speech on ekta in hindi

25,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today

Here’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more.

speech on ekta in hindi

Verification Code

An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify

speech on ekta in hindi

Thanks for your comment !

Our team will review it before it's shown to our readers.

speech on ekta in hindi

  • Essays in Hindi /

जानिए राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण को कैसे शानदार बनाएं?

' src=

  • Updated on  
  • अक्टूबर 28, 2023

राष्ट्रीय एकता पर भाषण

हम जब भी राष्ट्र शब्द सुनते, लिखते या पढ़ते हैं, तो हमारे जहन में जो छवि बनती है वो एक ऐसे राष्ट्र की बनती है, जिसने हमें वसुधैव कुटुंबकम की परिभाषा के माध्यम से हर शरणार्थी को सम्मान से देखना सिखाया है। ऐसा राष्ट्र जिसने हमें सामान अधिकार देकर वीरों की भातिं जीवन जीना सिखाया। वह राष्ट्र कोई और नहीं बल्कि अपनी मातृभूमि-अपना “भारत” राष्ट्र ही है। राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण लिखकर या पढ़कर आप भारत की अखंडता का संकल्प ले सकते हैं।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण का यह ब्लॉग आपको समझायेगा कि आखिर क्यों हमें राष्ट्रवादी होने की आवश्यकता है, कि आखिर क्यों हमें यह अंतर समझने की आवश्यकता है कि भारत केवल एक देश नहीं, बल्कि एक जीवंत राष्ट्र है। इस ब्लॉग के माध्यम से आप आज जानेंगे कि अपनी मातृभूमि, अपनी मातृभाषा और अपनी स्वतंत्रता को बचाये रखने के लिए, खुद के भविष्य को संरक्षित रखने के लिए राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता क्यों है? 

This Blog Includes:

राष्ट्र का सही अर्थ क्या है, राष्ट्रीय एकता क्या है, राष्ट्रीय एकता दिवस कब मनाया जाता है, राष्ट्रीय एकता पर भाषण कैसे लिखें, राष्ट्रीय एकता पर भाषण क्यों जरूरी है, राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता, राष्ट्रीय एकता पर निबंध, किन मौकों पर राष्ट्रीय एकता पर बोला जा सकता है.

यूँ तो राष्ट्र शब्द को परिभाषित करने के लिए लोगों ने अपनी बौद्धिक क्षमता के आधार पर, अनेकों कथन कहे या अनेकों प्रकार से इसको परिभाषित किया। लेकिन यदि हम इस शब्द का अर्थ समझने का प्रयास करे तो यह कुछ ऐसा होगा कि चेतना को प्राप्त करने की वह यात्रा, जो खुद में संभावनाओं के साथ सम्मान के भाव लेकर लोगों को प्रेरित करती हो, वही यात्रा राष्ट्र कहलाती है। राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण एक अद्भुत तरीका है, जिसके माध्यम से समाज में एकता की भावना को बढ़ावा मिलता है।

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो राष्ट्र की परिभाषा, प्राचीन भाषा संस्कृत के शब्दों से श्रृंगारित होती है, जो कि वेदों में भी विद्यमान है। राष्ट्र की परिभाषा ऋग्वेद में कुछ इस प्रकार है:

आ राष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्योऽतिव्याधी महारथो जायताम्‌

अर्थात् हमारे राष्ट्र में क्षत्रिय, वीर, धनुषधारी, लक्ष्यवेधी और महारथी हों।

अथर्ववेद में भी राष्ट्र के प्रति लिखी गयी पंक्तियाँ निम्नलिखित है, जिनका अर्थ धन-धान्य दुग्ध आदि से संवर्धन प्राप्ति की कामना के रूप में है; अभिवर्धताम् पयसाभि राष्ट्रेण वर्धताम् । 

वैदिक साहित्य में राष्ट्र से संबंधित शब्दों का अत्यधिक प्रयोग किया गया है जैसे: साम्राज्य, स्वराज्य, राज्य, महाराज्य आदि। 

कोई भी देश एक राष्ट्र तभी हो सकता है जब उसमें देशवासियों को भी आत्मसात करने की शक्ति हो यानि कि राष्ट्र वही है जहाँ अनेक मत, पंथ, भाषा या भेषभूषाएं भिन्न ही क्यों न हो पर भौगोलिक दृष्टि और सांस्कृतिक दृष्टि से धर्म और संस्कृति एक ही हो और जनता या प्रजा पूरी ईमानदारी से अपने राष्ट्र धर्म का पालन करती हो, आसान भाषा में राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए।

यह आवश्यक नहीं कि राष्ट्र निर्माण के लिए किन्हीं विशेष तत्वों का प्रावधान हो “सामान धर्म, जाति, भाषा, संस्कृति के लोगों में एकता के साथ रहने की ललक होनी चाहिए। यह लालसा किसी सत्ता को पाने की नहीं बल्कि राष्ट्र का संरक्षण करने की होनी चाहिए।” राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण के माध्यम से समाज को एकता के साथ रहने का मंत्र देना चाहिए।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण के अनुसार किसी भूमि के एक खंड को आप राष्ट्र नहीं कह सकते हैं, बल्कि राष्ट्र के लिए उस भूभाग पर रह रहे लोगों का धर्म और संस्कृति एक ही होती है, फिर चाहे मत, पंथ या जाति भिन्न ही क्यों न हो। आपके मन में अगला सवाल यही होगा कि आखिर धर्म से राष्ट्र का क्या सम्बन्ध, तो आपको जान लेना चाहिए कि धर्म वही है, जो आपको कर्मो की और ले जाता हो और कर्मों का पालन करना सिखाता हो। धर्म वह पथ है जिसपर चलकर आप यश और कीर्ति कमाते है, इसीलिए राष्ट्र की उन्नति के लिए हम सभी को राष्ट्रीय धर्म का पालन करना चाहिए। राष्ट्र धर्म को आसान भाषा में राष्ट्रीय एकता के माध्यम से समझा जा सकता है।

राष्ट्रीय एकता का अर्थ यही है कि जहाँ पूजा पद्धतियां, रीति-रिवाज़, मत, पंथ या जाति अलग होने के बावजूद भी लोगों में राष्ट्र धर्म की भावना सर्वोपरि हो और खुद से पहले राष्ट्रहित सर्वोपरि हो। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान सभा के सदस्यों ने संविधान लिखते समय भारत को एक पंथ निरपेक्ष देश लिखा था क्योंकि यहाँ का धर्म सनातन है, शास्वत है। भारत की महान सनातन परंपरा का एक ही मंत्र “सर्वे भवन्तु सुखिनः” और एक ही अटल लक्ष्य “वसुधैव कुटुंबकम” है।

कोई भी देश उन्नति करके समृद्धशाली राष्ट्र तभी बनता है, जब उसमें रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति का संकल्प “राष्ट्रहित सर्वोपरि” हो। कभी भी किसी भी बाहरी ताकत की कुदृष्टि हमारी मातृभूमि की ओर न पड़े, इसके लिए राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना अनिवार्य हो जाता है।

भारत की आजादी के समय अंग्रेजों ने भारतीय रियासतों के सामने 3 शर्तें राखी थीं, जिसमें पहली भारत में विलय, दूसरी पाकिस्तान में विलय या तीसरी स्वतंत्र रहने की थी। इन्हीं शर्तों को देखकर पाकिस्तान ने कई रियासतों को अपने पक्ष में करने की नाकामयाब कोशिश प्रारंभ की। यह देखकर भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के विचारों से प्रेरित होकर 565 रियासतों ने भारतीय एकता के पक्ष में आने का प्रण किया। राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण आपको निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से बताएगा कि राष्ट्रीय एकता दिवस कब और क्यों बनाया जाता है;

  •  राष्ट्रीय एकता दिवस भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री अथवा गृहमंत्री लोहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्म जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, क्योंकि उन्होंने 562 रियासतों को भारत में विलय करा कर, भारत को अखंड बनाया था।
  • भारत ने 2014 में प्रथम बार राष्ट्रीय एकता दिवस को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया था, इस दिन बड़े स्तर पर “रन फॉर यूनिटी” जैसी मैराथन रेस का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारत का हर नागरिक हिस्सा लेता है।
  • पिछले वर्ष भारत ने 147 वां राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया।
  • भारत के हर नागरिक को सामान मौलिक अधिकार मिले और सभी राष्ट्रीय अखंडता के लिए एकता से रहें, तांकि फिर कोई हमारी मातृभूमि पर अपनी कुदृष्टि न डाल सके। इसके लिए वर्ष 2014 में, भारत सरकार ने लोहपुरुष को सम्मानित स्थान देते हुए हर वर्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्मजयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया। 

राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण के लिए कुछ भी कहने या लिखने के लिए आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि यह संवेदनशील विषय है जो देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा अथवा उसे प्रभावित करता है। राष्ट्रीय एकता पर भाषण लिखने के लिए आपको उचित शब्दावली का प्रयोग करना होता है, सही जानकारी लिखनी होती है जिसके तथ्य सत्य हो। निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखकर आप आसानी से राष्ट्रीय एकता पर भाषण लिख सकते है;

  • संबोधन का सही तरीका सबसे पहले आदरपूर्वक शब्दों से किया जाता है; जैसे मेरे प्यारे देशवासियों, मेरे देश का भविष्य युवा साथियों, मातृभूमि के वीर सपूतों, वीरों की धरा पर रहने वालो, वीरांगनाओं की संतानों, नौजवान साथियों, माताओं और बहनों इत्यादि।
  • फिर अपने राष्ट्र के इतिहास पर प्रकाश डाला जाता है कि कैसे मानवता के पक्ष में या लोकहित के कार्यों में, हमारा राष्ट्र सदैव आगे रहा, अतीत में हमारे राष्ट्र के साथ क्या कुछ घटित हुआ क्योंकि बिना अपनी जड़ों से जुड़े, बिना अपने इतिहास पर गौरव किये आप आत्मनिर्भर भविष्य का निर्माण नहीं कर सकते है।
  • फिर आप अपने राष्ट्र की वर्तमान दशा और दिशा के बारें में लिख सकते हैं, जिसमें ध्यान रहे कि आपको सकारात्मकता को प्राथमिकता देनी है। इसका कारण यह है कि भाषण जितना सकारात्मकता से भरपूर रहेगा, आप उतने ही लोगों तक अपने विचारों को आसानी से पहुँचा पाएंगे।
  • फिर आप अपने दूरगामी दृष्टिकोण को भाषण में लिख सकते हैं, क्योंकि बिना इसके आप भाषण का उद्देश्य स्पष्ट नहीं कर सकते हैं। जितना आप अपने दूरगामी सोच का परिचय पूरी सकारत्मकता के साथ देंगे, उतना ही आप अपने भाषण को सार्थक बना पायेंगे और उतना ही आप ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपने शब्दों द्वारा पहुँच पायेंगे।
  • याद रहे भाषण के अंत में आपके राष्ट्र का जयगान, जयघोष या जयकारा होना जरूरी है। इसका कारण यह है कि इससे आपकी सोच सकारात्मक होगी। यह आपकी बातों को गंभीर और आपके कर्तव्यों को दूरगामी बनाएगा। साथ ही राष्ट्र का जयघोष ही जन-जन में राष्ट्रीय भावना को जागृत करता है।  

राष्ट्रीय एकता पर भाषण क्यों आवश्यक है, क्योंकि बिना राष्ट्र की खुशहाली के आप खुश नहीं हो सकते है। राष्ट्रीय एकता इसलिए भी आवश्यक है कि राष्ट्र को फिर से तोड़ने की साजिश करने वालों से राष्ट्र को सुरक्षित किया जा सके। यह आवश्यक है क्योंकि हर मत, पंथ या जाति से ऊपर उठकर हमारी प्राथमिकता राष्ट्र के प्रति सर्वोपरि होनी चाहिए। राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना ही हमें विश्व का नेतृत्व करने के लिए सक्षम बनाती है।

राष्ट्र एक जीवंत आत्मा की तरह होता है, राष्ट्र केवल एक भूभाग नहीं बल्कि यह यहाँ रहने वाले लोगों की संस्कृति, सभ्यता और यहाँ के विचारों का एक मिश्रण होता है। यह मिश्रण ही राष्ट्र के प्रति सम्मान और हम में राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना को जागृत करता है।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण एक ऐसा माध्यम है, जो राष्ट्र को एकजुट करने के लिए, राष्ट्र के लोगों को एकतासूत्र में बांधने का काम करता है। राष्ट्र की संस्कृति, संस्कारों, स्वतंत्रता और धर्म के संरक्षण के लिए राष्ट्र के लोगों में एकता का होना आवश्यक है। यही बात लोहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी जानते थे, इसीलिए उन्होंने सदैव भारत राष्ट्र के लोगों को एकता से रहने का मंत्र दिया।  

राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण के माध्यम से आप राष्ट्रीय एकता पर निबंध भी लिखना सीख सकते हैं, जिसको कि लिखने का फॉर्मेट कुछ इस प्रकार है कि आपको पहले निबंध के संकेत बिंदु लिखने होते है। इसके बाद आपको इसकी प्रस्तावना लिखनी होती है, फिर आपको विषय से मेल खाती कुछ हेडिंग्स लिखनी होती हैं। इसके अंत में एक आपको एक सकारात्मक सन्देश के साथ निबंध का निष्कर्ष लिखना होता है, उदाहरण स्वरुप आप नीचे दिए निबंध को पढ़ सकते है;

शीर्षक: राष्ट्रीय एकता संकेत बिंदु: प्रस्तावना, राष्ट्रीय एकता का अर्थ,  राष्ट्रीय एकता का महत्व, एकता में अनेकता भारत की विशेषता, राष्ट्रीय एकता दिवस, निष्कर्ष। प्रस्तावना: भारत एक ऐसा राष्ट्र रहा जिसको सनातन राष्ट्र कहा जाता रहा, क्योंकि यहाँ की संस्कृति, यहाँ के वेदों में भारत को राष्ट्र कहा गया है। सनातन का अर्थ है जो शास्वत है, जो सत्य है, जिसका न कोई आदि है और न कोई अंत। यहाँ की संस्कृति ने हर जीवप्राणी को अपना बंधु, अपना परिजन और सम्पूर्ण विश्व को अपना कुटुंब माना। यहाँ की मानव कल्याणकरी संस्कृति और धर्म को क्षति पहुंचाने के लिए समय-समय पर क्रूरता के उपासको ने असंख्य आक्रमण करे। इसी के चलते फूट डालो और राज करो की नीति को अपनाया, लेकिन आजादी मिलने के बाद भारत ने खुद को अभिभाजित बनाया, जिसका श्रेय इतिहास ने लौहपुरुष पटेल जी जैसे राष्ट्रवादी नेताओं को दिया जो कि सही भी था। राष्ट्रीय एकता का अर्थ: जब एक राष्ट्र और उसमें रह रहे लोगों का संकल्प अविभाजित होना बन जाता है अथवा जब हर मत, पंथ या जाति का व्यक्ति सारे रीति रिवाज़ों से परे आकर खुद की पहचान को राष्ट्र की पहचान बताता है, तो वह भाव एक ऐसी शक्ति को जन्म देता है, जो कि राष्ट्रीय एकता कहलाती है। राष्ट्रीय एकता का महत्व: एक राष्ट्र में रहने के नाते आपका पहला लक्ष्य अपने राष्ट्र को नयी ऊंचाई पर ले जाने के साथ-साथ, अपने राष्ट्र की अखंडता और सम्प्रभुता की रक्षा करने का भी होना चाहिए। इसका कारण यह है कि जब आप संगठित रहते हैं, तो इस एकता से आपके शत्रुओं में भी भय की स्तिथि उत्पन्न होती है।  एकता में अनेकता भारत की विशेषता: भारत एक मात्र ऐसा राष्ट्र है, जहाँ पग-पग पर भाषाएं, वेशभूषायें, मत, पंथ के विचार बदलते है। इतनी विविधता के बाद भी जो नहीं बदलता, वो है यहाँ के नागरिकों में राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना। यही भावना राष्ट्र में रहने वाले हर नागरिक को यहाँ की पुण्य भूमि की रक्षा करने के लिए समर्पित होना सिखाती है। इतने सारे मत-पंथ होने के बाद भी यहाँ सबकी केवल एक ही पहचान है, वो है “भारतीय” और इसी कारण एकता में अनेकता भारत की विशेषता है। राष्ट्रीय एकता दिवस: अंग्रेजों के भारत से जाने के बाद अंग्रेजों का लक्ष्य था भारत को फर से खंडित कर देना, इसी कारण मोहमद अली जिन्ना जैसे विभाजनकारियों के कारण भारत में बंटवारा हुआ। यही नहीं अंग्रेज चाहते थे कि भारत कभी एकता सूत्र में न बंध पाए क्योंकि भारत ने इतिहास में भी सदैव विश्व का नेतृत्व ही किया है। इसी कारण भारत को एक राष्ट्र का संदेश देने वाले लौहपुरुष सरदार पटेल जी ने, 562 रियासतों का भारत में विलय कराया और भारत को एक राष्ट्र बनाया। इसीलिए 2014 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (भारत सरकार) ने 31 अक्टूबर को उनकी जन्म-जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।  निष्कर्ष: इस निबंध का उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को यह बताना है कि एकता सूत्र से रहकर हम सभी स्वयं की स्वतंत्रता, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। यह निबंध आज की पीढ़ी को हमारे गौरवमयी इतिहास, भारतीय राष्ट्रीयता की अपार भावना और अपने राष्ट्रीय के प्रति सम्मान के लिए राष्ट्रीय एकता के महत्व को समझाएगा।

राष्ट्रीय एकता पर भाषण यूँ तो आप कभी भी खुद को या खुद से जुड़े लोगों को प्रेरणा देने के लिए, दें सकते है क्योंकि प्रेरणा के लिए जीवंत राष्ट्र से बड़ा कोई स्त्रोत नहीं हो सकता है। इन्हीं कारणों को देखकर भारत सरकार ने आत्म निर्भर भारत, आज़ादी का अमृत महोत्सव अथवा हर घर तिरंगा जैसी मुहीम को चलाया। कुछ विशेष दिन भी हैं जिनमें यदि आप राष्ट्रीय एकता पर भाषण देते, लिखते या पढ़ते है तो आप इसका व्यापक रूप देखते हैं, जो कि निम्नलिखित है।

  • स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्रा दिवस, संविधान दिवस पर आप राष्ट्रीय एकता पर भाषण दे सकते है।
  • भारतीय सेना दिवस, शौर्य दिवस, या अन्य किसी राष्ट्र दिवस पर आप राष्ट्रीय एकता पर भाषण दे सकते है।
  • किसी भी प्रतियोगता में जहाँ आप अपनी लेखनी से बदलाव लाना चाहे वहां भी आप राष्ट्रीय एकता पर भाषण लिख व दे सकते है क्योंकि भाषणों का आधार भाषाएं होती है।  

राष्ट्र कोई एक भूमि का टुकड़ा न होकर उसमें रह रहे लोगों की संस्कृति, संस्कारों, विचारों, अभिव्यक्ति और सामान धर्म का मिश्रण होता है।

राष्ट्रीय दिवस वर्ष 2014 से प्रत्येक वर्ष 31 अक्टूबर को लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्मजयंती के शुभ अवसर पर मनाया जाता है।

राष्ट्र के प्रति सम्मान के भाव को बढ़ाने के लिए, राष्ट्र को अपने गौरवमयी इतिहास पर गर्व महसूस करने के लिए और राष्ट्र के युवाओं में राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना का संचार करने के लिए राष्ट्रीय एकता पर भाषणलिखे, पढ़े और सुने जाने चाहिए।

राष्ट्रीय पर्वों पर या इतिहासिक घटनाओं पर राष्ट्रीय एकता पर भाषणदिया व लिखा जाना अधिक सफल माना जा सकता है क्योंकि इन समय पर देश देशभक्ति के रंगों में होता है।

आशा है कि आपको राष्ट्रीय एकता पर भाषण का यह ब्लॉग जानकारी से भरपूर लगा होगा, ऐसे ही जानकारी से भरपूर अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu से जुड़े रहे।

' src=

मयंक विश्नोई

जन्मभूमि: देवभूमि उत्तराखंड। पहचान: भारतीय लेखक । प्रकाश परिवर्तन का, संस्कार समर्पण का। -✍🏻मयंक विश्नोई

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।

Contact no. *

browse success stories

Leaving already?

8 Universities with higher ROI than IITs and IIMs

Grab this one-time opportunity to download this ebook

Connect With Us

25,000+ students realised their study abroad dream with us. take the first step today..

speech on ekta in hindi

Resend OTP in

speech on ekta in hindi

Need help with?

Study abroad.

UK, Canada, US & More

IELTS, GRE, GMAT & More

Scholarship, Loans & Forex

Country Preference

New Zealand

Which English test are you planning to take?

Which academic test are you planning to take.

Not Sure yet

When are you planning to take the exam?

Already booked my exam slot

Within 2 Months

Want to learn about the test

Which Degree do you wish to pursue?

When do you want to start studying abroad.

September 2024

January 2025

What is your budget to study abroad?

speech on ekta in hindi

How would you describe this article ?

Please rate this article

We would like to hear more.

Hindi Jaankaari

राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण 2022-23 National Unity Day Speech in Hindi – Pledge & Shapath

राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण

राष्ट्रीय एकता दिवस 2022 : भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस लोह पुरुष यानी सरदार वल्ल्भ भाई पटेल के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है | सरदार वल्लभ भाई पटेल एक स्वतंत्रता सेनानी थे उन्होंने देश के लिए कई योगदान दिए हैं | सरदार पटेल द्वारा ही 562 रियासतों का एकीकरण विश्व इतिहास का एक आश्चर्य था क्योंकि भारत की यह रक्तहीन क्रांति थी। इसी एकीकरण के लिए उन्हें लोह पुरुष की उपाधि मिली थी | राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा 2014 में दिल्ली में की गयी थी, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा किया गया | आप ये speech हिंदी, गुजराती, इंग्लिश, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के भाषण प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये भाषण कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

राष्ट्रीय एकता दिवस भाषण

अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है राष्ट्रीय एकता दिवस पर स्पीच लिखें | आइये अब हम आपको राष्ट्रीय एकता पर शायरी, राष्ट्रीय एकात्मता निबंध मराठी, राष्ट्रीय एकता का अर्थ, विश्व एकता दिवस, National Unity Day Essay in Hindi, राष्ट्रीय एकात्मता मराठी, National Integration Day, राष्ट्रीय एकता का महत्व, राष्ट्रीय एकता पर शायरी, राष्ट्रीय एकता कविता, राष्ट्रीय एकता दिवस पर नारे , भारत की एकता पर कविता, एकता पर आधारित कविता, राष्ट्रीय एकता दिवस पर कविता, एकता पर कविता इन हिंदी, अनेकता में एकता पर छोटी कविता, एकता की कविता, एकता की शक्ति पर कविता, आदि की जानकारी 100 words, 150 words, 200 words, 400 words, full collection whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|

यहां मौजूद सभी सज्जनों को मेरी तरफ से नमस्कार! मैं ‘राष्ट्रीय एकता’ के विषय पर एक भाषण पेश करने के लिए आप सबके समक्ष यहां उपस्थित हूं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि इससे देश की एकता और अखंडता पर गहरा असर पड़ता है। राष्ट्रीय एकता का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है कि किसी देश के निवासियों के बीच सामूहिक पहचान की प्राप्ति होना। यह दर्शाता है कि भले ही हम सभी विभिन्न धर्मों, क्षेत्रों, जातियों से संबंधित होते हैं और अलग-अलग भाषा बोलते हो हमें हमेशा यह महसूस करना चाहिए कि हम सभी एक हैं। एक समृद्ध और मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए एकता की यह भावना होना बहुत महत्वपूर्ण है। एकता का वास्तविक अर्थ एक एकीकृत धागे के साथ बहुसंख्यक पहचान का अस्तित्व है। इस विषय पर बेंजामिन फ्रैंकलिन के कुछ अनमोल शब्द इस प्रकार हैं – “राष्ट्रीय एकता एक आम पहचान के लिए पूरे देश के लोगों का एकीकरण है।” भारत एक विशाल प्रदेश है और विभिन्न समुदायों, संस्कृतियों और जातियों के लोग यहाँ एक साथ रहते हैं। सभी समुदायों के लोगों को एक साथ एकता रुपी धागे में बांधे रखना लगभग असंभव लगता है। इन धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेदों के कारण ही हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम बन गया था। अब जब हमारा देश बाहरी खतरों और आंतरिक असंतोष से स्वतंत्र है तो इसकी अखंडता और सम्मान को संरक्षित करने की हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। राष्ट्रीय एकता न केवल एक मजबूत देश के गठन में मदद करती है बल्कि लोगों के विकास को भी प्रोत्साहित करती है। भारत में 19 नवंबर से 25 नवंबर तक की अवधि को आम जनता के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय एकता सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय एकता के विचार ने सामाजिक और धार्मिक मतभेदों को नष्ट करने का भी नेतृत्व किया है। इसलिए यदि हमारे देश के लोग एकता से खड़े रहे तो कई सामाजिक मुद्दों को समाप्त किया जा सकता है। विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग, जो पहले अपने धर्म को दूसरों के धर्म से अच्छा बताते थे, धीरे-धीरे एकता के महत्व को महसूस कर रहे हैं और देश की एकता और सम्मान के समर्थन में खड़े हैं। राष्ट्रीय एकता ने समानता के अदृश्य रुपी धागे के गठन की ओर अग्रसर किया है जो देश को विभिन्न हिस्सों में बांधता है। इससे निश्चित रूप से देश की ताकत में इज़ाफा होता है। स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान हमारे देश के लोग अन्यायपूर्ण विदेशी शासन से स्वतंत्रता हासिल करने के लिए एक साथ आए। अंत में मैं यह कहना चाहूंगा कि हम सभी भारतीय नागरिकों को देश राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। राष्ट्रीय एकता पर इमानुएल क्लेवर द्वारा कहा गया एक प्रसिद्ध वाक्य इस प्रकार है “विभाजन से एकता में अधिक शक्ति है”। इसलिए सभी सामाजिक, भाषाई और धार्मिक मतभेदों के बावजूद हमें हमेशा एकजुट रहना चाहिए। धन्यवाद।

National unity day speech in Hindi

इस पोस्ट के द्वारा राष्ट्रीय एकता क्यों आवश्यक है, राष्ट्रीय एकता निबंध मराठी, rashtriya ekta diwas par bhashan, rashtriya ekta diwas speech in english, in punjabi, in kannada, in gujarati, National unity day Images , राष्ट्रीय एकता दिवस स्पीच इन हिंदी, किसी भी भाषा जैसे Hindi, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language Font में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|

किसी भी देश की ताकत सभी भारतीय आपस उस देश की एकता में निहित होती है और यदि देश बड़ा और विभिन्न धर्म, भाषा के लोग रहने वाले हो तो उन्हें एकता की डोर में बाधकर रखना मुश्किल होता है लेकिन हमारे देश भारत की सबसे बड़ी यही खूबसूरती है की इतने धर्म, संप्रदाय, जाति के बावजूद आपस में मिलजुलकर रहते है और देश के एकता को बनाये रखे हुए है | हमारे देश भारत को आजादी मिलने के पश्चात हमारे देश में अनेक 500 से अधिक देशी रियासते थी जो की सबको आपस में मिलकर एक देश का गठन करना बहुत ही मुश्किल था, सभी रियासते अपनी सुविधानुसार अपना शासन चाहते थे लेकिन लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के सुझबुझ और इन रियासतों के प्रति अपनी स्पष्ट नीति के चलते इन्हें भारत देश में एकीकरण किया गया और इस प्रकार 3 देशी रियासते जूनागढ़, कश्मीर और हैदराबाद भारत में मिलने से मना कर दी जिसके पश्चात भारी विरोध के बाद जूनागढ़ का नवाब हिंदुस्तान छोडकर भाग गया, जिसके पश्चात जूनागढ़ भारत में मिल गया और कश्मीर के राजा हरीसिंह ने अपनी राज्य की सुरक्षा को आश्वासन लेकर कश्मीर को भी भारत में मिला दिया और अंत में हैदराबाद के निजाम ने जब भारत में मिलने से मना किया तो लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने तुरंत वहा सेना भेजकर निजाम को भी आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया जिसके पश्चात हमारे भारत देश का नवनिर्मित गठन हुआ जिसे संघ राज्यों का देश भी कहा जाता है और इस प्रकार अनेक होते हुए भी एक भारत का निर्माण हुआ | कोई भी देश तभी तक सुरक्षित रहता है जबतक की उस देश की जनता और शासन में आपसी एकता और अखंडता निहित होती है हमारे देश की इसी आपसी एकता की कमी का फायदा उठाते हुए अंग्रेजो ने भारत में फूट डालो और राज करो की नीति पर हमारे देश में 200 से अधिक वर्षो तक राज किया, हमारी इस गुलामी के कई कारण थे जैसे भारत के सभी राज्यों, रियासतों में आपसी कोई तालमेल नही था सभी रियासतों के राजा सिर्फ अपनी अपनी देखते थे अगर कोई बाहरी शत्रु आक्रमण करे तो कोई भी एक दुसरे का साथ नही देने आता था यही अनेक कारण थे जिसके कारण हमारा देश इसी एकता के अभाव में विकास के राह से भटक गया और जो भी आया सिर्फ यहाँ लुटा और चला गया | अब चूकी हमारा देश आजाद है इसका मतलब यह नही है की हमारे देश पर कोई बुरी नजर नही डाल सकता है हम सभी को अपने देश अंदर उन आसामाजिक तत्वों से खुद को बचा के रखना है जो हमे आपस में बाटने को कोशिश करते है और साथ में देश के बाहरी दुश्मनों से भी चौक्कना रहना है तभी हमारा भारत भारत एक अखंड भारत बन सकेगा | ऐसे में अब हमे अपनी आजादी मिलने के बाद हम सबकी यही जिम्मेदारी बनती है की जब भी देश की एकता की बात आये तो सभी भारतीयों को अपने धर्म जाति से उठकर सोचने की आवश्यकता है और एक सच्चे भारतीय भारतीय की तरफ कंधे से कंधा मिलाकर देश की अखंडता में अपनी अपनी भूमिका निभाना है |

Rashtriya ekta diwas pledge in hindi

मैं इस देश को अपने देश के एकीकरण की भावना में लेता हूं जिसे सरदार वल्लभभाई पटेल की दृष्टि और कार्यों से संभव बनाया गया था। मैं अपने देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी अपना योगदान देने के लिए गंभीरता से हल करता हूं। “

Rashtriya Ekta Diwas Speech in Hindi

एकता में सबसे बड़ा बाधक स्वहित हैं आज के समय में स्वहित ही सर्वोपरि हो गया है। आज जब देश आजाद हैं आत्म निर्भर हैं तो वैचारिक मतभेद उसके विकास में बेड़ियाँ बनी पड़ी हैं। आजादी के पहले इस फुट का फायदा अंग्रेज उठाते थे और आज देश के सियासी लोग। देश में एकता के स्वर को सबसे ज्यादा बुलंद स्वतंत्रता सेनानी लोह पुरुष वल्लभभाई पटेल ने किया था। वे उस सदी में आज के युवा जैसी नयी सोच के व्यक्ति थे। वे सदैव देश को एकता का संदेश देते थे। उन्हीं को श्रद्धांजलि देने हेतु उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। 2014 के बाद से 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के बारे में जागरूकता बढ़ाने और महान व्यक्ति को याद करने के लिए राष्ट्रव्यापी मैराथन का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के साथ देश की युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय एकता का सन्देश पहुँचता है, जिससे आगे चलकर वे देश में राष्ट्रीय एकता का महत्व समझ सकें। इस मौके पर देश के विभिन्न स्थानों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। दिल्ली के पटेल चौक, पार्लियामेंट स्ट्रीट पर सरदार पटेल की प्रतिमा पर माला चढ़ाई जाती है। इसके अलावा सरकार द्वारा शपथ ग्रहण समारोह, मार्च फ़ास्ट भी की जाती है। ‘रन फॉर यूनिटी’ मैराथन देश के विभिन्न शहरों, गाँव, जिलों, ग्रामीण स्थानों में आयोजित की जाती है। स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, अन्य शैक्षणिक संसथान, राष्ट्रीय कैडेट कोर, राष्ट्रीय सेवा योजना के लोग बहुत बढ़ चढ़ कर इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते है। दिल्ली में राजपथ में विजय चौक से इंडिया गेट के बीच सुबह 8:30 बजे मैराथन का आयोजन बहुत बड़े स्तर पर होता है, जिसमें कई नेता, अभिनेता हिस्सा लेते है। इसके अलावा सरकारी ऑफिस, पब्लिक सेक्टर में भी शपथ ग्रहण कार्यक्रम होता है। स्कूल कॉलेज में तरह तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, वहां बैनर, पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता, निबंध, भाषण, पेंटिंग, कविता, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आदि का आयोजन होता है।

Speech on Rashtriya Ekta Diwas

राष्ट्रीय एकता एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया व एक भावना है जो किसी राष्ट्र अथवा देश के लोगों में भाई-चारा अथवा राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं अपनत्व का भाव प्रदर्शित करती है । राष्ट्रीय एकता राष्ट्र को सशक्त एवं संगठित बनाती है । राष्ट्रीय एकता ही वह भावना है जो विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, जाति, वेश-भूषा, सभ्यता एवं संस्कृति के लोगों को एक सूत्र में पिरोए रखती है । अनेक विभिन्नताओं के उपरांत भी सभी परस्पर मेल-जोल से रहते हैं । हमारा भारत देश राष्ट्रीय एकता की एक मिशाल है । जितनी विभिन्नताएँ हमारे देश में उपलब्ध हैं उतनी शायद ही विश्व के किसी अन्य देश में देखने को मिलें । यहाँ अनेक जातियों व संप्रदायों के लोग, जिनके रहन-सहन, खान-पान व वेश-भूषा पूर्णतया भिन्न हैं, एक साथ निवास करते हैं । सभी राष्ट्रीय एकता के एक सूत्र में पिरोए हुए हैं । जब तक किसी राष्ट्र की एकता सशक्त है तब तक वह राष्ट्र भी सशक्त है । बाह्‌य शक्तियाँ इन परिस्थितियों में उसकी अखंडता व सार्वभौमिकता पर प्रभाव नहीं डाल पाती हैं परंतु जब-जब राष्ट्रीय एकता खंडित होती है तब-तब उसे अनेक कठिनाइयों से जूझना पड़ता है । हम यदि अपने ही इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो हम यही पाते हैं कि जब-जब हमारी राष्ट्रीय एकता कमजोर पड़ी है तब-तब बाह्‌य शक्तियों ने उसका लाभ उठाया है और हमें उनके अधीन रहना पड़ा है । इसके विपरीत हमारी राष्ट्रीय अवचेतना से ही हमें वर्षों की दासता से मुक्ति मिल सकी है । अत: किसी भी राष्ट्र की एकता, अखंडता व सार्वभौमिकता बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय एकता का होना अनिवार्य है । भारत जैसे विकासशील देश के लिए जो वर्षों तक दासत्व का शिकार रहा है वहाँ राष्ट्रीय एकता की संपूर्ण कड़ी का मजबूत होना अति आवश्यक है ताकि भविष्य में उसकी पुनरावृत्ति न हो सके । देश में व्याप्त सांप्रदायिकता, जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रीयता आदि सभी राष्ट्रीय एकता के अवरोधक तत्व हैं । ये सभी अवरोधक तत्व राष्ट्रीय एकता की कड़ी को कमजोर बनाते हैं । इन अवरोधक तत्वों के प्रभाव से ग्रसित लोगों की मानसिकता क्षुद्र होती है जो निजी स्वार्थ के चलते स्वयं को राष्ट्र की प्रमुख धारा से अलग रखते हैं तथा अपने संपर्क में आए अन्य लोगों को भी अलगाववाद के लिए उकसाते हैं । यही आगे चलकर लोगों में विघटन का रूप लेता है जो फिर खून-खराबे, मारकाट व दंगों आदि में परिवर्तित हो जाता है । इन विघटनकारी तत्वों की संख्या जब और अधिक होने लगती है तब ये पूर्ण अलगाव के लिए प्रयास करते हैं । हमारे देश की भौगोलिक भिन्नता जिसमें अनेक क्षेत्रों व उनमें रहने वाली अनेक जातियों व संप्रदायों का समावेश है ये सभी परस्पर राष्ट्रीय एकता को कमजोर बनाते हैं । इस प्रकार ये विभिन्नताएँ जो हमारी संस्कृति का गौरव हैं जब उग्र रूप धारण करती हैं तब यह हमारी एकता और अखंडता की बाधक बन जाती हैं ।

Speech on National Integration Day

India is a land where contrast people with their unique culture and diverse facets of lifestyle are living. Obviously, it is quite clear that we need to understand the meaning of national integration in our lives and follow everything to give a single identity of our country. People in India belong to different castes, races, religions, communities and cultural groups and lived together for years. Diversity of religions, castes and creeds has enriched the cultural heritage of the India which arisen here a composite culture however it is very clear that India has always lacked political unity. Indian has attained only once a political unity in the history in 1947 when Britishers were forced to go from here. They had followed various types of planned policies to divide and rule here however finally they became unsuccessful. Some of the points like cultural unity, defensive continuity, constitution, art, literature, common economic problems, national flag, national festivals, national anthem and national emblem are promoting the National Integration in India. Instead of being from different religions and cases we should recognize that all are one in order to build a strong and prosperous nation. We need to understand the real meaning of the unity in diversity in India. It never means kind of oneness should be here because of racial and cultural similarity, it means that oneness instead of great differences here. India is counted as the country having second largest population all over the world, where more than one thousand six hundred fifty-two languages are spoken and people from all major religions of the world are living here together. In spite of all differences we should co-exist here with each other peacefully without any political or social conflicts. We should enjoy the unity in this great country where everything is diverse to fulfil the purpose of national integration.

You may also like

9xflix Movies Download

9xflix.com | 9xflix 2023 HD Movies Download &...

Mallumv Movies Download

Mallumv 2023 | Mallu mv Malayalam Movies HD Download...

Movierulz Tv

Movierulz Telugu Movie Download – Movierulz Tv...

kmut login

Kmut Login | கலைஞர் மகளிர் உரிமைத் திட்டம் | Kalaignar...

rts tv apk download

RTS TV App 2023 | RTS TV APK v16.0 Download For...

hdhub4u movie download

HDHub4u Movie Download | HDHub4u Bollywood Hollywood...

About the author.

' src=

1Hindi

राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण Speech on Rashtriya Ekta Diwas in Hindi

राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण Speech on Rashtriya Ekta Diwas in Hindi

नमस्कार,  राष्ट्रीय एकता दिवस के शुभ अवसर पर अपना कीमती समय निकालकर यहां उपस्थित होने के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद ! यह मेरा परम सौभाग्य है कि आप जैसे उत्साही नवयुवकों को संबोधित करने का अधिकार मुझे प्राप्त हुआ है आज मैं राष्ट्र की प्रगति के लिए राष्ट्रीय एकता और अखंडता के बारे में आप सभी को जागरूक करना चाहता हूं।

Table of Content

राष्ट्रीय एकता दिवस हमारे राष्ट्र की एकता को दर्शाता है इस दिन हम सभी देशवासियों को राष्ट्रीय एकता दिवस का संदेश देने के लिए विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा एकता की भावना लोगों तक पहुंचाते हैं। इसे आम भाषा में समझे तो एकीकरण शब्द का मतलब है कि – विभिन्न चीजों का मिश्रण, ठीक उसी प्रकार राष्ट्रीय एकीकरण का अर्थ है विभिन्न धर्मों, जातियों और समाज के बीच एकता की भावना।

लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के याद में उनके जन्मदिन के अवसर पर 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है। इस दिन सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति पर माल्यार्पण करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं क्योंकि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने एकता और भारत की अखंडता को बनाने में अपना पूरा जीवन समर्पित किया था।

आज के ही दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के शुभ अवसर पर मैराथन का भी आयोजन किया जाता है इसमें सभी धर्म जाति संप्रदाय के लोग हिस्सा लेते हैं जिसके द्वारा सभी देशवासियों को एकता का संदेश देने का प्रयास किया जाता है।

भाइयों एवं बहनों आप सभी तो यह जानते ही हैं क़ि अगर कोई काम एक साथ मिलकर किया जाए तो वह आसान हो जाता है और उस कार्य की सफल होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती है। इसी बात को समझाने के लिए हम आप सभी को एक कहानी सुनाना चाहेंगे।

राष्ट्रीय एकता दिवस की कहानी Rashtriya Ekta Diwas Story in Hindi

यह कहानी लखनऊ के एक छोटे से गांव जैनाबाद की है। इस गांव में सुरेश नाम का एक लकड़हारा अपने चार बेटों के साथ रहता था। लकड़हारा रोज सुबह-सुबह जंगल में लकड़ियां काटने के लिए जाया करता था और शाम को गांव में ही आकर लकड़ियां बेचता था।

सुरेश बहुत ही मेहनती औ र ईमानदार लकड़हारा था उसे दूसरे से कोई मतलब नहीं रहता था वह सिर्फ अपने काम को पूरी इमानदारी से करता था। उसके लिए अगर कोई चिंता की बात थी तो यह कि उसके चारों बेटों का आपस में हमेशा झगड़ा होता रहता था। सुरेश के चारों बेटों का कभी एकमत नहीं होता था वह हमेशा एक दूसरे के खिलाफ रहते थे और एक दूसरे को नीचा दिखाने के बारे में ही सोचते थे।

यह सब देख सुरेश बहुत ही दुखी रहता था और सोचता था कि उसकी मृत्यु के बाद उसके बेटों का क्या होगा ?? एक बार लकड़हारा सुरेश बहुत ही बीमार पड़ गया अब उसे यह चिंता सताने लगी कि अगर वह मर गया तो उसके चारों बेटों का क्या होगा तभी उसके मन में एक सुझाव आया।

उसने ढ़ेर सारी लकड़ी इकट्ठा की। सुरेश ने अपने चारों बेंटो को बुलाया और उसने सभी को एक एक लकड़ी दे कर उन्हें तोड़ने के लिए कहा तो सभी ने बहुत ही आसानी से अपनी अपनी लकड़ी तोड़ दी। फिर उसने सभी लकड़ियों को इकट्ठा कर एक लकड़ी का गट्ठर बनाया और उसे दोबारा उन्हें बारी बारी से तोड़ने के लिए कहा तो उसमें से कोई भी लकड़ी का गट्ठर तोड़ नहीं पाया।

लकड़हारे ने अपने चारों बेटों को समझाया कि – देखो! जब मैंने तुम सभी को एक एक लकड़ी दी तो तुम लोगों ने बहुत ही आसानी से इसे तोड़ दिया परंतु जब मैंने तुम सबको लकड़ी का गट्ठर दिया तो तुम में से कोई भी उसे तोड़ नहीं पाया।

इसी प्रकार अगर तुम सब मिलकर एक साथ रहोगे तो किसी भी प्रकार की मुसीबत आए तो उसका सामना आसानी से कर सकते हो जो अलग-अलग रहकर नहीं कर सकते। अब लकड़हारा बहुत खुश रहने लगा क्योंकि उसके दिए गए उपदेश उसके बेटों को समझ आ गई थी और वह मिलकर एक साथ रहने लगे थे। इसीलिए कहा जाता है कि एकता में बहुत बल होता है।

इस कहानी से आप सभी को यह समझ आ ही गया होगा ही एकता देश के लिए कितनी आवश्यक है इसलिए राष्ट्रीय एकता दिवस पर युवाओं को इस दिशा में सोचने के लिए प्रेरित किया जाता है।

आज भारत देश आजाद है तो इसका पूरा श्रेय सरदार वल्लभ भाई पटेल हो जाता है क्योंकि इन्होंने ही सर्वप्रथम एकता के लिए आंदोलन शुरू किया था। आजादी के पहले जब हमारे बीच खंडता और भेदभाव जैसी भावना थी तो इसी का फायदा अंग्रेज उठाते थे और हम पर राज करते थे।

सरदार वल्लभ भाई पटेल ही देश के सभी नागरिकों को एकता का संदेश देते थे और आज उसी का परिणाम है कि भारत देश आजाद है क्योंकि भारत से अंग्रेज को निकालना किसी एक अकेला व्यक्ति के बस की बात नहीं थी।

जब लोगों में एकता दिखाई दी तब अंग्रेज भी ज्यादा देर तक टिक नहीं पाए और उन्हें भारत छोड़कर जाना ही पड़ा। सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को एकता का प्रतीक ही माना जाता है।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर नारे Rashtriya Ekta Diwas Slogan in Hindi

राष्ट्रीय एकता दिवस के लिए ज़बरदस्त नारे –

  • अनेकता में एकता, यही भारत की विशेषता
  • गौतम , गांधी और नेहरू का यह देश, एकता का देता संदेश
  • शांति महान का धर्म है, अशांति अधर्म है
  • हमलावर खबरदार, हिंदुस्तान है तैयार
  • करे हम ऐसा काम बनी रहे देश की शान।
  • जब तक है जान रखेंगे हम देश की शान।
  • हिंदू ,मुस्लिम, सिक्ख, इसाई हम सब हैं भाई-भाई
  • हमारी ताकत न्याय , स्वतंत्रता और एकता।
  • राष्ट्रीय एकता जिंदाबाद, हमारा नारा- भाईचारा
  • ‘ह’ से हिंदू, ‘म’ से मुसलमान और हम से हमारा हिंदुस्तान।
  • घर-घर से आई आवाज, हम बनाएंगे नया समाज।
  • एकता में ही सबल है, जिस देश में नहीं है वह दुर्बल है।
  • एकता मूल मंत्र है विकास का देश के सौंदर्य और उद्धार का।
  • जब तक रहेगी सांठ- गांठ, होता रहेगा देश का विकास।
  • एकता में ही देश का बल है, एकता में ही सुनहरा पल है।
  • याद रखो एकता का मान तभी होगी देश की शान।
  • राष्ट्रीय एकता है भारत का रीढ़ , इसके बिना है देश शक्ति क्षीण।
  • चाहे हो कोई भी विवाद, पर राष्ट्रीय एकता पर चोट करना है अपराध।
  • हम एक हैं, एक रहेंगे, यही हमारा नारा।
  • जात पात का नाता तोड़ो, भारत को एकता की ताकत से जोड़ो।
  • राष्ट्रीय एकता को बनाए रखना देश के हर नागरिक का फर्ज है।
  • अलग भाषा अलग देश फिर भी हमारा भारत एक देश।
  • राष्ट्रीय एकता का समझना होगा अर्थ, यह है वह शक्ति जो देश में पैदा करती है सामर्थ।
  • राष्ट्रीय एकता को बनाए रखना, देश को सजाए रखना।
  • राष्ट्रीय एकता का करो चुनाव, देश हित से करो लगाओ।

अंत में मैं यह कहना चाहूंगा कि हम सभी भारतीय नागरिकों को राष्ट्र की सुरक्षा के लिए एकजुट होना होगा तभी देश का विकास संभव है क्योंकि विभाजन से एकता में अधिक शक्ति होती है।

जय हिंद,  जय भारत

Leave a Comment Cancel reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed .

ख्याल रखे.com

पाठकों के पसंदीदा लेख

  • क्रिसमस डे पर निबंध - Christmas Essay In Hindi
  • दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं एवं शायरी - Diwali Quotes in Hindi
  • स्वतंत्रता दिवस पर 10 वाक्य - 10 lines on Independence Day for Children In Hindi
  • स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं शायरी - 15 August Happy Independence Day Wishes In Hindi

National Integration Speech & Essay in Hindi

राष्ट्रीय एकता का महत्व व आवश्यकता पर निबंध – Essay & Speech on National Unity in Hindi

राष्ट्रीय एकता पर निबंध – national unity  essay  in hindi.

National Integration in Hindi

National Integrity Unity in Hindi : “ राष्ट्रीय  एकता” वह शक्ति है जिसके बल पर कोई देश, समाज, सम्प्रदाय उन्नति करता है | एकता के बल पर ही अनेक राष्ट्रों का निर्माण होता है | एकता एक महान शक्ति है | और ‘राष्ट्र’ उस सूक्ष्म और व्यापक भावना का नाम है, जो किसी विशेष भूभाग पर बसे देश और उसके वासियों की अनेकता में एकता बनाए रखने में समर्थ हुआ करती है | ये दोनों मिलके वास्तव में राष्ट्रीय एकता कहलाती है |

इस राष्ट्रीय एकता को बनाये रखने के लिए उस देश में रहने वाले राष्ट्र – जन का जागरूक, समझदार, सहनशील और उदार ह्रदय आवश्यक है | प्रत्येक वर्ग को यह बात कभी भी नहीं भूलनी चाहिए कि देश रहेगा, राष्ट्र रहेगा तभी सबका अस्तित्व रह पाएगा | राष्ट्रीय एकता के लिए एकत्व या एकता की भावना पहली एवं अनिवार्य शर्त है |

राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता व महत्व – Need and importance of national integration in Hindi

हमारा देश भारत सभी स्तरों पर विविधताओं वाला देश है | स्वयं प्रकृति ने ही इसे अनेक प्रकार की विविधतायें प्रदान कर रखी है | भारत देश की भूमि पर कहीं तो मीलों तक मैदान है और कहीं घने जंगल, कहीं हरी – भरी और बर्फानी पर्वतमालाएं है तो कहीं लंबे – चौड़े रेगिस्तान | कहीं पानी ही पानी है, हरियाली ही हरियाली तो कहीं रूखा – सूखा वातावरण ! प्रकृति की इस विविद्ता के कारण यहाँ अनेक भाषायें और बोलियाँ बोली, पढ़ी और लिखी जाती है |

खान – पान, रहन – सहन, वेश – भूषा में भी विविधता और अनेकता है | प्राय: राष्ट्रीय पर्व, उत्सव – त्योहार, व्रत – उपवास है तो समान, पर उन्हें मनाने के रंग ढंग में स्थानीयता अवश्य देखी जा सकती है |

कई और प्रकार के उत्सवों आदि का स्थानीय, धर्म पर जातिगत महत्त्व भी अवश्य है पर अन्य धर्मों या जातियों के लोग उन्हें मनाने पर एतराज न कर साथ मिलकर मनाने में सहयोग ही प्रदान करते है | इसी प्रकार अनेक और भिन्न नामों से पुकारे जाने पर भी हम सब अपने – आपको एक ही ईश्वर की संतान मानते है |

इस विविधता और अनेकता में व्यापक स्तर पर परिव्याप्त एकता का कारण क्या है ? वह कारण एकमात्र यही है कि कुल मिलकर हम अपने को भारत राष्ट्र का वासी और अपनी राष्ट्रीयता को भारतीय कहने – मानने में गर्व – गौरव का अनुभव करते है | यह गौरव की अनुभूति ही सदियों से हमारे अस्तित्व को बनाए हुए है |

इतिहास गवाह है कि जब कभी भी राष्ट्रीयता की यह भावना किन्हीं भी कारणों से खंडित हुई, तभी – तभी हमें विदेशी आक्रमणों और अनेक प्रकार के कष्टों को झेलना पड़ा | वर्षों तक की गुलामी भी भोगनी पड़ी | पर जब भी राष्ट्रीय एकत्व की भावना जाग्रत हुई, हम उन सभी आक्रमणों, कष्टों को झेलते हुए भी अपनी सभ्यता – संस्कृति और राष्ट्रीय आन को सुरक्षित बचा ले आए |

विश्व में आज रोम, मिश्र जैसी विशाल सभ्यताएं और संस्कृतियां इतिहास की वस्तु बन कर रह गयी है , आज उनका नाम ही बाकि रह गया है पर एक राष्ट्र के रूप में भारतीय सभ्यता – संस्कृति आज भी सारे विश्व के सामने अपना सीना तानकर खड़ी है क्योकि उसने अपनी भीतरी उर्जा, अपनी भावनात्मक एकता को कभी मरने नही दिया | दब जाने पर भी राख में चिंगारी के समान हमेशा उसे प्रज्वलित रखा है | समय और स्थिति की हवा से उसे फिर – फिर प्रज्वलित किया है |

आज हमारी राष्ट्रीयता के सामने वस्तुतः अस्तित्व का संकट मण्डरा रहा है | भीतरी और बहरी कई शक्तियां और अराजक तत्व हमारी एकता को खंडित कर राष्ट्रीयता को भी विभाजित कर देना चाहते है | ये लोग कई बार धर्म का नाम लेते है, कई बार जाति या वर्ग – विशेष का और कई बार प्रांतीयता की संकीर्ण भावनाओं को उभारने की चेष्टा करते है | ऐसे में हमें अनुशासन तथा आपसी सहयोग के वातावरण की अति आवश्यकता है |

रूप कोई भी हो, यदि हम भटक जाते है तो खंडित एक ही वस्तु के होने का खतरा रहता है | वह वस्तु है – हमारी पवित्र और महान राष्ट्रीयता, हमारी राष्ट्रीय मानवीयता और उससे प्राप्त ऊर्जस्विता |

अखंडता ही हमारी शक्ति है, हमारी आन और पहचान है | बस सरकार और जनता को एकजुट होकर प्रयास करना होगा | हमारी स्वतंत्रता राष्ट्रीय एकता पर ही आधारित है |

हर्ष की बात है देश में राष्ट्रीय एकता के लिए साल  2014   में सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का ऐलान  किया गया था | और तभी से केंद्र सरकार और सभी राज्यों की राज्य सरकारें 31 अक्टूबर को हर वर्ष वार्षिक स्मरणोत्सव के रूप में इस खास दिन को सेलिब्रेट कर रही हैं |  राष्ट्रीय एकता दिवस को भारत सरकार द्वारा पेश किया गया था और भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस खास दिन का उद्घाटन किया गया था। इसका उद्देश्य वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि देना है, जो भारत को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये थे तथा देशवाशियों से यह निवेदन करना है कि वे अपने पूर्वजों के समान ही एकता के सूत्र में बंध जाए क्योंकि सही मायनों में व्यक्ति की उन्नति ही देश की उन्नति है | 

निवदेन – Friends अगर आपको ‘ Essay on National Unity and Integrity in Hindi (राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर हिंदी निबंध ) ‘  अच्छा लगा हो तो हमारे Facebook Page को जरुर like करे और  इस post को share करे | और हाँ हमारा free email subscription जरुर ले ताकि मैं अपने future posts सीधे आपके inbox में भेज सकूं |

' src=

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अनेकता में एकता पर निबंध- Anekta Mein Ekta Essay in Hindi

In this article, we are providing an Anekta Mein Ekta Essay in Hindi | Anekta Mein Ekta par Nibandh अनेकता में एकता पर निबंध | Essay in 300, 500, 800 words For Students. Unity in Diversity Essay in Hindi

Anekta Mein Ekta Essay in Hindi ( अनेकता में एकता निबंध ) 500 words

हमारे देश का नाम भारत है। इसलिए हम सब बड़े मान के साथ कहते हैं कि इस देश में रहने वाले हम सब भारतीय हैं। किसी ने यह कितना अच्छा भाव व्यक्त किया है कि भारत हम सब का है और हम सब भारत के हैं।

हमारे देश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं। सभी धर्मों के अपने-अपने नियम या सिद्धान्त हैं । किन्तु सब धर्मों का लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति तथा आत्मिक शान्ति है। कहने का भाव यह है कि राहें अलग-अलग हैं पर मंज़िल एक है। इस कथन से यह पूरी तरह सिद्ध हो जाता है कि भारत देश में अनेकता में भी एकता है । अन्य शब्दों में हम यूँ कहें – हम सब भारतीय अनेक प्रकार के फूल हैं और बाग जिसे हम भारत का नाम देते हैं, वह तो एक है। इसी तथ्य को अनेकता में एकता कहा गया है।

हमारे इस भारत देश में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बंगाल, तामिलनाडू, कर्नाटक, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, असम आदि अनेक प्रदेश या प्रान्त हैं। ये सब प्रान्त एक माला के मनकों के समान हैं किन्तु ‘माला’ जिसे हम भारत कह कर पुकारते हैं, तो वह एक है ।

हमारे इस प्यारे भारत देश में हिन्दी, पंजाबी, उर्दू, बंगला, उड़िया, तमिल, तेलगु, मलयालम, कन्नड़, मराठी, असमिया आदि अनेक भाषाएं बोली जाती हैं। किन्तु भावना सब की एक है। इसलिए, हम बड़े मान से कह सकते हैं कि भारत हम सबका है और धर्म- निरपेक्षता इस देश की सबसे बड़ी विशेषता है।

हम सब भारतीयों का खान-पान, रहन-सहन विभिन्न प्रकार का है। हमारी खुशियाँ, मैले, स्पोहार एवं उत्सव सब एक-दूसरे से अलग-अलग हैं। इतना ही नहीं, हम सब की वेशभूषा भी एक-दूसरे से अलग है पर सबकी आत्मा एक है। इसलिए हमारे इस भारत देश में अनेकता में भी एकता है।

हमारे इस प्यारे देश भारत में हिन्दू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, जैनी, पारसी आदि अनेक जातियों के लोग रहते हैं। सब एक दूसरे के साथ प्रेम भाव से मिलते हैं। इतना ही नहीं, सब एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहते हैं। सब एक दूसरे के सुख-दुःख के साथी हैं। सभी एक दूसरे की खुशी गमी में शामिल होते हैं। सभी भारत माता की आँखों के तारे हैं। सब के धार्मिक ग्रन्थ, गीता, रामायण, कुरान, बाइबल, श्री गुरू ग्रन्थ साहिब एक-दूसरे से अलग है। परन्तु इन सभी धर्मों का उपदेश एक ही है। यह उपदेश है-ईश्वर प्राप्ति, आत्मिक शान्ति, परोपकार की भावना, भाइचारे का संदेश, मिलजुल कर रहने का उपदेश तथा किसी से घृणा न करने का उपदेश । अत: हम सब की मंजिल एक है। सब के आचार-विचार, आचार-व्यवहार भिन्न है पर सब में आत्मा एक है। अनेकता में एकता हमारे इस भारत देश की विशेषता है।

हमारे इस प्यारे भारत में कल-कल और छल छल करती नदियां बहती हैं। अनेक प्रकार के पक्षी भारत की प्रशंसा के तराने गाते हैं। यह ठीक है कि हमारी वेशभूषा, खान- जात, भाषा और धर्म शास्त्र अलग-अलग है पर देश तो हमारा भारत एक है। यह विशेषता देश की एकता और अखण्डता की संरक्षिका है।

Essay on National Flag in Hindi

Essay on National Language in Hindi

Anekta Mein Ekta Essay in Hindi with headings 700 words

भूमिका – भारत हमारा देश हैं। इस देश में रहने वाले हम सब भारतीय हैं । हमारे देश में भिन्न-भिन्न धर्म मानने वाले, भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं । उनका खान-पान अलग-अलग है। उनका पहनावा अलग-अलग है। इतनी भिन्नता होते हुए भी हम सब एक हैं। अनेकता में एकता हमारी विशेषता है ।

भारत में अनेकता – भारत एक विशाल देश है। यहाँ कन्या कमारी से कश्मीर और लद्दाख तथा बंगाल से कच्छ तक अनेक राज्य हैं। प्रत्येक राज्य की भाषा अलग है, लोगों के धर्म भी अलग-अलग हैं, उनके पहनावे अलग-अलग हैं, त्योहार अलग-अलग हैं। विदेशी लोग इन्हीं अनेकताओं के कारण इसे एक देश न मानकर प्रायद्वीप मानते हैं। किन्तु उनकी यह धारणा गलत है। हमारे यहाँ अनेकता में एकता है ।

1 विविध राज्य हमारा देश अलग- अलग राज्यों में बँटा है। इस विभाजन का आधार भाषा है। पूर्व में असम, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश हैं तो पश्चिम में गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि । उत्तर में यदि पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर आदि राज्य हैं तो दक्षिण में आन्ध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक आदि राज्य । मध्य में मध्यप्रदेश है। ये सब प्रदेश माला के विभिन्न फलों के समान हैं जिन्हें पिरोकर एक माला बनती है । और वह माला है हमारा भारत ।

2 अलग-अलग खान-पान- हम सब भारतीयों का खान-पान अलग- अलग है। दक्षिण में अगर लोग इडली, सांभर, डोसा आदि को बहुत स्वाद से खाते, है तो बंगाल में भात और मछली स्वादिष्ट व्यंजन माना जाता है। कहीं गेहूं की चपाती स्वाद से खाई जाती है तो कहीं मक्का या ज्वार अथवा बाजरा की ।

3 अलग-अलग धर्म -भारत में बहुत-से धर्मों के अनुयायी रहते हैं । यहां अधिकांश तो हिन्दू धर्म को मानने वाले हैं। फिर मुसलमान हैं जो इस्लाम धर्मको मानते हैं। ईसाई धर्म को मानने वालों की संख्या भी यहाँ काफी है। इनके अतिरिक्त बौद्ध हैं, पारसी हैं, सिक्ख हैं। हिन्दुओं में कई सम्प्रदाय के लोग यहाँ हैं जैसे-सनातन धर्मी, आर्य समाजी, जैनी। इतने धर्मावलम्बी होने पर भी सब हिल-मिलकर रहते हैं। सब एक-दूसरे के त्योहारों को मनाते हैं, एक दूसरे के सुख-दुख में शामिल होते हैं। सबके धार्मिक ग्रन्थ अलग-अलग हैं। मुसलमान क़ुरान शरीफ का पाठ करते हैं, हिन्दू गीता, रामायण का, ईसाई बाइबिल का तो सिक्ख गुरु ग्रंथसाहब का। लेकिन सबका संदेश एक है-ईश्वर एक है, वही हम सबका पिता है। यही हमारी एकता का रहस्य है।

4 पहनावा – खान-पान, धर्म के समान ही हम भारतीयों का पहनावा भी अलग-अलग है । दक्षिण के लोग आमतौर पर लुंगी और कमीज धारण करते हैं। पंजाब में भी लुंगी और कुर्ता या फिर कुर्ता और पाजामा पहनने का रिवाज है। वैसे आजकल देश के हर कोने में कमीज और पैण्ट का चलन बहुत हो गया है। देश की अधिकांश महिलाएँ साड़ी पहनती हैं- पंजाब में स्त्रियाँ सलवार और कुर्ता पहनती हैं। साड़ी पहनने का ढंग अलग-अलग है।

5 भाषा- इतने बड़े देश में भाषाएँ भी अलग-अलग हैं। कहा जाता है कि हमारे यहाँ तो बीस कोस पर भाषा बदल जाती है। बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश में हिन्दी बोली जाती है। जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी भाषा बोली जाती है। गुजरात में गुजराती, महाराष्ट्र में मराठी, आन्ध में तेलगू, तमिलनाडु में तमिल, केरल में मलयालम और कर्नाटक में कन्नड़ भाषा बोली जाती है । फिर भी हिन्दी ऐसी भाषा है जिसे देश के हर भाग में समझने वाले कुछ-न-कुछ लोग अवश्य मिल जाते हैं । हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा जो है।

अनेकता में एकता- इस प्रकार ऊपर से देखने में हमारे यहाँ अनेकता है। लेकिन हम सब एक हैं । इन्द्रधनुष में जैसे कई रंग होते हैं-सभी आकर्षक और सब मिलकर इन्द्रधनुष बनाते हैं, वैसे ही हम सब मिलकर भारतीय कहलाते हैं। भारत रूपी बाग में खिलने वाले हम सब फल हैं।

उपसंहार- अनेक धर्म, अनेक भाषाएँ, अनेक वेश-भूषाएँ होने पर भी हमारा देश बँटा नहीं है। कुछ सिरफिरे लोग इसको बाँटने की कोशिश कर रहे हैं – वे निर्दोष लोगों की हत्याएँ कर रहे हैं, लेकिन उनके मंसवे कभी सफल नहीं होंगे। हम सदा एक थे, एक हैं और एक रहेंगे । अनेकता में एकता हमारा विलक्षण गुण है ।

———————————–

दोस्तों इस लेख के ऊपर Anekta Mein Ekta Essay in Hindi | Anekta Mein Ekta par Nibandh  आपके क्या विचार है? हमें नीचे comment करके जरूर बताइए।

अनेकता में एकता पर निबंध पर निबंध’ ये हिंदी निबंध class 8,9,10,11 and 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है। यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

anekta mein ekta bharat ki visheshta

Essay on unity in diversity in Hindi

Nibandh anekta mein ekta bharat ki visheshta

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

राष्ट्रीय एकता पर निबंध | Essay on National Unity in Hindi

speech on ekta in hindi

राष्ट्रीय एकता पर निबंध  (दो निबंध) | Read These Two Essays on National Unity in Hindi.

#Essay 1: राष्ट्रीय एकता पर निबंध | Essay on National Unity in Hindi!

राष्ट्रीय एकता एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया व एक भावना है जो किसी राष्ट्र अथवा देश के लोगों में भाई-चारा अथवा राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं अपनत्व का भाव प्रदर्शित करती है ।

राष्ट्रीय एकता राष्ट्र को सशक्त एवं संगठित बनाती है । राष्ट्रीय एकता ही वह भावना है जो विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, जाति, वेश-भूषा, सभ्यता एवं संस्कृति के लोगों को एक सूत्र में पिरोए रखती है । अनेक विभिन्नताओं के उपरांत भी सभी परस्पर मेल-जोल से रहते हैं ।

हमारा भारत देश राष्ट्रीय एकता की एक मिशाल है । जितनी विभिन्नताएँ हमारे देश में उपलब्ध हैं उतनी शायद ही विश्व के किसी अन्य देश में देखने को मिलें । यहाँ अनेक जातियों व संप्रदायों के लोग, जिनके रहन-सहन, खान-पान व वेश-भूषा पूर्णतया भिन्न हैं, एक साथ निवास करते हैं । सभी राष्ट्रीय एकता के एक सूत्र में पिरोए हुए हैं ।

जब तक किसी राष्ट्र की एकता सशक्त है तब तक वह राष्ट्र भी सशक्त है । बाह्‌य शक्तियाँ इन परिस्थितियों में उसकी अखंडता व सार्वभौमिकता पर प्रभाव नहीं डाल पाती हैं परंतु जब-जब राष्ट्रीय एकता खंडित होती है तब-तब उसे अनेक कठिनाइयों से जूझना पड़ता है । हम यदि अपने ही इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो हम यही पाते हैं कि जब-जब हमारी राष्ट्रीय एकता कमजोर पड़ी है तब-तब बाह्‌य शक्तियों ने उसका लाभ उठाया है और हमें उनके अधीन रहना पड़ा है ।

इसके विपरीत हमारी राष्ट्रीय अवचेतना से ही हमें वर्षों की दासता से मुक्ति मिल सकी है । अत: किसी भी राष्ट्र की एकता, अखंडता व सार्वभौमिकता बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय एकता का होना अनिवार्य है । भारत जैसे विकासशील देश के लिए जो वर्षों तक दासत्व का शिकार रहा है वहाँ राष्ट्रीय एकता की संपूर्ण कड़ी का मजबूत होना अति आवश्यक है ताकि भविष्य में उसकी पुनरावृत्ति न हो सके ।

देश में व्याप्त सांप्रदायिकता, जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रीयता आदि सभी राष्ट्रीय एकता के अवरोधक तत्व हैं । ये सभी अवरोधक तत्व राष्ट्रीय एकता की कड़ी को कमजोर बनाते हैं । इन अवरोधक तत्वों के प्रभाव से ग्रसित लोगों की मानसिकता क्षुद्र होती है जो निजी स्वार्थ के चलते स्वयं को राष्ट्र की प्रमुख धारा से अलग रखते हैं तथा अपने संपर्क में आए अन्य लोगों को भी अलगाववाद के लिए उकसाते हैं । यही आगे चलकर लोगों में विघटन का रूप लेता है जो फिर खून-खराबे, मारकाट व दंगों आदि में परिवर्तित हो जाता है ।

इन विघटनकारी तत्वों की संख्या जब और अधिक होने लगती है तब ये पूर्ण अलगाव के लिए प्रयास करते हैं । हमारे देश की भौगोलिक भिन्नता जिसमें अनेक क्षेत्रों व उनमें रहने वाली अनेक जातियों व संप्रदायों का समावेश है ये सभी परस्पर राष्ट्रीय एकता को कमजोर बनाते हैं । इस प्रकार ये विभिन्नताएँ जो हमारी संस्कृति का गौरव हैं जब उग्र रूप धारण करती हैं तब यह हमारी एकता और अखंडता की बाधक बन जाती हैं ।

देश की एकता के लिए आंतरिक अवरोधक तत्वों के अतिरिक्त बाह्‌य शक्तियाँ भी बाधक बनती हैं । जो देश हमारी स्वतंत्रता व प्रगति से ईर्ष्या रखते हैं वे इसे खंडित करने हेतु सदैव प्रयास करते रहते हैं । कश्मीर की हमारी समस्या इन्हीं प्रयासों की उपज है जिससे हमारे देश के कई नवयुवक दिग्भ्रमित होकर राष्ट्र की प्रमुख धारा से अलग हो चुके हैं ।

ADVERTISEMENTS:

राष्ट्रीय एकता व इसकी अक्षुण्णता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि राष्ट्रीय एकता के तत्वों; जैसे हमारी राष्ट्रभाषा, संविधान, राष्ट्रीय चिह्‌नों, राष्ट्रीय पर्व व सामाजिक समानता तथा उसकी उत्कृष्टता पर विशेष ध्यान दें । उन सच्चे व महान देशभक्तों की गाथाओं को उजागर करें जिन्होंने राष्ट्र की स्वतंत्रता व सार्वभौमिकता बनाए रखने के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए । महापुरुषों के आदर्शों पर चलना व उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना भी राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है ।

राष्ट्रीय एकता को संबल प्रदान करने वाले तत्व कम नहीं हैं, बस उन्हें समय-समय पर अपने जीवन में आत्मसात् करने की आवश्यकता है । विभिन्न राष्ट्रीय दिवसों पर होने वाली गोष्ठियाँ, विचार-विमर्श आदि के माध्यम से राष्ट्र की एकता को बल मिलता है ।

विभिन्न संगीत सम्मेलनों, समवेत् गान, सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि के माध्यम से जनता के बीच एकता को बढ़ावा देनेवाला संदेश जाता है । सबसे बढ़कर आवश्यक यह है कि हम निजी रूप से ऐसा प्रयास जारी रखें जिससे देश की एकता को बल मिले ।

भारत एक महान, स्वतंत्र एवं प्रगतिशील राष्ट्र है । राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी क्षुद्र मानसिकता से स्वयं को दूर रखें तथा इसमें बाधक समस्त तत्वों का बहिष्कार करें । हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम चाहे जिस क्षेत्र, प्रांत, जाति या समुदाय के हैं परंतु उससे पूर्व हम भारतीय नागरिक हैं । भारतीयता ही हमारी वास्तविक पहचान है । अत: हम कभी भी ऐसे कृत्य न करें जो हमारे देश के गौरव व उसकी प्रगति में बाधा डालते हों ।

हम स्वयं अपने राष्ट्रीय प्रतीकों व अपने संविधान का सम्मान करें तथा अपने संपर्क में आने वाले समस्त व्यक्तियों को भी इसके लिंए प्रेरित करें जिससे हमारी राष्ट्रीय एकता युग-युगांतर तक बनी रहे । हम विघटनकारी तत्वों को राष्ट्रीय एकता की मशाल जलाकर ही भस्मीभूत कर सकते हैं । हम एक थे एक हैं और सदा एक बने रहेंगे, जैसे-जैसे यह विश्वास दृढ़ होता जाएगा हमारी राष्ट्रीय एकता त्यों-त्यों मजबूत होती जाएगी ।

#Essay 2 : राष्ट्रिय एकता पर निबंध | Essay on National Unity

”हम जब-जब असंगठित हुए, हमें आर्थिक व राजनीतिक रूप में इसकी कीमत चुकानी पडी । हमारे विचारों में जब-जब संकीर्णता आई, आपस में झगड़े हुए । हमने जब कभी नए विचारों से अपना मुख मोड़ा, हमें हानि ही हुई, हम विदेशी शासन के अधीन हो गए ।”

ये बातें स्व. प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय एकता सम्मेलन के दौरान कही थीं । सचमुच राष्ट्रीय एकता सशक्त और समृद्ध राष्ट्र की आधारशिला होती है । राष्ट्रीय एकता के छिन्न होने पर देश की स्वतन्त्रता भी अक्षुण्ण नहीं रह पाती ।

राष्ट्रीय एकता का तात्पर्य हैं- राष्ट्र के विभिन्न घटकों में परस्पर एकता, प्रेम एवं भाईचारे का कायम रहना, भले ही उनमें वैचारिक और आस्थागत असमानता क्यों न हो ।  भारत में कई धर्मों एवं जातियों के लोग रहते हैं, जिनके रहन-सहन एवं आस्था में अन्तर तो है ही, साथ ही उनकी भाषाएँ भी अलग-अलग हैं । इन सबके बावजूद पूरे भारतवर्ष के लोग भारतीयता की जिस भावना से ओत-प्रोत रहते हैं उसे राष्ट्रीय एकता का विश्वभर में सर्वोत्तम उदाहरण कहा जा सकता है ।

राष्ट्रीय एकता का परिणाम है कि जब कभी भी हमारी एकता को खण्डित करने का प्रयास किया गया, भारत का एक-एक नागरिक सजग होकर ऐसी असामाजिक शक्तियों के विरुद्ध खड़ा दिखाई दिया । रवीन्द्र नाथ ‘टैगोर’ ने कहा है- ”भारत की एकता तथा चेतना समय की कसौटी पर सही सिद्ध हुई है ।”

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीयता के लिए भौगोलिक सीमाएँ, राजनीतिक चेतना और सांस्कृतिक एकबद्धता अनिवार्य होती हैं । यद्यपि प्राचीनकाल में हमारी भौगोलिक सीमाएँ इतनी व्यापक नहीं थी और यहाँ अनेक राज्य स्थापित थे तथापि हमारी संस्कृति और धार्मिक चेतना एक थी ।

कन्याकुमारी से हिमालय तक और असोम से सिन्ध तक भारत की संस्कृति और धर्म एक थे । यही एकात्मकता हमारी राष्ट्रीय एकता की नींव थी । भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अपनी-अपनी अलग परम्परा, रीति-रिवाज व आस्थाएँ थी, किन्तु समूचा भारत एक सांस्कृतिक सूत्र में आबद्ध था ।

इसी को अनेकता में एकता एवं विविधता में एकता कहा जाता है और यही पूरी दुनिया में भारत की अलग पहचान स्थापित कर, इसके गौरव को बढाता है । हम जानते हैं कि राष्ट्र की आन्तरिक शान्ति तथा सुव्यवस्था और बाहरी दुश्मनों से रक्षा के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक है ।

यदि हम भारतवासी किसी कारणवश छिन्न-भिन्न हो गए, तो हमारी पारस्परिक फूट को देखकर अन्य देश हमारी स्वतन्त्रता को हड़पने का प्रयास करेंगे । इस प्रकार, अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा एवं राष्ट्र की उन्नति के लिए भी राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक है ।

इतिहास के अध्ययन से हमें पता चलता है कि प्राचीनकाल में समूचा भारत एक ही सांस्कृतिक सूत्र में आबद्ध था, किन्तु आन्तरिक दुर्बलता के कारण विदेशी शक्तियों ने हम पर आधिपत्य स्थापित कर लिया । इन विदेशी शक्तियों ने हमारी सभ्यता और संस्कृति को नष्ट करना शुरू किया जिससे हमारी आस्थाओं एवं धार्मिक मूल्यों का धीरे-धीरे पतन होने लगा ।

राष्ट्रीय एकता परिषद के अधिवेशन में तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री मोरारजी देसाई ने कहा था- ”भारत में 1865 ई से पूर्व कभी साम्प्रदायिक दगे नहीं हुए । यहाँ सदियों से विभिन्न धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहते आए है, किन्तु अंग्रेजों के शासनकाल में यहाँ हिन्दू-मुस्लिम दगे शुरू हो गए । यह अंग्रेजों की सोची-समझी कूटनीतिक चाल थी और इसका लाभ ब्रिटिश सरकार ने उठाया । कभी उन्होंने हिन्दुओं का समर्थन किया, तो कभी मुसलमानों का और कभी ईसाइयों का। अन्त में विभाजन हुआ । अगर हम इस विभाजन को न स्वीकारते, तो अंग्रेज अपने को बनाए रखते ।”

लगभग एक हजार वर्षों की परतन्त्रता के बाद अनेक संघर्षों व बलिदानों के फलस्वरूप हमें स्वाधीनता प्राप्त हुई । स्वतन्त्रता प्राप्त करने के बाद हमारी एकता सुदृढ़ तो हुई, परन्तु आज साम्प्रदायिकता, क्षेत्रीयता, जातीयता और भाषागत अनेकता ने पूरे देश को आक्रान्त कर रखा है ।

आज कभी देशवासी मन्दिर-मस्जिद को लेकर झगड़ पड़ते हैं, तो कभी अंग्रेजी-हिन्दी को लेकर, कभी असोम, महाराष्ट्र जैसे राज्यों से अन्य राज्यवासियों को भगाया जाता है, तो कभी एक ही धर्म के लोग जात-पाँत की बातों पर उलझ पडते हैं ।

देश में बाबरी मस्जिद गिराए जाने, गोधरा काण्ड, मुजफुफरनगर दगे जैसी स्थितियाँ फिर से न आएँ, इसके लिए साम्प्रदायिक विद्वेष, स्पर्द्धा, ईर्ष्या आदि राष्ट्र विरोधी भावनाओं को अपने मन से दूर रखकर सद्‌भावना का वातावरण कायम रखना आवश्यक है ।

तभी हम ‘डॉ. एस राधाकृष्णन’ की कही गई इस बात को सही साबित कर सकते हैं- ”भारत ही अकेला देश है, जहाँ मन्दिरों, गिरिजाघरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और मठों में शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व है ।”  आज देश की राष्ट्रीय एकता को सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद से है । आतंकवाद न केवल हमारी, बल्कि सम्पूर्ण विश्व की समस्या है ।

आतंकवादियों द्वारा कभी मुम्बई को निशाना बनाया जाता है, तो कभी देश की राजधानी दिल्ली को । आज कश्मीर की समस्याएँ आतंकवाद की ही देन हैं ।  पिछले दो दशकों में इस आतंकवाद ने देश के कई राज्यों में अपार क्षति पहुँचाई है । इन सबके अतिरिक्त अलगाववादियों ने भी हमारी एकता को भंग करने का असफल प्रयास किया है ।

राष्ट्रीय एकता में बाधक अनेक शक्तियों में अलगाव की राजनीति भी एक है । यहाँ के राजनेता वोट बैंक बनाने के लिए कभी अल्पसंख्यकों में अलगाव के बीज बोते हैं, कभी आरक्षण के नाम पर पिछड़े वर्गों को देश की मुख्य धारा से अलग करते हैं, तो कभी किसी विशेष जाति, प्रान्त या भाषा के हिमायती बनकर देश की राष्ट्रीय एकता को खण्डित करने की कोशिश करते हैं ।

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हो, खालिस्तान की माँग हो, असोम या गोरखालैण्ड की पृथकता का आन्दोलन हो इन सबके पीछे वोटबैंक की राजनीति ही दिखाई पड़ती है । इस देश के हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई सभी परस्पर प्रेम से रहना चाहते हैं, लेकिन भ्रष्ट राजनेता उन्हें बाँटकर अपना उल्लू सीधा करने में जुटे रहते हैं ।

इन समस्याओं के समाधान का उत्तरदायित्व मात्र राजनेताओं अथवा प्रशासनिक अधिकारियों का ही नहीं है, इसके लिए तो सम्पूर्ण जनता को मिल-जुलकर प्रयास करना होगा । इतिहास साक्षी है कि अनेक धर्मों, अनेक जातियों और अनेक भाषाओं वाला यह देश अनेक विसंगतियों के बावजूद सदा एकता के एकसूत्र में बँधा रहा है । यहाँ अनेक जातियों का आगमन हुआ और बे धीरे-धीरे इसकी मूल धारा में विलीन हो गई ।

उनकी परम्पराएँ, विचारधाराएँ और संस्कृतियाँ इस देश के साथ एक रूप हो गई । भारत की यह विशेषता आज भी ज्यों-की-त्यों बनी हुई है । भारत के नागरिक होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि हम इस भावना को नष्ट न होने दे वरन् इसको और अधिक पुष्ट बनाएँ ।

यदि हमारा देश संगठित है, तो विश्व पटल पर इसे बड़ी शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता । हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जो राष्ट्र संगठित होता है, उसे न कोई तोड़ सकता है और न ही कोई उसका कुछ बिगाड़ ही सकता है बह अपनी एकता एवं सामूहिक प्रयास के कारण सदा प्रगति के पथ पर अग्रसर रहता है ।

कई बार हमारे विरोधी, देश या पैसे के लिए सब कुछ बेच देने वाले कुछ स्वार्थी लोगों ने अराजकता एवं आतंकी कार्यों द्वारा हमारी एकता को भंग करने का असफल प्रयास किया है । अगर इन बिघटनकारी और विध्वंसकारी प्रवृत्तियों पर पूरी तरह से नियन्त्रण नहीं किया गया, तो भारत की एकता और अखण्डता पर खतरा बना ही रहेगा । जब देश में कोई भी दो राष्ट्रीय घटक आपस में संघर्ष करते हैं, तो उसका दुष्परिणाम भी पूरे देश को भुगतना पड़ता है ।

मामला आरक्षण का हो या अयोध्या के राम मन्दिर का, सबकी गूँज प्रदेश के जन-जीवन को प्रभावित करती है । ऐसे में देश के सभी नागरिकों का कर्तव्य बन जाता है कि वे राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने हेतु तन, मन, धन से समर्पित रहें ।

आज आवश्यकता है हम सब देशवासियों को महात्मा गाँधी के इस कथन से प्रेरणा लेकर अपने कर्म पथ पर दृढ़प्रतिज्ञ होकर चलते हुए देश की एकता और अखण्डता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए भारत माता की सेवा में तन-मन-धन से जुट जाने की – ”जब तक हम एकता के सूत्र में बँधे हैं, तब तक मजबूत हैं और जब तक खण्डित हैं, तब तक कमजोर है ।”

आज आवश्यकता है केन्द्रीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय एकता परिषद को फिर से सक्रिय करने की, ताकि देशवासी आन्तरिक मतभेदों को भुलाकर आपस में प्रेम-भाईचारे के साथ रह सकें । सारे संचार माध्यमों को भी मिल-जुलकर राष्ट्रीय एकता को बढावा देने में सहयोग करना चाहिए, क्योंकि सिनेमा, टेलीविज़न, अखबार व पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों में राष्ट्रीय एकता की भावना का संचार प्रभावपूर्ण ढंग से किया जा सकता है ।

लेखकों व कलाकारों का भी दायित्व बनता है कि वे अपनी रचनाओं व कला के माध्यम से लोगों में राष्ट्रीय एकता की भावना जागृत करें, क्योंकि साहित्य व कला का संसार जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के बन्धनों से परे होता है । राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए असमानता लाने वाले कानूनों को खत्म किया जाना भी अति आवश्यक है ।

शैक्षिक संस्थानों को भी इस कार्य में बढ़-चढ़कर योगदान देना होगा । पूर्व प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता की इन पंक्तियों को पढ़कर अपनी राष्ट्रीय एकता को सर्वदा अक्षुण्ण रखने का संकल्प लें-

‘बाधाएँ आती हैं आएँ

घिरें प्रलय की घोर घटाएँ

पाँवों के नीचे अंगारे

सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ

निज हाथों में हँसते-हँसते

आग लगाकर जलना होगा

कदम मिलाकर चलना होगा ।”

Related Articles:

  • एकता और अनुशासन पर निबंध | Essay on Unity and Discipline in Hindi
  • भारत में राष्ट्रीय एकता खतरे में (निबन्ध) |Essay on National Integration is in Danger in India in Hindi
  • हमारा राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध | Essay on Our National Flag in Hindi
  • भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध | Essay on India ‘s National Festivals in Hindi

Home

  • Website Inauguration Function.
  • Vocational Placement Cell Inauguration
  • Media Coverage.
  • Certificate & Recommendations
  • Privacy Policy
  • Science Project Metric
  • Social Studies 8 Class
  • Computer Fundamentals
  • Introduction to C++
  • Programming Methodology
  • Programming in C++
  • Data structures
  • Boolean Algebra
  • Object Oriented Concepts
  • Database Management Systems
  • Open Source Software
  • Operating System
  • PHP Tutorials
  • Earth Science
  • Physical Science
  • Sets & Functions
  • Coordinate Geometry
  • Mathematical Reasoning
  • Statics and Probability
  • Accountancy
  • Business Studies
  • Political Science
  • English (Sr. Secondary)

Hindi (Sr. Secondary)

  • Punjab (Sr. Secondary)
  • Accountancy and Auditing
  • Air Conditioning and Refrigeration Technology
  • Automobile Technology
  • Electrical Technology
  • Electronics Technology
  • Hotel Management and Catering Technology
  • IT Application
  • Marketing and Salesmanship
  • Office Secretaryship
  • Stenography
  • Hindi Essays
  • English Essays

Letter Writing

  • Shorthand Dictation

Bharat ki Ekta aur Akhandta “भारत की एकता और अखंडता” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 10, 12 and Graduate Students.

भारत की एकता और अखंडता, bharat ki ekta aur akhandta.

भारत के प्रत्येक राज्य के रहन-सहन के अपने अपने तौर-तरीके हैं। इसमें रहने वाले विभिन्न समुदायों में अत्यधिक विभिन्नता है। इनमें एक-दूसरे से अपनी घरेलू व्यवस्थाओं, खान-पान, पहनावे, सामाजिक परिपाटियों और वर्ष के विभिन्न मौसमों तथा जन्म, विवाह और मृत्यु के समय मनाए जाने वाले अनुष्ठाना में व्यापक विभिन्नता है। यहां हिन्दु धर्म, सिक्ख धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, पारसी धर्म, इस्लाम और इसाई धर्म के अनुयायी रहते हैं। अतः, जबकि यह महसूस करना सहज है कि भारत अथवा ‘भारतीय’ अन्य प्रमुख सभ्यताओं से थोड़ा अलग है, तो भी निष्कर्षतः यह परिभाषित करना और अनुभव करना मुश्किल है कि मूलत: भारत क्या है, अथवा किस प्रकार ऐसे विभिन्न लोग और ऐसी संस्कृतियां एक-दूसरे से संबद्ध हो सकती है। और यही वह अपरिभाष्य तत्व है जो एक भारतीय को विनिर्दिष्ट करता है।

यद्यपि भारत में संस्कृति में विविधता और भिन्नता है फिर भी यह देशवासियों को सामान्य पहचान के किसी रूप में एक साथ पिरोए रखती है। भारतीय संस्कृति, मुख्यतया नाटकों और कलाओं, द्वारा परिवर्तनों के विभिन्न दौरों से गुजरने के बावजूद भी एक सुस्पष्ट एकता और अविछिन्नता द्वारा अभिलक्षित होती है। हालांकि भारत में विविध भाषाएं, धर्म, प्रथाएं, त्यौहार तथा पहनावा, संस्कृति की विपुल धरोहर विद्यमान है ! तथापि हाल के पाश्चात्य अभिमुखीकरण के बावजूद, भारतीय आज भी पुरातन काल की प्रथाओं और मूल्यों द्वारा अत्यधिक प्रभावित है।

श्रीमती इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय अखंडता के सार को उजागर करते हुए एक बार कहा था, “राष्ट्र एक पच्चीकारी के समान है —–,,,” एक कलात्मक रचना की तरह। सदृढ़ता और सुन्दरता के पूर्ण प्रभाव देने के लिए इसमें अनेक तत्व, अनेक संरचनाएं और अनेक रंग प्रयुक्त होते हैं। भारत राष्ट्र व्यक्तियों का, पोशाकों और खान-पान का, संस्कृतियों का, भाषाओं का, सम्प्रदायों की ऐसे ही समृद्ध पच्चीकारी के समान है। अब तक इस विविधता को भारतीयता के अमूर्त गण के आवरण ने ढका हुआ है, हमारी धरोहर छोटी और बड़ी ऐसी अनेक धाराओं के संगम के समान है जिन्होंने भिन्न-भिन्न कालों में भारत की प्रगति की धारा में योगदान दिया है। ये सभी विविध अंश एक साथ मिलकर समग्रता का निर्माण करते हैं। सर्वाधिक नवीन विविधता की छोटी से छोटी बात को नकारने या इसकी उपेक्षा करने से भारत का हास ही होगा।”

इस तरह की विभिन्नताएं सर्वदा ही विद्यमान रही है, किन्तु आजादी के समय ये हमारी पूर्ण दृष्टि में आ सकी। आजादी का उल्लास क्षणिक ही था क्योंकि विभाजन सांप्रदायिक संघर्ष के रूप में भारत के लिए विध्वंसकारी परिणाम ले कर सामने आया। विभाजन के कारण असीम विपत्ति आ गई और धन-जन की अपार क्षति हुईं क्योंकि लाखों हिन्दू अथवा मुस्लिम शरणार्थी या तो पाकिस्तान अथवा भारत चले गए। दोनों राष्ट्र अनेक संघर्षों में भी उलझ गए जिनमें संपत्तियों का आबंटन, सीमा का निर्धारण, जल संसाधन का न्याय संगत बटवारा, तथा कश्मीर पर नियंत्रण इत्यादि शामिल थे। साथ ही, भारतीय नेतागणों के समक्ष राष्ट्रीय अखण्डता एवं आर्थिक विकास जैसे प्रमुख कार्य उपस्थित हो गए।

जब ब्रिटिशों ने प्रभुत्व संबंधी अपने दावे छोड़ दिए तो 562 स्वतंत्र देशी रिसायतों को दोनों देशों में से किसी भी एक देश में शामिल होने का विकल्प दिया गया। कुछ देशी रियासत सहर्ष ही पाकिस्तान में शामिल हो गई, किन्तु हैदराबाद,जम्मू एवं कश्मीर एवं जूनागढ़ की रियासतों को छोड़कर शेष भारत में शामल हो गई। “पुलिस कार्यवही” तथा शासकों को विशेषाधिकारों का आश्वासन देकर भारत ने हैदराबाद तथा जूनागढ़ का सफलतापूर्वक विलय कर दिया। मुस्लिम बहुलता वाले जम्मू व कश्मीर के हिन्दू महाराजा स्वतंत्र बने रहे। किन्तु पाकिस्तानी सशस्त्र जनजातियों एवं नियमित सैनिकों ने उनके क्षेत्र में घुसपैठ की जिससे वे 27 अक्तूबर, 1947 को भारत के साथ अधिमिलन के दस्तावेज (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर करने हेतु प्रवृत्त हुए। पाकिस्तान ने अधिमिलन की वैधानिकता को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। इसके परिणामस्वरूप, युद्ध छिड़ गया। कश्मीर आज भी दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव का मूल कारण बना हुआ है। 30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली में महात्मा गांधी की एक हिन्दी अतिवादी, जो मस्लिमों के प्रति गांधी की उदारता की नीति के विरूद्ध था, द्वारा हत्या किए जाने से आजादी का उत्साह खत्म हो गया और हिन्दू-मुस्मिल संबंधों के बीच नफरत और आपसी संदेह और भी गहरा हो गया।

आजादी के समय भारत के समक्ष प्रस्तुत गंभीर चुनौतियों में से एक चुनौती आर्थिक पिछड़ापन थी। नेहरू के नेतृत्व में 1951 तथा 1964 के मध्य चलाई गई तीन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत भारत में खाद्यान्न का अत्यधिक उत्पादन हुआ। हालांकि राजकोषीय वर्ष 1984 तक खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता नहीं प्राप्त की जा सकी, फिर भी भारत विश्व में सातवें सर्वाधिक सकल राष्ट्रीय उत्पाद वाले राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आया है। भाषायी क्षेत्रीयतावाद अन्ततः संकटपूर्ण चरण में पहुंच गया और इसने राष्ट्र निर्माण हेतु कांग्रेस के प्रयासों को कमजोर बना दिया। जबकि 1920 के आरंभिक दशक में कांग्रेस का मानना था कि शिक्षा तथा प्रशासन में क्षेत्रीय भाषाओं के प्रयोग से देश का शासन सुकर बन जाएगा, विभाजन के परिणामस्वरूप नेतागणों विशेषतया नेहरू ने महसूस किया कि ऐसे प्रान्तीय अथवा उप-राष्ट्रीय हितों से कितनी जल्दी भारत की कमजोर एकता विघटित हो जाएगी। तथापि, 1953 में तेलंगाना आन्दोलन से शुरू हुए राज्यों के भाषायी अलगाव के लिए व्यापक आंदोलन को देखते हुए नेहरू ने राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों को अनिच्छापूर्वक स्वीकार किया और भाषायी आधार पर पुनर्गठन के लिए राज्यों की संख्या बढ़ गई। राज्य, जिला स्तरों पर राजनीतिक प्रक्रियाओं के प्रजातांत्रिकरण, राष्ट्रीय संस्कृति एवं एकता के विरूद्ध क्षेत्रीय संस्कृति एवं जनप्रिय मांगों की अभिव्यक्ति, ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यनीतिगत अवस्थानों में आर्थिक विकास तथा प्रतिपक्षों के अत्यधिक संख्या में उभरने, जिससे एक-भारतीय द्वि-दलीय प्रणाली की संभावना खत्म हो गई, का केन्द्र-स्थल बन गया।

भारतीय संघ के आरंभिक वर्षों में ऐसे लोगों ने भाषायी आधारों पर राज्यों के पुनर्गठन में मुख्य भूमिका निभायी जिन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं में उच्च शिक्षा देने की वकालत की थी। 1960 के दशक तक भारत सरकार ने सहमति दी कि उच्च शिक्षा की अधिकांश संस्थाओं में क्षेत्रीय भाषाओं को शिक्षा के माध्यम के रूप में प्रयुक्त किया जाएगा। क्या क्षेत्रीय भाषाओं की भूमिका से भारतीय स्थायित्व के लिए हानिकारक वजूदों को प्रोत्साहन मिलेगा? क्या क्षेत्रीय भाषाओं में उच्च शिक्षा से क्षेत्रीय हितों के संकीर्ण संकेन्द्रणों वाले प्रान्तीय राजनीतिज्ञों को पैदा करने का ही कार्यसिद्ध होगा? इन महत्वपूर्ण प्रश्नों ने भारतीय राष्ट्राय नेताओं को अत्यधिक चिंतित कर दिया।

1960 के दशक के आरंभिक वर्षों में अनेक सरकारी निकायों ने भारत की विभाजन संबंधी संभावना को नियंत्रित करने में मदद करने हेतु विभिन्न उपायों की चर्चा की। उदाहरण के लिए, आर्थिक एकीकरण संबंधी समिति, जिसे शिक्षा मंत्रालय द्वारा 1961 में गठित किया गया था, द्वारा “राष्ट्रीय जीवन में भावनात्मक एकता की प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने” में शिक्षा की भूमिका का अध्ययन करने का प्रयास किया गया। 1954 में, केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकारों को शैक्षिक संस्थाओं को राष्ट्रगान गाने तथा राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास तथा महत्व के बारे में छात्रों को शिक्षित करने की पहले ही सलाह दी थी। ऐसा सुझाव दिया गया कि ध्वज का आरोहण तथा अभिवादन को स्कूली नेमी के भाग के रूप में व्यवहत किया जाना चाहिए ।समिति ने समान शैक्षिक मानदण्डों तथा राष्ट्रीय एकता की भावना की सतत शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया। समिति ने सामान्य जन समुदाय और स्थानीय उच्च वर्गों के बीच रिश्तों के सुदृढ़ीकरण के एक माध्यम के रूप में क्षेत्रीय भाषाओं के प्रयोग को भी बढ़ावा दिया। इसके विपरीत, किसी भी हालत में जाति तथा सांप्रदायिक वजूदों को बढ़ावा नहीं दिया गया। हालांकि समिति ने भाषायी भिन्नताओं को स्वीकारा, फिर भी इसने भावनात्मक रूप से एकीकृत एक ऐसे भारतीय की तलाश की जिसकी भावनाएं केन्द्रीय शक्ति का समर्थन करेगी। राजीव गांधी के समय एक तीन-भाषायी सूत्र स्कूलों में अपनाया गया था और सिविल सेवकों को अब रोजगार के लिए पड़ोसी राज्यों को चुनने की आवश्यकता नहीं थी। इसका लक्ष्य लोगों को एक नई भाषा सीखने के लिए प्रवृत्त करना था जिससे भावनात्मक संबंध और समझ-बूझ को बढ़ावा दिया जाता।

एक सुदृढ़ राष्ट्रीय वजूद की रचना करने में सहायता करने हेतु शिक्षा को प्रयोग करने के प्रयासों से भारतीय संघवाद की प्रकृति के बारे में अन्तर्दृष्टि मिली। वर्तमान काल की अनुकूल परिस्थिति में भारत की आजादी के पहले दशक अत्यधिक सफल प्रतीत हुए। युगोस्लाविया में प्रचलित संघवाद के विपरीत. भारत, साम्राज्यवाद आरोपित एकता के पश्चात परस्पर विरोधी गुटों से अलग रहा। तथापि, भारतीय संघ की सफलता सभी भारतीयों के मध्य भावनात्मक संबंध बनाने के प्रयास के कारण नहीं थी। भारत के लिए अधिक महत्वपूर्ण उसकी संघात्मक संरचना है, जिसे भारत सरकार अधिनियम, 1935 द्वारा स्थापित किया गया और इसे बह-सांस्कृतिक क्षेत्र के रूप में सदियों के अनुभव द्वारा बल मिला। वस्तुतः, भाषा संबंधी विषयों पर दर्शाई गई सहिष्णुता उस एप्रोच के प्रकार का उदाहरण है जो ऐसी संवैधानिक संरचना, जिससे ऐसी राजनीतिक प्रणाली सृजित हुई जो विविधता को प्रस्फुटित होने देती है, के साथ स्थायित्व कायम रखने के लिए आवश्यक है।

अभी भी हमारे सामने पूरी समस्याएं पुनः उभर कर आ रही हैं और इस महान राष्ट्र के निर्माताओं की तरह हमें भी अपना ध्यान भारत को भावनात्मक रूप से एकीकृत करने पर संकेन्द्रित करना है। यह समस्या अपेक्षाकृत अधिक आधुनिक पोशाक में भी वैसी ही प्रतीत होती है। आज कावेरी जल बंटवारे पर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच जो कुछ भी हो रहा है, उस जैसे मामलों के बारे में नेहरू ने दशकों पूर्व कहा था. “अनेक राज्य नियोजन, आर्थिक विकास तथा अन्य विकासों के मध्य बाधा उत्पन्न करते हैं” प्रत्येक बड़ी योजना एक या दो से अधिक राज्यों से अधिक राज्यों को प्रभावित करती है —— हमें —- साथ कार्य करने हेतु सामान- विचित्र जुगतों से गुजरना है …..,” उन्होंने कहा। इन अभियुक्तियों की प्रतिध्वनि को अब कावेरी जल मामले पर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच लगातार महसूस किया गया है।

नेहरू के लिए भाषायी सिद्धान्त को प्राथमिकता कम था। “यदि अभी आप कथित भाषायी राज्यों को सृजित करने में सफल हो जाएंगे तो दस या बीस वर्षों के बाद क्या होगा? क्या आप लोगों को एक राज्य से दूसरे राज्य जाने से रोक रहे हैं? —– (इस आंदोलन द्वारा) राज्य की भाषायी संरचना बदल जाएगी।” नेहरू के अनुसार, राजनीतिक आजादी प्राप्ति के बाद भारत के लिए देश के भीतर सर्वाधिक महत्वपूर्ण समस्या आर्थिक एकीकरण की समस्या है, जो विधिक अथवा संवैधानिक विषय नहीं है। कितनी सच बात है!

नेहरू का राष्ट्रीय एकीकरण तथा साम्प्रदायिक सौहार्द पर बल एक ऐसा पहलू है जिसे हमेशा याद रखा जाएगा और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाया जाएगा। नेहरू ने लोकतंत्र, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता तथा शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व के स्तंभों पर स्वतंत्र भारत की नींव डाली। उसने भारत को एक रूप में समझा और सर्वदा इस बात पर बल दिया कि लोगों को देश की समस्याओं को एक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए।

आजाद भारत के बारे में नेहरू का स्वप्न बहुत ही स्पष्ट था। उन्होंने एक बार कहा था “एक बात जिसकी हम सभी को जानकारी होनी चाहिए वह यह है कि भारत में कोई ऐसा वर्ग, कोई ऐसा दल, कोई ऐसा धार्मिक समुदाय नहीं है जो कि तब भी प्रगति करेगा जब भारत प्रगति नहीं करेगा। यदि भारत का पतन होता है तो हम सभी का पतन होता है —- यदि भारत में सब कुछ ठीक है, यदि भारत एक सक्रिय, स्वतंत्र देश के रूप में रहता है तो हम सभी ठीक-ठाक होंगे चाहे हम किसी भी समुदाय अथवा धर्म से संबंध रखते हो।” काश हमारे वर्तमान नेतागण इसे कांग्रेस पार्टी के संदेश के ही रूप में नहीं देखते बल्कि आदर्श संदेश के रूप में देखते। आज की गठबंधन राजनीति में स्वयं सेवा सामान्य घटना प्रतीत होती है।

भारतीय एकता संबंधी जवाहरलाल का विचार केवल एक अमूर्त विचार नहीं है। सितम्बर 28, 1961 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय एकता सम्मेलन के शुरूआती सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने श्रोतागणों को सारण दिलाया,” शेष विश्व की तरह ही भारत में हम इतिहास के सर्वाधिक परिवर्तन की अवधि से गुजर रहे हैं। इसमें आश्चर्य की बात नहीं है कि इस परिवर्तन के दौरान ऐसी घटनाएं होती हैं जो हमेशा ही हमारी इच्छा के अनकल नहीं होती हैं। इसलिए में इन कष्टकर तथा अतिसंवेदनशील बातों को भयानक बातों के रूप में नहीं देखता। उन्हें घटित होना है और वस्तुतः जिस तरह ये घटित हो रही है उनसे यह पता चलता है कि हम आगे बढ़ रहे हैं और हमारे भीतर कुचले हुए आवेग ऊपर आ रहें हैं और हमारे सामने जो भी बुराइयाँ रही हैं उनसे हम मुकाबला कर रहे हैं।” 26 मार्च, 1964 को राष्ट्र के लिए एक प्रसारण में उन्होंने कहा “असौ से भारत के लोगों के लिए एक दूसरे के साथ सौहर्द से रहना एक गौरवान्वित सौभाग्य रहा है। यह भारतीय संस्कृति का आधार रहा है। बहुत पहले बुद्ध ने हमें यह शिक्षा दी थी। 2300 वर्ष पहले अशोक के समय से हमारे विचार के इस पहलू की लगातार घोषणा की गई है तथा इसका व्यवहार किया गया है। हमारे अपने दिनों में महात्मा गांधी ने इस पर अत्यधिक बल दिया और वस्तुतः उन्होंने अपनी जान गंवाई क्योंकि उन्होंने साम्प्रदायिक सदभावना तथा सौहार्द पर बल दिया। इसलिए हमें एक मूल्यवान धराहर को बचाए रखना है और हम इसके विपरीत काम नहीं कर सकते हैं।”

सांप्रदायिक मेल-मिलाप के प्रति नेहरू का दष्टिकोण आज के सांप्रदायिक रूप से अधिभारित समाज के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है। सांप्रदायिक संघर्षों, जिनसे सामाजिक सौहद नष्ट हो जाता है, को देखकर उनका मन व्यथित हो गया और उन्होंने धर्मान्धता, जिससे साम्प्रदायिक संघर्ष जन्म लेता है, को दूर करने की भरसक कोशिश की। उन्होंने लोगों को सावधान कियाः” हमें देश में उन विध्वंसक प्रवृत्तियों के विरूद्ध अवश्य ही सजग रहना चाहिए जो मौका मिलते ही अपना सिर उठाती है। इन प्रवृत्तियों में से कुछ ऐसी प्रवृत्तियां हैं जो साम्प्रदायिकता के नाम के अन्तर्गत आती हैं- धार्मिक वेश में राजनीति, एक धार्मिक वर्ग को दूसरे धार्मिक वर्ग से नफरत करने के लिए उकसाना।”

राष्ट्रवाद के बारे में चर्चा करते हुए नेहरू ने कहा, “राष्ट्रवाद का अर्थ हिन्दू राष्ट्रवाद, मुस्लिम राष्ट्रवाद अथवा सिक्ख राष्ट्रवाद नहीं है। जैसे ही आप हिन्दु, सिक्ख अथवा मुस्लिम की बात करते हैं तो आप भारत की बात नहीं करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को खुद से यह प्रश्न पूछना चाहिए: आप भारत को किस रूप में देखना चाहते हैं- एक देश, एक राष्ट्र अथवा 10, 20 या 25 राष्ट्र मजबूती अथवा स्थायित्व बगैर एक खंडित अथवा, विभाजित राष्ट्र जो हल्के-से-हल्के झटके से टुकड़ों में बट सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को इस प्रश्न का जवाब देना है। अलगाव सदा से ही भारत की कमजोरी बनी हुई है। विखण्डनकारी प्रवृत्तियां, चाहे वे हिन्दू से संबंध रखती हों अथवा मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई अथवा अन्य समुदायों से, अत्यन्त खतरनाक और गलत हैं। ये तुच्छ एवं पिछड़े विचारों से संबंध रखती हैं। कोई भी जो युगबोध को समझता है, सांप्रदायिकता के संबंध में नहीं सोच सकता है।”

नेहरू ने कहा, “मैं भारत की एकता पर बल देता हूं, केवल राजनीतिक एकता के लिए नहीं जो हमने प्राप्त की है वरन कुछ दूरगामी, भावनात्मक एकता, हमारे मन और आत्मा के एकीकरण, अलगाववाद की भावनाओं को कुचलने के लिए।”

एक इतिहासकार के रूप में जवाहरलाल ने सभ्यताओं के उत्थान और पतन के कारणों का विश्लेषण किया। उन्हें भारत के पतन के कारणों की भी जानकारी थी। दिसम्बर, 1955 में त्रिचूर में भाषण देते हुए उन्होंने बतलाया “हमारे सामने इतिहास की सीख मौजूद हैं। हमने यह देखा है कि अपनी अनेक विशिष्टताओं तथा श्रेष्ठ क्षमताओं के बावजूद हम राष्ट्रों की दौड़ में लगातार पिछड रहे हैं और हमारे बीच इस एकता की कमी के कारण ही भारत के समस्त समुदाय जातियों और संप्रदायों में विभाजित हो गए हैं जो एक साथ आगे नहीं बढ़ते। इसलिए मैं हर कहीं भारत की एकता और साम्प्रदायिकता, प्रान्तीयतावाद, अलगाववाद तथा जातिवाद से लड़ने की अपनी आवश्यकता पर जोर देता हूं।”

नेहरू को स्मरण करना राष्ट्रीय एकता और अखण्डता पर उनके संदेश को स्मरण करना है। उन्होंने कहा “मुख्य बात जिसे हमें याद रखना वह है भारत की भावनात्मक अखण्डता — हमें इस महान देश को शक्तिशाली देश के रूप में निर्मित करना है शक्तिशाली इस शब्द के सामान्य अर्थ, जो विशाल सेनाओं इत्यादि का होना है, में नहीं बनाना है वरन विचार में शक्तिशाली, कार्य में शक्तिशाली, संस्कृति में शक्तिशाली तथा मानवता की शन्तिपूर्ण सेवा में शक्तिशाली बनाना है।” ये शब्द पचास वर्ष पहले कहे गए हैं परन्तु प्रत्येक शब्द अत्यधिक प्रासंगिक है।

About evirtualguru_ajaygour

speech on ekta in hindi

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Links

speech on ekta in hindi

Popular Tags

Visitors question & answer.

  • Gangadhar Singh on Essay on “A Journey in a Crowded Train” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
  • Hemashree on Hindi Essay on “Charitra Bal”, “चरित्र बल” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.
  • S.J Roy on Letter to the editor of a daily newspaper, about the misuse and poor maintenance of a public park in your area.
  • ashutosh jaju on Essay on “If there were No Sun” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
  • Unknown on Essay on “A Visit to A Hill Station” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

Download Our Educational Android Apps

Get it on Google Play

Latest Desk

  • Role of the Indian Youth | Social Issue Essay, Article, Paragraph for Class 12, Graduation and Competitive Examination.
  • Students and Politics | Social Issue Essay, Article, Paragraph for Class 12, Graduation and Competitive Examination.
  • Menace of Drug Addiction | Social Issue Essay, Article, Paragraph for Class 12, Graduation and Competitive Examination.
  • How to Contain Terrorism | Social Issue Essay, Article, Paragraph for Class 12, Graduation and Competitive Examination.
  • Sanskrit Diwas “संस्कृत दिवस” Hindi Nibandh, Essay for Class 9, 10 and 12 Students.
  • Nagrik Suraksha Diwas – 6 December “नागरिक सुरक्षा दिवस – 6 दिसम्बर” Hindi Nibandh, Essay for Class 9, 10 and 12 Students.
  • Jhanda Diwas – 25 November “झण्डा दिवस – 25 नवम्बर” Hindi Nibandh, Essay for Class 9, 10 and 12 Students.
  • NCC Diwas – 28 November “एन.सी.सी. दिवस – 28 नवम्बर” Hindi Nibandh, Essay for Class 9, 10 and 12 Students.
  • Example Letter regarding election victory.
  • Example Letter regarding the award of a Ph.D.
  • Example Letter regarding the birth of a child.
  • Example Letter regarding going abroad.
  • Letter regarding the publishing of a Novel.

Vocational Edu.

  • English Shorthand Dictation “East and Dwellings” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines.
  • English Shorthand Dictation “Haryana General Sales Tax Act” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • English Shorthand Dictation “Deal with Export of Goods” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • English Shorthand Dictation “Interpreting a State Law” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.

HindiKiDuniyacom

राष्ट्रीय एकीकरण पर स्पीच

भारत जैसे विशाल और विषम देश में संस्कृतियों की बड़ी विविधता के साथ राष्ट्रीय एकता की भावना सबसे विशिष्ट विशेषताओं में से एक है। इससे सभी संकीर्ण मतभेदों के खत्म होने में मदद मिलती है। राष्ट्रीय एकता ने भारत को एक राष्ट्रीय पहचान और राष्ट्रीय चरित्र बनाने में मदद की है। सामाजिक, सांस्कृतिक, क्षेत्रीय, धार्मिक, भाषाई और आर्थिक विविधता के बावजूद एकता, एकजुटता और सामंजस्य की भावना को बढ़ावा दिया है। ऐसे कई अवसर हैं जब राष्ट्रीय एकता के गहन अर्थपूर्ण विषय पर बात करने की आवश्यकता पड़ती है।

राष्ट्रीय एकीकरण पर छोटे तथा बड़े भाषण (Short and Long Speech on National Integration in Hindi)

यहां पर उपस्थित सभी सज्जनों को मेरी तरफ से नमस्कार! आज मैं ‘राष्ट्रीय एकता’ के विषय पर एक स्पीच (भाषण) पेश करने के लिए यहां हूं। यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि इसका देश की एकजुटता और अखंडता पर गहरा असर पड़ता है।

राष्ट्रीय एकता का क्या अर्थ है? इसका तात्पर्य किसी देश के निवासियों की सामूहिक पहचान से है। यह दर्शाता है कि भले ही हम सभी विभिन्न धर्मों, क्षेत्रों, जातियों से संबंध रखते हो और अलग-अलग भाषा बोलते हो पर हमें हमेशा यह महसूस करना चाहिए कि हम सभी एक हैं। एक समृद्ध और मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए एकता की यह भावना बहुत महत्वपूर्ण है। एकीकरण का वास्तविक अर्थ एकीकृत धागे के साथ बहुसंख्यक पहचान का अस्तित्व है।

बेंजामिन फ्रैंकलिन के शब्दों को माने तो – “राष्ट्रीय एकता का मतलब पूरे देश के लोगों का एकीकरण एक आम पहचान के लिए है।”

भारत एक विशाल भूमि का प्रदेश है जिसमें विभिन्न समुदायों, संस्कृतियों और जातियों के लोग रहते हैं। यहाँ सभी प्रांतों के लोगों का एकसाथ रहना लगभग असंभव सा लगता है और इन धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेदों के कारण ही हमारा देश अतीत में अंग्रेजों का गुलाम बन गया था। आज जब हमारा देश स्वतंत्र है तो हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बाहरी खतरों और आंतरिक असंतोष से इसकी अखंडता और सम्मान को संरक्षित करने की है।

राष्ट्रीय एकता न केवल एक मजबूत देश के गठन में मदद करती है बल्कि अपने लोगों के विकास को भी प्रोत्साहित करती है। भारत में 19 नवंबर से 25 नवंबर तक आम जनता के हित में जागरूकता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय एकता सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय एकता के विचार ने सामाजिक और धार्मिक मतभेदों को नष्ट करने का कार्य भी किया है। इसलिए यदि हमारे देश के लोग एकता के साथ खड़े रहे तो कई सामाजिक मुद्दों को समाप्त किया जा सकता है। विभिन्न विश्वासों को मानने वाले और विभिन्न समुदायों के लोग जो दूसरों के धर्मों से अपने धर्म को अच्छा बताते थे धीरे-धीरे एकता के महत्व को महसूस कर रहे हैं और देश की एकता और सम्मान के समर्थन में खड़े हो रहे हैं।

राष्ट्रीय एकता ने समानता के अदृश्य धागे के गठन की ओर अग्रसर किया है जो देश के विभिन्न हिस्सों में सामंजस्य स्थापित करती है। यह निश्चित रूप से देश की ताकत को बढ़ावा देता है। स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान भी हमारे देश के लोग अन्यायपूर्ण विदेशी शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए एक साथ खड़े हो गये थे।

अंत में मैं यह कहना चाहूंगा कि हम भारतीय नागरिकों को राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। राष्ट्रीय एकता पर इमानुएल क्लेवर द्वारा कहा गया एक प्रसिद्ध वाक्य इस प्रकार है “विभाजन से अधिक एकता में शक्ति है”। इसलिए हमें सभी सामाजिक, भाषाई और धार्मिक मतभेदों के बावजूद हमेशा एकजुट रहना चाहिए।

यहां मौजूद सभी सज्जनों को मेरी तरफ से नमस्कार! मैं ‘राष्ट्रीय एकता’ के विषय पर एक भाषण पेश करने के लिए आप सबके समक्ष यहां उपस्थित हूं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि इससे देश की एकता और अखंडता पर गहरा असर पड़ता है।

राष्ट्रीय एकता का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है कि किसी देश के निवासियों के बीच सामूहिक पहचान की प्राप्ति होना। यह दर्शाता है कि भले ही हम सभी विभिन्न धर्मों, क्षेत्रों, जातियों से संबंधित होते हैं और अलग-अलग भाषा बोलते हो हमें हमेशा यह महसूस करना चाहिए कि हम सभी एक हैं। एक समृद्ध और मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए एकता की यह भावना होना बहुत महत्वपूर्ण है। एकता का वास्तविक अर्थ एक एकीकृत धागे के साथ बहुसंख्यक पहचान का अस्तित्व है।

इस विषय पर बेंजामिन फ्रैंकलिन के कुछ अनमोल शब्द इस प्रकार हैं – “राष्ट्रीय एकता एक आम पहचान के लिए पूरे देश के लोगों का एकीकरण है।”

भारत एक विशाल प्रदेश है और विभिन्न समुदायों, संस्कृतियों और जातियों के लोग यहाँ एक साथ रहते हैं। सभी समुदायों के लोगों को एक साथ एकता रुपी धागे में बांधे रखना लगभग असंभव लगता है। इन धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेदों के कारण ही हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम बन गया था। अब जब हमारा देश बाहरी खतरों और आंतरिक असंतोष से स्वतंत्र है तो इसकी अखंडता और सम्मान को संरक्षित करने की हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।

राष्ट्रीय एकता न केवल एक मजबूत देश के गठन में मदद करती है बल्कि लोगों के विकास को भी प्रोत्साहित करती है। भारत में 19 नवंबर से 25 नवंबर तक की अवधि को आम जनता के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय एकता सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय एकता के विचार ने सामाजिक और धार्मिक मतभेदों को नष्ट करने का भी नेतृत्व किया है। इसलिए यदि हमारे देश के लोग एकता से खड़े रहे तो कई सामाजिक मुद्दों को समाप्त किया जा सकता है। विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग, जो पहले अपने धर्म को दूसरों के धर्म से अच्छा बताते थे, धीरे-धीरे एकता के महत्व को महसूस कर रहे हैं और देश की एकता और सम्मान के समर्थन में खड़े हैं।

राष्ट्रीय एकता ने समानता के अदृश्य रुपी धागे के गठन की ओर अग्रसर किया है जो देश को विभिन्न हिस्सों में बांधता है। इससे निश्चित रूप से देश की ताकत में इज़ाफा होता है। स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान हमारे देश के लोग अन्यायपूर्ण विदेशी शासन से स्वतंत्रता हासिल करने के लिए एक साथ आए।

अंत में मैं यह कहना चाहूंगा कि हम सभी भारतीय नागरिकों को देश राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। राष्ट्रीय एकता पर इमानुएल क्लेवर द्वारा कहा गया एक प्रसिद्ध वाक्य इस प्रकार है “विभाजन से एकता में अधिक शक्ति है”। इसलिए सभी सामाजिक, भाषाई और धार्मिक मतभेदों के बावजूद हमें हमेशा एकजुट रहना चाहिए।

इस अवसर का हिस्सा बनने के लिए अपना कीमती समय निकाल कर यहाँ उपस्थित होने के लिए आप सभी का धन्यवाद। यह मेरा सौभाग्य है जो आप जैसे उत्साही और बुद्धिमान दर्शकों को संबोधित करने का विशेषाधिकार मुझे मिला है।

आज मैं राष्ट्र के अस्तित्व और प्रगति के लिए ‘राष्ट्रीय एकता’ या ‘राष्ट्रीय अखण्डता’ हेतु आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं।

आम आदमी के रूप में ‘एकीकरण’ शब्द से हम समझते हैं कि यह विविध या भिन्न चीजों का मिश्रण है। तो ‘राष्ट्रीय एकीकरण’ का क्या मतलब हुआ? इसका मतलब है: यह विभिन्न धर्मों, क्षेत्रों और जातीय पृष्ठभूमि के अनुयायीओं के बीच एकता की भावना है।

इस प्रकार राष्ट्रीय एकता एक राष्ट्र की विविध संस्कृतियों और परंपराओं का मेल-जोल है। यह एक सकारात्मक पहलू है जो देश के लोगों या नागरिकों के बीच अंतर के साथ-साथ असमानताओं पर निर्भर रहती है।

राष्ट्रीय एकीकरण या देश की एकता को इस प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो एक सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से विविध समूहों को एक क्षेत्रीय इकाई में एक साथ लाती हो और एक राष्ट्रीय पहचान स्थापित करती है।

एक राष्ट्र के लिए समृद्ध और विकसित होने से अधिक महत्वपूर्ण यह है कि वह भीतर से एकीकृत हो। यह किसी भी देश के लिए अपने राष्ट्रीय एकीकरण को संरक्षित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। एक राष्ट्र के नागरिकों के बीच एकता की भावना इसकी समग्र स्थिरता और विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हम सभी को यह समझना चाहिए कि अलग-अलग प्रयासों कि बजाए सामूहिक रूप से उठाए कदम अधिक प्रभावशाली होते हैं। लोगों को यह महसूस करना चाहिए कि उन्हें देश के भीतर एकता के साथ रहना और राष्ट्रीय पहचान को एकजुट करने वाली शक्ति बनना चाहिए।

राष्ट्रीय एकता एक भावना है जो विशेष रूप से लोगों को धर्म, जातियों, सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि या भाषाओं के संदर्भ में मतभेद होने के बावजूद राष्ट्र की पहचान के बंधन में बांधती है।

किसी भी देश को अपनी एकता के रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं से निपटने में सक्षम होना चाहिए। ये बाधाएं बहुत आम हैं। हमने समय-समय पर इतने सारे जातिवाद, धार्मिक और भाषाई दंगों को देखा है। इन मुद्दों से देश कमजोर दिखाई पड़ता है और इस तरह भारत विरोधी शक्तियों को हमारे राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने के लिए संकेत मिल सकता है जिसे हमें कभी भी खुद पर हावी होने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

देश के नागरिकों को एक समग्र रूप में संश्लेषित किया जाना चाहिए, उन्हें सद्भाव के साथ रहना चाहिए और उन्हें अपनी पहचान एक इकाई के रूप में सुनिश्चित करनी चाहिए। यह लक्षण देश की सकारात्मक चेतना और पहचान बनाने में मदद करते हैं। इस कार्य में हम सभी को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।

मैं एक नागरिक के रूप में समझता हूं कि हर व्यक्ति को राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाने के लिए अपना योगदान देना चाहिए। यदि हम अपने विचारों पर ध्यान देते हैं और अपने कार्यों की दिशा में हर दूसरे व्यक्ति की स्वीकृति की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं तो हम हमेशा हमारे देश की विभिन्न मान्यताओं, संस्कृतियों, जातियों और परंपराओं के एकीकरण की दिशा में योगदानकर्ता बनेंगे। हमारे विचार हमें बनाते हैं और तोड़ते हैं। एकता का हमारा विचार हमें एक साथ चीजें पाने में सक्षम बनाता है और एक इकाई में विशाल मतभेदों के विस्मरण को सुनिश्चित करता है।

कृपया खुद में सकारात्मक विचारों को प्रोत्साहित करें और हमारे राष्ट्र के विभिन्न पहलुओं के एकीकरण का समर्थन करें और ‘राष्ट्रीय एकता’ को बढ़ावा देने में सहायता करें।

आदरणीय प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और साथी छात्रों आज के इस कार्यक्रम में आप सबका हार्दिक स्वागत है।

जैसा कि आप सब जानते हैं कि आज 19 नवंबर के विशेष दिन पर हम सब यहां अपने विद्यालय के प्रांगण में राष्ट्रीय एकता दिवस का कार्यक्रम मनाने के लिए इकठ्ठा हुए हैं। जब हम राष्ट्रीय एकता के विषय में सोचते हैं तो हमारे मन में कई सारे ख्याल आते है पर इसमें से जो सबसे पहले हमारे दिमाग में आता है वह हमारे देश की एकता और अखंडता।

हममें से कई लोग इस बात को पहले से ही जानते होंगे पर फिर भी मैं आप सबको इस विषय में बता दुं कि राष्ट्रीय एकता दिवस का यह विशेष दिन हमारे देश के महानतम प्रधानमंत्रियों में से एक माने जाने वाली श्रीमती इंदिरा गांधी के जन्मदिवस के दिन मनाया जाता है, जिन्होंने देश की एकता और अखंडता को बनाये रखने के लिए अपने प्राणों का भी बलिदान कर दिया और यह जानते हुए भी उनके फैसलों द्वारा उनके जीवन को खतरा होगा फिर भी वह अपने फैसलों पर अडिग रही और अपनी हत्या से पहले 30 अक्टूबर 1984 को भुवनेश्वर में दियें गये अपने आखिरी भाषण में उन्होंने कहा था कि, “मैं आज यहां हूं कल शायद यहां न रहूं। मुझे चिंता नहीं मैं जिंदा रहूं या न रहूं।

मेरा जीवन अच्छा और लंबा रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने देश के लोगों की सेवा में बिताया है। मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे ख़ून का एक-एक क़तरा भारत को मजबूती प्रदान करने का कार्य करेगा”। यहीं कारण है कि 19 नवंबर के इस दिन को उनके द्वारा देश के एकता को बनाये रखने के लिए किये गये सराहनीय कार्यों के प्रति समर्पित किया गया है।

राष्ट्रीय एकता दिवस का यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे देश के प्रगति और सुरक्षा के लिए हममें राष्ट्रीय एकता की भावना का होना बहुत ही आवश्यक है। इसके द्वारा ही अपने देश के राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाये रख सकते हैं। राष्ट्रीय एकता वह भावना है जो हमारे देश में भाषीय, जातीय, धार्मिक, सांस्कृतिक जैसी तमाम तरह की विविधताएं होने के बावजूद भी हमें एक सूत्र में बांधे रखने का कार्य करती है। हम कह सकते हैं कि हमारी राष्ट्रीय एकता की भावना ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति और हमारे देश के तरक्की का आधार है, इसका प्रचार-प्रसार करके हम ना सिर्फ अपने देश को तरक्की के मार्ग पर अग्रसित कर सकते हैं बल्कि की इसे एक वैश्विक शक्ति के रुप में भी स्थापित कर सकते हैं। हमारी राष्ट्रीय एकता का मूल तो हमारे राष्ट्र गान में भी संकलित है जिसमें हम पूरब से पश्चिम और पंजाब से बंगाल तक की अपनी राष्ट्रीय एकता के विरासत का वंदन करते हैं।

वर्तमान परिदृश्य में हमारे अंदर राष्ट्रीय एकता की भावना का होना काफी आवश्यक है क्योंकि हमारा देश चारो ओर से शत्रुओं से घिरा हुआ है और इनके द्वारा हमारे देश में अस्थिरता पैदा करने के लिए सदैव प्रयास किये जाते हैं। इसके अलावा हमारे देश की एकता और अखंडता को तोड़ने के लिए कई सारे संगठन हमारे देश के भीतर भी सक्रिय हैं, जो हमारे देश की सुरक्षा के लिए बाहरी शत्रुओं से भी अधिक खतरनाक है। इनमें से अधिकतर संगठन माओवाद और चरमपंथी आतंकवाद विचारों वाले संगठन है, जिन्हें बाहरी शक्तियों द्वारा आर्थिक और सामरिक रुप से परिपोषित किया जाता है और उनका मात्र एक ही उद्देश्य है भारतीय एकता और अखंडता को खंडित करना।

इसके लिए यह कई तरीकों की सहायता लेते हैं जैसे युवाओं को गुमराह करना, लोगों को सरकार के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए उकसाना, धार्मिक उन्माद और रंजिश को बढ़ाने के लिए योजनागत हिंसक घटनाओं को अंजाम देना, सरकार को कमजोर करने के लिए हिंसक घटनाओं को अंजाम देना आदि जैसे इनमें सबसे प्रमुख है।

देश के तोड़ने वाले इनकें इन मंसूबों को केवल हमारे द्वारा ही धराशायी किया जा सकता है क्योंकि देश के छात्र और नवयुवक ही वह लोग हैं, जिन्हें बहला-फुसलाकर या ब्रेनवाश करकर यह देशविरोधीं ताकते अपनी योजनाओं को अंजाम देती हैं। यदि हम इन विषयों के प्रति सजग रहेंगे और अपने देश की एकता के भावना को समझेंगे तो कोई शक्ति या संगठन कितनी भी कोशिश कर ले पर वह हमारे देश की राष्ट्रीय एकता को तोड़ने के प्रयास में कभी सफल नही हो सकता है।

तो आइये मिलकर शपथ ले कि ना सिर्फ हम अपने देश के एकता व अखंडता के विषय के प्रति जागरुक होंगे बल्कि दूसरें में भी इस विषय के प्रति जागरुकता लाने का पूरा प्रयास करेंगे क्योंकि इन्हीं देश की एकता और अखंडता विरोधी ताकतों से लड़ते हुए हमारे देश की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपनें प्राणों को भी देश के खातिर न्यौछावर कर दिया था और उनका यह महान बलिदान हमें इस बात की प्रेरणा देता है कि यदि राष्ट्र के एकता के लिए हमें अपने प्राणों का भी बलिदान देना पड़े तो हमें पीछे नही हटना चाहिए।

उम्मीद करता हुं कि आप सबको मेरा यह भाषण पसंद आया हो, मेरे भाषण को इतने धैर्यपूर्वक सुनने के लिए आप सबका धन्यवाद!

संबंधित पोस्ट

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर भाषण

बाल दिवस

बाल दिवस पर भाषण

बाल मजदूरी

बाल मजदूरी पर भाषण

खेल

खेल पर भाषण

क्रिसमस

क्रिसमस पर भाषण

बॉस

बॉस के लिए विदाई भाषण

Leave a comment.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Hindustan Hindi News

हिंदुस्तान पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद

शायद आप ऐड ब्लॉकर का इस्तेमाल कर रहे हैं। पढ़ना जारी रखने के लिए ऐड ब्लॉकर को बंद करके पेज रिफ्रेश करें।

ट्रेंडिंग न्यूज़

अगली खबर पढ़ने के लिए यहाँ टैप करें →

Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Speech : सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती और एकता दिवस पर आसान भाषण

Sardar vallabhbhai patel jayanti speech , essay : अगर आप सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती , राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण या निबंध प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं तो नीचे दिए गए भाषण से उदाहरण ले सकते है.

Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Speech : सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती और एकता दिवस पर आसान भाषण

Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Speech , National Unity Day Essay Speech : आज 31 अक्टूबर को भारत की एकता के सूत्रधार कहे जाने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती है। महान स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभभाई पटेल देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और पहले गृहमंत्री रहे। जब भारत आजाद हुआ था तब देश 550 से ज्यादा रियासतों में बंटा था। इन्हें भारत में मिलाने में सरदार पटेल से सबसे अहम भूमिका निभाई। यह वजह है कि वह  भारतीय एकता के प्रतीक बन गए। उनका जन्मदिन देश भर में राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। सरदार पटेल की जयंती पर विभिन्न स्कूलों व कॉलेजों में क्वीज, निबंध व भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। इसमें उनके शानदार व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला जाता है। अगर सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर आप भी भाषण या निबंध प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं तो नीचे दिए गए भाषण से उदाहरण ले सकते हैं।

Sardar Vallabhbhai Patel Jayani Speech , Essay National Unity Day speech Essay : सरदार पटेल जयंती, राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण

आदरणीय प्रिंसिपल सर, अध्यापकों, एवं मेरे प्यारे दोस्तों-- 

आज लौह पुरुष, राष्ट्रीय एकीकरण के शिल्पकार, भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ। साथियों, जब भारत आजाद हुआ तब हमारा मुल्क 550 से भी ज्यादा छोटी बड़ी देशी रियासतों में बंटा हुआ था। इन्हें हिंदुस्तान में मिलाना बेहद जरूरी था जो कि एक चुनौतिपूर्ण कार्य था। कई रियासतें भारत में न मिलकर खुद को अलग स्वतंत्र रखना चाहती थीं। सरदार पटेल भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और पहले गृहमंत्री थे। उन्होंने देश के एकीकरण में बेहद अहम भूमिका निभाई। यही वजह है कि उन्हें राष्ट्रीय एकता का प्रणेता माना जाता है। 

सरदार पटेल अपनी बेहतरीन नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमताओं के लिए भी जाने जाते थे। पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने वाले सरदार पटेल को भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने सभी रियासतों के राजाओं को यह स्पष्ट कर दिया था कि अलग राज्य का उनका सपना असंभव है और भारतीय गणतंत्र का हिस्सा बनने में ही उनकी भलाई है। उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और राजनैतिक दूरदर्शिता से छोटी रियासतों को संगठित किया। भारत के भौगोलिक एकीकरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होने के चलते उनकी जयंती को देश में राष्ट्रीय एकता दिवस (  National Unity Day ) के तौर पर मनाया जाता है। पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस 2014 में मनाया गया था।    सरदार पटेल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। वे अपने पिता झवेरभाई पटेल और माता लाडबाई की चौथी संतान थे। उन्होंने लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया।  स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था। उन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्त्व भी किया। बारडोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की थी। सरदार पटेल स्पष्ट व निर्भीक वक्ता थे। यदि वे कभी गांधी जी व जवाहर लाल नेहरू से असहमत होते तो वे उसे भी साफ कह देते थे। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें तीन साल की कैद हुई।

महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि दी थी। यह सरदार पटेल का ही विजन था कि भारतीय प्रशासनिक सेवाएं देश को एक रखने में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को मजबूत बनाने पर काफी जोर दिया। उन्होंने सिविल सेवाओं को स्टील फ्रेम कहा था।   

किसी भी देश का आधार उसकी एकता और अखंडता में निहित होता है और सरदार पटेल देश की एकता के सूत्रधार थे। सरदार पटेल जी का निधन 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई में हुआ था। सन 1991 में सरदार पटेल को मरणोपरान्त 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था।

सरदार पटेल की जयंती पर जगह जगह रन फॉर यूनिटी का आयोजन होता है। कुछ कार्यक्रमों में उनके महान व्यक्तित्व, उनके सशक्त विचारों, आजादी, राष्ट्रनिर्माण व एकीकरण में उनके योगदान से जनता को रूबरू कराया जाता है। दोस्तों, आज सरदार पटेल की जयंती पर हमें उनके विचारों को जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए। उनके अनुशासित जीवन से सीख लेना चाहिए। इसी के साथ मैं अपना भाषण खत्म करना चाहूंगा। 

धन्यवाद , जय हिंद, जय भारत। 

Virtual Counsellor

हिन्दुस्तान एजुकेशन

speech on ekta in hindi

इंजीनियरिंग के टॉप कॉलेज

speech on ekta in hindi

मेडिकल के टॉप कॉलेज

speech on ekta in hindi

लॉ के टॉप कॉलेज

उत्तर प्रदेश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज

speech on ekta in hindi

एजुकेशन लोन

बिहार बोर्ड 10 वीं रिजल्ट  लेटेस्ट  Hindi News , और   यूपी बोर्ड रिजल्ट पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

  • क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में आईआईटी बीएचयू 6 पायदान चढ़ा, टॉप 10 भारतीय संस्थानों में शामिल
  • बिहार बोर्ड इंटर एडमिशन 2024: 11वीं में अभ्यर्थी चुन सकते हैं 20 विकल्प, मैट्रिक यूनिक आईडी से दिख जाएगा डेटा
  • CUET UG : सीयूईटी यूजी में 13 विषयों की परीक्षा होगी ऑफलाइन, पेन पेपर मोड से होगा एग्जाम
  • AP Inter Results 2024 : BIEAP फर्स्ट और सेकेंड ईयर का रिजल्ट आज, resultsbie.ap.gov.in पर करें चेक
  • CUET UG 2024 : कब आएंगी एग्जाम सिटी स्लिप और एडमिट कार्ड, जल्द मिलेगा अपडेट
  • NEET यूजी : तैयारी के फाइनल स्टेज में इस तरह की तैयारी दिलाएगी सफलता
  • सोशल मीडिया स्पेशलिस्ट कैसे बनें यहां जानें
  • QS Rankings By Subjects: इंजीनियरिंग, मेडिकल, आर्ट्स और साइंस में ये हैं भारत के टॉप संस्थान
  • बिहार बोर्ड डीपीएड परीक्षा 2024 आवेदन को लेकर अहम नोटिस जारी

speech on ekta in hindi

अनेकता में एकता पर निबंध – Anekta Mein Ekta Essay in Hindi

Anekta Mein Ekta Essay in Hindi

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे समृद्ध एवं संपन्न संस्कृति है जिसकी मूल पहचान अनेकता में एकता ( Anekta Me Ekta ) है।

हमारे देश में अलग-अलग जाति और धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं, जिनके खान-पान, पहनावा और बोली, परंपरा-रीति-रिवाजों आदि में काफी अंतर है, लेकिन फिर भी यहां सभी लोग मिलजुल कर प्रेम और भाईचारे के साथ रहते हैं, और यही भारत को विश्व के अन्य देशों से अलग बनाता है।

भारत की आजादी से पहले अंग्रेजों ने भारत में फूट डालो, राज करो नीति भी अपनाई, ताकि भारतीय एकता कमजोर पड़ जाए, लेकिन विदेशी ताकतों का भारतीय एकता और अखंडता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

बाबजूद इसके सभी भारतीयों ने एकजुट होकर देश को आजाद करवाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, और अपने देश को आजाद करवाने में सफल हुए, जो कि अपने आप अद्धितीय है।

और इस तरह अनेता में एकता की शक्ति का भारत देश सबसे बड़ी मिसाल है। वहीं एकता के महत्व को समझाने के लिए कई बार स्कूल-कॉलेजों में छात्रों को “अनेकता में एकता” के विषय पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में इस विषय पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि इस प्रकार है –

Anekta Me Ekta

प्रस्तावना-

हमारा देश भारत विश्व में सर्वश्रेष्ठ है, अनेकता में एकता ही इसकी अखंड पहचान है जो इसे विश्व के अन्य देशों से अलग बनाती है क्योंकि अन्य देशों में भारत की तरह अलग-अलग मजहब और धर्म को मानने वाले लोग एकजुट होकर इस तरह प्रेम, भाईचारे और सद्भाव से नहीं रहते हैं।

इसलिए भारतीय संस्कृति की मिसाल विश्व भर में दी जाती है। यहां अलग-अलग धर्मों के रहने वाले लोगों के त्योहार, रीति-रिवाज, पहनावा, बोली आदि में काफी विविधिता होने के बाबजूद भी सभी मजहब के लोग अपने-अपने तरीके से रहते हैं और अपनी परंपरा और रीति-रिवाजों के साथ अपने त्योहार मनाते हैं।

भारत एक ऐसा देश है, जहां दीपावली और ईद में जितनी रौनक रहती है, उतनी ही रौनक क्रिसमस औऱ गुरु पर्व में भी देखने को मिलती है। भले ही सभी धर्मों के अपने-अपने सिद्धांत हो, लेकिन यहां रहने वाले सभी धर्म के लोगों का सिर्फ एक ही लक्ष्य भगवान की प्राप्ति है।

अनेकता में एकता ही भारत की पहचान:

भारत में “अनेकता में एकता” इसकी मूल पहचान है और यह भारतीय संस्कृति और परंपरा को सबसे अलग एवं समृद्ध बनाने में मद्द करती है। हमारा देश भारत अनेकता में एकता की मिसाल है क्योंकि भारत ही एक ऐसा देश है जो इस अवधारणा को बेहतरीन तरीके से साबित करता है।

सही मायने में अनेकता में एकता ही भारत की अखंड शक्ति और मजबूती है, जो भारत को विकास के पथ पर आगे बढ़ाती है और इसकी एक अलग पहचान बनाती हैं।

भारत में कई अलग-अलग प्रांत हैं, जिसमें रहने वाले सभी लोगों की भाषा, जाति, धर्म, परंपरा, पहनावा आदि में काफी अंतर है जो कि (बंगाली, राजस्थानी, मारवाड़ी, पंजाबी, तमिलीयन, महाराष्ट्रीयन) आदि के रुपो में जाने जाते हैं, जो अपने आप को भारतीय कहते हैं और यही भारत में अनेकता में एकता को दर्शाता है।

भारत के लोगों की सोच, उनका आचरण, व्यवहार, चरित्र, उनके मानवीय गुण, आपसी प्रेम, संस्कार, कर्म आदि भारत की विविधता को एकता को बनाए रखने में मद्द करते हैं।

भारत में हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सभी धर्म के लोग आपस में प्रेम, भाईचारे और सद्भाव के साथ रहते हैं और एक-दूसरे के मजहब, धर्म, परंपरा और भाषा का आदर करते हैं, एक – दूसरे को प्यार से अपनाते हैं, यही भारत की सबसे बड़ी विशेषता है, जो कि अपने आप में अद्धितीय और अनूठी है।

अनेकता में एकता का महत्व – Anekta Mein Ekta Ka Mahatva

देश की आजादी से पहले जब भारत, अंग्रेजों का गुलाम था और अंग्रजों के अत्याचारों और असहनीय पीड़ा को सह रहा था, उस दौरान सभी भारतीयों के अंदर स्वतंत्रता पाने की इच्छा जागृत हुई और फिर आजादी पाने के लिए काफी सालों तक संघर्ष की लड़ाई लड़ी।

इस लड़ाई में सभी भारतीयों ने एकता को अपना सबसे बड़ा हथियार मानकर जिस तरह अंग्रेजों को भारत से खदेड़ कर बाहर फेंका और स्वाधीनता हासिल की, इसे अनेकता में एकता के महत्व का पता लगाया जा सकता है।

  • अनेकता में एकता बुरी से बुरी परिस्थिति से उभरने में मद्द करता है।
  • इससे लोगों के अंदर एक-दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम की भावना विकसित होती है और लोग एक-दूसरे के करीब आते हैं।
  • आपसी रिश्तों और भावनाओं को और अधिक मजबूती मिलती है, इससे जीवन शैली, कार्यकुशलता, और उत्पादकता में सुधार आता है और देश के विकास को बल मिलता है।
  • “विविधता में एकता” से लोगों को टीम वर्क करने में मद्द मिलती है और उनके अंदर आत्मविश्वास एवं मनोबल बढ़ता है।
  • विविधता में एकता से ही लोगों को एक – दूसरे के साथ प्रेम भाव से रहने में मद्द मिलती है और मुश्किलों से लड़ने की हिम्मत मिलती है।
  • विविधिता में एकता से आपसी रिश्तों में सुधार आता है।
  • विविधता में एकता ही भारतीय संस्कृति की अखंडता एवं प्रभुता को बनाए हुए है।

जिस तरह बाग में अलग-अलग तरह के सुंदर और आर्कषक फूल होते हैं, लेकिन सभी का काम वातावरण को सुगन्धित करना होता है, उसी तरह भारत में रहने वाले सभी लोग अलग-अलग हैं, लेकिन सभी की भावना और आत्मा एक है।

इसलिए हम सब एक है और यही हमारे देश की असली पहचान है। वहीं हम सभी को इस पहचान को बरकरार रखने में इसकी अखंडता के महत्व को समझना चाहिए और अपना सहयोग करना चाहिए।

अनेकता में एकता पर निबंध – Anekta Mein Ekta Essay

अलग-अलग असामानताओं के बाद भी अखंडता का अस्तित्व ही विविधिता में एकता का अर्थ है। और भारत देश इसका सर्वोत्तम उदाहरण है, सिर्फ भारत देश में ही अलग-अलग धर्म, जाति, समुदाय आदि के लोगों के अलग-अलग आर्कषक रंग देखने को मिलते हैं, जो अपने आप में अद्धितीय और अनुपम है।

जाति-धर्म की असामानता के बाद भी हम सब एक हैं:

हमारा भाऱत देश, एक ऐसा देश है, जहां हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, पारसी समेत कई अलग-अलग मजहब और धर्म को मानने वाले लोग आपस में प्रेम और भाईचारे के साथ रहते हैं।

जिनकी रीति-रिवाज, परपंरा, संस्कृति, दर्शन-शास्त्र एक दूसरे से भिन्न है, लेकिन सभी के मजहब का एक ही उद्देश्य ईश्वर की प्राप्ति और किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना है।

खान-पान अलग होने के बाद भी हम सब एक हैं:

भारत जैसी विविधता विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलती है, यहां जितने तरह के लोग उतने ही तरह का खान-पान है। यहां अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग धर्म के लोग अपने त्योहारों में पारंपरिक पकवान बनाते हैं और एक-दूसरे को खिलाकर खुशियां मनाते हैं।

वेशभूषा अलग होने के बाद भी हम सब भारतीय एक हैं:

यहां अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग तरीके का पहनावा है, जो लोगों को अपनी तरफ आर्कषित करता है। वहीं भारतीय परिधान को लेकर सभी के मन में एक अदब और सम्मान है।

विविध तरीके की बोली होने के बाबजूद भी हम सब भारतीय एक हैं:

हमारे देश भारत में हिन्दी, इंग्लिश, उर्दू, पंजाबी, उडि़या, तमिल,तेलुगू, गुजराती, कन्नड़, असमिया, मराठी, मलयालयम आदि भाषाएं बोली जाती हैं। इन सभी भाषाओं के माध्यम से लोग अपनी भावों को एक-दूसरे के साथ सांझा करते है, लेकिन भावना सबकी एक ही है, इसलिए हम सभी भारतीय एक है, क्योंकि हम सभी की भावना और आत्मा एक है।

अलग-अलग प्रांतों की अलग-अलग रीति-रिवाज होने के बाद भी हम सब एक हैं:

हमारे भारत देश में पंजाब, उड़ीसा, हरियाणा, पंजबा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, आंध्रप्रदेश समेत अलग-अलग 29 राज्य है। ये सब एक दूसरे से हर तरीके से अलग होते हुए भी एक है, जो कि भारत में विविधता में एकता को दर्शाते हैं।

जहां अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति को विश्व में सबसे अलग और समृद्ध बनाती हैं, वहीं आजकल कुछ भ्रष्टाचारी राजनेता, वोट बैंक के लालच में जाति, धर्म और संप्रदाय आदि की राजनीति कर भारतीय एकता की शक्ति को कमजोर बना रहे हैं, जो कि निंदनीय हैं।

भारतीय समाज में संपत्ति के लालच में भाई-भाई की हत्या कर रहा है और महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों में इजाफा हो रहा है, जो कि भारतीय संस्कृति की छवि को पूरे विश्व में धूमिल कर रहा है, इस तरह के विकार को हमें दूर करने की जरूरत है, और यह तभी संभव है जब हम सब एकजुट होकर इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे।

3 thoughts on “अनेकता में एकता पर निबंध – Anekta Mein Ekta Essay in Hindi”

' src=

it’s is very helpfull for me

' src=

It is very helpfull for me

' src=

You are so gineous

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Gyan ki anmol dhara

Grow with confidence...

  • Computer Courses
  • Programming
  • Competitive
  • AI proficiency
  • Blog English
  • Calculators
  • Work With Us
  • Hire From GyaniPandit

Other Links

  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Refund Policy

सोचदुनिया

विविधता में एकता पर भाषण

Unity in Diversity Speech in Hindi

विविधता में एकता पर भाषण : Unity in Diversity Speech in Hindi :- आज के इस लेख में हमनें ‘विविधता में एकता पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप विविधता में एकता पर भाषण से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

विविधता में एकता पर भाषण : Unity in Diversity Speech in Hindi

सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, माननीय शिक्षकगण एवं मेरे प्यारे साथियों, आप सभी को मेरा प्यारभरा नमस्कार। मेरा नाम —— है और मैं इस विद्यालय में 11वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ।

आज मैं इस शुभ अवसर पर आप सभी के सामने एक छोटा सा भाषण प्रस्तुत करने जा रहा हूँ, जिसका विषय है:- विविधता में एकता। यह एक काफी महत्वपूर्ण विषय है।

सर्वप्रथम मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया। आज मैं “विविधता में एकता” विषय पर दो शब्द कहना चाहता हूँ।

आशा करता हूँ कि आपको यह पसंद आएगा। आप सभी ने सुना ही होगा कि हमारा देश विविधता में एकता वाला देश है। लेकिन, इसका क्या अर्थ होता है? जब अलग-अलग जाति, धर्म एवं वर्ण व्यवस्था के लोग एक साथ मिलकर रहते है, तो उसे ही “विविधता में एकता” कहा जाता है।

एकता में इतनी ताकत होती है कि वह अपने सामने खड़ी बड़ी से बड़ी समस्या को हरा देती है। एकता हर किसी को अपने साथ जोड़कर रखती है। एकता से हर काम संभव है।

जैसे:- चींटियाँ एकता में काम कर अपने से 10 गुना वजन वाली वस्तु को भी आसानी से उठा लेती है, एकता में यही ताकत होती है। एक अकेले इंसान को हरा पाना बहुत आसान होता है, लेकिन एक समूह को हरा पाना आसान नहीं होता है।

एकता हम सभी को मजबूत होने की ताकत प्रदान करती है। हमारें देश में विभिन्न प्रकार के धर्म, जाति एवं अलग-अलग रूप-रंग वाले लोग मिलकर साथ रहते है। यह आज से ही नहीं बल्कि, कईं दशकों से साथ रह रहे है।

हमारें देश में हर किसी को समानता का अधिकार है। इसी एकता के सहारे ही हम सभी को आजादी प्राप्त हुई है। लेकिन, आज भी इस देश में ऐसे लोग है, जो इस एकता को भंग करने की कोशिश करते है।

वे लोगों को धर्म के नाम पर लड़वाते है और लोगों को कट्टरवादी होने के लिए प्रेरित करते है। कईं लोग अलग धर्म के लोगो के साथ असमानता का व्यवहार करते है। निचली जाति के लोगों के साथ छुआछूत करते है।

कईं राजनेता भी अपने फायदे के लिए धर्मों के बीच में गलतफहमी पैदा करते है और उन्हें आपस में लड़वाते रहते है। हम सभी को इन सभी के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। हमें दूसरों लोगों को भी ऐसे लोगों से दूर रहने की सलाह देनी चाहिए।

क्योंकि, ऐसे लोग अपने छोटे से फायदे के लिए इस देश की एकता को भंग करने का प्रयास करते रहेंगे। हम सभी को हमेशा ही समानता का व्यवहार करना चाहिए, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म का व्यक्ति हो।

यदि हम सभी एकता के साथ रहते है, तो इस दुनिया में कोई भी हमें नहीं हरा सकता है और न ही कोई भी देश हम पर हमला करने का प्रयास करेगा। हमारा देश और भी अधिक मजबूत होगा और साथ-साथ इसका विकास भी होगा।

हमें इस एकतारूपी धन को हमेशा ही संजोकर रखना होगा। तभी हम सभी एक खुशहाल भविष्य की कल्पना कर सकेंगे। इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि आप सभी को मेरा यह भाषण पसंद आया होगा।

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ  फेसबुक  पर साझा अवश्य करें और हमारे  वेबसाइट  को सबस्क्राइब कर ले।

' src=

नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।

Similar Posts

अनुशासन पर भाषण

अनुशासन पर भाषण

अनुशासन पर भाषण : Speech on Discipline in Hindi:- आज के इस महत्वपूर्ण जानकारी से परिपूर्ण लेख में हमनें ‘अनुशासन पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

अध्यापकों के लिए धन्यवाद भाषण

अध्यापकों के लिए धन्यवाद भाषण

अध्यापकों के लिए धन्यवाद भाषण : Thank You Speech for Teachers in Hindi:- इस लेख में हमनें ‘अध्यापकों के लिए धन्यवाद भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

महात्मा गाँधी के प्रसिद्ध भाषण

महात्मा गाँधी के प्रसिद्ध भाषण

महात्मा गाँधी के प्रसिद्ध भाषण : Famous Speeches by Mahatma Gandhi in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘महात्मा गाँधी के प्रसिद्ध भाषण’ साझा किया है।

महिला सशक्तिकरण पर भाषण

महिला सशक्तिकरण पर भाषण

महिला सशक्तिकरण पर भाषण : Women Empowerment Speech in Hindi:- आज इस लेख में हमनें ‘महिला सशक्तिकरण पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

संत रविदास जयंती पर भाषण

संत रविदास जयंती पर भाषण

संत रविदास जयंती पर भाषण : Speech on Sant Ravidas Jayanti in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘संत रविदास जयंती पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

हिंदी दिवस पर भाषण

हिंदी दिवस पर भाषण

हिंदी दिवस पर भाषण : Speech on Hindi Diwas in Hindi:- आज के इस महत्वपूर्ण लेख में हमनें ‘हिंदी दिवस पर भाषण’ से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की है।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Hindi Yatra

अनेकता में एकता पर निबंध – Anekta Mein Ekta Essay in Hindi

Anekta Mein Ekta Essay in Hindi दोस्तों  आज हम अनेकता में एकता पर निबंध हिंदी में लिखने वाले है. हमारे देश भारत देश की विशेषता यह है कि यहां पर अनेकता में एकता दिखाई देती है. यह हमारे देश का सौभाग्य है कि आप पर हर मूल, जाति और संस्कृति के लोग यहां रहते है. हमारे देश के लोग बहुत ही ईमानदार और साहसी होते है सभी लोग एक साथ मिल जुल कर रहते है.

Anekta Mein Ekta Essay in Hindi 150 Words

अनेकता में एकता यह कहावत हमारे भारत देश पर सही बैठती है क्योंकि हमारे देश भारत देश में विभिन्न प्रकार की विभिन्नताएं हैं फिर भी यहां पर लोगों में एकता देखने को मिलती है. हमारे देश में विभिन्न धर्मों हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई आदि धर्मों के लोग रहते है.

एक प्रांत में इतने धर्मों के लोग होने के बावजूद भी हमारे देश में लोग एक दूसरे से झगड़ते नहीं है और अनेकता में एकता का परिचय देते है. हमारे देश की मिट्टी ही कुछ ऐसी है जहां पर एक बार जो आ जाता है फिर उसका मन इस भूमि को छोड़ने का नहीं करता है.

Anekta mein ekta essay in hindi

हमारे देश में विभिन्न प्रकार की भाषाएं हिंदी, मराठी, बंगाली, हरियाणवी, पंजाबी, उर्दू आदि भाषाएं बोली जाती है. इसके बावजूद भी लोग एक दूसरे को समझते हैं और प्रेम भाव से रहते है.

हमारे देश के हर प्रांत में अलग-अलग त्योहार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और सभी धर्मों भाषाओं के लोग इन कार्यक्रमों में बड़े चाव से हिस्सा लेते है. यही हमारा देश का अनेकता में एकता का दृढ़ता का परिचय है.

Anekta Mein Ekta Essay in Hindi 300 Words

हमारी मातृभूमि वीर शहीदों के खून से पवित्र है यहां पर बड़े-बड़े ऋषियों और महापुरुषों ने जन्म लिया है जिससे इसकी पवित्रता और बढ़ जाती है इसीलिए जब भी अन्य देशों के लोग यहां पर आते हैं तो यहीं पर बस जाते हैं हमारे देश में लगभग सभी देशों के लोग निवास करते है.

और सभी प्रेम और सदभाव से रहते है. एक दूसरे की धर्म और भाषाओं का आदर करते है. यही बात हमें अन्य देशों से अलग बनाती है और हमारे देश में अनेकता में एकता देखने को मिलती है. हमारे देश कई वर्षों तक गुलामी की जिंदगी जीता रहा है फिर भी यह की मूल संस्कृति और भाषा में कोई बदलाव नहीं आया है.

यह बात यह दर्शाती है कि हमारे देश के लोगों पर कितनी भी मुसीबत क्यों ना आ जाए फिर भी हम एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ते है. हमारे देश की एकता में अनेकता का परिचय तब देखने को मिला जब हमारे देश को ब्रिटिश लोगों से आजाद कराने के लिए हर जाति और धर्म के लोगों ने मिलकर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी.

यह भी पढ़ें –   मेरा भारत महान पर निबन्ध – Mera Bharat Mahan Essay in Hindi

और आखिर में जीत हासिल करके बता दिया कि हम चाहे कितने भी जाति और धर्म में बंटे हुए है लेकिन जब हम एकजुट हो जाते है  तो किसी भी शक्ति को उखाड़ फेंकने में सक्षम है.

हमारे देश के लोग प्रत्येक धर्म को उतनी ही इज्जत देते है जितनी अपने धर्म को देते है इसीलिए हमारे देश में विविधता में भी एकता है. पश्चिमी सभ्यता के लोग परिवार से अलग रहते है लेकिन हमारे भारत देश में आज भी लोग परिवार के साथ ही रहते है यह बात दर्शाती है कि हम एक दूसरे के प्रति कितने प्रेम भाव रखते है.

हमारे देश में प्रतिदिन कोई ना कोई त्यौहार या जयंती मनाई जाती है जो कि अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों की आस्था होती है फिर भी सभी लोग मिलजुल कर यह त्यौहार मनाते है. इसीलिए हमारे भारत देश में अनेकता में भी एकता की झलक दिखाई देती है.

Anekta Mein Ekta Essay in Hindi 1000 Words

अनेकता में एकता की झलक विश्व में सिर्फ हमारे देश में ही देखने को मिलती है यह हमारे लिए गर्व की बात है. हमारे देश कई वर्षों तक विदेशी ताकतों का गुलाम रहा है फिर भी यहां के लोग आज भी जिंदा दिल है. यह बात दर्शाती है कि चाहे हमारे ऊपर कितने भी जुल्म हो, कितनी भी कठिनाई आए हम पीछे हटने वालों में से नहीं है.

हमारे देश में अनेकता में एकता उसी तरह जैसे धरती पर विभिन्न प्रकार के फूल है सभी फूलों की खुशबू अलग तरह की है लेकिन सभी फूलों का काम वातावरण को सुगंधित करना है इसी प्रकार हमारे देश में अनेकों प्रकार की भिन्नता है लेकिन सभी का लक्ष्य एक ही है कि हम एकजुटता से रहें और पूरी दुनिया को इतनी विभिन्नता होते हुए भी अपनी एकता का परिचय दें.

हमारे देश के लोगों का एक-दूसरे के ऊपर आज भी विश्वास कायम है जो कि पश्चिमी सभ्यता में कम ही देखने को मिलता है. हमारे देश में विभिन्न प्रकार के धर्मों हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई बड़े ही प्रेम भाव से रहते है. हर धर्म का व्यक्ति दूसरे धर्म को उतनी ही इज्जत और आशा से देखता है जितने कि अपने धर्म को देखता है इसीलिए शायद हमारे देश में आज भी मानवता जिंदा है.

हमारे भारत देश में विभिन्न प्रकार की भाषाएं हिंदी, इंग्लिश, उर्दू, मराठी, पंजाबी, बंगाली और भी कई क्षेत्रीय भाषाएं बोली जाती हैं यहां पर हर दूसरे राज्य में एक नई भाषा बोली जाती है कहीं-कहीं पर तो एक ही राज्य में कई प्रकार की भाषाएं बोली जाती है यही बात हमारी एकता को दर्शाता है.

हमारे यहां पर प्रत्येक राज्य में हर दिन कोई ना कोई त्योहार जरूर होता है जिसको सभी धर्म और जातियों के लोग खूब धूमधाम से मनाते है. हमारे देश के प्रत्येक प्रांत में लोग अलग-अलग वेशभूषा पहनते है जैसे पंजाब में पगड़ी, राजस्थान में रुमाल बांधते हैं कहीं पर धोती पहनी जाती है तो कहीं पर सूट पहना जाता है फिर भी लोगों में एक दूसरे के प्रति ईष्या का भाव उत्पन्न नहीं होता है.

हमारा देश कई जातियों ब्राह्मण, क्षत्रिय, जाट और भी कई अन्य जातियों में बटा हुआ है फिर भी लोगों में कोई विरोधाभास नहीं है. सभी लोग एक दूसरे को सम्मान की नजरों से देखते है. हमारे देश का कानून भी सभी लोगों को बराबर अधिकार प्रदान करता है चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो.

हमारे देश में प्रत्येक साल कई मेले भरते है कभी उर्स मेला लगता है तो कभी कुंभ का मेला यह दोनों मेले अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोगों के है लेकिन हमारा पूरा देश इन मेलों में शामिल होता है यह बात दर्शाती है कि हम सभी के मेलों और धर्म का आदर करते है.

हमारे भारत देश में सभी प्रांतों में लोग अलग प्रकार के खान-पान करते है और उनका रहन-सहन भी अलग होता है. हमारे खान-पान और रहन-सहन में इतना फर्क होने के बावजूद भी हम मिल जुल कर रहते है. और एक दूसरे के खान पान और रहन सहन की तारीफ करके उनको सम्मान भी देते है.

हमारा देश अनेक राज्यों में बटा हुआ जैसे राजस्थान, गुजरात, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु उड़ीसा, कश्मीर, बिहार आदि है इन सभी राज्यों की संस्कृति और माहौल एक दूसरे से बिल्कुल अलग है फिर भी हम एक दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं क्योंकि हमारे देश के लोग प्रेम-भाव की डोर से बंधे हुए है.

अंग्रेजो ने हमारे देश को रंग के आधार पर भी बांटने की कोशिश की लेकिन हम कभी भी रंग के आधार पर नहीं बंटे क्योंकि हमारे देश के लोगों को अच्छे से पता है कि इंद्रधनुष के सात रंग एक साथ देखने पर ही अच्छे लगते है उसी प्रकार हमारे देश में सभी लोगों को महत्व है उसके रंग का काले या गोरे होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. यह बात दर्शाती है कि हमारी सोच कितनी अच्छी है.

हमारे देश में प्रत्येक इंसान पर प्राकृतिक विविधता भी पाई जाती है कहीं पर अत्यधिक मात्रा में बर्फ गिरती है तो कहीं पर तेज धूप पड़ती है लेकिन फिर भी हमारी प्रकृति में संतुलन बना रहता है प्रकृति हमें हमेशा मिलजुल कर रहने का संदेश देती है.

लेकिन वर्तमान में कुछ लोगों द्वारा जाति भेदभाव की राजनीति की जा रही है और लोगों को एक दूसरे के प्रति भड़काया जा रहा है जिसके कारण हमारे देश में कहीं ना कहीं लोग जाति, रंग और प्राकृतिक साधनों के लिए लड़ते रहते है.

यह हमारे देश के लिए बहुत ही बुरा है कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए पूरे देश का माहौल खराब कर रहे है. हमें इन लोगों को पहचान कर हमारे समाज से बाहर करना होगा नहीं तो ये एक दूषित पर फल की तरह हम सभी फलों को खराब कर देंगे.

हमें यह जानना होगा कि हमारे लिए क्या सही है और क्या गलत है हमें दूसरों के भड़काने पर नहीं भडकना चाहिए हमारे बुजुर्ग लोग बड़े ही शांति से और सोच विचार कर काम करते थे लेकिन आजकल बिना सोचे समझे ही लोग भड़क जाते है और देश में हड़ताल और दंगे करने लग जाते है.

हमें फिर से एकजुट होना होगा और हमारे देश की राजनीति में घुसे हुए स्वार्थी भेड़ियो को बाहर निकालकर फेंकना होगा. अगर हमने जल्द ही ऐसा नहीं किया तो यह हमें जाति और धर्म के नाम पर बांट कर अपना स्वार्थ पूरा करेंगे.

और हम जाति और धर्म में उलझ कर रह जाएंगे इसलिए हमें हमारी एकता का परिचय देते हुए सोच समझकर कार्य करना होगा और हमारे देश को प्रगति की राह पर लाना होगा फिर से लोगों को बताना होगा कि हमारे देश में चाहे कितनी भी विभिन्नता क्यों ना हो हम सदा एकजुट और प्रेम पूर्वक रहेंगे.

यह भी पढ़ें –

Slogans on India in Hindi – भारत देश पर नारे

स्वच्छ भारत अभियान निबंध Swachh Bharat Abhiyan Essay in Hindi

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Anekta Mein Ekta Essay in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

29 thoughts on “अनेकता में एकता पर निबंध – Anekta Mein Ekta Essay in Hindi”

I need essay in 5000 words

good essay but i want in 500 words

We will write soon

WOW THANX so much this helped me A lot..

Welcome Namita and keep visiting hindiyatra.

This is very useful for any student

Thank you Bishnuy kr sahu for appreciation keep visiting hindiyatra.

Kya ye nibandh 1500 shabdo me nhi hoga

Mozammil Alam ji hum jald hi 1500 words me bhi is nibandh ko likhnge, hindiyatra par aate rahe.

अनेकता में एकता

Thanks it is very good and helpfully

Welcome Aastha, we are glad you liked our content. Thank you very much

A Big Thankx for your help. I read both the essays and the introduction. Found the feeling of patriotism and nationalism.

Welcome Sumit Choudhary and we glad you’re like our content, keep visting hindiyatra.

I have won 5000 rp in the award as the first the prize.

If I have to find to find any essay then I choose your website first. Thank you for your help

Welcome Nandini, keep visiting our website.

thanks it was fantastic . It helped me alot to win 1st prize in district level

OMG! thank you and congratulations diya, Keep visiting our website.

Bahut acha ha mujko apka 300 air 1000 words ka essay bahut pasand aaya mana apna condition ma 300 words ka essay likha air mujko first prise Mila thanks

Badhaai ho app ko first prize milane par or Dhanyawad Mukhlesur aap ko hamare duvara likha gya essay aacha laga, aise website par aate rahe.

(I like this your essay ) hamare school me essay pratiyogita hui hti hamne yahi essay likha tha or hamare school me mera 1st no. Aaya hai (thanks)

yah bhut khushi ki baat hai, aap ko bhut bhut bhadi ho. aise hi hamari website par aate rhe. Thank you

This is a superb essay on india i saw ever

Rashmi Mudgulkar, Thank you very much for the appreciation

i like your essay but yeah 944 words ka hi tha but i got first price thanks

Thank you riddhi ji and congratulation for first prize.

Hme -1500words me chahiye

Sany Ray, hum jald hi 1500 words ka essay bhi likhe ge.

Leave a Comment Cancel reply

HindiKhojijankari

राष्ट्रीय एकता दिवस पर स्लोगन और अनमोल विचार | National Unity Day Quotes in Hindi | Wishes Massages, Quotes on rashtriya Ekta Divas 2023

National-Unity-day-quotes-in-hindi

National Unity Day 2023 Slogans & Quotes: हर साल 31 अक्टूबर का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रुप में मनाया जाता है। इसी दिन सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ था और उन्हीं के जन्मदिन के उपलक्ष में उनके सम्मान में हर साल राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने भारत के कई टुकड़े होने से भारत को बचा लिया और 565 देशी रियासतों का भारत में विलय किया। अगर आज वे नहीं होते तो शायद हमारे भारत के न जाने कितने टुकड़े हो चुके होते।

उनके योगदान को देखते हुए साल 2014 में सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन के उपलक्ष में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने की शुरुआत की।

राष्ट्रीय एकता दिवस को लेकर विद्यालय विश्वविद्यालय और अन्य कई संस्थानों में विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को अनमोल विचार कोट्स और कविताओं के द्वारा संदेश भेजते हैं।

आज आर्टिकल के जरिए हम आपको एकता दिवस पर नारे, अनमोल विचार और संदेश (Massage, Slogan on National Unity Day Quotes in Hindi) के बारे में बताएंगे जिन्हें आप संदेश के माध्यम से अपनी जान पहचान के लोगों तक पहुंचा सकते हैं और इन कविताओं और कोट्स के माध्यम से प्रभावशाली निबंध और भाषण दे सकते हैं।

  • कैसे लिखें राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध व कविता
  • सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंति कब हैं ?
  • दुनियां की सबसें ऊंची मूर्ति  स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बारें में रोचक व खास बातें 

राष्ट्रीय एकता दिवस पर अनमोल विचार | National-Unity-day-quotes-in-hindi

राष्ट्रीय एकता दिवस पर अनमोल विचार (National Unity Day Quotes in Hindi)

इन्हें भी पढ़ें

  • राष्ट्रीय युवा दिवस पर निबंध , क्यों मनाया जाता है? इसका इतिहास व उद्देश्य
  • महापुरुष स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय एवं अनमोल वचन

एकता दिवस पर संदेश, भाषण (National Unity Day Quotes in Hindi)

विविधता में एकता भारत की पहचान है। भारत दुनिया का सबसे विविध देश है जहां कदम कदम पर जलवायु सभ्यता और संस्कृतियों बदलती रहती हैं। लेकिन इतनी विविधता के बाद भी भारत पूरी दुनिया के लिए एकता और अखंडता की मिसाल है।

लेकिन बड़े दुख की बात है कि आज जातिभेद धर्म भेद रंगभेद और भाषा भेद जैसे कारणों से हमारी एकता और अखंडता क्षीण होती जा रही है। इस प्रकार के भेदभाव भारत की विकास गति को बाधित कर रहे हैं और हमें सदियों पीछे ले जा रहे हैं।

आज घर-घर में बंटवारे नौबत है भाई भाई के साथ रहना पसंद नहीं करता फिर इतने बड़े देश को एकजुट रखना बहुत कठिन कार्य है। हमें नींव से मेहनत करनी होगी पहले हम इंसान को इंसान से जोड़ना होगा, फिर अपने घर परिवार को जोड़ना होगा फिर समाज को जोड़ना होगा तब जाकर हमारा देश से एकजुट होगा।

भाषा और धर्म के नाम पर आज हमारा देश एक टुकड़ों में बटा हुआ है। आए दिनों धर्म के नाम पर उन्माद और दंगे होते रहते हैं। इन सब चीजों का सबसे बड़ा कारण अज्ञानता है।

हमारे देश में भाषा को लेकर जो बंटवारा है उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हमारे देश के पास कोई राष्ट्रभाषा नहीं है हालांकि हिंदी भारत के ज्यादातर हिस्सों में बोली जाने वाली भाषा है और इससे राज्य भाषा है भी घोषित किया गया है।

लेकिन वर्तमान समय में भाषा को लेकर जितने वाद विवाद चल रहे हैं इन परिस्थितियों को देखते हुए हिंदी को राष्ट्रभाषा बना देना अत्यंत आवश्यक है अन्यथा अब वह दिन दूर नहीं जब लोग अपने से भिन्न भाषा बोलने वालों से ईर्ष्या करने लगेंगे।

इन सबके अलावा भारत में इस्लामिक आतंकवाद भी बहुत बड़ी समस्या है। इस्लामिक कट्टरपंथी उन्मादियो ने मुस्लिम युवाओं को गलत राह दिखाकर देश में इस्लामिक आतंकवाद की गंभीर समस्या को बंद कर दिया है। आज आए दिनों लोग हिंदू मुस्लिम दंगों में झुलसते से रहते हैं।

खालिस्तान की मांग भी भारत की एकता के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। ऐसे अलगाववादियों और उनकी विचारधाराओं को पनपने देना राष्ट्र की एकता के साथ विद्रोह से कम नहीं है। हमें हमारे देश में ऐसे अलगाववादी विचारधाराओं का दमन करना होगा।

यह छोटी-छोटी बातें हमारी राष्ट्रीय एकता को बहुत प्रभावित करते हैं और अगर इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान नहीं दिया गया तो यहां अखंड भारत एक ना एक दिन कई टुकड़ों में बट जाएगा। तो आइए हम आप एक साथ मिलकर भारत में एकता के अखंड दीपक को जलाए रखें और सरदार जी के सपनों को पूरा करें जो उन्होंने अखंड भारत को लेकर देखा था।

उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल बेहद पसंद आया होगा।

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

  • entertainment

LSD 2 Trailer Launch: Dibakar Banerjee on muting cuss words and blurring frontal nudity in the film

LSD 2 Trailer Launch: Dibakar Banerjee on muting cuss words and blurring frontal nudity in the film

Visual Stories

speech on ekta in hindi

IMAGES

  1. Rashtriya Ekta Diwas (National Unity Day) 2022 Speech Essay For

    speech on ekta in hindi

  2. एकता में बल है पर निबंध

    speech on ekta in hindi

  3. अनेकता में एकता एस्से इन हिंदी |hindi nibandh anekta mein ekta |essay

    speech on ekta in hindi

  4. Rashtriya Ekta par essay in hindi

    speech on ekta in hindi

  5. Rashtriya Ekta Diwas par Bhashan

    speech on ekta in hindi

  6. Rashtriya Ekta Diwas Slogan & Poster in Hindi

    speech on ekta in hindi

VIDEO

  1. EKTA (एकता ) (class 3rd Hindi Balbharati)

  2. Ekta Essay in Hindi

  3. Ekta main bol

  4. ekta day speech in sindhi

  5. Teacher's Day speech in Hindi

  6. होलिका दहन ||gav ki ekta ||hindi kahaniya ||

COMMENTS

  1. एकता पर भाषण

    एकता पर भाषण || Speech on Unity in Hindi. Watch on. जब सद्भाव होता है तो विचारों में अधिक ताकत, बेहतर संचार और बेहतर समझ होती है। अंग्रेजों के भारत पर शासन के ...

  2. राष्ट्रीय एकता पर भाषण का सही अर्थ और इसपे लिखे निबंध क्या हैं

    राष्ट्रीय एकता का महत्व: एक राष्ट्र में रहने के नाते आपका पहला लक्ष्य अपने राष्ट्र को नयी ऊंचाई पर ले जाने के साथ-साथ, अपने राष्ट्र की ...

  3. राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध, भाषण व कविता

    Rashtriya Ekta Diwas par Nibandh or Poem, Speech, Essay on National Unity Day in Hindi के बारे में बताते हैं। विषय-सूची . राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध (Speech Essay on National Unity Day in hindi) ... (Speech on National Unity Day in Hindi)

  4. राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण 2022-23 National Unity Day Speech in Hindi

    इस पोस्ट के द्वारा राष्ट्रीय एकता क्यों आवश्यक है, राष्ट्रीय एकता निबंध मराठी, rashtriya ekta diwas par bhashan, rashtriya ekta diwas speech in english, in punjabi, in kannada, in gujarati, National unity day Images ...

  5. राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण Speech on Rashtriya Ekta Diwas in Hindi

    राष्ट्रीय एकता दिवस पर नारे Rashtriya Ekta Diwas Slogan in Hindi. राष्ट्रीय एकता दिवस के लिए ज़बरदस्त नारे -. अंत में मैं यह कहना चाहूंगा कि हम सभी भारतीय ...

  6. राष्ट्रीय एकता का महत्व व आवश्यकता पर निबंध

    राष्ट्रीय एकता पर निबंध - National Unity Essay in Hindi National Integrity Unity in Hindi : "राष्ट्रीय एकता" वह शक्ति है जिसके बल पर कोई देश, समाज, सम्प्रदाय उन्नति करता है | एकता के बल पर ही ...

  7. अनेकता में एकता पर निबंध- Anekta Mein Ekta Essay in Hindi

    Anekta Mein Ekta Essay in Hindi ( अनेकता में एकता निबंध ) 500 words. हमारे देश का नाम भारत है। इसलिए हम सब बड़े मान के साथ कहते हैं कि इस देश में रहने वाले हम सब ...

  8. राष्ट्रीय एकता पर निबंध

    Article shared by: राष्ट्रीय एकता पर निबंध (दो निबंध) | Read These Two Essays on National Unity in Hindi. #Essay 1: राष्ट्रीय एकता पर निबंध | Essay on National Unity in Hindi! राष्ट्रीय एकता एक ...

  9. Rashtriya Ekta Diwas par Bhashan

    राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण | National Unity Day Speech in Hindi | Rashtriya Ekta Diwas par Bhashan | Ekta Diwas 2022 | Rashtriya Ekta Diwas ...

  10. Bharat ki Ekta aur Akhandta "भारत की एकता और अखंडता" Complete Hindi

    भारत की एकता और अखंडता Bharat ki Ekta aur Akhandta. भारत के प्रत्येक राज्य के रहन-सहन के अपने अपने तौर-तरीके हैं। इसमें रहने वाले विभिन्न समुदायों में अत्यधिक विभिन्नता ...

  11. राष्ट्रीय एकीकरण पर भाषण

    राष्ट्रीय एकीकरण पर छोटे तथा बड़े भाषण (Short and Long Speech on National Integration in Hindi) भाषण - 1. यहां पर उपस्थित सभी सज्जनों को मेरी तरफ से नमस्कार!

  12. Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Speech In Hindi: National Unity Day

    Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Speech , National Unity Day Essay Speech : आज 31 अक्टूबर को भारत की एकता के सूत्रधार कहे जाने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती है। महान स्वतंत्रता सेनानी सरदार ...

  13. राष्ट्रीय एकता दिवस

    राष्ट्रीय ऐक्य दिवस प्रतिवर्ष 31 अक्टूबर को भारत में मनाया जाता है। इस दिवस को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयन्ती को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है, जिनकी ...

  14. Rashtriya Ekta Diwas par Bhashan

    राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण | Rashtriya Ekta Diwas par Bhashan | National Unity Day Speech in Hindi | Rashtriya Ekta Diwas Speech | Rashtriya Ekta ...

  15. अनेकता में एकता पर निबंध

    Anekta Mein Ekta Essay in Hindi. भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे समृद्ध एवं संपन्न संस्कृति है जिसकी मूल पहचान अनेकता में एकता ( Anekta Me Ekta) है।. हमारे देश में ...

  16. विविधता में एकता पर भाषण: Unity in Diversity Speech in Hindi

    हिंदी दिवस पर भाषण : Speech on Hindi Diwas in Hindi:- आज के इस महत्वपूर्ण लेख में हमनें 'हिंदी दिवस पर भाषण' से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की है।

  17. अनेकता में एकता पर निबंध

    Anekta Mein Ekta Essay in Hindi 1000 Words. अनेकता में एकता की झलक विश्व में सिर्फ हमारे देश में ही देखने को मिलती है यह हमारे लिए गर्व की बात है. हमारे देश कई ...

  18. राष्ट्रीय एकता दिवस पर अनमोल विचार (National Unity Day Quotes in Hindi)

    आज आर्टिकल के जरिए हम आपको एकता दिवस पर नारे, अनमोल विचार और संदेश (Massage, Slogan on National Unity Day Quotes in Hindi) के बारे में बताएंगे जिन्हें आप

  19. 10 Lines on Rashtriya Ekta Diwas in Hindi |National Unity Day in Hindi

    10 Lines on Rashtriya Ekta Diwas in Hindi National Unity Day in HindiParagraph on Rashtriya Ekta Diwas Short Essay on Rashtriya Ekta Diwas Hindi Speech on Ra...

  20. LSD 2 Trailer Launch: Dibakar Banerjee on muting cuss words and

    About teaming up with Ekta once again, Dibakar said, "The energy to do the film came from Ekta. She once called me and said LSD 2 banate hai bohot waqt hua hai. We were waiting for good stories.