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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation Essay in Hindi

Environment Conservation Essay in Hindi प्रिय विद्यार्थियों आपका स्वागत है आज हम  पर्यावरण संरक्षण पर निबंध हिंदी में जानेगे.

हमारे चारों ओर के आवरण को वातावरण कहा जाता है प्रदूषण की समस्या के चलते आज पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता हैं. 

Environment Conservation Essay in Hindi कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए 5, 10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में एनवायरमेंट एस्से शेयर कर रहे है.

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Environment Conservation Essay in Hindi

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation Essay in Hindi

Here We Share With You Environment Conservation Essay in Hindi For School Students & Kids In Pdf Format Let Read And Enjoy:-

Short Essay On Environment Conservation Essay in Hindi In 300 Words

भारत में पर्यावरण  के प्रति वैदिक काल से ही जागरूकता रही है. विभिन्न पौराणिक ग्रंथो में पर्यावरण के विभिन्न कारको का महत्व व उनको आदर देते हुए संरक्षण की बात कही गई है.

भारतीय ऋषियों ने सम्पूर्ण प्राकृतिक शक्तियों को ही देवता का स्वरूप माना है. सूर्य जल, वनस्पति, वायु व आकाश को शरीर का आधार बताया गया है.

अथर्ववेद में भूमिसूक्त पर्यावरण संरक्षण का प्रथम लिखित दस्तावेज है. ऋग्वेद में जल की शुद्दता, यजुर्वेद में सभी प्रकृति तत्वों को देवता के समान आदर देने की बात कही गई है.

पहले अमेरिका प्रदूषण का उत्सर्जन करता था, लेकिन अब चीन उससे आगे निकल चुका है।

वैदिक उपासना के शांति पाठ में भी अन्तरिक्ष, पृथ्वी, जल, वनस्पति, आकाश सभी में शान्ति एवं श्रेष्टता की प्रार्थना करी गई है. वेदों में ही एक वृक्ष लगाने का पुण्य सौ पुत्रो के पालन के समान बताया गया है. हमारे राष्ट्र गीत वंदेमातरम् में पृथ्वी को ही माता मानकर उसे पूजनीय माना गया है.

हमारी संस्कृति को अरण्य संस्कृति भी कहा जाता है . इसके पीछे भाव यही है कि वन हरे भरे वृक्षों से सदैव यहाँ का पर्यावरण समर्द्ध रहा है.

महाभारत व रामायण में वृक्षों के प्रति अगाध श्रद्धा बताई गई है. विष्णु धर्म सूत्र, स्कन्द पुराण तथा याज्ञवल्क्य स्मृति में वृक्षों को काटने को अपराध बताया गया है तथा वृक्ष काटने वालों के लिए दंड का विधान किया गया है.

विश्व पर्यावरण दिवस पूरे विश्व में 5 जून को मनाया जाता है.  पर्यावरण ही हमारी वैदिक परम्परा रही है कि प्रत्येक मनुष्य पर्यावरण में ही पैदा होता है, पर्यावरण में ही जीता है और पर्यावरण में ही लीन हो जाता है.

वर्तमान में पर्यावरण चेतना के प्रति जागरूकता अत्यंत आवश्यक है क्योकि पर्यावरण प्रदूषित हो जाने से ग्लोबल वार्मिग की समस्या उत्पन्न हो गई है. इसको रोकने के लिए पर्यावरण संरक्षण व पर्यावरण शिक्षा का प्रचार जरुरी है. हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई अहम कदम उठाए गये है

जिनमे खेजड़ली आंदोलन, चिपकों आंदोलन, अप्पिको आंदोलन, शांतघाटी आंदोलन और नर्मदा बचाओ आंदोलन पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के ही परिचायक है. राजस्थान के बिश्नोई समाज के 29 सूत्र पर्यावरण संरक्षण के महत्वपूर्ण नियम है.

भारत विश्व के प्रमुख जैव विविधता वाले देशों में से एक है, जहां पूरी दुनिया में पाए जाने वाले स्तनधारियों का 7.6%, पक्षियों का 12.6%, सरीसृप का 6.2% और फूलों की प्रजातियों का 6.0% निवास करती हैं.

Best Short Environment Conservation Essay in Hindi For Kids In 500 Words

प्रस्तावना- पर्यावरण शब्द परि+आवरण के संयोग से बना हुआ है. परि का आशय चारो ओर तथा आवरण का आशय परिवेश हैं. वास्तव में पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़ पौधे, जीव जन्तु मानव और इसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं.

इस धरती और सृष्टि के पर्यावरण का निर्माण करने वाले भूमि जल एवं वायु आदि तत्वों में जब कुछ विकृति आ जाती हैं अथवा इसका आपस में संतुलन गडबडा जाता है, तब पर्यावरण प्रदूषित हो जाता हैं.

पर्यावरण संरक्षण की समस्या- धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि, औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से जहाँ प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को समाप्त किया जा रहा है.

वहां ईधन चालित यातायात वाहनों, खदानों, प्राकृतिक संसाधनों के विदोहन और आण्विक ऊर्जा के प्रयोग से सारा प्राकृतिक संतुलन डगमगाता जा रहा हैं.

वर्तमान समय में गैसीय पदार्थों, अपशिष्ट पदार्थों, विभिन्न यंत्रों की कर्णकटु ध्वनियों एवं अनियंत्रित भूजल के उपयोग आदि कार्यों से भूमि, जल, वायु, भूमंडल तथा समस्त प्राणियों का जीवन पर्यावरण प्रदूषण से ग्रस्त हो रहा हैं. ऐसे में पर्यावरण का संरक्षण करना और इसमें संतुलन बनाएं रखना कठिन कार्य बन गया हैं.

पर्यावरण संरक्षण का महत्व- पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है. पर्यावरण संरक्षण को लेकर सन 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ब्राजील में विश्व के 174 देशों का पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया.

फिर सन 2002 में जोहांसबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाएँ गये.

वस्तुतः पर्यावरण संरक्षण से ही धरती पर जीवन सुरक्षित रह सकता हैं. अन्यथा मंगल आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन चक्र भी एक दिन समाप्त हो जाएगा.

पर्यावरण संरक्षण के उपाय- पर्यावरण संरक्षण के लिए इसे प्रदूषित करने वाले कारकों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है. इस दृष्टि से आण्विक विस्फोटों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए.

युवा वर्ग विशेष रूप से विद्यार्थी वृक्षारोपण करे, पर्यावरण की शुद्धता के लिए जन जागरण का काम करे. विषैले अपशिष्ट छोड़ने वाले उद्योगों और प्लास्टिक कचरे का विरोध करे.

वे जल स्रोतों की शुद्धता का अभियान चलावे. पर्यावरण संरक्षण के लिए हरीतिमा का विस्तार, नदियों की स्वच्छता, गैसीय पदार्थों का उचित विसर्जन, रेडियोधर्मी बढ़ाने वाले संसाधनों पर रोक, गंदे जल मल का परिशोधन, कारखानों के अपशिष्टों का उचित निस्तारण और गलत खनन पर रोक आदि उपाय किये जा सकते हैं. ऐसे कारगर उपायों से ही पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखा जा सकता हैं.

उपसंहार- पर्यावरण संरक्षण किसी एक व्यक्ति या किसी एक देश का काम न होकर समस्त विश्व के लोगों का कर्तव्य है. पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले सभी कारकों को अतिशीघ्र रोका जाए. युवा वर्ग द्वारा वृक्षारोपण व जलवायु स्वच्छकरण हेतु जन जागरण का अभियान चलाया जाए, तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकेगा.

पर्यावरण संरक्षण का महत्व Environment Protection Essay In Hindi

प्रस्तावना – मनुष्य इस पृथ्वी नामक ग्रह पर अपने अविर्भाव से लेकर आज तक प्रकृति पर आश्रित रहा हैं. प्रकृति पर आश्रित रहना उसकी विवशता हैं.

प्रकृति ने पृथ्वी के वातावरण को इस प्रकार बनाया हैं कि वह जीव जंतुओं के जीवन के लिए उपयुक्त सिद्ध हुआ हैं. पृथ्वी का वातावरण ही पर्यावरण कहलाता हैं.

पर्यावरण संरक्षण –   मनुष्य ने सभ्य बनने और दिखने के प्रयास में पर्यावरण को दूषित कर दिया हैं. पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखना मानव तथा जीव जंतुओं के हित में हैं. आज विकास के नाम पर होने वाले कार्य पर्यावरण के लिए संकट बन गये हैं. पर्यावरण के संरक्षण की आज महती आवश्यकता हैं.

पर्यावरण प्रदूषण – आज का मनुष्य प्रकृति के साधनों का अविवेकपूर्ण और निर्मम दोहन करने में लगा हुआ हैं. सुख सुविधाओं की प्राप्ति के लिए नाना प्रकार के उद्योग खड़े किये जा रहे हैं.

जिनका कूड़ा कचरा और विषैला अवशिष्ट भूमि, जल और वायु को प्रदूषित कर रहा हैं. हमारी वैज्ञानिक प्रगति ही पर्यावरण को प्रदूषित करने में सहायक हो रही हैं.

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार – आज हमारा पर्यावरण तेजी से प्रदूषित हो रहा हैं. यह प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार का हैं,

  • जल प्रदूषण – जल मानव जीवन के लिए परम आवश्यक पदार्थ हैं. जल के परम्परागत स्रोत हैं कुँए, तालाब, नदी तथा वर्षा जल. प्रदूषण ने इन सभी स्रोतों को दूषित कर दिया हैं. महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा दयनीय हैं. गंगा, यमुना , गोमती आदि सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गयी हैं. उनको स्वच्छ करने में करोड़ो रूपये खर्च करके भी सफलता नहीं मिली हैं, अब तो भूमिगत जल भी प्रदूषित हो चूका हैं.
  • वायु प्रदूषण- वायु भी जल की तरह अति आवश्यक पदार्थ हैं. आज शुद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया हैं. वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी जहर भर दिया हैं. घातक गैसों के रिसाव भी यदा कदा प्रलय मचाते रहते हैं. गैसीय प्रदूषण ने सूर्य की घातक किरणों से धरती की रक्षा करने वाली ओजोन परत को भी छेद डाला है.
  • ध्वनि प्रदूषण – कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं. और उसकी कार्य क्षमता को भी प्रभावित करती हैं. आकाश में वायुयानों की कानफोड ध्वनियाँ, धरती पर वाहनों, यंत्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि विस्तारकों का शोर सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देंने पर तुले हुए हैं. इनके अतिरिक्त अन्य प्रकार का प्रदूषण भी पनप रहा हैं और मानव जीवन को संकट में डाल रहा हैं.
  • मृदा प्रदूषण – कृषि में रासायनिक खादों तथा कीटनाशकों के प्रयोग ने मिट्टी को भी प्रदूषित कर दिया हैं.
  • विकिरणजनित प्रदूषण- परमाणु विस्फोटों तथा परमाणु संयंत्रों से होते रहने वाले रिसाव आदि ने विकिरणजनित प्रदूषण भी मनुष्य को भोगना पड़ रहा हैं.
  • खाद्य प्रदूषण – मिट्टी, जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति तथा उसका सेवन करने वाले पशु पक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं. चाहे शाकाहारी हो या मांसाहारी, कोई भी भोजन प्रदूषण से नहीं बच सकता.

प्रदूषण नियंत्रण/रोकने/ संरक्षण के उपाय – प्रदूषण ऐसा रोग नहीं हैं जिसका कोई उपचार न हो. प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित किया जाना चाहिए.

किसी भी प्रकार की गंदगी और प्रदूषित पदार्थ को नदियों और जलाशयों में छोड़ने पर कठोर दंड की व्यवस्था होनी चाहिए.

वायु को प्रदूषित करने वाले वाहनों पर भी नियंत्रण आवश्यक हैं. इसके अतिरिक्त प्राकृतिक जीवन जीने का अभ्यास करना भी आवश्यक हैं. प्रकृति के प्रतिकूल चलकर हम पर्यावरण प्रदूषण पर विजय नहीं पा सकते.

जनसंख्या की अनियंत्रित वृद्धि को रोकने की भी जरूरत हैं. छायादार तथा सघन वृक्षों का आरोपण भी आवश्यक हैं.कृषि में रासायनिक खाद तथा कीटनाशक रसायनों के छिड़काव से बचना भी जरुरी हैं.

उपसंहार – पर्यावरण प्रदूषण एक अद्रश्य दानव की भांति मनुष्य समाज या समस्त प्राणी जगत को निगल रहा हैं. यह एक विश्व व्यापी संकट हैं.

यदि इस पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शांत वातावरण के लिए तरस जाएगा. प्रशासन और जनता दोनों के गम्भीर प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती हैं.

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  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
  • पर्यावरण का अर्थ व परिभाषा
  • प्लास्टिक पर्यावरण के लिए खतरा पर निबंध
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आशा करता हूँ दोस्तों  Environment Conservation Essay in Hindi के इस लेख में पर्यावरण संरक्षण पर निबंध में दी गई जानकारी आपकों पसंद आई हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे. यदि आपका इस निबंध से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट कर जरुर बताए.

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

Essay on Save Environment in Hindi: हम सभी पर्यावरण से घिरे हुए हैं। पेड़-पौधे, जीव जंतु, पंछी, नदी, पहाड़, पर्वत, झरने इत्यादि सभी पर्यावरण है। मनुष्य तथा सभी जीव जंतुओं का पर्यावरण से बहुत ही घनिष्ट संबंध है और हमेशा रहेगा। पर्यावरण के साथ संतुलन बनाकर ही मनुष्य इस धरती पर अपने अस्तित्व को बनाए रख सकता है।

पर्यावरण और प्रकृति की सुंदरता मनुष्य को हर्षोउल्लासित कर देती है, मनुष्य में उत्साह का संचार होता है। प्रकृति के बीच मनुष्य अपने आप को बहुत शांत और स्वस्थ अनुभव करता है। लेकिन दिन प्रतिदिन मनुष्य अपनी तरह तरह के गतिविधियों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। जिससे धीरे-धीरे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ते जा रहा है, जिसका बुरा प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ रहा है।

यदि ऐसे ही चलता रहा तो वह समय दूर नहीं जब मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का अस्तित्व इस धरती से खत्म हो जाएगा। जिस कारण अभी से ही हर मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय हो जाना चाहिए।

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Essay on Save Environment in Hindi)

यदि आप एक विद्यार्थी हैं तो निश्चित तौर पर आपके विद्यालय या कॉलेज में पर्यावरण के संरक्षण पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता होगा ताकि हर एक विद्यार्थी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझ सके। इसीलिए आज के इस लेख में हम 250, 300, 500 और 1200 शब्दों में निबंध लेकर आए हैं।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 250 शब्द

यह सभी की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि देश में बढ़ती हुई जनसंख्या पर्यावरण के प्रदूषण के लिए बहुत ज्यादा जिम्मेदार होती जा रही है। पहले के जमाने में हमारी धरती पर अच्छा प्रदूषण मुक्त माहौल हुआ करता था, लेकिन जैसे-जैसे आधुनिक तकनीकीओ का विकास हुआ, जनसंख्या बढ़ी, वैसे ही वनों का विनाश होने लगा। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, वाहन प्रदूषण, वायु मंडल में भी ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग इन सभी की वजह से हमारा वातावरण बहुत प्रदूषित हो गया है।

हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान झेलना पड़ा है। इस वजह से आज सभी का जीवन संकट में पड़ता जा रहा है। क्योंकि हमें ना खाने को अच्छा मिल पा रहा है और ना हम अच्छी शुद्ध हवा ले सकते हैं। चारों तरफ प्रदूषण की मात्रा इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि हर इंसान का सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हम सभी को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। बहुत अधिक संख्या में प्रयास करने होंगे।

हालांकि हमारी सरकार के द्वारा भी पर्यावरण को बचाने के बहुत प्रयास किए जा रहे हैं। लोग अधिक से अधिक संख्या में लोग पेड़ लगा रहे हैं। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हमको सभी को एकजुट होकर इसका सोशल मीडिया के द्वारा प्रचार करना होगा। लोगों में हमारे पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने होगी ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा जागरूक होकर पेड़ लगाएं तथा पर्यावरण को संरक्षित कर सके।

हमारे देश में जितने तीव्र गति से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, आधुनिक साधनों का लोग प्रयोग किए जा रहे हैं, उनकी वजह से हमारा वातावरण बहुत नुकसान हो रहा है। इन सभी से चीजों के हानिकारक प्रयोग से बचने के लिए एकजुट होकर सबको हमें अपने पर्यावरण को बचाना होगा।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 300 शब्द

पृथ्वी पर स्थित सभी जीव-जंतु, मनुष्य पर्यावरण से घिरे हुए हैं। हमारे आसपास मौजूद हरे भरे पेड़ पौधे, पंछियों की चहकान, नदियों की लहरों की कलरव करती आवाज, सुंदर सुंदर फूल, हर चीज हमें बहुत मनोरम एहसास दिलाता है। यह हर चीज पर्यावरण ही तो है। हमारे आसपास मौजूद जितनी भी चीजें है, सभी पर्यावरण संरचना में योगदान देता है। मनुष्य बिना पर्यावरण के लंबे समय तक जीवन नहीं जी सकता।

क्योंकि यदि एक व्यक्ति को बंद कमरे में हमेशा के लिए बंद कर दिया जाए और सारी सुख सुविधा दी जाए लेकिन उसे बाहर आने ना दिया जाए तो वह व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता। क्योंकि धरती पर मौजूद हर मनुष्य हर और जीव जंतु इस पर्यावरण के साथ अपने आपको ढाल चुका है और अब बिना पर्यावरण के मनुष्य कहीं और नहीं रह सकता।

लेकिन अफसोस की बात है कि जिस पर्यावरण के बिना व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता, उस पर्यावरण के महत्व को ही मनुष्य समझ नहीं पा रहा है। आज मानव नए-नए आविष्कार कर रहा है, विज्ञान के दुनिया में खूब तरक्की कर रहा है। लेकिन मनुष्य के तरक्की का हर्जाना पर्यावरण को भुगतना पड़ रहा है। आज मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पेड़ पौधों को काट रहा है, जानवरों की हत्या कर रहा है, पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है।

मनुष्य के इन गतिविधियों के कारण दिन-प्रतिदिन मानव जाति विनाश की ओर आगे बढ़ रही हैं। यदि लंबे समय तक मनुष्य ऐसा करता ही रहा तो मनुष्य को इसका हर्जाना भरना पड़ेगा। धीरे-धीरे धरती से मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का भी अस्तित्व खत्म हो जाएगा। इसीलिए आज ही हर एक मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक होना जरूरी है। हर एक मनुष्य को पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए अन्यथा यह पर्यावरण पूरी तरीके से खत्म हो जाएगा और इसी के साथ मानव जाति भी खत्म हो जाएगी।

हालांकि पर्यावरण को लेकर हर देश चिंता में है, इसीलिए हर साल 5 जून को अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन बढ़-चढ़कर लोग हिस्सा लेते हैं और पेड़ पौधों को लगाते हैं, पर्यावरण संरक्षण के लिए अन्य लोगों को भी जागरूक करते हैं। लेकिन केवल एक ही दिन नहीं बल्कि हर दिन लोगों को पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 500 शब्द

पर्यावरण से मनुष्य का रिश्ता मनुष्य जाति की उत्पत्ति से ही हो चुका है। क्योंकि पर्यावरण नहीं होता तो मनुष्य जाति यहां तक कि अन्य जीव-जंतुओं का भी अस्तित्व नहीं होता। जब से धरती पर जीव उत्पन्न हो गए हैं तब से ही प्रकृति से जीवों को जीने के लिए संसाधन प्राप्त हो रहे हैं। मनुष्य जीवन जीने के लिए प्रकृति का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग कर रहा है। प्रकृति ने मनुष्य को रहने के लिए आश्रय दिया है।

लेकिन शायद मनुष्य भूल चुका है। इसीलिए तो मनुष्य पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। जैसे जैसे समय बीतता गया मनुष्य की जरूरते बढ़ती गई और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए मनुष्य पर्यावरण के प्रति निर्दय होने लगा। दिन प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ रही है, जिस कारण लोगों की आवश्यकता भी बढ़ रही है और इसी कारण मनुष्य कई प्रकार के जीव जंतुओं को अपने फायदे के लिए मार रहा है, बढ़ती शहरीकरण के कारण पेड़ पौधों को काटा जा रहा है।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व

पर्यावरण जो ईश्वर के द्वारा बनाई गई है। पर्यावरण में मौजूद तरह-तरह के रंग-बिरंगे सुंदर फूल, पेड़-पौधों की हरियाली, पंछियों की चहकती आवाज और पर्यावरण के सुंदर नजारे हमारी आंखों को खूब लुभाते हैं और इन्हें देख मनुष्य का मन प्रफुल्लित हो जाता है। इन सुंदर दृश्य को देख मनुष्य चिंता मुक्त हो सकता है और अंदर ही अंदर वो खुशी महसूस करता है।

पर्यावरण में मौजूद जीव-जंतु, पेड़-पौधे, पर्वत, नदियां सभी से मानव का संबंध है। पर्यावरण से ही तो मनुष्य को जीने के लिए सभी तरह के संसाधन प्राप्त होते हैं। इसीलिए प्राचीन काल से ही भारत में वृक्षों को संतान स्वरूप एवं नदियों को मां स्वरूप माना गया है।

प्राचीन काल के ऋषि मुनि भी प्रकृति की पूजा करते थे। क्योंकि वे जानते थे कि मनुष्य और पर्यावरण का नाता लंबे समय से है और हमेशा ही रहेगा। इन्हीं पर्यावरण के बदौलत मनुष्य इस धरती पर अपना जीवन यापन कर पाएगा, इसीलिए पर्यावर संरक्षण महत्वपूर्ण है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय

  • यदि पर्यावरण को संरक्षित करना है तो सबसे पहले मनुष्य को पर्यावरण को प्रदूषित करने से रोकना होगा।
  • प्रदूषण को रोकने के लिए फैक्ट्री और घरों से निकलने वाली गंदगी को नदियों और समुद्रों में निष्कासित करने से रोकना होगा। क्योंकि इन्हीं पानी को पीने से कई प्रकार के जीव जंतुओं की मौत हो जाती है। मनुष्य चाहे तो इन गंदे पानी को पेड़ पौधे और फसल उगाने में प्रयोग कर सकता है।
  • मनुष्य अपनी सुविधा के कारण कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक सामान का इस्तेमाल करता है जैसे कि एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर इत्यादि जिनसे क्लोरोफ्लोरोकार्बन निकलता है, जो पर्यावरण में तापमान को और भी ज्यादा बढ़ा रहा है और इस बढ़ते तापमान के कारण ध्रुव पर ग्लेशियर पिघल रहा है। इसलिए इन इलेक्ट्रॉनिक सामान के इस्तेमाल पर कटौती करना जरूरी है।
  • पर्यावरण को संरक्षित रखना है तो पेड़ पौधों के कटाई पर रोक लगाना जरूरी है और यदि मनुष्य पेड़ पौधों की कटाई करता है तो उसका दोगुना पेड़ पौधे भी उसको उगाना जरूरी है।

सरकार के द्वारा पर्यावरण संरक्षण में भूमिका

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस लिक दुर्घटना होने के बाद सरकार ने भी संसद में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सन 1986 में एक अधिनियम जारी किया, जिसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कहते हैं।

अब इस अधिनियम का उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा करना, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के बारे में सोचना और पर्यावरण में सुधार लाना है। इसके अतिरिक्त विश्वभर में पर्यावरण सरंक्षण के लिए हर साल 5 जून को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक कर सके और खुद भी योगदान दे सके।

मनुष्य जिस घर में रहता है मनुष्य उस घर को कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाता है। क्योंकि वह उसका आश्रय है। ठीक उसी तरह पर्यावरण भी तो मनुष्य और सभी जीव-जंतुओं का आश्रय है। यदि पर्यावरण ना हो तो मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का अस्तित्व भी ना होता। इसलिए पर्यावरण की सुरक्षा करना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना आप अपने आप और अपने घरों को सुरक्षित रखते हैं।

जिससे जीवन यापन के लिए सभी तरह की चीजें प्राप्त होती है, उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाया जाता। क्योंकि यदि वही चीजों को नुकसान पहुंचाएंगे तो फिर जीवन जीने के लिए आवश्यक सभी चीजें कहां से प्राप्त होगी? और मनुष्य को जीवन जीने के लिए जितनी भी चीजें हैं सभी चीजें पर्यावरण से ही तो प्राप्त होती है। इसीलिए पर्यावरण का संरक्षण करना हर एक मानव की जिम्मेदारी है।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (1200 शब्द)

पर्यावरण का संरक्षण करना बहुत अत्यधिक जरूरी हो गया है, क्योंकि संपूर्ण मानव जीवन पर्यावरण पर निर्भर है। जब हमारा पर्यावरण सही नहीं रहेगा तो हमारा जीना बहुत मुश्किल हो जाएगा, इसलिए पर्यावरण का संरक्षण करना बहुत जरूरी है।

ऐसी चीजों का प्रयोग नहीं करना होगा, जिन से हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचे, तभी हम अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे। इसके लिए लोगों को भी अधिक से अधिक संख्या में जागरूक करना होगा। नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को जागरूक कर हम अपने पर्यावरण को बचा पाएंगे उसको संरक्षित कर पाएंगे।

पर्यावरण शब्द का अर्थ

यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है पर+ आवरण। मतलब चारों तरफ से गिरा हुआ या ढका हुआ, उसको पर्यावरण कहते हैं। जिस तरह से पहले पृथ्वी हमारे चारों तरफ हरियाली से ढकी हुई रहती थी, बढ़ती जनसंख्या के कारण आज वनों से पेड़ पौधों से विहीन हो गई है।

पर्यावरण कैसे बनता है?

जिस वातावरण में हम रहते हैं, वहां पर पेड़-पौधे, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, मनुष्य आदि प्रकृति के द्वारा प्रदान सभी चीजों से मिलकर हमारा पर्यावरण बनता है, इसीलिए हमारा बहुत गहरा रिश्ता होता है पर्यावरण के साथ में। प्रकृति और पर्यावरण का घनिष्ठ संबंध देख कर मन में बहुत उत्साह और प्रसन्नता का अनुभव याद दिलाता है।

पर्यावरण के संरक्षण की जरूरत

जिस प्रकार से मनुष्य प्रकृति के द्वारा प्रदान की गई चीजों को नुकसान पहुंचाने लग रहा है, उससे मनुष्य जीवन बिल्कुल खतरे में पड़ चुका है। मनुष्य भूल चुका है कि जिस प्रकृति ने उसको आश्चर्य दिया जीवन दिया, वह उस प्रकृति को ही नुकसान पहुंचा रहा है।

जिस तेज गति से संसाधन बढ़ते जा रहे हैं, लोगों की आवश्यकता है, बढ़ती जा रही हैं, उसे हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंच रहा है, आज मनुष्य को सबसे ज्यादा पर्यावरण के संरक्षण की आवश्यकता पड़ गई है क्योंकि उसका खुद का जीवन संकट में आ गया है। दिन प्रतिदिन मनुष्य अपने स्वार्थ और अपने फायदे के लिए हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाता जा रहा है।

पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हम सभी का दायित्व

यह संपूर्ण विश्व के लोगों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए हम को बहुत छोटी छोटी बात पर ध्यान देना होगा और हमारे पर्यावरण को उन हानिकारक चीजों से बचाना होगा, जिससे पर्यावरण हमारा प्रदूषित हो रहा है। यह हम सब को एकजुट जागरूक होकर करना होगा। जैसे लोग प्लास्टिक के थैलों का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, पेट्रोल डीजल युक्त साधनों का प्रयोग कर रहे हैं, वनों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं, इन सभी चीजों को बंद करना होगा।

तभी हम पर्यावरण को सुरक्षित संरक्षित रख पाएंगे। यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं होता। इसके लिए सभी को जागरूक होकर एक साथ काम करना होगा। लोगों को पर्यावरण के संरक्षण के महत्व को समझाना होगा। यह हम सबका दायित्व है कि हम अपने पर्यावरण को संरक्षित और सुरक्षित रखें।

पर्यावरण संरक्षण में लोगों की भूमिका

संरक्षण के लिए सबसे अधिक लोगों की भूमिका होती है, क्योंकि हम खुद अपने पर्यावरण को संरक्षित रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। सबसे पहले हमें इको फ्रेंडली चीजों का निर्माण कर उनको उपयोग में लाना होगा, क्योंकि इको फ्रेंडली चीजें हमारे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती है।

इसीलिए लोगों को भी अधिक से अधिक संख्या में इन चीजों का प्रयोग करने के लिए बताना होगा। इनके महत्व को समझाना होगा तभी हम अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे। इको फ्रेंडली का मतलब यह होता है कि मनुष्य उन वस्तुओं का निर्माण करता है, जो हमारे पर्यावरण के अनुरूप हो हमारे पर्यावरण को किसी प्रकार का कोई नुकसान ना पहुंचाएं।

मनुष्य जीवन में पर्यावरण के संरक्षण का महत्व

आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से हमारे देश में पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है, क्योंकि प्रकृति का संरक्षण करना मतलब उसका पूजन करने के समान होता है। हमारे देश में पर्वत, नदी, वायु, आग, ग्रह नक्षत्र, पेड़ पौधे यह सभी कहीं ना कहीं मानव के साथ जुड़े हुए हैं। मनुष्य के साथ एक गहरा रिश्ता है, क्योंकि यह सभी हमें प्रकृति के द्वारा प्रधान हुए हैं। हम खुद भी प्रकृति की ही देन है।

हमारे देश में वृक्षों को संतान के स्वरूप नदियों को मां के समान माना गया है। हमारे देश में ऋषि-मुनियों को पहले से ही पता था कि मनुष्य का स्वभाव किस प्रकार से होता है। मनुष्य अपने स्वार्थ और लालच के लिए किस हद तक जा सकते हैं, इसीलिए मनुष्य ने प्रकृति के साथ भी अपने संबंधों को कभी विकसित नहीं किया।

हमारे पुराने ग्रंथों में भी कहा गया है कि प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण कितना जरूरी है। हमारे वेदों में भी कहा गया है:

ॐ पूर्णभदः पूर्णमीदम पूर्णातपुर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।

अर्थात हमारी प्रकृति से उतना ही ग्रहण करो जितना आवश्यक है, लेकिन अपनी जरूरतों के लिए अपनी प्रकृति को नुकसान बिल्कुल मत पहुंचाओ।

पर्यावरण के संरक्षण का उपाय

सबसे पहले हमें पर्यावरण के संरक्षण के लिए जनसंख्या की दृष्टि से वृद्धि हो रही है, उस पर रोक लगानी होगी। सरकार को इसके लिए सख्त कदम उठाने होंगे तभी यह काम आसान हो पाएगा और हमें अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे।

फैक्ट्रियों बड़े-बड़े कारखाने के द्वारा निकला हुआ प्रदूषित जल सागरों नदियों में छोड़ा जा रहा है, जिससे जल प्रदूषित होता जा रहा है। उस जल का उपयोग खेती में पीने में भी किया जाता है। इस वजह से लोग बहुत बीमार हो जाते हैं, वह जल पीने योग्य नहीं होता उपजाऊ जमीन भी बंजर हो जाती है। इन सब पर रोक लगानी होगी। इस पानी को नदी और सागरों में छोड़ने के प्रयास नहीं करने होंगे।

पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार ने कई विषयों की भी शुरुआत की है, जिसमें स्वच्छ भारत अभियान नदियों की सफाई का कार्यक्रम प्रमुख रहे हैं। आज सरकार के द्वारा ही बहुत अच्छे अच्छे प्रयास किए जा रहे हैं, जिनसे हमारा पर्यावरण को नुकसान होने से बचाया जा सके।

हमारी प्रकृति का संरक्षण करना उतना ही जरूरी होता है, जिस प्रकार हम अपने जीवन को सुरक्षित रखते हैं। हमारी बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है कि हम अपने तरह ही अपने प्रकृति के जीवन को भी बचा है। क्योंकि जिस प्रकार से आज हमारी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, इसलिए हम लोगों को जागरूक होकर उसके संरक्षण की जरूरत है।

पर्यावरण का संरक्षण करना हम सभी का कर्तव्य है और इसको सभी लोगों को एक साथ एकजुट होकर पूरा करना होगा, जितना अधिक हो सके। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना होगा। इसके रोकने के पूरे प्रयास सभी को मिलकर करने होंगे तभी हम  पर्यावरण को सुरक्षित रख पाएंगे और खुद भी सुरक्षित रह सकेंगे।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध PDF (Paryavaran Sanrakshan Essay in Hindi)

यहाँ पर हमने आपकी सहायता के लिए पर्यावरण संरक्षण पर निबंध को पीडीऍफ़ के रूप में उपलब्ध किया है, जिसे आप आसानी से डाउनलोड करके अपने प्रोजेक्ट के रूप में प्रयोग में ले सकते हैं।

आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Essay on Save Environment in Hindi) बहुत पसंद आया होगा। इस निबंध को आगे शेयर जरुर करें। यदि आपका इस निबंध से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।

ऊर्जा संरक्षण पर निबंध

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध

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Rahul Singh Tanwar

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Environment Protection Essay In Hindi

पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध – Environment Protection Essay In Hindi

पर्यावरण सुरक्षा पर छोटे-बड़े निबंध (essay on environment protection essay in hindi), पर्यावरण सुरक्षा की महत्ता – importance of environmental protection.

  • प्रस्तावना,
  • पर्यावरण सुरक्षा की समस्या,
  • पर्यावरण सुरक्षा की महत्ता,
  • पर्यावरण सुरक्षा के उपाय,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना– पर्यावरण शब्द “परि + आवरण’ के संयोग से निर्मित है। यहाँ ‘परि’ का अर्थ है–चारों ओर तथा ‘आवरण’ का अर्थ है–घेरा। अर्थात् ऐसी चीजों का समुच्चय, जो प्राणियों को चारों ओर से घेरे हुए है, उसे पर्यावरण कहते हैं। प्रकृति ने हमारे चारों ओर ऐसी वस्तुएँ और वातावरण निर्मित किए हैं, जो सब प्रकार से हमारी उन्नति और स्वास्थ्य के अनुकूल हैं। मगर हमने प्रकृति के इस सन्तुलन अर्थात् पर्यावरण को अपने क्रिया–कलाप से विकृत कर दिया है। इसलिए आज इसकी सुरक्षा की आवश्यकता अनुभव की जा रही है। आज पर्यावरण सुरक्षा सम्पूर्ण विश्व की समस्या बन गई है।

Environment Protection Essay In Hindi

पर्यावरण सुरक्षा की समस्या– आज मानव प्रकृति पर विजय प्राप्त करने का सपना देखने लगा है। यही कारण है कि आज प्राकृतिक सन्तुलन बिगड़ गया है। जीवनदायिनी प्रकृति कुपित होकर विनाश की ओर अग्रसर है, परन्तु मनुष्य इस असन्तुलन के प्रति अब भी सावधान नहीं हो रहा है, फलतः पर्यावरण सुरक्षा की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं।

निरन्तर जनसंख्या–वृद्धि, औद्योगीकरण एवं शहरीकरण ने तीव्रगति से प्रकृति के हरे–भरे क्षेत्रों को कंकरीट के जगलों में परिवर्तित कर दिया है। आज श्वास लेने के लिए शुद्ध वायु का अभाव होता जा रहा है, जिससे अनेक प्रकार के रोग जन्म ले रहे हैं, ओजोन परत का क्षरण घातक होता जा रहा है, फिर भी मानव अपनी अज्ञानता के कारण पर्यावरण सुरक्षा के लिए निरन्तर खतरा बढ़ा रहा है।

‘जल ही जीवन है’ का जाप करनेवाला मनुष्य स्वयं जल के लिए समस्या बन गया है। उसके द्वारा शहरभर के मल–मूत्र, कचरे तथा कारखानों से निकलनेवाले अपशिष्ट पदार्थों को नदियों के जल में प्रवाहित कर दिया जाता है, जिससे जल अशुद्ध होता है।

केन्द्रीय जल–स्वास्थ्य इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान के अनुसार भारत में प्रति 1,00,000 व्यक्तियों में से 360 व्यक्तियों की मृत्यु आन्त्रशोथ (टायफॉयड, पेचिश) के कारण होती है। वर्तमान में शुद्ध पेयजल का संकट बढ़ता जा रहा है।

Importance Of Environmental Protection

परमाणु–शक्ति उत्पादन– केन्द्रों और परमाणु परीक्षणों के परिणामस्वरूप जल, वायु तथा पृथ्वी पर रेडियोधर्मी पदार्थ छोटे–छोटे कणों के रूप में वातावरण में फैल जाते हैं, जो लोगों के लिए प्राणघातक सिद्ध होते हैं। यह रेडियोधर्मी प्रदूषण आगामी अनेक पीढ़ियों के लिए भयंकर समस्याएँ उत्पन्न करता है। स्वास्थ्य–सम्बन्धी समस्याएँ तो इन पीढ़ियों को जन्म से ही होती हैं।

इसी प्रकार पैदावार बढ़ाने के लिए किसान जिस तेजी के साथ कीटनाशक, शाकनाशक और रोगनाशक रसायनों तथा उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं, वह पर्यावरण सुरक्षा के लिए समस्या ही है।

वातावरण में चहुंओर मोटरकार, बस, जेट विमान, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर, बाजे, सायरन तथा कल–कारखानों की मशीनों से निकलती तीव्र–ध्वनियाँ ध्वनि–प्रदूषण को जन्म देकर निरन्तर पर्यावरण सुरक्षा के लिए समस्या बनती जा रही हैं।

पर्यावरण सुरक्षा की महत्ता– पर्यावरण और प्राणियों का घनिष्ठ सम्बन्ध है, परन्तु मानवीय महत्त्वाकांक्षाओं, भूलों, प्रतिस्पर्धाओं के चलते पर्यावरण प्रदूषण का संकट उत्पन्न हो गया है। प्रदूषण के आधिक्य से पृथ्वी के अनेक जीव और वनस्पतियाँ लुप्त हो गए हैं और अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। यदि पर्यावरण प्रदूषण इसी गति से बढ़ता रहा तो वह दिन भी दूर नहीं है, जब मनुष्य का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा।

इसीलिए पर्यावरण सुरक्षा से सम्बन्धित व्यापक अवधारणाएँ दिनोंदिन जन्म ले रही हैं। पर्यावरण सुरक्षा की महत्ता आज अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता का विषय बन चुकी है। जून 1972 ई० में स्टॉकहोम में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावरण सम्मेलन में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर एक घोषणा–पत्र जारी किया गया। तब से निरन्तर जलवायु परिवर्तन पर अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए जाते रहे हैं।

दिसम्बर 2015 ई० में पेरिस में सम्पन्न हुए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में 30 से 35 प्रतिशत तक कार्बन उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य रखा गया है। यह कमी वर्ष 2005 को आधार मानकर की जाएगी। भारत ने भी माननीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में वर्ष 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन में 33 से 35 प्रतिशत तक की कटौती का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अन्तर्गत सन् 2030 ई० तक होनेवाले कुल बिजली उत्पादन में 40% हिस्सा कार्बनरहित ईंधन से होगा।

पर्यावरण सुरक्षा के उपाय– पर्यावरण सुरक्षा हेतु जन जागरण, सहयोग और समर्थन अनिवार्य है। प्रत्येक व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे–छोटे कदमों से बहुत ही सरल ढंग से पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है; जैसे –

  • कचरे की मात्रा कम करना।
  • कचरे को सही स्थान पर फेंकना।
  • पॉलीबैग का प्रयोग बन्द करना। ल पुरानी वस्तुओं को नए ढंग से पुनः प्रयोग में लाना।
  • रेन वाटर हार्वेस्टिंग द्वारा वर्षा–जल का संरक्षण करना।
  • पानी की बर्बादी को रोकना।
  • ऊर्जा संरक्षण करना, बिजली के दुरुपयोग को समाप्त करके उसका कम–से–कम प्रयोग करना।
  • रिचार्जेबल बैटरी या अक्षय एल्कलाइन बैटरी का उपयोग करना।
  • वायु–प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण पर नियन्त्रण रखना।
  • कृत्रिम उर्वरकों के स्थान पर जैव उर्वरकों का प्रयोग करना।
  • अधिकाधिक संख्या में वृक्षारोपण करना।
  • भारी मात्रा में हो रहे वृक्ष–कटान को रोकना।

इनके अतिरिक्त संचार माध्यमों के द्वारा प्रचार–प्रसार करके, अच्छे प्रशासकों, सजग नीति–निर्माताओं और प्रशिक्षित तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता से पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है।

उपसंहार– हमें भविष्य में सुरक्षित एवं स्वस्थ जीवन की सम्भावना सुनिश्चित करने के लिए न केवल पर्यावरण की महत्ता समझनी होगी, अपितु उसे सुरक्षित रखने का भी उत्तरदायित्व निभाना होगा।

यह याद रखना आवश्यक है कि पर्यावरण सुरक्षा के लिए उठा पहला कदम व्यक्तिगत स्तर पर हम से ही आरम्भ होता है। पर्यावरण की सुरक्षा करना पृथ्वी पर रहनेवाले समस्त व्यक्तियों का कर्तव्य है। इस कर्त्तव्यपालन के द्वारा ही पर्यावरण सुरक्षित हो सकेगा।

पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

आज हम इस आर्टिकल में पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000) लिखा है जिसमें हमने प्रस्तावना, पर्यावरण का अर्थ, पर्यावरण का महत्व, विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण से लाभ और हानि, पर्यावरण और जीवन, पर्यावरण प्रौद्योगिकी प्रगति और प्रदूषण, पर्यावरण संरक्षण के उपाय के बारे में लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi)

प्रकृति ने हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सौंपा था। किंतु मनुष्य ने अपने लालची पन और विकास के नाम पर उसे खतरे में डाल दिया है। विज्ञान की बढ़ती प्रकृति ने एक और तो हमारे लिए सुख- सुविधा में वृद्धि की है तो दूसरी ओर पर्यावरण को दूषित करके मानव के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

पर्यावरण का अर्थ Meaning of Environment 

“अमृत बांटें कर विष पान, वृक्ष स्वयं शंकर भगवान।”पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है पर +आवरण जिसका अर्थ है हमारे चारों ओर घिरे हुए वातावरण।

पर्यावरण और मानव का संबंध अत्यंत घनिष्ठ है। पर्यावरण से मनुष्य की  भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण का महत्व Importance of Environment in Hindi

पर्यावरण से ही हम हैं, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव- जंतु, प्राकृतिक, वनस्पतियों, पेड़- पौधे, जलवायु, मौसम सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित है।

पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है, और जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ  उपलब्ध कराता है।

विश्व पर्यावरण दिवस World Environment Day 

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

5 जून 1973 को पहला पर्यावरण दिवस मनाया गया था। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

पर्यावरण से लाभ और हानि Advantages and Disadvantages of Environment in Hindi

पर्यावरण से लाभ advantages of environment in hindi.

पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है। पर्यावरण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण में जैविक,  अजैविक, प्राकृतिक तथा मानव निर्मित वस्तु का समावेश होता है।

प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।जो हवा हम हर पल सांस लेते हैं, पानी जिस के सिवा हम जी नहीं सकते और जो हम अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल करते हैं, पेड़ पौधे उनका हमारे जीवन में बहुत महत्व है।

यह सब प्राकृतिक चीजें हैं जो पृथ्वी पर जीवन संभव बनाती हैं। वह पर्यावरण के अंतर्गत ही आती हैं। पेड़-पौधों की हरियाली से मन का तनाव दूर होता है, और दिमाग को शांति मिलती है। पर्यावरण से ही हमारे अनेक प्रकार की बीमारी भी दूर होती है।

पर्यावरण मनुष्य, पशुओं और अन्य जीव चीजों को बढ़ाने और विकास होने में मदद करती है। मनुष्य भी पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण का एक घटक होने के कारण हमें भी पर्यावरण का एक संवर्धन करना चाहिए।

पर्यावरण पर हमारा यह जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण की वास्तविकता को बनाए रखना होगा।

और पढ़ें: जल संरक्षण पर निबंध

पर्यावरण से हानि Disadvantages of Environment in Hindi

आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण पर्यावरण की प्रकृति नष्ट हो रही है। हर जगह जहां घने वृक्ष हैं उन्हें काट कर वहां बड़ी इमारत बनाए जा रहे हैं।

गाड़ी की धुआ, फैक्ट्री मे मशीनों की आवाज, खराब रासायनिक जल इन सब की वजह से, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण हो रहा है। यह एक चिंता का विषय बन चुका है यह अत्यंत घातक है। जिसके कारण हमें अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है और हमारा शरीर हमेशा बिगड़ रहा है।

वही आज जहां विज्ञान में तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार है। आधुनिकीकरण, प्रौद्योगिकी करण और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।

मनुष्य  अपने स्वार्थ के चलते पेड़ पौधों की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है, यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वाल्मिग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए।

  • पेड़ों का महत्व समझ कर हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमें  छाया प्रदान करते हैं। घने वृक्ष पशु पक्षी का भी निवास स्थान है। इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।

पर्यावरण और जीवन Environment and life in Hindi

पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भर है। पर्यावरण के बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुंत तरक्की कर ली हो।

लेकिन प्रकृति में जो हमें उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है। इसीलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।

वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व है, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है, और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं। पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण Environment, Technology, Progress and Pollution in Hindi

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीकी ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे ना सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है। लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की है जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय Environmental protection measures in Hindi

  • उद्योग से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धोएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए। 
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों को निपटाने के लिए सख्त कानून बनाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझने के लिए जागरूकता फैलाने चाहिए।

हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। यह पर्यावरण संतुलन के लिए ही बनाया गया एक उपक्रम है।

इस तरह हमें अपने पर्यावरण को बचाना चाहिए। लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाना चाहिए। स्वच्छ पर्यावरण एक शांतिपूर्ण और स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक है। 

पर्यावरण पर 10 लाइन 10 Line on Environment in Hindi

  • पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परिधान +आवरण इसका अर्थ होता है हमारे चारों ओर् घिरे हुये वातावरण।
  • पर्यावरण और मानव का संबंध घनिष्ठ है।
  • पर्यावरण से ही हम हैं हर किसी के जीवन  के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है।
  • पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।
  • पर्यावरण आसिफ जलवायु में संतुलन बनाए रखता है बल्कि, जीवन के लिए सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराता है।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
  • पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है।
  • प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।
  • पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।
  • घने वृक्ष पशु-पक्षी का निवास स्थान है। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमेशा या प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

पर्यावरण के प्रति हम सब को जागरूक होने की आवश्यकता है। पेड़ों की हो रही है अंधाधुन कटाई पर सरकार द्वारा सख्त कानून बनाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना और हमारा कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में ही रहकर स्वास्थ्य मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।आशा करते हैं आपको हमारा पर्यावरण पर निबंध अच्छा लगा होगा।

1 thought on “पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)”

आपने पर्यावरण पर जो निबंध लिखा है सचमुच ही हृदय को छू लेने वाला है। अगर जन-जन में यह क्रांति फैलाई जाए की मनुष्य जहां- जहां घर बनाते हैं वहां 6 फुट का जगह छोड़ना चाहिए और एक आम और नीम का पेड़ जरूर लगाना चाहिए।

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  • निबंध ( Hindi Essay)

environment protection essay 300 words in hindi

Essay on Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध हिंदी में

Essay on Environment in Hindi

Essay on Environment in Hindi में आज हम पर्यावरण के महत्व और उसकी उपयोगिता के बारे में जानेंगे। हम सब यह बात तो जानते हैं कि हवा, पानी और अन्न के बिना इंसानों का पृथ्वी पर जीवित रहना नामुमकिन है।

लेकिन फिर भी इन सबको सुरक्षित और साफ रखने में हम दिलचस्पी नही दिखाते। हमें लगता है यह सब कुदरती वरदान है जो कभी खत्म नही होगा, पर यह सही नही है।

कुदरत ने हमें यह सब वरदान के तौर पर जरूर दिया है लेकिन यदि हमने पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) का ही ध्यान रखना छोड़ दिया तो यह सब भी हमसे छिन जाएगा।

Essay on Environment in Hindi में हमने इस विषय को गहराई से समझाया है। आप इन निबंधों का उपयोग अपनी परीक्षा में भी कर सकते हैं।

Table of Contents

Long And Short Essay on Environment in Hindi (300 words)

हमारी पृथ्वी पर जितने भी जीवधारी मौजूद है उन सब मे सबसे शक्तिशाली हम इंसान है लेकिन यदि प्रकृति के सभी घटक नही हो तो हम इंसानों का इधर जीवित रह पाना नामुमकिन है। प्रकृति के बाकी घटक मिलकर जिसका निर्माण करते हैं वह पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण के बारे में आज दुनियाँ में बहुत ज्यादा बातें होने लगी है क्योंकि हमारी गतिविधियों की वजह से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है।

पर्यायवरण का महत्व (Importance of Environment)

इंसान स्वस्थ रहें और एक अच्छा जीवन जिये इसमे पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) का बहुत अधिक महत्व है। यह कहना बिलकुल गलत नही होगा कि पृथ्वी पर जीवन की एक मात्र वजह यहाँ का पर्यावरण है।

जिस दिन यह नकारात्मक रूप से प्रभावित होने लगा उसी दिन से पृथ्वी पर जीवन कठिन हो जाएगा। पर्यावरण के कारण ही हमें सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा, पीने के लिए निर्मल जल और खाने के लिए अनाज मिलता है।

पेड़-पौधे पर्यावरण का एक अहम भाग है। इनकी मौजूदगी न सिर्फ हमारी शारीरिक जरूरतों को पूरा करती है बल्कि मानसिक शांति के द्वार भी खोलती है।

विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day)

पर्यावरण के प्रति लोग जागरूक हो सकें और पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण के महत्व को समझ सकें इसके लिए प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

पर्यावरण बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारों की नही है बल्कि सभी लोगो को यह समझना होगा कि पर्यावरण है तो ही जीवन है।

हम सब जानते हैं कि पृथ्वी के अलावा पूरे ब्रम्हांड में दूसरे किसी ग्रह पर जीवन नही है और यदि होगा भी तो हम अब तक वहाँ नही पहुँच सकें हैं।

इसलिए यह जरूरी है कि पर्यावरण बचाने के लिए सभी मिलकर प्रयास करें। अन्यथा यह ग्रह हमारे रहने लायक नही बचेगा और एक बार स्थिति हमारे हाथ से निकल जाने के बाद हम कुछ नही कर सकेंगे।

हमें अपने जलस्त्रोतों को स्वच्छ बनाकर रखना जरूरी है। पॉलीथिन के उपयोग से भी वातावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हमारे छोटे छोटे प्रयास एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं, इसलिए सबको कोशिश करना चाहिए।

Speech On Environment in Hindi

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, सभी माननीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे सहपाठियों.

आज मुझे खुशी हो रही है किसी मंच पर बैठकर हम सब पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) जैसे गंभीर विषय पर चर्चा कर रहे हैं। और इससे भी ज्यादा हर्ष की बात यह है कि मुझे भी इस अवसर पर बोलने योग्य समझकर अपना वक्तव्य पेश करने का अवसर दिया गया इसके लिए मैं आभारी हूँ।

एक तरफ खुशी इस बात की है आज हम कम से कम यह तो मान रहे हैं कि हमारी पृथ्वी जिसे हम भारतीय माँ का दर्जा देते हैं, वह मुश्किल में हैं।

लेकिन दुख इस बात को लेकर है कि हम कितने गैर जिम्मेदार लोग है जो यह भी नही सोचते कि यह पृथ्वी जितनी हमारी है उतनी ही वन्य जीवों की है। इस पर उन्हें भी उतना ही अधिकार है जितना हमें।

लेकिन भगवान ने हमें बुध्दि दी है और इसी बुध्दि का उपयोग कर हमने सभी को अपने हिसाब से चलाना शुरू कर दिया।

पृथ्वी के सभी मूल्यवान तत्वों का दोहन करने लगे, पेड़ पौधों को काटने लगें, कचरा फैलाने लगे, हवा दूषित करने लगे और जिसका नतीजा हुआ कि आज हमें यहाँ पर्यावरण को सुरक्षित करने जैसे विषय पर चर्चा करने की जरूरत पड़ रही है।

हमें यह मानना होगा कि इस पृथ्वी पर सबसे ताकतवर हम नही है। क्योंकि यदि इस पर्यावरण का योगदान हमें न मिलें तो पृथ्वी पर हम सब 1 दिन भी जिंदा नही रह पायेंगे।

पर्यावरण से हमें खाना, पानी, हवा, खनिज, लवण सब कुछ मिलता है लेकिन बदलें में हम पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) को क्या देते है?

प्रदूषित जल, जहरीली हवा, पेड़ों की कटाई, समुद्रों में फैलता प्रदूषण ये सब? कहते हैं कोई भी रिश्ता दोनों तरफ से चलता है। अब आप ही बताइए हम पर्यावरण को बुरी चीज़े दे रहे हैं तो पर्यावरण हमारा भला कब तक सोचता रहेगा?

दुनियाँ की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन कोई इस पर बात नही करता। इतनी बड़ी जनसंख्या रहेगी कहाँ? वनों को काटकर? खाएगी क्या? क्या हमने कभी इस बारे में विचार किया है ?

हम सब इस वक़्त सिर्फ अपना लाभ ही सोच रहे हैं लेकिन सोचिए हमारी अगली पीढ़ी हमारे बारे में क्या सोचेगी? हमारे पूर्वजों ने हमें एक स्वच्छ पृथ्वी दी थी लेकिन हम भावी पीढ़ियों के लिये एक दूषित पृथ्वी बनाने में जुटे हुए हैं।

लेकिन अब वक्त आ चुका है। यदि अभी भी नही जागे तो बहुत देर हो जाएगी। फिर हाथ मलने के अलावा और कुछ बचेगा नही। इसलिए जरूरी कदम उठाने होंगे।

देश की सरकारें जो कर रही है वो उन्हें करने दीजिए, साथ मे हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि कुछ अपनी तरफ से करें। सब कुछ सरकारों के ऊपर नही छोड़ सकते।

हमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण को रोकने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि यह हमारे हाथ मे है। आज संकल्प करें कि कभी भी पानी मे किसी भी तरह से गंदगी नही फेकेंगे।

यदि संभव हो सकें तो घर मे सोलर पैनल लगवाएं। इससे ऊर्जा का उत्पादन भी साफ तरीके से हो पाएगा साथ मे आपके ऊपर पड़ने वाला बिजली बिल का बोझ भी कम हो जाएगा।

यकीन मानिए यदि हम सब मिलकर अपनी जीवनशैली में कुछ छोटे छोटे बदलाव कर लें तो एक बड़ा परिवर्तन हो सकता है। इसके लिए जरूरी है बस इच्छाशक्ति की।

अपने वक्तव्य को मैं कुछ खूबसूरत पंक्तियों के साथ विराम दूंगा की

प्रण करो उन मंजिलों के,काँटे हम हटाएँगे ,

अपने “Environment Day” पर उसमे नए फूल हम लगाएँगे ,

हो सकेगा तो खुद को इतना मज़बूत हम बनाएँगे , कि पहले की तरह ही “Nature” में जीना फिर से हम अपनाएँगे ॥

Essay on Save Fuel for Environment and Health (500 Words)

कहते हैं हमारी पृथ्वी के नीचे प्राकृतिक संसाधन का भंडार है। इन्ही संसाधनों का उपयोग हम अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं।

इन्हें पहले हम जमीन से निकालते हैं, फिर शोधन प्रक्रिया के द्वारा उपयोग योग्य बनाते है, फिर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ये सभी प्राकृतिक संसाधन सीमित मात्रा में ही मौजूद है। एक न एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब जीवाश्म ईंधन समाप्त जो जाएगा।

जीवाश्म ईंधन क्या है? (What is Fossil Fuel)

जब पेड़-पौधे, जीव-जंतु करोड़ो-अरबो साल तक पृथ्वी के नीचे दबे रहते हैं तो उच्च ताप और दाब के कारण वो ईंधन में परिवर्तित हो जाते हैं यही जीवाश्म ईंधन कहलाता है।

जीवाश्म ईंधन को बनने में करोड़ों वर्ष का वक़्त लगता है। जीवाश्म ईंधन एक ऐसा ऊर्जा स्त्रोत है जो एक न एक दिन समाप्त हो जाएगा।

ईंधन का संरक्षण क्यों है जरूरी? (Why is Fuel Conservation Impoartant)

हम सब को ईंधन का संरक्षण ठीक उसी तरह से करना चाहिये जैसे जल का करते हैं। हमारे ईंधन पूर्ति के मुख्य स्त्रोत जीवाश्म ईंधन है। लेकिन इसकी मात्रा तो सीमित है।

उद्योग के लिए मिलने वाली बिजली जीवाश्म ईंधन से बनती है, भारीभरकम वाहन जीवाश्म ईंधन की मदद से चलते हैं।

कहने के लिए तो आज हम पवनचक्की, सोलर पैनल जैसी कई चीज़े बना चुके हैं जो हवा, पानी और सूर्य की गर्मी से बिजली बना सकते हैं लेकिन इनसे उत्पादित होने वाली ऊर्जा की मात्रा इतनी ज्यादा नही होती कि पूरे विश्व की जरूरत को पूरा कर सकें।

इसलिए इस वक़्त सबसे बेहतर विकल्प यही है कि जीवाश्म ईंधन की बचत करें। ताकि इसका उपयोग हम लंबे वक्त तक कर सकें।

ईंधन का कम उपयोग करने पर होता है स्वास्थ्य बेहतर (Health is Better by using less Fuel)

जीवाश्म ईंधन भले ही हमारी ऊर्जा की जरूरतें पूरी करता है लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से यह बहुत हानिकारक है। इसके दहन से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, फ़्लोरोकार्बन जैसी विषैली गैस निकलती हैं जो सांस संबंधी कई बीमारियों को जन्म देती हैं।

वातावरण में जब इन गैसों की अधिकता हो जाती है तो सांस लेने में घुटन महसूस होने लगती है, त्वचा में जलन होने लगती है, घबराहट, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द और मानसिक तनाव जैसी कई समस्याएं जन्म लेने लगती है।

पर्यावरण के लिए भी है नुकसानदायक (Harmful of the Environment)

कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, फ़्लोरोकार्बन आदि गैसों को ग्रीनहाउस गैस कहा जाता है। इसकी वजह से ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट होने लगता है जिससे वातावरण ज्यादा गर्म हो जाता है।

इन गैसों की खास बात होती है कि ये ऊष्मा को अपने अंदर संग्रहित कर लेती है और गर्म हो जाती है। इसी वजह से जब इनकी मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है तो ग्लोबल वार्मिंग होने लगता है।

ईंधन बचाने के उपाय (Ways to Save Fuel)

ईंधन बचाने के लिए हम कुछ जरूरी उपाय कर सकते हैं जैसे कि :-

  • गाड़ी हमेशा धीमी गति में चलाएं। इससे हम ईंधन की खपत होगी।
  • गाड़ी चलाते वक्त बार बार क्लच न दबाएं।
  • जब भी सड़क में चलें तो कोशिश करना चाहिए कि गाड़ी एक ही रफ्तार में चले, इससे ईंधन की बचत होती है।
  • जब भी रेड सिग्नल में खड़ें हो तो गाड़ी बंद कर दें।
  • गाड़ी का तभी उपयोग करें जब बहुत जरूरी हो, पास जाने के लिए पैदल या साइकिल का उपयोग करें।
  • समय समय पर गाड़ी की सर्विसिंग जरूर करना चाहिए।
  • शाम या रात के वक़्त रास्तों में ज्यादा भीड़ नही रहती है इसलिए गाड़ी को बार बार रोकना नही पड़ता। तो कोशिश करें कि रात में गाड़ी का उपयोग ज्यादा हो दिन की तुलना में।

हमें अपने सभी निर्णय भविष्य को ध्यान में रखकर लेना चाहिए। इस बात की पूरी संभावना है कि भविष्य में ऊर्जा उत्पादन के कई तरीके आ जाएंगे लेकिन अभी जितने भी तरीके मौजूद है उन सब मे जीवाश्म ईंधन सबसे ज्यादा दक्ष है। इसलिए इसका उपयोग कम से कम करें तो बेहतर है ताकि लंबे समय जीवाश्म ईंधन बचा रहे।

Essay on Environment Pollutions in Hindi | पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध. (2000 Words)

पर्यावरण प्रदूषण आज की एक बड़ी समस्या है। हमारी ही गतिविधियों के कारण कई ऐसे हानिकारक तत्व वातावरण में सम्मलित हो जाते हैं जिनके कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कई अलग अलग प्रकार है। हर तरह के प्रदूषण का हमारे ऊपर पड़ने वाला प्रभाव भी अलग-अलग है।

पर्यावरण प्रदूषण का बुरा प्रभाव न सिर्फ हमारे जीवन मे पड़ रहा है बल्कि साथ में वन्य जीवन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण आज कई जीव विलुप्ति की कगार पर पहुँच चुके हैं।

पर्यावरण का अर्थ (Environment Meaning in Hindi)

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘परि+आवरण’ जिसका अर्थ है हमारे चारों तरफ मौजूद आवरण. पर्यावरण असल मे हमारे चारों तरफ मौजूद एक आवरण है जिसमे, चल-अचल, सजीव-निर्जीव, प्राकृतिक-अप्राकृतिक सभी चीजें आती है।

पर्यावरण की यह परिभाषा इंसानों की दृष्टि से है। अर्थात इंसान खुद को बीच मे रखकर देखता है तब पर्यावरण को इस तरह वर्णित किया जा सकता है।

हम खुद भी पर्यावरण का ही हिस्सा है। क्योंकि इस पृथ्वी में संतुलन बनाने का काम इंसान भी करते हैं। हालांकि इंसान एक बुद्धिमान जीव होने के नाते अपने हिसाब से पर्यावरण का दोहन भी कर लेता है, जिसके दुष्परिणाम सबको भुगतने पड़ते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है? (What is Environmental Pollution)

जब पर्यावरण में कुछ ऐसे तत्व मिल जाते हैं जो हमारे ऊपर और प्रकृति के ऊपर बुरा प्रभाव डालते हैं, यही घटना पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है।

पर्यावरण में नकारात्मक प्रभाव डालने वाले तत्व प्रदूषक कहलाते हैं। प्रदूषक हमेशा ही मौजूद रहते हैं। ऐसा नही है कि पहले जमाने मे प्रदूषक नही होते थे लेकिन इनकी मात्रा इतनी ज्यादा नही होती थी, की हमारे ऊपर बुरा प्रभाव पड़े।

लेकिन पिछले 100 सालों में इंसानों की गतिविधियों ने प्रदूषकों की मात्रा में बहुत ज्यादा इज़ाफ़ा किया है। इसी का प्रभाव आज हमें जल, वायु, मृदा आदि प्रदूषण के तौर पर दिखाई दे रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार (Types of Environmental Pollution)

प्रदूषण के प्रकार निम्नलिखित है।

वायु प्रदूषण (Air Pollution)

प्रदूषण के जितने भी रूप में मौजूद हैं उनमें सबसे खतरनाक और सामान्य वायु प्रदूषण है। दुनिया में लोगों की तेजी से बढ़ती शहरीकरण की इच्छा इस प्रदूषण की कहीं ना कहीं एक मुख्य वजह है।

वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण ईंधन का दहन है फिर चाहे वह उद्योग धंधों में उपयोग होने वाला ईंधन हो या घरेलू कामों में, वाहनों में उपयोग होने वाला ईंधन हो या फिर बिजली के उत्पादन में उपयोग होने वाला ईंधन, यह सभी मिलकर पर्यावरण में मौजूद वायु को प्रदूषित कर रहे हैं।

वायु प्रदूषण का स्तर दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि हमारे पास आज भी जीवाश्म ईंधन का कोई विकल्प नहीं है। इस वजह से हम ना चाहते हुए भी अपने ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन पर ही निर्भर है।

जीवाश्म ईंधन के दहन से कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फरडाइऑक्साइड जैसे विषैली गैस निकालती हैं, जिसका बहुत बुरा असर वातावरण पर पड़ता है।

वातावरण में इनकी मौजूदगी से ना सिर्फ हमें सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है इसके साथ ही इन गैसों की वजह से तापमान में भी बढ़ोतरी देखी गई है।

अम्लीय वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग जैसे प्रभाव वायु प्रदूषण के स्तर का बखान करने के लिए काफी है।

वायु प्रदूषण के कारण ही हमें अस्थमा, हृदय से संबंधित कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं जो कि जानलेवा साबित होती है।

जल प्रदूषण (Water Pollution)

कहा जाता है जल ही जीवन है लेकिन जब जीवन देने वाला यह जल ही प्रदूषित हो जाए तो फिर जीवन भला किस तरह जीवित रह पाएगा।

पिछले कुछ वर्षों में हमने यह देखा है कि जल प्रदूषण की समस्या बहुत तेजी से उभर कर सामने आई है। कई सरकारी आंकड़ों में यह बताया गया है कि आज विश्व की आधी आबादी स्वच्छ जल के अभाव में अपना जीवन जी रही है।

दुनियाँ में कई ऐसे देश है जहाँ पर लोग गंदा पानी पीने के लिए मजबूर है यह सब जल प्रदूषण का एक छोटा सा उदाहरण है।

यदि जल प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो इसके दुष्परिणाम कितने भयावह होंगे यह बताने की जरूरत नहीं है, इसकी छोटी सी तस्वीर हमें आज से ही दिखाई देनी शुरू हो गई है।

लेकिन असली समस्या जल प्रदूषण के कारणों को लेकर है। जल प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण उद्योगों से निकलने वाला औद्योगिक कचड़ा है, जिसको जल स्रोतों में ही निर्वासित कर दिया जाता है।

इसका बुरा प्रभाव ना सिर्फ जलीयजीवो के ऊपर पड़ता है बल्कि इंसानों के ऊपर भी काफी विपरीत असर पड़ता है । हम सब पीने के पानी के लिए नदियों के जल पर ही निर्भर है पर जब यही जल दूषित हो जाएगा तो इस जल को पी कर हमारे अंदर भी कई तरह की बीमारियां हो जाएगी।

जल प्रदूषण का दूसरा कारण कीटनाशक दवाओं का छिड़काव है। ऐसी दवाएँ जमीन के द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं और यह सब भूमिगत जल में मिल जाती हैं।

जिससे कि वह जल भी प्रदूषित हो जाता है। समुद्री जल के प्रदूषित होने का एक सबसे बड़ा कारण पेट्रोलियम पदार्थों का पानी में मिल जाना है।

अधिकतर देशों के लिए पेट्रोलियम के आवाजाही का काम समुद्री मार्गों के द्वारा ही होता है लेकिन कभी-कभी पेट्रोलियम पदार्थ ले जाने वाले जहाजों में खराबी आ जाती हैं जिससे पूरा पेट्रोलियम पदार्थ समुद्री जल में मिल जाता है।

पेट्रोलियम और जल अघुलनशील होते हैं इसलिए यह हमेशा के लिए मौजूद रहता है।

मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

मृदा प्रदूषण से तात्पर्य भूमि की उर्वरक क्षमता का घटना है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि आज हमने कई उन्नत रसायनों का निर्माण कर लिया है जिसकी सहायता से हम फसल की पैदावार कई गुना बढ़ा सकते हैं।

लेकिन इसका दुष्प्रभाव भूमि की उर्वरक क्षमता पर दिखाई देता है। भूमि पर प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन जैसे तत्व मौजूद रहते हैं, जो भूमि की उर्वरक क्षमता को बरकरार रखते हैं।

लेकिन कीटनाशकों और उत्पादन बढ़ाने वाली रसायनों के उपयोग से धीरे-धीरे यह नाइट्रोजन तत्व खत्म होते जाते हैं जिससे भूमि की उत्पादन क्षमता बहुत कम हो जाती है।

भूमि की उर्वरक क्षमता घटने का दूसरा कारण है उद्योगों से निकलने वाला कचड़ा है। हमें देखते हैं कि औद्योगिक कचड़े का निवारण सही तरह से नहीं किया जाता है।

उन्हें किसी जगह पर इकट्ठा करके रखा जाता है लेकिन यह कचड़ा इतना खतरनाक होता है कि किसी उपजाऊ भूमि को बंजर भूमि में बदल सकता है।

बारिश के मौसम में यही खिचड़ा बहकर अपने आसपास के क्षेत्रों में फैल जाता है। इन दो कारणों के अलावा तीसरा कारण वनों की कटाई है जैसा कि हम सब जानते हैं कि पेड़ों में क्षमता होती है कि वह अपने आसपास की भूमि को बांध कर रखते हैं जिसे भूमि का कटाव नहीं होता पर वृक्षों की कटाई में बेतहाशा वृद्धि हुई है जिसकी वजह से भूमि का कटाव भी बढ़ने लगा है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

जब सुनने में भद्दी लगने वाली आवाज की तीव्रता 80Db से ज्यादा हो जाती है तो इसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। इतनी तीव्र आवाज हमारी मनःस्थिति पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है। मानसिक अशांति इसका एक बड़ा उदाहरण है। बच्चे और बुजुर्ग के ऊपर ध्वनि प्रदूषण का सबसे बुरा असर देखने को मिलता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution)

यह प्रदूषण परमाणु कचरे के कारण होता है। इसे बहुत खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, क्योंकि इसका प्रभाव एक पीढ़ी तक ही सीमित नही रहता, बल्कि आगे आने वाली कई पीढ़ियाँ इसके बुरे प्रभाव से पीड़ित रहती हैं।

इससे कैंसर, बांझपन, अंधापन जैसी कई गंभीर बीमारियां हो जाती है। ऐसा प्रदूषण अधिकतर परमाणु संयंत्रों के आसपास होता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण का सबसे बड़ा भुक्तभोगी देश जापान है, जहाँ दो परमाणु बम 1945 में गिराए गए थे लेकिन उसका दुष्प्रभाव आज की पीढ़ियाँ भी भुगत रही हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारक (Main Factors of Environmental Pollution)

पर्यावरण प्रदूषण के कई कारक होते हैं, जिनमे से कुछ प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष होते हैं। कुछ कारक स्पष्ट तौर पर दिखाई दे जाते हैं जबकि कुछ कारक सीधे तौर पर प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नही होते लेकिन उनकी वजह से प्रदूषण करने वाले तत्व पैदा होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कुछ कारक निम्नलिखित है:-

उद्योगों से निकलने वाला कचरा (Industrial Waste)

प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण उद्योगों से निकलने वाला कचरा है। जब से दुनियाँ में औधोगिकीकरण की शुरुआत हुई है तब से पर्यावरण में असंतुलन बहुत ज्यादा बढ़ा है।

अधिकतर उद्योगों में हानिकारक रसायनों का उपयोग होता है , जो पानी मे मिल होता है। जब यह पानी किसी उपयोग के लायक नही बचता तब इसे नदियों के जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। जिससे कि नदियों का जल भी प्रदूषित हो जाता है।

फिर इसी प्रदूषित जल का उपयोग हम सब करते हैं, विभिन्न प्रकार के जानवर करते हैं, जिसके फलस्वरूप हम कई बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।

वाहनों के होने वाला प्रदूषण (Vehicle pollution)

वाहनों की संख्या दिनोदिन बढ़ रही है जिससे डीजल, पेट्रोल जैसे जीवाश्म ईंधन की खपत भी बढ़ रही है। इससे निकलने वाला धुंआ वातावरण में इकट्ठा हो जाता है जिसका असर पृथ्वी के तापमान पर पड़ रहा है।

आज हम देखते हैं कि दिल्ली जैसे कई बड़े महानगरों में वायु प्रदूषण की समस्या जन्म ले रही है। इनमें वाहनों से निकलने वाला धुआं एक बहुत बड़ा कारण है। हालांकि सरकारी अपनी तरफ से कई तरह का प्रयास कर रही है।

भूमि पर बढ़ता केमिकल और खादो का उपयोग (Increased use of chemical and fertilizers on land)

जिस तरह से दुनियाँ की जनसंख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है ठीक उसी भांति खाद्य पदार्थों की मांग भी बढ़ती जा रही है।

इसका बुरा प्रभाव पृथ्वी पर पड़ रहा है। भूमि को अधिक उपजाऊ बनाने के लिए इसमें तरह-तरह के हानिकारक रसायनों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे मृदा की न सिर्फ उर्वरक क्षमता घट रही है बल्कि उस भूमि में उगने वाले अनाज में भी केमिकल के हानिकारक प्रभाव चले जाते हैं जिसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य और भूमि पर पड़ता है।

तेजी से होता शहरीकरण (Rapid Urbanization)

शहर और गाँव की जीवनशैली में बहुत फर्क होता है। हमने देखा है कि गाँव की जीवनशैली पर्यावरण से सामजंस्य बैठाकर चलने वाली होती है, जबकि शहरों में ऐसा नही होता।

शहरों में हर व्यक्ति सिर्फ अपने सुख-सुविधाओं की फिक्र करता है। लेकिन चिंता की बात यह है आज हर कोई शहरों की तरफ भाग रहा है। इसी वजह से दुनियाँ में तेजी से शहरीकरण हो रहा है।

भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि जो लोग जहाँ हैं वही रहें। लेकिन शहरीकरण की एक मात्र वजह सुख की चाह नही है, बल्कि रोजगार की जरूरत भी लोगो को शहरों की तरफ जाने के लिए मजबूर रही है।

जनसंख्या वृद्धि (Population Growth)

1960 में पूरी दुनियाँ की आबादी 3.5 बिलियन के करीब थी, जो आज बढ़कर 8 बिलियन के करीब पहुँच चुकी है। पिछले 60 वर्षों में दुनियाँ की आबादी दोगुना से भी ज्यादा बढ़ी है।

इस बढ़ी हुई आबादी का दुष्प्रभाव पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) पर देखने को मिला है। लोगो के रहने के लिए जगह की जरूरत होगी, लिए वनों को काटा जा रहा है।

खाने के लिए अनाज की जरूरत होगी, इसके लिए उर्वरक बढ़ाने वाले रसायनों का उपयोग किया जा रहा है।

दुनियाँ में आज इतनी ज्यादा आबादी मौजूद है, जिनके लिए संसाधन कम पड़ रहे हैं। यदि आबादी कम होती तो इतना ज्यादा जीवाश्म ईंधन की भी खपत नही होती, जिससे प्रदूषण का स्तर कम रहता।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय (Measures for environmental protection)

विश्व आज इस बात को समझ रहा है कि पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण के उपाय करना बहुत जरूरी है नही तो निकट भविष्य में स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ जाएगी। पर्यावरण में संतुलन स्थापित करने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं जैसे कि:-

औद्योगिक कचरे का निवारण (Industrial waste disposal)

प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण उद्योगों से निकलने वाला कचड़ा ही है। यह कचड़ा जल, हवा, मृदा सबको प्रदूषित करता है। यदि इसका निवारण सही तरीके से किया जाने लगे तो प्रदूषण से संबंधित आधी समस्याओं का निवारण स्वतः ही हो जाएगा।

लेकिन इसके पहले यह जरूरी है कि यह कचड़ा पानी मे न मिले। पानी मे मिलने के बाद यह जल प्रदूषण का कारण बनता है। इसलिए इस पर रोकथाम लगाना सबसे ज्यादा जरूरी है।

स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग (Use of Clean Energy)

वायु प्रदुषण का सबसे बड़ा कारण कोयला है और कोयले का सबसे ज्यादा उपयोग बिजली उत्पादन में किया जाता है। आज ऊर्जा उत्पादन के कई नवीनीकरण स्त्रोत है लेकिन उन्हें इतना ज्यादा उपयोग नही किया जाता।

पर अब वक्त आ गया है कि देश की सरकारों को हर घर मे सोलर पैनल लगवाने के लिए जरूरी सुविधा देनी चाहिए। लोगो को प्रोत्साहित करना चाहिये कि वो सोलर पैनल लगवाएं और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करें।

वृक्षारोपण को बढ़ावा मिलें (Increased Tree Planting)

अधिक से अधिक वृक्ष (Essay on Environment in Hindi) लगाएं क्योंकि पर्यावरण में संतुलन स्थापित करने में वृक्ष सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई भी पर्यावरण में असंतुलन का एक बड़ा कारण है।

लोग अपनी जरूरतों के लिए पेड़ों की लकड़ियों पर निर्भर रहते हैं लेकिन इसके लिए पूरे वृक्ष को काट देना बिल्कुल भी जायज नहीं है। इसलिए पूरे विश्व को इस तरफ ध्यान देना चाहिए और पेड़ों की कटाई पर रोकथाम लगानी चाहिए

भूमिगत जल का हो संरक्षण (Protection Of Ground Water)

भूमिगत जल का स्तर लगातार (Essay on Environment in Hindi) नीचे जा रहा है इसका एक प्रमुख कारण है नलकूपों और घर-घर में बोरिंग की व्यवस्था। आज हम शहरों में देखते हैं कि घर बनने से पहले सभी व्यक्ति अपने घर में बोरिंग करवाते हैं। लेकिन इसका दुष्परिणाम यह होता है कि पानी का समुचित उपयोग नहीं हो पाता। बहुत सारा व्यर्थ हो जाता है जिसका असर भूमिगत जल के स्तर पर पड़ता है। भूमिगत जल का स्तर दिनों दिन घटता जा रहा है।

सामान का पुनरावृत्ति करना (Recycle Goods)

पॉलीथिन, प्लास्टिक जैसे कई अन्य चीज़े हैं जो प्रदूषण का कारण बनती हैं। इनका अपघटन जल्दी नही होता। यदि ये 100 वर्ष तक भी ऐसे ही खुले में पड़े रहे तो भी इसके स्वरूप में कुछ ज्यादा परिवर्तन नही आएगा।

ऐसी चीज़ें धीरे धीरे मिट्टी को प्रदुषित बनाती हैं। इसलिए इनका उपयोग कम से कम करें। ऐसी चीजों का उपयोग ज्यादा करें जिन्हें दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है।

पानी की कम खपत करना (Low Water Consumption)

पीने योग्य पानी की मात्रा लगातार कम होती जा रही है। इसलिए कहा जाता है कि जल को बचाना जरूरी है लेकिन हम आज भी जल को बर्बाद करते हैं। जहाँ जितने पानी की जरूरत होती है उससे कई गुना ज्यादा पानी उपयोग करते हैं और इस तरह पानी बर्बाद होता है। इसलिए जरूरी है कि हम सब मिलकर पानी बचाएं।

पर्यावरण पदूषण पर रोकथाम लगाना हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसलिए हम सबको मिलकर इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। साथ ही साथ विश्व के बड़े और विकसित देश यदि पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण की दिशा में कोई ठोस और प्रभावी कदम उठाएं तो स्थिति बहुत जल्दी बदल सकती है।

Poems On Environment in Hindi | पर्यावरण पर कविता

# 1. अपने ही घर मे डाका डाला.

रत्न प्रसविनी हैं वसुधा, यह हमको सब कुछ देती है। माँ जैसी ममता को देकर, अपने बच्चों को सेती है।

भौतिकवादी जीवन में, हमनें जगती को भुला दिया। कर रहें प्रकृति से छेड़छाड़, हम ने सबको है रुला दिया।

हो गयी प्रदूषित वायु आज, हम स्वच्छ हवा को तरस रहे वृक्षों के कटने के कारण, अब बादल भी न बरस रहे

वृक्ष काट – काटकर हम ने, माँ धरती को विरान कर डाला। बनते अपने में होशियार, अपने ही घर में डाका डाला।

बहुत हो गया बन्द करो अब, धरती पर अत्याचारों को। संस्कृति का सम्मान न करते, भूले शिष्टाचार को।

आओ हम सब संकल्प ले, धरती को हरा – भरा बनायेगे। वृक्षारोपण का पुनीत कार्य कर, पर्यावरण को शुद्ध बनायेगे।

आगे आने वाली पीढ़ी को, रोगों से मुक्ति करेगे हम। दे शुद्ध भोजन, जल, वायु आदि, धरती को स्वर्ग बनायेगे।

जन – जन को करके जागरूक, जन – जन से वृक्ष लगवायेगे। चला – चला अभियान यही, बसुधा को हरा बनायेगे।

जब देखेगे हरी भरी जगती को, तब पूर्वज भी खुश हो जायेंगे। कभी कभी ही नहीं सदा हम, पर्यावरण दिवस मनायेगे।

हरे भरे खूब पेड़ लगाओ, धरती का सौंदर्य बढाओ। एक बरस में एक बार ना, 5 जून हर रोज मनाओ।

#2.. करके ऐसा काम दिखा दो…

करके ऐसा काम दिखा दो, जिस पर गर्व दिखाई दे। इतनी खुशियाँ बाँटो सबको, हर दिन पर्व दिखाई दे। हरे वृक्ष जो काट रहे हैं, उन्हें खूब धिक्कारो, खुद भी पेड़ लगाओ इतने, धरती स्वर्ग दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

कोई मानव शिक्षा से भी, वंचित नहीं दिखाई दे। सरिताओं में कूड़ा-करकट, संचित नहीं दिखाई दे। वृक्ष रोपकर पर्यावरण का, संरक्षण ऐसा करना, दुष्ट प्रदूषण का भय भू पर, किंचित नहीं दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

हरे वृक्ष से वायु-प्रदूषण का, संहार दिखाई दे। हरियाली और प्राणवायु का, बस अम्बार दिखाई दे। जंगल के जीवों के रक्षक, बनकर तो दिखला दो, जिससे सुखमय प्यारा-प्यारा, ये संसार दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

वसुन्धरा पर स्वास्थ्य-शक्ति का, बस आधार दिखाई दे। जड़ी-बूटियों औषधियों की, बस भरमार दिखाई दे। जागो बच्चो, जागो मानव, यत्न करो कोई ऐसा, कोई प्राणी इस धरती पर, ना बीमार दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

#3 रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो। रक्तस्राव से भीग गया हूं मैं कुल्हाड़ी अब मत मारो।

आसमां के बादल से पूछो मुझको कैसे पाला है। हर मौसम में सींचा हमको मिट्टी-करकट झाड़ा है।

उन मंद हवाओं से पूछो जो झूला हमें झुलाया है। पल-पल मेरा ख्याल रखा है अंकुर तभी उगाया है।

तुम सूखे इस उपवन में पेड़ों का एक बाग लगा लो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

इस धरा की सुंदर छाया हम पेड़ों से बनी हुई है। मधुर-मधुर ये मंद हवाएं, अमृत बन के चली हुई हैं।

हमीं से नाता है जीवों का जो धरा पर आएंगे। हमीं से रिश्ता है जन-जन का जो इस धरा से जाएंगे।

शाखाएं आंधी-तूफानों में टूटीं ठूंठ आंख में अब मत डालो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

हमीं कराते सब प्राणी को अमृत का रसपान। हमीं से बनती कितनी औषधि नई पनपती जान।

कितने फल-फूल हम देते फिर भी अनजान बने हो। लिए कुल्हाड़ी ताक रहे हो उत्तर दो क्यों बेजान खड़े हो।

हमीं से सुंदर जीवन मिलता बुरी नजर मुझपे मत डालो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

अगर जमीं पर नहीं रहे हम जीना दूभर हो जाएगा। त्राहि-त्राहि जन-जन में होगी हाहाकार भी मच जाएगा।

तब पछताओगे तुम बंदे हमने इन्हें बिगाड़ा है। हमीं से घर-घर सब मिलता है जो खड़ा हुआ किवाड़ा है।

गली-गली में पेड़ लगाओ हर प्राणी में आस जगा दो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

Slogan On Environment in Hindi | पर्यावरण पर स्लोगन.

पर्यावरण के महत्व को समझाने वाले कुछ स्लोगन.

  • वृक्ष नही कटने पाएँ, हरियाली न मिटने पाए, लेकर एक नया संकल्प, हर एक दिन नया वृक्ष लगाएँ।
  • समय बर्बाद करना बेकार है पर्यावरण की सफाई सबसे अच्छा है।
  • ऊँचे वृक्ष घने जंगल ये सब हैं प्रकृति के वरदान।इसे नष्ट करने के लिए तत्पर खड़ा है क्यों इंसान।
  • यदि हम पृथ्वी को सुंदरता और आनंद उत्पन्न करने की अनुमति नहीं देते हैं, तो यह अंत में भोजन का उत्पादन नहीं करेगी।
  • यदि मानवता को लंबे समय तक रहना है, तो आपको पृथ्वी की तरह सोचना होगा, पृथ्वी के रूप में कार्य करना होगा और पृथ्वी होना होगा क्योंकि ये वैसी ही है जैसे आप हैं।
  • जो हम दुनिया के जंगलों (Essay on Environment in Hindi) के लिए कर रहे हैं, दरअसल वो हम अपने और एक दूसरे के लिए कर रहे हैं. ये उसका दर्पण प्रतिबिंब है।

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पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध

Essay on Environment Protection in Hindi

पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध : Essay on Environment Protection in Hindi :- आज के इस लेख में हमनें ‘पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध : Essay on Environment Protection in Hindi

प्रस्तावना :-

सभी पेड़-पौधों, नदियों, तालाबों व जीव-जन्तुओं से ही मिलकर यह पर्यावरण बना है। पर्यावरण हम सभी जीव-जन्तुओं को जीने के सभी साधन प्रदान करता है।

लेकिन, आज इस पर्यारण की सुरक्षा सबसे बड़ी समस्या बन गई है। यह दिन-प्रतिदिन प्रदूषित होता जा रहा है। जिसका सबसे बड़ा कारण मनुष्य ही है। मनुष्य अपने स्वार्थ में इसके महत्व को भूलकर इसे नष्ट करने में लगा हुआ है।

आज प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि शहरों में साँस लेना भी काफी मुश्किल हो गया है। पीने का पानी भी धीरे धीरे प्रदूषित हो रहा है या फिर बर्बाद हो रहा है।

पर्यावरण सुरक्षा की आवश्यकता :-

आज इस दुनिया में प्रदूषण तेजी से फ़ैल रहा है। वायु प्रदूषण व जल प्रदूषण तो काफ़ी अधिक हो गया है। वायु प्रदूषण के कारण इस वातावरण में कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ गई है।

कार्बन-डाई-ऑक्साइड मनुष्य के लिए काफी खतरनाक है। इन प्रदूषणों के कारण ओजोन परत में भी छेद हो गया है। जिससे सूर्य की पराबैंगनी किरणें इस धरती पर सीधी पड़ रही है।

आज सभी नदियाँ व तालाब भी प्रदूषित हो गए है जिससे पीने के पानी के लिए लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

जीव-जन्तुओं को जीवन देने व पृथ्वी को बचाने के लिए इस पर्यावरण का सुरक्षित रहना अतिआवश्यक है। यदि, हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को इस प्रकृति की सुंदरता दिखानी है, तो हमें प्रकृति को बचाना होगा।

पर्यावरण सुरक्षा का महत्व :-

पर्यावरण हम सभी जीवों के लिए एक वरदान की तरह है। इस पूरे ब्रह्माण्ड में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है, जहाँ पर जीवन सम्भव है और ऐसा सिर्फ इस पर्यावरण के कारण ही सम्भव है।

यदि, इस संसार से पर्यावरण नष्ट हो जाए तो हम इस धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते है। यह पर्यावरण हमें जीवित रहने के लिए हवा, पानी और भोजन प्रदान करता है।

यदि, हम इस पर्यावरण की रक्षा नहीं करेंगे तो यह धीरे-धीरे नष्ट होता जाएगा और अंत में इस धरती से जीवन भी समाप्त हो जाएगा। इसीलिए, हमें पर्यावरण की सुरक्षा के महत्व को समझना चाहिए और इसे बचाने के लिए हर सम्भव प्रयास करने चाहिए।

यह पर्यावरण हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह प्रकृति हम सभी के लिए आवश्यक होने के साथ-साथ काफी सुंदर भी है। यहाँ हर जगह हरियाली है और नदियाँ, तालाब, आदि भी है, जो इसकी सुंदरता पर चार चाँद लगा देते है। यदि, यह प्रकृति ऐसे ही प्रदूषित होगी तो इसकी सुंदरता भी नष्ट हो जाएगी।

पर्यावरण सुरक्षा के उपाय :-

हमें इस पर्यावरण को बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है, अन्यथा यह नष्ट हो जाएगी। पर्यावरण बचाने के उपाय निम्न प्रकार से है:-

  • वाहनों का कम इस्तेमाल :- वाहन हमारे इस पर्यावरण को काफी अधिक प्रदूषित कर रहे है। हमें इन वाहनों का कम उपयोग करना चाहिए। जितना हो सके, पास की जगहों पर पैदल ही जाना चाहिए। हमें अपने निजी वाहनों का उपयोग कम करना चाहिए और सार्वजनिक वाहनों का उपयोग ज्यादा करना चाहिए।
  • पेड़-पौधे लगाना :- हमें हमेशा ही पेड़ लगाने चाहिए। खाली जगहों पर व अपने घरों में हमें पेड़-पौधे लगाने चाहिए। यह हमारे पर्यारण को संतुलित बनाने में हमारी सहायता करते है। पेड़-पौधे कार्बन-डाई-ऑक्साइड ग्रहण करके ऑक्सीजन प्रदान करते है, जो मनुष्य के लिए आवश्यक होता है।
  • नदियों और तालाबों की सफ़ाई :- हमें अपने आसपास की नदियों व तालाबों में गंदगी नहीं फेंकनी चाहिए। प्लास्टिक की थैलियों को भी नहीं फेकना चाहिए और उनको समय-समय पर साफ करते रहना चाहिए।
  • पेड़ों की कटाई को रोकना :- आजकल मनुष्य अपने शौक को पूरा करने के लिए पेड़ों को लगातार काट रहा है, जिससे विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ बनती है। इन पेड़-पौधों को ऐसे काटना इस प्रकृति के लिए काफी खतरनाक है। हमें इन पेड़ों की कटाई को कम करना होगा।
  • परमाणु हथियारों के परीक्षण को कम करना :- परमाणु हथियार इस पृथ्वी के लिए काफी घातक है। यह पृथ्वी से जीवन को समाप्त करने की पूरी क्षमता रखते है। इनके परीक्षण या उपयोग से हमारा पर्यारण काफी प्रदूषित होता है। इसलिए हमें इस संसार को परमाणु हथियार रहित बनाना होगा तभी यह प्रकृति सुरक्षित रह पाएगी।
  • ग्रीन हाउस गैसों का उपयोग कम करना :- आज हम अपने घरों में ऐसी वस्तुएँ उपयोग करते है, जो ग्रीन हाउस गैसे उत्सर्जित करती है। जो कि इस प्रकृति के लिए काफी घातक होती है। इसलिए, हमें इन वस्तुओं का कम से कम उपयोग करना चाहिए।

आज पर्यावरण सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है, जिस पर पूरी दुनिया का ध्यान है। इस पर्यावरण को बचाने के हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है।

अन्यथा एक दिन यह प्रकृति नष्ट हो जाएगी और इसके साथ-साथ सभी जीव-जंतु भी नष्ट हो जाएंगे। इसलिए, हमें इसे बचाने के लिए आज से ही आवश्यक कदम उठाने होंगे।

आज कईं लोग इस प्रकृति के प्रति जागरूक हो गए है। इसके महत्व को समझ रहे है। सयुंक्त राष्ट्र संघ भी इसके प्रति जागरूक हो गया है। इस पर्यावरण को बचाने के लिए कईं प्रयास भी कर रहा है। इस पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास भी कर रहा है।

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ  फेसबुक  पर साझा अवश्य करें और हमारे  वेबसाइट  को सबस्क्राइब कर ले।

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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।

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Bro How to safe our environment you doesn’t write this

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध और 10 lines in hindi | Paryavaran sanrakshan par nibandh

पर्यावरण संरक्षण(Paryavaran sanrakshan): हमारी जिम्मेदारी, हमारा भविष्य। यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि हम प्रदूषण को कम करें, पृथ्वी के संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करें और हरित पर्यावरण की रक्षा करें, ताकि हमारे आने वाली पीढ़ियाँ भी स्वस्थ और सुरक्षित जीवन जी सकें। यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

Also Read: पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (300, 500 और 600 शब्दों में) // पर्यावरण पर निबंध // पर्यावरण संतुलन पर निबंध // औद्योगीकरण का पर्यावरण पर प्रभाव निबंध, लेख // “पर्यावरण” हमारा दायित्व पर निबंध // पर्यावरण संरक्षण में विद्यार्थिओं का योगदान |

रुपरेखा: प्रस्तावना, पर्यावरण संरक्षण की परिभाषा, पर्यावरण संरक्षण के उपाय, पर्यावरण संरक्षण की प्रमुख उपाय है, पर्यावरण संरक्षण को नुकसान पहुंचाने वाले मुख्य प्रकार, पर्यावरण संरक्षण का महत्व, उपसंहार, पर्यावरण संरक्षण पर 10 लाइन

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

Table of Contents(विषयसूची)

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध। hindi essay on environmental protection.

प्रस्तावना : हम अगर हमारे चारों और देखे तो ईश्वर की बनाई इस अद्भुत पर्यावरण की सुंदरता देख कर मन प्रफुल्लित हो जाता है पर्यावरण की गोद में सुंदर फूल, लताये, हरे-भरे वृक्षों, प्यारे – प्यारे चहचहाते पक्षी है, जो आकर्षण का केंद्र बिंदु है आज मानव ने अपनी जिज्ञासा और नई नई खोज की अभिलाषा में पर्यावरण के सहज कार्यो में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है जिसके कारन हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है हम हमारे दोस्तों परिवारों का तो बहुत ख्याल रखते हैं परंतु जब पर्यावरण की बात आती है तो बस गांधी जयंती, या फिर स्वच्छ भारत अभियान, के समय ही पर्यावरण का ख्याल आता है लेकिन यदि हम हमारे पर्यावरण का और पृथ्वी के बारे में सोचेंगे इस प्रदूषण से बच सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण की परिभाषा:- हमारे भारत देश में भारतीय संविधान 1950 में लागू हुआ था परंतु पूरे तरीके से पर्यावरण संरक्षण से नहीं जुड़ा था। सन 1972 में स्टॉकहोम सम्मेलन में भारत सरकार द्वारा ध्यान पर्यावरण संरक्षण पर गया और सरकार ने 1976 में संविधान में संशोधन कर नया अनुच्छेद जोड़े गए थे 48A  तथा 51A (G ), जोड़े अनुच्छेद 48 सरकार को निर्देश देता है कि वह पर्यावरण की सुरक्षा करें और उनमें सुधार का काम करें और अनुच्छेद 51 A (G )नागरिकों के लिए है कि वह हमारे पर्यावरण की रक्षा करें।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय:- विश्व पर्यावरण संरक्षण अधिनियम संयुक्त राष्ट्र में पर्यावरण के लिए मनाया जाता है और यह एक उत्सव की तरह होता है। इस दिन पर्यावरण के संरक्षण के लिए जगह-जगह वृक्षारोपण किया जाता है हमारे देश में अक्सर ऐसा होता है कि कोई भी बड़ा कार्य होता है तो हम उम्मीद करते हैं कि वह सरकार करेगी जैसे पर्यावरण संरक्षण दुर्भाग्य से कुछ लोग मानते हैं कि केवल सरकार और बड़ी कंपनियों को ही पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ करना चाहिए परंतु ऐसा नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अगर अपनी अपनी जिम्मेदारी समझे तो सभी प्रकार की कचरा ,गंदगी और बढ़ती आबादी के लिए स्वयं उपाय करके पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी दे सकता है, लेकिन प्रगति के नाम पर पर्यावरण को मानव ने ही विकृत करने का प्रयास किया है, पर्यावरण व्यापक शब्द है जिसका सामान्य अर्थ प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया समस्त भौतिक और सामाजिक वातावरण इसके अंतर्गत जल, वायु, पेड़, पौधे, पर्वत, प्राकृतिक संपदा सभी पर्यावरण सरक्षण के उपाए में आते है। ‘ गो ग्रीन(Go Green) ‘ कहने के लिए नहीं बल्कि करने में ज्यादा आसान होता है, आज पर्यावरण का ध्यान रखना हर व्यक्ति का कर्तव्य और जिम्मेदारी है।

पर्यावरण संरक्षण की प्रमुख उपाय है

  • प्रदूषण नियंत्रण: वायु, जल, और भूमि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उचित प्राधिकृत मार्गदर्शन और प्रदूषण निगरानी का समर्थन करना आवश्यक है।
  • वनस्पति और वन्यजीव संरक्षण: अवैध वनस्पति कटाई और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कठिन से कठिन कदम उठाने चाहिए।
  • जल संरक्षण: जल संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करने के लिए जनजागरूकता बढ़ानी चाहिए और जल संचयन तंत्र बनाना आवश्यक है।
  • नवाचार तकनीकी: पर्यावरण के साथ मिलकर चलने वाली नवाचार तकनीकी के साथ प्रदूषण को कम करने का प्रयास करना चाहिए।
  • उर्जा संरक्षण: उर्जा संचयन और उपयोग में जागरूकता फैलाकर विद्युत और ऊर्जा संबंधित विकल्पों का सही तरीके से उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए।
  • साफ-सफाई अभियान: साफ-सफाई अभियानों का समर्थन करने और स्वच्छता में योगदान देने से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहलु हो सकती है।
  • शिक्षा और जागरूकता: लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में शिक्षा देना और उन्हें जागरूक करना आवश्यक है।
  • सामुदायिक सहयोग: सामुदायिक स्तर पर मिलकर काम करके पर्यावरण संरक्षण के उपायों को सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।
  • पुनरावृति करना चाहिए यानी वापस इस्तेमाल करने योग्य सामान को हमें खरीदने चाहिए जिसे हम वापस उपयोग कर सकते हैं। जैसे शराब की बोतलें, खाली जार इत्यादि ऐसे समान जो हम हमारे घरों में उपयोग करते हैं और फेंक देते हैं लेकिन उन्हें वापस उपयोग लाने का काम कर सकते हैं उदाहरण के तौर पर अखबार, खराब कागज , गत्ता, इत्यादि ऐसे समान होते हैं जिनका उपयोग बनाकर वापस उपयोग में ला सकते है। पर्यावरण सरक्षण का उपाय किसी भी महिला के किचन से शुरू होकर हमारे पर्यावरण तक हमारे सामने आता है, इसकी और सरकार को विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए।

इन प्रमुख उपायों के माध्यम से हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम उठा सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की दिशा में प्रगति कर सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण को नुकसान पहुंचाने वाले मुख्य प्रकार

इस प्रकार अगर हमें वास्तव में अपने पर्यावरण संरक्षण के बारे में सोचना है तो इन मुख्य कारणों पर विशेष ध्यान देना होगा तभी हम अपने पर्यावरण का संरक्षण कर सकते हैं।

पर्यावरण पर इन प्रदूषण का घातक प्रभाव

आज का युग आधुनिक युग है, और पूरा संसार ही पर्यावरण के प्रदूषण से पीड़ित है, आज मनुष्य की हर एक सांस लेने पर हानिकारक है जहरीली गैसे मिली होती है। इसकी वजह से जहरीले सांस लेने के लिए हम मानव मजबूर है। इस्से हमारे शरीर पर कई विकृतियां पैदा हो रही है, कई तरह की बीमारियां विकसित हो रही है, वो दिन वो दिन दूर नहीं है, अगर पर्यावरण इसी तरह से प्रदूषित होता रहा तो पूरी पृथ्वी प्राणी और वनस्पति इस प्रदूषण में विलीन हो जाएगी इसलिए समय रहते हमें इन प्रदूषण से हमारी पृथ्वी और हमारी जान बचानी है इसलिए इसके संरक्षण का उपाय हर व्यक्ति को करना आवश्यक है।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व

पर्यावरण संरक्षण मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण और अनिवार्य कर्तव्य है। हमारा पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है और हमारे सभी क्रियाकलापों को संभव बनाता है। परंतु, आधुनिक युग में विकास के माध्यम से हमने प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग किया है, जिसका परिणामस्वरूप पर्यावरण की स्थिति गंभीरता से खराब हो रही है।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझने के लिए हमें यह समझना आवश्यक है कि पर्यावरण हमारे जीवन के हर पहलू से जुड़ा हुआ है। हमारी शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य सीधे प्रभावित होते हैं जब हमारे चारों ओर का पर्यावरण स्वच्छ और स्वस्थ होता है। प्रदूषण , जलवायु परिवर्तन, और वनस्पति और जीव-जंतुओं के नष्ट होने की चिंता हम सभी को करनी चाहिए।

हमें अपने जीवन में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और हरित पर्यावरण की गारंटी सुनिश्चित कर सकें। इस प्रकार, पर्यावरण संरक्षण का महत्व अत्यधिक है, और हम सभी को इसके प्रति जिम्मेदारी समझकर अपने कार्यों को निर्वाह करना चाहिए। सुरक्षित, स्वस्थ और हरित पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ाना हम सभी की जिम्मेदारी है।

पर्यावरण सुरक्षा और उसमें संतुलन हमेशा बना रहे इसके लिए हमें जागरुक और सचेत रहना होगा। प्रत्येक प्रकार के हानिकारक प्रदूषण जैसे जल, वायु, ध्वनि, इन सब खतरनाक प्रदूषण से बचने के लिए अगर हमने धीरे-धीरे भी कोई उपाय करें तो हमारी पृथ्वी की सुंदरता जो कि पर्यावरण है। उसे बचा सकते हैं और अपने जीवन को भी स्वस्थ और स्वच्छ रूप में प्राप्त कर सकते हैं पर्यावरण संरक्षण विश्व में प्रत्येक मनुष्य के लिए अनिवार्य रूप से घोषित करना चाहिए।  पर्यावरण है तो हमारा जीवन है।

पर्यावरण संरक्षण पर 10 लाइन ( Paryavaran sanrakshan par 10 lines)

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध और 10 lines in hindi | Paryavaran sanrakshan par nibandh 1

#सम्बंधित Hindi Essay, Hindi Paragraph, हिंदी निबंध। 

  • प्रदूषण पर निबंध
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1 thought on “पर्यावरण संरक्षण पर निबंध और 10 lines in hindi | Paryavaran sanrakshan par nibandh”

This essay was very intresting and please keep it up postin Hindi essays for children

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environment protection essay 300 words in hindi

पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

Essay on Environment in Hindi

पर्यावरण, पर  हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए उपयोगी वो सारी चीजें हमें उपहार के रुप में उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, साथ ही भौतिक सुख की प्राप्ति हुए प्राकृतिक संसाधनों का हनन कर  प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ा रहा है।

इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day के रूप में मनाते हैं। हमने कभी जाना हैं की इस दिवस को हम क्यों मनाते हैं। इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें।

और साथ ही कई बार स्कूलों में छात्रों के पर्यावरण विषय पर निबंध ( Essay on Environment) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर्यावरण पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Environment essay

पर्यावरण पर निबंध – Environment Essay in Hindi

पर्यावरण, जिससे चारों तरफ से  संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है। अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं।

पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है। पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है।

एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिन में गंदे हो रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सभी को विशेष रूप से हमारे बच्चों के बारे में पता होना चाहिए।

“ पर्यावरण की रक्षा , दुनियाँ की सुरक्षा! ”

पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है।

वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक – दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं। वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है।

लेकिन फिर भी आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वहीं अगर समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए।

आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले।

वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Sanrakshan Par Nibandh

प्रस्तावना

पर्यावरण, एक प्राकृतिक परिवेश है, जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं और जो पृथ्वी पर मौजूद मनुष्य, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्राकृतिक वनस्पतियां को जीवन जीने में मद्द करता है। स्वच्छ पर्यावरण में ही  स्वस्थ व्यक्ति का विकास संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर के द्धारा की जाने वाली हर प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित है, पर्यावरण की वजह से हम सांस ले पाते हैं और शुद्ध जल -भोजन आदि ग्रहण कर पाते हैं, इसलिए हर किसी को पर्यावरण के  महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का अर्थ – Environment Meaning

पर्यावरण शब्द मुख्य रुप से दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जिससे हम चारों  तरफ से घिरे हुए हैं, पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण का महत्व – Importance of Environment

पर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन, पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़-पौड़े, मौसम, जलवायु सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित हैं। पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और जीवन के लिए आवश्यक  सभी वस्तुएं उपलब्ध करवाता है।

वहीं आज जहां विज्ञान से तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है, तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ा रहा है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

इसलिए पर्यावरण के महत्व को समझते हुए हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और  जीवन – Environment And Life

पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भऱ है, पर्यावरण के बिना मनुष्य, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो हमे उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है।

इसलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य का एक मां की तरह ख्याल रखता है,बल्कि हमें मानसिक रुप से सुख-शांति भी उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण, मानव जीवन का अभिन्न अंग है, अर्थात पर्यावरण से ही हम हैं। इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

उपसंहार

पर्यावरण के प्रति हम  सभी को जागरूक होने की जरुरत हैं।  पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्धारा सख्त कानून बनाए जाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सभी को अपना कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Par Nibandh

पर्यावरण हमें जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि हवा, पानी, रोशनी, भूमि, अग्नि, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि उपलब्ध करवाता है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर हैं। वहीं अगर हम अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखेंगे तो हम स्वस्थ और सुखी जीवन का निर्वहन कर सकेंगे। इसिलए पर्यावरण को सरंक्षित करने एवं स्वच्छ रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण – 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय – Paryavaran Sanrakshan Ke Upay

  • उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धुएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों के निपटान के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून से 16 जून के बीच विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है।

पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है, अर्थात हम सभी को  मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए।

  • Slogans on pollution
  • Slogan on environment
  • Essay in Hindi

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15 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi”

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Nice sir bhote accha post h aapne to moj kar de h sir thank you sir app easi past karte rho ham logo ke liye

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Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye

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bahut badhiya jaankari share kiye ho sir, Environment Essay.

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Thanks sir bhaut acha essay hai helpful hai aur needful bhi isme sari jankari di gye hai environment ke baare Mai and isse log inspire bhi hongee isko.pdkee……..

I love this essay…

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Thanks mujhe ye bahut kaam diya speech per

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पर्यावरण पर निबंध (Essay On Environment In Hindi)

पर्यावरण पर निबंध (Essay On Environment In Hindi)

In this Article

पर्यावरण पर 5 लाइन का छोटा निबंध (5 Lines On Environment in Hindi)

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हमारे आसपास मौजूद हर चीज पर्यावरण है, जिसमें हवा, पानी, पेड़-पौधे व अन्य सभी सजीव और निर्जीव शामिल हैं। दुनिया में जीवन आने के बाद से विकास शुरू हुआ और हर दौर के लोगों ने पर्यावरण का अपने अनुरूप प्रयोग किया। समय के साथ आधुनिकीकरण भी बढ़ता गया और हम मनुष्यों ने भविष्य की चिंता न करते हुए प्राकतिक संसाधनों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि पर्यावरण खतरे में आ गया और उसके साथ-साथ अब हम सब का जीवन भी खतरे में है। इसलिए पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी और हम सभी को मिलकर लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिए।

नीचे हिंदी में दिए पर्यावरण संरक्षण पर निबंध के जरिए आप बेहतर रूप से पर्यावरण की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपने बच्चे को भी शिक्षित कर सकते हैं। क्योंकि आने वाले समय में पर्यावरण संरक्षण की डोर आपके बच्चे के हाथों में होगी।

निबंध लिखने की शुरुआत छोटे क्लास से ही शुरू हो जाती है। क्लास 1, 2 या 3 के बच्चों को एंवायरमेंट पर हिंदी एस्से लिखना है, तो वो किस तरह से लिख सकते हैं नीचे 5 लाइन में बताया गया है।

  • हमारे आसपास और चारों ओर जो कुछ भी सजीव और निर्जीव है, वह पर्यावरण है।
  • इंसान और जानवरों को जीने के लिए साफ और स्वच्छ पर्यावरण की जरूरत है।
  • स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल, और जैवमंडल मिलकर पर्यावरण बना है।
  • प्लास्टिक और अन्य हानिकारक घटक हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।
  • पर्यावरण में सुधार के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।

पर्यावरण हम सब के जीवित रहने के लिए जरूरी है और इसे जीवित रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण जरूरी है। जिसकी जानकारी आने वाली जनरेशन को होना चाहिए। नीचे दिए गए 10 लाइन के पर्यावरण पर लेख से आप इसके बारे में आसानी से समझ सकते हैं।

  • हमारे आसपास के सभी सजीव और निर्जीव घटक से पर्यावरण बना है।
  • स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल, और जैवमंडल पर्यावरण के प्रमुख घटक है।
  • विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है।
  • पर्यावरण दूषित होने से इंसान और जानवरों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।
  • स्वस्थ जीवन के लिए साफ और स्वच्छ पर्यावरण का होना जरूरी है।
  • पर्यावरण के दूषित होने के कारण लोगों में बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।
  • हमें लोगों में पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए।
  • पर्यावरण बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।
  • प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल बिलकुल बंद कर देना चाहिए।
  • पुनःउपयोग और पुनःचक्रण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

निबंध लिखने की शुरुआत क्लास 1, 2 और 3 के बच्चों से कर दी जाती है, जैसे-जैसे क्लास बढ़ता है निबंध और विस्तार में लिखा जाने लगता है। बड़ों के लिए निबंध लिखना आसान होता है, लेकिन छोटे बच्चों के लिए यह एक चुनौती हो सकता है। इस चुनौती को आसान बनाने के लिए हिंदी में पर्यावरण पर दिए गए निबंध को पढ़ें।

पर्यावरण का मतलब होता है हमारे आसपास मौजूद सभी चीजें जो कही न कहीं हमे प्रभावित कर रही हैं। जैसे कि हवा, पानी, पेड़, जानवर, गंदगी, आदि। अगर आपका पर्यावरण स्वच्छ है तो पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवित चीजें जैसे कि मनुष्य, जानवर को बढ़ने और विकास करने में मदद मिलेगी। लेकिन अब कई इंसानों द्वारा विकसित की गई तकनीकों के कारण हमारी पृथ्वी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जो हमारा पर्यावरण का संतुलन बिगाड़ रहा है। ऐसे कर के इंसान बिना भविष्य के बारें में सोचकर अपने ही जीवन को खतरे में डाल रहा है। क्योंकि पर्यावरण हमें वो सभी जरूरतमंद संसाधन प्रदान करता है जो हमारे बढ़ने और विकास के लिए बेहतर माने जाते हैं। पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए हमें पर्यावरण को दूषित करने वाले सभी कार्यों को रोकने का प्रयास करते रहना चाहिए ताकि बच्चों के आने वाले भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।

पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ लगाएं

पर्यावरण हमारे आसपास के सभी सजीव और निर्जीव घटक से मिलकर बना है। स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल, और जैवमंडल पर्यावरण के प्रमुख अंग है। पर्यावरण का महत्व समझते हुए हम सब को पर्यावरण बचाने का प्रयास करना चाहिए जिसमें ज्यादा से ज्यादा बच्चों को शामिल करें, क्योंकि अब भविष्य इन्हे ही तय करना है, और उसकी तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए। कुछ नीचे बताए बिंदुओं से पर्यावरण के बारे में हम विस्तार में हम जानेंगे।

पर्यावरण क्या है? (What Is the Environment?)

पर्यावरण का अर्थ है ‘’चारों ओर से घिरा हुआ’’ जिसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि हमारे आसपास मौजूद लगभग हर चीज पर्यावरण के दायरे में आती है। प्राकृतिक और मानवीय पर्यावरण मिलकर एक संपूर्ण पर्यावरण का निर्माण करते हैं। जिसमें भूमि, हवा, पानी, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी तथा जीव जन्तु आदि शामिल है।

पर्यावरण का महत्व (Significance of Environment)

  • मनुष्य जीवन का निर्भर होना: हम इंसानों का जीवन पूरी तरह से पर्यावरण पर निर्भर करता है। जैसे भोजन, पानी हवा आदि।
  • प्राकृतिक संसाधन का बेहतरीन स्रोत: पर्यावरण हमारी रोज की दिनचर्या को चलाने के लिए वो सभी प्राकृतिक तत्व प्रदान करता है जो पृथ्वी पर जिंदा रहने वाले सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है।
  • रोजगार का माध्यम: लाखों-करोड़ों किसान अपनी रोजी-रोटी के लिए पर्यावरण पर निर्भर रहते हैं। जो किसानी कर के फसलों को उगाने और बेचने का काम कर रहे हैं और इससे उनका घर चल रहा है।
  • खाने का मुख्य स्रोत: पर्यावरण के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव हो सका है, इसके जरिए हमे वो मिलता है जिसके बिना जीवन मुमकिन नहीं है और वो है भोजन, हमारा खाना जो हमारी सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है।
  • औषधियों का स्रोत: हमारी प्रकृति औषधियों का एक समृद्ध स्रोत है। सालों से ही लोगों के इलाज लिए जड़ी-बूटी और आयुर्वेद का सहारा लिया जाता रहा है और अभी इसका उपयोग जारी है।

पर्यावरणीय अवनयन या पर्यावरण ह्रास के प्रमुख कारण (Major Causes Of Environmental Degradation)

पर्यावरणीय ह्रास के दो प्रमुख कारण हैं पहला प्राकृतिक और दूसरा मानव निर्मित, जिसकी वजह से हमारे नेचुरल रिसोर्सेज और इकोसिस्टम प्रभावित हो रहे हैं। प्राकृतिक कारणों के पीछे भी कही न कहीं हम ही जिम्मेदार हैं। इसे समय रहते रोकना बहुत जरूरी है। हमारे द्वारा पैदा किया जाने वाले प्रदूषण, फैक्ट्री और वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैसों से पर्यावरण को काफी ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। इसके अलावा लड़कियों से बनने वाले सामानों की बढ़ती मांग के चलते पेड़ों को तेजी से काटा जा रहा है, जंगल खत्म किए जा रहे हैं, जिसकी वजह से वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बिगड़ने लगा है। इतना ही नहीं इन दिनों नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरों की वृद्धि के कारण रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ाया जा रहा है, जो हमारी मिटटी की गुणवत्ता पर प्रभाव डाल रहा और फसलों पर भी।

पर्यावरण को बचाने के उपाय (Measures To Protect The Environment)

हम पर्यावरण को बचाने के लिए यह आसान उपाय अपने जीवन में लागू कर सकते हैं:

  • पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।
  • नहाते वक्त या घर के अन्य कामों के लिए सिर्फ जरूरत भर पानी का इस्तेमाल करें।
  • जरूरत न होने पर घर के पंखें और लाइट को बंद कर दें।
  • बिजली बचाने वाले उपकरणों का प्रयोग करें।
  • इको-फ्रैंडली चीजों का जितना हो सके प्रयोग करें।
  • लोगों के बीच पर्यावरण को लेकर जागरूकता फैलाएं।
  • हर दिन लगभग 27,000 से ज्यादा पेड़ काटे जा रहे हैं।
  • प्लास्टिक के कारण हर साल लगभग 1,000,000 समुद्री जानवरों की मौत हो जाती है।
  • पृथ्वी का केवल 1% पानी ही पीने योग्य है।
  • ऑक्सीजन हर जीवित प्राणियों के लिए जरूरी है।
  • पेड़ से बनाए गए पेपर को 6 बार रीसायकल किया जा सकता है।

हमारा पर्यावरण अगर बेहतर होगा तो हमारी पृथ्वी और उस पर रहने वाले जीवित लोग भी सुरक्षित रहेंगे। बच्चे आने वाले कल का भविष्य हैं और इसलिए बच्चों को इसके महत्व के बारे में जानकारी होना जरूरी है। ध्यान रहे कि प्लास्टिक और पर्यावरण को दूषित करने वाली हर वस्तु के प्रयोग से हमे बचना चाहिए और एको फ्रैंडली चीजों का उपयोग करना चाहिए साथ साथ जितना हो सके उतने ज्यादा पेड़ लगाएं।

1. प्रथम पर्यावरण दिवस कब मनाया गया था ?

प्रथम विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 1973 को मनाया गया था।

2. भारत की मदर ऑफ एनवायरनमेंट किसे कहा जाता है?

श्रीमती सुनीता नारायण को भारत की मदर ऑफ एनवायरनमेंट कहा जाता है। यह एक भारतीय एनवीरोंमेंटलिस्ट और राजनीतिक कार्यकर्ता थी।

3. पर्यावरण में क्या-क्या शामिल होता है?

पर्यावरण में सभी तरह की जीवित और निर्जीव चीजें शामिल होती हैं, जैसे पेड़, जीव-जंतु, वायु, स्थल, जल आदि जिसके आधार पर मानव जीवन टिका हुआ है।

यह  भी पढ़ें:

गाय पर निबंध (Essay On Cow In Hindi) प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi)

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)

“प्रदूषण”, एक ऐसा शब्द है जिससे हर कोई नफरत करता है। प्रदूषण किसी को पसंद नहीं, फिर यह आता कहां से है? इसके लिए इंसान के अलावा कोई और जिम्मेदार नहीं है। यह मानव और उनकी गतिविधियाँ हैं, जो पर्यावरण प्रदूषण में योगदान करती हैं। हमें अपने घर की सफाई करना अच्छा लगता है लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि जिस वातावरण में हम सांस लेते हैं वह भी हमारा घर है। बढ़ता प्रदूषण इंसानों के साथ-साथ सभी जीवित प्राणियों को भी प्रभावित करेगा।

पर्यावरण प्रदूषण पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environmental Pollution in Hindi, Paryavaran Pradushan par Nibandh Hindi mein)

आइए, हम छोटे और बड़े निबंधों के माध्यम से पर्यावरण प्रदूषण के कारण और गहरे प्रभाव को समझें।

निबंध – 1 (300 शब्द)

प्रदूषण गंदगी, अशुद्धियों या अन्य दूषित पदार्थों का सम्मिलन है जो मौजूदा प्रक्रिया में प्रतिकूल परिवर्तन का कारण बनता है। जब ये अशुद्धियाँ पर्यावरण को प्रभावित करती हैं, तो हम इसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। वे पदार्थ जो प्रदूषण में योगदान करते हैं, प्रदूषक कहलाते हैं। वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और जल प्रदूषण पर्यावरण प्रदूषण के तीन प्रमुख योगदानकर्ता हैं। यह प्रदूषण या तो मानवीय गतिविधियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण होता है।

प्रदूषण के प्रभाव

प्रदूषण का हर प्राणी पर नकारात्मक और खतरनाक प्रभाव पड़ता है। प्रदूषित वातावरण मानव स्वास्थ्य को विभिन्न तरीकों से नुकसान पहुंचाता है। पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती दर के कारण मनुष्य विभिन्न रोगों का शिकार हो सकता है। इसके कारण कई जीवों का जीवन गंभीर खतरे में है। बच्चों से लेकर बड़ों तक हर कोई प्रदूषण की चपेट में है।

मनुष्यों के अलावा, प्राकृतिक संसाधन भी इस प्रमुख चिंता से ग्रस्त हैं। प्रदूषण के कारण हवा पीली हो रही है और पानी काला हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती गति पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बिगाड़ देती है। अन्य जीव जैसे जलीय प्रजातियां, पौधे और वन्यजीव भी खतरे में हैं। हम कुछ प्रजातियों में मृत्यु दर की बढ़ी हुई संख्या देख सकते हैं।

पहले का जीवन आज की तुलना में बहुत बेहतर था। पहले लोगों के पास उन्नत तकनीक नहीं थी, लेकिन उनके पास सांस लेने के लिए शुद्ध हवा और पीने के लिए पानी था। इससे उन्हें लंबे समय तक स्वस्थ रहने में मदद मिलती थी। लेकिन आज एक छोटा बच्चा भी बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण कई बीमारियों की चपेट में है। अगर सही कदम नहीं उठाए गए तो वह समय दूर नहीं जब हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा और हमारा जीवन थम जाएगा।

निबंध – 2 (400 शब्द)

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ है पारिस्थितिकी तंत्र को परेशान करना। इस समस्या के प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। वे वर्तमान का आनंद ले रहे हैं लेकिन भविष्य के परिणामों से अनजान हैं। पर्यावरण को प्रदूषित करने से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ेगा। इसलिए हमें इस समस्या को और गंभीरता से लेने की जरूरत है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

पर्यावरण प्रदूषण के तीन प्रमुख प्रकार कुछ इस तरह हैं:

वायु प्रदूषण : वातावरण में वायु को प्रदूषित करना वायु प्रदूषण कहलाता है। जहरीली गैस और धुआं हवा में मिल जाती है और वायु प्रदूषण को जन्म देती है। कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी विभिन्न गैसें सांस लेने के लिए अत्यधिक जहरीली होती हैं।

जल प्रदूषण : जल में अशुद्धता, अपशिष्ट, विषाक्त पदार्थ आदि का निर्वहन जल प्रदूषण कहलाता है। लोग जल निकायों में कचरा, प्लास्टिक आदि फेंकते हैं। परिणामस्वरूप पानी उपयोग के लिए हानिकारक हो जाता है।

भूमि / मृदा प्रदूषण : अपशिष्ट और अजैव निम्नीकरणीय सामग्री को मिट्टी में जमा करने से मिट्टी या भूमि प्रदूषण होता है। अजैव निम्नीकरणीय कचरा मिट्टी को अनुपजाऊ बना देता है। मिट्टी में जहरीले पदार्थ की उच्च सांद्रता इसे पौधों और मनुष्यों दोनों के लिए अपर्याप्त बनाती है।

पर्यावरण प्रदूषण में युवाओं की भूमिका

नई पीढ़ी या युवाओं की जीवनशैली पर्यावरण प्रदूषण में अधिक योगदान दे रही है। तकनीकी कार्यान्वयन के कारण वे आलसी होते जा रहे हैं। अब वे बाइक और कारों का उपयोग करते हैं जो पर्यावरण के अनुकूल साइकिल के बजाय अधिक वायु प्रदूषण पैदा करती हैं। उनकी आराम की जरूरत विनिर्माण उद्योगों द्वारा पूरी की जाती है जो वायु और जल प्रदूषण का मुख्य कारण हैं।

हालाँकि, युवा अधिक से अधिक जागरूकता बढ़ाकर पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। स्वस्थ और पर्यावरण के अनुकूल आदत अपनाने से उन्हें इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। पेड़ लगाना, साइकिल चुनना या आस-पास की दूरी के लिए पैदल चलना आदि एक बड़ी मदद होगी।

पर्यावरण प्रदूषण एक प्रमुख चिंता का विषय है जो हमारे आने वाले भविष्य को खोखला कर देगा। प्रदूषण वर्तमान के लिए खतरनाक है और भविष्य के लिए एक बड़े खतरे के रूप में बदल रहा है। इस असंतुलन के लिए हर इंसान जिम्मेदार है। इसलिए हमें मिलकर काम करने की जरूरत है, आज एक छोटी सी मदद कल एक बड़ी खुशी लौटाएगी।

निबंध – 3 (500 शब्द)

हम पृथ्वी पर रहते हैं, जो एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन संभव है। यहां मौजूद हवा, पानी और मिट्टी जैसे संसाधन सीमित हैं। उन्हें प्रदूषित करने का मतलब है कि हम खुद को मुश्किल में डाल रहे हैं। हर दिन प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में अपना योगदान देना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

पर्यावरण प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण नीचे दिए गए हैं:

  • औद्योगीकरण : बड़े उद्योग हवा में जहरीली गैस छोड़ते हैं। साथ ही हानिकारक रसायनों को सीधे जल निकायों में छोड़ दिया जाता है। वे अधिकांश पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • आधुनिकीकरण : हम आधुनिक संस्कृति को बहुत गर्व से स्वीकार कर रहे हैं लेकिन इसके नकारात्मक प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कोई कम दूरी के लिए भी साइकिल का उपयोग नहीं करना चाहता। प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।
  • रसायनों का प्रयोग : रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुँचाते हैं। जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) के जलने से जहरीली गैसें निकलती हैं जो बाद में अम्लीय वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग में बदल सकती हैं।
  • प्राकृतिक कारण : कभी-कभी प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन, बाढ़, ज्वालामुखी आदि को प्रदूषण पैदा करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। वे मिट्टी के कटाव, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि के लिए जिम्मेदार हैं।

नियंत्रण और रोकथाम के लिए कदम

कुछ बातों का पालन करके और कुछ स्वस्थ आदतों को अपनाकर आप पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में आसानी से योगदान दे सकते हैं। जैसे की:

  • साइकिल को प्राथमिकता दें।
  • प्लास्टिक का अधिक उपयोग करने के बजाय बायोडिग्रेडेबल उत्पाद चुनें।
  • अशुद्ध और जहरीले रसायनों को जल निकायों में प्रवाहित करने से पहले उनका उपचार करें।
  • अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करें।
  • नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग करें और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को सीमित करें।
  • रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा दे।

पर्यावरण प्रदूषण का भविष्य पर प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव में भविष्य की कल्पना करना हृदय विदारक है। अगर पर्यावरण काफी हद तक प्रदूषित होगा तो हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन किट अपने साथ रखनी होगी। शुद्ध पानी पीने के लिए हमें एक-एक बूंद की कीमत चुकानी पड़ेगी।

इसके अलावा, मनुष्यों का जीवनकाल कम हो जाएगा और वे कई खतरनाक बीमारियों के शिकार होंगे। पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाएगा और हमें जीने के लिए संघर्ष करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग और एसिड रेन का बढ़ता असर इस धरती पर हर जीवन को खत्म कर देगा।

बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण किसी देश विशेष की समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या है। आधुनिकीकरण हमें आरामदायक और आनंददायक जीवन दे रहा है, लेकिन दूसरी ओर, इसका प्रभाव हमारे जीवन के दिनों को सीमित कर रहा है। इसलिए, एक साथ लड़ने और इस समस्या से बाहर निकलने का समय आ गया है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Environmental Pollution (पर्यावरण प्रदूषण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर. दुनिया के बढ़ते प्रदूषण में भारत तीसरे नंबर पर है।

उत्तर. तुर्की, फ्रांस, पोलैंड आदि कुछ पर्यावरण के अनुकूल देश हैं जहां सबसे कम प्रदूषण है।

उत्तर. 2022 में संयुक्त अरब अमीरात (UAE), चीन, इराक आदि कुछ अत्यधिक प्रदूषित देश हैं।

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पर्यावरण पर निबंध

environment protection essay 300 words in hindi

By विकास सिंह

essay on environment in hindi

एक पर्यावरण प्राकृतिक दुनिया है जो पृथ्वी को घेरती है और एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र बनाती है जिसमें मानव, पशु, पौधे और अन्य जीवित और गैर-जीवित चीजें मौजूद हैं।

पर्यावरण पर निबंध, short essay on environment in hindi (100 शब्द)

एक पर्यावरण प्राकृतिक परिवेश है जो जीवन को पृथ्वी नामक इस ग्रह पर विकसित, पोषण और नष्ट करने में मदद करता है। प्राकृतिक पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में एक महान भूमिका निभाता है और यह मनुष्य, जानवरों और अन्य जीवित चीजों को स्वाभाविक रूप से विकसित और विकसित करने में मदद करता है।

लेकिन मानव की कुछ बुरी और स्वार्थी गतिविधियों के कारण, हमारा पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। यह सबसे महत्वपूर्ण विषय है कि हर किसी को यह जानना चाहिए कि हमारे पर्यावरण की रक्षा कैसे करें ताकि इसे हमेशा के लिए सुरक्षित रखा जा सके और साथ ही इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए प्रकृति के संतुलन को सुनिश्चित किया जा सके।

पर्यावरण पर निबंध, essay on environment in hindi (150 शब्द)

जैसा कि हम सभी पर्यावरण से अच्छी तरह से परिचित हैं, यह सब कुछ है जो हमें प्राकृतिक रूप से घेरता है और पृथ्वी पर हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। सब कुछ एक पर्यावरण के अंतर्गत आता है, हवा जो हम हर पल सांस लेते हैं, पानी जो हम अपने दैनिक दिनचर्या, पौधों, जानवरों और अन्य जीवित चीजों के लिए उपयोग करते हैं, आदि। एक पर्यावरण को स्वस्थ वातावरण कहा जाता है जब प्राकृतिक चक्र बिना किसी गड़बड़ी के कंधे से कंधा मिलाकर चलता है। प्रकृति के संतुलन में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पर्यावरण को पूरी तरह से प्रभावित करती है जो मानव जीवन को बर्बाद कर देती है।

अब, मानव के अग्रिम जीवन स्तर के युग में, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वनों की कटाई, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, अम्ल वर्षा और अन्य खतरनाक आपदाओं के माध्यम से हमारा पर्यावरण काफी हद तक प्रभावित हो रहा है। तकनीकी प्रगति के माध्यम से मनुष्य। हम सभी को अपने प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के लिए इसे हमेशा की तरह सुरक्षित रखने की शपथ लेनी चाहिए।

पर्यावरण पर निबंध, 200 शब्द:

पर्यावरण का अर्थ है सभी प्राकृतिक परिवेश जैसे भूमि, वायु, जल, पौधे, पशु, ठोस पदार्थ, अपशिष्ट, धूप, वन और अन्य चीजें। स्वस्थ वातावरण प्रकृति के संतुलन को बनाए रखता है और साथ ही पृथ्वी पर सभी जीवित चीजों को विकसित, पोषण और विकसित करने में मदद करता है। हालांकि, आजकल  कुछ मानव निर्मित तकनीकी प्रगति पर्यावरण को कई तरीकों से खराब कर रही है जो अंततः प्रकृति के संतुलन या संतुलन को परेशान करती है। हम इस ग्रह पर भविष्य में जीवन के अस्तित्व के साथ-साथ अपने जीवन को भी खतरे में डाल रहे हैं।

यदि हम प्रकृति के अनुशासन से बाहर कुछ भी गलत तरीके से करते हैं, तो यह पूरे वातावरण को परेशान करता है जिसका अर्थ है वायुमंडल, जलमंडल और लेपोस्फियर। प्राकृतिक पर्यावरण के अलावा, एक मानव निर्मित पर्यावरण भी मौजूद है जो प्रौद्योगिकी, कार्य पर्यावरण, सौंदर्यशास्त्र, परिवहन, आवास, उपयोगिताओं, शहरीकरण आदि से संबंधित है। मानव निर्मित पर्यावरण प्राकृतिक पर्यावरण को काफी हद तक प्रभावित करता है जो हम सभी को एक साथ बचाना चाहिए।

प्राकृतिक पर्यावरण के घटकों का उपयोग एक संसाधन के रूप में किया जाता है, लेकिन यह कुछ बुनियादी भौतिक आवश्यकताओं और जीवन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए मानव द्वारा भी शोषण किया जाता है। हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को चुनौती नहीं देनी चाहिए और पर्यावरण को इतना प्रदूषण या कचरा डालना बंद करना चाहिए। हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को महत्व देना चाहिए और प्राकृतिक अनुशासन में रहकर उनका उपयोग करना चाहिए।

पर्यावरण पर निबंध, 250 शब्द:

एक पर्यावरण में सभी प्राकृतिक संसाधन शामिल हैं जो कई तरीकों से मदद करने के लिए हमें घेर लेते हैं। यह हमें विकसित होने और विकसित करने के लिए बेहतर माध्यम प्रदान करता है। यह हमें सभी चीजें देता है जो हमें इस ग्रह पर अपना जीवन जीने के लिए चाहिए। हालांकि, हमारे पर्यावरण को भी हमेशा की तरह बनाए रखने के लिए, अपने जीवन को हमेशा के लिए पोषण देने और अपने जीवन को कभी भी बर्बाद नहीं करने के लिए हम सभी से कुछ मदद की आवश्यकता होती है। हमारे पर्यावरण के तत्व दिन-ब-दिन गिरते जा रहे हैं क्योंकि आदमी ने तकनीकी आपदा को बनाया है।

हमें पृथ्वी पर जीवन को जारी रखने के लिए अपने पर्यावरण की मौलिकता को बनाए रखने की आवश्यकता है, एकमात्र जगह जहां पूरे ब्रह्मांड में अब तक जीवन संभव है। विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के प्रति दुनिया भर में जन जागरूकता फैलाने के लिए 5 जून को हर साल सालों से मनाया जाने वाला एक अभियान है। हमें उत्सव के विषय को जानने, अपने पर्यावरण को बचाने के तरीकों को जानने और उन सभी बुरी आदतों के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान उत्सव में भाग लेना चाहिए जो पर्यावरण को दिन-प्रतिदिन गिरती जा रही हैं।

हम पृथ्वी पर हर व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे से कदम से अपने पर्यावरण को बहुत आसान तरीके से बचा सकते हैं। हमें कचरे की मात्रा को कम करना चाहिए, कचरे को ठीक से उसके स्थान पर फेंकना चाहिए, पॉली बैग का उपयोग बंद कर देना चाहिए, कुछ पुरानी चीजों को नए तरीकों से फिर से उपयोग करना चाहिए, उन्हें फेंकने के बजाय टूटी चीजों की मरम्मत और उपयोग करना चाहिए, देखें कि उन्हें सुधारने में कितना समय लगेगा; रिचार्जेबल बैटरी या अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें, फ्लोरोसेंट लाइट, वर्षा जल संरक्षण, पानी की बर्बादी को कम करने, ऊर्जा संरक्षण, बिजली का न्यूनतम उपयोग आदि का उपयोग करें।

पर्यावरण पर निबंध, essay on environment in hindi (300 शब्द)

पृथ्वी पर जीवन का पोषण करने के लिए प्रकृति द्वारा एक उपहार दिया जाता है। जो कुछ हम अपने जीवन को जारी रखने के लिए उपयोग करते हैं वह पानी, हवा, धूप, भूमि, पौधों, जानवरों, जंगलों और अन्य प्राकृतिक चीजों जैसे पर्यावरण के अंतर्गत आता है। हमारा पर्यावरण पृथ्वी पर स्वस्थ जीवन के अस्तित्व को संभव बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, आधुनिक युग में मानव निर्मित तकनीकी प्रगति के कारण हमारा पर्यावरण दिन-प्रतिदिन खराब होता जा रहा है। इस प्रकार, पर्यावरण प्रदूषण आज हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या बन गया है।

पर्यावरण प्रदूषण हमारे दैनिक जीवन को सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक और बौद्धिक रूप से जीवन के विभिन्न पहलुओं में नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। पर्यावरण के दूषित होने से बहुत सारी बीमारियाँ होती हैं जिनसे इंसान पूरी जिंदगी पीड़ित हो सकता है। यह समुदाय या शहर की समस्या नहीं है, यह एक विश्वव्यापी समस्या है जिसे किसी के प्रयास से हल नहीं किया जा सकता है। यदि इसे ठीक से संबोधित नहीं किया जाता है, तो यह एक दिन जीवन के अस्तित्व को समाप्त कर सकता है। प्रत्येक और हर आम नागरिक को सरकार द्वारा शुरू किए गए पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए।

हमें प्रदूषण से स्वस्थ और सुरक्षित बनाने के लिए अपने पर्यावरण के प्रति अपनी गलतियों और स्वार्थ को ठीक करना चाहिए। यह विश्वास करना कठिन है, लेकिन यह सच है कि हर किसी के द्वारा केवल थोड़ी सकारात्मक हरकत से ही पर्यावरण में भारी बदलाव आ सकता है। वायु और जल प्रदूषण विभिन्न बीमारियों और विकारों के कारण हमारे स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है।

एक दिन में कुछ भी स्वस्थ नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि हम जो खाते हैं वह पहले से ही कृत्रिम उर्वरकों के बुरे प्रभावों से प्रभावित होता है जो सूक्ष्मजीवों के कारण होने वाली बीमारी से लड़ने के लिए हमारे शरीर की प्रतिरक्षा को कम और कमजोर करता है। इसीलिए, हम में से कोई भी स्वस्थ और खुश होने के बाद भी कभी भी रोगग्रस्त हो सकता है।

इसलिए, यह दुनिया भर में एक प्रमुख मुद्दा है जिसे सभी के निरंतर प्रयासों से हल किया जाना चाहिए। हमें विश्व पर्यावरण दिवस अभियान में पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए भाग लेना चाहिए।

पर्यावरण पर निबंध, long essay on environment in hindi (400 शब्द)

पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाने वाली सभी प्राकृतिक चीजों में जल, वायु, सूर्य का प्रकाश, भूमि, अग्नि, वन, पशु, पौधे आदि शामिल हैं। यह माना जाता है कि ब्रह्मांड में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसके लिए आवश्यक वातावरण है जीवन अस्तित्व। पर्यावरण के बिना हम यहां जीवन का अनुमान नहीं लगा सकते हैं इसलिए हमें भविष्य में जीवन की संभावना सुनिश्चित करने के लिए अपने पर्यावरण को सुरक्षित और स्वच्छ रखना चाहिए।

यह दुनिया भर में पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। सभी को आगे आना चाहिए और पर्यावरण सुरक्षा के अभियान में शामिल होना चाहिए। प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए पर्यावरण और जीवित चीजों के बीच नियमित रूप से होने वाले विभिन्न चक्र हैं। हालांकि, किसी भी तरह से अगर इस तरह के चक्र परेशान हो जाते हैं, तो प्रकृति का संतुलन भी गड़बड़ा जाता है जो अंततः मानव जीवन को प्रभावित करता है।

हमारा पर्यावरण हमें और हजारों वर्षों से धरती पर विकसित होने, विकसित होने और पनपने के लिए अस्तित्व के अन्य रूपों में मदद करता है। जैसा कि मनुष्य को पृथ्वी पर प्रकृति द्वारा बनाया गया सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है, उनके पास ब्रह्मांड में चीजों को जानने की बहुत उत्सुकता है जो उन्हें तकनीकी प्रगति की ओर ले जाती है।

हर किसी के जीवन में इस तरह की तकनीकी प्रगति पृथ्वी पर जीवन की संभावनाओं को खतरे में डालती है क्योंकि हमारा पर्यावरण धीरे-धीरे नष्ट हो रहा है। ऐसा लगता है कि एक दिन यह जीवन के लिए इतना हानिकारक हो गया है क्योंकि प्राकृतिक हवा, मिट्टी और पानी प्रदूषित हो रहे हैं। यहां तक ​​कि इसने मानव, पशु, पौधों और अन्य जीवित चीजों के स्वास्थ्य पर अपना बुरा प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है।

हानिकारक रसायनों का उपयोग करके कृत्रिम रूप से तैयार किए गए उर्वरक मिट्टी को खराब कर रहे हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से हमारे शरीर में एकत्र किए गए भोजन के माध्यम से रोजाना खाते हैं। दैनिक आधार पर औद्योगिक कंपनियों से उत्पन्न हानिकारक धूम्रपान, प्राकृतिक हवा को प्रदूषित कर रहे हैं जो हमारे स्वास्थ्य को काफी हद तक प्रभावित करते हैं क्योंकि हम हर पल सांस लेते हैं।

इस तरह की व्यस्त, भीड़ और उन्नत जीवन में हमें दैनिक आधार पर इस प्रकार की छोटी बुरी आदतों का ध्यान रखना चाहिए। यह सच है कि सभी के अंत तक केवल एक छोटा सा प्रयास हमारे गिरते पर्यावरण के प्रति एक बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकता है। हमें केवल अपने स्वार्थ के लिए गलत तरीकों से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग नहीं करना चाहिए और अपनी विनाशकारी इच्छाओं को पूरा करना चाहिए।

हमें अपने जीवन की बेहतरी के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकियों को विकसित और विकसित करना चाहिए लेकिन हमेशा सुनिश्चित रहें कि यह भविष्य में किसी भी तरह से हमारे पर्यावरण को बर्बाद नहीं करेगा। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नई प्रौद्योगिकियां पारिस्थितिक संतुलन को कभी नहीं बिगाड़ेंगी।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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environment protection essay 300 words in hindi

पर्यावरण पर निबंध- Essay on Environment in Hindi

In this article, we are providing information about Environment in Hindi. Short Essay on Environment in Hindi Language. पर्यावरण पर निबंध/पर्यावरण संरक्षण/बचाओ पर निबंध. Environment Protection Essay.

पर्यावरण पर निबंध- Essay on Environment in Hindi

Paryavaran suraksha essay in hindi ( 300 words ).

पर्यायवरण दो शब्दों से मिलकर बना है परि और आवरण जिसका अर्थ है एक ऐसा आवरण जो हमें चारों तरफ से घेरे हुए हैं। पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसपर पर्यायवरण मौजुद है और उसी कारण यहाँ पर जीवन संभव है। पर्यायवरण हमें हमारे जीवन के लिए सभी संसाधन जैसे हवा, पानी, भोजन आदि उपलब्ध कराता है। वातावरण का हमारे जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। शुद्ध वातावरण हमें अच्छा शारीरिक और मानसिक स्वास्थय प्रदान करता है। यह पेड़ पौधों, जीव जंतुओं और मनुष्य को विकसित होने में सहायता करता है।

पर्यायवरण भी दो प्रकार के होते हैं – प्राकृतिक पर्यायवरण और कृत्रिम पर्यायवरण। प्राकृतिक पर्यायवरण हमें प्रकृति ने उपहार में दिया है और कृत्रिम वातावरण मनुष्य के द्वारा अपनी सहुलियत के अनुसार निर्मित किया गया है। पर्यायवरण हमें हर कदम पर सहायता करता है और बहुत सी मुसीबतों से हमारी सुरक्षा करता है।

आधुनिक युग में मनुष्य प्रगति की होड़ में निरंतर पर्यायवरण को हानि पहुँचाता जा रहा है। पर्यायवरण के भौतिक और रसायनिक सरंचना में असंतुलन पर्यायवरण प्रदुषण कहलाता है। मनुष्य के द्वारा निरंतर पानी, हवा , मिट्टी आदि को दुषित किया जा रहा है जिससे कि पर्यायवरण को नुकसान हो रहा है। यदि पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व बनाए रखना है तो पर्यायवरण को सरंक्षित रखना होगा जिसके लिए हमें ज्यादा सो ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए। कचरे की मात्रा कम करनी चाहिए और प्लास्टिक का प्रयोग बंद करना चाहिए। हमें ऐसी वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए जिन्हें बार बार प्रयोग में लाया जा सके। पर्यायवरण की सुरक्षा पूरे विश्व के लिए एक गंभीर मुद्दा है जिसके बारे में गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है और इसकी सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। हमारे पर्यायवरण को सुरक्षित रखना हम कर्तव्य है जिसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 5 जून को पर्यायवरण दिवस मनाया जाता है।

Environment Essay in Hindi ( 400 words )

पर्यायवरण का मतलब है वो चीज जो हमें चारों तरफ से घेरे हुए है। हमारे आस पास मौजुद सभी भौतिक, जीवित, अजीवित, चल, अचल चीजें मिलकर ही पर्यायवरण को बनाती है। बेहतर जिंदगी जीने के लिए मनुष्य का वातावरण अच्छा होना चाहिए । सभी गरहों में केवल पृथ्वी ही ऐसा गरह है जिसपर जीवन संभव है। जीवन संभव होने का मुख्य कारण पर्यायवरण ही है जो हमें हर पल साँस लेने के लिए हवा,पीने के लिए पानी , पेड़ पौधे जिनसे हमें भोजन मिले इन सब चीजों को उपलब्ध कराता है। प्रकृति में किसी भी वजह से असंतुलन के कारण पर्यायवरण दुषित होता जा रहा है। प्रकृति में असंतुलन का कारण मनुष्य की गतिविधियां हैं।

वातावरण के दुषित होने के कारण – हमारा वातावरण हमारे शारीरिक,मानसिक और सामाजिक विकास के लिए बहुत ही आवश्यक है। मानवीय गतिविधियों की वजह से यह प्रदुषित होता जा रहा है और जलवायु में भी बहुत से बदलाव हो रहे हैं। वातावरण के दुषित होने के कारण निम्नलिखित है-

1. दुषित जल, वायु, भूमि सब ही वातावरण को दुषित करते है। 2. मानव द्वारा लगाए गए उघोग भी हवा में जहर घोलते है और वातावरण को दुषित करते है। 3. पॉलिथीन का प्रयोग भी वातावरण को बहुत नुकसान पहुँचाता है। 4. हवा में रसायनों की वजह से तापमान भी बढ़ जाता है।

पर्यायवरण के प्रकार – पर्यायवरण प्रकृति की सबसे अनमोल देन है लेकिन मनुष्य ने अब प्राकृतिक उपहार का भी बहरूपिया बना लिया है। पर्यायवरण के दो प्रकार है-

1. प्राकृतिक पर्यायवरण- इसके अंतर्गत वो सब चीजें आती है जो हमें प्रकृति ने दी है। 2. मानव निर्मित पर्यायवरण- यह मनुष्य के द्वारा अपनी सहुलियत के हिसाब से बनाया गया है।

वातावरण के परभाव – हमारा आस पड़ोस हमारे जीवन पर बहुत ही परभाव डालता है। अगर हमारा वातावरण स्वच्छ होगा तो हम स्वस्थ रहेंगे ,खुश रहेंगे। अगर वही वातावरण दुषित होगा होगा तो हमें बहुत सी बिमारियों का सामना करना पड़ेगा। साथ ही हम मानसिक रूप से भी परेशान रहेंगे।

वातावरण को स्वच्छ रखने के उपाय – हमारा वातावरण हमारे लिए बहुत ही जरूरी है। इसको साफ रखने के लिए हमें हवा, पानी, भूमि को दुषित होने से बचाना होगा। हमें कूड़ा कचरा खुले में नहीं फेंकना चाहिए। उघोग भी शहर से दूर लगाने चाहिए। ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाने चाहिए। जितना प्रदुषण कम होगा उतना ही पर्यायवरण संतुलित होगा।

निष्कर्ष – वातावरण हमारी अमूल्य धरोहर है। हम सबका कर्तव्य है कि हम इसे संभाल के रखे। अगर पर्यायवरण नही होगा तो धरती पर जीवन भी नही होगा।अतः हम सबको मिलकर इसको स्वच्छ रखना चाहिए ।

# Save Environment Essay in hindi # Environment Essay in Hindi

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पर्यावरण बचाओ पर निबंध 10 lines (Save Environment Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

environment protection essay 300 words in hindi

  Save Environment Essay in Hindi – पर्यावरण हमारे आवास के आसपास का क्षेत्र है। यह हमारे अस्तित्व और अस्तित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह “पर्यावरण” में है जहां एक जीवित चीज के जन्म, वृद्धि, विकास और स्वयं जीवन की संभावना होती है। उस वातावरण में मौजूद संकेत धीरे-धीरे उनकी उत्तरजीविता और आवास को आकार देते हैं।

छोटी उम्र से ही, हमें सिखाया जा रहा है कि हम अपने पर्यावरण को कैसे बचाएं और इस ग्रह पृथ्वी को सुंदर बनाने में मदद करें। पर्यावरण एक जीवित प्राणी की मनोवैज्ञानिक स्थिति और भौतिक प्रावधान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समय के साथ, यह जीवित चीजों को आकार देता है। पर्यावरणीय मुद्दों के भार के साथ ग्रह पृथ्वी का भविष्य में अधिक प्रभाव पड़ेगा।

इसलिए, पर्यावरण को बचाना बेहद जरूरी है, क्योंकि; अनुकूल वातावरण का अस्तित्व ही इसकी सीमाओं के भीतर जीवन के जीवित रहने और विकास की संभावनाओं को निर्धारित करता है।

पर्यावरण बचाओ पर 10 लाइनें (10 Lines on Save Environment in Hindi)

  • 1) पर्यावरण का तात्पर्य उस परिवेश या आवास से है जिसमें व्यक्ति, जानवर या पौधे रहते हैं।
  • 2) एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ और हरा-भरा वातावरण महत्वपूर्ण है।
  • 3) पर्यावरण ग्रह पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में एक बड़ी भूमिका निभाता है।
  • 4) मनुष्य के स्वार्थी उद्देश्यों से पर्यावरण अत्यधिक प्रभावित हो रहा है।
  • 4) प्राकृतिक संसाधनों के निरंतर दोहन से पर्यावरण में एक बड़ा असंतुलन पैदा हो गया है।
  • 5) बढ़ती मानव आबादी ने प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की दर में वृद्धि की है।
  • 7) हमें प्राकृतिक संसाधनों की खपत को सीमित करना होगा और यदि हम पृथ्वी को बचाना चाहते हैं तो हमें अक्षय संसाधनों पर निर्भर रहने का प्रयास करना चाहिए।
  • 8) पेड़ और पानी जैसे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से प्रदूषण मुक्त वातावरण बनता है।
  • 9) हमें प्लास्टिक या पॉली बैग का उपयोग बंद कर देना चाहिए और पर्यावरण को बचाने के लिए अधिक पर्यावरण अनुकूल उत्पाद पर निर्भर होना चाहिए।
  • 10) सरकार, नागरिक समुदायों को पर्यावरण को बचाने के लिए प्रदूषण और औद्योगीकरण के बाद के प्रभावों को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।

पर्यावरण बचाओ पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Save Environment in Hindi)

हमारे पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण किया जाना चाहिए। प्राकृतिक ऊर्जा संरक्षण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें बनाए रखता है। हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए कई रणनीतियाँ हैं, जिनमें से पहली है प्रदूषण के स्तर को कम करना। क्योंकि वाहनों का धुआं बहुत अधिक प्रदूषण पैदा करता है, कारों के लिए ईंधन के रूप में प्राकृतिक गैस का उपयोग करने से धुएं के उत्सर्जन में कमी आएगी। बैटरी द्वारा संचालित ऑटोमोबाइल भी पर्यावरण के अनुकूल हैं। सौर ऊर्जा का उपयोग हमारे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए किया जाता है। सौर ऊर्जा गैर-प्रदूषणकारी और नवीकरणीय है।

हमें पानी में कूड़ा-करकट डालने और उपोत्पाद बनाने से बचना चाहिए। नमामि गंगे, उदाहरण के लिए, जलमार्गों को साफ करने का प्रयास करता है और स्वच्छ पर्यावरण की ओर एक कदम है। हम सभी को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और पर्यावरण की रक्षा के लिए अपना हिस्सा करना चाहिए।

पर्यावरण बचाओ पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Save Environment in Hindi)

पर्यावरण एक भौगोलिक क्षेत्र या प्राकृतिक दुनिया है जो मानव गतिविधि से प्रभावित है और इसमें खनिज मिट्टी, हवा और पानी, जानवर आदि शामिल हैं। कंक्रीट संरचनाओं और सड़कों ने प्राकृतिक परिदृश्य को बदल दिया क्योंकि होमो सेपियन्स शहरीकरण और औद्योगीकरण की ओर बढ़े, जिससे चिकित्सा, औद्योगिक और सामाजिक विकास हुआ।

हालांकि, भोजन, पीने के लिए पानी और कृषि, ईंधन के लिए लकड़ी आदि के लिए इन प्राकृतिक वातावरणों पर मानव निर्भरता जारी है। प्रकृति पर हमारी निर्भरता इतनी महत्वपूर्ण है कि हम इसके संसाधनों को संरक्षित किए बिना विकसित नहीं हो सकते। पर्यावरण का जीव के अस्तित्व और विकास पर प्रभाव पड़ता है।

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प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार

इन प्राकृतिक संसाधनों को मोटे तौर पर नवीकरणीय या गैर-नवीकरणीय के रूप में वर्गीकृत किया गया है। नवीकरणीय संसाधन वे हैं जिनकी प्राकृतिक रूप से पूर्ति की जा सकती है। जल, जंगल और फसलें इसके उदाहरण हैं। दूसरी ओर गैर-नवीकरणीय संसाधन, जैसे कि तेल और खनिज, का नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है और वर्तमान परिवेश में तेजी से समाप्त हो रहे हैं।

जनसंख्या विस्तार और समाज के धनी क्षेत्रों की ओर से ‘उपभोक्तावाद’ सभी प्राकृतिक संसाधनों की इस तेजी से कमी के प्राथमिक कारण हैं। इसके परिणामस्वरूप जीव-जंतुओं और पेड़ों का विलुप्त होना और पर्यावरण का विघटन हुआ है। नतीजतन, इन प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद करने से रोकने और उन्हें बुद्धिमानी से उपयोग करने का समय आ गया है।

पर्यावरण बचाओ पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Save Environment in Hindi)

एक जीवित प्राणी के सभी परिवेशों का योग, जिसमें हवा, पानी, धूप आदि शामिल हैं और जीवित जीव जैसे जानवर, पौधे, मनुष्य आदि, जो वृद्धि और विकास के लिए स्थायी स्थिति प्रदान करते हैं, पर्यावरण का गठन करते हैं।

हमारे पर्यावरण को बचाने का महत्व

आज औद्योगिक और शहरी क्षेत्रों में, इस वातावरण में अच्छी पक्की सड़कें, बहुमंजिला कंक्रीट की इमारतें और गगनचुंबी इमारतें शामिल हैं। उनका मुख्य उद्देश्य बढ़ती आबादी को समायोजित करना और समाज के समृद्ध वर्गों को विभिन्न विलासिता प्रदान करना है।

हालांकि, इस आंदोलन के बावजूद प्रकृति से प्राप्त संसाधनों पर मानव की विश्वसनीयता कायम है। हम सांस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी और अन्य दैनिक कामों के लिए उपयोग करते हैं।

समय की मांग है कि संसाधनों के दुरुपयोग को रोका जाए और इसके बजाय उनका विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए, क्योंकि धरती माता संसाधनों के इस तीव्र उपयोग को बनाए नहीं रख सकती है। यह ‘सतत विकास’ से ही संभव है।

पर्यावरण बचाओ पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Save Environment in Hindi)

प्राकृतिक पर्यावरण के उपहार मनुष्य और अन्य जीवित प्रजातियों के लिए आनंद का स्रोत हैं। ये प्राकृतिक संसाधन, जैसे हवा, सूरज की रोशनी, ताजा पानी, जीवाश्म ईंधन आदि इतने आवश्यक हैं कि इनके बिना जीवन का अस्तित्व नहीं हो सकता। हालाँकि, विशाल जनसंख्या की भौतिक वस्तुओं की इच्छा के कारण, इन संसाधनों को बर्बाद किया जा रहा है और अत्यधिक दुरुपयोग किया जा रहा है। यह ‘आर्थिक प्रगति’ मानव स्वास्थ्य के लिए अधिक हानिकारक सिद्ध हो रही है।

पर्यावरण को बचाने की आवश्यकता क्यों है

निम्नलिखित बिंदु प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग और बर्बादी और पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के जीवन पर असर के कारण होने वाले प्रदूषण का वर्णन करते हैं। इस प्रकार, पृथ्वी पर जीवन को बचाने के लिए हमें अपने पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए:

वायु प्रदूषण | परिवहन के लिए गैसोलीन और डीजल के बढ़ते उपयोग और ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए उद्योगों में जीवाश्म ईंधन के दहन से वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह सल्फर ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य प्रदूषकों को बढ़ाता है। ये खतरनाक गैसें मानव स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों के कैंसर और अन्य श्वसन संबंधी विकार पैदा करती हैं। इसके अलावा, ओजोन परत को कम करने और मनुष्यों को पराबैंगनी विकिरण के संपर्क में लाने से, वायु प्रदूषण ‘ग्लोबल वार्मिंग’ को तेज करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है।

जल प्रदूषण | जल प्रदूषण कारखानों से पानी में घुलनशील अकार्बनिक यौगिकों के निलंबन, अनुपचारित मानव और पशु अपशिष्टों को मीठे पानी में छोड़ने और नदी सिंचाई के दौरान उर्वरकों और कीटनाशकों को निकालने के कारण होता है। इससे पानी पीने के लिए असुरक्षित हो जाता है, जिससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार और कैंसर हो सकता है।

मृदा प्रदूषण | मिट्टी में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से हानिकारक और अच्छे कीट मर जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप फसलें कम पौष्टिक होती हैं। इसके अलावा, मिट्टी के संदूषण के कारण होने वाली रासायनिक-संक्रमित फसलों के लिए लंबे समय तक जोखिम स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। अत्यधिक वनों की कटाई और निर्माण से प्रेरित मिट्टी का कटाव बाढ़ की आवृत्ति को बढ़ाता है, जिसके परिणामस्वरूप मानव जीवन को विनाशकारी क्षति होती है।

ध्वनि प्रदूषण | कारखानों और कारों से अत्यधिक शोर कान को शारीरिक नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे अस्थायी या स्थायी सुनवाई हानि हो सकती है। ध्वनि प्रदूषण होमो सेपियन्स के मानसिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाता है, तनाव, चिंता और जलन पैदा करता है, और इस तरह काम के प्रदर्शन को ख़राब करता है।

पर्यावरण संरक्षण के तरीके

इतिहास के माध्यम से पीछे मुड़कर देखने पर, हम देख सकते हैं कि हमारे पूर्वज आज की तुलना में पर्यावरण संरक्षण के प्रति अधिक चिंतित थे। इसे चिपको आंदोलन में सुंदरलाल बहुगुणा के योगदान में देखा जा सकता है, जिसने वन संसाधनों की रक्षा की। इसी तरह, मेधा पाटकर ने आदिवासियों के आवासों को प्रभावी ढंग से बचाया, जिन्हें नर्मदा नदी पर बांधों के निर्माण से भारी नुकसान पहुंचा था। इसी तरह, आज के युवा के रूप में, हम अपने प्राकृतिक पर्यावरण के संरक्षण के लिए छोटे-छोटे उपाय कर सकते हैं:

छात्र जो पहल कर सकते हैं

  • गैर-नवीकरणीय संसाधनों के अत्यधिक उपयोग से बचने के लिए, हमें कम करने, अर्थात कम करने, रीसायकल करने और पुन: उपयोग करने के सिद्धांत को बढ़ावा देना चाहिए और लागू करना चाहिए। धातु स्क्रैप, उदाहरण के लिए, नए धातु आइटम बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
  • ऊर्जा की बचत करने वाले ट्यूबलाइट और बल्ब का प्रयोग कर बिजली बचाएं।
  • जब भी संभव हो कागज और लकड़ी के उत्पादों के बजाय ई-पुस्तकों और ई-पेपर का उपयोग करें।
  • चलने, कारपूलिंग या सार्वजनिक परिवहन द्वारा जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता कम करें।
  • प्लास्टिक की थैलियों के स्थान पर जूट/कपड़े के थैलों का प्रयोग करें।
  • रिचार्जेबल बैटरी या सौर पैनलों का उपयोग करें।
  • उर्वरकों की आवश्यकता को सीमित करने के लिए खाद बनाने के लिए कम्पोस्ट बिन की स्थापना करना।

सरकार ने प्रकृति और जानवरों की सुरक्षा के लिए कई परियोजनाएं तैयार की हैं और कानून बनाए हैं। सभी को आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण का संरक्षण करना जारी रखना चाहिए क्योंकि हम इसका लाभ उठा रहे हैं।

पर्यावरण बचाओ पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न निबंध (FAQs)

प्रश्न 1. स्वच्छ पर्यावरण क्या है.

उत्तर: एक स्वच्छ पर्यावरण की पहचान ताजी और स्वच्छ हवा, पानी और जमीन से होती है। यह कम प्रदूषण और बीमारियों को संदर्भित करता है।

प्रश्न 2. हम वायु प्रदूषण को कैसे रोक सकते हैं?

उत्तर: ऑटोमोबाइल में ईंधन के रूप में बैटरी चालित कारों और प्राकृतिक गैस का उपयोग वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का सही तरीका है। हमें कचरे के दहन को रोकना चाहिए, जो वातावरण में बहुत अधिक कार्बन मोनोऑक्साइड छोड़ता है।

प्रश्न 3. जूट का क्या उपयोग है ?

उत्तर: जूट के थैले और वाहक आसान होते हैं क्योंकि वे प्लास्टिक की तरह प्रदूषण नहीं करते हैं और पर्यावरण के अनुकूल हैं।

प्रश्न 4. सौर ऊर्जा क्या है ?

उत्तर: सौर ऊर्जा सूर्य द्वारा दी गई ऊर्जा है। हम सौर पैनलों का उपयोग करके सौर ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं और इसका उपयोग खाना पकाने, पानी गर्म करने आदि के लिए कर सकते हैं।

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  • Environmental Protection Essay

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Essay on Environmental Protection

Environmental protection is improving, defending, and maintaining the quality of the environment. The main methods of environmental protection are recycling, reusing, and reducing; however, some other methods such as Green Energy production, green transportation development, and eco-friendly industrialization also exist. Not only residents but also businesses and industries should play their basic roles to improve the environment.

The History of Environmental Protection  

Humankind has always been concerned about the environment. The ancient Greeks were the first to develop environmental philosophy, and they were followed by other major civilizations such as India and China. In more recent times, the concern for the environment has increased because of growing awareness of the ecological crisis. The Club of Rome, a think tank, was among the first to warn the world about the dangers of overpopulation and pollution in its report "The Limits to Growth" (1972).

In the early days of environmentalism, people thought that the best way to protect nature was to set aside areas where humans would not disturb the environment. This approach, which is known as preservation, was given a major boost in the United States with the establishment of the National Park Service in 1916.

The modern environmental movement began in the 1960s when concerns about the negative impact of humans on the environment began to increase. In response to these concerns, governments around the world began to pass legislation to protect the environment. In the United States, for example, the Environmental Protection Agency (EPA) was established in 1970.

The Principles of Environmental Protection

There are three fundamental principles of environmental protection:

The precautionary principle: This principle states that if an activity has the potential to cause harm to the environment, then steps should be taken to prevent that harm even if there is no clear evidence that the activity is damaging.

The polluter pays principle: This states that the party responsible for causing pollution should be held responsible for cleaning it up.

The public right to know the principle: This principle states that the public has a right to know about any potential threats to the environment and what is being done to address them.

The goals of Environmental Protection

There are three main goals of environmental protection:

To protect human health: This is the most important goal of environmental protection because humans cannot survive without a healthy environment.

To protect ecosystems: Ecosystems are the foundation of life on Earth, and they provide many benefits to humans, such as clean air and water, food, and fiber.

To promote sustainable development: Sustainable development is a development that meets the needs of the present without compromising the ability of future generations to meet their own needs.

Environmental protection is a practice that aims to protect the natural environment from the hands of individuals, organizations, and governments. It is the need of the hour because the Earth's environment is deteriorating every day, and the reasons are human beings. They are mishandling the Earth's environment to fulfill their needs. If it goes like this, then it is difficult to say that the future generation will have a safer environment to live in. Through this essay, you will learn the importance of environmental protection.

A Long Essay on Environmental Protection

It is imperative to protect our natural environment from deteriorating, and the only way to do that is through environmental protection. This process should be adopted by every country as soon as possible before it is too late. The objective of this process is to conserve all the natural resources and try to repair some parts of the environment that are possible to get repaired. The biophysical environment is getting degraded permanently because of overconsumption, population growth, and the rapid development of technology. This can be stopped if the government plan strategies to restrict these activities to perform in a controlled way. This environmental protection essay can be a great help for the students to understand the environment they are living in.

Voluntary Environmental Agreements

Voluntary environmental agreements are getting popular in most industrial countries. Through this free essay on environmental protection, one will learn more about this type of agreement. These agreements provide the companies with a platform where they are recognized if they are moving beyond the minimum regulatory standards for protecting the environment. These agreements support the development of one of the best environmental practices. For example, the India Environment Improvement Trust (EIT) has been working in this environment field since the year 1998. Through this environmental protection essay, one is getting so much to learn.

Ecosystems Approach

An ecosystem approach to environmental protection aims to consider the complex interrelationships of the ecosystem as a whole to the process of decision making rather than just focusing on specific issues and challenges. The environmental protection essay writing will give a more precise overview of this approach. The ecosystems approach aims to support the better transferring of information, develop strategies that can resolve conflicts, and improve regional conservation. This approach has played a major role in protecting the environment. This approach also says that religions also play an important role in the conservation of the environment.

International Environmental Agreements

In the present scenario, many of the Earth's natural resources have become vulnerable because of humans and their carelessness towards the environment across different countries. As a result of this, many countries and their governments have come into different agreements to reduce the human impact on the natural environment and protect it from getting deterioration. Through this environmental protection essay in English, one will get a much clearer view on this matter particularly.

The agreements made between different governments of various countries are known as International Environmental Agreements. This agreement includes factors such as climate, oceans, rivers, and air pollution. These agreements are sometimes legally bound, and in case they are not followed, it may lead to some legal implications. These agreements have a long history with some multinational agreements that were made in the year 1910 in Europe, America, and Africa. Some of the most well-known international agreements are the Kyoto Protocol and the Paris Agreement. Through this environmental protection essay, it is clear that governments are taking steps to solve the environmental issue, but it is not enough.

A Short Paragraph on Environmental Protection in English

Earth is a beautiful place to live in, with the most favorable environmental conditions for living beings. But we humans are making it vulnerable and are destroying our own homes with activities that are causing pollution at an increased rate. In this protecting the environment essay, 200 words will be explained properly on how to save the environment.

Environmental protection has become the need of the hour as it is getting destroyed each day. So, governments are making policies and are coming into agreements with other countries to come up with strategies that can protect the environment. Some companies also have the same aim of protecting the environment from the activities of humans.

In this short article on environmental protection, it is clear that if sudden steps are not taken then, our future generation will have to live in a polluted environment that is conserved very conserve difficult. Environmental protection is the key to a safe and secure future with a beautiful environment to live in. 

With pollution increasing each year and causing deterioration of the natural environment, it has become necessary to take steps to protect the natural environment. As we know that the reason for all these problems is humans, governments should make policies to restrict their activities that are causing harm to the environment. If they are not stopped urgently, then the world might see some catastrophic destruction in the coming years. For example, climate change has been a huge problem, and this is one of the causes of increased pollution. A secured future depends on the environment as a whole.

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FAQs on Environmental Protection Essay

1. What are International Environmental Agreements?

International environmental agreements are legal contracts between countries that discuss the protection of the environment to provide better living to present and future generations. These include issues such as climate, oceans, rivers, air pollution, etc. we should always consider that if we harm our environment, then it can affect us as well, and we will become more vulnerable. If we do not take action now, it might get a lot worse. We need to be the generation that starts taking care of our planet and future generations!

2. What is the Kyoto Protocol?

The Kyoto Protocol is one of the most well-known and successful international environmental agreements that has been made in the past to protect the environment. This agreement between countries was made to reduce the emission of greenhouse gases which are causing damage to the ozone layer and climate change. With the help of Kyoto, protocol countries have reduced emission rates by 8% and are planning to reduce them more so that future generations can live in a healthy environment in which they can flourish.

3. What is the Paris Agreement?

The Paris Agreement was made in 2015 to reduce the emission of greenhouse gases and to stop climate change. This agreement is very important as it includes every country in the world, and all have agreed to work together to stop climate change. This is a huge step forward as it means that everyone is now working together to try to save our planet. If we try to solve these problems together, then we will have a chance to save our planet.

4. What is the Green Climate Fund?

The Green Climate Fund comes from an agreement made in 2010 to provide money for developing countries that are going through issues such as deforestation and air pollution by making them more sustainable. This fund has a goal of collecting 100 billion dollars by 2020 for supporting developing countries. If this can happen, then many lives can be saved, and we will be able to see a lot of positive changes in the coming years and decades so that we can see an improved environment.

5. What are some activities that harm the Environment?

Some activities that harm the environment include burning fossil fuels, deforestation, air pollution, and wastewater discharge. These activities harm not only the environment but also humans, and we must take action now to reduce the impact which we are causing. For example, the burning of fossil fuels is one of the main reasons for climate change and air pollution, which both have a huge impact on humans. If we stop these activities, then it will be a lot better for everyone!

6. How can we protect the Environment?

Environmental protection is very much required in today's time. Some of the ways to protect the environment are to reduce, reuse, recycle, conserve water, save electricity, clean up the community, educate people on pollution, conserve water, preserve soil, tree plantation, use long-lasting bulbs, and plant trees. Heaven these are the ways which help us to protect the environment from getting polluted.

7.  Why is Environmental Protection Important?

The ecosystem in which we live provides the natural services that are very much important to humans and other species for health, quality of life, and survival. So to protect that, environmental protection is very important. Hence, governments of various countries should make strategies to protect our natural environment from getting polluted.

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