पुलिस पर निबंध | Essay on Police in Hindi

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पुलिस पर निबंध | Essay on Police in Hindi!

जिस प्रकार सैनिक विदेशी शत्रुओं से देश की रक्षा करते हैं, उसी प्रकार राष्ट्र-विरोधी तत्त्वों से पुलिस हमारी रक्षा करती है । प्रत्येक राष्ट्र के अपने कानून होते हैं । देश के नागरिक उन कानूनों का पालन करते हैं ।

परन्तु कुछ लोग देश के कानून की अवहेलना कर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहते हैं, पुलिस विभिन्न अपराधों में उनका चालान कर न्यायालय में प्रस्तुत करती है । पुलिस की अनेक श्रेणियाँ होती हैं । हमारे देश में केन्द्रिय रिजर्व पुलिस, यातायात पुलिस, सामान्य पुलिस, सशस्त्र पुलिस और गुप्तचर पुलिस आदि अनेक प्रकार की पुलिस हैं । प्रत्येक राज्य में अपनी अलग अलग पुलिस है ।

पुलिस में शिक्षित, स्वस्थ और ऊँचे कद के जवान होते हैं । उन की वर्दी प्राय: खाकी होती है । प्रत्येक राज्य में कई पुलिस लाइनें होती हैं, जहाँ पुलिस के जवान रहते हैं । पुलिस चौकियों पर वे अपने कार्य काल के दौरान तैनात रहते हैं ।

पुलिस का कार्य बड़ा कठिन है । राजनेताओं की विभिन्न रैलियों के दौरान सुरक्षा और यातायात की व्यवस्था बनाये रखना, जलूसों को शान्तिपूर्ण ढंग से सम्पन्न करना, हड़ताल, धरनों और बंद के दौरान असामाजिक तत्त्वों से राष्ट्र की सम्पत्ति की रक्षा करना, राजनेताओं की व्यक्तिगत सुरक्षा करना, चोर डकैतों और लुटेरों से आम नागरिक की रक्षा करना पुलिस का दायित्व है ।

पुलिस कर्मचारी चौबीस घंटे खतरों से जूझते हैं । चोर डकैतों से मुठभेड़ के दौरान घायल हो जाते हैं । भीड़ के द्वारा पथराव की स्थिति में चोट खाते हैं । सर्दी, गर्मी, बरसात में डयूटी देनी पड़ती है । विभिन्न प्रकार के अपराधियों को पकड़ना और न्यायालय में प्रस्तुत करना पुलिस का कार्य है ।

ADVERTISEMENTS:

व्यक्तिगत झगड़ों में हस्तक्षेप कर समझौता कराना, चोरी गये माल को बरामद कराना भी पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है । अन्य कर्मचारियों की तुलना में पुलिस कर्मचारियों के वेतनमान बहुत अच्छे हैं । उन्हें एक महीने का अतिरिक्त वेतन और विशेष भत्ते भी दिये जाते हैं । उन में अधिकांश को सरकारी आवास आबंटित किये जाते हैं ।

ये सब सुविधाएं उन्हें इसलिए दी जाती है कि वे निश्चिंत होकर अपने कर्त्तव्य का पालन कर सकें । उन्हें ड्‌यूटी के दौरान साइकिल, मोटर साइकिल कार और जीप उपलब्ध कराई जाती है । प्रत्येक थाने में टेलीफोन की व्यवस्था है । अपराधियों से निपटने के लिए उन्हें हथियार उपलब्ध कराये जाते हैं ।

अन्य सरकारी कर्मचारियों की तुलना में पुलिस का कार्य विशेष महत्त्वपूर्ण होता है । समाज में कानून और व्यवस्था को बनाये रखना, सशक्त से अशक्त की रक्षा करना, उनका कानूनी ही नहीं नैतिक दायित्व भी है पर कानून और व्यवस्था के नाम पर कभी-कभी कुछ कर्मचारी रक्षक के स्थान पर भक्षक बन जाते हैं । इससे पुलिस की छवि खराब होती है ।

अधिकारों की आड़ लेकर किसी को सताना, अपराध स्वीकार कराने के नाम पर अभियुक्त को पीट-पीटकर मार डालने के समाचार संभ्रात नागरिकों में भय व्याप्त करते हैं । इससे लोगों में पुलिस के प्रति अविश्वास उत्पन्न होता है । कभी-कभी चलचित्र भी पुलिस की छवि ठीक ढंग से प्रस्तुत नहीं करते ।

कर्त्तव्यनिष्ठ पुलिस कर्मचारियों को राष्ट्रपति पुलिस पदक देकर सम्मानित करते हैं । नागरिकों की ओर से भी विशिष्ट कार्य करने वाले पुलिस जनों का नागरिक अभिनन्दन किया जाता है ।

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पुलिस पर निबंध | Essay on Police in Hindi

पुलिस पर निबंध Essay on Police in Hindi : दोस्तों पुलिस की सेवा और कार्यों से हम सभी परिचित हैं यदि आज हमारे समाज, राज्य, शहर में शान्ति एवं कानून व्यवस्था बहाल है तो इसमें पुलिस प्रशासन की बड़ी भूमिका हैं.

सर्दी गर्मी बरसात सभी मौसम में हमारी हिफाजत करने वाली पुलिस पर हमें गर्व होना चाहिए. भारत के सभी राज्यों की अपनी अपनी पुलिस होती हैं जो राज्य के नियंत्रण में कार्य करती हैं आज हम पुलिस का निबंध पढेगे.

पुलिस पर निबंध | Essay on Police in Hindi

The policeman is an important government servant. every day we saw him at the market, on the road, in circles, in public places, in railway stations, etc.

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Short Essay On Policeman In Hindi And English | पुलिस पर निबंध

the policeman is a very useful public servant. he wears the khaki uniform. he was a khaki and red turban. he wears black boots. he is tall and healthy. he looks smart in his uniform.

he has to do many duties. he maintains law and order. he stands at the crossing. he gives signals. he sees that the rules of the road are obeyed.

the work of the policeman is very hard. but he gets v very low pay. he must get higher pay. only then educated men will take the job. the policemen will then be very useful.

पुलिसकर्मी बहुत उपयोगी सरकारी कर्मचारी है। ड्यूटी पर पुलिसवाला खाकी वर्दी पहनता है। वह खाकी और लाल पगड़ी उनकी वर्दी का हिस्सा है। वह काले जूते पहनता है। शरीर में पुलिसवाला लंबा और स्वस्थ होता है। तथा अपनी वर्दी में काफी स्मार्ट दिखता है।

एक पुलिस वाले को कई कर्तव्यों का पालन करना है। वह कानून और व्यवस्था बनाए रखता है। तो कई बार क्रॉसिंग पर खड़ा रहना भी पड़ता है। वह आने जाने वाले वाहनों को सिग्नल देता है। वह देखता है कि सड़क के नियमों का पालन किया जा रहा है अथवा नही.

पुलिसकर्मी का काम बहुत कठिन है। लेकिन उन्हें तनख्वाह के रूप में बहुत कम वेतन मिलता है। उसे एक उच्च वेतन मिलना चाहिए।

तभी सुशिक्षित लोग पुलिस की नौकरी की तरफ आकर्षित होंगे, ऐसी स्थति में हमारी पुलिस और अधिक बेहतर ढंग से कार्य कर सकेगी.

पुलिस पर निबंध

वर्दी का अर्थ दुश्मनों का काल होती हैं चाहे वो बॉर्डर पर भारतीय सेना के रूप में हो अथवा अपने शहर की भारतीय पुलिस हो, राष्ट्र और समाज के विरोधी तत्वों से अपने नागरिकों की रक्षा करना इनका प्रथम कार्य होता हैं.

राज्य के कानून की पालना ठीक ढंग से हो यह जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन के कंधों पर ही होती हैं. बहुत से लोगों को कानून से खेलना पसंद होता है वे समाज व राष्ट्र विरोधी कार्य करते हैं पुलिस उन्हें घर दबोच कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करती हैं.

हमारे देश में पुलिस कई प्रकार की होती हैं विभिन्न श्रेणियों के पुलिस बल के कार्य भी अलग अलग होते हैं. केन्द्रिय रिजर्व पुलिस, यातायात पुलिस, सामान्य पुलिस, सशस्त्र पुलिस और गुप्तचर पुलिस के अलावा सभी राज्यों की अपनी अलग पुलिस होती हैं.

हमारी पुलिस सेवा में अच्छे पढ़े लिखे बुद्धिमान एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ एवं हष्ट पुष्ट युवकों को भर्ती किया जाता हैं, आम तौर पर पुलिस खाकी वर्दी में होती हैं.

पुलिस लाइन में जवान अक्सर रहा करते हैं जबकि ड्यूटी के दौरान इन्हें पुलिस चौकी, थाना आदि में तैनात रहना होता हैं.

पुलिस का कार्य सर्वाधिक कठिन माना गया हैं. उन्हें नेताओं की रेलियों, सार्वजनिक सम्मेलनों, जुलूसों, हडतालों, बंद तथा ट्रैफिक पुलिस के रूप में व्यवस्था बनाए रखनी होती हैं.

24 घंटे उन्हें नागरिकों, व्यवसायियों, राजनेताओं, महिलाओं तथा उद्योग प्रतिष्ठानों की असामाजिक तत्वों, चोर, डाकू लुटेरों से सुरक्षा करनी पड़ती हैं. इस तरह अपने नागरिकों के जान माल की हिफाजत करना पुलिस का कार्य हैं.

एक पुलिस जवान का जीवन हमेशा खतरों से भरा होता है इस कारण इन्हें खतरों से खेलने वाले खिलाड़ी भी कहा जाता हैं अपराधियों के साथ मुठभेड़ उन्हें पकड़ने के प्रयास में कई बार जान तक चली जाती हैं.

सभी प्रकार के मौसम तथा विपरीत हालातों में उन्हें अपनी ड्यूटी पर जाना होता हैं. उपद्रवियों तथा पत्थरबाजों के पथराव का सामना भी करना होता हैं खूंखार से खूंखार किस्म के अपराधी को पुलिस पकडकर उन्हें न्यायालय के समक्ष हाजिर कर कानून व्यवस्था को बनाए रखती हैं.

आपसी झगड़े, रंजिश, द्विपक्षीय कार्यवाहियां, महिला शोषण, चोरी के माल, अवैध तस्करी की बरामदगी, आपसी सुलह के प्रयास आदि पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.

सरकार की ओर से पुलिस के हवलदार से लेकर सब इंस्पेक्टर तक सभी पदाधिकारियों को अच्छी सुविधा भी दी जाती हैं. अन्य नौकरियों की तुलना में पुलिस कर्मचारी को अच्छा वेतन, भत्ते तथा सरकारी आवास जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं.

इन सुविधाओं को देने के साथ ही राज्य की यह अभिलाषा होती हैं कि पुलिस निष्पक्ष, निर्भय एवं ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करे.

प्रत्येक पुलिस चौकी में सभी तरह के वाहनों को भी उपलब्ध करवाया जाता हैं इसके अलावा टेलीफोन, टीवी की सुगम व्यवस्था भी राज्य द्वारा दी जाती हैं. विविध तरह अपराधियों से निपटने के लिए शक्तियाँ व हथियार भी पुलिस को मुहैया करवाएं जाते हैं.

अन्य विभाग के कर्मचारियों की तुलना में पुलिस के कार्य, भूमिकाएं तथा जिम्मेदारियां सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती हैं. हमारे समाज में कानून के राज की स्थापना तथा सुव्यवस्था कायम करने की नैतिक जिम्मेदारी पुलिस के कंधों पर होती हैं.

ऐसा भी कई बार देखने को मिलता है कि जिस पुलिस से समाज में व्यवस्था बनती है वे अधिकारी ही अव्यवस्था कराने लग जाते हैं पीड़ित लोगों के लिए रक्षक की बजाय भक्षक बन जाते हैं अनैतिक धन कमाने के लिए अपनी पद की गरिमा को भूल जाते हैं ऐसा करने वाले लोग पुलिस की छवि को बदनाम करने का कार्य कर रहे हैं.

आमतौर पर देखा जाता है राक्षस प्रवृत्ति के पुलिस अधिकारी अपने पद और अधिकारों का आम लोगों पर रौब जमाते दीखते हैं किसी बेकसूर से जबरदस्ती जुर्म कबूल करवाना, फर्जी एनकाउंटर को अंजाम देना, पुलिस से कुछ पूछ लेने अथवा गलत कर रहे अधिकारी को टोक देने पर उनकी पिटाई करने इस तरह की गतिविधियों से पुलिस के प्रति लोगों के दिलों में अविश्वास पनपता हैं.

अच्छा काम करने वाले एवं कर्तव्य निष्ठ पुलिसकर्मियों को सरकार द्वारा उचित सम्मान भी दिया जाता हैं. विभिन्न पदक एवं स्टार तथा पदोन्नति दी जाती हैं.

राष्ट्रीय दिवसों अथवा पुलिस स्थापना दिवस पर राष्ट्रपति पुलिस पदक प्रदान करते है तथा नागरिकों द्वारा भी उनका अभिनन्दन किया जाता हैं.

पुलिस की भूमिका पर निबंध

पुलिस का सामान्य अर्थ  राज्य द्वारा नियुक्त ऐसे व्यक्तियों के समूह से है जिनको यह दायित्व दिया गया है कि वो राज्य  द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन सुनिश्चित करवाएं तथा समाज में शांति व्यवस्था कायम रखें साथ ही संपत्ति की सुरक्षा का दायित्व भी पुलिस पर है.

प्रत्येक देश वैश्वीकरण के दौर में अपनी आंतरिक तथा बाह्य सुरक्षा को सदैव तत्पर रहते हैं. आंतरिक सुरक्षा तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए साथ ही कानून राज की स्थापना के लिए पुलिस जैसी व्यवस्था का होना अपरिहार्य है.

कोई भी समाज कितना ही सभ्य क्यों ना हो असामाजिक तत्व प्रत्येक स्थिति में विद्यमान रहते हैं ऐसी स्थिति में शांति व्यवस्था कायम करने हेतु  तथा प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा पूर्ण जीवन जीने के अवसर प्रदान पुलिस जैसी किसी व्यवस्था के अधीन ही दिए जाने संभव हैं.

पुलिस व्यवस्था एक तरफ अपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाती है तो दूसरी तरफ  प्राकृतिक आपदाओं के समय योद्धाओं की तरह व्यवस्था बनाए रखने में अपनी जान तक जोखिम में डाल देते हैं.

विश्व के अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था कायम है इन देशों में पुलिस की भूमिका  अधिक अहम हो जाती है नागरिकों के जीवन स्तर के प्रत्येक पहलू पर कहीं ना कहीं पुलिस अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है.

लोकतांत्रिक देशों में पुलिस शासन व्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग के रूप में तथा लोकतांत्रिक मूल्यों के पालन में पुलिस की भूमिका बढ़ जाती है.

राष्ट्र की उत्तरोत्तर प्रगति में भी पुलिस अहम  भूमिका  निभाती है जमाखोरी तस्करी drug supply स्मगलिंग रिश्वतखोरी कालाबाजारी भ्रष्टाचार जैसे अनेक अपराधों  पर नकेल कसने से ही राष्ट्र का चहुमुखी विकास संभव है.

ट्रैफिक पुलिस की भूमिका भारत जैसे विकासशील देश में महत्वपूर्ण है, ट्रैफिक पुलिस ना केवल जाम लगने से रोकती है बल्कि जाम से उत्पन्न होने वाली अनेकों समस्याओं से निजात भी दिलवाती है.

हमारे देश भारत में पुलिस  राज्य सूची का विषय है इसलिए प्रत्येक राज्य के पास ही अधिकार है कि वह अपने लिए पुलिस बल का गठन कर सके या यूं कहा जा सकता है कि भारत में प्रत्येक राज्य के पास अपनी-अपनी पुलिस है, केंद्र भी राज्यों की सहायता के लिए पुलिस बल का गठन कर सकता है.

आमतौर पर देखा गया है कि पुलिस की सभी हमारे लिए नकारात्मकता का भाव पैदा करती है परिणाम स्वरूप आमजन में विश्वास की बजाय अविश्वास और असंतोष बढ़ जाता है इसके लिए बहुत से कारण जिम्मेदार हैं और सबसे बड़ा कारण पुलिस की जवाबदेहीता में खोजा जा सकता है.

लोकतांत्रिक देश में पुलिस को नागरिकों के प्रति जवाबदेह  होना चाहिए इसके द्वारा ही आमजन में विश्वास जगाकर  सुशासन की स्थापना की जा सकती है.

परिवर्तन ही संसार का नियम है और इतिहास गवाह है कि जिस व्यवस्था ने अपने आप को समय के अनुसार प्रतिस्थापित कर लिया वही व्यवस्था अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में अधिक सफल रही है इसलिए पुलिस में संस्थागत सुधारों की आवश्यकता महसूस की गई है.

सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने ऐतिहासिक निर्णय तथा समय-समय पर गठित पुलिस सुधारों के लिए विभिन्न आयोग व समितियों ने भी व्यापक स्तर पर सुधारों की सिफारिशें दी है.

पिछले कुछ वर्षों  में घटित घटनाओं ने पुलिस व्यवस्था में सुधार तथा पुलिस की अहम भूमिका को बदलते  समय तथा सामाजिक परिवेश के अनुसार ढलने की गुंजाइश को इंगित किया है, समाज के कमजोर तथा पिछड़े वर्गों के प्रति पुलिस  का मित्रता पूर्ण व्यवहार  आवश्यक है.

पुलिस आवश्यक क्यों है?

अगर पुलिस व्यवस्था ना हो तो अराजकता का माहौल पैदा होता या ऐसे  कहें कि पुलिस के बिना कानून व्यवस्था रूपी इमारत आधारहीन हो जाएगी तो गलत नहीं होगा.

जैसे जैसे अपराधों की प्रकृति में परिवर्तन आया है पुलिस की भूमिका भी उसी प्रकार से बदल रही है वर्तमान के सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में साइबर क्राइम तथा नागरिकों की निजता के मामलों में भी पुलिस की भूमिका अहम हो जाती है.

हमारे देश में चुनाव का माहौल हो या फिर कोई प्राकृतिक आपदा हो उस समय पुलिस की भूमिका आवश्यक रूप से जन हितेषी हो जाती है.

अब सवाल ये उठता है कि आखिरकार वे कौन से तत्व जिनकी बदौलत पुलिस की  छवि हमारे समाज में रक्षक की बजाय नकारात्मकता का भाव लिए हुए  है??

और इस मामले में भ्रष्टाचार  नाम सबसे ऊपर है क्या इसके लिए हमारी व्यवस्था जिम्मेदार है या फिर नागरिक इसी तरह के कई सवाल आप सोचते होंगे या सुनते होंगे.

अब जरा गौर करिए  हमारे देश में कानून निर्माण की शक्ति केंद्र में संसद तथा राज्यों में राज्य विधायिका को दी गई है   अतः आवश्यकता है कि पुलिस सुधार से संबंधित कानून बनाया जाए.

आपराधिक गठजोड़ को तोड़ा जाए, और सबसे महत्वपूर्ण बात पुलिस अपनी भूमिका को अच्छी तरह से  निभाए इसके लिए जरूरी  है कि उनको स्वविवेक, स्वतंत्रता , बिना किसी बाहरी  दबाव के काम करने दिया जाए, पर्याप्त वेतन और भत्ते  भी आवश्यक है.

निष्कर्ष ,कहा जा सकता है की पुलिस की भूमिका प्रत्येक राज्य के लिए, rule of law की स्थापना के लिए, शांति व्यवस्था स्थापित करने तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए, अपराधियों में भय तथा आमजन में विश्वास के लिए पुलिस काम करती है.

साथ ही राष्ट्र को अंदरूनी समस्याओं से बाहर निकालने के लिए, आपदाओं पर विजय पाने के लिए, सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा के लिए, तथा नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के रूप में पुलिस की भूमिका अति महत्वपूर्ण है.

पुलिस का प्रमुख कार्य क्या हैं?

कार्य व्यवस्था बनाएं रखना

पुलिस विभाग कौन कौनसे पद होते हैं?

कांस्टेबल जीडी, कांस्टेबल ट्रेडमैन, सब इंस्पेक्टर, सहायक उप निरीक्षक

पुलिस स्टेशन को आम भाषा में क्या कहते हैं?

  • ट्रैफिक पुलिस पर निबंध
  • पुलिस की वर्दी पर शायरी
  • पुलिस स्टेटस शायरी कोट्स
  • राष्ट्रीय सुरक्षा पर निबंध

आशा करता हूँ दोस्तों भारतीय पुलिस पर दिया गया निबंध Essay on Police in Hindi आपकों पसंद आया होगा,

यदि आपकों इस निबंध में दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे.

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मैं एक पुलिस अधिकारी क्यों बनना चाहता हूँ पर निबंध (Why I Want to Become a Police Officer Essay in Hindi)

पुलिस का काम एक बहुत ही दिलचस्प पेशा है और हमारे भारतीय सिनेमा में हमारे हीरों या नायक ने फिल्मों में पुलिस की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कार्य किया है। पुलिस हमारी सुरक्षा को सुनिश्चित करती है, और हमारे लिए दिन-रात काम करती रहती है। हमने यहां पुलिस पर कुछ छोटे और बड़े निबंध और समाज में उनके महत्व के बारे में चर्चा की है, आशा है कि यह आपको अवश्य पसंद आएगा।

मैं एक पुलिस अधिकारी क्यों बनना चाहता हूँ पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Why I Want to Become a Police Officer, Mai Ek Police Adhikari kyo banana chahata hu par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 शब्द) – मैं पुलिस क्यों बनना चाहता हूँ.

हमारे सामाज के लोगों को जैसे इलाज के लिए डॉक्टर की जरुरत होती है, इमारतों के निर्माण के लिए एक इंजीनियर की जरुरत होती है, उसी तरह अपने आस-पास के इलाकों में शांति और सौहार्द के बनाए रखने के लिए एक पुलिस की आवश्यकता होती है। हमारे सामाज में विभिन्न तरह के लोग एक साथ रहते है और एक साथ रहना भी उनके लिए आपसी संघर्ष को भी बढ़ा सकता है। इसलिए समाज में शांति बनाए रखने और किसी भी तरह के अपराध की घटना को रोकने के लिए ही हमारी पुलिस दिन-रात कार्य करती है।

पुलिस के कुछ प्रमुख गुण

पुलिस सामाज का सबसे भरोसेमंद अधिकारी होता है। वो अपने जीवन की परवाह किये बिना दूसरों की मदद करते है। हमारी मदद करते हुए उन्हे विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वो इन सब चीजों से कभी नही झिझकते है, और उनकी यही बाते मुझे पुलिस अधिकारी बनने का हौसला देती है। पुलिस के कुछ प्रमुख गुण है –

  • अमिर हो या गरीब वे सभी की मदद करते है। वो कभी भी पैसों के लिए लोगों में भेदभाव नहीं करते है।
  • उनके पास अपराधियों को पकड़ने की पावर (शक्ति) होती है और ये समाज में एक सकारात्मक सोच और दृष्टिकोण विकसित करते है, क्योंकि कुछ लोगों को उनके गलत होने या अवैध होने पर पकड़े जाने का डर होता है।
  • वे कभी भी किसी मामले को सम्भालते हुए घबराते या संकोच नहीं करते है क्योंकि वे बहादुर और साहसी होते है।
  • जबकि लोगों की मदद करना उनका कर्तव्य है, फिर भी कभी-कभी वो अपना और अपने परिवार के बारे में कुछ सोचे बिना लोगों के लिए ओवरटाइम काम करते है।

मैं वास्तव में एक पुलिस अधिकारी बनना चाहता हूँ और मैं अपने राष्ट्र के लिए मदद करना चाहता हूँ। मैं भी मजबूत हूँ और किसी भी चोर या अपराधी को बाहर घुमने नही देना चाहता हूँ। इससे हमारी माताएं और बहने सड़कों पर खुद को सुरक्षित महसूस करेंगी और अपराध की दर में भी कमी आएगी। मैं वास्तव में अपने समाज के साथ-साथ राष्ट्र के लिए कुछ करना चाहता हूँ, और एक पुलिस अधिकारी बनकर दूसरों की मदद करना सर्वोत्तम तरीकों में से एक है।

निबंध 2 (400 शब्द) – पुलिस अधिकारी कैसे हमारी मदद करता है

हर देश के अपने ही नियम और कानून होते है और ये नियम ही देश के सोहार्द (सद्भाव) को कायम रखने के लिए बनाए जाते है। कभी-कभी लोग इन नियमों को नकारते है, और कुछ अवांछित चीज करते है और दूसरों को परेशान करते है। इसलिए समाज पर नजर रखने के लिए सरकार ने पुलिस को बनाया है। पुलिस समाज में शांति बनाए रखने वाली एक सरकारी संस्था है। ये अलग-अलग तरीकों से लोगों की मदद करती है और लोगों को कभी भी परेशानी का सामना नही करने देती है।

पुलिस लोगों की मदद कैसे करती है

मुझे नही लगता है कि मैं एक छोटे से निबंध को लिखते हुए, उनके सभी कर्तव्यों का उल्लेख कर सकूंगा। लेकिन यहां मैं पुलिस की जिम्मेदारियों को दिखाने की पूरी कोशिश करूंगा।

  • हर इलाके का अपना एक अलग थाना होता है, और वो हमेशा आपकी परेशानियों को सुनने के लिए ही होता है। कभी-कभी हम कुछ परेशानियों का सामना करते है, जैसे कि पड़ोसियों से हुई परेशानी, किसी तरह की चोरी, जमीन विवाद, इत्यादि। ऐसी परिस्थिति में हम अपने नजदीकी पुलिस थाने में पुलिस के पास जाते है, और वो आपकी मदद करते है।
  • वो आपके लिए 24×7 काम करते है और ये सुनिश्चित करते है कि आप चाहे सड़क पर हो या घर में आप सुरक्षित रहें।
  • वो कई अनसुलझें मामलों को भी हल करते है और वास्तविक चोर को पकड़ कर कानून की मदद से जेल में डालते है।
  • पुलिस आपको जानकारियां भी प्राप्त करवाती है, उदाहरण के लिए कोरोना महामारी में मैनें पुलिस को कई विभिन्न सूचनाओं की घोषणा करते देखा है।
  • वे हमेशा आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए आपकी रक्षा करते है। हालांकि यह उनका कर्तव्य है कि वो अपने परिवार की तरह आपके साथ व्यवहार करें।
  • वे पूरे राष्ट्र की सुरक्षा करना अपना कर्तव्य समझते है और वो यह भूमिका पूरी ईमानदारी के साथ अच्छे से निभाते है।
  • वे इसके साथ-साथ बहुत चतुर भी होते है और अपनी सामाजिक शक्ति और अपने दिमाग का इस्तेमाल करके किसी भी समस्या को आसानी से हल कर सकते है।

पुलिस : एक असली हीरो

ऐसे कई मामले है जिसके कारण स्पष्ट रुप से यह दिखता है कि हमारी पुलिस कितनी बहादुर है। यहां कई फिल्में ऐसी है जो कि योद्धाओं के वास्तविक जीवन पर बनाई गयी है। वास्तव में पुलिस पेशे का चयन करने के लिए बहुत ही साहस की जरुरत होती है। कौन किसी मामले को सुलझाने के लिए कई दिनों तक अपने परिवार से दूर रहना चाहता है? वो हमे प्रेरित करते है और वो हमारे समाज के साथ-साथ हमारे राष्ट्र के वास्तविक नायक है।

ये हमारे सामाज के लिए एक सकारात्मक छवि बनाते है और हम में से अधिकांश लोग उनके जैसा बनना चाहते है। वे किसी भी अपराधी या चोर को कभी नहीं छोड़ते है। वो हमेशा यह सुनिश्चत करते है कि हम सभी सुरक्षित है। उन्होंने इस कोरोना महामारी में एक योद्धा की तरह काम किया है। वास्तव में हमें उनकी और उनके कामों का सम्मान और उनकी सराहना करनी चाहिए।

यदि आप मुसीबत में हो और उसी समय सौभाग्य से आपको पुलिस के सायरन की आवाज सुनाई दें, तो सचमुच में यह घटना आपके आंखों में आंसू ला सकती है। यह सायरन ही सुनिश्चित कर देता है कि वो आपकी मदद के लिए आ रहे है। पुलिस हमें सुरक्षित महसुस कराती है और सुरक्षा ही एक ऐसी चीज है जिसको लेकर आप दुसरों पर भरोसा नहीं कर सकते है। आप कभी भी यह सुनिश्चित नहीं कर पाते है कि आपका नौकर आपके प्रति हमेशा वफादार रहेगा, लेकिन आप पुलिस के बारे में सुनिश्चित हो सकते है। मैं भी एक पुलिस आफिसर बनना चाहता हूँ और लोगों की सहायता करना चाहता हूँ।

निबंध 3 (600 शब्द) – समाज के लिए पुलिस अधिकारी का महत्व

पुलिस एक सरकारी संस्थान है जो हमारे शहरों और समाज का निर्माण करते है, ताकि अपराध के दरों को कम कर सके। वे अपना कर्तव्य निभाते है और यह जांचते है कि क्या उनके इलाके में सबकुछ ठीक है। वे विभिन्न प्रकार के होते है, उनमें से कुछ अपराधियों को संभालते है, वही कुछ लाइसेंस की जांच करते है। आपने कुछ पुलिस अधिकारीयों को सड़क के किनारे ड्राइविंग लाइसेंस और कुछ महत्वपूर्ण चीजों की जांच करते हुए देखा ही होगा। वही दूसरी तरफ आपने कुछ पुलिस अधिकारियों को एक मामले की जांच कर सुलझाने और चोर या अपराधी को जेल ले जाते हुए भी देखा होगा। सभी एक साथ मिलकर हमारे देश के सामंजस्य को बनाए रखते है।

एक पुलिस अधिकारी का महत्व

एक पुलिस अधिकारी की कई जिम्मेदारियां होती है, एक तरफ जहां उन्हें समाज में शांति बनाए रखनी होती है और वही दूसरी ओर उन्हें अपराधियों को भी पकड़ना होता है। यदि किसी भी इलाके का अपराधिक दर बढ़ता है तो उन्हें अपने उच्च अधिकारीयों को उसका जवाब देना होता है। पुलिस वह नहीं होती है जो कि पुलिस थाने में बैठती है और रिपोर्ट लिखती है। ये कई मामलों को सुलझाते है और कुछ अनसुलझे हत्या के रहस्य को भी सुलझाते है।

वे बहुत स्मार्ट, बहादुर, चालाक होने के साथ ही साथ बहुत चौकन्ने भी होते है, क्योंकि एक भी गलती मामले को अनसुलझा ही रख सकती है। वास्तव में ये ही एक वास्तविक नायक होते है। बहुत से लोगों का कहना है कि इनके काम के कारण ही हमारे सामाज में सौहार्द है और अपराधिक दरों में भी कमी होती है। लेकिन मेरे विचार से हर एक को कोशिश करनी चाहिए कि हम पुलिस अधिकारीयों के कार्य में अपना सहयोग दें। क्योंकि हम सभी इसी समाज में रहते है और घर से बाहर रहने पर हर किसी को अपनी आंखे खुली रखनी चाहिए।

पुलिस का सहयोग कैसे करें

  • जब आप घर से बाहर निकलते है तो हमेशा सावधान रहे। कभी-कभी चेन-स्नेचर या पर्स-स्नेचर आप पर हमला कर सकते हैं। इसलिए पुलिस को कोसने के बजाय आप सड़क पर खुद ही चौकन्ने रहें। क्योंकि पुलिस हर जगह मौजूद नही रह सकती है, यहां भारत में 135 करोड़ से ज्यादा लोग रहते है और यहां हर एक को सुरक्षा मुहैया करवाना बहुत ही मुश्किल है।
  • कभी-कभी पुलिस आपको रोकती है और कुछ सवाल करती है, इसलिए उनके काम में कभी बाधा न बने और उनका सहयोग करे, क्योंकि कभी-कभी किसी मामले की छानबिन में कुछ विवरण बहुत आवश्यक होता है। इसलिए उनके साथ कभी दुर्व्यवहार या बहस न करें, उनका सम्मान करें और उनके सवालों का उत्तर दें।
  • सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक यह है कि आप नियमों का पालन करें, यदि सरकार ने कुछ नियम बनाए है तो आपको उन नियमों का पालन करना चाहिए। आप यह नहीं जानते है कि पुलिस के लिए कितना मुश्किल और कष्टप्रद है, हमेशा यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपने हेलमेट पहना है या नहीं। यह सब केवल आपकी सुरक्षा के लिए है, वो तो बस यह सुनिश्चित करते है कि बनाए गए नियमों का आप पालन करे।
  • आप एक सच्चे नागरिक बने। मान लीजिए कि आप किसी को कुछ गलत करते हुए देखते है तो आप उन्हें रोके। देश के एक नागरिक होने के नाते आपके पास किसी भी गलत कार्य के खिलाफ आवाज उठाने का पूरा हक़ है। आजकल लोग पुलिस का इंतजार करते है और विडियों बनाने लगते है। विडियों को बनाने और सोशल मिडिया पर पोस्ट करने के बजाय आप अपने स्तर पर उसकी मदद करने की कोशिश करें।

हम में से कई लोग एक छोटी सी घटना के लिए भी बस पुलिस को ही कोसते है, किसी मानसिक और शारीरिक दबाव को सोचे बिना वो रोज अपना कार्य करते है। यह संभव है कि हम कभी-कभी तनाव लेते है लेकिन आपको पता भी नहीं होगा कि वह रोजाना कितने तनाव को संभालते होंगे। उनको सम्मान दे और उनके कार्यों की सराहना करें। कोरोना महामारी में अस्पताल के कर्मचारियों के अलावा अन्य योद्धाओं में पुलिस अधिकारी भी शामिल थे। उन्होंने अपने जीवन के बारे में सोचे बिना 24×7 काम किया और इसके लिए वास्तव में दिल से सलामी और ढ़ेर सारी शुभकामनाओं के पात्र है। उन्होंने हम में से कई लोगों को प्रेरित भी किया है और मैं उनमें से एक हूँ। मैं एक पुलिस अधिकारी बनना चाहता हूँ और अपने देश की रक्षा करना चाहता हूँ, यह मेरे लिए काफी गर्व की बात होगी।

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If I Were A Police Officer Essay in Hindi

If I Were A Police Officer Essay in Hindi 800 Words

आज के युग में एक पुलिस अधिकारी होना बहुत बड़ी बात समझी जाती है। वह इसलिए नहीं कि पुलिस अधिकारी बने व्यक्ति के पास कई प्रकार के अधिकार होते हैं। उन अधिकारों का उपयोग कर के वह जीवन और समाज को सुरक्षा तो प्रदान कर ही सकता है, समाजसेवा के अनेकविध कार्य भी सम्पादित कर-करा सकता है। वह हर प्रकार की अराजकता और अराजक तत्त्वों पर अंकुश लगाने में सफल हो सकता या हो जाया करता है। नहीं, आज का पुलिस अधिकारी इतना ही दूध का धुला नहीं हुआ करता कि जो कोई व्यक्ति वह सब बनना चाहे।

वास्तव में आज जो एक पुलिस अधिकारी होना बड़ी बात समझी जाती और लोग वैसा बनना चाहते हैं, वह इसलिए कि पुलिस अधिकारी एक कई प्रकार के अधिकार प्राप्त एक वर्दीधारी व्यक्ति होता है। सामाजिक-असामाजिक सभी तरह के तत्त्व उससे खूब दबते और उस का मान-सम्मान करते हैं। मोटी तनख्वाह के साथ-साथ उसकी दस्तूरी या ऊपर की आमदनी भी काफी मोटी होती है। यों असामाजिक तत्त्व उसे अपनी जेब में लिये घूमा करते हैं, पर प्रत्येक असामाजिक या अनैतिक कार्य से होने वाली आय का एक निश्चित हिस्सा नियमपूर्वक उसके पास पहुँचता रहता है। उसकी तरफ को कोई उँगली तक नहीं उठा सकता। जिसे चाहे बन्द कर-करवा दे, जिसे चाहे छुड़वा दे और छुट्टा घूमने दे। आप ही सोचिए, जब एक सब इन्स्पैक्टर रैंक का अधिकारी अपनी आलमारी में सैंकड़ों सूट, पत्नी की सैंकड़ों साड़ियाँ, दो-तीन लाख रुपये, बैठक में हर तरह का इम्पोर्टिड सामान रख सकता है; एक हवलदार के घर से बढ़िया बादामों की पूरी बोरी बरामद हो सकती है; तो फिर पुलिस के बड़े अधिकारी के पास क्या-कुछ नहीं होगा? इन्हीं कारणों से पुलिस अधिकारी होना बहुत बड़ी बात समझी जाती है।

लेकिन नहीं, मेरे मन में पुलिस अधिकारी बनने की बात तो बार-बार आती है; पर उसके पीछे ऊपर बताया गया कोई कारण कतई नहीं है। मैं अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर सुविधा-सम्पन्न व्यक्ति कदापि नहीं बनना चाहता। मैं नहीं चाहता कि मेरा लड़का बुलेट मोटर साइकिल पर दनदनाता हुआ जिस किसी पर भी रोब गाँठता फिरे। मेरी लड़की कार में कॉलेज-स्कूल और पत्नी विदेशी कार में बाज़ार करने जाए। मैं यह भी नहीं चाहता कि समाज के इज्ज़तदार आदमी डर कर मुझे सलाम करें और बहुमूल्य उपहार भेजें। इसके साथ यह भी नहीं चाहता कि अराजक और गुण्डा-तत्त्व मुझे अपनी जेब में समझ या मान कर छुट्टे घूमते रह कर जन-जीवन को आतंकित करते फिरें। माफिया तत्त्व नशे के नाम पर जहर और मौत बेचकर अपनी आय का एक नियमित हिस्सा मेरे घर पहुँचाते रहें। नहीं, मैं यह भी कदापि नहीं देख और चाह सकता कि समगलर और काला-धन्धा करने वाले मुझे खुश करके या मेरे मातहत काम करने वालों को लुभा कर देश की अर्थ-व्यवस्था के साथ खुला खिलवाड़ करते रहें। सच, यदि मैं पुलिस-अधिकारी होता तो कम-से-कम अपने अधिकार क्षेत्र में तो ऐसा कुछ भी नहीं होने देता।

आज हमारे पुलिस के महकमे पर कर्त्तव्यहीनता, आम जनों की उपेक्षा, अराजक तत्त्वों को संरक्षण देने, अन्याय-अत्याचार को बढ़ने देने, जन-आक्रोश के समय सयम और बुद्धिमत्ता से काम न लेने, प्रदर्शन कर रहे जन-समूह पर बिना प्रयोजन और बिना चेतावनी दिए हुए, मात्र प्रतिक्रियावादी बन कर बदले की भावना से लाठी-गोली चलवा देने, निरीह स्त्रियों के साथ बलात्कार करने, निरपराध लोगों को थाने में बन्द करवा छोड़ने के लिए रिश्वत माँगने और न दे पाने पर झूठमूठ के अपराध कबूलवाने के लिए थर्ड डिग्री का प्रयोग करने, बनावटी मुठभेड़ दिखा कर बेगुनाह लोगों को मार डालने, चोरों-डकैतों को तो जान-बूझकर न पकड़ने, थाने में आम आदमियों द्वारा की गई शिकायतों की प्राथमिक रिपोर्ट बिना घूस खाए न लिखने जैसे जाने कितनी प्रकार की शिकायतें की जाती हैं, सुनने को मिलती हैं। मुझे पता है कि उनमें पूर्णतया सच्चाई है। अतः यदि मैं पुलिस-अधिकारी बन जाऊँ. तो लगातार परिश्रम करके, उचित-अनुचित का ध्यान रख और विवेक से काम लेकर इस प्रकार की सभी शिकायतों को अवश्य ही जड़-मूल से मिटा देता।

आजकल अक्सर होता क्या है कि पुलिस की वर्दी पहनते ही आदमी अपने-आप को खुदा, बाकी लोगों से अलग और जनता का स्वामी मानने लगता है; फिर चाहे वह वर्दी थाने के चपरासी या आम सिपाही की ही क्यों न हो। मैं यदि पुलिस-अधिकारी होता; तो इस हीनता-ग्रंथि को, इस प्रवृत्ति को जड़-मूल से ही उखाड़ फेंकता। पुलिस में आने वाले प्रत्येक छोटे-बड़े व्यक्ति को यह व्यावहारिक रूप से अच्छी तरह समझने का प्रयत्न करता कि वर्दी पहन लेने वाला व्यक्ति न तो विशिष्ट हो जाता है और न अन्य सामाजिक प्राणियों से अलग ही। पुलिस में होना उसी प्रकार की जन-सेवा का कार्य है जैसा कि किसी अन्य महकमे का हुआ करता है। कहने का तात्पर्य यह है कि मैं पुलिस अधिकारी बन कर उस समूची मानसिकता को बदलने का प्रयास करता कि जिसके कारण हमारे स्वतंत्र और जनंतत्री देश की पुलिस स्वतंत्र और सभ्य, सुसंस्कृत देशों जैसी नहीं लगती। वर्तमान मानसिकता-परिवर्तन बहुत ज़रूरी है।

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