हुई थी। वे श्रीमती में रहे। इंदिरा गांधी के नई दिल्ली में अपने दो बच्चों, राहुल और प्रियंका के साथ। उनके आसपास के दिन और राजनीतिक गतिविधि में हलचल के बावजूद उनका निजी जीवन बहुत महत्वपूर्ण था।
लेकिन उनके भाई संजय की 1980 में एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई। श्री गांधी पर राजनीति में प्रवेश करने और अपनी मां की मदद करने का दबाव, फिर कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से घिरा हुआ। उसने पहले तो इन दबावों का विरोध किया, लेकिन बाद में अपने तर्क के आगे झुक गया। उन्होंने अपने भाई की मृत्यु के कारण संसद में उपचुनाव जीता, अमेठी से यू.पी. के वह प्रतिनिधि बने।
नवंबर 1982 में, जब भारत ने एशियाई खेलों की मेज़बानी की, स्टैडिया और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए वर्षों पहले की गई प्रतिबद्धता पूरी हुई। श्री गांधी को सभी काम समय पर पूरा करने और यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया था कि खेल खुद बिना किसी बाधा या खामियों के आयोजित किए गए थे।
इस चुनौतीपूर्ण कार्य को पूरा करने में, उन्होंने पहली बार शांत दक्षता और सुचारू समन्वय के लिए अपने स्वभाव को प्रदर्शित किया। उसी समय, कांग्रेस के महासचिव के रूप में, उन्होंने समान परिश्रम के साथ पार्टी संगठन को सुव्यवस्थित और सक्रिय करना शुरू कर दिया। इन सभी गुणों को बाद में कहीं अधिक परीक्षण और प्रयास समय में सामने आया।
31 अक्टूबर, 1984 को अपनी मां की निर्मम हत्या के बाद श्री गांधी की तुलना में प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कोई भी सत्ता में नहीं आया – प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष दोनों ही अधिक दुखद और पीड़ा की स्थिति में थे। और उल्लेखनीय कविता, गरिमा और संयम के साथ राष्ट्रीय जिम्मेदारी उनके सर थी।
महीने भर के चुनाव अभियान के दौरान, श्री गांधी ने देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक अथक यात्रा की, जो पृथ्वी की परिधि के डेढ़ गुना के बराबर दूरी को नापा, कई स्थानों पर 250 बैठकों में बोलते हुए और लाखों आमने-सामने मिलते हुए अपनी यात्रा तय की।
एक आधुनिक दिमाग वाले, निर्णायक लेकिन अदम्य व्यक्ति, श्री गांधी उच्च प्रौद्योगिकी की दुनिया में जीने वाले थे। और, जैसा कि उन्होंने बार-बार कहा, उनका एक मुख्य उद्देश्य, भारत की एकता को संरक्षित करने के अलावा, इसे इक्कीसवीं सदी में प्रचारित करना था।
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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.
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राजीव गाँधी पर निबंध | Essay on Rajiv Gandhi in Hindi language.
राजीव गाँधी जैसे युवा नेता की दूरदर्शिता के फलस्वरूप ही देश कम्प्यूटर युग में प्रवेश कर सका है । जब कम्प्यूटर के क्षेत्र में अध्ययन एवं अनुसन्धान के प्रयासों को उन्होंने बल देना शुरू किया था, तो लोगों ने इससे बेरोजगारी बढ़ने की बात कहकर उनकी तीव्र आलोचना की थी, किन्तु आज देश की प्रगति में कम्प्यूटर की उपयोगिता एवं भूमिका से यह स्वाभाविक रूप से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि राजीव गाँधी अपने समय से कितना आगे चलते हुए पूरी सूझ-बूझ से निर्णय लिया करते थे ।
भारत आज सूचना प्रौद्योगिकी की सुपर शक्ति बन चुका है और इसमें कम्प्यूटर की भूमिका अहम् है । राजीव गाँधी के नेतृत्व में देश ने आधुनिकीकरण एवं खुशहाली के नए युग में प्रवेश किया । राजीव गाँधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बम्बई में हुआ था । उनके नाना जवाहरलाल नेहरू ने उनका नाम ‘राजीव गाँधी’ रखा ।
उनके पिता फिरोज गाँधी, माँ इन्दिरा गाँधी एवं नाना जवाहरलाल नेहरू, जो देश की स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे, के संघर्षों को देखकर सम्भवत: एक दिन राजीव गाँधी भी इस लड़ाई में कूद पड़ते, किन्तु सौभाग्यवश 15 अगस्त, 1947 को देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिल गई ।
ADVERTISEMENTS:
आजादी के बाद जब राजीव गाँधी के नाना जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमन्त्री बने, तो वे माँ एवं छोटे भाई संजय गाँधी के साथ दिल्ली के तीनमूर्ति भवन में रहने आ गए । उनकी प्रारम्भिक शिक्षा यहीं के एक स्कूल शिव निकेतन में हुई । वर्ष 1954 में आगे की पढ़ाई के लिए राजीव को देहरादून के वेल्हम विद्यालय भेजा गया ।
वहाँ से आईएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे सीनियर कैम्ब्रिज में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड चले गए । वहाँ ट्रिनिटी कॉलेज से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री प्राप्त की । पढ़ाई खत्म करने के बाद वे दिल्ली फ्लाइंग क्लब के सदस्य बने तथा विमान संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया ।
जब बे कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर रहे थे, तब उनकी माँ इन्दिरा गाँधी वर्ष 1966 में भारत की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री बनी । पढ़ाई खत्म करने के बाद विमान चालक के प्रशिक्षण के दौरान वर्ष 1968 में इटली की सोनिया माइनो से उनका विवाह हो गया ।
अपने नाना, पिता एवं माँ के देश की राजनीति में अहम् स्थान के बावजूद राजीव राजनीति में नहीं आना चाहते थे, इसलिए विमान संचालन के प्रशिक्षण के बाद उन्होंने वर्ष 1970 में इण्डियन एयरलाइंस में पाइलट की नौकरी करना शुरू कर दी ।
23 जून, 1980 को अपने छोटे भाई संजय गाँधी की मृत्यु के बाद न चाहते हुए भी खानदान की विरासत को सँभालने के लिए उन्हें राजनीति में आना पड़ा । जून, 1981 में वे अमेठी से सांसद निर्वाचित हुए और साथ में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव भी बनाए गए ।
31 अक्तूबर, 1984 को अपनी माँ तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी की उनके ही अंगरक्षकों द्वारा जघन्य हत्या के बाद शोकाकुल राजीव को समय की आवश्यकता को देखते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र की बागडोर संभालनी पड़ी ।
वे अब तक के सबसे युवा प्रधानमन्त्री थे और राजनीति का भी उन्हें अधिक अनुभव नहीं था, इसलिए कुछ लोगों को आशंका थी कि वे राजनीति में सफल नहीं हो पाएंगे, परन्तु जिस कुशलता के साथ देश का संचालन करते हुए वे इसे आधुनिकीकरण के नए युग में ले गए, उससे उनके सभी आलोचक स्तब्ध रह गए ।
दिसम्बर, 1984 में जब लोकसभा के चुनाव हुए, तो राजीव जी की अद्भुत नेतृत्व क्षमता के कारण कांग्रेस को 542 सीटों में से 411 सीटों पर अभूतपूर्व जीत हासिल हुई । 31 दिसम्बर, 1984 को राजीव गाँधी नई लोकसभा के सदस्यों के नेता के रूप में पुन: देश के प्रधानमन्त्री बने ।
अपने कार्यकाल में उन्होंने भारतीय जनता के कल्याण के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय किए, नए कार्यक्रमों की शुरूआत की तथा विश्व के अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भी भारत को अभूतपूर्व प्रतिष्ठा दिलाई । श्रीलंका में चल रहे लिट्टे और सिंघलियों के बीच युद्ध को शान्त करने के लिए उन्होंने भारतीय सेना को श्रीलंका में तैनात किया ।
राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करने के लिए उन्होंने वर्ष 1985 में राजनीतिक दल-बदल सम्बन्धी विधेयक पारित करवाया । बेरोजगारी की विकराल समस्या के समाधान के लिए वर्ष 1988 में व्यापक ऋण योजना तथा 1 अप्रैल, 1989 को जवाहर रोजगार योजना का शुभारम्भ किया, जिसके अन्तर्गत ‘इन्दिरा आवास योजना’ तथा ‘दस लाख कुआँ योजना’ जैसे कई कार्यक्रमों की शुरूआत की ।
पंचायती राजव्यवस्था को मजबूत करने के दृष्टिकोण से 15 मई, 1989 को बहुप्रतीक्षित 64वाँ पंचायती राज विधेयक संविधान संशोधन प्रस्तुत किया । प्रथम बार प्रधानमन्त्री बनते वक्त राजीव गाँधी को पंजाब के आतंकवाद और असोम के आन्दोलनकारियों से त्रस्त भारत मिला था, किन्तु अपनी प्रशासनिक क्षमता एवं सूझ-बूझ से ऐसी सभी समस्याओं का समाधान करने में वे सफल रहे ।
राजीव गाँधी ने देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण से पृथ्वी, त्रिशूल और अग्नि जैसी मिसाइल एवं प्रक्षेपास्त्रों का विकास करवाया । उन्हें अपने देश की युवाशक्ति पर बड़ा मान था, यही कारण है कि देश की युवाशक्ति की राजनीति में भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने का प्रस्ताव संसद में पारित करवाया ।
वर्ष 1989 के सामान्य चुनाव में अपने आकर्षक व्यक्तित्व के बल पर वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से भारी मतों से विजयी होने में कामयाब रहे, किन्तु अपने कुछ सहयोगियों के भीतरघात के कारण उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा । राजीव गाँधी यदि चाहते तो उस समय जोड़-तोड़ की सरकार बना सकते थे, परन्तु जनादेश का सम्मान करते हुए उन्होंने विपक्ष में बैठना स्वीकार किया ।
शाहबानो प्रकरण में ‘मुस्लिम लॉ’ के सम्मान की बात हो या अयोध्या में ‘रामलला के दर्शन’ की अनुमति हो, उनके जैसा साहस एवं समन्वय अतुलनीय है । राजीव गाँधी अपने व्यवहार के अनुरूप सुरक्षा की परवाह किए बिना जनता के बीच चले जाते थे ।
इसका लाभ उनके दुश्मनों ने उठाया और चेन्नई के पेरुम्बुदूर नामक स्थान पर एक चुनावी सभा को सम्बोधित करने के लिए जाते समय एक आत्मघाती हमले में 21 मई, 1991 को उनकी मृत्यु हो गई । भारत सरकार ने देश के प्रति राजीव गांधी द्वारा की गई महान् सेवाओं के लिए कृतज्ञता जाहिर करते हुए 7 जुलाई, 1991 को मरणोपरान्त उन्हें देश के सर्वोच्च अलंकरण ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया ।
जिस तरह, इन्दिरा गाँधी की हत्या से पूरा देश स्तब्ध रह गया था, उसी तरह एक बार फिर अपने प्रिय युवा नेता की हत्या से भारतवासी शोकाकुल हो गए । उनके निधन से भारत को जो क्षति हुई उसकी पूर्ति असम्भव है, पर भारत को कम्प्यूटर युग में ले जाने का उनका जो सपना था, वह आज साकार हो चुका है और भारत सूचना प्रौद्योगिकी की सुपर शक्ति बन चुका है । कृतज्ञ भारतवासी, देश की प्रगति में उनके योगदान को कभी भुला नहीं सकते । उनका व्यक्तित्व एवं उनकी कार्यप्रणाली सदैव देश के युवा वर्ग का मार्गदर्शन करती रहेगी ।
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श्री राजीव गाँधी जी का जन्म 20 अगस्त 1944 ई. को मुम्बई में हुआ था। उनकी माता विश्वविख्यात श्रीमती इन्दिरा गांधी थी। पिता पारसी धर्म के श्री फिरोजशाह गांधी थे। जवाहर लाल नेहरू जैसे विश्वविख्यात और इतिहास पुरुष उनके नाना थे। उनके जन्म के समय पं. नेहरू अहमदनगर कारागार में थे। राजीव के जन्म के कुछ समय बाद इन्दिरा जी मुम्बई से इलाहाबाद आ गईं। जब जवाहर लाल नेहरू जेल से रिहा हो गए तो इन्दिरा जी अपने पति और पुत्र के साथ आनन्द भवन में रहने लगीं।
बड़े होने पर राजीव को प्रारम्भिक शिक्षा के लिए शान्ति-निकेतन में भर्ती करा दिया गया जिसका संचालन मुख्याध्यापिका श्रीमति ऊषा भगत करती थी। कुछ समय के लिए राजीव को बोर्डिंग स्कूल में भी रहना पड़ा। सन् 1954 में उन्होंने देहरादून के प्रसिद्ध विद्यालय ‘दून’ स्कूल में प्रवेश लिया और सन् 1960 में वहां से सीनियर कैम्ब्रिज की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद वे लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में चले गए और यहां एक वर्ष तक अध्ययन करते रहे। पुन: वे कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिल हो गए जहां उन्होंने मकैनिकल इंजीनियर का कोर्स आरम्भ किया। सोनिया से इटली में एक गोष्टी में उनका परिचय हुआ जिससे वे कुछ समय पश्चात् विवाह सूत्र में बंध गए। लंदन से लौटने के बाद वे दिल्ली में फ्लाइंग क्लब के सदस्य बन गए और विमान संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त करने लगे। प्रशिक्षण पूरा करने के पश्चात् सन् 1970 में वे एयर इण्डिया में विमान चालक बन गए।
दुर्भाग्यवश 23 जून 1980 को राजीव गांधी के अनुज संजय गांधी की विमान दुर्घटना में हृदय विदारक मौत हुई। युवा अवस्था में उनकी इस मौत से सारा देश स्तब्ध रह गया तथा इन्दिरा गांधी जी के लिए उनकी मृत्यु विशेष कष्टदायी सिद्ध हुई। संजय गांधी, राजनीति में इन्दिरा गांधी जी का साथ देते थे। युवा-पुत्र की मृत्यु ने उन्हें अकेला कर दिया। राजीव इस समय यूरोप की यात्रा पर थे। भाई की मृत्यु के दु:खद समाचार से वे भी पीड़ित हुए और तुरन्त भारत लौट आए। नवम्बर 1983 में कलकत्ता में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में उन्हें भारतीय कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया गया।
31 अक्तूबर, 1984 को देश के इतिहास ने एक नया मोड़ लिया। इस दिन श्रीमती इन्दिरा गांधी के संरक्षकों ने उन्हें उनके निवास के बाहर गोलियों से छलनी कर दिया। संकट के इन क्षणों में 31 अक्तूबर को ही राजीव गांधी को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। श्रीमती गांधी की मृत्यु के पश्चात् राष्ट्रीय शोक के 13 दिन पूरे होने के बाद सातवें आम चुनाव की घोषणा हुई। दिसम्बर 1984 में महाचुनाव हुए और इस चुनाव में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को अभूतपूर्व विजय मिली। नव वर्ष 1985 के प्रथम दिन श्री राजीव गांधी निर्वाचित प्रधानमंत्री बने।
जहां तक प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की उपलब्धियों का प्रश्न है उसे पक्षपात रहित होकर आंकने पर यही कहा जा सकता है कि जिस अल्प अवधि में श्री राजीव गांधी ने अनेक वर्षों से लटकती हुई पंजाब तथा असम की समस्याओं को सुलझाया है वह निश्चय ही उनकी बहुत बड़ी सफलता है। 24 जुलाई 1985 को अकाली दल के तत्कालीन अध्यक्ष सरदार हरचंद सिंह लौंगोवाल के साथ उन्होंने ऐतिहासिक पंजाब समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसी प्रकार पंजाब समस्या से भी दीर्घकालीन समस्या असम समस्या स्वतन्त्रता दिवस की सुबह 15 अगस्त 1985 को समझौते के साथ समाप्त हुई।
21 मई 1991 को मद्रास से लगभग 50 किलोमीटर दूर श्री पेरुंबुदूर में रात्रि के लगभग 10 बजकर 20 मिनट पर एक ‘मानव-बम’ द्वारा राजीव गांधी की भयावह, अत्यन्त दर्दनाक रूप से हत्या कर दी गई। उनका शरीर क्षत-विक्षत हो गया और अंग-प्रत्यंगों को पहचानना भी कठिन हो गया था। उनकी हत्या एल. टी. टी. ई. की घिनौनी साजिश का परिणाम थी। इस क्रूर हत्या से सारा विश्व स्तब्ध रह गया था। ‘धनु’ नाम की एक क्रूर महिला ने अपने शरीर पर विस्फोटक बांध कर राजीव के चरण स्पर्श करने का अभिनय किया और भयानक विस्फोट के साथ राजीव गांधी का शरीर खण्डित हो गया।
राजीव गांधी आकर्षक व्यक्तित्व के धनी थे। विश्व में सर्वाधिक कम आयु के प्रधानमन्त्री राजीव विरोधी दलों के प्रशंसा के पात्र भी रहे। स्वभाव से वे शान्त और सौम्य थे। नम्रता और उदारता उनकी विशेषताएं थीं। उनका गंभीर व्यक्तित्व दूसरों को बहुत प्रभावित करता था।
अपने राजनीतिक जीवन के आरम्भिक जीवन में राजीव को विशेष सफलता मिली थी। पंजाब, मिजोरम और असम के हल के लिए जो समझौते हुए थे, वे सफल सिद्ध नहीं हो सके। विदेशी मोर्चे पर जो सफलता मिली वह भी पानी के बुलबुलों जैसी सिद्ध हुई। मिखाइल गोर्बाचेव और रीगन के दिलों को जीत कर वे । विश्व पर छा गए थे। धीरे-धीरे चापलूसों ने राजीव को घेर लिया, उनकी कथनी और करनी में अन्तर बढ़ने लगा।
राजीव गांधी को उनकी मृत्यु के बाद भारत-रत्न की उपाधि दी गई जिसे राष्ट्रपति ने उनकी पत्नी सोनिया गांधी को एक सादे समारोह में प्रदान किया। हत्याओं का यह सिलसिला सम्पूर्ण विश्व के लिए एक चुनौती है।
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Pratibha Patil in Hindi
विश्व रंगमंच पर मनुष्य नाटक के पात्रों के समान अपना-अपना अभिनय करते हैं। उसको अभिनय उसके व्यक्तित्व का परिचायक होता है। नाटक में नायक अपने उदात्तचरित्र और अभिनय के द्वारा ही अपना स्थान बनाता है। दर्शकों की श्रद्धा और सहानुभूति उसके कार्य के माध्यम से उसके प्रति भी जागृत होती है। भारतीय राजनीति के रंगमंच पर राजीव गांधी का उदय नाटक के नायक की भांति ही हुआ है। अल्पकाल में ही उन्होंने जो ख्याति अर्जित की है उसके मूल में उनके वंश और कुल का ही योगदान नहीं है अपितु अपनी सूझ-बूझ, चतुराई, साहस से वे विश्व-विख्यात हुए हैं। उनका आगमन भी उस दौर में हुआ है जब भारतीय राजनीति के आकाश में घने बादल छा गए थे तथा चारों ओर निपट अंधकार फैल गया था।
श्री राजीव गांधी जी का जन्म 20 अगस्त 1944 ई. को बम्बई में हुआ था। उनकी माता विश्व विख्यात महिला इन्दिरा गांधी थी। पिता पारसी धर्म के श्री फिरोजशाह गांधी थे। जवाहर लाल नेहरू जैसे विश्व विख्यात और इतिहास पुरुष उनके नाना थे। उनके जन्म के समय पं. नेहरू अहमदनगर कारागार में थे। राजीव के जन्म के कुछ समय बाद इन्दिरा जी बम्बई से इलाहाबाद आ गई। जब जवाहर लाल नेहरू कारागार से रिहा हो गए तो इन्दिरा जी अपने पति और पुत्र के साथ आनन्द भवन में रहने लगीं। राजीव को बचपन में कभी लखनऊ और कभी दिल्ली तथा कभी साबरमति आश्रम में रहना पड़ता था, जहां गांधी जी उनके साथ बच्चों की तरह खेला करते थे।
कुछ बड़े होने पर राजीव को आरम्भिक शिक्षा के लिए शिव-निकेतन में भर्ती करा दिया गया जिसका संचालन मुख्याध्यापिका श्रीमति ऊषा भगत करती थी। कुछ समय के लिए राजीव को बोर्डिंग स्कूल में भी रहना पड़ा। सन् 1954 में उन्होंने देहरादून के प्रसिद्ध विद्यालय ‘दून’ स्कूल में प्रवेश लिया और सन् 1960 में वहां से सीनियर कैम्ब्रिज की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद वे लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में चले गए और यहां एक वर्ष तक अध्ययन करते रहे। पुनः वे कैम्ब्रिज के ट्रिनीटी कॉलेज में दाखिल हो गए जहां उन्होंने मैकैनिकल इंजीनियर का कोर्स आरम्भ किया। इस काल में राजीव ने आइसक्रीम बेच कर, फैक्ट्री तथा बेकरी में काम कर अपने अध्ययन के लिए धन भी स्वयं अर्जित किया। अपनी भारतीय संस्कृति के प्रति लगाव होने के कारण वे कॉलेज की गोष्ठियों में अपने साथियों के साथ वाद-विवाद करते। मधुर-भाषी तथा शांत स्वभाव वाले होने के कारण वे अपने साथियों में प्रिय थे। इसी प्रकार की एक गोष्ठी में उनको परिचय इटेलियन युवती सोनिया से हुआ, जिससे वे कुछ समय पश्चात् विवाह सूत्र में बंध गए। लंदन से लौटने के बाद वे दिल्ली में फ्लाइंग क्लब के सदस्य बन गए और विमान संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त करने लगे। प्रशिक्षण पूरा करने के पश्चात् सन् 1970 में वे एयर इण्डिया में विमान चालक बन गए।
राजनीति में आगमन
दुर्भाग्य वश 23 जून 1980 को राजीव गांधी के अनुज संजय गांधी की विमान-दुर्घटना में हृदय विदारक मौत हुई। युवा अवस्था में उनकी इस मौत से सारा देश स्तब्ध रह गया तथा इंदिरा गांधी जी के लिए उनकी मृत्यु विशेष कष्टदायी सिद्ध हुई। संजय गांधी, राजनीति में इन्दिरा गांधी जी का साथ देते थे। युवा-पुत्र की मृत्यु ने उन्हें अकेला कर दिया। राजीव इस समय यूरोप की यात्रा पर थे। भाई की मृत्यु के दु:खद समाचार से वे भी पीड़ित हुए और तुरन्त भारत लौट आए। दुर्भाग्य से उन्हें ही अनुज की चिता में अग्नि प्रज्ज्वलित करनी पड़ी। अब राजीव को राजनीति में प्रवेश करवाने के लिए कांग्रेस के अनेक सदस्य सक्रिय हो गए और वे राजीव तथा इन्दिरा को यही सलाह देते रहे। कांग्रेस के अनेक संसद सदस्यों ने एक हस्ताक्षर युक्त प्रस्ताव इन्दिरा जी के सम्मुख रखा परन्तु उन्होंने स्वयं इस पर कोई निर्णय नहीं लिया और राजीव को ही निर्णय लेने के लिए कहा। राजीव गांधी इस बात के लिए तत्पर न थे लेकिन अपनी मां की व्यस्तता देखकर और उनके कार्य की अधिकता तथा उत्तरदायित्व को समझकर उन्होंने इस ओर गम्भीरता से सोचना आरम्भ किया। अब वे राजनीतिक कार्यों में श्रीमती गांधी का हाथ बटाने लगे। राजनीति में उनकी संगठन-सामर्थ्य का प्रथम परिचय उस समय मिला जब 16 फरवरी 1981 को दिल्ली में किसान रैली का आयोजन किया गया। श्री गाँधी के कुशल संचालन तथा साहसिक नेतृत्व में कांग्रेस के 25 हजार कार्यकर्ता क्रियाशील रहे और इस रैली को विशेष रूप से सफल बनाने का प्रयास करते रहे। अन्ततः 11 मई 1981 को श्री बसन्त दादा पाटिल ने जो कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन महासचिव थे राजीव गांधी के नाम को घोषणा एक पत्रकार सम्मेलन में की और श्री राजीव गांधी ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। अमेठी से उन्होंने अपना नामांकन पत्र संसद सदस्य के चुनाव के लिए भरा। इस क्षेत्र में चुनाव 9 जून 1981 को हुआ और 16 जून 1981 को उनके भारी बहुमत से विजयी होने की घोषणा की गई। 24 जून 1981 को उन्हें कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की बैठक में आमंत्रित किया गया। 17 अगस्त, 1981 को उन्होंने लोक सभा के सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण की। 29 दिसम्बर को उन्हें युवा कांग्रेस के बंगलौर अधिवेशन में युवा कांग्रेस का नेता स्वीकार कर लिया गया। मई 1982 में हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, केरल तथा पश्चिम-बंगाल में विधान सभा के चुनाव में उन्होंने अनेक स्थानों पर जाकर चुनाव सभाओं को सम्बोधित किया तथा पूर्ण समर्पण के साथ अपनी पार्टी के लिए कार्य किया। नवम्बर 1983 में कलकत्ता में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में उन्हें भारतीय कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया गया।
प्रथानमंत्री के रूप में
31 अक्तूबर, 1984 को देश के इतिहास ने एक नया मोड़ लिया। यह दिन इतिहास में विश्वास की हत्या तथा धर्मान्धता और कुचक्रों के काले प्रतीक के रूप में याद रहेगा। इस दिन श्रीमती इन्दिरा गांधी के संरक्षकों ने उन्हें उनके निवास के बाहर गोलियों से छलनी कर दिया। देश की प्रिय नेता छिन जाने से तथा उन्हें सांप्रदायिकता की भेंट चढ़ाने से देश तथा विश्व को जन-जन स्तब्ध रह गया। संकट के इन क्षणों में ही 31 अक्तूबर को ही राजीव गांधी को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। जब दिल्ली आदि स्थानों में सांप्रदायिक दंगे हो रहे थे और उनकी मां का शव लोगों के दर्शनार्थ रखा था तब भी वे स्थान-स्थान पर रात भर दंगा-पीड़ितों के बीच घूमते रहे तथा उन्हें हर संभव सहायता दिलवाने का प्रयास करते रहे। श्रीमती गांधी की मृत्यु के पश्चात् राष्ट्रीय शोक के 13 दिन पूरे होने के बाद सातवें आम चुनाव की घोषणा हुई। दिसम्बर 1984 में महाचुनाव हुए और इस चुनाव में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को अभूतपूर्व विजय मिली। नव वर्ष 1985 के प्रथम दिन श्री राजीव गांधी निर्वाचित प्रधानमंत्री बने।
जहां तक प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की उपलब्धियों का प्रश्न है उसे पक्षपात रहित होकर आंकने पर यही कहा जा सकता है कि जिस अल्प अवधि में श्री राजीव गांधी ने अनेक वर्षों से लटकती हुई पंजाब तथा असम की समस्याओं को सुलझाया है वह निश्चय ही उनकी बहुत बड़ी सफलता है। लगभग चार वर्षों से खड़ी और जटिल पंजाब समस्या जो समस्त भारत की अखण्डता के लिए खतरा उत्पन्न कर रही थी तथा जिसे उनकी स्वर्गीय मां सुलझा न पाई और जिसके कारण पंजाब का वातावरण असुखद हो गया था श्री गांधी ने उस का समाधान अत्यन्त चतुराई तथा सुखान्त रूप में किया। 24 जुलाई 1985 को अकाली दल के तत्कालीन अध्यक्ष सरदार हरचंद सिंह लौंगोवाल के साथ उन्होंने ऐतिहासिक पंजाब समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसी प्रकार पंजाब-समस्या से भी दीर्घकालीन समस्या असम-समस्या स्वतन्त्रता दिवस की प्रभात बेला में 15 अगस्त 1985 को समझौते के साथ समाप्त हुई। इसी दौर में लोकपाल बिल एवं दल-बदल रोकने के चिर-प्रतीक्षत कानून भी उनके कार्यकाल की अल्प अवधि में से संसद में पास हुए। देश द्रोह के कार्यों में संलग्न अनेक देशद्रोही गुप्तचरों का भण्डाफोड़ कर उन्होंने अनेक साहसी निर्णय लिए। पंजाब में हुए चुनाव में अब अकाली-दल को बहुमत प्राप्त हुआ और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा तब भी उन्होंने अत्यन्त उदार होकर इसे अपनी पार्टी की हार न मानकर अपने देशवासियों की ही विजय बताया। इस अल्प अवधि में अर्थात् लगभग एक वर्ष से भी कम समय में उन्होंने दो बार विदेशों की सफल यात्राएं की तथा अमेरिका, रूस, पाकिस्तान, श्री लंका आदि देशों के राष्ट्रध्यक्षों से विश्व समस्या पर बातचीत की। वाशिंगटन तथा मास्कों में उनका अभूतपूर्व स्वागत हुआ। राष्ट्रपति रीगन ने उनकी प्रशंसा की।
एक सुनहरे सपने को दुःखद और त्रासद अन्त
21 मई 1991 को मद्रास से लगभग 50 कि. मी. दूर श्री पेरुंबुद्र में रात्रि के लगभग 10 बजकर 20 मिनट पर एक ‘मानव-बम’ द्वारा राजीव की भयावह, अत्यन्त दर्दनाक रूप से हत्या कर दी गई। उनका शरीर क्षत-विक्षत हे गया और अंग-प्रत्यंगों को पहचानना ही कठिन हो गया था। उनकी हत्या एल. टी. टी. ई. की घिनौनी साजिश का परिणाम थी। इस क्रूर हत्या से सारा विश्व स्तब्ध रह गया था। ‘धन’ नाम की एक क्रूर महिला ने अपने शरीर पर विस्फोटक बांध कर राजीव के चरण स्पर्श करने का अभिनय किया और भयानक विस्फोट के साथ राजीव का शरीर खण्डित हो गया। नारी का मधुर और करुणामय व्यक्तित्व कितना अमानवीय और राक्षसी हो सकता है। धनु का जीवन इसका प्रमाण है। सम्पूर्ण विश्व में इस हत्या-काण्ड की घोर निन्दा की गई। 24 मई 1991 को उनके पार्थिव शरीर को चन्दन की चिता पर शक्ति स्थल को समर्पित कर दिया गया। मां की मौन समाधि के पास ही उनकी समाधी भी मौन हो गई।
राजीव गांधी आकर्षक व्यक्तिव के धनी थे। सुन्दर गौरवर्ण धवल दन्त पंक्तियां, मधुर-मुस्कान और मितभाषी राजीव सबका मन सहज में ही मोह लेते थे। विश्व में सर्वाधिक कम आयु के प्रधानमन्त्री राजीव विरोधी दलों के प्रशंसा के पात्र भी रहे। स्वभाव से वे शान्त और सौम्य थे। नम्रता और उदारता उनकी विशेषताएं थी। उनका गंभीर व्यक्तित्व दूसरों को प्रभावित भी करता था तथा उनकी हास्य व्यंग्य से भरपूर प्रकृति सबको सहज भी कर देती थी।
अपने राजनीतिक जीवन के आरम्भिक जीवन में राजीव को विशेष सफलता मिली थी। पंजाब, मिजोरम और असम के हल के लिए जो समझौते हुए थे, वे सफल सिद्ध नहीं हो सके हैं। विदेशी मोर्चे पर जो सफलता मिली वह भी पानी के बुलबुलों जैसी सिद्ध हुई। मिखाइल गोर्बाचेव और रेगन के दिलों को जीत कर वे विश्व पर छा गए थे। धीरे-धीरे चापलूसों और मक्कारों ने राजीव को घेर लिया और उनकी कथनी और करनी में अन्तर बढ़ने लगा। शहबानो का मामला, पंजाब समझौते पर घपलेबाजी, बोफोर्स कांड ने उनकी छवि को धूमिल कर दिया। अपनी सरकार के जटिल संकटों को सुलझाने में वे नाकाम रहे। मि. ‘क्लीन’ के नाम से जाने जाने वाले राजीव जनादेश की उपेक्षा कर धीरे-धीरे स्वयं ही उपेक्षित हो गए। 1984 में जिन्हें ऐतिहासिक सफलता मिली थी, सन् 1989 में वे सफलता से बहुत दूर चले गए। अब वे विपक्ष के नेता के रूप में अवतरित हुए। उन्होंने कहा था – हम पूरी विनम्रता के साथ लोगों के फैसले को स्वीकार करते हैं। हम नई सरकार को रचनात्मक सहयोग देने का वायदा करते हैं, इसके बाद राजीव के व्यक्तित्व में अनुभव जुड़ता गया। उन्हें एहसास हो गया कि उनसे भारी भूल हुई है। सत्ता से उनके हटने के 19 महीनों के बाद ही फिर चुनाव आ गए। अब वे जनता से सम्पर्क कायम करने के लिए भीड़ में घुलने मिलने के लिए अनथक प्रयास करने लगे। वे पूरे दम-खम से चुनाव प्रचार में जुट गए और इस दौरान वे दो घण्टे से भी अधिक सो नहीं पाते थे। शायद लोगों ने भी उनकी नाकामियों और असफलताओं भुला कर वी. पी. सिंह के आरक्षण कांड से त्रस्त होकर राजीव को पुनः अपना नायक बनाने का मन बना लिया था। लेकिन राजनीति में हुई हिंसा से वे निश्चय हीं चितित थे उन्होंने कहा था कि इस बार चुनाव में भारी हिंसा होगी और सत्य ही इस भारी हिंसा का बज्र उन पर ही टूट-पड़ा और इस प्रकार एक सुनहरे सपने का दुःखद तथा त्रासद अंत हो गया।
राजीव गांधी को उनकी मृत्यु के बाद भारत-रतन की उपाधि दी गई जिसे राष्ट्रपति से उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने एक सादे समारोह में प्राप्त किया। हत्याओं का यह खुला व्यापार सम्पूर्ण विश्व के लिए एक चुनौती है। आतंक और उग्रवाद को निश्चय ही समूल नष्ट करना होगा।
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Particulars | Description |
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राजीव गांधी जन्म तिथि | 20 August 1944 |
राजीव गांधी मृत्यु तिथि | 21 May 1991 |
मृत्यु आयु (मृत्यु के समय आयु) | 46 years |
राजीव गांधी पत्नी | सोनिया गांधी |
राजीव गांधी चिल्ड्रन | राहुल गांधी प्रियंका गांधी |
Parents | फिरोज़ गांधी (फादर) इंदिरा गांधी (मदर) |
Carrier | राजनेता (भारत के प्रधानमंत्री) |
Rajiv Gandhi essay in Hindi
राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) भारतीय राजनीतिज्ञ थे जो १९८४ से १९८९ तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत थे। उनका जन्म २० अगस्त, १९४४ को मुंबई, भारत में हुआ था और उनकी मां इंदिरा गांधी भी भारत की प्रधानमंत्री रही थीं।
राजीव गांधी ने १९८४ में अपनी मां की हत्या के बाद राजनीति में कदम रखा। उनकी उम्र ४० साल में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बनने का गर्वपूर्ण अनुभव था। उनके कार्यकाल में वे भारत की अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण और विभिन्न सुधारों पर ध्यान केंद्रित करते रहे।
राजीव गांधी ने भारत में कंप्यूटरीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी को प्रस्तावित करने का महत्व जाना। उनके नेतृत्व में कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा देने और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की स्थापना की गई। यह पहल भारत को सॉफ्टवेयर उद्योग के विकास में मदद करने में सहायता प्रदान करती है।
साथ ही, राजीव गांधी सामाजिक के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका सामाजिक कल्याण और सशक्तिकरण के प्रति समर्पण देशवासियों के जीवन में सुधार लाने के लिए था। उन्होंने ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य था हर गांव में बिजली पहुंचाना। जवाहर रोजगार योजना को शुरू किया गया, जिसके माध्यम से बेरोजगारी को समाप्त करने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और बुनियादी ढांचे के विकास को सुनिश्चित किया गया।
(Rajiv Gandhi Essay in Hindi) राजीव गांधी ने भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने गैर-संघटितता को महत्व दिया और विभिन्न देशों के साथ दोस्ताना संबंधों की खोज की। उनकी प्रयासों से पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने में सफलता मिली, जैसे कि भारत-श्रीलंका समझौता के माध्यम से। यह उनकी क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के प्रति समर्पण का प्रतीक था।
परंतु, दुःखद है कि राजीव गांधी की उम्र काफी छोटी थी जब उन्हें दुर्भाग्यपूर्ण रूप से १९९१ के मई २१ को स्रीपेरुम्बुदूर, तमिलनाडु में एक आत्मघाती बमविस्फोट के द्वारा हत्या की गई। उनकी मृत्यु देश में भयंकर आक्रोश और व्यापक शोक का कारण बनी।
(Rajiv Gandhi Essay in Hindi ) राजीव गांधी की विचारधारा, कर्मठता और सद्भावना को याद करते हुए, उनकी यात्रा भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण धारा बन गई है। उनका योगदान विशेष रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में याद रखा जाता है। उनकी नेतृत्व में हुए कदमों ने देश को आधुनिक और विकसित भारत की ओर अग्रसर किया।
यथार्थ में, राजीव गांधी भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक स्वर्णिम पन्ना रहे हैं। उनका विचारधारा, कार्यक्षेत्र और सेवाभाव से उन्हें देशभक्ति और प्रगति के प्रतीक के रूप में स्मरणिय हमेशा रहेगा। यद्यपि उनकी जीवनशैली अधूरी रह गई है,
राजीव गांधी – भारतीय राजनीति के सशक्त नेता (Rajiv Gandhi essay in Hindi)
राजीव गांधी, जिन्हें भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में जाना जाता है, ने अपने जीवन के दौरान देश के विकास और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जन्म 20 अगस्त, 1944 को मुंबई में हुआ था और वे पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के पुत्र थे। उनकी परिवारिक स्थिति उन्हें राजनीतिक विद्यालय का ज्ञान प्राप्त करने का मौका देने की वजह से थी।
राजीव गांधी को सत्ता में आने का मौका 1984 में मिला, जब उनकी माता इंदिरा गांधी की हत्या हो गई। उन्होंने तत्पश्चात भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में आवेदन किया और भारत के प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्ति प्राप्त की। उनकी प्रधानमंत्रीता काल में वे देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे और अपने विचारधारा, कर्मठता, और सौहार्दपूर्ण नेतृत्व के लिए प्रशंसा पाए।
राजीव गांधी की प्रमुख पहचान उनके आधुनिकीकरण और विकास के प्रयासों के माध्यम से हुई। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में सुधार कार्यक्रमों की शुरुआत की जो देश के विकास को गति देने में मदद करे। उन्होंने अर्थव्यवस्था की लिबरलीकरण के लिए पहल की और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए नवीनीकरण नीतियां अपनाई। उनके प्रमुख कार्यक्षेत्रों में से एक था सूचना प्रौद्योगिकी, जिसे उन्होंने महत्वपूर्ण माना और कंप्यूटर शिक्षा को प्रोत्साहित किया।
राजीव गांधी ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना प्रभाव दिखाया। उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझते हुए बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा प्रणाली की व्यवस्था करने के लिए कई कदम उठाए। उनके नेतृत्व में भारतीय विज्ञान प्रौद्योगिकी संस्थानों का विकास हुआ और उन्होंने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में नए अवसर प्रदान किए।
उनकी प्रधानमंत्री काल में राजीव गांधी ने ग्रामीण विकास पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने के लिए ग्रामीण विद्युतीकरण की पहल की जिससे गांवों में बिजली की सुविधा में सुधार हुआ। उन्होंने जवाहर रोजगार योजना शुरू की जिसका उद्देश्य बेरोजगारी को कम करना और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करना था।
राजीव गांधी ने भारतीय विदेशी नीति में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने विभिन्न देशों के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा दिया और विश्व स्तर पर भारत की मान्यता को बढ़ाया। उन्होंने गैर-संघटितता के पक्ष में भारत को आगे बढ़ाने के लिए संगठित कार्यों का समर्थन किया।
राजीव गांधी का नेतृत्व बहुत ही संघर्षपूर्ण था और उन्होंने अपने देशभक्ति, न्याय, और सामरिक बल के माध्यम से अपने लोगों के दिलों में जगह बनाई। उनके नेतृत्व में भारत ने अपनी प्रगति के नये मापदंड स्थापित किए और एक आधुनिक और विकसित
राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर हुआ। राजीव गांधी ने विविध समाजसेवी कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया, जहां उन्होंने मुख्य रूप से गरीबों, महिलाओं, बच्चों, और दलितों के हित में कई योजनाएं शुरू की। उन्होंने स्वच्छता अभियान को महत्व दिया और जनसंख्या नियंत्रण के माध्यम से बालसंख्या को नियंत्रित करने की चुनौतियों का सामना किया।
राजीव गांधी एक माध्यमिक परिवार से संबंध रखते थे और उन्होंने सामाजिक न्याय को महत्व दिया। उन्होंने मुख्य तौर पर किसानों, मजदूरों, और गरीबों की मदद करने के लिए योजनाएं बनाई और कई कार्यक्रमों को शुरू किया। उनका मूल मंत्र था “गरीबी हटाओ” जिसके माध्यम से वे सशक्त और समृद्ध भारत के लिए प्रयास करते थे।
राजीव गांधी की उम्र काफी छोटी थी जब उन्हें दुर्भाग्यपूर्ण रूप से १९९१ के मई २१ को स्रीपेरुम्बुदूर, तमिलनाडु में एक आत्मघाती बमविस्फोट के द्वारा हत्या की गई। उनकी मृत्यु देश और उनके समर्पित अनुयायों के लिए एक बड़ी क्षति थी। उनका योगदान, उनकी प्रेमियंता और राष्ट्रीयता के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। उनकी मृत्यु के बाद उन्हें “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया और उनकी याद में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्मारक स्थापित किए गए हैं। उनकी सोच, कार्य, और नेतृत्व देश के लिए अद्वितीय रहेंगे और उन्हें एक सच्चे राष्ट्रनेता के रूप में याद किया जाएगा।
इस प्रकार, राजीव गांधी ने भारतीय राजनीति में अपना विशेष स्थान बनाया है और उनका योगदान देश के विकास, सामरिकता, और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। उनकी सामरिक, युवावादी, और प्रगतिशील विचारधारा ने देश को नए दिशाओं में आगे ले जाने में मदद की है। राजीव गांधी को हमेशा गर्व से याद किया जाएगा जो एक प्रेरणास्रोत और राष्ट्रनेता के रूप में उदाहरण स्थापित करते हैं।
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मेरे प्रिय नेता राजीव गांधी पर निबंध। Essay on Rajiv Gandhi in Hindi : राजीव गांधी का पूरा नाम राजीव रत्न गांधी था। श्रीमान राजीव गांधी भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। राजीव गांधी भारत के छठे प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म देशभक्त परिवार में हुआ था। इनका जन्म 20 अगस्त, 1944 को मुम्बई में हुआ था। वह पण्डित जवाहर लाल नेहरू के नाती थे। श्रीमान राजीव गांधी ने अपने नाना जवाहर लाल नेहरू और माँ श्रीमती इन्दिरा गांधी से बहुत कुछ सीखा। राजीव गांधी ने देहरादून से शिक्षा ग्रहण की थी। वह अपनी बाल्यावस्था में भी निर्भीक और बहादुर थे। सन् 1955 से 1960 तक उन्होंने देहरादून से शिक्षा प्राप्त की। कैम्ब्रिज की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैण्ड गये।
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आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 27वीं पुण्यतिथि है. 21 मई 1991 को राजीव गांधी को देशवासियों ने वक्त से पहले खो दिया था. श्रीपेंरबदूर में एक धमाके में राजीव गांधी की मौत हो गई थी. जानिए राजीव गांधी की हत्या की साज़िश को कब, कैसे, कहां और किसने अंजाम दिया था..
आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 27वीं पुण्यतिथि है. 21 मई 1991 को राजीव गांधी को देशवासियों ने वक्त से पहले खो दिया था. श्रीपेंरबदूर में एक धमाके में राजीव गांधी की मौत हो गई थी. यह तब तो आप जानते ही हैं, लेकिन हम आपको बताएंगे कि आखिर राजीव गांधी की हत्या की साज़िश को कब, कैसे, कहां और किसने अंजाम दिया था.
जाफना, श्रीलंका (नवंबर 1990)
घने जंगलों के बीच एक आतंकी ठिकाने में प्रभाकरण बैठा था. उसके साथ बैठे थे उसके चार साथी. बेबी सुब्रह्मण्यम, मुथुराजा, मुरूगन और शिवरासन. एक बड़ी साजिश बन रही थी. घंटों तनाव के बीच चली बैठक. हर आदमी अपना पक्ष रख रहा था. बेहद गोपनीय इस बैठक में तनाव इतना था कि हवा भी बम की आवाज की तरह लग रही थी. उमस और गर्मी के बीच प्रभाकरण बहुत तेजी से सुन और बुन रहा था. आखिर साजिश पूरी हो गई. प्रभाकरण ने राजीव गांधी की मौत के प्लान पर मुहर लगा दी. प्लान को पूरा करने की जिम्मेदारी चार लोगों को सौंपी गई.
बेबी सुब्रह्मण्यम- लिट्टे आइडियोलॉग, हमलावरों के लिए ठिकाने का जुगाड़.
मुथुराजा- प्रभाकरण का खास, हमलावरों के लिए संचार और पैसे की जिम्मेदारी.
मुरुगन- विस्फोटक विशेषज्ञ, आतंक गुरू, हमले के लिए जरूरी चीजों और पैसे का इंतजाम.
शिवरासन- लिट्टे का जासूस, विस्फोटक विशेषज्ञ, राजीव गांधी की हत्या की पूरी जिम्मेदारी.
दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादी प्रभाकरण से राजीव की हत्या का फरमान लेने के बाद बेबी सुब्रह्मण्यम और मुथुराजा 1991 की शुरूआत में चेन्नई पहुंचे. इनके जिम्मे था बेहद अहम और शुरूआती काम. बेबी और मुथुराज को चेन्नई में ऐसे लोग तैयार करने थे जो मकसद से अंजान होते हुए भी डेथ स्क्व्यॉड की मदद करें. खासतौर पर राजीव गांधी के हत्यारों के लिए हत्या से पहले रुकने का घर दें और हत्या के बाद छिपने का ठिकाना.
बेबी सुब्रह्मण्यम और मुथुराजा चेन्नई में सीधे शुभा न्यूज फोटो एजेंसी पहुंचे. एजेंसी का मालिक शुभा सुब्रह्मण्यम इलम समर्थक था. शुभा सुब्रह्मण्यम के पास दोनों की मदद का पैगाम बेबी और मुथुराजा के पहुंचने से पहले ही आ चुका था. शुभा को साजिश के लिए लोकल सपोर्ट मुहैया कराना था. यहां पहुंच कर बेबी और मुथुराजा ने अपने अपने टारगेट के मुताबिक अलग-अलग काम करना शुरू कर दिया. बेबी सुब्रह्मण्यम ने सबसे पहले शुभा न्यूज फोटो एजेंसी में काम करने वाले भाग्यनाथन को अपने चंगुल में फंसाया. राजीव हत्याकांड में सजा भुगत रही नलिनी इसी भाग्यनाथन की बहन है जो उस वक्त एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करती थी. भाग्यनाथन और नलिनी की मां नर्स थी. नर्स मां को इसी समय अस्पताल से मिला घर खाली करना था. मुश्किल हालात में घिरे भाग्यनाथन और नलिनी को आतंकी बेबी ने पैसे और मदद के झांसे में लिया. बेबी ने एक प्रिंटिंग प्रेस भाग्यनाथन को सस्ते में बेच दिया. इससे परिवार सड़क पर आने से बच गया. बदले में नलिनी और भाग्यनाथन बेबी के प्यादे हो गए. साजिश का पहला चरण था समर्थकों का नेटवर्क बनाना जो शातिर दिमागों में बंद साजिश को धीरे-धीरे अंजाम तक पहुंचाने में मददगार साबित हों पर बिना कुछ जाने.
एक तरफ बेबी सुब्रह्मण्यम चेन्नई में रहने के सुरक्षित ठिकाने बना रहा था तो मुथुराजा बेहद शातिर तरीके से लोगों को अपनी क्रूर साजिश के लिए चुन रहा था. चेन्नई की शुभा न्यूज फोटो एजेंसी में काम करने वाले इन शैतानों के लिए वरदान बन गए थे. यहीं से मुथुराजा ने दो फोटोग्राफर रविशंकरन और हरिबाबू चुने.
रविशंकरन और हरिबाबू दोनो शुभा न्यूज फोटोकॉपी एजेंसी में बतौर फोटोग्राफर काम करते थे. हरिबाबू को नौकरी से निकाल दिया गया था. मुथुराजा ने हरिबाबू को विज्ञानेश्वर एजेंसी में नौकरी दिलाई. श्रीलंका से बालन नाम के एक शख्स को बुला कर हरिबाबू का शागिर्द बनाया. इससे हरिबाबू को काफी पैसा मिलने लगा और उसका झुकाव मुथुराजा की तरफ बढ़ने लगा. मुथुराजा ने अहसान के बोझ तले दबे हरिबाबू को राजीव गांधी के खिलाफ खूब भड़काया कि अगर वो 1991 के लोकसभा चुनाव में जीत कर सत्ता में आए तो तमिलों की और दुर्गति होगी.
राजीव की हत्या के लिए साजिश की एक-एक ईंट जोड़ी जा रही थी. श्रीलंका में बैठे मुरूगन ने इस बीच जय कुमारन और रॉबर्ट पायस को चेन्नई भेजा. ये दोनों पुरूर के साविरी नगर एक्सटेंशन में रुके. यहां जयकुमारन का जीजा लिट्टे बम एक्सपर्ट अरीवेयू पेरूलीबालन 1990 से छिप कर रह रहा था. इन दोनों को श्रीलंका से चेन्नई भेजने का मकसद था अर्से से चुपचाप पड़े कंप्यूटर इंजीनियर और इलेक्ट्रॉनिक एक्सपर्ट अरीवेयू पेरूलीबालन को साजिश में शामिल करना ताकि वो हत्या का औजार बम बना सके. आगे चलकर पोरूर का यही घर राजीव गांधी हत्याकांड के प्लान का हेडक्वार्टर बन गया. यहीं से चलकर पूरी साजिश श्रीपेरंबदूर तक पहुंची थी.
शातिर सूत्रधार जुड़ने वाले हर शख्स के दिमाग में राजीव गांधी के खिलाफ भीषण नफरत भी पैदा कर रहा था. उन्हें पता था कि भयंकर नफरत के बिना भीषण घिनौनी साजिश अंजाम तक नहीं पहुंचेगी. जब बेबी और मुथुराजा ने अपने अपने चार लोग जोड़ लिए तो साजिश में मुरूगन की एंट्री हुई.
मुरुगन ने चेन्नई पहुंच कर बहुत रफ्तार में साजिश को अंजाम की ओर लाने की कोशिशें तेज कीं. मुरूगन के इशारे पर जयकुमारन और पायस. नलिनि-भाग्यनाथन-बेबी-मुथुराजा के ठिकाने पर पहुंच गए. राजीव गांधी विरोधी भावनाएं लोगों के दीमाग में भरी जाने लगीं. नलिनी राजीव गांधी के खिलाफ पूरी तरह तैयार हो गयी थी. नलिनि जिस प्रिटिंग प्रेस में नौकरी करती थी वहां छप रही एक किताब सैतानिक फोर्सेस ने उसके ब्रेनवॉश में अहम भूमिका निभाई. ब्रेनवॉश के साथ मुरूगन ने हत्यारों की नकली पहचान तैयार करने के लिए जयकुमारन और पायस की मदद से फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया.
मुरूगन, मुथुराजा और बेबी ने मिलकर चेन्नई में छिपने के तीन महफूज ठिकाने खोज लिए. अरिवू के तौर पर एक बम बनाने वाला तैयार था. राजीव के खिलाफ नफरत से भरे नलिनी पद्मा और भाग्यनाथन की ओट तैयार थी. शुभा सुब्रह्मण्यम जैसा आदमी मुहैया कराने वाला तैयार था. अब शिवरासन को संदेशा भेजा गया. मार्च की शुरूआत में वो समुद्र के रास्ते चेन्नई पहुंचा. वो पोरूर के इसी इलाके में पायस के घर में रुका.
पोरूर ही राजीव गांधी की हत्या की साजिश का कंट्रोलरूम बन गया. शिवरासन के पोरूर पहुंचते ही जाफना के जंगलों की साजिश का जाल पूरा हो गया. शिवरासन ने कमान अपने हाथ में ले ली. बेबी औऱ मुथुराज को श्रीलंका वापस भेज दिया गया. चेन्नई में नलनी,मुरूगन और भाग्यनाथन के साथ शिवरासन ने मानवबम खोजा पर वो नहीं मिला. शिवरासन ने अरीवेयू पेरुली बालन के बम की डिजायन को चेक किया, शिवरासन खुद अच्छा विस्फोटक एक्सपर्ट था. सारी तैयारी को मुकम्मल देख मानवबम के इतंजाम में शिवरासन फिर समुद्र के रास्ते जाफना वापस गया वहां वो प्रभाकरण से मिला. उसने प्रभाकरन को बताया कि भारत में मानवबम नहीं मिल रहा है. इसपर प्रभाकरन ने शिवरासन की चचेरी बहनों धनू और शुभा को उसके साथ भारत के लिए रवाना कर दिया.
धनू और शुभा को लेकर शिवरासन अप्रैल की शुरूआत में चेन्नई पहुंचा. धनू और शुभा को वो नलिनी के घर ले गया. यहां मुरूगन पहले से मौजूद था. शिवरासन ने बेहद शातिर तरीके से पायस- जयकुमारन-बम डिजायनर अरिवू को इनसे अलग रखा और खुद पोरूर के ठिकाने में रहता रहा. वो समय-समय पर सबको सही कार्रवाई के निर्देश देता था. अब चेन्नई के तीन ठिकानों में राजीव गांधी हत्याकांड की साजिश चल रही थी. शिवरासन ने टारगेट का खुलासा किए बिना बम एक्सपर्ट अऱिवू से एक ऐसा बम बनाने को कहा जो महिला की कमर में बांधा जा सके.
शिवरासन के कहने पर अरिवू ने एक ऐसी बेल्ट डिजाइन की जिसमें छह आरडीएक्स भरे ग्रेनेड जमाए जा सकें. हर ग्रेनेड में अस्सी ग्राम C4 आरडीएक्स भरा गया. हर ग्रेनेड में दो मिलीमीटर के दो हजार आठ सौ स्पिलिंटर हों. सारे ग्रेनेड को सिल्वर तार की मदद से पैरलल जोड़ा गया. सर्किट को पूरा करने के लिए दो स्विच लगाए गए. इनमें से एक स्विच बम को तैयार करने के लिए और दूसरा उसमें धमाका करने के लिए था और पूरे बम को चार्ज देने के लिए 9 एमएम की बैटरी लगाई गई. ग्रेनेड में जमा किए गए स्प्रिंटर कम से कम विस्फोटक में 5000 मीटर प्रतिसेकेंड की रफ्तार से बाहर निकलते यानी हर स्प्रिंटर एक गोली बन गया था. बम को इस तरह से डिजायन किया गया था कि आरडीएक्स चाहे जितना कम हो अगर धमाका हो तो टारगेट बच न सके और वही हुआ भी.
अब शिवरासन के हाथ में बम भी था और बम को अंजाम तक पहुंचाने वाली मानवबम धनू भी. इतंजार था तो बस राजीव गांधी का पर इससे पहले वो अपनी साजिश को ठोक बजाकर देख लेना चाहता था.
आजतक के पास 1991 के आम चुनावों के दौरान चेन्नई के मरीना बीच में हुई रैली का वीडियो है. इस वीडियो में शिवरासन अपने टारगेट राजीव गांधी से महज 25-30 फीट की दूरी पर साफ देखा जा सकता है. जयललिता और राजीव की इस रैली में शिवरासन राजीव की सुरक्षा का जायजा लेने पहुंचा था. यहां उसने राजीव की जनता से खुल कर मिलने और लचर सुरक्षा की खामियों को भांप लिया पर वनआइड जैक शिवरासन यहीं नहीं रुका. इस रैली के अनुभव को पक्का करने के लिए वो एक और सियासी रैली में मानवबम धनू को साथ लेकर पहुंचा.
12 मई 1991 को शिवरासन-धनू ने पूर्व पीएम वीपी सिंह और डीएमके सुप्रीमो करूणानिधि की रैली में फाइनल रेकी की. तिरुवल्लूर के अरकोनम में हुई इस रैली में धनू वीपी सिंह के बेहद पास तक पहुंची उसने उनके पैर भी छुए. बस बम का बटन नहीं दबाया. पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की रैली में सुरक्षा का स्तर राजीव की सुरक्षा के बराबर न सही तो कम भी नहीं था पर शिवरासन और धनू के शातिर इरादे कामयाब रहे. इससे शिवरासन के हौसले बुलंद हो गए और उसे अपना प्लान कामयाब होता दिखने लगा.
लोकसभा चुनाव का दौर था राजीव गांधी की मीटिंग 21 मई को श्रीपेरंबदूर में तय हो गई. शिवरासन ने पलक झपकते ही तय कर लिया कि 21 को ही साजिश पूरी होगी. 20 की रात शिवरासन नलिनि के घर रैली के विज्ञापन वाला अखबार लेकर पहुंचा और तय हो गया कि अब 21 को ही साजिश पूरी होगी.
नलिनी के घर 20 मई की रात धनू ने पहली बार सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए चश्मा पहना. शुभा ने धानू को बेल्ट पहना कर प्रैक्टिस करवाई और श्रीपेरंबदूर में किस तरह साजिश को अंजाम तक पहुंचाना है इसकी पूरी तैयारी मुकम्मल कर ली गई. सभी पूरी तरह शांत और मकसद के लिए तैयार थे. 20 मई की रात को सभी ने साथ मिलकर फिल्म देखी और सो गए. सुबह हुई तो पांच लोग शिवरासन-धनू-शुभा-नलिनी और हरिबाबू साजिश को पूरा करने के लिए तैयार थे.
श्रीपेरंबदूर में रैली की गहमागहमी थी. राजीव गांधी के आने में देरी हो रही थी. बार-बार ऐलान हो रहा था कि राजीव किसी भी वक्त रैली के लिए पहुंच सकते हैं. पिछले छह महीने से पक रही साजिश अपने अंजाम के बेहद करीब थी. एक महिला सब इंस्पेक्टर ने उसे दूर रहने को कहा पर राजीव गांधी ने उसे रोकते हुए कहा कि सबको पास आने का मौका मिलना चाहिए. उन्हें नहीं पता था कि वो जनता को नहीं मौत को पास बुला रहे हैं. नलिनी ने माला पहनाई, पैर छूने के लिए झुकी और बस साजिश पूरी हो गई.
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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के रूप में याद किया जाता है। भारत के छठे प्रधानमंत्री राजीव गांधी के विचार पढ़कर युवाओं में सकारात्मकता का संचार हो सकता है, जिसके प्रभाव से युवाओं को एक नई दिशा मिल सकती है। राजीव गांधी के विचार युवाओं को एक नया दृष्टिकोण तो प्रदान करते हैं ही, साथ ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन भी लाते हैं। विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को राजीव गांधी का जीवन परिचय और उनके विचारों को अवश्य पढ़ना चाहिए। इस ब्लॉग में आपको Rajiv Gandhi Quotes in Hindi को पढ़ने का अवसर मिलेगा, जो आपको राष्ट्र के प्रति आपकी जिम्मेदारियों का बोध कराएंगे।
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राजीव गांधी कोट्स इन हिंदी पढ़कर युवाओं का मार्गदर्शन हो सकता है। Rajiv Gandhi Quotes in Hindi कुछ इस प्रकार हैं:
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राजीव गांधी के प्रेरणादायक सुविचार पढ़कर विद्यार्थी जीवन में कठिन समय का सामना आसानी से किया जा सकता है। Rajiv Gandhi Quotes in Hindi कुछ इस प्रकार हैं:
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जन्मभूमि: देवभूमि उत्तराखंड। पहचान: भारतीय लेखक । प्रकाश परिवर्तन का, संस्कार समर्पण का। -✍🏻मयंक विश्नोई
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राजीव गांधी पर निबंध | essay on rajiv gandhi in hindi.
राजीव गांधी शिक्षा राजीव गांधी पर निबंध Essay on Rajiv Gandhi in Hindi राजीव गांधी की जीवनी राजीव गांधी का योगदान राजीव गांधी का जन्म राजीव गांधी के विचार राजीव गांधी पुण्यतिथि राजीव गांधी डेथ राजीव गांधी की हत्या का कारण - जिस किसी व्यक्ति का जन्म आजाज़ी के बाद के भारत में हुआ है ,वह व्यक्ति राजीव गांधी के जीवन और समय से भलीभांति परिचित है .
राजीव गांधी का जीवन परिचय .
राजीव गांधी |
युवा भारत के नेता , अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में नेतृत्व , शांति और सौहार्द के प्रतीक .
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Congress mp rahul gandhi won wayanad seat for a second time. meanwhile, the congress leader also retained his family bastion raebareli in uttar pradesh..
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Congress leader Rahul Gandhi registered a decisive victory in Wayanad and Raebareli constituencies. Gandhi won both Lok Sabha seats with a margin of over 3 lakh votes.
In Wayanad, the Congress leader, who is also the sitting MP, beat his nearest CPI rival, veteran leader Annie Raja, with 3,64,422 votes, according to the Election Commission of India.
Raebareli went to the polls on May 20, the fifth phase of the 2024 general elections.
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हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on Rajiv Gandhi in Hindi पर पुरा आर्टिकल। आज हम आपके सामने राजीव गाँधी के बारे में कुछ जानकारी लाये है जो आपको हिंदी essay के दवारा दी जाएगी। आईये शुरू करते है राजीव गाँधी पर निबंध
राजीव गाँधी विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। उस समय वे केवल 40 वर्ष के थे। वे श्रीमती इंदिरा गाँधी के सुपुत्र थे, जो 17 वर्षों तक प्रधानमंत्री के पद पर सुशोभित रही थीं। राजीव गाँधी के पिता श्री फिरोज़ खान भी हमारे देश के नेता थे।
राजीव गाँधी का जन्म मुंबई में 20 अगस्त, 1944 को हुआ था। दिल्ली में अपनी प्रारंभिक शिक्षा के पश्चात् उन्हें देहरादून के दून स्कूल में दाखिल कर दिया गया। उन्होंने वहाँ से आई.एस.सी. की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैण्ड चले गए। वहाँ से वापस आने के बाद दिल्ली के फ्लाइंग क्लग के सदस्य बन गए। फिर उन्होंने कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस लिया और सह-पायलट के रूप में इंडियन एअरलाइन्स में नौकरी कर ली। उसके बाद उन्होंने इटली की सोनिया गाँधी से विवाह कर लिया। उनके दो बच्चे हैं- राहुल और प्रियंका।
उनके छोटे भाई संजय गाँधी 23 जून, 1980 को एक हवाई दुर्घटना में मारे गए। 11 मई, 1981 को अपने अथक प्रयासों से वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य बने और 1981 में ही वे अमेठी से सांसद चुन लिए गए। तत्पश्चात् उन्हें कांग्रेस पार्टी का महासचिव चुना गया। फिर 31 अक्तूबर, 1984 को श्रीमती इंदिरा गाँधी की अपने ही सुरक्षा गार्डी द्वारा हत्या के बाद राजीव गाँधी प्रधानमंत्री बन गये। और आगजनी प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने अनेकों उनलब्धियाँ हासिल की।
श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद देशभर में हत्या, होने लगी। उन्होंने इस अराजकता और अव्यवस्था को कुछ ही घंटों में शांत कर दिया। फिर दिसंबर, 1984 के अंतिम सप्ताह में लोकसभा के चुनाव हुए। इसमें उनकी योग्यता एवं कुशलता आश्चर्यजनक रूप से सबके सामने उभरकर आ गई। कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा की 542 सीटों में से 411 सीटें जीत लीं। फिर उन्होंने सबसे पहले लाइसेंस राज’ को समाप्त किया, शिक्षा व्यवस्था को सुधारा, विज्ञान और टैक्नोलॉजी के विकास को एक नया स्वरूप प्रदान किया और संयुक्त राष्ट्र संघ से अच्छे संबंध स्थापित किए।
प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए राजीव गाँधी ने एक स्वच्छ और ईमानदार सरकार देने का अपना वादा शत-प्रतिशत पूरा किया। राजीव गाँधी 1991 में चुनाव होने तक कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे। उसी चुनाव अभियान में, एक आत्मघाती एल.टी.टी.ई. महिला थेनमुली राजरतनम ने उनकी हत्या कर दी। वह दिन 21 मई, 1991 था जब उनकी उम्र मात्र 46 वर्ष थी। उस समय वे तमिलनाडु के श्री पेरूंबुदूर में थे। तत्पश्चात् उनकी महान् उपलब्धियों और देश की सेवा के लिए उन्हें (मरणोपरांत) भारत का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार भारत रत्न से विभूषित किया गया। इससे पूर्व श्रीमती इंदिरा गाँधी को भी भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका था। ये पुरस्कार पाने वाले वे 40वें व्यक्ति थे।
भारत के लिए उनकी महान् उपलब्धियाँ सदैव स्मरण रहेंगी।
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4 thoughts on “ essay on rajiv gandhi in hindi – राजीव गाँधी पर निबंध ”.
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आपको अक्सर स्कूलों में निबंध लिखने को दिया जाता है। ऐसे में हम आपके लिए कई मुख्य विषयों पर निबंध लेकर आये हैं। हम अपनी वेबसाइट istudymaster.com के माध्यम से आपकी निबंध लेखन में सहायता करेंगे । दोस्तों निबंध लेखन की श्रृंखला में हमारे आज के निबन्ध का टॉपिक देशरत्न राजीव गाँधी पर निबंध / essay on Rajiv Gandhi in hindi है। आपको पसंद आये तो हमे कॉमेंट जरूर करें।
रूपरेखा (1) प्रस्तावना, (2) जन्म और शिक्षा, (3) राजनीति में प्रवेश, (4) उपसंहार ।
राजीव गाँधी भारत के छठे प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म एक देश-भक्त परिवार में हुआ था। देशभक्ति उन्हें विरासत में मिली थी। इनके पिता श्री फिरोज गाँधी तथा माता श्रीमती इन्दिरा गाँधी थीं। इनके नाना पंडित जवाहरलाल नेहरू, माता श्रीमती इन्दिरा गाँधी, भाई संजय गाँधी तथा पिता फिरोज गाँधी-सभी सच्चे देश भक्त रहे हैं। ये ही संस्कार आपको विरासत मिले।
राजीव गाँधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को मुंबई में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा देहली में हुई। इसके बाद आपने देहरादून में शिक्षा प्राप्त की। आप उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गये। वहीं आपने हवाई जहाज उड़ाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। आपको पायलेट बनने की बहुत इच्छा थी। आपने हवाई जहाज की कम्पनी में पायलेट की नौकरी प्राप्त कर ली। आपने इटली निवासी ‘सोनिया’ से विवाह किया । आपकी दो सन्तान- प्रियंका और राहुल हुए ।
प्रारम्भ में आप की रुचि राजनीति में नहीं थी। सन् 1980 में एक मात्र भाई संजय गाँधी की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर इन्हें भारतीय राजनीति में भाग लेना पड़ा। सन् 1981 में आप लोक सभा के उप-चुनाव में विजय प्राप्त कर संसद सदस्य बने। राजनीति में सक्रिय भाग लेने के कारण आपको कांग्रेस का महासचिव बनाया गया । सन् 1984 में श्रीमती इन्दिरा गाँधी के आकस्मिक निधन के उपरान्त कांग्रेस ने इन्हें सर्व सम्मति से अपना नेता चुना और प्रधान मंत्री बनाया। आपने शीघ्र ही लोक सभा चुनाव की घोषणा कर दी। आपको आशा के अनुकूल तीन चौथाई से अधिक बहुमत प्राप्त हुआ । राजीव गाँधी में कोमलता, मधुर स्वभाव, ईमानदारी ऐसे गुण थे, जिनसे ऐसा लगता था कि वे राजनीति और कूटनीति के कर्त्तव्यों को अच्छी तरह नहीं निभा सकेंगे।
उन्होंने एक के बाद एक जो उचित निर्णय लिये, उन पर सम्पूर्ण विश्व आश्चर्य चकित रह गया। सबसे पहले उन्होंने पंजाब की समस्या को निर्भीकता तथा शान्ति पूर्ण ढंग से हल किया। इसके पश्चात् असम की समस्या को, जिसे वर्षों से कोई हल नहीं कर सका था, उन्होंने अत्यन्त धैर्य पूर्वक वार्ताओं के द्वारा हल कर दिया। इसके अतिरिक्त वे देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए सदैव जागरूक रहे। आदिम जातियों, पिछड़ी जातियों और कमजोर वर्ग के लिए तो वे देवदूत ही बन गये। वे देश के दूर-सुदूर अंचलों में जाकर गरीबों की झोंपड़ियों में उनके नन्हें मुन्नों को लाड़-दुलार करते रहे। एशियाई राष्ट्रों के सम्मेलन की अध्यक्षता करने में उन्होंने अपनी बुद्धि और विवेक का परिचय दिया। उन्होंने लौह-पुरुष की तरह निर्भीकता पूर्वक सम्पूर्ण देश का भ्रमण किया। वे जहाँ भी गये, उनका अभूतपूर्व स्वागत हुआ।
राजीव गाँधी ने केवल 40 वर्ष की अवस्था में ही विश्व के कुछ गिने-चुने लोगों में बैठकर अपनी सूझ-बूझ का परिचय दिया। परन्तु ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। 21 मई, 1991 को आप एक आत्मघाती महिला के कर हाथों के शिकार हो गये। वे लोकसभा के चुनाव प्रचार के लिए तमिलनाडु के पैराम्बूर स्थान पर भाषण देने के लिए गये थे। वहाँ मानव बम से अचानक उनकी हत्या कर दी गयी। उस दिन की तिथि 21 मई, 1991 भारत में ‘अन्धकार दिवस’ के रूप में याद की जायेगी। 24 मई, 1991 को 5.25 बजे सांय उनके प्रिय पुत्र राहुल ने उनकी चिता को अग्नि प्रदान की। भाग्य क्या नहीं करा लेता ?
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The Indian National Congress and its leader registered a far stronger showing in India’s elections than many expected.
By Sameer Yasir
Reporting from New Delhi
Just last year, Rahul Gandhi and the once-powerful party he led, the Indian National Congress, seemed to be on the ropes and little threat to Prime Minister Narendra Modi’s consolidation of political power.
Congress had not been a competitive factor in national elections in years, winning fewer and fewer votes each time Mr. Modi’s Bharatiya Janata Party was elected. And Mr. Gandhi himself had been convicted on a slander charge and barred from holding a seat in Parliament.
But on Tuesday, Mr. Gandhi and a broad opposition coalition led by his Congress party registered a far stronger showing than expected in India’s elections, setting the stage for an unlikely comeback.
“He has finally arrived,” said Rasheed Kidwai, a fellow at the Observer Research Foundation, a think tank in New Delhi. “This time he has improved his vote share by at least 17 million votes, which is very substantial.”
On Wednesday, Mr. Modi’s party announced that it had reached an agreement to form a governing coalition, including two parties that do not necessarily share its vision. Congress won 99 seats in the 543-seat Parliament, a gain of 47 seats, and the alliance of which it is the leading part won a total of 232.
Congress and its alliance of over two dozen political groups have presented the results as a “moral victory” over a B.J.P. government that they say was trying to change the country’s Constitution and have portrayed as anathema to India’s identity as a multifaith and secular country.
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Read essay on Rajiv Gandhi in Hindi in 1000 and 2000 words for students of class 1 to 12, SSC and PO. राजीव गांधी पर निबंध हिंदी में
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Rajiv Gandhi essay in Hindi (Short Essay)- ४५० Words. Particulars. Description. राजीव गांधी जन्म तिथि. 20 August 1944. राजीव गांधी मृत्यु तिथि. 21 May 1991. मृत्यु आयु (मृत्यु के समय आयु) 46 years.
मेरे प्रिय नेता राजीव गांधी पर निबंध। Essay on Rajiv Gandhi in Hindi : राजीव गांधी का पूरा नाम राजीव रत्न गांधी था। श्रीमान राजीव गांधी भारत के सबसे ...
आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 27वीं पुण्यतिथि है. 21 ...
राजीव गांधी कोट्स इन हिंदी पढ़कर युवाओं का मार्गदर्शन हो सकता है। Rajiv Gandhi Quotes in Hindi कुछ इस प्रकार हैं: भारत एक प्राचीन देश, लेकिन एक युवा ...
Rajiv Gandhi (Hindi pronunciation: [raːdʒiːʋ ɡaːndʱiː] ⓘ; 20 August 1944 - 21 May 1991) was an Indian politician who served as the 6th Prime Minister of India from 1984 to 1989. He took office after the assassination of his mother, then-prime minister Indira Gandhi, to become at the age of 40 the youngest Indian prime minister.He served until his defeat at the 1989 election, and ...
In the 1984 elections, which came after Indira Gandhi's assassination, the Rajiv Gandhi-led Congress got 414 seats of the total 541 seats. Along with the highest seat tally, Congress also got the ...
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The India Today-Axis My India exit poll has predicted that Rahul Gandhi was strongly placed in the Lok Sabha contest in Wayanad and may win a successive term. In the 2019 Lok Sabha Elections, Rahul Gandhi won in Wayanad, securing a significant mandate with 706,367 votes. His closest rival, PP Suneer of the CPI, garnered 274,597 votes.
हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on Rajiv Gandhi in Hindi पर पुरा आर्टिकल। आज हम आपके सामने राजीव गाँधी के बारे में कुछ जानकारी लाये है जो आपको हिंदी essay के ...
देशरत्न राजीव गाँधी पर निबंध / essay on Rajiv Gandhi in hindi - सन् 1984 में श्रीमती इन्दिरा गाँधी के आकस्मिक निधन के उपरान्त कांग्रेस ने इन्हें सर्व
Mr. Gandhi's efforts to contrast his vision for India with Mr. Modi's largely paid off, analysts say, even if some members of his party jumped ship and sided with the B.J.P.